1 00:00:00,000 --> 00:00:03,469 कल्पना कीजिए 2 00:00:03,493 --> 00:00:05,873 कि आप एक सैनिक है जो एक घमासान युद्ध लड़ रहे है 3 00:00:06,730 --> 00:00:10,261 आप रोम के पैदल सिपाही हो सकते है या फिर प्राचीन काल के धनुर्धर 4 00:00:10,285 --> 00:00:12,165 शायद आप एक ज़ुलू योद्धा है 5 00:00:12,189 --> 00:00:16,443 वक्त और जगह चाहे जो भी हो, कुछ चीज़े कभी नही बदलती 6 00:00:16,467 --> 00:00:18,361 आपके चौकन्ना हुए होश 7 00:00:18,385 --> 00:00:23,194 और आपके सतर्क चेतना से उत्पन्न हो रहे आपके कर्म 8 00:00:23,218 --> 00:00:27,574 आपकी सजगता के दो मकसद हैं, अपना और अपने पक्ष की रक्षा करना, 9 00:00:27,598 --> 00:00:29,287 और दुशमन को शिकस्त देना। 10 00:00:30,826 --> 00:00:34,363 अब फ़र्ज़ कीजिए, कि आप एक अलग किरदार निभा रहे है, 11 00:00:34,387 --> 00:00:35,988 और वो है स्काउट का। 12 00:00:36,012 --> 00:00:39,401 स्काउट का काम हमला करना या हिफ़ाज़त करना नही है 13 00:00:39,425 --> 00:00:41,820 स्काउट का काम है जानना, समझना 14 00:00:42,233 --> 00:00:44,294 स्काउट वो है जो अपने शिविर से निकलता है, 15 00:00:44,318 --> 00:00:48,381 इलाके का नक्शा बनाता है, और संभावित बाधाओं को पहचानता है। 16 00:00:48,405 --> 00:00:51,981 और उसकी यह उम्मीद होती है कि वो कुछ सीखेगा, 17 00:00:52,005 --> 00:00:54,339 जैसे नदी के किनारे उपयुक्त जगह पर पुल का होना 18 00:00:54,363 --> 00:00:57,410 वह सकाउट जितनी निश्चितता से हो सके उस स्थान के बारे में 19 00:00:57,434 --> 00:00:59,027 जानना चाहता है। 20 00:01:00,195 --> 00:01:05,241 और वास्तविक सेना में स्काउट और सिपाही, दोनो का होना आवश्यक है 21 00:01:05,265 --> 00:01:10,575 परंतु हम दोनो किरदारों को दो मानसिकताऔं के रूप में देख सकते हैं 22 00:01:10,599 --> 00:01:14,226 यह उपमा है यह दर्शाने के लिए कि हम अपने दैनिक जीवन में जानकारियों 23 00:01:14,250 --> 00:01:15,717 व विचारों को कैसे समझते है 24 00:01:16,192 --> 00:01:20,022 मेरा तर्क यह है, कि विवेक की भावना होना, 25 00:01:20,046 --> 00:01:23,260 सही अनुमान बनाना, उचित निर्णय लेना 26 00:01:23,284 --> 00:01:26,042 यह सब आपकी मानसिकता तय करता है। 27 00:01:26,994 --> 00:01:29,587 अब इन दो मानसिताओं की कार्यकारी दर्शाने के लिए 28 00:01:29,611 --> 00:01:33,095 मैं आपको उन्नीसवी सदी के फ़्रांस में ले चलती हूँ। 29 00:01:33,119 --> 00:01:36,102 जहाँ एक महत्त्वहीन लगनेवाले कागज़ के टुकड़े ने 30 00:01:36,126 --> 00:01:39,164 एक बहुत बड़े राजनीतिक कांड को अंजाम दिया। 31 00:01:39,718 --> 00:01:44,115 १८९४ में फ़्रेंच के जनरल स्टाफ़ के अफ़सरों ने इसकी खोज की थी 32 00:01:44,616 --> 00:01:47,308 वो कागज़ कचरे के डिब्बे में फटा पड़ा था। 