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दुनिया के "थर्ड पोल" की रक्षा के लिए एक जरूरी चेतावनी

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    17 अक्टूबर, 2009 को,
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    मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने
    कुछ असामान्य किया।
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    उन्होंने अपनी कैबिनेट बैठक
    पानी के भीतर आयोजित की।
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    वह सचमुच अपने मंत्रियों को
    स्कूबा डाइविंग के लिए ले गया,
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    दुनिया को चेतावनी देने के लिए
    कि उसका देश डूब सकता है
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    जब तक हम ग्लोबल वार्मिंग
    को वश में नहीं करते।
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    अब मुझे नहीं पता कि उसका संदेश
    दुनिया भर में मिला या नहीं
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    पर उसने मेरा ध्यान खींचा|
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    मैंने एक राजनीतिक करतब देखा।
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    आप देखिए, मैं एक नेता हूं,
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    और मैं इन चीजों पर ध्यान देता हूं |
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    और चलो ईमानदार बनते है,
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    मालदीव दूर हैं
    जहां मैं से आता हूँ -
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    मेरा देश भूटान है -
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    इसलिए मैंने कोई नींद नहीं गवाई
    उनके आसन्न भाग्य पर।
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    बमुश्किल दो महीने बाद,
    मैंने एक और राजनीतिक करतब देखा।
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    इस बार नेपाल के प्रधानमंत्री का ।
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    उन्होंने अपनी कैबिनेट बैठक
    माउंट एवरेस्ट पर की।
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    वह सभी मंत्रियों को
    एवरेस्ट के बेस कैंप तक ले गए
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    दुनिया को चेतावनी देने के लिए
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    के हिमालय के ग्लेशियर पिघल रहे थे।
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    अब क्या इसकी मुझे चिंता थी?
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    हा, बिल्कुल थी।
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    मैं हिमालय में रहता हूं
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    लेकिन क्या मैं उसके संदेश से चिंतित था?
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    नहीं
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    में एक राजनीतिक करतब को अपनी नींद में
    बाधा डालने देने को तैयार नहीं था
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    (हँसी)
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    10 साल बाद।
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    इस साल फरवरी में,
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    मैंने यह रिपोर्ट देखी।
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    यह रिपोर्ट मूल रूप से यह कहती है
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    हिंदू कुश हिमालय पहाड़ों पर
    बर्फ का एक तिहाई
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    सदी के अंत तक पिघल सकता है।
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    लेकिन केवल,
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    अगर हम ग्लोबल वार्मिंग को
    रोकने में सक्षम हैं
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    1.5 डिग्री सेंटीग्रेड तक
    पूर्व-औद्योगिक स्तरों पर।
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    वरना, यदि हम नहीं कर सकते,
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    तो ग्लेशियर बहुत तेजी से पिघलेंगे।
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    1.5 डिग्री सेल्सियस।
    "ये हो नहीं सकता" मैंने सोचा
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    यहां तक कि पेरिस समझौता का
    महत्वाकांक्षी लक्ष्य
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    ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने का लक्ष्य
    दो डिग्री सेंटीग्रेड तक है।
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    1.5 डिग्री सेंटीग्रेड वे कहते हैं
    सबसे बेहतरीन परिदृश्य हैं।
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    "अब यह सच नहीं हो सकता है," मैंने सोचा।
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    हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र
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    दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा
    बर्फ का भंडार है,
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    उत्तर और दक्षिण ध्रुवों के बाद।
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    इसलिए हमें भी
    "तीसरा ध्रुव" बुलाया जाता है|
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    इस क्षेत्र में बहुत अधिक बर्फ है।
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    और हां, ग्लेशियर, पिघल रहे हैं।
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    हम जानते हैं।
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    मैं अपने देश में उन जगह पर गया हूं।
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    मैंने उन्हें देखा, और हाँ,
    वे पिघल रहे हैं।
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    वे कमजोर हैं।
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    "लेकिन वे इतने कमजोर नहीं हो सकते,"
    मुझे सोचकर याद आया।
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    लेकिन अगर वे हैं तो क्या होगा?
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    अगर मेरी उम्मीद से ज्यादा जल्दी
    हमारे ग्लेशियर पिघल जाएं तो ?
