[Script Info] Title: [Events] Format: Layer, Start, End, Style, Name, MarginL, MarginR, MarginV, Effect, Text Dialogue: 0,0:00:00.00,0:00:05.00,Default,,0000,0000,0000,,मैं संवेदना के बारे में इस्लाम के दृष्टिकोण से बात कर रहा हूँ, Dialogue: 0,0:00:05.00,0:00:08.00,Default,,0000,0000,0000,,और शायद मेरे धर्म के बारे में ऐसा नहीं समझा जाता Dialogue: 0,0:00:08.00,0:00:12.00,Default,,0000,0000,0000,,कि संवेदना से गहरे जुड़ा हुआ है. Dialogue: 0,0:00:12.00,0:00:14.00,Default,,0000,0000,0000,,हालांकि सच्चाई कुछ अलग है Dialogue: 0,0:00:14.00,0:00:20.00,Default,,0000,0000,0000,,हमारे धर्मग्रन्थ क़ुरान में ११४ अध्याय हैं Dialogue: 0,0:00:20.00,0:00:24.00,Default,,0000,0000,0000,,और हर अध्याय शुरू होता है उस शब्द से, जिसे हम कहते हैं बिस्मिल्लाह Dialogue: 0,0:00:24.00,0:00:30.00,Default,,0000,0000,0000,,जो कि ईश्वर के नाम में, जो संवेदनापूर्ण हैं, और दयालु हैं Dialogue: 0,0:00:30.00,0:00:32.00,Default,,0000,0000,0000,,या जैसा कि सर रिचर्ड बर्टन Dialogue: 0,0:00:32.00,0:00:35.00,Default,,0000,0000,0000,,वो रिचर्ड बर्टन नहीं जिन्होंने एलिज़ाबेथ टेलर से शादी कि थी Dialogue: 0,0:00:35.00,0:00:38.00,Default,,0000,0000,0000,,परन्तु वो सर रिचर्ड बर्टन जो उनसे १ शताब्दी पहले हुए थे Dialogue: 0,0:00:38.00,0:00:40.00,Default,,0000,0000,0000,,और जिन्होंने पूरी दुनिया का भ्रमण किया था Dialogue: 0,0:00:40.00,0:00:44.00,Default,,0000,0000,0000,,और कई साहित्यों का अनुवाद किया था Dialogue: 0,0:00:44.00,0:00:51.00,Default,,0000,0000,0000,,वो उस शब्द का अनुवाद करते हैं " ईश्वर के नाम में, जो कि संवेदनशील और करुणापूर्ण हैं" Dialogue: 0,0:00:51.00,0:00:58.00,Default,,0000,0000,0000,,और क़ुरान, जो कि मुसलमानों के लिए ईश्वर का मानवता को सन्देश है, उसकी एक कहावत में, Dialogue: 0,0:00:58.00,0:01:01.00,Default,,0000,0000,0000,,ईश्वर अपने पैगंबर मुहम्मद से, Dialogue: 0,0:01:01.00,0:01:04.00,Default,,0000,0000,0000,,जिनको हम पैगम्बरों कि श्रृंखला में अंतिम मानते हैं Dialogue: 0,0:01:04.00,0:01:10.00,Default,,0000,0000,0000,,उस श्रृंखला में जो आदम से शुरू हुई, और नूह, मूसा, इब्राहिम Dialogue: 0,0:01:10.00,0:01:14.00,Default,,0000,0000,0000,,और यीशु मसीह भी शामिल है, और जो मोहम्मद के साथ समाप्त हुई Dialogue: 0,0:01:14.00,0:01:17.00,Default,,0000,0000,0000,,कहते हैं " ओह मोहम्मद, हमने आपको भेजा है Dialogue: 0,0:01:17.00,0:01:23.00,Default,,0000,0000,0000,,केवल दया, और मानवता के लिए संवेदना का स्रोत बना कर " Dialogue: 0,0:01:23.00,0:01:27.00,Default,,0000,0000,0000,,और हम मनुष्यों के लिए, और निश्चित रूप से हम मुसलमानों के लिए , Dialogue: 0,0:01:27.00,0:01:32.00,Default,,0000,0000,0000,,जिनका लक्ष्य और उद्देश्य, पैगम्बर के रास्ते पर चल कर Dialogue: 0,0:01:32.00,0:01:36.00,Default,,0000,0000,0000,,अपने आप को पैगम्बर की तरह बनाना है Dialogue: 0,0:01:36.00,0:01:38.00,Default,,0000,0000,0000,,और पैगम्बर ने अपने एक कथन में कहा है Dialogue: 0,0:01:38.00,0:01:43.00,Default,,0000,0000,0000,,"अपने आप को