ज्यादा न्यायोचित दुनिया चाहिए ? एक असम्भाव्य साथी बनिए
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0:01 - 0:05आप किसी से भी पूछ सकते हैं,
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0:05 - 0:06और वो आपको यह बताएंगे
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0:06 - 0:11की न्याय की लड़ाई
मे वह अब थक गयें हैं। -
0:12 - 0:19विभिन्न अल्पसंख्यक एवं
ऐल.जी.बी.टी. समुदायों के लोग -
0:19 - 0:22अत्याचार और खामोश
कर दिए जाने के डर के बावजूद -
0:22 - 0:23आवाज़ उठाने
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0:23 - 0:25और ऊपर उठने के बोझ
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0:26 - 0:28को स्वयं ही सहने से थक गए हैं।
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0:28 - 0:29हमारे गोरे साथी
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0:30 - 0:32और सिस साथी भी थक चुके हैं।
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0:33 - 0:36थक गए हैं वे ये सुनके कि
वे गलत कर रहे हैं -
0:36 - 0:40या ये उनके मौजूदगी की जगह नहीं है।
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0:41 - 0:45यह थकावट हम सबको
प्रभावित करती है। -
0:45 - 0:46दरअसल,
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0:46 - 0:49मुझे लगता है हम कामयाब नहीं होंगे
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0:49 - 0:53जब तक हम न्याय को
नए नज़रिये से नही देखेंगे। -
0:54 - 0:58मै बटे हुए दक्षिण अमरीका
के नागरिक अधिकारों के आंदोलन -
0:58 - 1:00के समय में बड़ी हुई हूँ।
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1:01 - 1:03जब मै पांच वर्ष की थी,
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1:03 - 1:06मुझे बैले में बहुत दिलचस्पी थी।
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1:06 - 1:11१९६० के दशक में यह अधिकतर
पांच-वर्षीय लड़कियों की रूचि थी। -
1:12 - 1:15मेरी माँ मुझे बैले विद्यालय ले गयीं।
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1:16 - 1:18एक ऐसा विद्यालय जहां अध्यापक
आपकी विशेषताओं और -
1:18 - 1:20हुनरों के बारे में बात करते थे
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1:20 - 1:22यह जानते हुए कि आप
बैलेरीना नहीं बनेंगी। -
1:22 - 1:24(हसीं)
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1:24 - 1:26जब हम पहुंचे,
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1:26 - 1:30उन्होंने अच्छे से बोला कि,
"हम नीग्रों को भर्ती नहीं करते।" -
1:31 - 1:35हम गाड़ी में वापास ऐसे गए
जैसे की एक किराने की दूकान से -
1:35 - 1:37जहां संतरे का रास ख़त्म हुआ हो।
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1:38 - 1:41हम कुछ नही बोले ...
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1:41 - 1:43अगले बैले विद्यालय की ओर चल पड़े।
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1:44 - 1:49वह भी बोले,
"हम नीग्रों को नही सिखाते"। -
1:50 - 1:52मै उलझन में थी।
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1:52 - 1:55मैने अपनी माँ से पूछा
क्यों वह मुझे लेते नही। -
1:56 - 2:01उन्होंने बोला , "वह बस
तुम्हे सीखने के अयोग्य हैं, -
2:01 - 2:03और वह नहीं जानते कि तुम
कितनी अद्भुत हो।" -
2:03 - 2:04(प्रोत्साहन)
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2:04 - 2:08(प्रोत्साहन और तालियां)
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2:09 - 2:13दरअसल, मुझे उसका अर्थ मालूम नहीं था।
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2:13 - 2:14(हसीं )
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2:14 - 2:17पर मै जानती थी कि अर्थ अच्छा नही था
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2:17 - 2:20क्योंकि मै अपनी माँ की
आँखों में देख पा रही थी। -
2:20 - 2:24वो क्रोधित थीं,
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2:24 - 2:26और ऐसा लग रहा थी
कि वे आँसुओं की कगार पे थीं। -
2:27 - 2:31मैंने तब और वहीं निर्णय लिया कि
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2:31 - 2:33बैले मुर्ख था।
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2:34 - 2:35(हसीं)
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2:36 - 2:39आगे के समय में मेरे
साथ ऐसे कई अनुभव हुए, -
2:39 - 2:41लेकिन जैसे मै बड़ी हुई,