33 00:01:47,332 --> 00:01:49,257 लेकिन उन टुकड़ों को जब जोडा गया, 34 00:01:49,281 --> 00:01:51,313 तब पता चला कि उन्हीं में से कोई आदमी 35 00:01:51,337 --> 00:01:53,700 जर्मनी को अपनी फौज के राज़ बेच रहा है 36 00:01:54,462 --> 00:01:56,819 इसलिए एक बहुत बड़ी तहक़ीक़ात का आयोजन किया गया 37 00:01:56,843 --> 00:02:00,709 और शक की सारी सुइयाँ एक ही आदमी पर जा रुकी 38 00:02:00,733 --> 00:02:02,065 अल्फ्रेड ड्रेफस 39 00:02:02,867 --> 00:02:04,185 उसका अभिलेख काफी दिलचस्प था 40 00:02:04,209 --> 00:02:07,729 न गलत कामों का कोई जिक्र, न ऐसा जुर्म करने की कोई ज़ाहिर वजह 41 00:02:08,342 --> 00:02:13,460 किंतु सेना में उस पद पर ड्रेफस इकलौता यहूदी अफसर था 42 00:02:13,484 --> 00:02:17,659 और बदकिस्मती से उस दौरान फ्रेंच सेना यहूदियों के सख्त खिलाफ़ थी 43 00:02:17,683 --> 00:02:20,905 उन्होंने ड्रेफस के हस्तलेख को उस कागज़ की लिखावट से मिलाया 44 00:02:20,929 --> 00:02:22,866 और तय किया कि दोनों लिखावटों में मेल हैं 45 00:02:22,890 --> 00:02:25,786 लेकिन यह भी हकीकत है कि 46 00:02:25,786 --> 00:02:28,106 हस्तलेख के पेशेवर इस नतीजे से पूर्णतः सहमत नही थे 47 00:02:28,130 --> 00:02:29,520 पर कोई बात नही 48 00:02:29,544 --> 00:02:31,584 ड्रेफस के घर की छान-बीन की गई, 49 00:02:31,608 --> 00:02:33,364 उनहें जासूसी के सबूत की तलाश थी 50 00:02:33,388 --> 00:02:36,348 ड्रेफस के हर फ़ाइल को छाना गया, किंतु उससे कुछ हासिल नही हुआ 51 00:02:36,372 --> 00:02:39,506 इससे उनका यकीन और मजबूत हुआ - न सिर्फ ड्रेफस गुनगार है 52 00:02:39,530 --> 00:02:42,823 बल्कि शातिर भी है, क्योंकि उसने अफसरों के हाथ लगने से पहले ही 53 00:02:42,847 --> 00:02:44,696 सारे सबूत को गायब कर दिया 54 00:02:45,212 --> 00:02:47,904 इसके बाद उन्होंने ड्रेफस के निजी अतीत की जाँच की 55 00:02:47,928 --> 00:02:50,229 इस आशा में कि उन्हें उसके, खिलाफ जानकारी मिलेगी 56 00:02:50,253 --> 00:02:51,855 ड्रेफस के शिक्षकों से बात करने पर 57 00:02:51,879 --> 00:02:54,664 उन्हें पता चला कि उसने पाठशाला में विदेशी भाषाएँ सीखी थी 58 00:02:54,688 --> 00:02:58,741 जिससे उसके आगे चलकर विदेशी सरकारों के साथ साज़िशें रचाने के इरादे 59 00:02:58,765 --> 00:02:59,948 साफ़ ज़ाहिर हुए। 60 00:02:59,972 --> 00:03:05,983 ड्रेफस के शिक्षकों ने यह भी बताया कि वह अपनी अच्छी याद्दाश्त के लिए मशहूर था 61 00:03:06,007 --> 00:03:08,119 बहुत ही संदेहास्पद बात है, है ना? 