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Rent Control in Mumbai

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    ♪ [संगीत] ♪
  • 0:13 - 0:17
    [अलेक्स] सम्पूर्ण विश्व के किराएदारों में
    किराया नियंत्रण लोकप्रिय है
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    क्योंकि उससे किराये में कमी होती है और
    उसके दुष्परिणाम कम ही हैं।
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    हालांकि, दीर्घ काल में,
    विस्तृत किराया नियंत्रण
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    पूरे शहरों को मिट्टी में मिला सकता है।
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    आज आप इसे देख सकते हैं, मुंबई, भारत में।
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    कराया नियंत्रण के सभी पूर्वानुमान
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    मुंबई में देखे जा सकते हैं।
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    किराये के मकानों की कमी है।
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    किराये के लिए बहुत ही कम,
    नए मकान बनाए जा रहे हैं,
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    और पुराने किराये के मकान ढेह रहे हैं
    और गिर रहे हैं।
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    500 से 600 रुपये महीने के किराये,
    शायद $10 प्रति माह पर,
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    मकानमालिक करों तक का भुगतान नहीं कर सकते,
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    मरम्मत और रखरखाव तो छोड़ ही दीजिये।
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    मुंबई में किराया नियंत्रण 1949 में
    प्रारम्भ हुआ
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    जब किरायों को 1940 के स्तर पर
    स्थिर कर दिया गया था।
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    और, आश्चर्य यह है कि तब से
    किराये शायद ही बढ़े हैं
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    ज़बरदस्त मुद्रास्फीति तथा
    बढ़ते हुये शहरीकरण के बावजूद।
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    और सीखने के लिए मैंने आईडीएफ़सी संस्थान की
    वैदेही टंडेल,
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    रूबेन अब्राहम और क्षितिज बत्रा
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    से बातें कीं... जो कि मुंबई का
    एक विचार समूह है
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    जो शहरी आधारभूत संरचना संबंधी
    मामलों पर काम करते हैं।
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    [अलेक्स] उन्होंने किरायों को
    1940 के स्तर पर स्थिर कर दिया?
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    [क्षितिज] कर दिया।
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    हम कहानियाँ सुनते हैं
    जहां परिवार दे रहे हैं
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    कुछ सौ रुपये किराये के लिए
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    उस फ्लैट के जिसकी कीमत
    अन्यथा लाख रुपये महीने तो होती ही।
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    तुम्हें बताना होगा
    कि लाख क्या होता है।
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    माफ़ करना। उसका अर्थ है 100,000 रुपये।
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    वाह! तो वे दे रहे हैं 100, 200
    या 300 रुपये महीना
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    किसी चीज़ के लिए
    जिसकी कीमत है 100,000 रुपये?
  • 2:03 - 2:05
    हाँ। ऐसे परिस्थितियों में,
    बहुत से परिवार हैं
  • 2:05 - 2:07
    जो अच्छी तरह से सम्पन्न हैं।
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    मगर वे जमाने से
    इन कराया नियंत्रित फ़्लैटों में हैं
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    और लंबे समय से वहाँ रह रहे हैं।
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    वे बड़ी संपत्तियाँ हैं।
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    कुछ एक तो बहुत बड़े, विशाल अपार्टमेंट हैं।
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    भारत में, किराएदारों के अधिकार,
    बहुत ही मजबूत हैं,
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    और न्यायिक व्यवस्था, बहुत ही धीमी।
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    इस इमारत के मालिक...
  • 2:27 - 2:30
    जो कि लंबे समय से
    किराया नियंत्रण के अधीन है...
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    ने बहुत समय इसे किराएदारों से
    खाली कराने का प्रयास किया।
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    दरअसल, इस इमारत का मालिक
    एक मुक़दमा लड़ रहा है
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    जिसे उसके दादा ने
    50 साल पहले दायर किया था।
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    यह मालिकों की ओर से
    एक उल्लेखनीय सूचना है।
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    ज़रा देखिये।
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    "इस इमारत के कुछ भाग
    खंडहर जैसे हाल में हैं,
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    जो गिर सकते हैं,
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    और किसी भी रहने वाले या पास से
    गुजरने वाले व्यक्ति के लिए ख़तरनाक हैं।"
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    यह ढह रही है।
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    इसका ध्वंस शुरू हो चुका है।
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    अब, एक तो यह धमकी है किराएदारों को
    निकालने के प्रयास के लिए।
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    मगर यह बहुत विश्वसनीय खतरा भी है।
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    [समाचार वाचक] भारत में
    एक और घातक इमारत गिरी।
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    शुक्रवार की भोर में मुंबई में
    एक पाँच मंज़िला अपार्टमेंट इमारत गिर पड़ी
  • 3:19 - 3:21
    जबकि लोग गहरी नींद में सो रहे थे।
  • 3:21 - 3:24
    अभी तक यह पता नहीं चल पाया है
    कि कितने लोग मलबे के नीचे दबे हुये हैं।
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    राहतकर्मी बचे लोगों की खोज में
    पूरे दिन खुदाई करते रहे हैं।
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    [वैदेही] दरअसल मौजूदा इमारतों के
    रखरखाव के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं है
  • 3:30 - 3:34
    और आप उन इमारतों की
    बुरी हालत देख सकते हैं
  • 3:34 - 3:36
    जो किराया नियंत्रणाधीन हैं।
  • 3:36 - 3:41
    तो, प्रशासन को एक मूल्यांकित इमारत नीति
    बनानी पड़ी
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    जो एक तरह से इन इमारतों की देखभाल करती है
    और इनके रखरखाव का ख़र्च उठाती है।
  • 3:45 - 3:46
    एक विशेष कर जैसे की उपकर ?
