क्यों मैं "साहसी" बनने की इस कोशिश से तंग आ चुका हूँ
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0:01 - 0:03अभिनेता होने के नाते,
मुझे कथानक दिए जाते हैं -
0:04 - 0:06और मेरा काम होता है कथानक के अनुसार चलना,
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0:06 - 0:08अपनी पंक्तियाँ दोहराना
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0:08 - 0:11और उस चरित्र को जीवित करना
जो किसी और ने लिखा था। -
0:11 - 0:13मैं गर्व महसूस करता हूँ
-
0:13 - 0:15कि मेरे कैरियर के दौरान,
-
0:15 - 0:19मुझे टेलीविज़न के सबसे महान
पुरुष रोल मॉडलों की -
0:19 - 0:21भूमिका निभाने का सम्मान मिला।
-
0:21 - 0:24आप शायद मुझे पहचान गए होंगे
"मेल एस्कॉर्ट नंबर १"। -
0:24 - 0:27(हंसी)
-
0:27 - 0:29"फ़ोटोग्राफ़र डेट रेपिस्ट,"
-
0:30 - 0:32पुरस्कृत "स्प्रिंग ब्रेक शार्क अटैक" का
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0:32 - 0:34"शर्टलेस डेट रेपिस्ट"।
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0:34 - 0:36(हंसी)
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0:36 - 0:37"शर्टलेस मेडिकल स्टूडेंट",
-
0:38 - 0:39"शर्टलेस स्टेरॉयड-यूसिंग कॉन मैन"
-
0:39 - 0:43और मेरी सबसे प्रसिद्ध भूमिका, रफ़ायेल।
-
0:43 - 0:47(तालियाँ)
-
0:47 - 0:49एक उदास, सुधरा हुआ रसिक
-
0:49 - 0:52जो सब चीज़ों को छोड़कर,
एक कुंवारी के इश्क में पड़ जाता है, -
0:52 - 0:54और जो कभी-कभी
शर्टलेस (बिना कमीज़ के) होता है। -
0:54 - 0:57(हंसी)
-
0:57 - 1:01अब, ये भूमिकाएँ वह नहीं दर्शाती
जो मैं वास्तविकता में हूँ। -
1:01 - 1:03पर मुझे अभिनय के बारे में यही पसंद है।
-
1:03 - 1:06मैं अपने से भिन्न चरित्रों के
अंदर जी सकता हूँ। -
1:07 - 1:10पर जब भी ये भूमिकाएँ मुझे मिलीं,
मुझे हैरानी हुई, -
1:10 - 1:14क्योंकि मैं अधिकतर ऐसे पुरुषों की भूमिका
अदा करता हूँ जिनमें मर्दानगी, प्रतिभा -
1:14 - 1:15और शक्ति कूट-कूटकर भरी है,
-
1:15 - 1:18और जब मैं आईने में खुद को देखता हूँ
मुझे ऐसा कुछ दिखाई नहीं देता। -
1:18 - 1:20पर हॉलीवुड को मैं ऐसा ही नज़र आया,
-
1:20 - 1:23और समय के साथ, मैंने पाया कि
-
1:23 - 1:25जो भूमिकाएँ मैं स्क्रीन पर करता हूँ
और उसके बाहर -
1:25 - 1:28दोनों में एक समानता है।
-
1:29 - 1:33मैं आजीवन ऐसा पुरुष बनने का
नाटक करता रहा जो मैं नहीं हूँ। -
1:34 - 1:37मैं ताकतवर बनने का नाटक करता रहा
जबकि मैं कमज़ोर महसूस करता था, -
1:37 - 1:40असुरक्षित होते हुए भी विश्वस्त रहा
-
1:41 - 1:43और मजबूत दिखा
जबकि वास्तव में कष्ट में था। -
1:44 - 1:47मुझे लगता है अधिकतर समय तो मैं
एक तरह से नाटक ही कर रहा था, -
1:49 - 1:50पर नाटक करते-करते थक चुका हूँ।
-
1:51 - 1:53और मैं आपको अभी बता सकता हूँ
-
1:53 - 1:58कि हर समय सबके लिए
साहसी बने रहना अत्यंत थका देता है। -
2:00 - 2:02अब... सही?
