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पूंजीवाद का गंदा रहस्य - और आगे एक नयी राह

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    मैं एक पूंजीवादी हूं,
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    और पूंजीवाद में 30 वर्ष के कैरियर के बाद
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    तीन दर्जन कंपनियों में समय बिताने,
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    बाजार मूल्य में दसियों अरबों डॉलर
    का उत्पादन करने के बाद,
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    मैं सिर्फ शीर्ष 1 % में नहीं हूं ,मैं सभी
    शीर्ष अर्जकों में .01 % से ऊपर हूं।
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    आज मैं हमारी सफलता के रहस्यों को
    साझा करने के लिए आया हूं,
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    क्योंकि मेरे जैसे अमीर पूँजीपति
    कभी अमीर नहीं हुए हैं।
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    तो सवाल यह है कि हम इसे कैसे करें?
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    हम लेने का प्रबंधन
    कैसे करते हैं
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    हर साल आर्थिक कुल आय की
    बढ़ती हुई हिस्सेदारी ?
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    क्या यह है कि 30 वर्ष पहले की तुलना में
    अमीर लोग होशियार हो गए हैं ?
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    क्या यह है कि हम पहले से अधिक
    मेहनत कर रहे हैं ?
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    क्या हम लम्बे, बेहतर दिख रहे हैं ?
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    दुख की बात है, नहीं।
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    यह सब सिर्फ एक चीज पर आता है:
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    अर्थशास्त्र।
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    क्योंकि, यहाँ गंदा रहस्य है।
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    एक समय था
    जब अर्थशास्त्र व्यवसाय
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    जनहित में काम करता था,
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    लेकिन नवउदारवादी युग में,
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    आज-कल,
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    वे केवल बड़े संगठनों और अरबपतियों
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    के लिए काम करते हैं
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    और यह थोड़ी समस्या पैदा कर रहा है।
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    हम उन आर्थिक नीतियों को लागू करने
    का विकल्प चुन सकते हैं
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    जो अमीरों पर कर बढ़ाए,
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    शक्तिशाली संगठनों को विनियमित करें
    या श्रमिकों की मजदूरी बढ़ाएँ।
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    हमने पहले भी किया है।
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    लेकिन नवउदारवादी अर्थशास्त्री
    चेतावनी देंगे
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    यह सभी नीतियां एक
    भयानक गलती हो सकती है,
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    करों में वृद्धि हमेशा
    आर्थिक विकास को रोक देती है,
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    और किसी भी प्रकार का
    सरकारी विनियमन
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    अप्रभावी होता है
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    और वेतन वृद्धि सदा
    नौकरियां खत्म करती हैं।

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    खैर, इस सोच के परिणामस्वरूप,
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    पिछले 30 वर्षों में, अकेले यूएसए में,
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    शीर्ष के एक प्रतिशत में 21 ट्रिलियन
    डॉलर अमीरी बढ़ी है
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    जबकि नीचे के 50 प्रतिशत
    900 अरब डॉलर गरीब हो गए हैं,
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    असमानता के बढ़ने के स्वरूप ने पूरे
    विश्व में काफी हद तक
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    खुद को दोहराया है।
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    फिर भी,मध्यम वर्ग के परिवार उस मजदूरी
    पर गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं
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    जो की लगभग 40 वर्षों में
    हिली भी नहीं है,
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    नवउदारवादी अर्थशास्त्री निरंतर चेतावनी दे
    रहे हैं कि कष्टदायक रूप से अव्यवस्थित हुई
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    मितव्ययिता और वैश्वीकरण के लिए
    उचित प्रतिक्रिया
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    और भी अधिक मितव्ययिता और वैश्वीकरण है।
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    तो, एक समाज को क्या करना है ?