परमेश्वर के गुणों से सजाओ". Dialogue: 0,0:01:43.00,0:01:49.00,Default,,0000,0000,0000,,और क्योंकि परमेश्वर ने खुद कहा है कि करुणा उनकी प्राथमिक गुण है , Dialogue: 0,0:01:49.00,0:01:54.00,Default,,0000,0000,0000,,वास्तव में, कुरान में कहा गया है कि, "ईश्वर ने खुद पर करुणा का नियम बनाया ," Dialogue: 0,0:01:54.00,0:01:58.00,Default,,0000,0000,0000,,या, "करुणा के राजत्व में रहे" Dialogue: 0,0:01:58.00,0:02:05.00,Default,,0000,0000,0000,,इसलिए, हमारा उद्देश्य और हमारा लक्ष्य करुणा का स्रोत Dialogue: 0,0:02:05.00,0:02:09.00,Default,,0000,0000,0000,,करुणा के उत्प्रेरक, करुणा के पात्र , Dialogue: 0,0:02:09.00,0:02:13.00,Default,,0000,0000,0000,,करुणा के वक्ता और करुणा के कर्ता बनना होना चाहिए. Dialogue: 0,0:02:13.00,0:02:16.00,Default,,0000,0000,0000,,यह सब तो ठीक है, Dialogue: 0,0:02:16.00,0:02:19.00,Default,,0000,0000,0000,,पर हम गलत कहाँ हो जाते हैं, Dialogue: 0,0:02:19.00,0:02:24.00,Default,,0000,0000,0000,,और दुनिया में करुणा की कमी का स्रोत क्या है? Dialogue: 0,0:02:24.00,0:02:29.00,Default,,0000,0000,0000,,इसका जवाब जानने के लिए, हमे मुड़ कर देखना होगा अपने आध्यात्मिक पथ की ओर Dialogue: 0,0:02:29.00,0:02:36.00,Default,,0000,0000,0000,,हर धार्मिक परंपरा में एक बाहरी और एक आंतरिक पथ होता हैं, Dialogue: 0,0:02:36.00,0:02:41.00,Default,,0000,0000,0000,,या कहें की भीतर की चेतना और बाहर की चेतना का पथ Dialogue: 0,0:02:41.00,0:02:49.00,Default,,0000,0000,0000,,भीतर की चेतना के पथ को इस्लाम में सूफ़ीवाद, या अरबी में तसव्वुफ़ कहा जाता है Dialogue: 0,0:02:49.00,0:02:52.00,Default,,0000,0000,0000,,और ये हकीम या ये गुरु, Dialogue: 0,0:02:52.00,0:02:56.00,Default,,0000,0000,0000,,सूफी परंपरा के ये आध्यात्मिक गुरु, Dialogue: 0,0:02:56.00,0:03:00.00,Default,,0000,0000,0000,,हमारे पैगम्बर की शिक्षाओं और उदाहरणों को उद्धृत करते हैं, Dialogue: 0,0:03:00.00,0:03:04.00,Default,,0000,0000,0000,,जो हमें सिखाता है कि हमारी समस्याओं का स्रोत कहाँ है, Dialogue: 0,0:03:04.00,0:03:08.00,Default,,0000,0000,0000,,पैगम्बर ने जो युद्ध लड़े उनमें से एक में, Dialogue: 0,0:03:08.00,0:03:13.00,Default,,0000,0000,0000,,उन्होंने अपने अनुयायियों से कहा, "हम छोटे युद्ध से लौट रहे हैं Dialogue: 0,0:03:13.00,0:03:17.00,Default,,0000,0000,0000,,एक बड़ी लड़ाई, एक बड़े युद्ध की ओर." Dialogue: 0,0:03:17.00,0:03:22.00,Default,,0000,0000,0000,,और उन्होंने कहा, " ईश्वर के सन्देश वाहक, हम युद्ध से थक चुके हैं, Dialogue: 0,0:03:22.00,0:03:25.00,Default,,0000,0000,0000,,हम एक बड़े युद्ध में कैसे जा सकते हैं?" Dialogue: 0,0:03:25.00,0:03:33.00,Default,,0000,0000,0000,,उन्होंने कहा, "यह आत्म की लड़ाई है, अहंकार की लड़ाई है." Dialogue: 0,0:03:33.00,0:03:42.00,Default,,0000,0000,0000,,मनुष्य की समस्याओं के स्रोत का लेना देना अहंकारवाद से है. मैं. Dialogue: 0,0:03:42.00,0:03:48.00,Default,,0000,0000,0000,,प्रख्यात सूफी गुरु रूमी, आप में से ज्यादातर जिसे अच्छी तरह जानते हैं. Dialogue: 0,0:03:48.00,0:03:54.00,Default,,0000,0000,0000,,की