-
2:02 - 2:04(हंसी)
-
2:04 - 2:06मेरे भाई ने मेरी बात सुनी।
-
2:06 - 2:09अब, जहाँ तक मुझे याद है,
मुझे बताया गया है -
2:09 - 2:11कि मुझे बड़े होकर कैसा मर्द बनना चाहिए।
-
2:12 - 2:16बचपन में, मैं बस चाहता था कि अन्य लड़के
मुझे स्वीकारें और पसंद करें, -
2:16 - 2:18पर उस स्वीकृति का अर्थ था
-
2:18 - 2:21कि मुझे स्रियों के बारे में
ये घृणित विचार रखने होंगे, -
2:21 - 2:24और क्योंकि हमें बताया गया था
कि स्रीलिंग पुल्लिंग का विपरीत है, -
2:24 - 2:27मुझे या तो इनमें से किसी गुण को
स्वीकारना नहीं था -
2:27 - 2:29या फिर खुद अस्वीकार्य बन जाना था।
-
2:30 - 2:32हमें यही कथानक दिया गया था।
-
2:32 - 2:35सही? लड़कियाँ कमज़ोर होती हैं,
और लड़के मजबूत। -
2:36 - 2:38संसार भर में लाखों लड़कों और लड़कियों को
-
2:38 - 2:42अवचेतन ढंग से यही बताया जा रहा है,
-
2:42 - 2:43जैसा कि मुझे बताया गया।
-
2:45 - 2:48मैं आज यहाँ इसलिए आया हूँ,
-
2:48 - 2:53ताकि एक पुरुष होने की हैसियत से कह सकूँ
कि यह गलत है, ज़हरीला है, -
2:53 - 2:54और इसका अंत होना चाहिए।
-
2:54 - 2:58(तालियाँ)
-
3:01 - 3:04मैं यहाँ इतिहास का पाठ पढ़ाने नहीं आया।
-
3:04 - 3:07शायद हम सभी जानते ही हैं
कि हम यहाँ कैसे पहुँचे, हैं ना? -
3:07 - 3:10पर मैं वह पुरुष हूँ जो ३० साल बाद जागा
और मुझे महसूस हुआ -
3:10 - 3:12कि मैं तो संघर्ष की स्थिति में जी रहा था।
-
3:12 - 3:14उन दो शख्सों के बीच का संघर्ष:
मैं भीतर से जो हूँ -
3:14 - 3:17और वह शख्स जो संसार मुझे बताता है
कि मुझे बनना चाहिए। -
3:18 - 3:20पर मुझे मर्दानगी की खंडित परिभाषा पर
-
3:20 - 3:23पूरा उतरने की कोई चाह नहीं है।
-
3:24 - 3:26क्योंकि मैं बस एक अच्छा पुरुष
ही नहीं बनना चाहता। -
3:28 - 3:30मैं एक अच्छा मनुष्य बनना चाहता हूँ।
-
3:30 - 3:32और मेरा मानना है कि यह तभी संभव है
-
3:32 - 3:35अगर पुरुष उन गुणों को अपनाना सीखें
-
3:35 - 3:38जिन्हें आज तक महिलाओं के गुण समझते आए हैं
-
3:38 - 3:40और आवाज़ उठाने की हिम्मत करें,
-
3:40 - 3:43ताकि उन महिलाओं से सीखें
और उनके पक्ष में बोलें जिनमें वे गुण हैं। -
3:45 - 3:46अब, पुरुषों...
-
3:46 - 3:48(हंसी)
-
3:48 - 3:52मैं यह नहीं कह रहा कि
हमने जो भी सीखा ज़हरीला है। अच्छा? -
3:52 - 3:55मैं यह नहीं कह रहा कि मुझमें और आपमें
कुछ स्वाभाविक रूप से गलत है, -
3:55 - 3:58और मैं यह भी नहीं कह रहा
कि हमें पुरुष बनकर नहीं रहना चाहिए। -
3:58 - 4:00पर हमें संतुलन तो चाहिए, हैं ना?
