जैसा कि अमरीकी फेडरल गवर्नमेंट द्वारा दर्ज किया गया है अमेरिका में एक गोरे परिवार की औसत आय 171000 डॉलर है और एक काले परिवार की औसत आय सिर्फ 17000 डॉलर है 10 गुना अलग, गुलामी खत्म होने के डेढ़ सौ साल बाद मेरे ख्याल से हमें सबसे पहले खुद से यह पूछना चाहिए आखिर दौलत है क्या? दौलत है आपकी पूंजी और वह सभी चीजें है जिनके आप मालिक हैं और उनमें से आपके ऋण निकाल कर. पूंजी है चीजें जैसे कि कार ,घर और बचत खाता, आपका चालू खाता, पूंजी निवेश,आपकी जायदाद, आपका व्यापार. यह अंतर ,10 गुना का अंतर, कुछ इसलिए है क्योंकि कई सालों तक, असल में कई दशक तक, काले अमेरिकियों को उस सीडी से दूर रखा गया और उस तक पहुंच ही नहीं पाए. पर हम अब इसके बारे में क्यों बात कर रहे हैं? इसलिए क्योंकि 2020 में एक वैश्विक उभरती और महामारी व्यापारिक मंदी के बीच में, असमता खुलकर सामने है अमेरिका के लगभग हर क्षेत्र में: सेवा, शिक्षा, दंड न्याय और वित्त विभाग, और लोग मजबूर हो गए कुछ करने के लिए ऑनलाइन, सड़कों पर कार्य संबंधी मीटिंग में, परिषद कक्षओं में और एक सलाहकार के तौर पर मैंने अपने ग्राहकों से वह बातें शुरू की जो मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे करनी पड़ेगी. मेरा अपने आप से सवाल यह था कि इस पल में हम क्या पक्का काम करें जिसका परिणाम कार्यवाही और उन्नति हो जिससे काले और गोरे अमेरिकियों के बीच का धन अंतर कम हो? तो मैं कौन हूं? मेरा नाम है केड्रा न्यूसम रीव्स. मैं एक सलाहकार हूं बैंकिंग संस्थाओं, बचाव कोष और संपत्ति प्रबंधक के लिए. पर उन सबसे पहले, मैं हूं एक काली अमेरिकन, जो गुलामों की वंशज है जब हम धन अंतर की बात करते हैं, तो इतिहास समझना सच में जरूरी है. तो मैंने सोचा कि मैं एक कहानी सुनाऊं एक परिवार की, अपने परिवार की, और कैसे नीति मिलती है दौलत से. तो हम शुरू करते हैं मेरे पड पड दादा जी से. सायलस न्यूसम नाम के आदमी थे, और सायलस जन्मजात गुलाम थे नेशविल टेनेसी के बाहर, न्यूसम स्टेशन पर, जहां वह और उनका परिवार, खुली खान पर काम करते थे. उनके पास खुद का कुछ नहीं था. उनका खुद का कोई घर नहीं था, उनकी खुद की कोई जायदाद नहीं थी. उनका शरीर भी उनका अपना नहीं था, ना उनकी मेहनत, ना उनके बच्चे. यह कोई भी चीज, यह सभी चीज है, दूसरों की दौलत बढ़ाने के लिए थी. इसलिए हम मानते हैं कि वह नौकर थे गृह युद्ध के दौरान एक संघी जनरल के जो उन्हें गुलाम रखने के लिए लड़ रहे थे, उनके पास कोई दौलत नहीं थी, अपनी जिंदगी पर कोई काबू नहीं था. गुलामी खत्म होने पर एक नीति बनाने का मौका आया. एक सवाल था: हम गुलामी के 100 सालों का क्या करें अब जबकि हम गुलामी खत्म कर रहे हैं और देश एक हो रहा है? और एक विकल्प था. या तो हम गुलामों का भुगतान कर सकते थे, या फिर गुलामों के मालिकों का. उस पल में गुलामों के पास कोई ताकत नहीं थी खुद की वकालत करने के लिए, और देश का एक साथ होना जरूरी था, इसलिए केंद्रीय सरकार ने सारा