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ऋषिकेश, भारत
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इस अभ्यास से डर भागता है
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मार्च सत्संग का अंश (उपशीर्षक सहित)
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मूजी यह, यह या यह? [
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संघ से आवाज़] यह वाली। [मूजी] यह वाली? ठीक है!
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[मूजी] सभी कुछ न कुछ अलग कहेंगे।
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'प्रिय मूजी बाबा, नमस्कार मूजी बाबा। आशा है सब ठीक है।'
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जी हाँ! शुक्रिया!'
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मैं आइवी हूँ होन्ग कोंग से।
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मुझे अगले हफ्ते आप सबके साथ होना था,
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मगर वायरस की वजह से, चीन व् होन्ग कोंग के यात्रियों को
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भारत में आने से रोक लगा दी गयी है, जो मैं समझ सकती हूँ।
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मूजी बाबा, मुझे डर लग रहा है।
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मैं नहीं जानती कि यह डर वायरस के डर से उठता है,
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या मैं इससे डरती हूँ कि मैं और लोगों को बीमार न कर दूँ, या मरने से डर लगता है।
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मैं खोज नहीं पायी कि मेरा डर कहाँ से आ रहा है,
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मगर इन परिस्थितियों में मैं इस वातावरण से बोझिल महसूस करती हूँ।
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मैंने अपनी दैनिक साधना द्वारा इससे निकलने की कोशिश की
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मगर मैं उसे कर ना सकी।
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मुझे ऐसा लगता है कि मैं गहरे बादलों से घिरी हूँ।
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मूजी बाबा, कोई इन परेशानियों से कैसे निबटे,
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जब वह यह भी नहीं कह सकता कि परेशानी क्या है।
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प्लीज़ कुछ सलाह दीजिये। सप्रेम, आइवी।
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तो डर, किसी भी और चीज़ की तरह, किसी भी और डर की तरह,
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व्यक्ति को लगता है, यह विशुद्ध चेतना को नहीं लगता।
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और चीज़ों की तरह डर भी आते जाते हैं, डर आते हैं और चले जाते हैं।
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जब व्यक्ति को खतरा महसूस होता है, तो डर भी ज़्यादा होता है।
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जब खतरा ख़तम हो जाता है, व्यक्ति पुनः खुश हो जाता है।
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कहते हैं ---
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जो भी व्यक्तिभाव में खलबली मचा दे,
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हम उसे डर कहते हैं, हम चाहते हैं कि वह चला जाये,
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मैंने अपनी आध्यात्मिक साधना से उसमें से निकालने की कोशिश की
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मगर मैं यह कर न सकी।'
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क्योंकि तुम अपनी आध्यात्मिक साधना
दर्द-की-दवा समझ कर ले रहीं थीं,
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डर-विनाशक की तरह,
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और वह काम नहीं आ रही थी।
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मुझे ऐसा लगता है कि मैं गहरे बादलों में घिरी हुई हूँ,
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काले बादलों ने मुझे घेरा हुआ है, मेरे वजूद को, मेरी आत्म-धारणा को घेरा हुआ है।
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क्या करूँ?
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तो फिर इस व्यक्ति को देखना शुरू करो
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व्यक्ति की तरह बर्ताव करने की बजाय और इसकी दवा ढूंढने की बजाय।
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देखने से शुरू करो, सिर्फ डर को ही नहीं बल्कि उसे जिसे डर लगता है।
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तुम्हें यह करना होगा। तुम्हें यह करना होगा।
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जब तक तुम यह न देख लो कि यह वास्तव में आसान और स्वाभाविक है।
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'मूजी, मुश्किलों का सामना कैसे करें
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जब यह भी नहीं पता कि मुश्किल क्या है?'
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यहां ऐसा लगता है कि मुश्किल इन्फेक्शन का डर है,
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डर कि क्या हो सकता है। मैं इस इन्फेक्शन से मर सकती हूँ।
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