अपनी मानसिकता को बदलकर अपना भविष्य चुने
-
0:01 - 0:05मैंने कभी नहीं सोचा था कि
मैं ऐसी जगह पर TED टॉक दूंगा। -
0:06 - 0:08हालाँकि, आधी दुनिया के जैसे मैंने भी
-
0:08 - 0:11पिछले चार हफ्ते
कोविद - 19, वैश्विक महामारी के कारण -
0:11 - 0:14लॉकडाउन में गुजारें है।
-
0:15 - 0:18मैं अपने को किस्मत वाला समझता हूँ,
कि ऐसे समय में -
0:18 - 0:22मैं दक्षिणी इंग्लैंड में अपने घर के
करीब स्थित जंगल में आ सका। -
0:23 - 0:25इन जंगलों ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है,
-
0:25 - 0:30और जैसे कि मानवअब यह सोचते है
कि हम अपनी क्रियाओं को नियंत्रित -
0:30 - 0:32करने की प्रेरणा कैसे ढूंढे
ताकि मुश्किल बाधाएँ -
0:32 - 0:35हमारे रास्ते पर ना आएं
-
0:35 - 0:37और उनको पार करने में हमे कठिनाई हो।
-
0:37 - 0:40मैंने सोचा कि ये कि ये एक अच्छा
स्थान है बात करने के लिए। -
0:41 - 0:44मैं अपनी कहानी शुरू करता हूँ -
छह साल पहले की बात -
0:44 - 0:47मैं पहली बार
यूनाइटेड नेशन में शामिल हुआ -
0:48 - 0:52मेरा दृढ़ विश्वास है UN अब विश्व में
सहयोग और सहोद्योग को -
0:52 - 0:54
बढ़ावा देने में अद्वितीय -
0:54 - 0:56महत्वता रखता है।
-
0:57 - 0:59लेकिन जब आप इससे जुड़ते है
-
0:59 - 1:02तो वह आपको यह
नहीं बताते कि यह महत्वपूर्ण कार्य -
1:02 - 1:05मुख्यता अत्यन्त उबाऊ और
-
1:05 - 1:08लम्बी बैठकों के रूप में कराया जाता है।
-
1:08 - 1:12निःसंदेह, अब आपको यह लग सकता
है कि आप भी लम्बी और उबाऊ बैठकों -
1:12 - 1:14में भाग ले चुके है।
-
1:14 - 1:16पर UN की बैठके अलग स्तर की है,
-
1:16 - 1:19और वहाँ पर कार्यरत लोग इनमें अलग स्तर
की शांति के साथ शामिल होते हैं, -
1:19 - 1:22सामान्यतः जो ज़ेन मास्टर्स हासिल
कर पाते है। -
1:22 - 1:24लेकिन मैं इसके लिए तैयार न था।
-
1:24 - 1:28मैं ड्रामा, तनाव, व नवीन खोज की
उम्मीद लेकर शामिल हुआ था। -
1:28 - 1:30मैं ऐसी गति से चलने को तैयार
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1:30 - 1:33नहीं था, जो कछुआ चाल
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1:33 - 1:36से भी धीमे थी।
-
1:37 - 1:39ऐसी ही एक बैठक के बीच में मुझे
-
1:39 - 1:41किसी ने एक पत्र पकड़ा दिया
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1:41 - 1:44और यह और कोई नहीं बल्कि मेरी एक दोस्त,
साथी और सह-लेखिका थी, -
1:44 - 1:46जिसका नाम था क्रिस्टीना फ़िगरिस।
-
1:46 - 1:49क्रिस्टीना UN के जलवायु विभाग की
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1:49 - 1:52एक कार्यकारी सचिव थी
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1:52 - 1:55और उसकी UN के प्रति
जो जिम्मेदारियां थी, वह बढ़कर -
1:55 - 1:58पेरिस सहमति बन गयी।
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1:58 - 2:01मैं उस पर राजनीतिक रणनीति चला रहा था।
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2:02 - 2:03तो जब उन्होंने मुझे यह पत्र
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2:03 - 2:07दिया तो मैंने यह कल्पना की कि इसमें इस
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2:07 - 2:10समस्या जिसमे हम
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2:10 - 2:12बुरी तरह से फ़से हुए है,
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2:12 - 2:14मैंने पत्र लिया और उसको देखा,
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2:14 - 2:16उसमें लिखा था, "दुःखद !
