लेन्नार्ड सुसस्किंद: मेरे दोस्त रिचर्ड फेय्न्मन
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0:00 - 0:02जब मुझे यह करने के लिए कहा गया तब मैंने फैसला किया,
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0:02 - 0:04कि मैं सच में जिस बारे में बोलना चाहता था
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0:04 - 0:06वह मेरे दोस्त रिचर्ड फेय्न्मन के बारे में था |
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0:06 - 0:08मै उन सौभाग्यशाली व्यक्तियों में से हूँ
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0:08 - 0:10जो वाकई उन्हें जानते थे
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0:10 - 0:12और उनके साथ में आनादित होते थे
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0:12 - 0:15मै उस रिचर्ड फेय्न्मन के बारे में बताऊंगा जिन्हें मैं जानता था
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0:15 - 0:17मुझे पता है यहाँ ऐसे और लोग होंगे
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0:17 - 0:19जो उस रिचर्ड फेय्न्मन्न के बारे में बता सकते हैं जिन्हें वो जानते थे
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0:19 - 0:21और शायद वो अलग रिचर्ड फेय्न्मन्न हो
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0:21 - 0:24रिचर्ड फेय्न्मनएक जटिल आदमी थे
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0:24 - 0:26उनके कई, कई अंश थे
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0:26 - 0:28सबसे पहले वो
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0:28 - 0:31एक बहुत, बहुत महान वैज्ञानिक थे
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0:31 - 0:34वो एक अभिनेता थे, उनके अभिनय आपने देखे हैं.
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0:34 - 0:37मैं उन व्याख्यानों में भी भी सौभाग्य से शामिल था.
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0:37 - 0:39ऊपर बालकनी में.
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0:39 - 0:41वह विलक्षण थे
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0:41 - 0:43वह एक दार्शनिक थे
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0:43 - 0:45वो ड्रम बजाया करते थे
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0:45 - 0:48उनके पढ़ाने का ढंग अत्युत्तम था
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0:48 - 0:50रिचर्ड फेय्न्मन एक शोमैन भी थे
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0:50 - 0:52एक बड़ा शोमैन
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0:52 - 0:56वह ढीठ था, असभ्य
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0:56 - 0:58वह काफी शक्तिशाली थे ,
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0:58 - 1:01वो किसी से अकेले ही भिड ले इस प्रकार के यौवनशील थे |
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1:01 - 1:05उसे बौद्धिक लड़ाई से प्यार था.
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1:05 - 1:09उसका अहंकार विशाल था
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1:09 - 1:12मगर किसी तरह उस आदमी में
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1:12 - 1:14खुद से कम लोगों के लिए बहुत जगह थी
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1:14 - 1:16मेरा कहने का मतलब यह है
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1:16 - 1:19बहुत सारी जगह, मेरे किस्से में,
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1:19 - 1:21मैं किसी और के लिए बोल नहीं सकता
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1:21 - 1:23लेकिन मेरे सिलसिले में
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1:23 - 1:26एक और विशाल अहंकारी के लिए जगह थी
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1:26 - 1:28उनके जीतनी बड़ी नहीं,
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1:28 - 1:30मगर काफी बड़ी.
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1:30 - 1:33दिक फेय्न्मन के सांथ मुझे हमेशा अच्चा लगता था.
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1:33 - 1:35उनके साथ हमेशा मजा आता था.
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1:35 - 1:37उनके साथ मैं अपने आप को होनहार महसूस करता था.
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1:37 - 1:39ऐसा आदमी आपको कैसे बुद्धिमान महशूस करा सकता है ?
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1:39 - 1:41किसी तरह उनमे यह क्षमता थी.
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1:41 - 1:43उन्होंने मुझे बुद्धिमान महसूस कराया | उन्होंने मझे महशूस कराया कि वो बुद्धिमान थे |
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1:43 - 1:45उन्होंने मुझे अहसास कराया कि हम दोनों बुद्धिमान थे |
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1:45 - 1:49और हम दोनों किसी भी समस्या का समाधान कर सकते थे |
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1:49 - 1:52और कभी-कभी हमने साथ में भौतिक विज्ञानं पर काम किया |
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1:52 - 1:54हमने कभी कोई शोध कार्य सांथ में प्रकाशित नहीं किया
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1:54 - 1:57मगर हमने सांथ में काफी मजे किये |
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1:58 - 2:00उनको जीतना बहुत पसंद था.