एक कहानी है जिसमे वह एक आदमी की बात करते हैं जो अपने एक दोस्त के घर जाता है Dialogue: 0,0:03:54.00,0:03:57.00,Default,,0000,0000,0000,,और दरवाज़ा खटखटाता है, Dialogue: 0,0:03:57.00,0:04:00.00,Default,,0000,0000,0000,,और एक आवाज़ जवाब देती है, " कौन है?" Dialogue: 0,0:04:00.00,0:04:05.00,Default,,0000,0000,0000,,"हम हैं", या व्याकरण के लिहाज से ज्यादा सही, "यह मैं हूँ." Dialogue: 0,0:04:05.00,0:04:07.00,Default,,0000,0000,0000,,जैसा कि हम अंग्रेजी में कह सकते हैं. Dialogue: 0,0:04:07.00,0:04:10.00,Default,,0000,0000,0000,,वह आवाज़ कहती है,"चले जाओ." Dialogue: 0,0:04:10.00,0:04:18.00,Default,,0000,0000,0000,,कई वर्षों के प्रशिक्षण, अनुशासन, खोज और संघर्ष, के बाद, Dialogue: 0,0:04:18.00,0:04:20.00,Default,,0000,0000,0000,,वह वापस आता है, Dialogue: 0,0:04:20.00,0:04:24.00,Default,,0000,0000,0000,,और काफी ज्यादा विनम्रता से फिर दरवाजा खटखटाता है Dialogue: 0,0:04:24.00,0:04:27.00,Default,,0000,0000,0000,,वह आवाज़ पूछती हैं "कौन है वहां?" Dialogue: 0,0:04:27.00,0:04:31.00,Default,,0000,0000,0000,,वह कहता है, "ये तुम हो, ओ दिल तोड़ने वाले." Dialogue: 0,0:04:31.00,0:04:35.00,Default,,0000,0000,0000,,दरवाज़ा खुलता है और आवाज़ कहती है, Dialogue: 0,0:04:35.00,0:04:42.00,Default,,0000,0000,0000,,"अन्दर आ जाओ, क्योंकि इस घर में दो 'मैं' के लिए जगह नहीं है. Dialogue: 0,0:04:42.00,0:04:46.00,Default,,0000,0000,0000,,दो बड़े मैं, ये आँखें नहीं, बल्कि दो अहंकार. Dialogue: 0,0:04:46.00,0:04:55.00,Default,,0000,0000,0000,,और रूमी की कहानियां आध्यात्म के मार्ग की उपमा हैं. Dialogue: 0,0:04:55.00,0:05:01.00,Default,,0000,0000,0000,,ईश्वर की उपस्थिति में एक से ज्यादा मैं की जगह नहीं. Dialogue: 0,0:05:01.00,0:05:06.00,Default,,0000,0000,0000,,और यह मैं देवत्व का है. Dialogue: 0,0:05:06.00,0:05:10.00,Default,,0000,0000,0000,,हमारी परंपरा में एक शिक्षा जिसे हदीस ख़ुदसी कहते हैं, Dialogue: 0,0:05:10.00,0:05:16.00,Default,,0000,0000,0000,,ईश्वर कहते है, "मेरे सेवक", या "मेरे जीव, मेरे मानव जीव, Dialogue: 0,0:05:16.00,0:05:22.00,Default,,0000,0000,0000,,जो मुझे प्यारा है उसके सहारे मेरे पास नहीं आता Dialogue: 0,0:05:22.00,0:05:25.00,Default,,0000,0000,0000,,बल्कि उसके सहारे जो मैंने करने को कहा है Dialogue: 0,0:05:25.00,0:05:29.00,Default,,0000,0000,0000,,और आप में से जो नियोक्ता हैं, वे अच्छी तरह जानते हैं की मैं क्या कहना चाहता हूँ Dialogue: 0,0:05:29.00,0:05:33.00,Default,,0000,0000,0000,,आप चाहते हो कि आपके कर्मचारी वह ही करें जो आपने उनसे करने को कहा है, Dialogue: 0,0:05:33.00,0:05:35.00,Default,,0000,0000,0000,,और अगर उन्होंने वह कर लिया तो वे और ज्यादा कर सकते हैं, Dialogue: 0,0:05:35.00,0:05:38.00,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन उसे नज़रंदाज़ मत करना कि तुमने उनसे क्या करने को कहा है, Dialogue: 0,0:05:38.00,0:05:44.00,Default,,0000,0000,0000,,और ईश्वर कहते है, मेरे सेवक मेरे और करीब होते जाते हैं, Dialogue: 