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2:16 - 2:17लेकिन चलो प्यार से आगे बढ़ते है !
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2:18 - 2:20मुझे यह पत्र कई कारणों से पसंद आया
-
2:20 - 2:24मुझे "दुःखद " शब्द से
निकलती हुई लताएँ पसंद आयी । -
2:24 - 2:27यह मेरी उस वक़्त कि मनःस्थिति को
प्रकट करने का एक अच्छा तरीका था । -
2:28 - 2:31लेकिन मुझे यह विशेष रूप से पसंद
आया क्योंकि जब मैंने इसे देखा तब -
2:31 - 2:33मुझे यह आभास हुआ कि
यह एक राजनैतिक अनुदेश है -
2:33 - 2:36और यह कि क्या हम
सफल होंगे? -
2:36 - 2:37और हम सफलता इस तरीके से पा सकते है ।
-
2:38 - 2:40मैं समझाने कि कोशिश करता हूँ,
-
2:41 - 2:45मैं उन बैठकों में स्वयं को
नियंत्रित महसूस करता था। -
2:45 - 2:50मैं ब्रूकलिन, न्यू यॉर्क को छोड़कर
बोन, जर्मनी में जा बसा; -
2:50 - 2:53हालाँकि यह मेरी पत्नी की इच्छा
के विपरीत था। -
2:53 - 2:56मेरे बच्चे अब उस स्कूल में थे
जहां की भाषा भी वे बोल नहीं सकते थे, -
2:56 - 2:59और मैंने सोचा कि मेरे इस त्याग
का फल यह होगा कि मैं आने -
2:59 - 3:02वाली स्थिति पर कुछ हद तक
नियंत्रण पा लूँगा। -
3:02 - 3:06मैंने कई सालों तक यह सोचा कि
जलवायु संकट हमारी पीढ़ी की -
3:06 - 3:07सबसे बड़ी चुनौती होगी
-
3:07 - 3:12और इसके बचने के लिए मैं अपना योगदान देने
को तैयार था ताकि मानवता को बचाया जा सके। -
3:12 - 3:15लेकिन कई अवसरों के मिलने
पर भी मेरे तमाम प्रयासों -
3:15 - 3:16के बावजूद भी
-
3:16 - 3:17बात नहीं बनी
-
3:17 - 3:21मैंने यह एहसास किया की मैं सिर्फ रोज-मर्रा
के काम ही कर सकता था। -
3:21 - 3:24"क्या मैं आज ऑफिस बाइक से जाऊं?"
"आज मैं खाना कहाँ पर खाऊँ?" -
3:24 - 3:27जबकि चीज़ें जी हमारी सफलता
को निर्धारित करती -
3:27 - 3:28वह कुछ ऐसी थीं -
-
3:28 - 3:31"क्या रूस मोलभाव बंद कर देगा?"
