♪ [संगीत] ♪ [Tyler] जब आर्थिक विकास को समझने के लिए आएगा, संस्थान का महत्व अक्सर सूक्ष्म रूप से बढ़ जाता है। सबसे पहले, संस्थानों के अवधारणा को परिभाषित करें। जब अर्थशास्त्री संस्थानों के बारे में बात करते हैं, उनका मतलब कानूनों और नियमों के साथ, संपत्ति के अधिकार, विश्वसनीय न्यायालय, और राजनितिक स्थिरता से भी होता है। उनका मतलब सांस्कृतिक संस्थान, ईमानदारी के माप दण्डों के साथ, विश्वास और सहयोग से भी हैं। इन सभी संस्थानों के महत्व को स्पष्ट करने के लिए, एक कहानी को देखो, जो दुखद और चरम दोनों ही है। रात में पृथ्वी को देखें। यहाँ तक की तुम अंतरिक्ष से यहाँ तक कि अंतरिक्ष से, तुम रोशनी के झुण्ड को देखकर जान सकते हो कि लोग कहाँ रहते हैं। इस उद्धरण में विचलन बहुत ही नाटकीय है, यह अंतरिक्ष के बाहरी सतह से भी देखा जा सकता है। यह कोरियाई प्राद्वीप है। जहाँ दक्षिण कोरिया, एक विकसित, आधुनिक अर्थव्यवस्था वाला, रहने योग्य, या देखने योग्य, या काम करने योग्य जगह है। और दूसरी तरफ उत्तरी कोरिया है-- अधिकतर भाग अँधेरे में, खाली राजधानी प्योंगयेंग को छोड़कर, जहाँ सभी सत्तरूण कुलीन लोग रहते हैं। तो इस विचलन के पीछे का कारण क्या है? कोरिया का दो अलग अलग देशों में विभाजन लगभग उत्तम प्राकृतिक प्रयोग, संस्थानों की शक्तियों को प्रदर्शित करने में, प्रदान करता है। मूलतः, दोनों कोरिया के लोग मूल रूप से समान थे, समान संस्कृति, समान भाषा, समान इतिहास, और बहुत ही समान अर्थव्यवस्थाएं थीं। अगर कुछ था तो, उत्तरी भाग तुलना में ज़्यादा अमीर था। लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद, दोनों कोरयाई देश, बहुत ही अलग संस्थागत रास्तों पर पहुंच गए। उत्तरी कोरिया पर साम्यवाद लगाया गया, लेकिन दक्षिण कोरिया, मोटे तौर पर बोलें, तो पूंजीवाद पर जा कर रुका, और अपेक्षाकृत बाज़ार की अर्थव्यवस्था स्वतंत्र थी। तो क्या हुआ? यह सब प्रोत्साहनों पर आ पंहुचा। विभिन्न संसथान भिन्न भिन्न प्रोत्साहनों को बनाते हैं। दक्षिण कोरिया में, वाणिज्यिक सहयोग प्रचलित प्रोत्साहन के लिए था। उद्यमियों वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करेगा,