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2:00 - 2:03कही-कभी हम शक्ति प्रदर्शन के खेल खेला करते थे ,
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2:03 - 2:06सिर्फ मेरे साथ नहीं, हर प्रकार के लोगों के संग -
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2:06 - 2:08तो वो हमेशा जीता करते थे |
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2:08 - 2:11जब नहीं जीतते थे , जब हार जाते थे
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2:11 - 2:14तो हंस देते, जैसे उतना ही मजा आ रहा हो
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2:14 - 2:16जैसे वो जीत गए हों |
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2:16 - 2:18मुझे याद है एक बार उन्होंने मुझे एक कहानी सुनाई थी,
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2:18 - 2:21एक मजाक के बारे में, जो उनके छात्रों ने उनके सांथ किया था |
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2:21 - 2:23वो उन्हें ले गए - शायद उनके जनम दिन पर -
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2:23 - 2:25बाहर भोजन के लिए |
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2:25 - 2:27वो उनको भोजन के लिए लेकर गए
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2:27 - 2:29पासादेना में किसी सेंडविच की दुकान पर
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2:29 - 2:31मुझे नहीं मालूम शायद वह दुकान अभी भी हो |
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2:31 - 2:34सेलिब्रिटी सैंडविच उनकी खासियत थी |
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2:34 - 2:36आप मर्लिन मुनरो सेंडविच ले सकते थे |
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2:36 - 2:39हम्फ्रे बोगार्ट सेंडविच ले सकते थे.
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2:39 - 2:41उनके छात्र पहले से ही वंहा थे |
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2:41 - 2:44उन्होंने तय किया था की वे सब फेय्न्मन सेंडविच लेंगे.
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2:44 - 2:47एक के बाद एक वे अन्दर आये और उन्होंने फेय्न्मन सेंडविच माँगा |
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2:47 - 2:49फेय्न्मन को यह कहानी बहुत पसंद थी |
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2:49 - 2:53उन्होंने मुझे यह कहानी सुनाई, और वो काफी खुश थे |
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2:53 - 2:56जब कहानी ख़तम हुई तब मैंने कहा
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2:56 - 2:58डिक, फेय्न्मन संविच और सुसस्किंद संविच
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2:58 - 3:02में क्या अंतर होगा?
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3:02 - 3:04और तुरंत उन्होंने कहा
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3:04 - 3:07लगभग एक जैसे ही होंगे
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3:07 - 3:10फर्क सिर्फ इतना है की सुस्स्किंद संविच में बहुत ज्यादा हैंम होगा
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3:10 - 3:12हैंम, जैसे बुरा अभिनेता
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3:12 - 3:14(हंसी)
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3:14 - 3:17उस दिन मैं बहुत तेज था
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3:17 - 3:20और मैंने कहा ' हाँ, पर बहुत कम बलोनी!' (बलोनी याने बकवास)
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3:20 - 3:23(हंसी)
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3:23 - 3:27सच तो यह है
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3:27 - 3:29की फेय्न्मन सेंडविच में
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3:29 - 3:31बहुत हैम है,
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3:31 - 3:34बलोनी बिलकुल नहीं.
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3:35 - 3:37फेय्न्मन को सबसे बुरी चीज़
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3:37 - 3:39बौद्धिक दिखावा लगती थी.
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3:39 - 3:41ढोंग,
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3:41 - 3:44झूठी परिष्कार, शब्दजाल.
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3:44 - 3:47मुझे याद है, कही अस्सी के दशक में
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3:47 - 3:49मध्य अस्सी
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3:49 - 3:51डिक, मैं और सिडनी कालेमन,
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3:51 - 3:53कई बार मिले
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3:53 - 3:56संफ्रंसिस्को के किसी अमीर आदमी के घर में
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3:56 - 3:58खाना खाने के लिए
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3:58 - 4:01और पिछली बार जब उसने बुलाया था
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4:01 - 4:03तो उसने दो दार्शनिकों को भी बुलाया था.
