1 00:00:07,138 --> 00:00:11,691 1963 में, स्टीवन हॉकिंग नाम के एक 21 वर्षीय भौतिकशास्री को 2 00:00:11,691 --> 00:00:14,869 पेशीशोषी पार्श्व काठिन्य, या ए.एल.एस नामक 3 00:00:14,869 --> 00:00:19,589 एक दुर्लभ तन्त्रिकापेशी विकार से पीड़ित पाया गया। 4 00:00:19,589 --> 00:00:22,018 धीरे-धीरे वह चलने-फिरने, 5 00:00:22,018 --> 00:00:23,328 अपने हाथों का प्रयोग करने, 6 00:00:23,328 --> 00:00:24,507 अपना चेहरा हिलाने, 7 00:00:24,507 --> 00:00:26,520 और यहाँ तक कि निगलने की क्षमता भी खो बैठे। 8 00:00:26,520 --> 00:00:29,856 परन्तु इस सब के बीच, उन्होंने अपनी अविश्वसनीय बुद्धिमत्ता को कायम रखा, 9 00:00:29,856 --> 00:00:32,267 और आने वाले 50 से भी ज़्यादा वर्षों में 10 00:00:32,267 --> 00:00:36,829 हॉकिंग इतिहास के सबसे निपुण और प्रसिद्ध भौतिकशास्त्रियों में से एक बने। 11 00:00:36,829 --> 00:00:39,458 परन्तु, उनकी बीमारी का इलाज नहीं हो पाया 12 00:00:39,458 --> 00:00:44,279 और वह 2018 में 76 वर्ष की उम्र में चल बसे। 13 00:00:44,279 --> 00:00:45,959 उनका रोग पहचाने जाने के दशकों बाद भी 14 00:00:45,959 --> 00:00:49,078 मानवजाति को प्रभावित करने वाले रोगों में ए.एल.एस सबसे ज़्यादा जटिल, 15 00:00:49,078 --> 00:00:50,279 रहस्यपूर्ण, 16 00:00:50,279 --> 00:00:53,918 और सर्वनाशक रोगों में से एक है। 17 00:00:53,918 --> 00:00:57,868 गतिजनक तन्त्रिका रोग और लाउ गेहरिग रोग के नाम से भी जाना जाने वाला 18 00:00:57,868 --> 00:01:03,440 ए.एल.एस रोग, दुनिया भर के प्रति 1,00,000 में 2 लोगों को प्रभावित करता है। 19 00:01:03,440 --> 00:01:05,450 जब किसी व्यक्ति को ए.एल.एस होता है, 20 00:01:05,450 --> 00:01:06,769 उनकी गतिजनक तन्त्रिकाएँ, 21 00:01:06,769 --> 00:01:10,018 वह कोशिकाएँ जो शरीर के सारे स्वैच्छिक मांसपेशी नियन्त्रण के लिए 22 00:01:10,018 --> 00:01:11,018 जिम्मेदार होती हैं 23 00:01:11,018 --> 00:01:13,050 अपना उद्देश्य खो कर मर जाती हैं। 24 00:01:13,050 --> 00:01:16,695 कोई नहीं जानता कि आख़िर यह कोशिकाएँ क्यों या कैसे मरती हैं 25 00:01:16,695 --> 00:01:20,360 और यह एक कारण है जिसकी वजह से ए.एल.एस का इलाज करना इतना मुश्किल है। 26 00:01:20,360 --> 00:01:22,436 करीब 90% मामलों में 27 00:01:22,436 --> 00:01:26,506 यह रोग बिना किसी स्पष्ट कारण के आकस्मात हो जाता है। 28 00:01:26,520 --> 00:01:29,378 बाकी बचे 10% मामले वंशागत होते हैं, 29 00:01:29,378 --> 00:01:31,898 जहाँ ए.एल.एस पीड़ित किसी माता या पिता के ज़रिये 30 00:01:31,898 --> 00:01:34,905 उनके बच्चे में एक उत्परिवर्तित जीन आया हो। 31 00:01:34,905 --> 00:01:37,195 इसके लक्षण आम तौर पर 40 वर्ष की उम्र के बाद 32 00:01:37,195 --> 00:01:38,595 पहली बार नज़र आते हैं। 33 00:01:38,595 --> 00:01:41,045 परन्तु कुछ दुर्लभ मामलों में, जैसे हॉकिंग के, 34 00:01:41,045 --> 00:01:43,625 ए.एल.एस जीवन में जल्दी शुरू हो जाता है। 35 00:01:43,625 --> 00:01:46,555 हॉकिंग का मामला उनके ए.एल.एस के साथ 36 00:01:46,555 --> 00:01:49,625 इतना लम्बा जीने के कारण एक चिकित्सक चमत्कार भी था। 37 00:01:49,625 --> 00:01:52,944 इस रोग के पहचाने जाने के बाद ज़यादातर पीड़ित लोग 38 00:01:52,944 --> 00:01:55,194 2 से 5 वर्ष ही जी पाते हैं 39 00:01:55,194 --> 00:01:58,321 इससे पहले कि ए.