सभी भाषाओं में समान क्या होता है? - कैमरून मोरिन
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0:07 - 0:09भाषा अन्तहीन रूप में परिवर्तनीय है।
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0:09 - 0:11हर कोई अपनी मातृभाषा में
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0:11 - 0:14अनन्त वाक्य बना सकता है
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0:14 - 0:17और वह भी बहुत ही छोटी उम्र से--
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0:17 - 0:20लगभग जैसे ही
वह वाक्यों में संवाद करने लगे। -
0:20 - 0:22यह कैसे सम्भव है?
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0:22 - 0:261950 के दशक के आरम्भ में नोअम चॉम्स्की ने
एक सिद्धान्त का प्रस्ताव रखा -
0:26 - 0:29जो इस पर्यवेक्षण पर आधारित था
कि इस बहुविज्ञता का कारण -
0:29 - 0:31व्याकरण प्रतीत होती है:
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0:31 - 0:35एक अनजाने वाक्य की
जानी पहचानी व्याकरण संरचना -
0:35 - 0:37हमें उसका अर्थ समझा देती है।
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0:37 - 0:40उन्होंने प्रस्तावित किया
कि व्याकरण के नियम -
0:40 - 0:45सब भाषाओं के लिए लागू होते हैं
और यह नियम अन्तर्जात होते हैं -- -
0:45 - 0:50मनुष्य का मस्तिष्क इन नियमों के अनुसार
भाषा को संसाधित करने के लिए यंत्रस्थ है। -
0:50 - 0:53उन्होंने इस आन्तरिक शक्ति को
सार्वभौमिक व्याकरण का नाम दिया -
0:53 - 0:56और इससे ऐसे अनुसन्धानों की शुरुआत हुई
जिनसे भाषा विज्ञान -
0:56 - 1:00और संज्ञानात्मक विज्ञान के
उभरते हुए क्षेत्र -
1:00 - 1:02दोनों को आगे आने वाले
कई दशकों के लिए आकार मिला। -
1:02 - 1:05चॉम्स्की और बाकी शोधकर्ताओं ने
सार्वभौमिक व्याकरण के -
1:05 - 1:08दो मुख्य अंगों की जाँच आरम्भ की:
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1:08 - 1:11पहला, कि क्या वास्तव में
व्याकरण के ऐसे नियम होते हैं -
1:11 - 1:13जो सभी भाषाओँ में समान हैं,
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1:13 - 1:18और दूसरा, कि क्या यह नियम
हमारे मस्तिष्क में अन्तर्जात हैं। -
1:18 - 1:21व्याकरण के सार्वभौमिक नियमों को
स्थापित करने के प्रयास में -
1:21 - 1:24चॉम्स्की ने एक विश्लेषणात्मक उपकरण
विकसित किया -
1:24 - 1:26जिसे उत्पादक वाक्य-रचना कहते हैं
-
1:26 - 1:29जो किसी वाक्य में शब्दों के क्रम का वर्णन
-
1:29 - 1:32उन श्रेणीबद्ध वाक्य-रचना पेड़ों में
करता है -
1:32 - 1:34जो यह दिखाते हैं
कि कैसी संरचनाएँ सम्भव हैं। -
1:34 - 1:38इस पेड़ के आधार पर
हम व्याकरण का यह नियम बता सकते थे -
1:38 - 1:41कि क्रिया वाक्यांश में
क्रिया विशेषण होते हैं। -
1:41 - 1:44परन्तु ज़्यादा आधार-सामग्री से
यह शीघ्र ही स्पष्ट हो जाता है -
1:44 - 1:47कि क्रिया विशेषण, क्रिया वाक्यांशों के
बिना भी प्रयोग हो सकते हैं। -
1:47 - 1:51यह सहज उदाहरण
एक बड़ी समस्या को दर्शाता है: -
1:51 - 1:55एक भाषा की व्याकरण के
नियम स्थापित करने के लिए -
1:55 - 1:57उस भाषा से बहुत सारी
आधार-सामग्री की आवश्यकता होती है -
1:57 - 2:00इससे पहले कि हम यह निर्धारित करने की
शुरुआत तक कर सकें -
2:00 - 2:03कि वह कौन से नियम हैं
जो सब भाषाओं में समान हो सकते हैं। -