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    क्या होगा अगर हमारे ग्लेशियर
    पहले से अधिक कमजोर हैं
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    और क्या होगा अगर, परिणामस्वरूप,
    हिमनद झीलें -
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    अब ये झीलें बने हैं
    ग्लेशियर के पिघलने से -
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    क्या होगा अगर वे झीलें फट जाती हैं
    अतिरिक्त पानी के वजन से?
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    और क्या अगर वे बाढ़
    हिमनदी झील में मिल जाए,
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    और भी बड़ा प्रकोप पैदा करते है?
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    वह मेरे देश में अभूतपूर्व बाढ़ पैदा करेगा।
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    इससे मेरा देश बर्बाद हो जाएगा।
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    जो मेरे देश में कहर ढाएगा।
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    उसमे क्षमता होगी नष्ट करने की
    हमारी जमीन को ,
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    हमारी आजीविका,
    हमारा जीवन जीने के तरीके को।
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    तो उस रिपोर्ट ने मेरा ध्यान खींचा
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    उन तरीकों से जो राजनीतिक स्टंट
    नहीं कर सकते।
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    इसे एक साथ रखा गया था
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    अंतर्राष्ट्रीय केंद्र या ICIMOD द्वारा
    एकीकृत पर्वत विकास के लिए,
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    जो नेपाल में स्थित है।
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    वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने
    दशकों के लिए ग्लेशियर का अध्ययन किया है
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    और उनकी रिपोर्ट ने मुझे रात भर जगाए रखा,
    बुरी खबर की यातना में
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    और मेरे देश के लिए इसका क्या महत्व था
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    और मेरे लोगो के लिए।
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    कई रातों की नींद हराम होने के बाद,
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    मैं ICIMOD की यात्रा के लिए नेपाल गया था।
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    मुझे वहां अत्यधिक सक्षम
    और समर्पित वैज्ञानिक की टीम मिली,
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    और उन्होंने मुझे कहा।
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    नंबर एक:
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    हिंदू कुश हिमालय के ग्लेशियर
    कुछ समय के लिए पिघल रहे है
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    उदाहरण के लिए, उस ग्लेशियर को ही लीजिए।
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    यह माउंट एवरेस्ट पर है
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    जैसा कि आप देख सकते हैं, एक समय पर के बड़े
    ग्लेशियर ने पहले से बहुत बर्फ खो दिया।
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    नंबर दो:
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    ग्लेशियर अब बहुत जल्दी
    पिघलने लगे हैं-
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    इतनी जल्दी, वास्तव में, कि बस 1.5
    डिग्री सेंटीग्रेड की ग्लोबल वार्मिंग में,
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    एक तिहाई ग्लेशियर पिघल जाएगे।
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    दो डिग्री सेंटीग्रेड
    ग्लोबल वार्मिंग पर,
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    आधे ग्लेशियर गायब हो जाते।
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    और अगर चालू प्रवुतिया जारी रखे,
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    एक पूर्ण दो तिहाई
    हमारे ग्लेशियर गायब हो जाएंगे।
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    नंबर तीन :
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    ग्लोबल वार्मिंग का मतलब हमारे पहाड़
    अधिक बारिश और कम बर्फ प्राप्त करते है।
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    और, बर्फबारी के विपरीत,
    बारिश बर्फ को पिघला देती है,
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    जो सिर्फ ग्लेशियरों के स्वास्थ्य को
    दर्द दे सकता है।
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    नंबर चार:
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    क्षेत्र में प्रदूषण से ब्लैक कार्बन
    की मात्रा बढ़ गई है।
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    यह हमारे ग्लेशियरों पर जमा है।
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    ब्लैक कार्बन कालिख जैसा है।
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    ब्लैक कार्बन गर्मी को सोखता है
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    और तेज़ी आती है ग्लेशियर्स के पिघलने में ।
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    संक्षेप में,
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    हमारे ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं,
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    और ग्लोबल वार्मिंग उन्हें
    बहुत जल्दी पिघला रहे है।
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    लेकिन इसका क्या मतलब है?
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    इसका मतलब है कि 240 मिलियन लोग
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    जो हिंदू कुश में रहते हैं
    हिमालय क्षेत्र -
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    अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत,
    चीन, नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार में
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    और मेरा अपना प्यारा देश, भूटान में -
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    ये लोग सीधे प्रभावित होंगे।
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    जब ग्लेशियर पिघलते हैं,
