1 00:00:07,107 --> 00:00:10,170 इंसान सुई के अचानक चुभने, 2 00:00:10,170 --> 00:00:12,539 पैर के उँगलियों के टकराने और 3 00:00:12,539 --> 00:00:14,969 दांतों के दर्द को जानते हैं। 4 00:00:14,969 --> 00:00:19,600 हम कई तरह के दर्द पहचानते हैं और उनके इलाज के कई तरीकें हमारे पास हैं। 5 00:00:19,600 --> 00:00:21,850 पर अन्य प्रजातियों का क्या? 6 00:00:21,850 --> 00:00:26,070 हमारे चारों ओर मौजूद जानवर दर्द को कैसे महसूस करते हैं? 7 00:00:26,070 --> 00:00:28,230 यह ज़रूररी है की हम पता लगाएं। 8 00:00:28,230 --> 00:00:29,851 हम जानवरों को घरों में पालते हैं, 9 00:00:29,851 --> 00:00:31,460 वे हमारे पर्यावरण को समृद्ध करते हैं, 10 00:00:31,460 --> 00:00:33,631 कई प्रजातियों को हम खाने के लिए पालते हैं 11 00:00:33,631 --> 00:00:37,781 और उनपर वैज्ञानिक प्रयोग भी करते हैं 12 00:00:37,781 --> 00:00:39,830 जानवर हमारे लिए आवश्यक हैं, 13 00:00:39,830 --> 00:00:44,462 इसलिए ये भी उतना ही आवश्यक है की हम उन्हें दर्द न दें। 14 00:00:44,462 --> 00:00:47,111 वे जानवर जो हमारी तरह हैं, जैसे के स्तनपायी, 15 00:00:47,111 --> 00:00:50,281 यह अक्सर स्पष्ट होता है जब उन्हें दर्द होता है। 16 00:00:50,281 --> 00:00:52,521 लेकिन ऐसा बहुत कुछ है जो स्पष्ट नहीं है, 17 00:00:52,521 --> 00:00:56,201 जैसे कि क्या हमारे दर्द निवारक उनपर काम करते हैं 18 00:00:56,201 --> 00:00:58,121 और कोई जानवर हमसे जितना अलग होता है, 19 00:00:58,121 --> 00:01:01,195 उनके अनुभव को समझना उतना ही मुश्किल 20 00:01:01,195 --> 00:01:03,802 आप कैसे बताएंगे कि कोई झींगा तकलीफ में है? 21 00:01:03,802 --> 00:01:05,131 एक साँप 22 00:01:05,131 --> 00:01:06,691 एक घोंघा 23 00:01:06,691 --> 00:01:09,272 कशेरुकियों में, जिसमे इंसान भी शामिल है, 24 00:01:09,272 --> 00:01:12,482 दर्द को दो भिन्न प्रक्रियाओं में बांटा जा सकता है। 25 00:01:12,482 --> 00:01:16,560 सबसे पहले, नसें और त्वचा कुछ हानिकारक महसूस करते हैं, 26 00:01:16,560 --> 00:01:19,195 और रीढ़ को उसकी जानकारी संचारित करती हैं। 27 00:01:19,195 --> 00:01:21,784 वहाँ, प्रेरक तंत्रिकोशिका गतिविधि को सक्रिय करती हैं 28 00:01:21,784 --> 00:01:24,682 जो हमें तेजी से खतरे से दूर करती है। 29 00:01:24,682 --> 00:01:28,322 इस खतरे की शारीरिक पहचान को नोसिसेप्शन कहते हैं, 30 00:01:28,322 --> 00:01:29,578 और लगभग सारे जानवर, 31 00:01:29,578 --> 00:01:32,297 यहाँ तक की बहुत सरल तांत्रिक तंत्र वाले भी 32 00:01:32,297 --> 00:01:33,765 इसका अनुभव करते हैं। 33 00:01:33,765 --> 00:01:36,752 इस क्षमता के बिना, जानवर खतरे से बचने में असमर्थ होंगे 34 00:01:36,752 --> 00:01:39,736 और उनके उत्तरजीविता को खतरा होगा। 