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4:03 - 4:06वो मन के दार्शनिक थे.
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4:06 - 4:09उनकी खासियत थी चेतना.
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4:09 - 4:11वो हर प्रकार के शब्दजाल इस्तेमाल करते
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4:11 - 4:14मैं शब्द याद करने की कोशिश कर रहा हूँ
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4:14 - 4:17वेदांत, द्वैतवाद, हर प्रकार की श्रेणियाँ
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4:17 - 4:19मैं उनका मायने नहीं जनता था, ना दिक जनता था
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4:19 - 4:21और सिडनी भी नहीं
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4:21 - 4:23तो हम क्या बोलते?
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4:23 - 4:26खैर, मन के बारे में बात करो तो क्या बोलो?
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4:26 - 4:28एक बात तो स्पष्ट है
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4:28 - 4:30क्या मशीन मन बन सकती है?
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4:30 - 4:32क्या आप कोई ऐसी मशीन बना सकते हैं
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4:32 - 4:34जो मनुष्य जैसे सोचे?
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4:34 - 4:36जो सचेत हो?
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4:36 - 4:39बैठ कर हमने यह बातें कीं, कोई निष्कर्ष पर नहीं पंहुचे
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4:39 - 4:41पर दार्शनिकों के साथ यह दिक्कत है
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4:41 - 4:43की वो इसे भी दर्शन शास्त्र की तरह देख रहे थे
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4:43 - 4:45जबकी उन्हें विज्ञानं के बारे में विचार करना चाहिए
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4:45 - 4:48आखिर यह विज्ञान का सवाल है
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4:48 - 4:50ऐसा करना एक बहुत, बहुत ख़तरनाक काम था
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4:50 - 4:53वो भी दिक् फेय्न्मन की सामने.
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4:55 - 4:58फेय्न्मन ने उनको दे दिया - दोनों बैरल, ठीक आँखों के बीच
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4:58 - 5:01क्रूर था, बहुत मजे का था...ओह क्या मजे का था!
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5:01 - 5:03मगर था क्रूर
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5:03 - 5:05उनका गुब्बारा फट गया
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5:05 - 5:07लेकिन कमाल की बात यह है
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5:07 - 5:09फेय्न्मन को थोड़े जल्दी जाना था
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5:09 - 5:12उनकी तबियत ठीक नहीं थी, थो उन्हें जल्दी जाना था
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5:12 - 5:15और सिडनी और मैं उन दो दार्शनिकों के साथ छूट गए
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5:15 - 5:18और कमाल की बात यह है की वो तो हवा में उड़ रहे थे
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5:18 - 5:20इतने खुश
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5:20 - 5:23कि जैसे किसी महान आदमी से मिल रहे हों
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5:23 - 5:25किसी महान व्यक्ति ने जैसे उन्हें निर्देश दिए हों
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5:25 - 5:27उन्हें बहुत मजा आया था
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5:27 - 5:30अपना मुह काला करके
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5:30 - 5:33यह कुछ ख़ास था
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5:33 - 5:36मुझे महसूस हुआ कितने असाधारण थे फेय्न्मन
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5:36 - 5:39ऐसे समय भी जब उन्होंने ऐसा किया
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5:43 - 5:46दिक् मेरा दोस्त था, मैं उसे दिक् कहता था
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5:46 - 5:48दिक् और मेरा मेल था
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5:48 - 5:51हो सकता है डिक्क और मेरा ख़ास संबंध था
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5:51 - 5:54हम एक दूसरे को पसंद थे, हमे एक सी चीजें पसंद थीं.
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5:54 - 5:58मुझे बौद्धिक खेल भी पसंद थे
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5:58 - 6:00कभी मै जीतता था , ज्यादा तर वो ही जीता करता था
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6:00 - 6:02पर मजा दोनों को आता था
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6:02 - 6:04किसी समय दिक् आश्वस्त हो गया
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6:04 - 6:08की हममें व्यक्तित्व समानता है
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6:08 - 6:10मुझे नहीं लगता की वो सही था.
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6:10 - 6:12मुझे लगता है हम दोनों में सिर्फ इतनी समानता है
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6:12 - 6:15की हमे अपने बारे में बात करना पसंद है!