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    जब अधिक वर्षा और कम हिमपात होता है,
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    भारी बदलाव होंगे
    जिस तरह से पानी व्यवहार करता है।
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    अधिक चरम सीमाएं होंगी:
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    अधिक तीव्र वर्षा,
    अधिक बाढ़, अधिक भूस्खलन,
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    अधिक हिमाच्छादित झील
    बाढ़ का प्रकोप करती है।
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    यह सब कारण होगा
    अकल्पनीय विनाश का
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    एक ऐसे क्षेत्र में जहा पहले से ही
    पृथ्वी पर सबसे गरीब लोग रहते है।
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    लेकिन यह सिर्फ तत्काल क्षेत्र
    के लोग नहीं है
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    जो प्रभावित होंगे।
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    नीचे रहने वाले लोग
    भी मारा जाएगे।
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    ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी 10 प्रमुख नदियां
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    हिंदू कुश के हिमालय पर्वत में
    उत्पन्न होती है।
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    ये नदियाँ कृषि के लिए
    महत्वपूर्ण पानी प्रदान करती हैं
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    और पीने का पानी
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    1.6 बिलियन से अधिक लोगों को जो
    नीचे की ओर रेहते है।
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    वह पांच मनुष्यों में से एक है।
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    इसलिए हिंदू कुश
    हिमालय पर्वत को
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    "एशिया के पानी के टॉवर।" भी कहा जाता है
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    लेकिन जब ग्लेशियर पिघलते हैं,
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    जब मानसून गंभीर हो जाता है,
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    उन नदियों में बाढ़ आ जाएगी,
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    वहाँ प्रलय होगा
    जब पानी की आवश्यकता नहीं होगी
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    और सूखा बहुत आम होगा,
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    जब पानी की सख्त आवश्यकता होती है।
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    संक्षेप में, एशिया का जल मीनार
    टूट जाएगा,
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    और वह विनाशकारी होगा
    मानवता के एक-पांचवें के लिए।
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    क्या दुनिया को चिंता करनी चाहिए?
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    आप, उदाहरण के लिए, चिंता करना चाहेंगे?
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    याद रखें, मुझे परवाह नहीं थी
    जब मैंने सुना कि मालदीव
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    पानी के नीचे गायब हो सकता है।
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    और वह मर्म है समस्या का,हेना ?
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    हम परवाह नहीं करते।
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    हम परवाह नहीं करते जब तक
    निजी तौर से प्रभावित नहीं हो।
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    मेरा मतलब हैं, हम जानते हैं कि
    जलवायु परिवर्तन असली है।
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    हम जानते हैं हम उग्र और
    नाटकीय बदलाव का सामना करते हैं।
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    हम जानते हैं तेजी से आ रहा है।
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    फिर भी हम में से अधिकांश
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    बर्ताव करते है मानो सबकुछ सामान्य था।
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    तो हमें ध्यान रखना चाहिए,
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    हम सब को,
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    और अगर आप उन लोगों की परवाह नहीं कर सकते
    जो ग्लेशियर के पिघलने से प्रभावित हैं
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    आपको कम से कम अपनी देखभाल करनी चाहिए।
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    ऐसा इसलिए है क्योंकि हिंदू कुश
    हिमालय पर्वत -
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    पूरा क्षेत्र ग्रह की नब्ज की तरह है।
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    यदि क्षेत्र बीमार पड़ता है,
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    पूरा ग्रह अंततः पीड़ित होगा।
  • 9:17 - 9:18
    और अभी,
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    हमारे ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने के साथ,
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    यह क्षेत्र सिर्फ बीमार नहीं है -
  • 9:24 - 9:25
    यह मदद के लिए चिल्ला रहा है।
  • 9:28 - 9:30
    और इसका क्या असर पड़ेगा
    बाकी दुनिया पर?
  • 9:30 - 9:35
    एक स्पष्ट परिदृश्य
    संभावित अस्थिरता है
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    लाखों जलवायु शरणार्थियों के कारण,
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    जिन्हें मजबूरी जाना पड़ेगा क्योंकि
    उनके पास थोड़ा या पानी नहीं है,
  • 9:42 - 9:45
    या इसलिए कि उनकी आजीविका
    नष्ट हो गई हैं
  • 9:45 - 9:46
    ग्लेशियरों के पिघलने से।
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    एक और परिदृश्य
    जिसे हम हल्के में नहीं ले सकते
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    वह है पानी को लेकर संघर्ष की संभावना
  • 9:55 - 10:02
    और राजनीतिक अस्थिरता ऐसे क्षेत्र में
    जिसकी तीन परमाणु शक्तियां हैं
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    चीन, भारत, पाकिस्तान।
  • 10:09 - 10:14
    मेरा मानना है कि हमारे क्षेत्र में स्थिति
    पर्याप्त गंभीर है
  • 10:14 - 10:19