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    हाँ, मरम्मत और रखरखाव
    इन अति ध्वस्त और
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    ख़तरनाक किराया नियंत्रणाधीन इमारतों के।
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    तो, क्या प्रशासन वास्तव में इस कर राशि का
    उपयोग करता है
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    इनको ठीक कराने में?
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    दरअसल, मुझे पता नहीं है।
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    [अलेक्स] मुंबई में किराया नियंत्रण की
    एक और समस्या है।
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    किराया नियंत्रण के कारण मकान मालिक
    मकान खाली रखने को प्रोत्साहित होते हैं
  • 4:10 - 4:14
    बजाय उनको किराये पर दे कर
    यह खतरा उठाने के कि
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    उन्हें ऐसा किरायेदार मिल जाएगा
    जिससे वे खाली नहीं करा सकेंगे
  • 4:17 - 4:19
    अगली आधी शताब्दी तक।
  • 4:20 - 4:23
    इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि 15%
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    मकान मुंबई में खाली पड़े हैं।
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    [क्षितिज] मेरे विचार से 2011 जनगणना में...
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    एक प्रशासनिक सर्वेक्षण में...
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    करीब एक करोड़ दस लाख मकान
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    भारत के शहरी क्षेत्रों में खाली थे,
    जो कि एक बड़ी संख्या है,
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    इस परिस्थिति में कि उनके ही अनुमानानुसार
    करीब एक करोड़ अस्सी लाख मकानों की कमी है।
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    [अलेक्स] स्पष्ट है कि
    किराया नियंत्रण के अंत से
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    ऐसी अनेक समस्याएँ समाप्त हो जाएंगी।
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    मगर क्या कोई और तरीके हैं जिनसे
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    वहन योग्य मकान बाज़ार में उपलब्ध हो सकें?
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    क्या सरकार ग़रीबों के लिए
    और अधिक मकान बना सकती है?
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    [रूबेन] मैं इसी विषय पर काम कर रहा हूँ
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    पिछले करीब नौ सालों से और अब कहने लगा हूँ
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    "वहन योग्य मकानों" के स्थान पर
    "मकानों का वहन। "
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    जो भी मकान बिक्री के लिए आएंगे
    उनको ले लिया जाएगा
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    अमीरों या जिनके पास भी साधन होंगे
    उनके द्वारा।
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    तो, इसलिए, मैं तो कहूँगा कि अब तो
    सारा ध्यान लगाना होगा
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    केवल मकानों की आपूर्ति की ओर।
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    क्योंकि यदि आपूर्ति नहीं बढ़ाई जाएगी,
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    अमीर उन पर कब्ज़ा करते ही रहेंगे।
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    आप ऐसे अनेक दृष्टांत
    मुंबई में ही देख सकते हैं
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    अगर आप शहरी योजनाओं को देखेंगे,
    और आप इन योजनाओं को देखिये
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    वहन करने योग्य घरों की,
    जहां चार एक-बेडरूम वाले अपार्टमेंट
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    प्रभावी रूप से एक चार-बेड रूम वाला
    अपार्टमेंट बन जाते हैं।
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    तो एक तरह से, आप ग़रीबों से छीन कर
    अमीरों के लिए ऐशगाह बना रहे हैं।
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    जब भी बाज़ार में दो दाम होंगे,
  • 5:44 - 5:46
    कम दाम अधिक दाम वाले को बिक जाएगा,
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    या कोई ऐसा बाज़ार संचालक होगा
    जो रास्ता ढूंढ लेगा
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    सस्ते दाम पर लेने का
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    क्योंकि बाज़ार में उच्च दाम
    वास्तव में उपलब्ध होगा।
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    यूं तो, झोपड़ पट्टी ग़रीबी लगती है,
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    जबकि दरअसल वह एक
    अचल संपत्ति संबंधी समस्या है
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    क्योंकि मकानों की कीमतें आसमान छू रही हैं
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    और मुंबई जैसे शहर के आय स्तर
    उसके समकक्ष नहीं हैं।
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    तो, झोपड़ पट्टी वास्तव में अकेली उपलब्ध
    मकान संसाधन हैं।
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    सही है, उपलब्ध मकान और मज़ाक यह है,
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    कि किराये के लिए बस यही उपलब्ध है।
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    जब एक बार इस तरह की नीति लागू हो जाती है,
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    तब इसका संगठित विरोध नहीं हो सकता।
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    अगर आप किराये बढ़ाने का प्रयास करते हैं,
    तो राजनीतिक प्रतिघात मिलेगा।
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    तो, लोग कहेंगे कि मुंबई में पहले ही
    किराये इतने अधिक हैं,
  • 6:33 - 6:37
    आप किराया नियंत्रण में
    किराये क्यों बढ़ाएँगे?
