५०० शरणार्थियों वाला जहाज़ डुबता है| दो बचनेवालों की कहानी
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0:01 - 0:05हर रोज़, मैं ऐसी दुखद कहानियां सुनती हूँ
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0:05 - 0:08जिनमें लोग अपनी जान बचाने के लिए
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0:08 - 0:09खतरनाक सीमाओं और
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0:09 - 0:12विद्वेषपूर्ण समुद्रों को पार कर जाते है।
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0:12 - 0:14किन्तु एक कहानी है जो
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0:14 - 0:17मुझे रातों को जगाये रखती है,
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0:17 - 0:18और वह है डोआ की कहानी।
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0:18 - 0:21एक १९ वर्षीया, सीरिया की शरणार्थी,
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0:21 - 0:24वह मिस्र में दिहाड़ी पर काम करते हुए
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0:24 - 0:27एक कष्टपूर्ण अस्तित्व जी रही थी।
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0:27 - 0:29उसके पिता हमेशा सीरिया में अपने सम्पन्न
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0:29 - 0:32व्यापार के बारे में सोचते रहते थे,
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0:32 - 0:36जिसके एक बम ने चिथड़े उड़ा दिए थे।
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0:36 - 0:40और वह युद्ध, जिसकी वजह से वह वहां आये थे
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0:40 - 0:43उसे भी चार वर्ष हो चुके थे।
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0:43 - 0:46और जिस समुदाय ने कभी
उनका वहां स्वागत किया था -
0:46 - 0:49उनसे ऊब चुका था।
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0:49 - 0:50और एक दिन, मोटरसाइक्ल
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0:50 - 0:53सवारों ने उसका अपहरण करने की कोशिश की।
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0:53 - 0:55एक समय की महत्वाकांक्षी विद्यार्थी
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0:55 - 0:58जो केवल अपने भविष्य की सोचती थी,
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0:58 - 1:02अब हर समय डरी हुई रहती थी।
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1:02 - 1:04किन्तु वह आशापूर्ण भी थी,
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1:04 - 1:06क्यूंकि वह एक साथी सीरियन शरणार्थी
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1:06 - 1:09बासेम के साथ प्यार करती थी।
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1:09 - 1:11बासेम भी मिस्र में संघर्ष कर रहा था,
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1:11 - 1:14और उसने डोआ से कहा,
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1:14 - 1:18"आओ, हम यूरोप चलें; शरण और सुरक्षा मांगे।
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1:18 - 1:20मैं काम करूंगा, तुम पढ़ना--
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1:20 - 1:23एक नयी ज़िन्दगी का वादा।"
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1:23 - 1:24और उसने उसके पिता से
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1:24 - 1:27शादी के लिए उसका हाथ मांग लिया।
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1:27 - 1:29किन्तु वह जानते थे कि यूरोप जाने के लिए
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1:29 - 1:32उन्हें अपनी ज़िन्दगी दांव पर लगानी होगी,
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1:32 - 1:35भूमध्य सागर को पार करना ,
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1:35 - 1:38अपने हाथ काट कर तस्करों को देना,
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1:38 - 1:41जो अपनी क्रूरता के लिए जाने जाते थे।
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1:41 - 1:45और डोआ को पानी से बहुत डर लगता था।
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1:45 - 1:47वह हमेशा से डरती थी।
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1:47 - 1:50उसने तैरना कभी सीखा ही नहीं था।
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1:50 - 1:52उस वर्ष अगस्त का महीना था,
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1:52 - 1:55और पहले ही २००० लोग
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1:55 - 1:57भूमध्य सागर को पार करते हुए मर चुके थे,
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1:57 - 1:58किन्तु डोआ की एक दोस्त
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1:58 - 2:01उत्तरी यूरोप तक पहुँच गयी थी,
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2:01 - 2:03और उसने सोचा," शायद हम भी पहुँच सकते हैं।"
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2:03 - 2:05उसने अपने माता पिता से पूछा कि
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2:05 - 2:07क्या वह जा सकते हैं,
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2:07 - 2:09और एक बहुत दर्दनाक बहस के बाद,
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2:09 - 2:10उन्होंने हाँ कर दी,
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2:10 - 2:14और बासेम ने अपनी उम्र भर की कमाई--
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2:14 - 2:17२५०० डॉलर प्रत्येक के लिए--
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2:17 - 2:19तस्करों को दे दी।
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2:19 - 2:20वह शनिवार की सुबह थी
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2:20 - 2:22जब बुलावा आया,