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    खैर, यह मेरे लिए बहुत स्पष्ट है
    कि हमें क्या करना है।
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    हमें एक नए अर्थशास्त्र की
    आवश्यकता है।
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    इसलिए,अर्थशास्त्र का वर्णन निराशाजनक
    विज्ञान के रूप में किया गया है,
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    और अच्छे कारण के लिए,
    क्योंकि आज जितना पढ़ाया जाता है,
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    वह एक विज्ञान बिल्कुल नहीं है,
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    इस सब श्रेष्ठ गणित के बावजूद।
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    वास्तव में, अधिकतर शिक्षाविदों
    और व्यवसायियों ने
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    निष्कर्ष निकाला है कि नवउदार
    आर्थिक सिद्धांत गंभीर रूप से गलत है
  • 3:01 - 3:04
    और आज असमानता में वृद्धि
    का बढ़ता संकट
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    और बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता
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    दशकों के खराब आर्थिक सिद्धांत
    का प्रत्यक्ष परिणाम हैं।
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    अब हम जानते हैं कि वह अर्थशास्त्र
    जिसने मुझे इतना अमीर बना दिया,
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    सिर्फ गलत नहीं हो सकता,
    वह पिछड़ा हुआ है,
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    क्योंकि यह पता चला है
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    वह पूंजी नहीं है
    जिससे आर्थिक विकास होता है,
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    वह लोग हैं ;
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    और यह स्वार्थ नहीं है
    जो जनहित को बढ़ावा देता है,
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    यह पारस्परिकता है;
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    और वह प्रतिस्पर्धा नहीं है
    जो हमारी समृद्धि को बढ़ाती है,
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    वह सहयोग है।
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    अब हम जो देख सकते हैं, वह ऐसा अर्थशास्त्र
    है जो न तो तटस्थ है और न ही समावेशी
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    यह सामाजिक सहयोग के उच्च स्तर को
    बनाए नहीं रख सकता जो
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    आधुनिक समाज को आगे बढ़ने में
    सक्षम करने के लिए जरूरी है।
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    तो हम कहां चूक गए ?
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    खैर, यह पता चला है व् स्पष्ट
    रूप से प्रकट हो गया है कि
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    मौलिक धारणाएं जो नवउदारवादी
    आर्थिक सिद्धांत से गुजरती हैं,
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    वे केवल निष्पक्ष रूप से गलत हैं,
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    और इसलिए आज मैं सबसे पहले उन गलत
    मान्यताओं में से कुछ लेना चाहता हूं
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    और फिर वर्णन करता हूं कि विज्ञान के
    अनुसार,वास्तव में समृद्धि कहाँ से आती है।
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    तो, नवउदारवादी आर्थिक
    धारणा नंबर एक है
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    कि बाजार एक कुशल संतुलन प्रणाली है,
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    जिसका वास्तव में अर्थ है कि अगर
    अर्थव्यवस्था में एक चीज़ जैसे , मजदूरी
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    ऊपर जाती है, तो अर्थव्यवस्था में दूसरी
    चीज, जैसे नौकरियां, नीचे जानी चाहिए।
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    उदाहरण के लिए, सिएटल में,
    जहां मैं रहता हूं,
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    जब 2014 में हमने अपने देश का पहला
    न्यूनतम वेतन 15 डॉलर पारित किया,
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    तो नवउदारवादी अपने अमूल्य
    संतुलन पर उत्तेजित हो गए।
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    उन्होंने चेतावनी दी
    “यदि आप श्रम की कीमत बढ़ाते हैं,
  • 4:58 - 5:00
    तो व्यवसाय इन्हे कम खरीदेंगे।
  • 5:00 - 5:03
    हजारों कम वेतन वाले श्रमिक
    अपनी नौकरी खो देंगे।
  • 5:03 - 5:05
    रेस्टोरेंट बंद हो जाएँगे।”
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    इसके बावजूद ...
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    उन्होंने यह नहीं किया।
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    बेरोजगारी दर आकस्मिक रूप से गिर गई।
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    सिएटल में रेस्तरां व्यवसाय में उछाल आया।
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    क्यों ?