2:03 - 2:05जब चॉम्स्की ने एक
सार्वभौमिक व्याकरण का प्रस्ताव रखा -
2:05 - 2:08तब अधिकतर भाषाओं के
अभिलिखित नमूनों की संख्या -
2:08 - 2:10उत्पादक वाक्य-रचना का प्रयोग कर
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2:10 - 2:12उनका विश्लेषण करने के लिए
ज़रूरी संख्या से बहुत कम थी। -
2:12 - 2:14बहुत सारी आधार-सामग्री होने पर भी
-
2:14 - 2:18किसी भाषा की संरचना का
मानचित्र बनाना अत्यधिक जटिल है। -
2:18 - 2:2050 वर्षों के विश्लेषण के बाद
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2:20 - 2:23हम आज तक भी अंग्रेज़ी को
पूरी तरह समझ नहीं पाए हैं। -
2:23 - 2:27जैसे-जैसे ज़्यादा भाषाविद आधार-सामग्री को
एकत्रित कर उसका विश्लेषण किया गया -
2:27 - 2:31यह साफ़ हो गया कि दुनिया भर की
भाषाएँ बहुत भिन्न हैं, -
2:31 - 2:35जिसने इस सिद्धान्त को चुनौती दी
कि व्याकरण के नियम सार्वभौमिक होते हैं। -
2:35 - 2:391980 के दशक में, चॉम्स्की ने
इस भिन्नता को समायोजित करने के प्रयास में -
2:39 - 2:41इस सिद्धान्त में संशोधन किया।
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2:41 - 2:46सिद्धान्तों और मापदण्डों की
उनकी नई परिकल्पना के अनुसार -
2:46 - 2:49सभी भाषाओं में
कुछ व्याकरण के सिद्धान्त समान थे -
2:49 - 2:51परन्तु वह अपने मापदण्डों में
-
2:51 - 2:54या इन सिद्धान्तों के प्रयोग में
भिन्न हो सकते थे। -
2:54 - 2:58उदाहरण के लिए, एक सिद्धान्त है
"हर वाक्य का एक कर्ता होना चाहिए," -
2:58 - 3:02पर उस कर्ता को स्पष्ट रूप से
बताए जाने का मापदण्ड -
3:02 - 3:04अलग-अलग भाषाओं में भिन्न हो सकता था।
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3:04 - 3:06सिद्धान्तों और मापदण्डों की परिकल्पना ने
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3:06 - 3:08फिर भी इस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया
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3:08 - 3:11कि कौनसे व्याकरण के नियम
सार्वभौमिक होते हैं। -
3:11 - 3:132000वीं सदी की शुरुआत में
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3:13 - 3:16चॉम्स्की ने सुझाव दिया
कि केवल एक ही सिद्धान्त समान है -
3:16 - 3:18जिसे प्रत्यावर्तन कहते हैं
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3:18 - 3:22जिसका अर्थ है कि संरचनाएँ
एक दूसरे के अन्दर समाई हो सकती हैं। -
3:22 - 3:23इस वाक्य को देखिए,
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3:23 - 3:27जो एक वाक्य को दूसरे,
और दूसरे वाक्य को तीसरे में समाए हुए है। -
3:27 - 3:31या यह वाक्य,
जो एक संज्ञा वाक्यांश को दूसरे, -
3:31 - 3:32और दूसरे को तीसरे में समाए हुए है।
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3:32 - 3:35प्रत्यावर्तन एक
सार्वभौमिक व्याकरण नियम के लिए -
3:35 - 3:36अच्छा उम्मीदवार था
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3:36 - 3:38क्योंकि यह बहुत से रूप धारण कर सकता है।
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3:38 - 3:42परन्तु, 2005 में भाषविदों ने
एक अमेजन की पिराहा नामक भाषा पर -
3:42 - 3:45निष्कर्ष प्रकाशित किए
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3:45 - 3:49जिसमें कोई प्रत्यावर्तन संरचनाएँ
नहीं दीखती थीं। -