-
4:01 - 4:02हमें संतुलन चाहिए,
-
4:02 - 4:05और स्थिति को बदलने का एक ही तरीका है
-
4:05 - 4:09कि वे कथानक
जो हमें पीढ़ी दर पीढ़ी दिए जा रहे हैं -
4:09 - 4:10और वे भूमिकाएँ जो हम पुरुष होने के नाते
-
4:10 - 4:13अपने दैनिक जीवन में अपनाते आ रहे हैं,
-
4:13 - 4:15हम उन सबको ध्यान से देखें।
-
4:15 - 4:17तो कथानक की बात करते हुए,
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4:17 - 4:20मेरा सबसे पहला कथानक
मेरे पिताजी ने मुझे दिया। -
4:20 - 4:22मेरे पिता बहुत अच्छे इन्सान हैं।
-
4:22 - 4:28वह प्यार करने वाले, दयालु,
संवेदनशील, अच्छी परवरिश करने वाले हैं। -
4:29 - 4:30वह यहाँ हैं।
-
4:30 - 4:34(तालियाँ)
-
4:37 - 4:38वह रो रहे हैं।
-
4:38 - 4:41(हंसी)
-
4:41 - 4:45पर माफ़ करें, पिताजी, बचपन में
मैं उनकी इसी बात पर नाराज़ रहता था, -
4:45 - 4:47क्योंकि मुझे नरम बनाने के लिए
मैं उन्हें दोषी ठहराता था, -
4:47 - 4:50क्योंकि ऑरेगन के उस छोटे शहर में
जहाँ हम नए आए थे -
4:50 - 4:51वहाँ यह स्वीकार्य नहीं था।
-
4:51 - 4:54क्योंकि नरम होने का अर्थ था
लोग मुझ पर धौंस जमाते थे। -
4:54 - 4:56देखिए, मेरे पापा पारंपरिक रूप से
मर्दाना नहीं थे, -
4:56 - 4:59तो उन्होंने मुझे हाथ चलाना नहीं सिखाया।
-
4:59 - 5:01उन्होंने मुझे शिकार करना,
-
5:02 - 5:04लड़ाई लड़ना, मर्दों वाले काम नहीं सिखाए।
-
5:05 - 5:07उसके बजाय, उन्होंने मुझे
वह सिखाया जो वह जानते थे -
5:07 - 5:10कि मर्द होना त्याग से संबंधित है
-
5:11 - 5:13और अपने परिवार के लिए जो कुछ कर सको
-
5:13 - 5:15उनका खयाल रखने
और ज़रूरतों को पूरा करने के लिए। -
5:15 - 5:18पर पिताजी से मैंने एक और भूमिका भी सीखी,
-
5:18 - 5:20जो, मुझे पता चला कि उन्होंने
अपने पिताजी से सीखी थी, -
5:20 - 5:22जो एक राज्य सेनेटर थे,
-
5:22 - 5:25जिन्हें बाद में अपने परिवार की
ज़रूरतें पूरी करने के लिए -
5:25 - 5:26रातों को चौकीदार का काम करना पड़ा।
-
5:27 - 5:29और उन्होंने किसी को भी नहीं बताया।
-
5:30 - 5:32वह भूमिका थी अकेले में सहने की।
-
5:32 - 5:34और अब तीन पीढ़ियों के बाद,
-
5:34 - 5:36मैं भी वही भूमिका अदा कर रहा हूँ।
-
5:37 - 5:41तो, क्यों मेरे दादा एक
और मर्द से बात नहीं कर पाए -
5:41 - 5:42और मदद नहीं माँग पाए?
-
5:43 - 5:47क्यों आज तक मेरे पिता यह सोचते हैं
कि उन्हें अकेले ही सब करना होगा? -
5:47 - 5:49मैं एक ऐसे मर्द को जानता हूँ जो मर जाएगा
-
5:49 - 5:51पर दूसरे मर्द को नहीं बताएगा
कि उसे कष्ट है। -
5:52 - 5:55पर ऐसा इसलिए नहीं है कि हम सभी
मजबूती से अकेले में सह सकते हैं। -
5:56 - 6:00ऐसा नहीं है। हममें से बहुत से मर्द
दोस्त बनाना, बातें करना, -
6:01 - 6:03कुछ भी वास्तविक करना नहीं जानते।
-
6:03 - 6:05(हंसी)
-
6:05 - 6:10यदि कुछ काम या खेलों
या राजनीति या औरतों से संबंधित है, -
6:10 - 6:12हमें अपनी राय बताने में कोई हर्ज नहीं,
-
6:13 - 6:16पर अगर यह हमारी असुरक्षाओं
या हमारे संघर्षों के बारे में है, -
6:16 - 6:18असफलता के हमारे डर के बारे में है,
-
6:19 - 6:21तो ऐसा लगता है मानो लकवा मार गया हो।
-
6:21 - 6:23कम से कम, मुझे तो ऐसा लगता है।
-
6:25 - 6:28तो इस व्यवहार से मुक्ति पाने के लिए
-
6:28 - 6:29मैं जो तरीके आज़मा रहा हूँ
-
6:29 - 6:33वे हैं: ऐसे अनुभवों का सृजन करना
जो मुझे कमज़ोर होने के लिए मजबूर कर दें। -
6:34 - 6:38तो अगर मेरे जीवन में कुछ ऐसा हो रहा है
कि मुझे शर्मिंदगी का अनुभव हो रहा है, -
6:38 - 6:40मैं सीधे उसमें शामिल हो जाता हूँ,
-
6:41 - 6:43चाहे वह कितना ही भयानक हो...