-
3:32 - 3:34"क्या चीन गैस उत्सर्जन
की जिम्मेदारी लेगा ?" -
3:34 - 3:39"क्या यूनाइटेड स्टेट्स गरीब देशों की
जलवायु बदलाव के वक़्त मदद करेगा?" -
3:39 - 3:40अंतर बहुत बड़ा था, शुरुवात में मैं
-
3:40 - 3:43अपनी सोच और इन बातों
का तालमेल नहीं बैठा सका। -
3:43 - 3:44मुझे बुरा लगा।
-
3:44 - 3:46मैंने यह सोचना शुरू कर दिया कि मैंने गलती
-
3:46 - 3:48कर दी है, मैं तनाव में आ गया।
-
3:49 - 3:50लेकिन उस समय भी
-
3:50 - 3:54मुझे यह अहसास हुआ कि मैं जो भी
महसूस कर रहा था वह बिलकुल वैसा था -
3:54 - 3:58जैसा मैंने तब महसूस किया था जब मैंने
जलवायु संकट के बारे में पहली बार सुना था। -
3:58 - 4:03मैंने अपने किशोरावस्था के कई
रचनात्मक साल बौद्ध साधू -
4:03 - 4:05की तरह व्यतीत किये,
-
4:05 - 4:09लेकिन मैंने मठवासी जीवन को छोड़ दिया
क्योकि 20 साल पहले भी -
4:09 - 4:14मुझे यह लगने लगा था कि
जलवायु संकट करीब है और -
4:14 - 4:15मुझे अपना योगदान देना है।
-
4:15 - 4:18लेकिन जैसे ही मैंने अपने को संसार से
दोबारा जोड़ा, मैंने यह सोचा कि -
4:18 - 4:20मैं क्या नियंत्रित कर सकता हूँ।
-
4:20 - 4:24यह मेरा और मेरे परिवार द्वारा
किये हुए उत्सर्जन का कुछ टन था, -
4:24 - 4:26किस राजनीतिक पार्टी को
मैंने सालों तक वोट दिया, -
4:26 - 4:28मैं कितने जुलूसों में गया।
-
4:28 - 4:31फिर मैंने मुद्दे को देखा जो
परिणाम को निर्धारित करेगा -
4:31 - 4:33और वे थे बड़े राजनीतिक मोल-भाव,
-
4:33 - 4:36बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे
पर खर्च करने कि योजना -
4:36 - 4:37जैसा कि हर कोई करता है।
-
4:37 - 4:39इसमें फिर से इतना अंतर था कि
-
4:39 - 4:42मैं उसे किसी तरीके से ख़त्म
नहीं कर सकता था। -
4:42 - 4:43मैंने प्रयास जारी रखा,
-
4:43 - 4:45लेकिन कुछ हुआ नहीं।
-
4:45 - 4:46मुझे बेहद दुःख हुआ।
-
4:47 - 4:51हमें पता है कि बहुत से लोग
इसे अनुभव कर सकते है। -
4:51 - 4:53शायद आपको भी यह अनुभव हुआ हो।
-
4:53 - 4:55जब हमें एक बड़ी चुनौती
का सामना करते है -
4:55 - 4:59तो हमें नहीं लगता कि हमारे
पास कोई नियंत्रण है तब -
4:59 - 5:01हमारा मन रक्षा के लिए
छोटी सी तरकीब कर सकता है -
5:01 - 5:03हमें यह बिल्कुल स्वीकार
नहीं कि कठिन समय में हम -
5:03 - 5:05खुद पर नियंत्रड खो दे,
-
5:05 - 5:07इसीलिए हमारा दिल ये बताएगा कि
शायद ये इतना आसान नहीं है, -
5:08 - 5:10शायद यह उस तरह नहीं हो
रहा जैसा लोग कहते है। -
5:10 - 5:12
या फिर ये अपनी भूमिका फिर निभा रहा है -
5:12 - 5:15"तुम अकेले कुछ नहीं कर सकते,
तो कोशिश ही क्यों करना ?" -
5:17 - 5:19लेकिन यहां पर कुछ गड़बड़ हो रहा है।
-
5:20 - 5:26क्या यह वास्तव में सच है कि
मनुष्य इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर -
5:26 - 5:29निरंतर काम करते रहेंगे जब उन्हें
-
5:29 - 5:32यह महसूस होगा कि वे इसे काफी
हद तक नियंत्रण करते रहेंगे। -
5:33 - 5:35इन तस्वीरों को देखिये।
-
5:35 - 5:39ये लोग नर्स और देखभाल करने वाले है,
जो मानवता को कोविद- १९, -
5:39 - 5:43जो पूरे विश्व में पैर पसर चुक है,
से बचाने में मदद कर रहे है, -
5:43 - 5:47ये लोग पिछले कुछ महीनों से कार्यरत है।
-
5:48 - 5:52क्या ये लोग बीमारी को फैलने से बचा पाए ?