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    क्योंकि कोई संतुलन नहीं था।
    क्योंकि मजदूरी बढ़ाना,
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    नौकरियाँ ख़त्म नहीं करता,
    वह उन्हें उत्पन्न करता है;
  • 5:25 - 5:26
    क्योंकि, उदाहरण के लिए,
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    जब रेस्तरां मालिकों को अचानक रेस्तरां
    के कर्मचारियों को पर्याप्त भुगतान
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    करने की आवश्यकता होती है ताकि अब वे
    भी रेस्तरां में खाने का खर्च उठा सकें,
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    तो यह रेस्तरां व्यवसाय को कम
    नहीं करते है,
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    जाहिर है,यह इसे बढ़ाते है।
  • 5:41 - 5:43
    (तालियां)
  • 5:43 - 5:44
    धन्यवाद।
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    दूसरी मान्यता यह है कि
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    किसी वस्तु की कीमत हमेशा उसके
    मूल्य के बराबर होती है,
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    जिसका मूल अर्थ यह है कि यदि
    आप एक वर्ष में 50,000 डॉलर कमाते हैं
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    और मैं एक वर्ष में 50 मिलियन डॉलर
    कमाता हूं,
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    तो इसलिए कि मैं आप से एक हजार गुना
    अधिक मूल्य का सृजन कर रहा हूं।
  • 6:07 - 6:08
    अब,
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    आपको यह जानकर आश्चर्य
    नहीं होगा कि
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    यह बहुत ही आरामदायक मान्यता है
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    यदि आप एक सीईओ हैं जो स्वयं को
    50 मिलियन $ प्रति वर्ष
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    दे रहे हैं, लेकिन अपने श्रमिकों को
    गरीबी मजदूरी देते हैं।
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    लेकिन कृपया, इसे किसी से ले लें
    जिसने दर्जनों व्यवसाय चलाए हों
  • 6:24 - 6:26
    यह निरर्थक है।
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    लोगों को उनकी क्षमता अनुसार
    भुगतान नहीं किया जाता।
  • 6:29 - 6:32
    उन्हें भुगतान किया जाता है
    उनकी तय करने की शक्ति पर,
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    और मजदूरी का सकल घरेलू उत्पाद का
    गिरता हिस्सा
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    इसलिए नहीं है क्योंकि श्रमिक
    कम उत्पादक हो गए हैं
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    इसलिए है, क्योंकि नियोक्ता अधिक
    शक्तिशाली हो गए हैं।
  • 6:42 - 6:44
    और --
  • 6:44 - 6:45
    (तालियां)
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    और यह ढोंग करके कि पूंजी और श्रम के बीच
    विशाल असंतुलन की शक्ति
  • 6:53 - 6:54
    मौजूद नहीं है,
  • 6:54 - 6:58
    नवउदारवादी आर्थिक सिद्धांत
    अनिवार्य रूप से
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    अमीरों के लिए एक सुरक्षा रैकेट बन गया है।
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    और अब तक सबसे हानिकारक,
    तीसरी मान्यता
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    एक व्यवहार मॉडल है
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    जो मनुष्य का वर्णन "होमो इकोनोमस" के
    रूप में करता है,
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    जिसका मूल अर्थ है कि हम सभी
    पूरी तरह से स्वार्थी,
  • 7:14 - 7:18
    पूरी तरह तर्कसंगत और
    अथक रूप से स्वयं के लिए बढ़ाता है।
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    लेकिन सिर्फ अपने आप से पूछो,
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    क्या यह प्रशंसनीय है कि अपने पूरे जीवन
    के लिए हर एक बार,
  • 7:25 - 7:28
    जब आपने किसी और के लिए
    कुछ अच्छा किया,
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    तो आप जो कर रहे थे, वह आपकी
    खुद की उपयोगिता को बढ़ा रहा था ?
  • 7:31 - 7:35
    क्या यह प्रशंसनीय है, जब कोई साथी सैनिकों
    को बचाने के लिए एक हथगोले पर कूदता है,
  • 7:35 - 7:38
    तो वे अपने संकीर्ण
    स्वार्थ को बढ़ावा दे रहे हैं ?