0,0:05:44.00,0:05:47.00,Default,,0000,0000,0000,,मैंने जो उनसे करने को कहा है, उससे ज्यादा कुछ करके, Dialogue: 0,0:05:47.00,0:05:49.00,Default,,0000,0000,0000,,हम उसे कुछ ज्यादा साख कह सकते हैं, Dialogue: 0,0:05:49.00,0:05:53.00,Default,,0000,0000,0000,,जब तक मैं उसको प्यार नहीं करता, Dialogue: 0,0:05:53.00,0:05:56.00,Default,,0000,0000,0000,,और जब मैं अपने सेवकों को प्यार करता हूँ", ईश्वर कहते हैं, Dialogue: 0,0:05:56.00,0:06:02.00,Default,,0000,0000,0000,,मैं वो आँखें बन जाता हूँ, जिनसे वह देखते हैं. Dialogue: 0,0:06:02.00,0:06:08.00,Default,,0000,0000,0000,,कान जिनसे वह सुनते हैं. Dialogue: 0,0:06:08.00,0:06:13.00,Default,,0000,0000,0000,,हाथ जिससे वह पकड़ते हैं. Dialogue: 0,0:06:13.00,0:06:17.00,Default,,0000,0000,0000,,पैर जिससे वह चलते हैं. Dialogue: 0,0:06:17.00,0:06:22.00,Default,,0000,0000,0000,,और दिल जिससे वह समझता या समझती हैं." Dialogue: 0,0:06:22.00,0:06:27.00,Default,,0000,0000,0000,,यह हमारे अहम् और देवत्व का वह समामेलन है. Dialogue: 0,0:06:27.00,0:06:35.00,Default,,0000,0000,0000,,यह हमारे अध्यात्मिक मार्ग और हमारी सभी धार्मिक परम्पराओं का उद्देश्य और सबक है. Dialogue: 0,0:06:35.00,0:06:41.00,Default,,0000,0000,0000,,मुसलमान यीशु को सूफीवाद का गुरु मानते हैं, Dialogue: 0,0:06:41.00,0:06:48.00,Default,,0000,0000,0000,,महानतम पैगम्बर और संदेशवाहक जो आध्यात्मिक मार्ग पर जोर देने आया. Dialogue: 0,0:06:48.00,0:06:52.00,Default,,0000,0000,0000,,जब वह कहता है, " मैं आत्मा हूँ, मैं रास्ता हूँ." Dialogue: 0,0:06:52.00,0:06:57.00,Default,,0000,0000,0000,,जब पैगम्बर मोहम्मद कहते हैं, "'जिसने मुझे देखा है उसने ईश्वर को देख लिया," Dialogue: 0,0:06:57.00,0:07:02.00,Default,,0000,0000,0000,,ऐसा इस लिए क्यों कि वे ईश्वर के पुर्जे बन गए, Dialogue: 0,0:07:02.00,0:07:04.00,Default,,0000,0000,0000,,वे ईश्वर की वाष्प का हिस्सा बन गए, Dialogue: 0,0:07:04.00,0:07:08.00,Default,,0000,0000,0000,,ताकि ईश्वर की इच्छा उनके जरिये फ़ैली Dialogue: 0,0:07:08.00,0:07:12.00,Default,,0000,0000,0000,,अपने स्व और अहम् के जरिये काम नहीं किया. Dialogue: 0,0:07:12.00,0:07:19.00,Default,,0000,0000,0000,,धरती पर मानवीयता दी गयी है, यह हममें है. Dialogue: 0,0:07:19.00,0:07:24.00,Default,,0000,0000,0000,,हमें बस यही करना है कि रास्ते से अपने अहम् हटा देना है, Dialogue: 0,0:07:24.00,0:07:27.00,Default,,0000,0000,0000,,अपने अहंकरवाद रास्ते से हटा देना है. Dialogue: 0,0:07:27.00,0:07:35.00,Default,,0000,0000,0000,,में निश्चित हूँ कि यहाँ मौजूद आप में से संभवतः सभी, या निश्चित ही आप में से बहुसंख्य, Dialogue: 0,0:07:35.00,0:07:39.00,Default,,0000,0000,0000,,को हुआ होगा, जिसे आप आध्यात्मिक अनुभव कहते हैं, Dialogue: 0,0:07:39.00,0:07:46.00,Default,,0000,0000,0000,,आपके जीवन में एक लम्हा, जब कुछ सेकंडों या शायद एक मिनट को, Dialogue: 0,0:07:46.00,0:07:52.00,Default,,0000,0000,0000,,आपके अहम् की सीमायें ख़त्म हो गयीं,. Dialogue: 0,0:07:52.00,0:07:59.00,Default,,0000,0000,0000,,और उस मिनट आपने खुद को ब्रह्माण्ड का हिस्सा