-
6:43 - 6:47और कई बार, जनता के सामने भी।
-
6:47 - 6:49क्योंकि ऐसा करने से
-
6:49 - 6:50मैं उसकी शक्ति छीन लेता हूँ,
-
6:51 - 6:53और मेरे कमज़ोर होने की वजह से
-
6:53 - 6:56अन्य मर्दों को ऐसा करने की
इजाज़त मिल जाती है। -
6:57 - 7:00उदाहरण के तौर पर, कुछ समय पहले,
-
7:00 - 7:02मैं अपने जीवन में किसी मसले से जूझ रहा था
-
7:02 - 7:05जिसके बारे में मैं जानता था
मुझे अपने मर्द दोस्तों से बात करनी होगी, -
7:06 - 7:09पर मैं इतना अधिक भयभीत था
-
7:09 - 7:12कि वे मेरे बारे में राय बनाएंगे
और मुझे कमज़ोर समझेंगे -
7:12 - 7:14और मैं अपना नेतृत्व खो दूँगा
-
7:15 - 7:17कि मैं जानता था कि मुझे उन्हें शहर से बाहर
-
7:17 - 7:20तीन दिन के ट्रिप पर ले जाना होगा
जिसमें सिर्फ मर्द हों... -
7:20 - 7:21(हंसी)
-
7:22 - 7:24बस बात बताने के लिए। और सोचें क्या हुआ?
-
7:24 - 7:27तीसरे दिन के अंत तक ही
-
7:27 - 7:31मैं उनसे बात करने की हिम्मत जुटा पाया
-
7:31 - 7:32कि मेरे साथ क्या बीत रहा है।
-
7:33 - 7:36पर जब मैंने बताया, कुछ हैरत भरी बात हुई।
-
7:36 - 7:37मुझे एहसास हुआ कि मैं अकेला नहीं हूँ,
-
7:38 - 7:40क्योंकि मेरे दोस्त भी संघर्ष कर रहे थे।
-
7:41 - 7:45और जैसे मुझे उनसे बात करनी की हिम्मत मिली
और अपनी शर्मिंदगी बांटने का साहस, -
7:45 - 7:46सब खत्म हो गया।
-
7:48 - 7:49अब, समय के साथ मैंने सीखा है
-
7:49 - 7:51कि अगर मैं कमज़ोरी का
अभ्यास करना चाहता हूँ, -
7:51 - 7:54तो मुझे खुद के लिए उत्तरदायित्व की
प्रणाली का विकास करना होगा। -
7:54 - 7:57तो एक अभिनेता होने के नाते
मैं भाग्यशाली हूँ। -
7:58 - 8:01मेरे बहुत से ज़बरदस्त प्रशंसक हैं,
-
8:01 - 8:04बहुत प्यारे और दिलचस्प,
-
8:04 - 8:06और इसलिए मैंने अपने सोशल मीडिया को
-
8:06 - 8:08एक तरह से अपनी ताकत के रूप में प्रयोग किया
-
8:08 - 8:12जहाँ मैं अपनी सच्चाई और कमज़ोरी का
एक दैनिक अभ्यास बना सकूँ। -
8:13 - 8:15प्रतिक्रिया अविश्वसनीय रही है।
-
8:16 - 8:19लोगों ने पुष्टि की, दिल को खुश किया।
-
8:19 - 8:23मुझे हर रोज़ बहुत सारा प्यार
और सकारात्मक संदेश आते हैं। -
8:25 - 8:26पर यह सब जनसंख्या के एक खास हिस्से हैं:
-
8:28 - 8:29महिलाओं की ओर से।
-
8:29 - 8:32(हंसी)
-
8:32 - 8:33यह वास्तविक है।
-
8:36 - 8:38क्यों सिर्फ महिलाएँ ही मेरी अनुयायी हैं?
-
8:39 - 8:40पुरुष कहाँ हैं?