62 00:03:08,143 --> 00:03:11,483 आखिरकार जासूसों को काफ़ी चीज़ें याद रखनी पड़ती है 63 00:03:12,439 --> 00:03:16,099 तो मामला कचहरी तक पहुँचा और ड्रेफस गुनहगार साबित हुआ 64 00:03:16,816 --> 00:03:20,136 फिर ड्रेफस को बीच बाज़ार ले जाया गया 65 00:03:20,160 --> 00:03:23,884 और उसकी वर्दी पर से बिल्ला निकाला गया 66 00:03:23,908 --> 00:03:25,813 उसकी तलवार को दो हिस्सों में तोड़ा गया 67 00:03:25,837 --> 00:03:27,852 इसे "ड्रेफस की ज़िल्लत" का नाम दिया गया 68 00:03:28,860 --> 00:03:31,377 और उसे को डेविल्स आयलंड, अर्थात शैतान का टापू, 69 00:03:31,401 --> 00:03:34,141 नामक स्थान पर आजीवन कारावास का दंड सुनाया गया 70 00:03:34,165 --> 00:03:36,989 जो कि दक्षिण अमेरिका के तट से दूर ठहरी एक बंजर चट्टान है 71 00:03:37,556 --> 00:03:41,306 तो वह वहाँ गया और उसने न जाने कितने रोज़ तन्हाई में बिताए 72 00:03:41,330 --> 00:03:43,834 और उसने फ्रेंच सरकर को अनगिनत खत लिखे इसी दलील के साथ 73 00:03:43,858 --> 00:03:47,166 कि वे उसके मुकदमें को फिरसे लड़े ताकि उसकी बेगुनाही साबित हो 74 00:03:47,634 --> 00:03:50,547 लेकिन फ्रांस के लिए यह मामला खत्म हो चुका था 75 00:03:51,301 --> 00:03:55,594 ड्रेफस के मामले मुझे सबसे दिलचस्प बात यह लगी थी 76 00:03:55,618 --> 00:03:59,396 कि उन अफसरों को कितना यकीन था 77 00:03:59,420 --> 00:04:01,141 कि ड्रेफस कसूरवार है 78 00:04:01,556 --> 00:04:04,403 ऐसा मालूम होता है कि उसे जान-बूझकर फसाया जा रहा है, 79 00:04:04,427 --> 00:04:06,395 और साज़िश का शिकार बनाया जा रहा है। 80 00:04:06,419 --> 00:04:08,686 पर इतिहासकारों का ऐसा मानना नही है। 81 00:04:08,710 --> 00:04:09,869 हमारी जानकारी के अनुसार, 82 00:04:09,893 --> 00:04:14,130 वे सच में मानते थे कि ड्रेफस के खिलाफ उनका मुकदमा मज़बूत था 83 00:04:14,154 --> 00:04:16,630 और इस बात से आपको ताज्जुब होता है; 84 00:04:16,654 --> 00:04:18,928 कि यह मनुष्य के मन के बारे में क्या बताता है 85 00:04:18,952 --> 00:04:21,265 यही कि इतने बेबुनियाद सबूतों के बिनह पर 86 00:04:21,289 --> 00:04:23,376 हम किसी को दोषी साबित करते है 87 00:04:24,210 --> 00:04:28,496 वैज्ञानिक ऐसे मामलों को "प्रेरित तर्क" कहते हैं 88 00:04:28,520 --> 00:04:31,574 इस स्थिति में हमारी अचेत प्रेरणाएँ, 89 00:04:31,598 --> 00:04:33,950 हमारी कामनाएँ और आशंकाएँ, हमारे जानकारी समझने के 90 00:04:33,974 --> 00:04:36,320 तरीके को प्रभावित करती है 91 00:04:36,344 --> 00:04:39,754 कुछ जानकारी, कुछ विचार हमे अपने से लगते है 92 00:04:39,778 --> 00:04:42,420 हम उन्हे जिताना चाहते हैं, उनकी वकालत करना है 93 00:04:42,444 --> 00:04:44,975 और बाकी की जानकारी या विचार हमे दुश्मन सी लगती हैं 94 00:04:44,999 --> 