महसूस किया, Dialogue: 0,0:07:59.00,0:08:05.00,Default,,0000,0000,0000,,उस पानी से भरे जग में, हर एक इन्सान में, Dialogue: 0,0:08:05.00,0:08:09.00,Default,,0000,0000,0000,,परम पिता में, Dialogue: 0,0:08:09.00,0:08:14.00,Default,,0000,0000,0000,,और तुमने स्वयं को शक्ति, विस्मय के सानिध्य में पाया, Dialogue: 0,0:08:14.00,0:08:18.00,Default,,0000,0000,0000,,सबसे गहरे प्यार, संवेदना और दया की सबसे गहरी भावना में Dialogue: 0,0:08:18.00,0:08:22.00,Default,,0000,0000,0000,,जो तुमने अपनी जिंदगी में कभी महसूस किया है Dialogue: 0,0:08:22.00,0:08:28.00,Default,,0000,0000,0000,,ये वह लम्हा है जो ईश्वर का हमें तोहफा है, Dialogue: 0,0:08:28.00,0:08:32.00,Default,,0000,0000,0000,,एक तोहफा जब एक लम्हे के लिए वह सीमा हटा देता है, Dialogue: 0,0:08:32.00,0:08:38.00,Default,,0000,0000,0000,,जो हमें मैं, मैं, मैं, हम, हम हम पर जोर देने देता है, Dialogue: 0,0:08:38.00,0:08:42.00,Default,,0000,0000,0000,,और इसके विपरीत, रूमी की कहानी के व्यक्ति की तरह, Dialogue: 0,0:08:42.00,0:08:48.00,Default,,0000,0000,0000,,हम कहते हैं, ' ओह, ये सब तुम हो. ' Dialogue: 0,0:08:48.00,0:08:50.00,Default,,0000,0000,0000,,यह सब तुम हो, यह हम सब हैं. Dialogue: 0,0:08:50.00,0:08:56.00,Default,,0000,0000,0000,,और हम, और मैं, हम सब तुम्हारे अंश हैं, Dialogue: 0,0:08:56.00,0:09:02.00,Default,,0000,0000,0000,,सब निर्माता, सब उद्देश्य, हमारे अस्तित्व का स्रोत, Dialogue: 0,0:09:02.00,0:09:04.00,Default,,0000,0000,0000,,और हमारी यात्रा का अंत. Dialogue: 0,0:09:04.00,0:09:09.00,Default,,0000,0000,0000,,तुम हमारे दिलों को तोड़ने वाले भी हो. Dialogue: 0,0:09:09.00,0:09:15.00,Default,,0000,0000,0000,,तुम वो हो जिसकी ओर हम सबको होना चाहिए, जो हमारे जीने का कारण होना चाहिए, Dialogue: 0,0:09:15.00,0:09:19.00,Default,,0000,0000,0000,,और जिसके लिए हमें मरना चाहिए, Dialogue: 0,0:09:19.00,0:09:23.00,Default,,0000,0000,0000,,औए जिसके लिए हमें पुनर्जन्म लेना चाहिए. Dialogue: 0,0:09:23.00,0:09:30.00,Default,,0000,0000,0000,,ईश्वर को जवाब देने के लिए कि हम संवेदनशील रहे हैं. Dialogue: 0,0:09:30.00,0:09:34.00,Default,,0000,0000,0000,,आज हमारा सन्देश, और आज हमारा उद्देश्य, Dialogue: 0,0:09:34.00,0:09:37.00,Default,,0000,0000,0000,,और तुममे में से जो आज यहाँ हैं, Dialogue: 0,0:09:37.00,0:09:42.00,Default,,0000,0000,0000,,और संवेदना के इस अधिकारपत्र का उद्देश्य याद दिलाना है. Dialogue: 0,0:09:42.00,0:09:50.00,Default,,0000,0000,0000,,क्योंकि कुरान हमेशा हमें याद रखने को, एक दूसरे को याद दिलाने को कहती है, Dialogue: 0,0:09:50.00,0:09:58.00,Default,,0000,0000,0000,,क्योंकि सत्य का ज्ञान हर एक इंसान के भीतर है. Dialogue: 0,0:09:58.00,0:10:01.00,Default,,0000,0000,0000,,हम यह सब जानते हैं. Dialogue: 0,0:10:01.00,0:10:03.00,Default,,0000,0000,0000,,हमारे पास इसका जरिया है. Dialogue: 0,0:10:03.00,0:10:07.00,Default,,0000,0000,0000,,जंग इसे अवचेतना कह सकते थे. Dialogue: 0,0:10:07.00,0:10:11.00,Default,,0000,0000,0000,,हमारी अवचेतना