  • 7:38 - 7:39
    यदि आपको लगता है कि यह पागल है,
  • 7:39 - 7:42
    तो किसी भी उचित नैतिक अंतर्ज्ञान
    के विपरीत,
  • 7:42 - 7:44
    ऐसा इसलिए है क्योंकि यह
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    नवीनतम विज्ञान के अनुसार है।
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    सच नहीं है।
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    लेकिन यह वह व्यवहारिक मॉडल है,
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    जो नवउदारवादी अर्थशास्त्र के कठोर
    क्रूर दिल पर है,
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    और यह नैतिक रूप से घातक है
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    और यह वैज्ञानिक रूप से गलत है
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    क्योंकि अगर हम अंकित मूल्य को
    स्वीकार करते हैं
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    कि मनुष्य मौलिक रूप से स्वार्थी है,
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    और फिर हम दुनिया भर में देखते हैं
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    इसमें समस्त स्पष्ट समृद्धि है,
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    तो यह तार्किक रूप से अनुसरण करता है,
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    फिर परिभाषा के अनुसार
    यह सच होना चाहिए
  • 8:19 - 8:23
    कि अरबों व्यक्ति के स्वार्थपूरक कार्य
  • 8:23 - 8:27
    जादुई रूप से समृद्धि और सामान्य रूप
    से अच्छे में बदल जाते हैं।
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    यदि हम मनुष्य मात्र स्वार्थी हैं,
  • 8:30 - 8:33
    तो स्वार्थ ही हमारी समृद्धि का कारण है।
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    और इस आर्थिक तर्क से,
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    लालच अच्छा है,
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    असमानता को बढ़ाना कुशल है,
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    और संगठन का एकमात्र उद्देश्य
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    शेयरधारकों को समृद्ध बनाना हो सकता है,
  • 8:47 - 8:50
    क्योंकि ऐसा करना आर्थिक विकास को
    धीमा करना और समग्र रूप से
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    अर्थव्यवस्था को क्षति पहुंचाता है।
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    और यह स्वार्थ की सत्यता है
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    जो नवउदारवादी अर्थशास्त्र का
    वैचारिक आधार बनाता है,
  • 9:01 - 9:05
    एक ऐसी सोच है जिसने
    आर्थिक नीतियों का निर्माण किया है
  • 9:05 - 9:08
    जिसने मुझे और मेरे अमीर दोस्तों को
    शीर्ष एक प्रतिशत में सक्षम किया है
  • 9:08 - 9:12
    पिछले 40 वर्षों में विकास के सभी
    लाभों को हड़पने के लिए।
  • 9:13 - 9:15
    लेकिन,
  • 9:15 - 9:17
    अगर इसके बजाय हम
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    नवीनतम प्रयोगसिद्ध शोध को
    स्वीकार करते हैं।
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    वास्तविक विज्ञान, जो मानव का
    सही वर्णन करता है
  • 9:24 - 9:27
    अत्यधिक सहयोगी ,
  • 9:27 - 9:29
    पारस्परिक और
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    सहज रूप से नैतिक प्राणियों के
    रूप में ,
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    फिर यह तार्किक रूप से
    अनुसरण करता है
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    कि यह सहयोग होना चाहिए
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    न कि स्वार्थ
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    जो हमारी समृद्धि का कारण है,
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    और यह हमारा लोभ नहीं है