-
5:52 - 5:53नहीं।
-
5:54 - 5:57क्या ये लोग संक्रमित लोगों
को मरने से बचा पाए -
5:58 - 6:01कुछ लोग तो बच गए,
-
6:01 - 6:04लेकिन कुछ लोग नियंत्रड में नहीं आ सके।
-
6:04 - 6:08पर क्या यह उनके योगदान को व्यर्थ बनता है ?
-
6:09 - 6:12दरअसल ऐसा कहना अपमानजनक होगा।
-
6:12 - 6:15क्योंकि ऐसी आपदा में भी
ये लोग मानवता को -
6:15 - 6:17बचाने का काम कर रहे है।
-
6:17 - 6:20और यह कार्य बेहद प्रशंसनीय है,
-
6:20 - 6:23आप इन तस्वीरों को देखिये
-
6:23 - 6:24आपको यकीन हो जाएगा कि
-
6:24 - 6:28ये लोग जो साहस और इंसानियत
दिखा रहे है -
6:28 - 6:31वह उनके काम को और भी
महत्वपूर्ण साबित करता है -
6:31 - 6:33फिर चाहे भले ही परिणाम
-
6:33 - 6:36उम्मीदों पर खरा ना उतरे।
-
6:37 - 6:38यह काफी रोचक है,
-
6:38 - 6:41क्यूंकि यह ये दर्शाता है कि
हम कोई भी कार्य -
6:41 - 6:43निष्ठा और लगन से कर सकते है
-
6:43 - 6:45चाहे उसका परिणाम
हमारी पहुँच से दूर हो। -
6:46 - 6:48लेकिन यह हमारे सामने एक
दूसरी चुनौती खड़ी कर देता है। -
6:48 - 6:50हम जलवायु संकट से बचने
-
6:50 - 6:55के लिए जो काम करते है
वह इसके प्रभावों से हट के है। -
6:55 - 6:57जबकि इन तस्वीरों में नर्सेज विश्व को
-
6:57 - 7:02बदलने का बुलंद लक्ष्य नहीं रखती है
-
7:02 - 7:07बल्कि इनको जीवन का प्रेरणा
-
7:07 - 7:08जरूरतमंदो कि मदद से मिलती है ।
-
7:09 - 7:11जलवायु संकट से निपटना
इससे काफी अलग है। -
7:11 - 7:14पहले मैं यह सोचा करता था कि
हम उस संकट से काफी दूर है -
7:14 - 7:18और जलवायु संकट का प्रभाव
भविष्य में काफी दूर है। -
7:18 - 7:21लेकिन हम अब उस भविष्य में आ चुके है।
-
7:21 - 7:22सारे महाद्वीप अब संकट में है।
-
7:22 - 7:24शहर जल में समाये जा रहे है।
-
7:24 - 7:25कई देश डूबने कि कगार पर है।
-
7:25 - 7:29आज लाखों लोग जलवायु संकट के कारण
पलायन करने को मजबूर है। -
7:29 - 7:33चाहे भले ही यह संकट हमारे करीब हो,
-
7:33 - 7:36फिर भी कुछ ऐसा है
जो हमे इसे महसूस होने नहीं देता। -
7:36 - 7:37हमें लगता है कि
-
7:37 - 7:40ये चीज़ें दूसरी जगह,
दूसरे लोगों के साथ होती है -
7:40 - 7:43या फिर इस तरह से होती है जिससे
हम अभी तक अभ्यस्त नहीं हुए है। -
7:44 - 7:47भले ही यह नर्सो जैसे
मानव प्रकति के बारे में नही है, -
7:47 - 7:48उतना प्रत्यक्ष नहीं है
-
7:48 - 7:51फिर भी हम जलवायु संकट से
-
7:51 - 7:53निबटने का तरीका खोज निकालेंगे।
-
7:54 - 7:57बल्कि ऐसा करने का एक तरीका है -
-
7:57 - 8:01अगर हम सब एकजुट होकर,
सामंजस्य बैठा कर, -
8:01 - 8:04सभी के सहयोग से इस
-
8:04 - 8:08लक्ष्य को पाने की कोशिश करे,
-
8:08 - 8:09तो हम अवश्य सफल होंगे।
-
8:10 - 8:12इतिहास में यह एक प्रभावशाली
तरीका रहा है। -
8:12 - 8:16मुझे एक ऐतिहासिक कहानी
सुनाने का मौका दीजिये। -