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2:41 - 2:44मै क्रोधित होने लगी।
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2:44 - 2:48और क्रोधित सिर्फ अन्याय
एवं भेदभाव पे ही नही। -
2:48 - 2:52मै उन लोगों पे गुस्सा थी जो
राहचलते होकर खामोश थे। -
2:53 - 2:58क्यों नहीं उस बैले स्कूल मे
गोरे माता-पिताों ने बोला -
2:58 - 3:00"ये गलत है।
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3:00 - 3:02उस छोटी लड़की को नाचने दो।"
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3:03 - 3:04या क्यों नही --
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3:04 - 3:05(तालियां)
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3:05 - 3:09उन गोरे संरक्षकों ने बटे
हुए रेस्टोरेंटों में बोला, -
3:09 - 3:10"यार, ये गलत है।
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3:10 - 3:12उस परिवार को खाने दो।"
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3:13 - 3:15मुझे यह समझने में देर नहीं लगी कि
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3:15 - 3:19जातीय भेदभाव एकमात्र
जगह नहीं है -
3:19 - 3:22जहा बहुमत की जन्ता शांत है।
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3:22 - 3:26जब मै चर्च में कोई
होमोफोबिक टिपण्णी जिसको -
3:26 - 3:28धार्मिक लेखन बताया जाता था, सुनती थी ,
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3:28 - 3:31तो मै कहती, "क्षमा चाहती हूँ,
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3:31 - 3:35आप हेटेरोसेक्सयल ईसाई ऐसी
बेतुकी को रोक क्यों नहीं रहें ?" -
3:35 - 3:38(तालियां)
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3:38 - 3:39या ...
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3:40 - 3:44एक जेन-एक्सर्स और बूमर्स
से भरे कमरे में -
3:44 - 3:47जो अपने मिलेनिअल सहयोगियों
को बेइज़्ज़त करने लगे -
3:47 - 3:50उन्हें बिगड़ैल, आलसी,
और घमंडी कह कर, -
3:50 - 3:53मै कहती, "क्षमा चाहती हूँ,
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3:53 - 3:57मेरी उम्र का कोई यह क्यों
नहीं कह रहा, 'स्टिरियोटाइप ना करो'" ? -
3:58 - 3:59("हाँ")
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3:59 - 4:02(तालियां)
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4:02 - 4:06मुझे ऐसे मुद्दों पर
खड़े होने की आदत थी, -
4:06 - 4:09पर बाकी सब को क्यों नहीं थी?
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4:10 - 4:12मेरी पांचवी कक्षा की अध्यापिका,
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4:12 - 4:13मैकफारलैंड मैम
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4:13 - 4:19ने मुझे सिखाया की न्याय
को एक साथी की ज़रुरत है। -
4:19 - 4:22ऐसे ही किसी से भी काम नही चलेगा।
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4:22 - 4:26उन्होंने कहा कि हमें असम्भाव्य
साथियों की आवस्यकता है -
4:26 - 4:30यदि हमें असल बदलाव देखना हो।
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4:30 - 4:35और हममे से उनके लिए जो सीधे
रूप से भेदभाव अनुभव करते हैं, -
4:35 - 4:38हमें मदद स्वीकार करने
की चाह रखनी पड़ेगी, -
4:38 - 4:41क्योंकि अगर हम चाह न रखें,
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4:41 - 4:43बदलाव ज्यादा समय लगाता है।
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4:44 - 4:48मेरा मतलब, सोचिए अगर
हेट्रोसेक्सवल और समलैंगिक लोग -
4:48 - 4:51शादी की एकता के
नारे के नीचे इकट्ठा ना हुए होते। -
4:51 - 4:53या अगर राष्ट्रपति कैनेडी
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4:53 - 4:56को नागरिक अधिकारों के
आंदोलन में रूचि ना होती ? -
4:57 - 5:03हमारे देश के महत्वपूर्ण
आंदोलनों को विलंबित किया, या -
5:03 - 5:05मार दिया जा सकता था,
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5:05 - 5:09हमारे असम्भाव्य साथियों
की गैरमौजूदगी में। -
5:10 - 5:12अगर वही लोग, उस ही तरीके
-
5:12 - 5:16से आवाज़ उठाएंगे जैसे
वह करते आ रहे हैं , -
5:16 - 5:18हमें लगातर उन ही
परिणामों की -
5:18 - 5:21प्राप्ति होगी।
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5:22 - 5:25साथी ज्यादातर किनारे
खड़े रहता हैं, अपनी -
5:25 - 5:27पुकार का इंतज़ार करते हुए।
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5:27 - 5:32यदि हमारे असम्भाव्य साथी सामने
से नेतृत्व करें तो क्या होगा? -
5:32 - 5:33उदहारण ...