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    बल्कि हमारे अंतर्निहित पारस्परिकता
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    जो मानवता की आर्थिक महाशक्ति है।
  • 9:50 - 9:54
    तो इस नए अर्थशास्त्र के बीच में
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    अपने बारे में एक कहानी है जो हमें अपने
    सर्वश्रेष्ठ स्वयं होने की अनुमति देती है,
  • 9:59 - 10:02
    और, पुराने अर्थशास्त्र के विपरीत,
  • 10:02 - 10:05
    यह एक ऐसी कहानी है जो नेक है
  • 10:05 - 10:08
    और सत्य होने का गुण भी है।
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    अब, मैं इस बात पर जोर देना
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    चाहता हूं कि यह
    नया अर्थशास्त्र वह नहीं है
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    जिसकी मैंने निजी रूप से
    कल्पना या आविष्कार किया है।
  • 10:16 - 10:19
    इसके सिद्धांत और मॉडल विकसित और
    परिष्कृत किए जा रहे हैं
  • 10:19 - 10:21
    दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में
  • 10:21 - 10:24
    अर्थशास्त्र में सर्वश्रेष्ठ नए अनुसंधानों
    में से कुछ पर निर्माण
  • 10:24 - 10:26
    जटिलता सिद्धांत, विकासवादी सिद्धांत,
  • 10:26 - 10:29
    मनोविज्ञान, नृविज्ञान
    और अन्य विषयों।
  • 10:29 - 10:34
    और हालांकि इस नए अर्थशास्त्र में
    अभी तक अपनी खुद की पाठ्यपुस्तक
  • 10:34 - 10:36
    या यहां तक कि आमतौर पर
    नाम पर सहमति नहीं है,
  • 10:36 - 10:38
    व्यापक रूप में
  • 10:38 - 10:42
    समृद्धि कहाँ से आती है उसकी
    व्याख्या कुछ इस तरह से है।
  • 10:43 - 10:48
    अतः, बाजार पूंजीवाद
    एक विकासवादी प्रणाली है
  • 10:48 - 10:50
    जिसमें समृद्धि एक सकारात्मक
    प्रतिक्रिया लूप
  • 10:50 - 10:52
    के माध्यम से उभरती है
  • 10:52 - 10:57
    नवीनीकरण की बढ़ती मात्रा और उपभोक्ता
    मांग की बढ़ती मात्रा के बीच।
  • 10:57 - 11:02
    नवीनीकरण वह प्रक्रिया है जिससे हम
    मानवीय समस्याओं का समाधान करते हैं,
  • 11:03 - 11:06
    उपभोक्ता मांग वह तंत्र है जिसके
    माध्यम से बाजार
  • 11:06 - 11:08
    उपयोगी नव खोजों का चयन करता है,
  • 11:08 - 11:12
    और जैसे-जैसे हम और अधिक समस्याओं का
    समाधान करते जाते हैं, हम और अधिक
  • 11:12 - 11:16
    समृद्ध होते जाते हैं। लेकिन जैसे-जैसे
    हम और अधिक समृद्ध होते जाते हैं,
  • 11:16 - 11:17
    हमारी समस्याएं और समाधान
  • 11:17 - 11:20
    अधिक जटिल हो जाते हैं,
  • 11:20 - 11:23
    और इस बढ़ती तकनीकी जटिलता के लिए
  • 11:23 - 11:28
    सामाजिक और आर्थिक सहयोग के उच्च
    स्तर की आवश्यकता होती है
  • 11:28 - 11:31
    अधिक विशिष्ट उत्पादों का उत्पादन
    करने के लिए
  • 11:31 - 11:35
    यह आधुनिक अर्थव्यवस्था को
    परिभाषित करता है।
  • 11:36 - 11:41
    अब, पुराना अर्थशास्त्र
    बिल्कुल सही है,
  • 11:41 - 11:44
    बाजार कैसे काम करते हैं इसमें प्रतियोगिता
    एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है,
  • 11:44 - 11:46
    लेकिन यह जो देखने में विफल है वह
  • 11:46 - 11:51
    काफी हद तक अत्यधिक सहकारी समूहों
    के बीच एक प्रतियोगिता है -
  • 11:51 - 11:56
    फर्मों के बीच प्रतिस्पर्धा,
    कंपनियों के नेटवर्क के बीच प्रतिस्पर्धा,
  • 11:56 - 11:59
    राष्ट्रों के बीच प्रतिस्पर्धा -
  • 11:59 - 12:03
    और जो कोई भी सफल व्यवसाय
    चलाता है वह जानता है
  • 12:03 - 12:06
    सभी की प्रतिभाओं को शामिल करके एक
    सहकारी टीम का निर्माण करना,
  • 12:08 - 12:12
    हमेशा स्वार्थी शुरुआत की तुलना में
    लगभग एक बेहतर रणनीति है।
  • 12:13 - 12:18
    तो हम नवउदारवाद को कैसे पीछे छोड़ें
  • 12:20 - 12:24
    और अधिक टिकाऊ, अधिक समृद्ध और
  • 12:25 - 12:28
    अधिक न्यायपूर्ण समाज का निर्माण करें ?