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2:22 - 2:23और उन्हें बस में बिठाकर
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2:23 - 2:25समुद्र तट ले जाया गया,
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2:25 - 2:26समुद्र तट पर सैंकड़ों लोग।
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2:26 - 2:28फिर छोटी किश्तियों में बिठाकर एक पुरानी
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2:28 - 2:31मछली पकड़ने वाली नाव में ले जाया गया,
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2:31 - 2:33५०० लोगों को नाव में भर दिया गया,
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2:33 - 2:37३०० नीचे, ५०० ऊपर,उनमे थे
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2:37 - 2:39सीरियाई, फिलिस्तीनी, अफ़्रीकी,
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2:39 - 2:42मुस्लिम, और ईसाई,
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2:42 - 2:47१०० बच्चे, ६ वर्षीय सैंड्रा को मिलाकर--
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2:47 - 2:51और १८ महीने का मासा।
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2:51 - 2:52उस नाव में परिवार भरे हुए थे,
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2:52 - 2:55कंधे से कन्धा मिलाये हुए,
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2:55 - 2:57पाँव से पाँव।
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2:57 - 2:58डोआ अपनी टांगे छाती से
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2:58 - 3:01लगाये बैठी थी,
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3:01 - 3:04बासेम उसका हाथ पकड़े था।
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3:04 - 3:05पानी पर दूसरा दिन,
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3:05 - 3:07वे चिंता से ग्रसित थे
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3:07 - 3:08और अशांत समुद्र
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3:08 - 3:11की वजह से बीमार।
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3:11 - 3:15तीसरा दिन, डोआ को एक पूर्वाभास हुआ।
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3:15 - 3:17और उसने बासेम को कहा,
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3:17 - 3:20"मुझे डर है हम नहीं कर पाएंगे।
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3:20 - 3:23मुझे लगता है नाव डूबने वाली है।"
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3:23 - 3:24और बासेम ने उसे कहा,
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3:24 - 3:26"कृपया धीरज रखो,
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3:26 - 3:27हम स्वीडन पहुंचेंगे,
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3:27 - 3:29हम शादी करेंगे
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3:29 - 3:31और हमारा एक भविष्य होगा। "
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3:31 - 3:35चौथा दिन, मुसाफिर उत्तेजित होने लगे थे।
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3:35 - 3:37उन्होंने कप्तान से पूछा,
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3:37 - 3:38"हम वहां कब पहुंचेंगे?"
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3:38 - 3:40उसने उन्हें चुप रहने को कहा,
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3:40 - 3:42और उन्हें अपमानित भी किया।
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3:42 - 3:44उसने कहा, "हम १६ घंटों में
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3:44 - 3:47इटली के तट पर पहुँच जायेंगे।"
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3:47 - 3:50वे कमज़ोर और निढाल थे।
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3:50 - 3:51उन्होंने एक किश्ती आते देखी -
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3:51 - 3:54एक छोटी किश्ती जिसमें १० लोग सवार थे,
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3:54 - 3:55और वह उनपर चिल्लाने लगे,
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3:55 - 3:57गाली गलौज करने लगे,
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3:57 - 3:59डंडे फेंकने लगे, और उन्हें
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3:59 - 4:02नाव में से उतर कर छोटी किश्ती में
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4:02 - 4:03बैठने को बोलने लगे,
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4:03 - 4:06जो समुद्री यात्रा के अयोग्य थी।
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4:06 - 4:07माता पिता अपने बच्चों
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4:07 - 4:09के लिए भयभीत थे,
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4:09 - 4:11और उन सबने उतरने से
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4:11 - 4:14मना कर दिया।
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4:14 - 4:17वे गुस्से में किश्ती को ले गए,
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4:17 - 4:22आधे घंटे के बाद, वापिस आकर
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4:22 - 4:25जान बूझ कर डोआ की नाव
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4:25 - 4:28की एक तरफ छेद करने लगे,
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4:28 - 4:29ठीक नीचे, जहां वह
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4:29 - 4:32और बासेम बैठे थे।
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4:32 - 4:35और उसने उनकी चीखें सुनी,
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4:35 - 4:39"मछलियों को तुम्हारा गोश्त खाने दो!"