35 00:01:39,736 --> 00:01:43,455 दूसरा भाग है खतरे की सचेत पहचान। 36 00:01:43,455 --> 00:01:46,593 मनुष्यों में, यह तब होता है जब हमारी त्वचा में संवेदीतंत्रिका कोशिकाऐं 37 00:01:46,593 --> 00:01:51,395 रीढ़ के माध्यम से मस्तिष्क तक दूसरे दौर के संबंध बनाते हैं। 38 00:01:51,395 --> 00:01:57,022 वहाँ लाखों तन्त्रिका कोशिकाएं दर्द की अनुभूति पैदा करती हैं। 39 00:01:57,022 --> 00:02:01,152 हमारे लिए, यह डर, घबराहट और तनाव जैसी भावनाओं 40 00:02:01,152 --> 00:02:02,082 से जुड़ा एक बहुत ही 41 00:02:02,082 --> 00:02:03,212 जटिल अनुभव है 42 00:02:03,212 --> 00:02:05,734 जिसे हम दूसरों से संवाद कर सकते हैं। 43 00:02:05,734 --> 00:02:08,483 पर यह जानना कठिन है कि जानवर 44 00:02:08,483 --> 00:02:10,592 इस प्रक्रिया के हिस्से कैसे अनुभव करते हैं 45 00:02:10,592 --> 00:02:13,892 क्योंकि ज्यादातर वे हमें नहीं दिखा सकते कि वे क्या महसूस करते हैं। 46 00:02:13,892 --> 00:02:18,543 परंतु जानवरों के बर्ताव से कुछ संकेत मिलता है। 47 00:02:18,543 --> 00:02:22,493 जंगली, घायल जानवरों अपने घावों को उपचर्या करने, 48 00:02:22,493 --> 00:02:24,674 अपने संकट को दिखाने के लिए शोर मचाने, 49 00:02:24,674 --> 00:02:27,033 और प्रत्याहृत होने के लिए जाने जाते है। 50 00:02:27,033 --> 00:02:31,154 लैब में, वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि मुर्गियों और चूहों जैसे जानवर 51 00:02:31,154 --> 00:02:35,633 अगर वे दर्द में हो तो दर्द कम करने वाली दवाओं का स्व-प्रशासन करेंगे। 52 00:02:35,633 --> 00:02:39,184 जानवर उन परिस्थितियों से भी बचते हैं जहाँ उन्हें पहले चोट लगी हो, 53 00:02:39,184 --> 00:02:42,383 जो खतरों की जागरूकता का सुझाव देता है। 54 00:02:42,383 --> 00:02:45,204 हम इस स्तिथि पर पहुँच गए हैं कि अनुसंधान ने हमें इतना सुनिश्चित कर दिया है 55 00:02:45,204 --> 00:02:47,124 कि कशेरुकी दर्द को पहचानते हैं 56 00:02:47,124 --> 00:02:51,634 कि कई देशों में इन जानवरों को अनावश्यक रूप से हानि पहुँचाना अवैध है। 57 00:02:51,634 --> 00:02:56,054 पर अन्य जानवरों जैसे अकशेरुकियों का क्या ? 58 00:02:56,054 --> 00:02:58,313 ये जानवर कानूनी रूप से संरक्षित नहीं हैं, 59 00:02:58,313 --> 00:03:02,234 अंशतःक्योंकि उनके बर्ताव को समझना ज़्यादा मुश्किल है। 60 00:03:02,234 --> 00:03:04,436 हम उनमें से कुछ के बारे में अच्छे अनुमान लगा सकते हैं, 61 00:03:04,436 --> 00:03:05,274 जैसे कि कस्तूरी, 62 00:03:05,274 --> 00:03:06,104 कीड़े, 63 00:03:06,104 --> 00:03:07,324 और जेलिफ़िश। 64 00:03:07,324 --> 00:03:09,885 ये उन जानवरों के उदाहरण हैं जिनमें या तो दिमाग की कमी है 65 00:03:09,885 --> 00:03:12,225 या बहुत सरल है। 