के जरिये, तुम्हारे ख्वाबों में, Dialogue: 0,0:10:11.00,0:10:19.00,Default,,0000,0000,0000,,जिसे कुरान कहती है, हमारी निद्रा की स्थिति, अल्प मौत, Dialogue: 0,0:10:19.00,0:10:23.00,Default,,0000,0000,0000,,अस्थाई मौत. Dialogue: 0,0:10:23.00,0:10:28.00,Default,,0000,0000,0000,,अपनी निद्रा की स्थिति में हमें स्वप्न आते हैं, हमें आभास होता है, Dialogue: 0,0:10:28.00,0:10:34.00,Default,,0000,0000,0000,,हम अपने शरीर के बाहर यात्रा करते हैं, हममे से बहुत, Dialogue: 0,0:10:34.00,0:10:37.00,Default,,0000,0000,0000,,और हम अद्भुत चीजें देखते हैं. Dialogue: 0,0:10:37.00,0:10:42.00,Default,,0000,0000,0000,,हम जैसा अंतरिक्ष जानते हैं, उसकी सीमाओं के परे यात्रा करते हैं, Dialogue: 0,0:10:42.00,0:10:46.00,Default,,0000,0000,0000,,हम समय की जो सीमायें जानते हैं उसके परे. Dialogue: 0,0:10:46.00,0:10:56.00,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन यह सब हमारे लिए विधाता के नाम का गुणगान करने के लिए है Dialogue: 0,0:10:56.00,0:11:02.00,Default,,0000,0000,0000,,जिसका मूल नाम दयावान, दयालु है. Dialogue: 0,0:11:02.00,0:11:09.00,Default,,0000,0000,0000,,गौड, बोख, चाहे जिस नाम से पुकारो, अल्ला, राम, ॐ, Dialogue: 0,0:11:09.00,0:11:12.00,Default,,0000,0000,0000,,नाम कोई भी हो सकता है जिससे तुम नाम देते हो Dialogue: 0,0:11:12.00,0:11:16.00,Default,,0000,0000,0000,,या देवत्व की मौजूदगी प्राप्त करते हो, Dialogue: 0,0:11:16.00,0:11:22.00,Default,,0000,0000,0000,,पूर्ण तत्व का केंद्र बिंदु है. Dialogue: 0,0:11:22.00,0:11:26.00,Default,,0000,0000,0000,,पूर्ण प्रेम और दया और संवेदना, Dialogue: 0,0:11:26.00,0:11:29.00,Default,,0000,0000,0000,,और पूर्ण ज्ञान और विवेक, Dialogue: 0,0:11:29.00,0:11:32.00,Default,,0000,0000,0000,,जिसे हिन्दू सच्चिनंद कहते हैं. Dialogue: 0,0:11:32.00,0:11:35.00,Default,,0000,0000,0000,,भाषा अलग है, Dialogue: 0,0:11:35.00,0:11:39.00,Default,,0000,0000,0000,,पर उद्देश्य समान है. Dialogue: 0,0:11:39.00,0:11:41.00,Default,,0000,0000,0000,,रूमी के पास एक और कहानी है Dialogue: 0,0:11:41.00,0:11:44.00,Default,,0000,0000,0000,,तीन लोगों के बारे में, एक तुर्क, एक अरब, Dialogue: 0,0:11:44.00,0:11:48.00,Default,,0000,0000,0000,,और मैं तीसरे का नाम भूल गया, पर मेरे वास्ते, वह एक मलय हो सकता है. Dialogue: 0,0:11:48.00,0:11:51.00,Default,,0000,0000,0000,,कोई अंगूर मांग रहा है, जैसे कि एक अंग्रेज़, Dialogue: 0,0:11:51.00,0:11:56.00,Default,,0000,0000,0000,,कोई एनेब मांग रहा है और कोई ग्रेप्स मांग रहा है. Dialogue: 0,0:11:56.00,0:11:59.00,Default,,0000,0000,0000,,और उनमें झगडा और बहस होती है क्योंकि, Dialogue: 0,0:11:59.00,0:12:03.00,Default,,0000,0000,0000,,मुझे ग्रेप्स चाहिए, मुझे एनेब चाहिए, मुझे अंगूर चाहिए, Dialogue: 0,0:12:03.00,0:12:06.00,Default,,0000,0000,0000,,यह जाने बगैर कि जिस शब्द का वह इस्तेमाल कर रहे हैं Dialogue: 0,0:12:06.00,0:12:09.00,Default,,0000,0000,0000,,वह एक ही सच्चाई को अलग अलग भाषाओँ में बताता है. Dialogue: 0,0:12:09.00,0:12:15.00,Default,,0000,0000,0000,,परिभाषा