एल.एस से वह श्वास - प्रणाली की समस्याएँ उत्पन्न हों 40 00:01:58,321 --> 00:02:00,101 जो ज़्यादातर मृत्यु का कारण बनती हैं। 41 00:02:00,101 --> 00:02:02,115 हॉकिंग के मामले में जो असामान्य बात नहीं थी 42 00:02:02,115 --> 00:02:03,975 वह थी कि उनकी अपनी इन्द्रियों से सीखने, 43 00:02:03,975 --> 00:02:04,955 सोचने, 44 00:02:04,955 --> 00:02:08,076 और समझने की क्षमता, अक्षत रही। 45 00:02:08,076 --> 00:02:12,405 ए.एल.एस से पीड़ित ज़्यादातर लोगों की अनुभूति को हानि नहीं पहुँचती। 46 00:02:12,405 --> 00:02:16,005 हर वर्ष ए.एल.एस से पीड़ित पाए जाने वाले 1,20,000 लोगों के लिए 47 00:02:16,005 --> 00:02:18,396 इतना कुछ दाँव पर लगा है 48 00:02:18,396 --> 00:02:21,876 कि इस रोग का उपचार ढूँढना हमारी सबसे ज़रूरी वैज्ञानिक 49 00:02:21,876 --> 00:02:23,876 और चिकित्सक चुनौतियों में से एक बन चुका है। 50 00:02:23,876 --> 00:02:25,716 इतना कुछ अज्ञात होते हुए भी 51 00:02:25,716 --> 00:02:27,526 हमें इस बारे में कुछ अन्तर्दृष्टि है 52 00:02:27,526 --> 00:02:31,036 कि ए.एल.एस तन्त्रिकापेशी प्रणाली को कैसे प्रभावित करता है। 53 00:02:31,036 --> 00:02:33,515 ए.एल.एस, ऊपरी और निचली गतिजनक तन्त्रिका कहलाने वाली 54 00:02:33,515 --> 00:02:36,085 दो तरह की तन्त्रिका कोशिकाओं को प्रभावित करता है। 55 00:02:36,085 --> 00:02:39,024 एक स्वस्थ शरीर में, ऊपरी गतिजनक तन्त्रिकाएँ, 56 00:02:39,024 --> 00:02:40,923 जो मस्तिष्क के प्रांतस्था में होती हैं, 57 00:02:40,923 --> 00:02:44,464 मस्तिष्क से उन निचली गतिजनक तन्त्रिकाओं तक सूचना पहुँचाती हैं 58 00:02:44,464 --> 00:02:46,435 जो मेरुदण्ड में स्थित होती हैं। 59 00:02:46,435 --> 00:02:49,875 यह तान्त्रिकाएँ फिर मांसपेशी तंतुओं में सूचना पहुँचाती हैं 60 00:02:49,875 --> 00:02:52,836 जो प्रतिक्रिया में सिकुड़ते या विस्तृत होते हैं 61 00:02:52,836 --> 00:02:54,778 जिससे संचलन होता है। 62 00:02:54,778 --> 00:02:57,235 हम स्वेछा से जो भी संचालन करते हैं 63 00:02:57,235 --> 00:03:00,736 वह इस रास्ते हुए सूचनाओं के आदान प्रदान के कारण होता हैं। 64 00:03:00,736 --> 00:03:03,997 परन्तु जब गतिजनक तन्त्रिकाएँ ए.एल.एस के दौरान हीन हो जाती हैं 65 00:03:03,997 --> 00:03:06,976 तो उनकी सूचनाओं के आदान-प्रदान की क्षमता बाधित हो जाती है 66 00:03:06,976 --> 00:03:10,777 और वह महत्वपूर्ण संकेतन प्रणाली अराजकता की ओर धकेल दी जाती है। 67 00:03:10,777 --> 00:03:14,146 अपने नियमित संकेतों के अभाव में मांसपेशियाँ बेकार होती रहती हैं। 68 00:03:14,146 --> 00:03:17,073 गतिजनक तन्त्रिकाओं को आख़िर क्या हीन कर देता है 69 00:03:17,073 --> 00:03:19,961 यह ए.एल.एस का विद्यमान रहस्य है। 70 00:03:19,961 --> 00:03:21,239 वंशागत मामलों में, 71 00:03:21,239 --> 00:03:24,529 माता-पिता के ज़रिये उनके बच्चों में आनुवंशिक उत्परिवर्तन आता है। 72 00:03:24,529 --> 00:03:27,661 ऐसा होने पर भी, ए.एल.एस में कई जीन शामिल हैं, 73 00:03:27,661 --> 00:03:31,132 जो गतिजनक तन्त्रिकाओं पर विभिन्न सम्भावित प्रभाव कर सकते हैं, 74 00:03:31,132 --> 00:03:34,121 जिसकी वजह से सही कारण पर ऊँगली रखना मुश्किल हो जाता है। 