66 00:03:12,225 --> 00:03:16,126 जब नींबू का रस निचोड़ा जाए तो एक कस्तूरी पल्टा खाता है, उदाहरण के लिए, 67 00:03:16,126 --> 00:03:18,815 'नोसिसेप्शन की वजह से। 68 00:03:18,815 --> 00:03:20,725 लेकिन इस तरह के एक सरल तंत्रिका तंत्र के साथ, 69 00:03:20,725 --> 00:03:24,525 दर्द के सचेत हिस्से को अनुभव करना असंभाव्य है। 70 00:03:24,525 --> 00:03:27,475 हालाँकि बाकी अकशेरूकीय जानवर ज़्यादा जटिल होते हैं, 71 00:03:27,475 --> 00:03:28,805 जैसे कि ऑक्टोपस, 72 00:03:28,805 --> 00:03:30,305 जिसके पास एक परिष्कृत दिमाग है 73 00:03:30,305 --> 00:03:34,235 और सबसे बुद्धिमान अकशेरुकी जानवरों में से एक माना जाता है। 74 00:03:34,235 --> 00:03:39,686 फिर भी, कई देशों में, लोग ज़िंदा ऑक्टोपस खाने की पद्धति जारी रखते हैं। 75 00:03:39,686 --> 00:03:43,905 हम ज़िंदा क्रॉफ़िश, झींगा और केकड़ों को भी उबालते हैं 76 00:03:43,905 --> 00:03:47,125 भले ही हम सच में नहीं जानते कि उनपर क्या प्रभाव पड़ता है। 77 00:03:47,125 --> 00:03:48,997 यह एक नैतिक सवाल खड़ा करता है 78 00:03:48,997 --> 00:03:52,905 क्योंकि हम शायद इन जानवरों को बेवजह पीड़ित कर रहे हैं। 79 00:03:52,905 --> 00:03:57,036 वैज्ञानिक प्रयोग, विविदास्पाद होने के बावजूद, हमें कुछ संकेत देते हैं। 80 00:03:57,036 --> 00:04:01,378 हर्मिट केकड़ों पर किये परीक्षणों से पता लगता है कि वे 81 00:04:01,378 --> 00:04:03,497 बिजली के प्रभाव पर अवांछनीय खोल छोड़ देते हैं 82 00:04:03,497 --> 00:04:05,806 पर अच्छे खोल हैं तो रहते हैं। 83 00:04:05,806 --> 00:04:09,257 और ऑक्टोपस जोकि घायल बाँह को मोड़ लेते हैं, 84 00:04:09,257 --> 00:04:12,307 शिकार के लिए उसी बाँह का इस्तेमाल कर सकते हैं। 85 00:04:12,307 --> 00:04:16,826 यह बताता है कि ये जानवर बजाय केवल अनिच्छा से नुक्सान पहुँचाने से 86 00:04:16,826 --> 00:04:20,296 संवेदी निवेश के आसपास मूल्य निर्णय लेते हैं। 87 00:04:20,296 --> 00:04:23,897 इसी दौरान, केकड़ों में ये भी पाया गया है कि बिजली का 88 00:04:23,897 --> 00:04:26,687 झटके लगने पर वे शरीर के उस भाग को लगातार सहलाते हैं। 89 00:04:26,687 --> 00:04:28,567 और यहाँ तक कि समुद्री स्लग ठिठकते हैं 90 00:04:28,567 --> 00:04:31,896 जब उन्हें मालूम होता है कि वे पीड़ा उद्दीपन पाने वाले हैं। 91 00:04:31,896 --> 00:04:35,979 इसका मतलब है कि उनके पास शारीरिक संवेदनाओं की कुछ स्मृति है। 92 00:04:35,979 --> 00:04:38,368 हमें अब भी जानवरों के दर्द के बारे में काफ़ी कुछ जानना है। 93 00:04:38,368 --> 00:04:40,387 जैसे-जैसे हमारा ज्ञान बढ़ेगा 94 00:04:40,387 --> 00:04:45,127 एक दिन हम एक ऐसी दुनिया में रहेंगे जहां हम बेवजह दर्द नहीं देंगे।