-
8:40 - 8:42(हंसी)
-
8:42 - 8:44एक वर्ष पहले, मैंने यह तस्वीर पोस्ट की थी।
-
8:46 - 8:49अब, मैं बाद में कमेंट पढ़ रहा था,
-
8:49 - 8:53और मैंने देखा कि मेरी एक महिला प्रशंसक ने
अपने बॉयफ्रैंड को तस्वीर में टैग किया था, -
8:53 - 8:55और बॉयफ्रैंड ने जवाब में लिखा था,
-
8:55 - 8:59"कृपया मुझे इस समलैंगिक बकवास में
टैग करना बंद करो। -
8:59 - 9:00धन्यवाद।"
-
9:01 - 9:03(हंसी)
-
9:03 - 9:05जैसे कि समलैंगिक होने से
तुम्हारी मर्दानगी कम हो जाती है, हैं ना? -
9:06 - 9:08तो मैंने गहरी सांस ली,
-
9:09 - 9:10और जवाब लिखा।
-
9:12 - 9:14मैंने बहुत विनम्रतापूर्वक लिखा,
-
9:14 - 9:16मुझे बस जिज्ञासा थी,
-
9:16 - 9:18क्योंकि मैं मर्दानगी की खोज में निकला हूँ,
-
9:18 - 9:21और मैं जानना चाहता था
कि मेरी बीवी के लिए मेरा प्यार -
9:21 - 9:23समलैंगिक बकवास कैसे हो गई।
-
9:23 - 9:26और फिर मैंने कहा,
सच में मैं बस जानना चाहता था। -
9:26 - 9:31(हंसी)
-
9:31 - 9:34उसने तुरंत मुझे जवाब लिखा।
-
9:34 - 9:38मुझे लगा वह मुझ पर गुस्सा दिखाएगा,
पर उसने माफ़ी मांगी। -
9:39 - 9:42उसने मुझे बताया
कि जब वह बड़ा हो रहा था, -
9:42 - 9:45सबके सामने प्यार जताना
अच्छा नहीं समझा जाता था। -
9:45 - 9:49उसने मुझे बताया कि वह
अपने अहम् से संघर्ष कर रहा था, -
9:49 - 9:52और वह अपनी प्रेमिका से कितना प्रेम करता था
-
9:52 - 9:54और वह उसके धैर्य के लिए
कितना शुक्रगुज़ार था। -
9:56 - 9:57और फिर कुछ हफ्तों बाद,
-
9:57 - 9:59उसने मुझे फिर संदेश भेजा।
-
10:00 - 10:02इस बार उसने मुझे घुटने टेके हुए
-
10:03 - 10:05प्रस्ताव देते हुए अपनी तस्वीर भेजी।
-
10:05 - 10:10(तालियाँ)
-
10:10 - 10:12और उसने बस इतना कहा, "धन्यवाद।"
-
10:13 - 10:15मैं ऐसा ही पुरुष था।
-
10:15 - 10:17मैं समझ सकता हूँ।
-
10:17 - 10:19देखिए, सबके सामने वह
बस अपनी भूमिका अदा कर रहा था, -
10:19 - 10:21स्री जाति को अस्वीकार करते हुए, हैं ना?
-
10:21 - 10:25पर अंदर ही अंदर वह स्वयं को व्यक्त करने,
अपनी बात कहने, अपनी असलियत दिखाने की -
10:25 - 10:27इजाज़त पाने का इंतज़ार कर रहा था।
-
10:27 - 10:28और बस उसे एक और मर्द की ज़रूरत थी
-
10:28 - 10:32जो उसे ज़िम्मेदारी का एहसास दिलाता
और उसे सुरक्षित महसूस करवा सकता, -
10:32 - 10:33और वह तत्काल बदल गया।
-
10:33 - 10:36मुझे यह अनुभव बहुत पसंद आया,
-
10:36 - 10:38क्योंकि इसने मुझे एहसास करवाया
कि बदलाव संभव है, -
10:38 - 10:40प्रत्यक्ष संदेश के द्वारा भी।
-
10:41 - 10:44तो मैं जानना चाहता था
कि मैं और पुरुषों तक कैसे पहुँच पाऊँगा, -
10:44 - 10:46क्योंकि वे तो निस्संदेह
मेरे अनुयायी नहीं थे। -
10:46 - 10:48(हंसी)
-
10:48 - 10:50तो मैंने एक प्रयोग किया।
-
10:50 - 10:53तो मैंने रूढ़िवादी मर्दाना चीज़ों को
पोस्ट करना शुरू किया... -
10:53 - 10:55(हंसी)
-
10:55 - 10:59जैसे कि मेरी चुनौतिपूर्ण कसरतें,
मेरा खान-पान, -
10:59 - 11:02चोट लगने के बाद ठीक होने की मेरी यात्रा।
-
11:03 - 11:04और सोचिए क्या हुआ?
-
11:05 - 11:07पुरुषों ने लिखना शुरू किया।
-
11:07 - 11:11और फिर, अचानक,
मेरे पूरे कैरियर में पहली बार, -
11:11 - 11:13पुरुषों की एक फिटनेस पत्रिका ने
मुझसे सम्पर्क किया, -
11:14 - 11:18और उन्होंने कहा वे मुझे अपने एक परिवर्तक
के रूप में सम्मानित करना चाहते हैं। -
11:19 - 11:23(हंसी)
-
11:23 - 11:25क्या उससे सच में परिवर्तन हुआ?