8:17 - 8:21अभी मैं अपने घर के समीप
दक्षिड़ी इंग्लैंड के जंगलों में हूँ। -
8:21 - 8:24ये लंदन से ज्यादा दूर नहीं है।
-
8:24 - 8:2780 साल पहले यह शहर
हमले के अंतर्गत आता था। -
8:27 - 8:291930 के अंत में,
-
8:29 - 8:33ब्रिटेन के लोग कुछ भी करने ओ तैयार थे
युरोप मे हिटलर से बचाव करने -
8:33 - 8:36इज वास्तविकता का सामना नही करना चाहते थे
-
8:37 - 8:39पहले विश्व-युद्ध कि यादें अभी ताज़ा थी,
-
8:39 - 8:42वे नाज़ी के गुस्से से डरे सहमे हुए थे,
-
8:42 - 8:45वे वास्तविकता से बचने के लिए
कुछ भी करने को तैयार नहीं थे। -
8:45 - 8:47अंत में उन्हे सामना करना पडा ।
-
8:48 - 8:52चर्चिल को कई चीज़ों के लिए याद किया
जाता है, उसमे सारी चीज़ें पॉजिटिव नहीं है, -
8:52 - 8:54लेकिन युद्ध के शुरुआती दिनों
में ही उन्होंने ब्रिटेन -
8:54 - 8:58के लोगों द्वारा सुनाई जाने वाली
कहानी ही बदल दी, -
8:58 - 9:01जो "वो क्या कर रहे थे?"
और "क्या आने वाला था?" पर निर्भर थी। -
9:01 - 9:05जहाँ पहले घबराहट और बेचैनी थी,
-
9:05 - 9:07वहाँ अब शांति,
-
9:07 - 9:09एक आइलैंड,
-
9:09 - 9:10एक अच्छा समय,
-
9:10 - 9:13एक बेहतर पीढ़ी,
-
9:13 - 9:16एक देश जो तटों, पहाड़ियों
-
9:16 - 9:17और गलियों में लड़ेगा
-
9:17 - 9:20और हार नहीं मानेगा।
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9:20 - 9:23घबराहट और बेचैनी से वास्तविकता से
-
9:23 - 9:26सामना करने तक का बदलाव जो कुछ भी था,
-
9:27 - 9:30उसका युद्ध को जीतने का
कोई ताल्लुक नहीं था। -
9:30 - 9:33वहाँ युद्ध जीतने जैसा कोई समाचार
नहीं था, -
9:33 - 9:36यहाँ तक कि कोई मित्र सेना के
सहयोग से जीतने की संभावना बढ़ गयी, -
9:36 - 9:38ऐसा भी कुछ नही था।
-
9:38 - 9:39यह केवल एक वरीयता थी।
-
9:39 - 9:43एक गहरा और अडिग आशावाद का उदय हुआ,
-
9:43 - 9:46इसने घिरते अंधकार को नहीं दबाया
-
9:47 - 9:49पर इससे भयभीत होना छोड़ दिया।
-
9:49 - 9:52ये अडिग आशावाद बेहद शक्तिशाली है।
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9:52 - 9:55इसमें हम अपनी जीत के बारे
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9:55 - 9:58अथवा एक अच्छे भविष्य के बारे में
नहीं सोचते हैं। -
9:58 - 10:01यह हमें उत्साहित कर
-
10:01 - 10:03हमें प्रेरणा देता है।
-
10:03 - 10:05हमे उस समय से पता है कि
-
10:05 - 10:07खतरे और चुनौतियों के बावजूद भी
-
10:07 - 10:10वह एक विचारपूर्ण समय था
-
10:10 - 10:12और विभिन्न स्रोतों के अनुसार
-
10:12 - 10:15सभी कामों को तबज़्ज़ो दी गयी थी
चाहे वह युद्ध में लड़ने वाले -
10:15 - 10:17के पाइलट हो या आलू के
-
10:17 - 10:19ठेले लगाने वाले विक्रेता हो।
-
10:19 - 10:23उन्होंने एक समान लक्ष्य और समान परिणाम
को पाने के लिए एकजुट होकर काम किया। -
10:23 - 10:26इस बात का इतिहास गवाह है।
-