के अनुसार सिर्फ एक ही पूर्ण सच्चाई है, Dialogue: 0,0:12:15.00,0:12:18.00,Default,,0000,0000,0000,,परिभाषा के अनुसार एक पूर्ण अस्तित्व है, Dialogue: 0,0:12:18.00,0:12:21.00,Default,,0000,0000,0000,,क्योंकि परिभाषा के अनुसार पूर्ण, एकल है, Dialogue: 0,0:12:21.00,0:12:24.00,Default,,0000,0000,0000,,और पूर्ण और एकल,. Dialogue: 0,0:12:24.00,0:12:27.00,Default,,0000,0000,0000,,यह अस्तित्व का पूर्ण केन्द्रीकरण है, Dialogue: 0,0:12:27.00,0:12:30.00,Default,,0000,0000,0000,,अवचेतना का पूर्ण केन्द्रीकरण है, Dialogue: 0,0:12:30.00,0:12:40.00,Default,,0000,0000,0000,,जागरूकता, संवेदना और प्रेम का पूर्ण केन्द्रीकरण Dialogue: 0,0:12:40.00,0:12:44.00,Default,,0000,0000,0000,,जो देवत्व के मूल भाव को पारिभाषित करता है. Dialogue: 0,0:12:44.00,0:12:47.00,Default,,0000,0000,0000,,और वह होना भी चाहिए Dialogue: 0,0:12:47.00,0:12:52.00,Default,,0000,0000,0000,,इन्सान होने का जो मतलब है, उसका मूल भाव. Dialogue: 0,0:12:52.00,0:12:58.00,Default,,0000,0000,0000,,जो इंसानियत को पारिभाषित करता है, शायद शारीरिक रूप से, Dialogue: 0,0:12:58.00,0:13:01.00,Default,,0000,0000,0000,,हमारा जीवतत्व है, Dialogue: 0,0:13:01.00,0:13:09.00,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन ईश्वर हमारी इंसानियत को हमारे अध्यात्म से, हमारी प्रकृति से पारिभाषित करता है. Dialogue: 0,0:13:09.00,0:13:13.00,Default,,0000,0000,0000,,और कुरान कहती है, वह फरिश्तों से बात करता है और कहता है, Dialogue: 0,0:13:13.00,0:13:17.00,Default,,0000,0000,0000,,जब मैंने मिट्टी से आदम का निर्माण पूरा कर लिया, Dialogue: 0,0:13:17.00,0:13:21.00,Default,,0000,0000,0000,,और अपनी आत्मा से उसमें सांस फूंकी, Dialogue: 0,0:13:21.00,0:13:25.00,Default,,0000,0000,0000,,और उसके सामने साष्टांग गिर गया. " Dialogue: 0,0:13:25.00,0:13:33.00,Default,,0000,0000,0000,,फ़रिश्ते साष्टांग होते हैं, लेकिन मानव शारीर के समक्ष नहीं, Dialogue: 0,0:13:33.00,0:13:36.00,Default,,0000,0000,0000,,बल्कि मानव आत्मा के समक्ष. Dialogue: 0,0:13:36.00,0:13:40.00,Default,,0000,0000,0000,,क्यों? क्योंकि आत्मा, मानव आत्मा, Dialogue: 0,0:13:40.00,0:13:46.00,Default,,0000,0000,0000,,दैवी श्वास के एक हिस्से का मूर्त रूप है, Dialogue: 0,0:13:46.00,0:13:49.00,Default,,0000,0000,0000,,दैवी आत्मा का एक टुकड़ा है . Dialogue: 0,0:13:49.00,0:13:54.00,Default,,0000,0000,0000,,यह बाईबिल के कोष में भी वर्णित है Dialogue: 0,0:13:54.00,0:14:00.00,Default,,0000,0000,0000,,जब हमें यह सिखाया जाता है कि हम दैवी तस्वीर में बनाये गए थे. Dialogue: 0,0:14:00.00,0:14:02.00,Default,,0000,0000,0000,,ईश्वर का चित्र क्या है? Dialogue: 0,0:14:02.00,0:14:06.00,Default,,0000,0000,0000,,ईश्वर का चित्र पूर्ण अस्तित्व है. Dialogue: 0,0:14:06.00,0:14:09.00,Default,,0000,0000,0000,,पूर्ण जागरूकता, ज्ञान और विवेक Dialogue: 0,0:14:09.00,0:14:12.00,Default,,0000,0000,0000,,और पूर्ण संवेदना और प्रेम. Dialogue: 0,0:14:12.00,0:14:16.00,Default,,0000,0000,0000,,और, इसलिए, हमें