-
11:27 - 11:29या क्या वह बस आदर्शों का
पालन करना मात्र था? -
11:29 - 11:30और देखिए, यही तो समस्या है।
-
11:30 - 11:32पुरुषों का मेरा अनुयायी बनना
-
11:32 - 11:36जब मैं पुरुषों की चीज़ों की बात करूँ
और मैं लिंग आदर्शों के अनुरूप चलूँ -
11:36 - 11:37एकदम मस्त है।
-
11:38 - 11:42पर अगर मैं बात करूँ कि अपनी बीवी से
या अपनी बेटी या अपने १०-दिन के बेटे से -
11:42 - 11:45कितना प्यार करता हूँ,
-
11:46 - 11:51कैसे मैं मानता हूँ कि शादी चुनौतिपूर्ण
परंतु खूबसूरत है, -
11:51 - 11:54और कैसे एक पुरुष होते हुए
मैं शारीरिक कायवैकल्य से जूझता हूँ, -
11:54 - 11:58या जब लैंगिक समानता को प्रोत्साहन देता हूँ
तो केवल महिलाएँ ही दिखाई देती हैं। -
11:58 - 11:59पुरुष कहाँ हैं?
-
12:01 - 12:04तो, पुरुषों,
-
12:06 - 12:07पुरुषों!
-
12:07 - 12:11(तालियाँ)
-
12:15 - 12:17मैं समझ सकता हूँ।
-
12:17 - 12:19बड़े होते हुए,
हम एक-दूसरे को चुनौति देते हैं, -
12:20 - 12:22हमें सबसे मजबूत बनना है,
-
12:22 - 12:24सबसे ताकतवर, सबसे साहसी मर्द बनना है।
-
12:25 - 12:29और हममें से अधिकतर के लिए, मेरे लिए भी,
हमारी पहचान इसी में संलिप्त है -
12:29 - 12:32कि दिन के आखिर में क्या
हमें एहसास हुआ कि हम साहसी हैं। -
12:33 - 12:36पर मेरे पास सभी पुरुषों
के लिए एक चुनौति है। -
12:36 - 12:38क्योंकि पुरुषों को चुनौति अच्छी लगती है।
-
12:38 - 12:39(हंसी)
-
12:40 - 12:43मैं आपको चुनौति देता हूँ
कि अपने अंदर तक झांकने में -
12:43 - 12:45आप उन सभी गुणों को प्रयोग करें
जिनसे आपको लगता है -
12:45 - 12:47कि आप मर्दानगी महसूस करते हैं।
-
12:49 - 12:52आपकी ताकत, आपका साहस, आपकी मजबूती:
-
12:52 - 12:56क्या हम उन्हें पुन: परिभाषित करके
अपने ही दिलों के अंदर झांक सकते हैं? -
12:58 - 13:00क्या आपमें इतना साहस है
-
13:00 - 13:02कि कमज़ोर बन पाएँ?
-
13:04 - 13:06मदद की ज़रूरत महसूस होने पर
दूसरे मर्द का आसरा ले सकें? -
13:07 - 13:09अपनी शर्मिंदगी को स्पष्ट मान सकें?
-
13:10 - 13:12क्या आप इतने ताकतवर हैं कि संवेदनशील बनें,
-
13:13 - 13:17दर्द हो या खुशी हो तो आँसू बहा सकें,
-
13:17 - 13:18चाहे उससे आप कमज़ोर ही दिखें?
-
13:20 - 13:22क्या आपमें इतना आत्मविश्वास है
-
13:22 - 13:25कि आपके जीवन में जो महिलाएँ हैं
उनकी बात सुन सकें, -
13:26 - 13:28उनके विचार और उनके समाधान सुनें,
-
13:28 - 13:30उनके दर्द सहें,
-
13:30 - 13:32और असलियत में उनपर यकीन करें,
-
13:32 - 13:34चाहे वे आपके खिलाफ ही कुछ कह रही हों?
-
13:35 - 13:37और क्या आपमें इतना साहस आ सकता है
-
13:38 - 13:41कि बाकी पुरुषों का विरोध कर पाएँ
जब आप अश्लील बातें, -
13:41 - 13:44या यौन उत्पीड़न की कहानियाँ सुनें?
-
13:44 - 13:47जब आप दोस्तों को उसके कूल्हे पकड़ने
या उसे नशे में चूर करने की बात करते सुनें, -
13:47 - 13:50क्या आप सच में विरोध करेंगे
और कुछ ऐसा करेंगे -
13:50 - 13:52ताकि एक दिन हमें
ऐसे संसार में ना रहना पड़े -
13:52 - 13:54जहाँ एक औरत को
सबकुछ दाँव पर लगाना पड़ता है -
13:54 - 13:55आगे बढ़कर "मैं भी" कहने के लिए?