00:04:46,567 हम उन्हें खत्म करना चाहते हैं 95 00:04:47,408 --> 00:04:51,115 इसलिए मैं प्रेरित तर्क को "सैनिक मानसिकता" बुलाती हूँ 96 00:04:51,988 --> 00:04:54,993 शायद आप में से किसी ने भी 97 00:04:55,017 --> 00:04:57,298 एक राज-द्रोही फ्रेंच-यहूदी फौजी पर 98 00:04:57,322 --> 00:04:58,795 ज़ुल्म नही किए, 99 00:04:58,819 --> 00:05:03,678 लेकिन शायद खेलों में या राजनीति में आपने देखा होगा 100 00:05:03,702 --> 00:05:07,824 अगर रेफ़री आपके चहेते टीम को "फाउल" सुनाता है 101 00:05:07,848 --> 00:05:09,010 तब 102 00:05:09,034 --> 00:05:12,127 आप उस रेफरी को गलत ठहराने के लिए उतावले हो जाते है 103 00:05:12,482 --> 00:05:15,594 पर अगर दूसरे टीम को "फाउल" मिल जाए - बहुत बढ़िया! 104 00:05:15,618 --> 00:05:18,180 यह फिर भी ठीक है, इस पर चर्चा नही करते 105 00:05:18,792 --> 00:05:20,909 या फिर आपने कही लेख पढ़ा होगा 106 00:05:20,933 --> 00:05:23,639 जो किसी विवादास्पद नीति की जांच करता हो 107 00:05:23,663 --> 00:05:24,879 जैसे मृत्यु दंड 108 00:05:25,735 --> 00:05:27,852 और, जैसे शोधकर्ताओं ने दर्शाया है, 109 00:05:27,876 --> 00:05:29,581 अगर आप मृत्युदंड का समर्थन करते हो 110 00:05:29,605 --> 00:05:32,121 और वह लेख दर्शाता है कि यह प्रभावशाली नही है 111 00:05:32,145 --> 00:05:35,391 तब आप उस लेख के तमाम ऐब 112 00:05:35,415 --> 00:05:37,588 निकालने के लिए उत्सुक हो जाते है 113 00:05:37,612 --> 00:05:39,818 पर अगर वह दर्शाता है कि मृत्युदंड काम करता है 114 00:05:39,842 --> 00:05:41,001 तब तो वह लेख अच्छा है 115 00:05:41,025 --> 00:05:44,273 और इसके विपरीत स्थिति में भी वही होता 116 00:05:44,297 --> 00:05:47,126 हम जिसकी तरफ़ है, हमारे फैसले, 117 00:05:47,150 --> 00:05:49,428 जाने-अनजाने में, उससे प्रभावित होते है 118 00:05:50,071 --> 00:05:51,960 और यह हर जगह मौजूद है 119 00:05:51,984 --> 00:05:55,022 यह हमारे स्वास्थ्य, रिश्ते, मतदान, किसी कार्य के प्रति नैतिकता, 120 00:05:55,046 --> 00:05:56,942 इन से संबंधित 121 00:05:56,966 --> 00:05:59,334 विचारों पर असर करता है 122 00:06:00,036 --> 00:06:02,799 प्रेरित तर्क या फिर सैनिक मानसिकता की 123 00:06:02,823 --> 00:06:03,974 सबसे डरावनी बात है 124 00:06:03,998 --> 00:06:05,245 उसकी अचेत स्वाभाविकता 125 00:06:05,269 --> 00:06:08,549 हमे लगता है कि हम निष्पक्ष और न्यायी है 126 00:06:08,573 --> 00:06:12,040 और फिर भी एक बेकसूर की ज़िंदगी तबाह कर देते है 127 00:06:13,008 --> 00:06:15,891 पर, बदकिस्मती से, ड्रेफस के लिए, कहानी खत्म नही हुई 128 00:06:15,915 --> 00:06:17,283 अब आते है कर्नल पिकार्ट 129 