[स्त्री वक्ता] मैं एक अंतर्मुखी हूं ...और मुझे यह पसंद है। और मैं अकेली नहीं हूं। अंतर्मुखी लोग हर जगह हैं और जीवन को शांत‍ि से जीने, और एकांत में समय व्‍यतीत करने की हमारी आवश्‍यकता कोई कमी नहीं है बल्कि यह एक उपहार है। पर एक अंर्तमुखी होकर यह समझना हमेशा आसान नहीं होता कि आप कितने अद्भुत हैं ऐसा लगता है जैसे संसार बहिर्मुखी लोगों को पुरस्‍कृत करता है जहां ऊंचा बोलने वाले को गलती से आत्‍मविश्‍वासी और प्रसन्‍न समझ लिया जाता है जहां सबके पास कहने के लिए कुछ है पर कोई सुनता नहीं है दुनिया, जहां "ओपन ऑफिस", मेलजोल की पार्टियां, और बड़ी हस्तियां हैं, जो मृदुभाषी हैं वे बड़ी आसानी से स्‍वयं को कटा हुआ महसूस करते हैं जब मैं बच्ची थी तब मैं पृष्‍ठभूमि में खो जाती थी कई लोग सोचते थे कि मेरे पास कहने को कुछ नहीं है या मैं दूसरों को पसंद नहीं करती। लेकिन वह सच नहीं था। लोग अक्सर सोचते हैं कि अंर्तमुखी लोग संकोची या असामाजिक हैं, लेकिन यह धारणाएं हैं हर क‍िसी की तरह अंर्तमुखी लोगों को भी मिलना जुलना मजेदार लग सकता है लेक‍िन जहां पार्टियां बहिर्मुखी लोगों में ऊर्जा भर देती है, वहीं कुछ समय बाद सबसे दूर अंर्तमुखी लोगों को स्‍वयं में फिर से ऊर्जा भरने की आवश्‍यकता महसूस होती है इसके पीछे एक वैज्ञानिक सिद्धांत है हमारे मस्तिष्‍क में दो महत्‍वपूर्ण रसायन पाये जाते हैं डोपामीन और एसिटाइलकोलाइन