भुगतान गुलामों के मालिकों को देने का फैसला किया, असल में उस जायदाद के लिए पैसा दिया जो उन्होंने खोई थी युद्ध के खत्म होने पर. और कोई असल की जायदाद या उनके घर नहीं पर वह लोग, गुलाम जिन्होंने दशकों तक मुफ्त में उनकी सेवा की थी तो गृह युद्ध के अंत पर सायलस के पास कोई दौलत नहीं थी. वह आजाद थे पर बिना पैसों के. उधारी के खेतों के किसान बन गए. फिर मेरे परदादा सायलस का जन्म हुआ गुलामी खत्म होने के कई साल बाद. और उन्हें वर्ल्ड वॉर वन में जाना पड़ा बाकी 350000 काले अमेरिकी सिपाहियों के साथ अलग-अलग टोलियां में. उन्होंने युद्ध में हिस्सा लिया. जब वह वापस अमेरिका आए, युद्ध खत्म होने के बाद, लोग काले लोगों के बहुत खिलाफ थे. अर्थव्यवस्था बहुत सिकुड़ी हुई थी, तनाव की बहुत सी बातें थी, काले लोग जायदाद नहीं ले सकते थे, और घर खरीदने के लिए उधार भी नहीं, ना वह कोई जमा धन ले सकते थे, समय के साथ अपनी दौलत बढ़ाने के लिए. इसलिए वह भी किसान बन गए. उनका एक बेटा हुआ उनका नाम भी सायलस -- मेरे परिवार में बहुत सारे सायलस थे -- मेरे दादाजी. मेरे दादाजी भी सिपाही थे और वर्ल्ड वार 2 में लड़े. वर्ल्ड वॉर 2 के बाद, केंद्रीय सरकार ने जी आई विल बनाया, सेवानिवृत्त सैनिकों को सहारा देने के लिए. बिल में प्रावधान था हस्पताल बनाने के लिए, विद्यार्थियों के लोन, और सबसे जरूरी पूंजी बढ़ाने वाली, कम सूद गृह ऋण की, सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए. युद्ध के कुछ सालों बाद, जी आई विल ने 4 अरब डालर प्रदान किए 9 अरब सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए. पर काले सैनिकों को कुछ ज्यादा खास फायदा नहीं हुआ. इसलिए सायलस , मेरे दादा जी, वापस आ गए नेशविल, टेनेसी, और उन्होंने शादी की मेरी दादी जी से, उनका नाम था सिंड्रेला. हां, मेरी दादी जी का नाम था सिंड्रेला. और उनकी आठ संतान हुई. पर उन्होंने कभी घर नहीं खरीदा. और उनके घर खरीदने के अभियान की विशिष्टता थी, उनका एक सार्वजनिक गृह योजना में जाना अपने बच्चों के साथ और उस ग्रह योजना का किराया देना, जो उनके घर के स्तर के मामले में उन्नति थी और बहुत बढ़िया था, पर उसकी वजह से वह कुछ बचत नहीं कर पाए. मेरे पिताजी, एक और सिपाही, 20 साल तक रहे हुए अमेरिकी मरीन, उन्होंने अपना पहला घर खरीदा करीब 50 साल की उम्र पर पर हमारे परिवार को घर खरीदने के लिए चार पुश्ते लगी और अपनी जमीन जायदाद बनाने में. यह एक परिवार की कहानी है, और मैंने बहुत सारी बातें नहीं बताई जो गुलामी खत्म होने और आज के बीच में हुई थी: काले और गौर का आवासी भेदभाव, 1970 के निष्पक्ष आवासी कानून से पहले, बहुत जरूरी किरदार जो काले मालिकों वाले बैंकों ने निभाया काले लोगों का समुदाय बनाने में, 1980 का बचत और उधारी संकट, जिसने बहुत सारे काले बैंकों को खत्म कर दिया 2008 का सब प्राइम संकट, जिसने बहुत सारे काले और बुरे लोगों को अपने घरों से वंचित कर दिया. इसमें बहुत सारा