00:06:17,307 --> 00:06:19,851 वह फ्रेंच सेना का एक और ऊँचे पद का अफ्सर था 130 00:06:19,875 --> 00:06:22,504 और बाकियों की तरह वह भी ड्रेफस को अपराधी मानता था 131 00:06:22,893 --> 00:06:27,318 और बाकी फौजियों की तरह वह भी सामी विरोधी था 132 00:06:27,342 --> 00:06:30,707 पर एक वक्त के बाद उसे शक होने लगा, 133 00:06:31,302 --> 00:06:34,077 "कहीं हम सब ड्रेफस के बारे में गलत तो नहीं?" 134 00:06:34,448 --> 00:06:36,626 हुआ यूं था कि, उसे कुछ सबूत मिला था 135 00:06:36,650 --> 00:06:39,127 ड्रेफस के कारावास में जाने बाद भी 136 00:06:39,151 --> 00:06:41,126 जर्मनी के लिए जासूसी चलती रही 137 00:06:41,516 --> 00:06:44,812 और उसे पता लगा कि फौज में एक और था जिसकी लिखावट 138 00:06:44,836 --> 00:06:47,409 उस कागज़ से हूबहू मेल खा रही थी, 139 00:06:47,433 --> 00:06:49,794 और ड्रेफस से भी ज़्यादा मेल खा रही थी 140 00:06:50,382 --> 00:06:53,223 तो उसने अपने शोध अपने वरिष्ठों को दिखाए 141 00:06:54,017 --> 00:06:57,694 लेकिन या तो उन्होंने उसकी परवाह नही की 142 00:06:57,718 --> 00:07:01,306 या फिर उन खोजों को समझाने के लिए तरह-तरह की सफ़ाइयाँ दी 143 00:07:01,330 --> 00:07:06,703 जैसे, "तुमने बस इतना दिखाया है, पिकार्ट, कि एक और जासूस है, 144 00:07:06,727 --> 00:07:09,100 जिसने ड्रेफस की लिखावट की नकल करना सीखा है। 145 00:07:09,124 --> 00:07:12,664 और ड्रेफस के बाद उसने जासूसी की बागडोर अपने हाथ में ले ली 146 00:07:13,148 --> 00:07:14,798 लेकिन ड्रेफस तो गुनहगार है ही" 147 00:07:15,854 --> 00:07:18,879 आखिरकार पिकार्ट ने ड्रेफस को बा-इज्जत बरी करवा दिया 148 00:07:18,903 --> 00:07:20,431 लेकिन इसमें १० साल लग गए 149 00:07:20,455 --> 00:07:22,986 और इतने वक्त के लिए वह खुद कैदखाने में था, 150 00:07:23,010 --> 00:07:25,308 फौज की तरफ़ बेवफ़ाई की जुर्म में 151 00:07:26,491 --> 00:07:32,491 कुछ लोगों का मानना है कि पिकार्ट को इस कहानी का नायक नही होना चाहिए है 152 00:07:32,515 --> 00:07:36,744 क्योंकि वह सामी विरोधी था, जो कि बुरा है, मैं मानती हूँ 153 00:07:37,323 --> 00:07:41,974 पर मेरे लिए उसका यहुदी विरोधी होना उसके कार्यों को 154 00:07:41,998 --> 00:07:44,583 और भी प्रशंसनीय बनाता है 155 00:07:44,607 --> 00:07:47,723 क्योंकि उसके पास भी पक्षपात करने के वही कारण थे 156 00:07:47,747 --> 00:07:49,532 जो बाकी फौजियों के पास थे 157 00:07:49,556 --> 00:07:54,191 पर उसकी सच जानने और उसे बनाए रखने की प्रेरणा सबसे ऊपर थी 158 00:07:55,108 --> 00:07:56,297 तो मेरे हिसाब से, 159 00:07:56,321 --> 00:08:00,127 पिकार्ट "स्काउट मानसिकता" का प्रतीक है 160 00:08:00,598 --> 00:08:04,674 यह किसी विचार को जिताने या हराने की चाह नही है, 161 00:08:04,698 --> 00:08:06,622 बस हकीकत देखने की चाह है 162 00:08:06,646 --> 00:08:09,121 और जितने सही तरीके से हो सके जानना 163 00:08:09,145 --> 00:08:12,425 चाहे वह हमें कितना भी असुविधाजनक और नापसंद क्यों न लगे 164 00:08:13,444 --> 00:08:16,690 इस मानसिकता को लेकर मैं निजी तौर पर उत्साही हूँ 165 00:08:16,714 --> 00:08:21,843 मैंने कुछ साल बिताए है इस मानसिकता के पीछे की वजह 166 00:08:21,867 --> 00:08:23,850 जानने का अभ्यास करने में, 167 00:08:23,874 --> 00:08:27,022 क्यों कुछ लोग, कभी कभार तो, 168 00:08:27,046 --> 00:08:30,834 अपने पक्षपातों से ऊपर उठ पाते हैं। 169 00:08:30,858 --> 00:08:33,153 और सच्चाई देख पाते है, और सबूत को 170 00:08:33,177 --> 00:08:34,650 निष्पक्षता से देख पाते हैं? 171 00:08:35,602 --> 00:08:38,613 जवाब जज़्बातों में है। 172 00:08:39,119 --> 00:08:42,886 जैसे सैनिक मानसिकता 173 00:08:42,910 --> 00:08:45,898 बचाव की भावनाओं से जुड़ी है 174 00:08:46,615 --> 00:08:47,981 उसी तरह स्काउट मानसिकता भी। 175 00:08:48,005 --> 00:08:49,991 अलग भावनाओं से जुड़ी है। 176 00:08:50,015 --> 00:08:53,434 जैसे, स्काउट जिज्ञासु होते हैं। 177 00:08:53,458 --> 00:08:57,004 वो ज़्यादातर यह कहेंगी कि उन्हें मज़ा आता है 178 00:08:57,028 --> 00:08:58,688 जब उन्हें नई जानकारी मिलती है 179 00:08:58,712 --> 00:09:01,023 या वो पहेली सुलझाने के लिए बेचैन हो जाते है। 180 00:09:01,544 --> 00:09:04,713 जब कोई बात उनकी अपेक्षाओं से विरुद्ध होती 181 00:09:04,737 --> 00:09:06,833 है तो उन्हे वह रोचक लगती है। 182 00:09:07,206 --> 00:09:09,183 स्काउट्स के संस्कार अलग होते है। 183 00:09:09,207 --> 00:09:12,279 वे ज़्यादातर यही कहेंगे कि अपनी अास्था का परीक्षण करना 184 00:09:12,303 --> 00:09:13,792 नेक बात है 185 00:09:13,816 --> 00:09:17,522 वे यह नहीं कहेंगे कि जो अपना मन बदलता है 186 00:09:17,546 --> 00:09:18,808 वह कमज़ोर है। 187 00:09:18,832 --> 00:09:20,717 और सबसे बड़ी बात, स्काउट्स मौलिक होते है 188 00:09:20,741 --> 00:09:24,646 अर्थात, स्वयं का व्यक्तिगत मूल्य 189 00:09:24,670 --> 00:09:30,136 उनके किसी विषय में सही या गलत होने पर निर्भर नही है 190 00:09:30,160 --> 00:09:33,414 तो वे मान सकते है कि मृत्यु दंड काम करता है 191 00:09:33,438 --> 00:09:36,251 अगर लेख बताते हैं कि ऐसा नही है, तो वे कह सकते है, 192 00:09:36,275 --> 00:09:40,184 "अरे, लगता है मैं गलत हूँ, इसका ये मतलब तो नही कि मैं बुरा या बेवकूफ़ हूँ।" 