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6:15 - 6:17मगर वो इस के प्रति आश्वस्त थे
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6:17 - 6:19और वह उत्सुक था
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6:19 - 6:21वो आदमी बेहद उत्सुक था
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6:21 - 6:24उनको समझना था क्या है, क्यों है
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6:24 - 6:28की ऐसा अजीब संबंध था
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6:28 - 6:30एक दिन हम साथ चल रहे थे, फ्रांस में.
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6:30 - 6:32हम ला जौचे में थे
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6:32 - 6:34ऊपर पहाड़ों में थे हम, 1976.
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6:34 - 6:37पहाड़ों में ऊपर थे और फेय्न्मन ने मुझसे कहा
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6:37 - 6:39लेओनार्दो
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6:39 - 6:41लेओनार्दो बुलाने की वजह यह थी,
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6:41 - 6:43की हम यूरोप में थे
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6:43 - 6:46और वह फ्रेंच अभ्यास कर रहा था
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6:46 - 6:49उन्होंने कहा, "लेओनार्दो,
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6:49 - 6:52तुम अपने माता या पिता, किसके ज्यादा करीब थे
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6:52 - 6:54बचपन में?
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6:54 - 6:57और मैंने कहा "मेरे असली हीरो पिताजी थे".
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6:57 - 6:59वह एक काम करने वाले आदमी थे
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6:59 - 7:02पांचवी कक्षा तक पढ़े थे |
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7:02 - 7:05वह एक मास्टर मैकेनिक था और उसने मुझे सिखाया कि उपकरणों का उपयोग कैसे हो.
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7:05 - 7:09उन्होंने मुझे औजार उपयोग करना सिखाया.
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7:09 - 7:11उन्होंने मुझे पयेथागोरस प्रमेय भी सिखाया.
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7:11 - 7:13उन्होंने उसे कर्ण नहीं कहा
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7:13 - 7:16उन्होंने उसे शॉर्टकट बुलाया".
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7:16 - 7:18और फेय्न्मन की आँखें एकदम खुल गयीं
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7:18 - 7:20एक प्रकाश बल्ब की तरह
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7:20 - 7:23उन्होंने कहा कि
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7:23 - 7:25बिलकुल वैसे ही सम्बन्ध उनका
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7:25 - 7:27अपने पिता से था |
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7:27 - 7:30एक समय वो आश्वस्त हो गए थे
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7:30 - 7:33कि अच्छा भौतिक विज्ञानी होने के लिए
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7:33 - 7:35यह बहुत महत्वपूर्ण था
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7:35 - 7:38कि आप के पिता से आपके वैसे सम्बन्ध हों |
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7:38 - 7:41मैं सेक्सिस्ट बातचीत के लिए माफी माँगता हूँ,,
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7:41 - 7:43मगर ऐसा ही हुआ था |
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7:43 - 7:47उन्होंने कहा कि वह पूरी तरह आश्वस्त थे कि यह जरूरी था -
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7:47 - 7:51एक युवा भौतिक विज्ञानी के बचपन का आवश्यक हिस्सा.
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7:51 - 7:54और क्योंकि वो दिक् थे इसलिए वो इसे परखना चाहते थे |
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7:54 - 7:56वो एक प्रयोग करना चाहते थे |
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7:56 - 7:58तो ऐसा ही किया
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7:58 - 8:00उन्होंने एक प्रयोग किया
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8:00 - 8:03उन्होंने अपने सभी अच्छे भौतिक विज्ञानियों से पूछा
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8:03 - 8:06तुम्हारी माँ या पिता तुम किससे प्रभावित थे?
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8:06 - 8:08और हर आदमी - सब आदमी ही थे -
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8:08 - 8:10हर एक आदमी
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8:10 - 8:12ने कहा "माँ"
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8:12 - 8:15(हंसी)
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8:15 - 8:19यह ख्याल सीधे एतिहास के कचरे के डब्बे में गया |
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8:20 - 8:23मगर वो उत्तेजित थे कि आखीर कोई मिला
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8:23 - 8:26जिसका वैसा ही सम्बन्ध रहा अपने पिता से
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8:26 - 8:28जैसा उनका था |
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8:28 - 8:30और कुछ समय तक वो आश्वस्त थे
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8:30 - 8:32की इस वजह से ही हमारी दोस्ती थी
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8:32 - 8:34मुझे नहीं पता, शायद, कौन जानता है ?