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5:33 - 5:37यदि अश्वेत एवं मूल निवासी अमरीकी
आप्रवासन के मुद्दों में आगे आएं तो? -
5:39 - 5:41(तालियां)
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5:42 - 5:47या अगर गोरे नागरिक, भेदभाव
समाप्त करने के आंदोलन -
5:47 - 5:49में नेतृत्व करें तो?
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5:49 - 5:53(तालियां और प्रोत्साहन)
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5:54 - 5:55या अगर ...
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5:55 - 5:59पुरुष जन्ता पुरुष-स्त्री तंख्वाों
की एकता में योगदान करें तो ? -
6:00 - 6:03(तालियां और प्रोत्साहन)
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6:04 - 6:05या ...
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6:05 - 6:11हेतेरसेक्सवल लोग ऐल.जी.बी.टी.क्यू.
मुद्दों में सामने से लड़ें तो क्या होगा? -
6:11 - 6:15(तालियां और प्रोत्साहन)
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6:15 - 6:19और अगर ह्रष्ट-पुष्ट
व्यक्ति विकलांगों -
6:19 - 6:21के पक्ष में योगदान दें तो?
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6:21 - 6:25(तालियां और प्रोत्साहन)
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6:25 - 6:28हम संकटों के
विपक्ष और पीड़ितों -
6:28 - 6:30के पक्ष में आंदोलन
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6:30 - 6:34कर सकते हैं, चाहें हमें लगे
कि हमारा मुद्दे से कम वास्ता हो। -
6:35 - 6:36और दरअसल,
-
6:36 - 6:40ऐसे मुद्दे सबसे ज्यादा
दमदार होते हैं। -
6:40 - 6:41और बिलकुल,
-
6:42 - 6:46लोगों को कोई अंदाजा नहीं
होगा कि आप वहां क्यों है, -
6:46 - 6:49पर यह एक कारण है क्यों
हम में से भेदभाव का सामना -
6:49 - 6:52करने वालों को मदद
स्वीकार करनी चाहिए। -
6:52 - 6:55हमें भेदभाव की लड़ाई को
-
6:55 - 6:58कृपा की समझ से लड़ना है।
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6:59 - 7:01जब गोरे मित्र अश्वेत और भूरे लोगों
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7:01 - 7:05की आज़ादी की लड़ाई मे
खड़े होते हैं, उनमें सहायता -
7:05 - 7:09स्वीकार की चाह होनी चाहिए।
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7:10 - 7:12मै जानती हूँ की
यह सरल नहीं है, -
7:12 - 7:16पर यह सामूहिक कार्य है
-
7:16 - 7:21जिसमे सबका योगदान ज़रूरी है।
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7:22 - 7:25एक दिन जब मै
किंडरगार्टन में थी, -
7:25 - 7:26हमारी अध्यापिका ने हमे
-
7:26 - 7:30एक खूबसूरत, लम्बी, गोरी
महिला से मिलाया, Miss Ann। -
7:31 - 7:34मुझे लगा मैने उनसे खबसूसरत
गोरी महिला नहीं देखी थी। -
7:35 - 7:36अगर मै आपसे सच बोलू,
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7:36 - 7:40मुझे लगता है उस दिन पहली बार
हमने स्कूल में गोरी महिला देखी थी। -
7:40 - 7:41(हसीं)
-
7:41 - 7:43Miss Ann सामने खड़ी हो गयीं
-
7:43 - 7:47और उन्होंने कहा की वो
हमारे स्कूल में बैले -
7:47 - 7:49सीखना चालू करेंगी
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7:50 - 7:54और वो हमारी नृत्य की
शिक्षक बनने पे गर्व करती हैं। -
7:54 - 7:57यह वास्तविक नहीं लग रहा था।
-
7:58 - 8:00अचानक से --