75 00:03:34,121 --> 00:03:38,832 जब ए.एल.एस कहीं-कहीं पैदा होता है, तो सम्भावित कारणों की सूची बढ़ जाती है: 76 00:03:38,832 --> 00:03:39,590 विषाक्त पदार्थ, 77 00:03:39,590 --> 00:03:40,732 विषाक्त संक्रामक पदार्थ, 78 00:03:40,732 --> 00:03:41,433 जीवन शैली, 79 00:03:41,433 --> 00:03:45,191 और बाकी पर्यावरणीय कारक, सभी का हाथ हो सकता है। 80 00:03:45,191 --> 00:03:47,540 और क्योंकि इतने सारे तत्त्व शामिल होते हैं, 81 00:03:47,540 --> 00:03:49,869 अभी तक ऐसा कोई एकमात्र जाँच करने का तरीका नहीं बना 82 00:03:49,869 --> 00:03:53,399 जो यह निर्धारित कर सके कि किसी को ए.एल.एस है। 83 00:03:53,399 --> 00:03:54,480 फिर भी, 84 00:03:54,480 --> 00:03:57,480 कारणों के बारे में हमारी परिकल्पनाएँ विकसित हो रही हैं। 85 00:03:57,480 --> 00:04:01,772 एक विद्यमान सोच यह है कि गतिजनक तन्त्रिकाओं के अन्दर के कुछ प्रोटीन 86 00:04:01,772 --> 00:04:03,641 ठीक तरह से मुड़ नहीं रहे हैं, 87 00:04:03,641 --> 00:04:05,730 और इसकी बजाय गुच्छे बना रहे हैं। 88 00:04:05,730 --> 00:04:10,211 यह गलत तरह से मुड़े प्रोटीन और गुच्छे एक कोशिका से दूसरी में फैल सकते हैं। 89 00:04:10,211 --> 00:04:13,471 हो सकता है यह कोशिकाओं की उन साधारण प्रक्रियाओं को अवरुद्ध कर रहा हो, 90 00:04:13,471 --> 00:04:17,551 जैसे ऊर्जा और प्रोटीन का निर्माण, जो कोशिकाओं को ज़िन्दा रखती हैं। 91 00:04:17,551 --> 00:04:21,291 हमने यह भी जाना है कि गतिजनक तन्त्रिकाओं और मांसपेशी तन्तुओं के साथ-साथ 92 00:04:21,291 --> 00:04:24,350 ए.एल.एस में कुछ और तरह की कोशिकाएँ भी शामिल हो सकती हैं। 93 00:04:24,350 --> 00:04:29,161 ए.एल.एस रोगियों के मस्तिष्क और मेरुदण्ड में, आम तौर पर सूजन होती है। 94 00:04:29,161 --> 00:04:31,110 गतिजनक तन्त्रिकाओं को मारने में 95 00:04:31,110 --> 00:04:34,280 दोषपूर्ण प्रतिरक्षा कोशिकाओं का भी हाथ हो सकता है। 96 00:04:34,280 --> 00:04:36,152 और ऐसा प्रतीत होता है कि ए.एल.एस 97 00:04:36,152 --> 00:04:38,352 तंत्रिकाकोशिकाों को समर्थन प्रदान करने वाली 98 00:04:38,352 --> 00:04:41,031 विशिष्ट कोशिकाओं के व्यवहार को बदल देता है। 99 00:04:41,031 --> 00:04:43,923 यह सारे कारक इस रोग की जटिलता को उभारते हैं, 100 00:04:43,923 --> 00:04:47,961 परन्तु शायद यह हमें इसके कार्य करने का तरीका भी पूरी समझा पाएँ, 101 00:04:47,961 --> 00:04:50,130 जिससे इलाज करने के नए द्वार खुल सकें। 102 00:04:50,130 --> 00:04:54,142 और जबकि यह शायद धीरे-धीरे हो, तब भी हम हर वक्त विकास कर रहे हैं। 103 00:04:54,142 --> 00:04:56,280 वर्तमान में हम नई औषधियाँ बना रहे हैं, 104 00:04:56,280 --> 00:04:59,231 नई स्टेम कोशिका चिकित्सा क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत के लिए, 105 00:04:59,231 --> 00:05:03,591 और नई जीन चिकित्साएँ भी रोग की बढ़ोत्तरी को धीमा करने के लिए। 106 00:05:03,591 --> 00:05:06,041 हमारे बढ़ते हुए ज्ञान के शस्त्रागार के साथ 107 00:05:06,041 --> 00:05:09,442 हम उन आविष्कारों की अपेक्षा करते हैं जो ए.एल.एस के साथ जीते हुए लोगों का 108 00:05:09,442 --> 00:05:11,011 भविष्य बदल सकें।