यह बात समझेने के लिए की एलजीबीटी युवा बेघर क्यों हो रहें है, आइए पहले इनके फ़र्क़ के बारे में बात करते हैं सेक्शूअल ऑरीएंटेशन जेंडर आयडेंटिटी, और जेंडर इक्स्प्रेशन। ये सभी अलग अलग हैं। हमें लगता है की यह एक ही वर्णमाला की कड़ियाँ है। एक ही वर्णमाला के मतलब यह सिर्फ़ दो तरह के हो सकते है। पर इनके होने के तरीकों की एक पूरी श्रृंखला है। सेक्शूअल ऑरीएंटेशन एक व्यक्ति की भावनात्मक और/या शारीरिक आकर्षण के बारे में बताता है दूसरे व्यक्ति या लोगों के प्रति। जेंडर आयडेंटिटी किसी व्यक्ति की जन्मजात पहचान बताता है। एक पुरुष के रूप में, महिला, दोनों, या दोनो में से कोई नही या कोई और जेंडर। एक व्यक्ति का जेंडर ज़रूरी नही है के जन्म के समय उन्हें दिए गए सेक्शूअल ऑरीएंटेशन से मेल खाए। जबकि जेंडर आयडेंटिटी की पहचान अपने स्वयं की पहचान करने जैसा है जेंडर इक्स्प्रेशन लोगों के तरीके को दर्शाता करता है कि एक व्यक्ति दुनिया को अपने जेंडर के बारे में कैसे व्यक्त करता है। इसमें लक्षण और उसके व्यवहार भी शामिल हैं जिसे समाज या तो मर्द या औरत के नाम से जाना जाता है। जैसे उनका पोशाक, या उनके सवरने का तरीक़ा, व्यवहार, बात करने का तरीक़ा, और सामाजिक संपर्क। सामाजिक या सांस्कृतिक मानदंड अलग अलग हो सकते हैं, और उनकी कुछ विशेषताएं जैसे मर्दाना, औरतों जैसा या दोनो के बीच में एक समाज में स्वीकारा जा सकता है, तो दूसरे में अलग तरीक़े से देखा जा सकता है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि किसी का जेंडर इक्स्प्रेशन समाज की परंपरा या जेंडर आयडेंटिटी की धारणा से मेल खाता है या नहीं। तो फिर से, जेंडर एक सृंखला है। यह याद रखना ज़रूरी है कि इसमें दो से ज़्यादा तरीकों के लोग हो सकते है। (संगीत) (संगीत)