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8:34 - 8:36पर मैं आप को कुछ बताता हूँ
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8:36 - 8:39भौतकी विज्ञानी फेय्न्मन के बारे में |
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8:40 - 8:42फेय्न्मन का इस्टाइल
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8:42 - 8:44- नहीं इस्टाइल सही शब्द नहीं है -
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8:44 - 8:46इस्टाइल से आपको लगता होगा वो जिस प्रकार टाई पहनते थे
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8:46 - 8:48या जिस प्रकार का सूट पहनते थे |
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8:48 - 8:50इससे कंही अहम् बात है,
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8:50 - 8:52मगर मैं दूसरा शब्द नहीं सोच पा रहा हूँ
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8:52 - 8:55फेय्न्मन का वैज्ञानिक ढंग
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8:55 - 8:57हमेशा किसी समस्या के समाधान के लिए सबसे प्रारंभिक
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8:57 - 9:02तरीके पर कार्य करने का था
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9:02 - 9:05अगर उससे मुमकिन न था, तो किसी जटिल समाधान के बारे में सोचते थे .
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9:05 - 9:08बेशक इसमें
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9:08 - 9:11उन्हें यह दिखाने में बहूत ख़ुशी होती थी
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9:11 - 9:15कि कैसे वो दूसरों से अधिक सरलता से सोच सकते थे
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9:15 - 9:18उन्हें गहरा विश्वास था, सच में विश्वास था
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9:18 - 9:20कि अगर कुछ सरलता से नहीं समझा सकते
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9:20 - 9:23तो फिर आप ने उसे समझा ही नहीं |
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9:23 - 9:26१९५० में लोग यह पता लगा रहे थे
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9:26 - 9:28की सुपेर्फ्लुइड हेलियम कैसे काम करता है
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9:28 - 9:30एक सिद्धांत था
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9:30 - 9:32रूस के गणितीय भौतिक विज्ञानी द्वारा दिया हुआ
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9:32 - 9:34एक जटिल सिद्धांत
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9:34 - 9:36वह मैं अभी आप को बताता हूँ
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9:36 - 9:38बहुत जटिल सिद्धांत था
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9:38 - 9:41बहुत मुश्किल सूत्रों से भरा
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9:41 - 9:43और गणित वगरह
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9:43 - 9:46थोडा काम करता था, मगर पूरी तरह से नहीं
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9:46 - 9:48काम सिर्फ तब करता था,
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9:48 - 9:51जब हेलियम परमाणुओं में बहुत दूरी हो
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9:51 - 9:53हेलियम परमाणुओं में बहुत दूरी जरूरी थी
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9:53 - 9:55मगर अफसोस की तरल हेलियम परमाणु
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9:55 - 9:57बिलकुल एक के ऊपर एक हैं
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9:57 - 10:00फेय्न्मन ने सोचा की एक शौकिया हेलियम भौतिक विज्ञानी
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10:00 - 10:03होकर वे उसे समझना चाहेंगे
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10:03 - 10:05उनका विचार था, एकदम साफ विचार,
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10:05 - 10:07कि वो यह समझने का प्रयत्न करेंगे कि
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10:07 - 10:09इतने सारे एक जैसे परमाणुओं का
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10:09 - 10:11क्वांटम समारोह क्या है
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10:11 - 10:13वो इसकी कल्पना
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10:13 - 10:16कुछ सिद्धांतों के द्वारा निर्देशित
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10:16 - 10:19कुछ बहूत ही सरल सिधान्तों द्वारा करने का प्रयत्न करेंगे |
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10:19 - 10:21पहला था कि
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10:21 - 10:24जब हीलियम अणु एक दुसरे के संपर्क में आते ही दूर चले जाते हैं
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10:24 - 10:27निष्कर्ष यह था कि उनका wave function शुन्य होगा जब
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10:27 - 10:30हीलियम अणु एक दुसरे को स्पर्श करते हैं |
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10:30 - 10:32अन्य तथ्य यह था
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10:32 - 10:35की सबसे काम ऊर्जा की स्थिति में
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10:35 - 10:39wave function शुन्य नहीं होता |
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10:39 - 10:41उसमे सबसे कम हलचल होता है .