-
13:55 - 13:59(तालियाँ)
-
14:06 - 14:08यह गंभीर मसला है।
-
14:09 - 14:11मुझे सच में ध्यान से देखना होगा
-
14:11 - 14:16कि मैंने किस तरह से अनजाने में
उम्र भर औरतों को कष्ट पहुँचाया है, -
14:16 - 14:18और यह अच्छा नहीं है।
-
14:19 - 14:25मेरी बीवी ने मुझे बताया
कि मेरा व्यवहार उसे तकलीफ़ दे रहा था -
14:25 - 14:26और मैं खुद को बदल नहीं रहा था।
-
14:27 - 14:30असल में, कभी-कभी जब वह कुछ कहने जाती
-
14:31 - 14:33घर पर या बाहर,
-
14:33 - 14:37मैं उसे बीच में काटकर
उसकी बात पूरी कर देता था। -
14:40 - 14:41बहुत बुरी बात है।
-
14:41 - 14:45सबसे बुरी बात तो यह थी कि मैं इस बात से
बिल्कुल अनजान था कि मैं ऐसा कर रहा था। -
14:45 - 14:46अनजाने में कर रहा था।
-
14:46 - 14:48तो मैं यहाँ अपना काम कर रहा हूँ,
-
14:48 - 14:50एक नारीवादी बनने की कोशिश कर रहा हूँ,
-
14:50 - 14:52संसार भर की नारियों की आवाज़
बुलंद कर रहा हूँ, -
14:52 - 14:54और फिर भी घर पर,
-
14:54 - 14:58मैं जिस औरत से सबसे अधिक प्यार करता हूँ
उसी को चुप करवाने के लिए इतना चिल्लाता था। -
15:00 - 15:02तो मुझे खुद से एक मुश्किल सवाल पूछना था:
-
15:03 - 15:05क्या मुझ में इतना साहस है
-
15:05 - 15:07कि बस चुप करके बात सुन पाऊँ?
-
15:07 - 15:09(हंसी)
-
15:09 - 15:12(तालियाँ)
-
15:12 - 15:15मुझे सच कहना होगा।
काश इस बात पर आप तालियाँ ना बजाते। -
15:15 - 15:16(हंसी)
-
15:18 - 15:20दोस्तों,
-
15:20 - 15:21यह वास्तविक है।
-
15:22 - 15:24और मैं तो बस सतह की बात कर रहा हूँ,
-
15:24 - 15:27क्योंकि हम जितना गहरा जाएँगे,
उतना भद्दा होता जाएगा, यकीनन कह सकता हूँ। -
15:27 - 15:31मेरे पास औरतें के खिलाफ़ हिंसा
और अश्लीलता या घरेलू कर्तवयों का विभाजन -
15:31 - 15:33या लैंगिक वेतन में असमानता की बात
-
15:33 - 15:35करने का समय नहीं है।
-
15:36 - 15:38पर मेरा मानना है कि पुरुष होने के नाते,
-
15:38 - 15:41समय आ गया है कि हम
अपने विशेषाधिकार से परे देखें -
15:41 - 15:43और पहचानें कि हम केवल
समस्या का हिस्सा नहीं हैं। -
15:43 - 15:45यारों, समस्या हम ही तो हैं।
-
15:45 - 15:48वह अवरोध है क्योंकि हमने
उसे वहाँ बनाया है, -
15:48 - 15:50और अगर हमें समाधान का हिस्सा बनना है,
-
15:50 - 15:52तो अब केवल लफ्ज़ों से काम नहीं होगा।
-
15:54 - 15:57बहाय लेखों में से एक कहावत है
जो बचपन से सुनी और मुझे बहुत पसंद है। -
15:58 - 16:02इसमें लिखा है, "मानवता का संसार
दो पंखों से बना है, -
16:03 - 16:04पुरुष और स्री।
-
16:05 - 16:09जब तक इन दोनों पंखों की ताकत में
समानता नहीं होगी, -
16:09 - 16:11परिंदा उड़ेगा नहीं।"
-
16:13 - 16:15तो महिलाओं,
-
16:16 - 16:19संसार भर के पुरुषों की ओर से,
-
16:20 - 16:21जो मुझ जैसा महसूस करते हैं,
-
16:23 - 16:24कृपया हमें क्षमा कर दें
-
16:25 - 16:28कि हम आपकी ताकत पर भरोसा नहीं कर सके।
-
16:30 - 16:32और मैं अब आपसे हमारी औपचारिक तौर पर
मदद करने के लिए कहूँगा, -
16:32 - 16:34क्योंकि हम यह काम अकेले नहीं कर सकते।
-
16:34 - 16:36हम पुरुष हैं। हम गड़बड़ तो करेंगे।
-
16:36 - 16:39हम गलत बातें कहेंगे।
हमें कुछ सुनाई नहीं देगा। -
16:39 - 16:42हम शायद, संभवत:,
आपका अपमान भी करेंगे। -
16:42 - 16:43पर उम्मीद मत हारें।
-
16:45 - 16:46हम आपकी वजह से यहाँ हैं,
-
16:48 - 16:51और आपकी तरह, पुरुषों की तरह, हमें हिम्मत