10:26 - 10:30यह गहरे और निर्धारित आशावाद
का वक अनूठा जोड़ है -
10:30 - 10:33जब आशावादी सोच एक
निर्धारित क्रिया को जन्म देती है -
10:33 - 10:35तब आत्मनिर्भरता बिना रुकावट के आती है।
-
10:35 - 10:38बिना किसी काम की कोशिश किये
-
10:38 - 10:41यह आशावादी सोच केवल एक मनोदृष्टि है।
-
10:41 - 10:46पर ये दोनों साथ में कोई भी मुद्दे का
निराकरण करके विश्व को बदल सकते है। -
10:46 - 10:48हमने यह कई बार देखा है।
-
10:48 - 10:51हमने इसे देखा जब रोजा पार्क ने
बस से उठने से मना कर दिया। -
10:51 - 10:54हमने यह गाँधी के डंडी-मार्च में देखा था,
-
10:54 - 10:59जब स्फ़्रागेटिस ने कहा था
"साहस हर जगह साहस को पुकारता है। " -
10:59 - 11:02और जब कनैडी ने कहा था कि
दस साल के अंदर एक इंसान -
11:02 - 11:03को चाँद पर भेज देंगे।
इन सब चीज़ों ने -
11:03 - 11:06युवा पीढ़ियों को उत्साहित
किया उनको बुरी परिस्थितियों -
11:06 - 11:09का सामना करके एक समान लक्ष्य की
ओर बढ़ने को प्रेरित किया -
11:09 - 11:12हालाँकि लोगो को इसको प्राप्त
करने का तरीका नहीं पता था -
11:12 - 11:13इन सभी मामलों में,
-
11:13 - 11:18एक वास्तविक व कड़वी लेकिन
निर्धारित आशावादी सोच -
11:18 - 11:20सफलता का परिणाम नहीं थी
-
11:20 - 11:21बल्कि सफलता का कारण थी।
-
11:21 - 11:24ठीक उसी तरह जैसे पेरिस समझौते की
-
11:24 - 11:26राह में इस सोच ने परिवर्तन ला दिया।
-
11:26 - 11:31वो चुनौतीपूर्ण, जटिल,
निराशावादी बैठकें आसान हो गयी -
11:31 - 11:35जब कई लोगों को यह अहसास हुआ कि
-
11:35 - 11:38यह काम करने का सही पल है
और हमें कोई गलती नहीं करनी है, -
11:38 - 11:41और हमें हर संभव परिणाम तक पहुँचना है।
-
11:41 - 11:44ज्यादातर लोगों ने इस नजरिये से
अपने आप को परिवर्तित किया -
11:44 - 11:45और काम पर जुट गए
-
11:45 - 11:49और अंत में यह तरकीब काम आयी
-
11:49 - 11:50और गति कि लहर में हमने
-
11:50 - 11:53चुनौतीपूर्ण मुद्दों पर ऐसा काम
-
11:53 - 11:55किया जैसा हमने कभी ना सोचा था।
-
11:55 - 12:00आज कई सालों बाद, व्हाइट-हाउस
के असहयोग के साथ, -
12:00 - 12:03जो भी हमने गतिमान किया था
उसका अभी भी खुलासा नहीं हुआ है। -
12:03 - 12:07और हमारे पास आने वाले
महीनों और सालों में जलवायु संकट -
12:07 - 12:08से लड़ने के लिए
सब कुछ उपस्थित है। -
12:09 - 12:14इस समय हम लगभग सभी
की ज़िन्दगी के -
12:14 - 12:16सबसे जटिल वक़्त से गुजर रहे है।
-
12:16 - 12:18वैश्विक माहमारी भयावह है
-
12:18 - 12:22चाहे भले ही इसमें हमने किसी अपने
को न खोया हो -
12:22 - 12:26फिर भी इसने हमे यह अहसास करा दिया कि
-
12:26 - 12:27हम किसी बड़े बदलाव के लिए
-
12:28 - 12:30अभी भी शक्तिहीन है।
-
12:30 - 12:35हम उस हद तक पहुँच गए जहाँ आधी मानवता
ने असुरक्षित लोगों को बचाने -
12:35 - 12:36के लिए कड़े कदम उठाये।