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8:00 - 8:03(गाते हुए) मुझे अब नहीं
लग रहा था कि बैले मुर्ख है। -
8:03 - 8:05(हसीं)
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8:06 - 8:11अभी मै यह जानती हूँ कि
Miss Ann इस बात से अवगत थी -
8:11 - 8:16कि गोरे बैले स्कूल अश्वेत
लड़कियों को दाखिला नहीं करवाते। -
8:16 - 8:18वो उससे नाराज थीं ।
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8:18 - 8:21तो वो अश्वेत महल्ले में
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8:21 - 8:24नृत्य सीखने खुद आईं।
-
8:25 - 8:28उनको स्नेह एवं साहस
लगा ऐसा करने के लिए। -
8:28 - 8:31(तालियां)
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8:35 - 8:38और जहां न्याय नहीं
था, उन्होंने उसको -
8:38 - 8:40वहां बस निर्माण कर दिया।
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8:41 - 8:44हम सब बचे,
-
8:44 - 8:48क्योंकि हम अपने अश्वेत
पूर्वजों की राह पर चले। -
8:49 - 8:55हम सब फले, क्योंकि Miss Ann
एक असम्भाव्य साथी थीं। -
8:56 - 8:59जब आप अपनी आवाज़
-
8:59 - 9:01और अपने कार्यों
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9:01 - 9:05का ऐसी परिस्थितियों में उपयोग
करते हैं जिससे आपका वास्ता न हो, -
9:05 - 9:08आप दूसरों को वही करने
के लिए प्रेरित करते हैं। -
9:09 - 9:13Miss Ann ने मुझे प्रेरणा दी
कि मै ऐसी परिस्थितिओं को -
9:13 - 9:17खोजूँ जो मेरे बारे में नहीं थीं
-
9:17 - 9:19पर जहां मैने
अन्याय होते देखा हो -
9:19 - 9:21और भेदभाव हो रहा हो।
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9:22 - 9:25उम्मीद है वे आपको
भी प्रेरित करें, -
9:25 - 9:30क्योंकि एकता की लड़ाई
जीतने के लिए -
9:30 - 9:34हम सबको आवाज़
उठानी पड़ेगी -
9:34 - 9:36और खड़ा होना पड़ेगा।
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9:36 - 9:39हम सबको यह करना पड़ेगा
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9:39 - 9:41और हम सबको यह करना पडेगा
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9:41 - 9:43कठिन हालातों में भी
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9:43 - 9:46तब भी जब हमें अजीब लगे,
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9:46 - 9:50क्योंकि वह आपकी जगह है,
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9:50 - 9:52और हमारी जगह है।
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9:53 - 9:57न्याय हम सब पर निर्भर है।
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9:57 - 9:59धन्यवाद।
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9:59 - 10:01(प्रोत्साहन और तालियां)
- Title:
- ज्यादा न्यायोचित दुनिया चाहिए ? एक असम्भाव्य साथी बनिए
- Speaker:
- नीटा मोस्बी टाइलर
- Description:
-
एक ज्यादा योग्य दुनिया की शुरुआत आपसे है। अपने ज़िन्दगी के एक रचनात्मक किस्से का तलब करते हुए एकता समर्थक नीटा मोस्बी टाइलर स्पष्ट करती हैं, क्यों अपने और अपने अनुभवों के बाहर लोगों की भेदभाव एवं अन्याय के विरुद्ध लड़ाई में उनका साथ देने से भविष्य ज्यादा न्यायोचित और निष्पक्ष बनता है।
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 10:15
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