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10:41 - 10:43तो वो बैठे -
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10:43 - 10:45मेरे ख्याल में उनके पास सिर्फ
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10:45 - 10:47एक कागज का टुकड़ा और कलम थे जिससे
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10:47 - 10:49उन्होंने लिखने की कोशिश की, और लिखा
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10:49 - 10:52सबसे सरल प्रमेय जो वह सोच सकते थे
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10:52 - 10:54जिसमे कुछ सीमा शर्ते थी |
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10:54 - 10:56wave function शुन्य हो जाता है जब चीजें स्पर्श करती हैं
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10:56 - 10:58पर उसके पहले यह समतल होता है
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10:58 - 11:00उन्होंने एक साधारण बात लिखी
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11:00 - 11:02वह बहूत सरल था
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11:02 - 11:04जिसे एक हाई स्कूल का विद्यार्थी भी
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11:04 - 11:06बिना किसी गणना के
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11:06 - 11:09समझ लेता जो उन्होंने लिखा.
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11:09 - 11:12उन्होंने जो लिखा वह इतना सरल था
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11:12 - 11:15कि उससे तरल हीलियम के बारे में उस समय जो भी मालूम था
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11:15 - 11:17सब स्पस्ट हो जाता था |
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11:17 - 11:19में हमेशा सोचता था
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11:19 - 11:22कि जिनका भौतिकीय वैज्ञानिक जो तरल हीलियम पर कार्य करते थे
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11:22 - 11:25क्या वो शर्मिंदा हुए होंगे |
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11:25 - 11:27उनके पास उनकी सबसे शक्तिशाली तकनीक थी ,
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11:27 - 11:29और वो इससे बेहतर नहीं कर पाए
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11:29 - 11:33संयोग से, में आपको बता दूँ वह तकनीक क्या थी
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11:33 - 11:36वेह थे फेय्न्मन तकनीकी चित्र थे
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11:36 - 11:38(हंसी)
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11:38 - 11:41उन्होंने १९६८ में फिर दोहराया
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11:41 - 11:43१९६८ में, मेरे ही विश्वविद्यालय में,
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11:43 - 11:46उस समय मैं वंहा नहीं था, १९६८ में,
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11:46 - 11:49वो लोग प्रोटॉन की संरचना की खोज कर रहे थे
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11:49 - 11:51प्रोटॉन तो साफ है कि
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11:51 - 11:53कई छोटी चीजों से बना है.
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11:53 - 11:55इतना तकरीबन पता था.
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11:55 - 11:58और उसका विश्लेषण फेय्न्मन चित्र से होता था.
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11:58 - 12:01उसी के लिए फेय्न्मन चित्र बने थे
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12:01 - 12:03कण को समझने के लिए
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12:03 - 12:05प्रयोग जो हो रहे थे वो बहूत ही सरल थे
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12:05 - 12:07आप सिर्फ एक प्रोटान लेकर
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12:07 - 12:09उसे एक इलेक्ट्रॉन के साथ तेजी से टकराते हैं |
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12:09 - 12:12उसके लिए थे फेय्न्मन चित्र थे |
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12:12 - 12:14सिर्फ एक कठिनाई थी
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12:14 - 12:16कि फेय्न्मन चित्र बहुत जटिल हैं
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12:16 - 12:18उसमे काफी जटिलता है |
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12:18 - 12:21अगर आप उन्हें कर सकते थो आप के पास एक सटीक ज्ञान होगा |
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12:21 - 12:24मगर यह संभव नहीं था, वो बहुत जटिल थे
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12:24 - 12:26लोग कोशिश कर रहे थे
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12:26 - 12:29आप एक पाश चित्र कर सकते थे,
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12:29 - 12:32एक, दो, या तीन पाश चित्र कर सकते थे
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12:32 - 12:34मगर उनके आगे कुछ नहीं कर सकते थे |
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12:34 - 12:36फेय्न्मन ने कहा "भूल जाओ उसको,
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12:36 - 12:38सिर्फ प्रोटान के बारे में सोचो
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12:38 - 12:40एक छोटे कणों की जमघट के रूप में
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12:40 - 12:42छोटे कणों का एक झुंड
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12:42 - 12:45उन्होंने उसे प्रोटान कहा |
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12:45 - 12:47उन्होंने कहा "बस सोचो यह प्रोटान का झुण्ड है
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12:47 - 12:49जो तेजी से बढ़ रहे"
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12:49 - 12:53क्योंकि वह तेजी से बढ़ रहे हैं
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12:53 - 12:57सापेक्षता का कहना है कि आंतरिक गति बहुत धीमी गति से चलते हैं.