-
12:37 - 12:39यदि हम यह करने में सक्षम है,
-
12:39 - 12:43तो शायद हमे इस बात का अंदाज़ा नहीं कि
हम सब एक समान चुनौती से -
12:43 - 12:45बचने के लिए किस हद तक जा सकते है।
-
12:46 - 12:50अब हमें इस "शक्तिहीन" की
कहानियों से आगे बढ़ाना होगा -
12:50 - 12:52क्योंकि आने वाला जलवायु संकट
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12:52 - 12:56इस महामारी से कई गुना ज्यादा घातक साबित
हो सकता है यदि हम अभी भी सतर्क न हुए। -
12:56 - 13:00हम इस संकट जो हमारी
तरफ तेजी से आ रहा है, -
13:00 - 13:03इसको अभी भी टाल सकते है।
-
13:03 - 13:07हम अब इस "शक्तिहीन" अहसास को
अब और नहीं महसूस कर सकते है। -
13:08 - 13:10सच्चाई तो यह है कि आने वाली पीढ़ी
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13:10 - 13:12इस समय को मुड़कर विस्मयपूर्वक देखेगी
-
13:12 - 13:16जहाँ हमारे सामे दो रास्ते है-
पहला सुधरे हुए भविष्य का, -
13:16 - 13:18
दूसरा जहाँ सब कुछ नष्ट हो गया। -
13:18 - 13:22और सचाई यह भी है कि इस बदलाव
में बहुत कुछ अच्छे से निपट रहा है। -
13:22 - 13:24शुद्ध ऊर्जा की कीमत कम हो रही है।
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13:24 - 13:27भूमि का पुनर्जन्म किया जा रहा है।
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13:27 - 13:29लोग गलियों में निकल कर
उत्साह व दृढ़ता से बदलाव -
13:29 - 13:31के लिएउस तरह गुहार लगा रहे है
-
13:31 - 13:33जैसा हमने पीढ़ियों से नहीं देखा।
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13:33 - 13:36वास्तविक सफलता और असफलता
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13:36 - 13:39दोनों ही संभव है
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13:39 - 13:42इसीलिए ये हमारे जीवन का विशेष समय है।
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13:42 - 13:46हम इसी क्षण यह निर्णय ले सकते है कि
-
13:46 - 13:50हम इस चुनौती को साहसिक, वास्तविक
और दृढ आशावाद के साथ स्वीकार करेंगे -
13:50 - 13:54और हम हर संभव प्रयास के साथ
इस महामारी से एक बेहतर भविष्य -
13:54 - 13:58की ओर बढ़ने के लिए नए रास्ते
खोज निकालेंगे। -
13:58 - 14:01हम यह निश्चय करें कि हम मानवता
के लिए आशा के प्रकाश बनेंगे फिर चाहे -
14:02 - 14:04आने वाले दिन कितने ही
अंधकार से भरे हुए हों। -
14:04 - 14:06हम यह भी निश्चय करेंगे कि
हम अपनी जिम्मेदारी स्वयं -
14:06 - 14:09लेंगे और 10 साल के अंदर उत्सर्जन
-
14:09 - 14:10कम से कम 50 % घटा देंगे।
-
14:10 - 14:15और हम सरकार और निगम की
नीतियों में स्वयं को संलघ्न करके -
14:15 - 14:18ये निर्धारित करने में मदद करेंगे कि
इस आपदा से निबट कर एक बेहतर कल -
14:18 - 14:20बनाने के लिए जरूरी कदम
उठाये जा रहे है कि नहीं। -
