यहाँ कुछ रोमांचक अंतरिक्ष
समाचार है। खगोलविदों ने हब्बल टेलीस्कोप
और एक खास तकनीकी प्रदाता
अ. आइंस्टीन द्वारा भार ज्ञात
व्हाईट ड्वार्फ तारे का
1916 में आइंस्टीन ने कहा की
तारे के समान भारी-भरकम वस्तु
बास्तव में काल-अंतराल का ताना-बाना
पर असर करती है यानी की रौशनी की किरन
जब तारे के समीप से गुजरते हुए वास्तव में
मुड जाती है और सीघा नहीं जा पाती है
जैसा कि पहले था।
सन् 1936 में एक चेक इंजीनियर में मेडल
आइंस्टीन के दरबाजे पर खटखटाया और
उन्हें थोड़ा और गणना के लिए आग्रह किया।
मेडल ने पूछा यदि एक तारा दुसरे
तारे के सामने से गुजरे तो, आइंस्टीन
इसके लिए तैयार नहीं थे । व्यस्त
होते हुए भी उन्होंने लज्जा बोघ से
फिर से साइंस के लिए गणना की,
छोटे कागज पर लिखा , यदि एक तारा गुजरता है
दुसरे तारे के सामने से, दुर बाला तारा
बड़ा और विकृत हो जायेगा
गुरुत्विय लेंस के प्रभाव के कारण , ओर आज
गुरुत्विय लेंसीग एक महत्त्वपूर्ण साधन है
खगोलशास्त्र में। लोग
इसका उपयोग ब्रम्हांड का आकार मापने के
साथ ही डार्क मैटर ओर सुदूर स्थित
आकाशगंगा को ढूंढने में
कम रौशन होने के कारण। अंतरिक्ष दूरबीन
में लोगों ने जो कुछ किया है उसे दूर के
एक साधारण तारे के रूप में देखा जाता है
जो बौने के पीछे से गुजरता है। यह तो जैसे
विकृत हो गया | आइंस्टीन ने कहा कि यह होगा
और देख कर सटीक विकृति वे करने में सक्षम थे
गणना करें कि सफेद बौना कितना था
विकृत जीवनकाल और इसलिए,
यह क्या द्रव्यमान था, जो निकला
सूर्य के द्रव्यमान का दो तिहाई कम /ज्यादा
जो वाद ने कहा है फिर भी
यह अच्छा है तो एक बार और हमारे पास है
आइंस्टीन अभी तक एक और खोज के लिए धन्यवाद
भले ही 1955 में उनकी मृत्यु हो गई।
यह कुशल अमेरिकी के लिए माइक लेमोनिक है
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