    सृष्टि का निर्माण करना
    एक नई अंतर सरकारी एजेंसी
  • 10:20 - 10:24
    तो मूल निवासी के रूप में
    दुनिया के उस हिस्से से,
  • 10:24 - 10:27
    मैं यहाँ, आज, प्रस्ताव करना चाहता हूँ
  • 10:27 - 10:30

    स्थापना
    तीसरा ध्रुव परिषद का,
  • 10:32 - 10:35
    एक उच्च स्तर,
    अंतर सरकारी संगठन का
  • 10:35 - 10:39
    एक जिम्मेदारी के साथ काम दिया
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    विश्व के बर्फ के तीसरे सबसे बड़ा भंडार
    की रक्षा के लिए
  • 10:44 - 10:46
    एक तीसरा ध्रुव परिषद
  • 10:46 - 10:50
    क्षेत्र में स्थित सभी आठ देशों
    से मिलकर बनेगा
  • 10:50 - 10:51
    सदस्य देशों के रूप में,
  • 10:51 - 10:54
    समान सदस्य देशों के रूप में,
  • 10:54 - 10:57
    और प्रतिनिधि संगठनों को
    भी शामिल कर सकते हैं
  • 10:57 - 11:00
    और अन्य देश
    जिनके क्षेत्र में निहित स्वार्थ हैं
  • 11:00 - 11:02
    गैर-मतदान सदस्यों के रूप में
  • 11:02 - 11:04
    लेकिन बड़ा विचार यह है की
  • 11:04 - 11:08
    सभी हितधारकों को एक साथ ला के
    एक साथ काम करना।
  • 11:08 - 11:12
    मिलकर निगरानी करना
    ग्लेशियरों के स्वास्थ्य के लिए ;
  • 11:12 - 11:17
    साथ काम करके आकार और कार्यान्वयन नीतियो को
    देकर हमारे ग्लेशियरों की रक्षा के लिए ,
  • 11:17 - 11:19
    और, विस्तार से,
  • 11:19 - 11:24
    करोड़ों लोगों की रक्षा के लिए
    जो हमारे ग्लेशियरों पर निर्भर हैं।
  • 11:26 - 11:27
    हमें मिलकर काम करना होगा
  • 11:29 - 11:33
    क्योंकि सोच विश्व स्तर पर ,
    अभिनय स्थानीय स्तर पर ...
  • 11:35 - 11:36
    काम नहीं करता।
  • 11:36 - 11:37
    हमने भूटान में कोशिश की है।
  • 11:38 - 11:43
    हमने बहुत बड़ा बलिदान दिया है
    स्थानीय रूप से कार्य करने के लिए ...
  • 11:45 - 11:50
    और जबकि व्यक्तिगत स्थानीय प्रयास
    महत्वपूर्ण रहेगा,
  • 11:50 - 11:53
    वे खड़े नहीं हो सकते
    जलवायु परिवर्तन के हमले के लिए।
  • 11:54 - 11:57
    जलवायु परिवर्तन के सामने खड़े होने के लिए,
    हमें मिलकर काम करना चाहिए।
  • 11:58 - 12:02
    हमें विश्व स्तर पर सोचना चाहिए और
    क्षेत्रीय रूप से कार्य करना चाहिए।
  • 12:03 - 12:07
    हमारे पूरे क्षेत्र को एक साथ आना होगा,
  • 12:07 - 12:08
    एक साथ काम करना होगा,
  • 12:09 - 12:10