इतिहास है, पर यह कहानी हमें कुछ कुछ बताती है कि हम इस 10 गुना अंतर तक कैसे पहुंचे जहां हम आज हैं. और जरूर जब हम सोचते हैं कि अंतर कितना बड़ा है, बहुत जरूरी है कि केंद्र सरकार कई तरह के काम करें. पर उसके अलावा वित्तीय संस्थाएं बहुत अहम किरदार निभाती है जमा धन और मूलधन देने में, समुदाय बनाने के लिए, और काले लोगों की उन्नति में. हमें बहुत साफ होना पड़ेगा; 17000 डॉलर को संभालने से हम वहातक नहीं पहुंचेंगे. बेहतर पढ़ाई करने से हम वह नहीं पहुंचेंगे. जमा धन और मूलधन होना बहुत अहम है. इसलिए मैं आज बात करना चाहती हूं 4 उपाय के बारे में जो वित्तीय संस्थाएं दे सकती है इस अंतर को कम करने के लिए. नंबर एक है ज्यादा लोगों को सीडी पर चढ़ाना, ज्यादा लोगों को बैंकों से जोड़ना. हम आज जानते हैं कि आधे काले अमेरिकी बैंक से जुड़े ही नहीं है या बहुत कम जुड़े हैं. ना जोड़ना मतलब आपका बैंक में खाता ना होना कम जुड़ना यानी बैंक में खाता होना पर अन्य सेवाओं का उपयोग करना चेक इस्तेमाल करने के लिए या बिल भरने के लिए . और यह ना सिर्फ लेनदेन के हिसाब से महंगा है जो शुल्क देना पड़ता है उसके हिसाब से, बिल भरने के लिए जो समय प्रतिबद्ध करते हैं उस हिसाब से भी महंगा है. सोचे आज आप उपयोगिता के बिल कैसे भरते हैं. ज्यादातर वह आपके चालू खाते में से जाता है. आप उसके बारे में सोचते भी नहीं है. आप उसे पहले ही स्थापित कर लेते हैं, और स्वचालित होता है. अगर आप बैंक से जुड़े नहीं है, आप शायद कहीं से मनीआर्डर लेते हैं, और उस असली कागज को लेकर म्युनिसिपालिटी जाते हैं बिल भरने के लिए. बैंक से ना जुड़े हुए लोगों में से 40% लोग कहते हैं वह इसलिए आज जुड़े हैं कि उनके पास इतने पैसे भी नहीं है जिससे चालू खाता रख सके. यह सच नहीं है. पिछले कई सालों में, ऋण संघ, सामुदायिक बैंक, और बड़ी-बड़ी बैंक संस्थाएं अल्प लागत, न्यूनतम संख्या बिना के चालू खाते और बचत खाते उपलब्ध किए हैं विशेष तौर पर इस समुदाय के लिए. तो मुद्दा जागरूकता का है. बैंकों, सामुदायिक संस्थाओं और दूसरी संस्थाओं को एक साथ काम करना है जागरूकता बढ़ाने के लिए इन सेवाओं के बारे जैन संप्रदाय में इनकी जरूरत है, जिसे हम उन की गिनती करे जो बैंकों से ना जुड़े या कम जुड़े हैं और उन्हें उस सीढ़ी पर चढ़ाएं जिसके बारे में हम पहले बात कर रहे थे. चुनौती है करीब 28% काले और लैटिन लोगों की जो क्रेडिट अदृश्य है, इसका मतलब आप की बहुत पतली क्रेडिट फाइल या कोई क्रेडिट फाइल नहीं है जिस तरीके से क्रेडिट संस्थाएं काम करती हैं वह कहती है कि आप यह साबित कर सकें कि आपने पहले लगातार क्रेडिट चुकाया है तब हम आपको और क्रेडिट देंगे, यह एक तरह से मुर्गी पहले या अंडा पहले वाली हालत है दिलचस्प बात यह है कि बैंक और आर्थिक संस्थाओं ने अभी कुछ सालों में नए तरीके ढूंढे हैं -- केबल बिल, बिजली के बिल घर का किराया -- यह दिखाने के लिए कि आप लगातार शुल्क भर रहे हैं. इस पर एक अन्य चुनौती और