193 00:09:41,954 --> 00:09:46,280 शोधकर्ताओं के और मेरे उपाख्यान के हिसाब से -- 194 00:09:46,304 --> 00:09:48,010 ऐसी विशेषताएँ अच्छे निर्णयों का -- 195 00:09:48,034 --> 00:09:49,865 अनुमान लगाती हैं 196 00:09:50,386 --> 00:09:53,669 और जाते-जाते मैं आपको यह बताना चाहती हूँ, 197 00:09:53,693 --> 00:09:57,330 कि यह गुण आपकी होशियारी से जुड़ी नही हैं 198 00:09:57,354 --> 00:09:59,352 और न ही आपके ज्ञान से 199 00:09:59,376 --> 00:10:02,182 असल में ये आपकी बुद्धि से संबंधित ही नही हैं 200 00:10:02,638 --> 00:10:04,288 ये आपकी भावनाओं से जुड़ी हैं। 201 00:10:04,849 --> 00:10:08,872 सेंट-एक्सुपेरी की कही एक बात है जिसे मैं बार-बार याद करती हूँ। 202 00:10:08,896 --> 00:10:10,837 वे "लिटिल प्रिंस" के लेखक है। 203 00:10:10,861 --> 00:10:13,630 उन्होंने कहा था, "यदि तुम जहाज बनाना चाहते हो, 204 00:10:14,234 --> 00:10:18,855 तो अपने आदमियों को लकड़ियाँ इकट्ठा करने के आदेश मत दो 205 00:10:18,879 --> 00:10:20,299 और काम को मत बाँटो। 206 00:10:20,669 --> 00:10:25,236 इसके बजाय उनको विशाल और असीम समंदर के लिए तड़पना सिखाओ।" 207 00:10:26,252 --> 00:10:28,398 अर्थात मेरा यह मानना है 208 00:10:28,850 --> 00:10:32,010 यदि हम अपने निर्णयों को सुधारना चाहते हैं, व्यक्तिगत 209 00:10:32,034 --> 00:10:33,477 और सामाजिक तौर पर, 210 00:10:33,501 --> 00:10:37,010 तो हमें तर्क में और शिक्षण की ज़रूरत नही है 211 00:10:37,034 --> 00:10:40,582 न वक्रपटुता में, न संभाव्यता में और न अर्थशास्त्र में 212 00:10:40,606 --> 00:10:42,689 भले ही यह सारी बातें भी महत्वपूर्ण हो। 213 00:10:42,713 --> 00:10:46,017 पर इन सिद्धांतों के सदुपयोग के लिए हमें स्काउट मानसिकता की 214 00:10:46,041 --> 00:10:47,459 ज़रूरत है, और हमें चीज़ों को। 215 00:10:47,483 --> 00:10:49,363 महसूस करने के तरीके को बदलना होगा। 216 00:10:49,759 --> 00:10:53,569 हमें यह सीखना होगा कि जब हम गलत होते हैं 217 00:10:53,593 --> 00:10:56,231 तो हमें उस बात की शर्म नही गर्व होना चहिए। 218 00:10:56,255 --> 00:10:59,383 हमें अति संवेदनशील होने के बजाय जिज्ञासु होना सीखना होगा, 219 00:10:59,407 --> 00:11:03,650 जब हमें अपने विश्वास से विपरीत जानकारी मिलती है। 220 00:11:04,555 --> 00:11:07,415 जाते-जाते मैं आपसे यह सवाल पूछना चाहती हूँ : 221 00:11:07,817 --> 00:11:09,967 आप सबसे ज़्यादा किस लिए तरसते हो? 222 00:11:10,771 --> 00:11:13,398 अपने यकीन का बचाव करने के लिए तरसते हो? 223 00:11:14,128 --> 00:11:17,722 या फिर इस संसार को सबसे स्पष्ट रूप से देखने के लिए तरसते हो? 224 00:11:18,352 --> 00:11:19,503 धन्यवाद। 225 00:11:19,527 --> 00:11:24,524 (तालियाँ)