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    यह एक नीति है जो न केवल उनको
    प्रभावित करती है जो वहाँ रह रहे हैं
  • 6:42 - 6:43
    साथ ही जो नहीं रह सकते उन्हें भी।
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    वे लोग जो वहाँ रहते तो नहीं
    मगर रहना चाहते हैं।
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    सही है।
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    उनके पास क्रियान्वयन के लिए
    राजनीतिक आधार नहीं होता है।
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    बिलकुल। सही बात है।
  • 6:52 - 6:53
    वाह।
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    [अलेक्स] किराया नियंत्रण
    एकमात्र समस्या नहीं है।
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    अनुमोदन प्रक्रिया
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    मुंबई में नए मकान बनाने के लिए भी,
    बहुत विस्तृत है।
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    कुछ तो है कि, बिल्डरों पर
    अनेक अपेक्षाओं का बंधन है,
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    केवल सुरक्षा मामलों संबंधी नहीं,
    बल्कि इमारत की ऊंचाई,
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    कमरों का आमाप, यहाँ तक कि
    पार्किंग आवश्यकताएँ
  • 7:14 - 7:19
    उन अपार्टमेंट्स के निर्माण के लिए भी जहां
    निवासियों के पास सामान्यतः कार होती नहीं।
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    एकमात्र सबसे बड़ी समस्या अनुमोदन की है।
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    अनुमोदन प्रक्रिया...
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    यहाँ यूरोप और अमरीका से भी अधिक लंबी है?
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    कहीं लंबी। आज, भारत में पूंजी का मूल्य
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    अधिक नहीं तो भी करीब 15% है।
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    और 15% पर, यदि अनुमोदन प्रक्रिया में
    24 महीने लगते हैं,
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    आश्चर्य मत करना यदि में केवल
    आलीशान घर ही बना सकूँ।
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    मैं उससे सस्ता कुछ बना ही नहीं सकता
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    और कारण तो साधारण गणितीय है।
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    यह बस ऐसे ही काम करता है।
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    जब तक पूंजी का मूल्य इतना अधिक रहेगा
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    व अनुमोदन प्रक्रिया इतनी लंबी रहेगी
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    आपको आलीशान मकान ही मिलेंगे।
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    कंपनियाँ जिन्होंने
    इस स्पष्ट उद्देश्य से शुरुआत की
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    कि वे वहाँ योग्य घर बनाएँगी...
    बड़ी बड़े निवेश प्राप्त किए
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    निजी निवेशकों से 700,000 रुपये के
    घर बनाने के लिए...
  • 8:00 - 8:02
    आज पचास लाख रुपयों के घर बना रही हैं
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    क्योंकि अनुमोदन प्रक्रिया ने
    उनके साथ यह कर दिया है।
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    यह उन सब नियंत्रणों का प्रभावी नतीजा है
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    जिन्हें अच्छी नीयत से लागू किया गया था,
  • 8:14 - 8:17
    मगर ज़ाहिर है... आपने सुना होगा
  • 8:17 - 8:19
    नर्क का रास्ता
    सदा अच्छाइयों से ही निकलता है।
  • 8:19 - 8:21
    यह उसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
  • 8:23 - 8:25
    [वाचक] अब आप
    अर्थशास्त्र के गुरू बनने वाले हैं।
  • 8:25 - 8:28
    अभ्यास के कुछ प्रश्न करना ना भूलें
    ताकि यह वीडियो याद रहे।
  • 8:28 - 8:31
    अगर आप अधिक
    विकास अर्थशास्त्र के लिए तैयार हैं
  • 8:31 - 8:32
    अगले वीडियो के लिए क्लिक करें।
  • 8:33 - 8:34
    अभी यहीं हैं?
  • 8:34 - 8:38
    मार्जिनल रेवोल्यूशन यूनिवक्सिटी
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Title:
Rent Control in Mumbai
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Video Language:
English
Team:
Marginal Revolution University
Project:
Development Economics
Duration:
08:43
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Shilpa Palsule accepted Hindi subtitles for Rent Control in Mumbai
Shilpa Palsule edited Hindi subtitles for Rent Control in Mumbai
Ravi Srivastava edited Hindi subtitles for Rent Control in Mumbai
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