है, पिछली बार से विपरीत, जो ज्यादातर जागरूकता की थी वह यह है की आपको नियामक का सहारा चाहिए आपको नियामक को यह साबित करना है कि आप एक अन्य स्रोत का सही ढंग से इस्तेमाल कर सकते हैं अधिकार हीन समुदाय को क्रेडिट देने के लिए. हमें यह देखना है कि केंद्र सरकार और बैंक संस्थाएं साथ आती है एक नई तरह का सैंडबॉक्स बनाने के लिए अन्य डाटा का इस्तेमाल बढ़ाती है अधिकार इन लोगों में. और समुदायों का क्या? सामुदायिक जायदाद के बिना, व्यक्तिगत जायदाद, एक तरह से, अकेले टापू पर है. और अगर आप अमेरिका के ज्यादातर बड़े शहरों में जाएं ज्यादा रंग वाले समुदाय में, आपको मिलेंगे कम निवेश वाले समुदाय. हर आर्थिक संकट में इन समुदायों को बहुत नुकसान पहुंचा है. हर आर्थिक चढ़ाव में इन्हें कोई फायदा नहीं हुआ है. और हम देख रहे हैं देश के विभिन्न शहरों में मैं इस्तेमाल करूंगी शिकागो का, मिसाल के तौर पर जो साझेदारी बन रही है बैंकिंग संस्थाओं में, जन हितेषी लोगों में, शहर और समुदाय के नेताओं में करोड़ों डॉलर लगाने के लिए समुदायिक संसाधन और समुदाय बनाने में जो ऐतिहासिक तौर पर कभी नहीं बने हैं कभी नहीं जुड़े हैं. आखिर में, व्यापार की बात करना जरूरी है और सिर्फ छोटे व्यापार नहीं. अब जब आपके पास व्यक्तिगत मजबूती और बैंकिंग संस्थाएं हैं क्रेडिट तक पहुंच है और सामुदायिक जायदाद है, यह सब बहुत बढ़िया है पर हमें नौकरियां भी बढ़ानी है. सब नई तकनीकी कंपनियों को ले और मैं नई इसलिए कह रही हूं क्योंकि वह अब इतनी नई नहीं है पर फेसबुक, गूगल और ऐमेज़ॉन को लें. किसी समय पर यह सभी कंपनियां व्यक्तिगत संपत्ति थी एक कर्मचारी की, या कुछ कर्मचारी की ऐसी तकनीक बना रहे थे जो अभी तक सिद्ध नहीं हुई थी. जो इन कंपनियों को बहुत पहले मिला था वह था उद्यम पूंजी पैसा. और जब आप आज उद्यम पूंजी को देखते हैं, तो काले लोगों को उसका सिर्फ 1% मिलता है. तो अगर काले लोगों को उसके बाहर रखा जाता है वह आगे नहीं बढ़ पाते, और उस को बदलने का एक ही तरीका है और वह है उद्योग के अंदर से. आज के युग में हमें बात करनी चाहिए ना सिर्फ संपन्न व्यापार की काले समुदाय में हमें बात करनी चाहिए काले लोगों के और काले लोगों द्वारा बनाए गए व्यापार के सार्वजनिक होने की भी. यह सिर्फ चार उपाय हैं. ऐसी कितनी चीजें हैं जो कर सकते हैं और करनी चाहिए धन अंतर खत्म करने के लिए. यह अंतर नया नहीं है. यह बना और पनपा है कई सालों के केंद्रीय नीतियों, सामाजिक तौर तरीके और व्यापारिक चाल चलन से, और इन सभी को बदलने की जरूरत है इस अंतर को कम करने के लिए. वित्त संस्थाएं बहुत अहम किरदार निभाती है व्यक्तिगत तौर पर, सामुदायिक तौर पर, और व्यापारिक तौर पर. यह हमारे परिवार के लिए जरूरी है, हमारे समुदाय के लिए जरूरी है और हमारी अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है. बजाय के इस बारे में बात करने के की अंतर कैसे बढ़ रहा है अंतर को कम करने की शुरुआत करते हैं. धन्यवाद.