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12:57 - 12:59इलेक्ट्रॉन इसे अचानक टकराता है
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12:59 - 13:02यह एक प्रोटॉन की एक बहुत ही अचानक स्नैपशॉट लेने की तरह है
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13:02 - 13:04आप क्या देखते हो ?
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13:04 - 13:09परतों में जमा हुआ प्रोटान का एक गुच्छा |
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13:09 - 13:11वो हिलते नहीं हैं , और क्योंकि हिलते नहीं हैं
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13:11 - 13:13तो प्रयोग के दौरान
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13:13 - 13:15आपको इस बात की फ़िक्र करने की जरुरत नहीं की वो हिलते कैसे हैं |
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13:15 - 13:17आप को उनके बीच के तनाव के बारे में सोचने की जरुरत नहीं है |
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13:17 - 13:19आप इसे सिर्फ इस तरह सोचो
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13:19 - 13:21कि यह समूह है
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13:21 - 13:24जमे हुए परतों की
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13:24 - 13:27यह इन प्रयोंगो के विश्लेषण की महत्वपूर्ण बात थी |
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13:27 - 13:30अत्यंत प्रभावी
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13:30 - 13:32किसी ने कहा क्रांति बुरा शब्द है.
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13:32 - 13:35शायद हो, तो में क्रांति नहीं कहूँगा
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13:35 - 13:38पर निश्चित रूप से इससे
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13:38 - 13:41हमारी प्रोटोन की समझ में बहूत ज्यादा विकास हुआ
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13:41 - 13:43और उससे भी छोटे कणों को समझने में |
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13:43 - 13:45वैसे मेरे पास और भी कुछ था जो मैं बताने वाला था
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13:45 - 13:47मेरे और फेय्न्मन के रिश्तों के बारे में
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13:47 - 13:49वो कैसे थे,
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13:49 - 13:51मगर हमारे पास ठीक आधा मिनट है
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13:51 - 13:53मै अब समाप्त करता हूँ यह कह कर
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13:53 - 13:57कि मुझे नहीं लगता फेय्न्मन को ऐसा समारोह अच्छा लगता
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13:57 - 14:00मेरे ख्याल में वो कहते
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14:00 - 14:03" मुझे इसकी जरूरत नहीं है"
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14:03 - 14:06पर हम फेय्न्मन का आदर कैसे करें?
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14:06 - 14:08सच में उनका आदर सम्मान कैसे करें?
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14:08 - 14:11मेरे ख्याल में फेय्न्मन का आदर करने के लिए
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14:11 - 14:13हमें बहूत सारा बलोनी (बकवास)
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14:13 - 14:16अपने सेंडविच से निकाल देना चाहिए |
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14:16 - 14:18धन्यवाद
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14:18 - 14:21(तालियाँ)
- Title:
- लेन्नार्ड सुसस्किंद: मेरे दोस्त रिचर्ड फेय्न्मन
- Speaker:
- Leonard Susskind
- Description:
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एक प्रतिभाशाली व्यक्ति से दोस्ती करना कैसा होता है? भौतिक विज्ञानंके लेओनार्द सुस्स्किंद अपने दोस्त रिचर्ड फेय्न्मन के बार में कहानिया बुनते हैं - अपनी दोस्ती की कहानी, उनके अपरंपरागत ढंग से गंभीर और हलकी बातों की चर्चा.
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 14:21