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शतरंज का संक्षिप्त इतिहास - एलेक्स जेन्डलर

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    आक्रमण करती पैदल सेना तेज़ी से आगे बढ़ती है,
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    उनके हाथी पहले ही
    रक्षात्मक रेखा को तोड़ चुके हैं।
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    राजा पीछे हटने की कोशिश करता है
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    परन्तु शत्रु की घुड़सवार सेना
    उसको पीछे से घेर लेती है।
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    सुरक्षित बच निकलना असम्भव है।
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    परन्तु यह कोई वास्तविक युद्ध नहीं है --
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    न ही यह बस एक खेल है।
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    अपने लगभग डेढ़ सदी के अस्तित्व में,
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    शतरंज को युद्ध-कौशल का एक उपकरण,
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    मानवीय प्रसंगों के लिए एक रूपक,
    और प्रतिभा का एक तल चिह्न माना जाता है।
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    शतरंज का सबसे पहला अभिलेख
    है तो सातवीं सदी का
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    परन्तु किंवदंतियों की मानें तो
    इस खेल की शुरुआत
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    उससे भी एक सदी पूर्व हुई थी।
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    माना जाता है कि जब गुप्त साम्राज्य का
    सबसे छोटा राजकुमार युद्ध में मारा गया
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    तो उसके भाई ने अपनी दुःखी माँ को
    उस दृश्य का वर्णन करने के लिए
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    एक तरीके का आविष्कार किया।
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    8 गुणा 8 के एक ऐसे
    अष्टापद तख्ते पर व्यवस्थित
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    जिसे कुछ अन्य लोकप्रिय क्रीड़ाओं के लिए
    प्रयोग किया जाता था
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    दो प्रमुख विशेषताओं वाला एक नया खेल उभरा:
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    भिन्न प्रकार के मोहरों को चलाने के लिए
    भिन्न प्रकार के नियम,
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    और एक अकेला राजा का मोहरा,
    जिसका भाग्य, परिणाम निर्धारित करता था।
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    इस खेल को आरम्भ में चतुरङ्ग कहा जाता था --
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    "चार भागों" के लिए प्रयोग किया जाने वाला
    संस्कृत का शब्द।
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    परन्तु सासानी फारस में प्रचारित होने से
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    इसको अपना वर्तमान नाम और शब्दावली मिली-
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    "शतरंज", जो उत्पन्न हुआ
    "शाह" अर्थात् राजा,
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    और "शह मात" से शह और मात,
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    या "असहाय राजा" से।
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    फारस की सातवीं सदी की इस्लामी विजय के बाद
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    अरबी दुनिया का शतरंज से परिचय हुआ।
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    सामरिक अनुकरण की अपनी भूमिका से ऊपर उठ
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    यह अंततः काव्य कल्पना का
    एक समृद्ध स्रोत बन गया।
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    राजनयिक और दरबारी
    शतरंज के शब्दों का प्रयोग
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    राजनीतिक शक्ति का
    वर्णन करने के लिए करने लगे।
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    सत्तारूढ़ ख़लीफ़ा स्वयं उत्सुक खिलाड़ी बन गए।
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    और इतिहासकार अल-मसूदी तो
    इस खेल को संयोग के खेलों की तुलना में
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    मनुष्य की स्वतन्त्र इच्छा का
    इच्छापत्र मानते थे।
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    रेशम मार्ग के साथ-साथ चलता
    मध्यकालीन व्यापार
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    इस खेल को पूर्व
    और दक्षिण - पूर्व एशिया ले गया
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    जहाँ इसके बहुत से
    स्थानीय संस्करण विकसित हुए।
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    चीन में, शतरंज के मोहरों को
    तख्ते के वर्गों के अन्दर रखने की अपेक्षा
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    उनके प्रतिच्छेदन पर रखते थे,
    उनके देश के रणनीति के खेल, गो, की तरह।
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    मंगोल के नेता टैमरलेन के राज्यकाल में
    11 गुणा 10 के तख़्ते की उत्पत्ति हुई
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    जिस में नगरकोट नाम के
    सुरक्षित वर्ग होते थे।
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    और जापानी शोगी खेल में
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    विपक्षी खिलाड़ी
    बन्दी बनाए मोहरों का प्रयोग कर सकता था।
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    परन्तु शतरंज ने अपना आधुनिक रूप
    यूरोप में लेना शुरू किया।
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    1000 ईसवी तक, यह खेल
    दरबारी शिक्षा का हिस्सा बन चुका था।
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    विभिन्न सामाजिक वर्ग
    कैसे अपनी सही भूमिका निभाते हैं
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    शतरंज को उसका प्रतीक माना जाने लगा
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    और उनके मोहरों की अपने नए प्रसंग के अनुसार
    पुनः व्याख्या हुई।