इन्सान होने के लिए, Dialogue: 0,0:14:16.00,0:14:20.00,Default,,0000,0000,0000,,इन्सान होने का क्या मतलब है इसके सबसे बड़े मायने में, Dialogue: 0,0:14:20.00,0:14:23.00,Default,,0000,0000,0000,,इन्सान होने का क्या मतलब है इसके सबसे खुशनुमा मायने में, Dialogue: 0,0:14:23.00,0:14:29.00,Default,,0000,0000,0000,,मतलब यह है कि हमें उचित कारिन्दा होना पड़ेगा Dialogue: 0,0:14:29.00,0:14:33.00,Default,,0000,0000,0000,,हमारे भीतर जो दैवी श्वास है उसका, Dialogue: 0,0:14:33.00,0:14:38.00,Default,,0000,0000,0000,,और हमारे भीतर अस्तित्व के भाव के साथ परिपूर्ण होने के प्रयास, Dialogue: 0,0:14:38.00,0:14:41.00,Default,,0000,0000,0000,,जीवित होने के, अस्तित्व के, Dialogue: 0,0:14:41.00,0:14:46.00,Default,,0000,0000,0000,,विवेक के भाव, चेतना के, जागरूकता के, Dialogue: 0,0:14:46.00,0:14:51.00,Default,,0000,0000,0000,,और भाव संवेदनशील होने का, प्रेम भरा होने का. Dialogue: 0,0:14:51.00,0:14:57.00,Default,,0000,0000,0000,,यही है वह जो मैं अपने धर्म की परम्पराओं से समझता हूँ, Dialogue: 0,0:14:57.00,0:15:04.00,Default,,0000,0000,0000,,यही है वह जो मैं दूसरे धर्म की परम्पराओं के अपने अध्धयन से समझता हूँ, Dialogue: 0,0:15:04.00,0:15:10.00,Default,,0000,0000,0000,,और यह एक समान मंच है जिस पर हम सबको जरूर खड़े होना चाहिए, Dialogue: 0,0:15:10.00,0:15:13.00,Default,,0000,0000,0000,,और इस मंच पर जब हम ऐसे खड़े होंगे, Dialogue: 0,0:15:13.00,0:15:19.00,Default,,0000,0000,0000,,मुझे यकीन है कि हम एक अद्भुत दुनिया बना सकते हैं. Dialogue: 0,0:15:19.00,0:15:25.00,Default,,0000,0000,0000,,और मुझे व्यक्तिगत तौर पर विश्वास है कि हम कगार पर हैं, Dialogue: 0,0:15:25.00,0:15:29.00,Default,,0000,0000,0000,,कि आप जैसे लोग जो यहाँ हैं उनकी उपस्थिति और मदद से, Dialogue: 0,0:15:29.00,0:15:35.00,Default,,0000,0000,0000,,हम ईसा की भविष्यवाणी को सच बना सकते हैं. Dialogue: 0,0:15:35.00,0:15:39.00,Default,,0000,0000,0000,,क्यों कि उसने एक समय के बारे में बताया था Dialogue: 0,0:15:39.00,0:15:46.00,Default,,0000,0000,0000,,जब लोग अपनी तलवारों को हल के फल में बदल देंगे Dialogue: 0,0:15:46.00,0:15:52.00,Default,,0000,0000,0000,,और न युध्द सीखेंगे और न और कभी युध्द करेंगे. Dialogue: 0,0:15:52.00,0:15:58.00,Default,,0000,0000,0000,,हम मानव इतिहास में ऐसे मुकाम पर पहुँच गए हैं, जब हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. Dialogue: 0,0:15:58.00,0:16:07.00,Default,,0000,0000,0000,,हमें जरूर, जरूर ही अपने अहम् को गिराना होगा, Dialogue: 0,0:16:07.00,0:16:12.00,Default,,0000,0000,0000,,हमारे अहम् पर नियंत्रण, चाहे वह एक का अहम् हो, व्यक्तिगत अहम् हो, Dialogue: 0,0:16:12.00,0:16:18.00,Default,,0000,0000,0000,,परिवार का अहम्, राष्ट्र का अहम्, Dialogue: 0,0:16:18.00,0:16:23.00,Default,,0000,0000,0000,,और सब परमेश्वर के गुणगान में जुटें, Dialogue: 0,0:16:23.00,0:16:25.00,Default,,0000,0000,0000,,धन्यवाद्, ईश्वर आपको आशीर्वाद दे. Dialogue: 0,0:16:25.00,0:16:26.00,Default,,0000,0000,0000,,(तालियों की ध्वनि)