  • 12:28 - 12:32
    नए अर्थशास्त्र में अंगूठे के सिर्फ पांच
    नियमों का सुझाव दिया गया है।
  • 12:32 - 12:39
    पहला यह है कि सफल अर्थव्यवस्थाएं
    जंगल नहीं हैं, वे बागान हैं,
  • 12:40 - 12:43
    यह कहना है कि बाजार को ,
  • 12:43 - 12:46
    बागानों की तरह झुकना होगा,
  • 12:47 - 12:52
    जो बाजार की अब तक की सबसे बड़ी
    सामाजिक तकनीक है मानवीय
  • 12:52 - 12:53
    समस्याओं के समाधान के लिए,
  • 12:53 - 12:59
    लेकिन सामाजिक मानदंडों या लोकतांत्रिक
    विनियमन द्वारा असंवैधानिक,
  • 12:59 - 13:02
    बाजार अनिवार्य रूप से हल करने की
    तुलना में अधिक समस्याएं पैदा करते हैं।
  • 13:02 - 13:03
    जलवायु परिवर्तन,
  • 13:03 - 13:05
    2008 का महान वित्तीय संकट
  • 13:05 - 13:07
    दो सरल उदाहरण हैं।
  • 13:08 - 13:11
    दूसरा नियम यह है कि
  • 13:11 - 13:15
    समावेश से आर्थिक विकास होता है।
  • 13:16 - 13:19
    तो नवउदारवादी विचार
  • 13:19 - 13:21
    समावेश यह पसंदिदा विलासिता है
  • 13:21 - 13:26
    जिसे तब वहन किया जा सकता है जब
    विकास गलत और पिछड़ा हुआ हो।
  • 13:27 - 13:30
    अर्थव्यवस्था लोग हैं।
  • 13:31 - 13:33
    अधिक लोगों को अधिक तरीकों से
    शामिल करना
  • 13:33 - 13:37
    बाजार की अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक
    वृद्धि का कारण बनता है।
  • 13:38 - 13:40
    तीसरा सिद्धांत
  • 13:40 - 13:46
    व्यापार का उद्देश्य केवल शेयरधारकों
    को समृद्ध करना नहीं है।
  • 13:46 - 13:50
    समकालीन आर्थिक जीवन में सबसे
    बड़ी गड़बड़ी
  • 13:50 - 13:53
    नवउदारवादी विचार है जो व्यवसाय
    का एकमात्र उद्देश्य है
  • 13:53 - 13:56
    और अधिकारियों की एकमात्र जिम्मेदारी
  • 13:56 - 13:59
    खुद को और शेयरधारकों को
    समृद्ध करना है।
  • 14:00 - 14:05
    नए अर्थशास्त्र को जोर देना चाहिए
  • 14:05 - 14:07
    निगम का उद्देश्य सभी
  • 14:07 - 14:10
    हितधारकों के कल्याण में सुधार करना है:
  • 14:10 - 14:12
    ग्राहकों, श्रमिकों,
  • 14:12 - 14:14
    एक जैसे समुदाय और शेयरधारक
  • 14:16 - 14:18
    नियम चार:
  • 14:18 - 14:20
    लालच अच्छा नहीं है।
  • 14:23 - 14:26
    लालची होना आपको पूँजीवादी
    नहीं बनाता है,
  • 14:26 - 14:28
    वह आपको एक मनोरोगी बनाता है।
  • 14:28 - 14:31
    (हँसी)
  • 14:31 - 14:35
    (तालियां)
  • 14:35 - 14:40
    और एक अर्थव्यवस्था जैसे की हमारे
    पैमाने पर सहयोग पर निर्भर है,
  • 14:40 - 14:44
    समाजोपचार व्यवसाय के लिए उतना
    ही बुरा है जितना कि समाज के लिए।
  • 14:45 - 14:47
    और पांचवां और अंतिम
  • 14:48 - 14:51
    भौतिकी के नियमों के विपरीत,
  • 14:52 - 14:55
    अर्थशास्त्र के नियम एक विकल्प हैं।
  • 14:57 - 14:58
    अब, नवउदारवादी आर्थिक सिद्धांत
  • 14:58 - 15:03
    ने स्वयं को तुम्हे अपरिवर्तनीय प्राकृतिक
    कानून के रूप में बेच दिया है,
  • 15:03 - 15:07
    जब वास्तव में यह सामाजिक मानदंड
    और निर्मित कथाएं हैं
  • 15:07 - 15:09
    छद्म विज्ञान पर आधारित है।
  • 15:10 - 15:13
    अगर हम वास्तव में अधिक
    साम्यिक चाहते हैं,
  • 15:13 - 15:17
    अधिक समृद्ध और अधिक स्थायी
    अर्थव्यवस्था,
  • 15:17 - 15:20
    अगर हम उच्च-कार्य लोकतंत्र चाहते हैं
  • 15:20 - 15:22
    और नागरिक समाज,
  • 15:22 - 15:24
    हमारे पास एक नया अर्थशास्त्र
    होना चाहिए।
  • 15:25 - 15:27
    और यहाँ अच्छी खबर है:
  • 15:27 - 15:29
    अगर हम एक नया अर्थशास्त्र चाहते हैं,
  • 15:29 - 15:33
    हमें बस इतना करना है
    उसे लेने के लिए चुनना है ।
  • 15:33 - 15:34
    धन्यवाद।
  • 15:34 - 15:39
    (तालियां)
  • 15:52 - 15:55
    मध्यस्थ: तो निक,मुझे यकीन है
    आपके मन में यह सवाल बहुत बार आता है
  • 15:56 - 15:59
    यदि आप आर्थिक प्रणाली से
    बहुत दुखी हैं,
  • 15:59 - 16:04
    क्यों न आप अपना सारा पैसा दे दें
    और 99 प्रतिशत के साथ जुड़ें ?