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4:39 - 4:43और वे हंसने लगे जैसे ही नाव
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4:43 - 4:46उल्ट कर डूबने लगी।
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4:46 - 4:49डेक के नीचे के ३०० लोगों
का जीवन तो -
4:49 - 4:50समाप्त ही था।
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4:50 - 4:51डोआ ने नाव को पकड़ रखा था
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4:51 - 4:54जैसे वह डूब रही थी,
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4:54 - 4:59और एक छोटे से बच्चे को नाव के प्रोपेलर
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4:59 - 5:02द्वारा कटते हुए देख कर वह सहम गयी थी।
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5:02 - 5:05बासेम ने उससे कहा," कृपया छोड़ दो ,नहीं तो
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5:05 - 5:06तुम भी खींची जाओगी
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5:06 - 5:08और मोटर तुम्हे भी काट देगी।"
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5:08 - 5:11और याद है-- वह तैर नहीं सकती।
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5:11 - 5:15किन्तु उसने छोड़ दिया और
अपनी टांगें और बाहें हिलाने लगी, -
5:15 - 5:17यह सोचते हुए कि,
"यह तैरना है। " -
5:17 - 5:22और चमत्कार देखिये,
बासेम को एक जीवन रक्षक चक्र मिला। -
5:22 - 5:24बच्चों के खेलने वाला चक्र
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5:24 - 5:28जिसके साथ वह तरणताल और
शांत समुद्र में खेल सकते हैं। -
5:28 - 5:30और डोआ उस चक्र पर चढ़ गयी,
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5:30 - 5:34उसकी टांगें और बाहें दोनों तरफ
लटक रही थीं। -
5:34 - 5:37बासेम एक अच्छा तैराक था,
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5:37 - 5:42तो वह उसका हाथ पकड़ कर
पानी में चलता रहा। -
5:42 - 5:44उनके आस पास मृत शरीर थे।
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5:44 - 5:46आरम्भ में लगभग १०० लोग जीवित बचे,
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5:46 - 5:51जो समूहों में इकठे होने लगे,
अपने बचाव के लिए प्रार्थना करने लगे। -
5:51 - 5:55किन्तु जब एक दिन गुज़र गया और कोई नहीं आया,
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5:55 - 5:57कुछ लोगों ने उम्मीद छोड़ दी,
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5:57 - 5:59और डोआ और बासेम देखते रहे.
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5:59 - 6:07कैसे दूर लोगों ने अपनी जीवन रक्षा जैकेट
उतारीं और पानी में डूब गए। -
6:07 - 6:13एक आदमी जिसके कंधे पर एक
छोटा बच्चा बैठा था, उनके पास आया, -
6:13 - 6:15नौ महीने का-- मालेक।
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6:15 - 6:20वह आदमी एक गैस कनस्तर पकड़े हुए तैर रहा था
और वह उनसे बोला, -
6:20 - 6:22"मुझे डर है कि मैं ज़िंदा नहीं बचूंगा।
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6:22 - 6:25मैं बहुत कमज़ोर हो गया हूँ। मुझ में अब
वह साहस नहीं बचा है।" -
6:25 - 6:30और उसने नन्हे मालेक को डोआ
और बासेम को सौंप दिया, -
6:30 - 6:34उसे जीवन रक्षा चक्र पर बिठा दिया।
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6:34 - 6:39तो अब वह तीन थे,
डोआ, बासेम, और नन्हा मालेक। -
6:39 - 6:42मुझे यहां कहानी में एक विराम लेने
दीजिये, ठीक यहाँ पर -
6:42 - 6:45एक प्रशन पूछने के लिए:
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6:45 - 6:51डोआ जैसे शरणार्थी ऐसे
जोखिम क्यों मोल लेते हैं? -
6:51 - 6:57लाखों शरणार्थी निर्वास में रह रहे हैं,
अधर में लटके हुए। -
6:57 - 7:02वे ऐसे देशों में रह रहे हैं[भाग रहे हैं]
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7:02 - 7:06जहाँ चार सालों से युद्ध चल रहा है।
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7:06 - 7:09यदि वे वापिस भी जाना चाहें,
तो नहीं जा सकते। -
7:09 - 7:12उनके घर, उनके व्यापार,
