पैट्रिक ओटेमा 15 साल का है । वह जन्म से बधिर है पर उत्तरी यूगांडा के, इस दूरस्थ क्षेत्र में बधिर बच्चों के लिए कोई पाठशाला नहीं है । अपने पूरे जीवन मैं, पैट्रिक ने कभी किसीसे बातचीत नहीं की है । नमस्ते, आप अच्छे हैं ? उसके पिता, चार्ल्स,उसकी देख भाल करते हैं । वे बहुत बुनियादी इशारों के माध्यम से संवाद करते हैं । हम पैट्रिक के सामने बैठे उसके बारे में बात कर रहे हैं , वह हमें देख रहा है, परंतु समझ नहीं रहा कि हम क्या कह रहे हैं । यह कठोर है, पर पैट्रिक का जीवन इसी तरह है । मैं यहाँ ऐसे व्यक्ति के साथ हूँ जो ये सब बदलना चाहता है । रेमंड ओकेलो स्वयं बहरे हैं और सांकेतिक भाषा के शिक्षक हैं । क्या आपको लगता है कि वह सांकेतिक भाषा सीख सकता है ? यही पैट्रिक का जीवन है । उसके पिता इशारे से बताते हैं कि उसे क्या करना है , और काम कर लेने के बाद वह बाकी दिन अकेले बिताने के लिएअपनी झोंपड़ी में चला जाता है। पैट्रिक का भाग्य असामान्य नहीं है। अफ्रीका के सहारा में अधिकांश बधिरों को कभी सांकेतिक भाषा नहीं सिखाई गई है । दूसरों के साथ संवाद करने में असमर्थ, वे अपने दिमाग में फंसे हुए हैं। बचपन में मलेरिया होने के कारण, रेमंड बधिर हो गए । छ्ह माह पूर्व, सांकेतिक भाषा में गहन प्रशिक्षण के लिए वे राजधानी आए । अब वे कुछ अभूतपूर्व करने के लिए अपने गाँव वापस चले गए हैं । वे यहाँ सांकेतिक भाषा का स्थापित पहला पाठ्यक्रम पढ़ाएंगे । रेमंड, क्या आप बेचैन हैं । दो बज गए हैं, पहले बधिर छात्र आने लगे हैं... ...और कक्षा आरंभ हुई । पाठ्यक्रम शुरू हो चुका है, पर पैट्रिक अभी तक नहीं आया है। मैं चिंतित हूँ कि कहीं उसके पिता उसे घर छोड़ने के लिए मना नहीं पाये। कुछ पल बाद, पैट्रिक आ गया। पैट्रिक में अद्भुत परिवर्तन है। विश्वास करना लगभग असंभव है कि कल हम से मिलने वाला यही लड़का है। नए बधिर छात्र आते रहते हैं। कई मीलों चलकर यहाँ पहुँचे हैं। एक नौ साल का लड़का है और एक 80 साल की औरत। कक्षा के अंत से पहले, प्रत्येक नया छात्र सामने जाता है। उनके नए नाम के लिए कक्षा में मतदान होता है। यह पैट्रिक का नया संकेत नाम है, और वह इसे पूरे जीवन इस्तेमाल करेगा। एक नई दुनिया में उसका बपतिस्मा हुआ है।