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    उधर गिरिजाघर खेलों को
    सन्दिग्ध दृष्टि से देखते रहे।
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    नैतिकतावादी उनमें ज़्यादा समय बिताने के
    विरुद्ध सावधान करते रहे,
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    यहाँ तक कि फ्रांस में तो
    शतरंज पर कुछ समय के लिए
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    प्रतिबंध भी लगा दिया गया।
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    फ़िर भी यह खेल फलता-फूलता रहा,
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    और 15वीं सदी में
    यह उस रूप में सुसंगत होने लगा
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    जिसमें हम आज इसे जानते हैं।
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    जो अपेक्षाकृत दुर्बल
    सलाहकार का मोहरा था
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    उसको अधिक प्रबल
    रानी में बदल दिया गया--
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    जो सम्भवतः उस समय हुई
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    शक्तिशाली नेत्रियों की
    वृद्धि से प्रेरित था।
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    इस बदलाव ने इस खेल के वेग को बढ़ा दिया
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    और जैसे-जैसे कुछ और नियम प्रसिद्ध हुए
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    समान प्रारम्भों और अन्तों का विश्लेषण करते
    आलेख उजागर हुए।
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    शतरंज के सिद्धान्त का जन्म हुआ।
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    ज्ञानोदय युग के साथ
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    यह खेल शाही दरबारों से निकल
    कॉफ़ी गृहों में जा पहुँचा।
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    शतरंज अब रचनात्मकता की
    अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाने लगा
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    जिससे साहसिक चालों
    और नाटकीय खेलों को प्रोत्साहन मिला।
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    यह "स्वच्छन्दतावाद" शैली
    1851 के अमर खेल में अपनी ऊँचाई पर पहुँचा
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    जिसमें एडॉल्फ एण्डरसन ने अपनी रानी
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    और दोनों हाथियों का
    बलिदान देने के बाद भी
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    शह मात दे दी।
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    परन्तु 19वीं सदी के अन्त की ओर
    औपचारिक प्रतिस्पर्धात्मक खेल के
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    उद्भव का अर्थ था
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    कि अंततः रणनीतिक गणना,
    नाटकीयता पर भारी पड़ेगी।
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    और अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा की
    वृद्धि से
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    शतरंज ने एक नया
    भू-राजनीतिक महत्व हासिल किया।
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    शीतयुद्ध के दौरान
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    सोवियत संघ ने शतरंज का कौशल
    विकसित करने के लिए
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    महान संसाधनों को समर्पित किया
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    और बाकी सदी की सारी प्रतिस्पर्धाओं पर
    अपना प्रभुत्व स्थापित किया।
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    परन्तु जिस खिलाड़ी ने सही अर्थ में
    रूस के प्रभुत्व को उलटा
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    वह किसी अन्य देश का वासी नहीं
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    बल्कि डीप ब्लू नामक एक IBM कम्प्यूटर था।
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    शतरंज खेलने वाले कम्प्यूटर
    दशकों से विकसित किये जा रहे थे
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    परन्तु 1997 में डीप ब्लू की
    गैरी कैसपरोव पर विजय
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    वह पहली बार था जब किसी यंत्र ने
    एक स्थायी विजेता को परास्त किया था।
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    आज शतरंज का सॉफ्टवेयर
    सर्वोत्तम मनुष्य खिलाड़ियों को
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    लगातार परास्त करने में समर्थ है।
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    परन्तु बिलकुल उस खेल की तरह
    जिसमें उन्होंने महारत हासिल की है
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    यह यंत्र मनुष्य की प्रतिभा की उपज हैं।
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    और सम्भवतः यही प्रतिभा
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    हमें इस आभासी शह मात से
    बाहर निकलने में मार्गदर्शक बनेगी।
Title:
शतरंज का संक्षिप्त इतिहास - एलेक्स जेन्डलर
Speaker:
एलेक्स जेन्डलर
Description:

पूरा पाठ पढ़ें : https://ed.ted.com/lessons/a-brief-history-of-chess-alex-gendler

आक्रमण करती पैदल सेना तेज़ी से आगे बढ़ती है, उनके हाथी पहले ही रक्षात्मक रेखा को तोड़ चुके हैं। राजा पीछे हटने की कोशिश करता है, परन्तु शत्रु की घुड़सवार सेना उसको पीछे से घेर लेती है। सुरक्षित बच निकलना असम्भव है। परन्तु यह कोई वास्तविक युद्ध नहीं है - न ही यह बस एक खेल है। अपने लगभग 1,500 वर्षों के अस्तित्व में, शतरंज को युद्ध-कौशल का एक उपकरण, मानवीय प्रसंगों के लिए एक रूपक, और प्रतिभा का एक तल चिह्न माना जाता है। एलेक्स जेन्डलर उसका इतिहास बताते हैं।

पाठ एलेक्स जेन्डलर द्वारा, रेमस और कीकी द्वारा निर्देशित।

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TED-Ed
Duration:
05:20
Arvind Patil approved Hindi subtitles for A brief history of chess
Arvind Patil accepted Hindi subtitles for A brief history of chess
Adisha Aggarwal edited Hindi subtitles for A brief history of chess
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