14:21 - 14:24अभी ये सारी चीज़ें करना संभव है।
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14:25 - 14:28मैं उस बात पर लौटता हूँ
जहाँ एक उबाऊ बैठक में मुझे -
14:28 - 14:31
कृष्टीना ने मुझे एक पत्र दिया था -
14:32 - 14:34जिसे देखने के बाद मुझे मेरे जीवन के
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14:34 - 14:37सबसे महत्वपूर्ण अनुभव याद आये थे।
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14:38 - 14:41सब चीज़ों में एक चीज़ जो
मैंने सन्यासी जीवन से सीखी -
14:41 - 14:47वह यह है कि उज्ज्वल मष्तिष्क और
हर्षित ह्रदय जीवन का मूल और लक्ष्य है। -
14:48 - 14:52यह दृढ आशावाद, प्यार का ही एक रूप है।
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14:53 - 14:55यह दोनों ही है - एक ऐसा संसार जो
हम बनाना चाहते है -
14:55 - 14:58और तरीके जिनसे हम उसे बनाते है।
-
14:58 - 15:00यह हम सब के लिए एक विकल्प है
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15:00 - 15:04इस मुश्किल घड़ी का सामना
यदि हम एक आशावादी सोच -
15:04 - 15:07के साथ करें तो यह हमारी ज़िन्दगी
को सार्थक और लक्ष्य से भर सकती है। -
15:07 - 15:11इस तरह से हम इतिहास
का चक्र पर हाथ रख कर -
15:11 - 15:13उसे मनचाहे भविष्य कि तरफ मोड़ सकते है।
-
15:14 - 15:18यह हकीकत है कि जीवन
अब नियंत्रण से परे महसूस होता है, -
15:18 - 15:21यह डरावना और भयावह प्रतीत होता है।
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15:22 - 15:25लेकिन हमे आने वाली इन
मुश्किल परिस्थितियों -
15:25 - 15:27में लड़खड़ाना नहीं है।
-
15:28 - 15:31हमें इनका एक दृढ आशावाद
के साथ सामना करना है। -
15:32 - 15:35हाँ, इस समय में वैशविल स्तर पर
-
15:35 - 15:36बदलाव देखना दुखःद है
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15:37 - 15:38लेकिन हमे प्यार से आगे बढ़ना है।
-
15:39 - 15:40धन्यवाद।
- Title:
- अपनी मानसिकता को बदलकर अपना भविष्य चुने
- Speaker:
- टॉम रिवेट-करनैक
- Description:
-
जिंदगी की कठिन परिस्थितियों में हम प्रायः ऐसे रास्ते पर खड़े होते हैं जहाँ या तो हम यह यकीन कर लेते हैं कि हम एक बड़े बदलाव के सामने शक्तिहीन हैं या फिर हम चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो जाते है। एक तत्काल कार्यवाही हेतु, राजनितिक रणनीतिकार टॉम रिवेट- करनैक जलवायु बदलाव या हमारे रास्ते में आयी किसी भी बाधा से सामना करने के लिए एक 'दृढ आशावाद' को अपनाकर एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए प्रेरित करते है। उनका कहना है "दृढ आशावाद हमारे जीवन को सार्थक बनाकर इसे उद्देश्य प्रदान करता है।"
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 15:54
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