3:49 - 3:52तो चॉम्स्की के सिद्धान्त के
दूसरे भाग का क्या -
3:52 - 3:55जो कहता था कि हमारी भाषा शक्ति
अन्तर्जात है? -
3:55 - 3:58जब उन्होंने पहली बार
सार्वभौमिक व्याकरण का सुझाव दिया था -
3:58 - 4:02तब भाषा अधिग्रहण का आनुवांशिक रूप से
एक निर्धारित पहलू होने के विचार का -
4:02 - 4:05एक गहरा, क्रान्तिकारी प्रभाव हुआ था।
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4:05 - 4:10इसने उस प्रमुख प्रतिमान को चुनौती दी,
जिसे व्यवहारवाद कहते हैं। -
4:10 - 4:15व्यवहारवादियों का तर्क था कि सभी जानवरों
और मनुष्यों के व्यवहार, और उनकी भाषा भी, -
4:15 - 4:18उनका मस्तिष्क, जिसकी शुरुआत
एक खाली तख़्ति के रूप में होती है, -
4:18 - 4:21बाहर से अधिग्रहण करता है।
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4:21 - 4:25आज, वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं
कि व्यवहारवाद ग़लत था -
4:25 - 4:26और मानते हैं कि भाषा सीखने का
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4:26 - 4:28एक अंतर्निहित,
आनुवंशिक रूप से सांकेतिक बना -
4:28 - 4:30जैविक तन्त्र होता है।
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4:30 - 4:33बहुत से लोग मानते हैं कि जो जीवविज्ञान
भाषा के लिए उत्तरदायी है -
4:33 - 4:37वही अनुभूति के पहलूओं के लिए भी।
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4:37 - 4:40तो वह चॉम्स्की के विचारों से
सहमत नहीं हैं -
4:40 - 4:45कि मस्तिष्क में एक विशिष्ट, पृथक,
सहज भाषा शक्ति होती है। -
4:45 - 4:49सार्वभौमिक व्याकरण के सिद्धान्त के कारण
ऐसी कई भाषाओं का प्रलेखन और अध्ययन हुआ -
4:49 - 4:52जिन पर पहले कभी शोध नहीं हुआ था।
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4:52 - 4:54इसके कारण एक पुराने विचार का
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4:54 - 4:57पुनर्मूल्यांकन कर
उसे अंततः उखाड़ फेंका गया -
4:57 - 5:02जिससे हम मनुष्य के मस्तिष्क के बारे में
अपनी समझ को बढ़ाने के योग्य बन पाए।
- Title:
- सभी भाषाओं में समान क्या होता है? - कैमरून मोरिन
- Speaker:
- कैमरून मोरिन
- Description:
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पूरा पाठ देखिए: https://ed.ted.com/lessons/what-do-all-languages-have-in-common-cameron-morin
भाषा अंतहीन रूप में परिवर्तनीय है। हर कोई अपनी मातृभाषा में अनन्त वाक्य बना सकता है, और वह भी बहुत ही छोटी उम्र से-- लगभग जैसे ही वह वाक्यों में संवाद करने लगे। यह कैसे सम्भव है? 1950 के दशक के आरम्भ में नोअम चॉम्स्की ने एक सिद्धान्त का प्रस्ताव रखा जिसके अनुसार इस बहुविज्ञता का कारण व्याकरण थी। कैमरून मोरिन, चॉम्स्की के सार्वभौमिक व्याकरण के सिद्धान्त को विस्तृत करते हैं।
पाठ कैमरून मोरिन द्वारा, इओइन डफ़ी द्वारा निर्देशित।
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TED-Ed
- Duration:
- 05:02
Abhinav Garule approved Hindi subtitles for What do all languages have in common? | ||
Abhinav Garule accepted Hindi subtitles for What do all languages have in common? | ||
Adisha Aggarwal edited Hindi subtitles for What do all languages have in common? | ||
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