  • 16:04 - 16:07
    निक हनूर: हाँ, नहीं, हाँ, सही है।
  • 16:07 - 16:09
    आपके पास वह बहुत है।
    आपके पास वह बहुत है।
  • 16:09 - 16:12
    यदि आप करों का ख्याल
    करते हैं, तो अधिक कर क्यों नहीं देते
  • 16:12 - 16:15
    अगर आपको मजदूरी की परवाह
    है, तो अधिक भुगतान क्यों नहीं करते
  • 16:15 - 16:16
    और मैं ऐसा कर सकता था।
  • 16:17 - 16:19
    समस्या यह है,
  • 16:19 - 16:20
    इससे इतना फर्क नहीं पड़ता,
  • 16:20 - 16:22
    और मैंने एक कार्यनीति खोजी है
  • 16:22 - 16:25
    यह सचमुच हज़ार गुना बेहतर
    काम करती है -
  • 16:25 - 16:26
    मध्यस्थ: ठीक है।
  • 16:26 - 16:30
    एनएच: जो मेरे पैसे का उपयोग खातों का
    निर्माण और कानूनों को पारित करने के
  • 16:30 - 16:32
    लिए अन्य सभी अमीर लोगों चाहिए होंगे
    कर भरने
  • 16:32 - 16:34
    और अपने श्रमिकों को बेहतर वेतन
    देने के लिए।
  • 16:34 - 16:36
    (तालियां)
  • 16:36 - 16:37
    उदाहरण के लिए,
  • 16:37 - 16:41
    15-डॉलर की न्यूनतम मजदूरी जिसे
    हमने निर्मित किया है ने अब तक
  • 16:41 - 16:43
    30 मिलियन श्रमिकों पर प्रभाव डाला है।
  • 16:43 - 16:44
    इसलिए यह बेहतर काम करता है।
  • 16:44 - 16:45
    मध्यस्थ: यह अच्छा है|
  • 16:45 - 16:48
    अगर आपने विचार बदला तो
    हम आपके नया लेनेवाला ढूंढ लेंगे।
  • 16:48 - 16:50
    ऍनएच : ठीक है। धन्यवाद।
    मध्यस्थ: बहुत-बहुत धन्यवाद।
Title:
पूंजीवाद का गंदा रहस्य - और आगे एक नयी राह
Speaker:
निक हैनौर
Description:

उद्यमी निक हैनौर कहते हैं कि बढ़ती असमानता और विकसित हो रही राजनीतिक अस्थिरता दशकों के खराब आर्थिक सिद्धांत का प्रत्यक्ष परिणाम है। एक दूरदर्शी बात में, वे इस मंत्र को नष्ट कर देते है कि "लालच अच्छा है" - एक विचार जो वह न केवल नैतिक रूप से संक्षारक का वर्णन करता है, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी गलत है - और पारस्परिकता और सहयोग द्वारा संचालित अर्थशास्त्र का एक नया सिद्धांत देता है।

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
17:03

Hindi subtitles

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