दिखानी होगी और आपका साथ देना होगा -
16:51 - 16:53जब आप लगभग हर चीज़ के
-
16:53 - 16:55खिलाफ जंग लड़ेंगी।
-
16:56 - 17:00अपनी कमज़ोरी को पहचानने के लिए
हमें आपकी मदद चाहिए -
17:00 - 17:01और हमारे साथ धैर्य दिखाने के लिए
-
17:01 - 17:05ताकि हम दिमाग से दिल तक की
यह लंबी, बहुत लंबी यात्रा -
17:05 - 17:08तय कर पाएं।
-
17:09 - 17:11और अंत में, माता-पिता के लिए:
-
17:13 - 17:15अपने बच्चों को यह सिखाने के बजाय
-
17:16 - 17:19कि बेटे साहसी और बेटियाँ सुंदर बनें,
-
17:21 - 17:24क्या हम शायद उन्हें इतना सिखा पाएँगे
कि वे भले इन्सान बनें? -
17:26 - 17:28तो वापिस मेरे पिताजी की बात पर।
-
17:29 - 17:34बड़े होते हुए, हर लड़के की तरह,
मैंने भी बहुत से मसलों का सामना किया, -
17:34 - 17:37पर अब मुझे एहसास होता है
कि यह उनकी संवेदनशीलता -
17:37 - 17:39और भावनात्मक ज्ञान की बदौलत है
-
17:39 - 17:42कि मैं यहाँ खड़ा होकर
आपसे यह बात कर पा रहा हूँ। -
17:43 - 17:45मुझे अपने पिताजी से जो गिला था,
-
17:45 - 17:47मुझे अब एहसास है
कि उसका उनसे कोई संबंध नहीं था। -
17:47 - 17:52वह सब मुझसे संबंधित था
और मेरी उस स्वीकारे जाने की चाह से -
17:52 - 17:54और वह भूमिका निभाने की
जो मेरे लिए बनी ही नहीं थी। -
17:55 - 17:58तो हालांकि, मेरे पिताजी ने मुझे
हाथों का प्रयोग करना नहीं सिखाया, -
18:00 - 18:02उन्होंने मुझे दिल का इस्तेमाल करना सिखाया,
-
18:02 - 18:05और उसकी वजह से
वह मेरे लिए सबसे साहसी पुरुष हैं। -
18:06 - 18:07धन्यवाद।
-
18:07 - 18:10(तालियाँ)
- Title:
- क्यों मैं "साहसी" बनने की इस कोशिश से तंग आ चुका हूँ
- Speaker:
- जस्टिन बाल्डोनी
- Description:
-
जस्टिन बाल्डोनी मर्दानगी को पुन: परिभाषित करने के लिए पुरुषों के साथ एक संवाद की शुरूआत करना चाहते हैं -- ऐसे तरीके ढूंढने के लिए ताकि अच्छे पुरुष ही नहीं बल्कि अच्छे मनुष्य बन पाएँ। एक हार्दिक निजी वार्ता में, वह अपने प्रयास के बारे में बताते हैं ताकि वह वास्तविक में जो हैं और जो संसार उन्हें बनाना चाहता है के बीच समन्वय ला सकें। और वह पुरुषों को एक चुनौति देते हैं: "अपने अंदर तक झांकने में आप उन सभी गुणों को प्रयोग करें जिनसे आपको लगता है कि आप मर्दानगी महसूस करते हैं।" बाल्डोनी कहते हैं, "आपकी ताकत, आपका साहस, आपकी मजबूती: क्या आपमें इतना साहस है कि संवदनशील बन सकें? क्या आपमें इतना साहस है कि कमज़ोर बन पाएँ? क्या आपमें इतना आत्मविश्वास है कि आपके जीवन में जो महिलाएँ हैं उनकी बात सुन सकें?
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 18:31
Abhinav Garule approved Hindi subtitles for Why I'm done trying to be "man enough" | ||
Abhinav Garule edited Hindi subtitles for Why I'm done trying to be "man enough" | ||
Arvind Patil accepted Hindi subtitles for Why I'm done trying to be "man enough" | ||
Arvind Patil edited Hindi subtitles for Why I'm done trying to be "man enough" | ||
Monika Saraf edited Hindi subtitles for Why I'm done trying to be "man enough" | ||
Monika Saraf edited Hindi subtitles for Why I'm done trying to be "man enough" | ||
Monika Saraf edited Hindi subtitles for Why I'm done trying to be "man enough" | ||
Monika Saraf edited Hindi subtitles for Why I'm done trying to be "man enough" |