    जलवायु परिवर्तन से एक साथ लड़ने के लिए,
  • 12:11 - 12:13

    हमारी आवाज को एक साथ सुनने के लिए।
  • 12:16 - 12:20
    और इसमें भारत और चीन शामिल हैं।
  • 12:21 - 12:23
    उन्हें अपने खेल को आगे बढ़ाना होगा।
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    उन्हें स्वामित्व लेना होगा
    ग्लेशियरों की रक्षा के लड़ाई के लिए।
  • 12:29 - 12:33
    और उसके लिए, ये दोनों देश,
    ये दो शक्तिशाली दिग्गज को,
  • 12:33 - 12:35
    अपने ग्रीनहाउस गैसों को कम करना चाहिए,
  • 12:37 - 12:39
    उनके प्रदूषण को नियंत्रित करें,
    और लड़ाई का नेतृत्व करें।
  • 12:41 - 12:44
    वैश्विक लड़ाई का नेतृत्व करें
    जलवायु परिवर्तन के खिलाफ।
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    और ये सब एक तात्कालिकता की भावना से।
  • 12:49 - 12:53
    तभी - और वह भी, केवल शायद -
  • 12:53 - 12:55
    हमारा क्षेत्र
  • 12:55 - 12:57
    और अन्य क्षेत्र
    जो ग्लेशियरों पर निर्भर करते है
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    बचने का कोई मौका है
    बड़ी तबाही से।
  • 13:04 - 13:05
    समय समाप्त हो रहा है।
  • 13:06 - 13:10
    हमें अब साथ काम करना चाहिए।
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    नहीं तो अगली बार
    माउंट एवरेस्ट पर नेपाल की कैबिनेट की बैठक
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    वह शानदार पृष्ठभूमि ...
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    काफी अलग लग सकती है।
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    और अगर ऐसा होता है,
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    यदि हमारे ग्लेशियर पिघलते हैं,
  • 13:30 - 13:34
    बढ़ता समुद्र का स्तर
    मालदीव को अच्छी तरह से डुबो सकता है।
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    और जब वे पानी के भीतर
    उनकी कैबिनेट बैठक रखते हैं
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    दुनिया में एक एसओएस भेजने के लिए,
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    उनका देश विद्यमान रह सकता है
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    केवल अगर उनके द्वीप मौजूदा रहते हैं।
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    मालदीव अभी भी दूर हैं।
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    उनके द्वीप दूर हैं
    जहाँ मैं रहता हूँ।
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    लेकिन अब, मैं करीब से ध्यान देता हूं
    वहाँ क्या होता है।
  • 14:09 - 14:12
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
  • 14:12 - 14:17

    (तालियां)
Title:
दुनिया के "थर्ड पोल" की रक्षा के लिए एक जरूरी चेतावनी
Speaker:
शेरिंग तोबगे
Description:

हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र उत्तर और दक्षिण ध्रुवों के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बर्फ का भंडार है - और अगर वर्तमान में पिघलने की दर जारी रहती है, तो इसके ग्लेशियरों के दो तिहाई हिस्से इस सदी के अंत तक जा सकते हैं। अगर हम उन्हें पिघल ने दें तो क्या होगा? भूटान के पर्यावरणविद् और भूतपूर्व प्रधान मंत्री टर्शिंग टोबगे ने "एशिया के जल मीनारों" से नवीनतम साझा किया, जिससे ग्लेशियरों की रक्षा के लिए एक अंतर सरकारी एजेंसी बनाने के लिए एक तत्काल चेतावनी देने के लिए - और लगभग दो बिलियन लोगों को विनाशकारी बाढ़ से बचाने के लिए जो भूमि और आजीविका को नष्ट कर देगी ।

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
14:33

Hindi subtitles

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