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7:12 - 7:15उनके शहर और उनके कसबे
पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं। -
7:15 - 7:18यह UNESCO द्वारा नामित एक
विश्व धरोहर शहर है, -
7:18 - 7:21सीरिया में होम्स।
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7:21 - 7:26तो लोग पडोसी देशों की ओर
भागते रहते हैं, -
7:26 - 7:29और हम उनके लिए रेगिस्तान में
शरणार्थी शिविर बना देते हैं। -
7:29 - 7:33हज़ारों लोग ऐसे शिविरों में रहते हैं,
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7:33 - 7:38और हज़ारों से भी ज़्यादा, लाखों,
कस्बों और शहरों में रहते हैं। -
7:38 - 7:40और वह समुदाय,
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7:40 - 7:42वह पड़ोसी देश जिन्होंने कभी
उनका स्वागत किया था -
7:42 - 7:44खुले दिलों के साथ
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7:44 - 7:47अभिभूत हो चुके हैं।
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7:47 - 7:52स्कूल, पीने के पानी की व्यवस्था, स्वच्छता,
यह सब पर्याप्त हैं ही नहीं। -
7:52 - 7:56यहां तक कि अमीर यूरोपीय देश भी
भारी निवेश के बिना इतने सारे -
7:56 - 8:01शरणार्थियों का प्रवाह नहीं संभाल पाते।
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8:01 - 8:06सीरिया युद्ध ने लगभग चालिस लाख लोगों
को सीमा के पार जाने को मजबूर कर दिया, -
8:06 - 8:11किन्तु सत्तर लाख से भी ज्यादा लोग
देश के भीतर भाग रहे हैं। -
8:11 - 8:15इसका अर्थ है कि सीरिया की आधी से ज्यादा
जनसँख्या को भागने के लिए -
8:15 - 8:18मजबूर होना पड़ा।
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8:18 - 8:23उन पडोसी देशों के पास वापिस चलते हैं
जिन्होंने अनेकों को शरण दी। -
8:23 - 8:29उन्हें लगता है कि अमीर देशों ने
उनके समर्थन में बहुत कम योगदान दिया है। -
8:29 - 8:35दिन महीनों में, और महीने सालों
में बदलते जा रहे हैं। -
8:35 - 8:38शरणार्थी अस्थायी तौर पर प्रवास करते हैं।
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8:38 - 8:42पानी में डोआ और बासेम के
पास वापिस चलते हैं। -
8:42 - 8:47यह उनका दूसरा दिन था और बासेम कमज़ोर
पड़ रहा था। -
8:47 - 8:51और अब डोआ की बारी थी बासेम से कहने की
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8:51 - 8:57"मेरी जान, हमारे भविष्य की आशा को मत छोडो।
हम ज़रूर कामयाब होंगे।" -
8:57 - 9:00और उसने उसको कहा,
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9:00 - 9:05"मुझे माफ़ कर दो मेरी जान,
कि मैंने तुम्हे इस मुश्किल में फंसाया। -
9:05 - 9:11मैंने कभी किसी और को इतना नहीं चाहा
जितना मैं तुम्हें चाहता हूँ।" -
9:11 - 9:14और उसने अपने आप को पानी में छोड़ दिया,
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9:14 - 9:24और डोआ देखती रही अपनी ही आँखों के सामने
अपनी जान को पानी में डूबते हुए। -
9:24 - 9:26उस दिन थोड़ी देर बाद,
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9:26 - 9:33डोआ के पास एक माँ अपनी १८ महीने की नन्ही
बच्ची, मासा को लेकर आई। -
9:33 - 9:36यह वही नन्ही बच्ची थी जिसकी तस्वीर
आपको जीवन रक्षक जैकेटों -
9:36 - 9:38के साथ मैंने पहले दिखाई थी।
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9:38 - 9:40उसकी बड़ी बहिन सैंड्रा
पानी में डूब चुकी थी, -
9:40 - 9:44और उसकी माँ जानती थी की उसे अपनी
बच्ची को बचाने के लिए -
9:44 - 9:46कुछ भी करना पड़ेगा।
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9:46 - 9:50और उसने डोआ से कहा,
"कृपया इस बच्ची को ले लो। -
9:50 - 9:55इसे अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लो।
मैं नहीं बच पाऊँगी।" -
9:55 - 10:00और फिर वह चली गयी और डूब गयी।
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10:00 - 10:04तो वह १९ वर्षीय शरणार्थी डोआ
जिसे पानी से बहुत भय था, -
10:04 - 10:06जो तैर नहीं सकती थी,
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10:06 - 10:12ने अपने आप को दो नन्हे बच्चों
का उत्तरदायी पाया। -
10:12 - 10:15और वह प्यासे थे, भूखे थे और
उत्तेजित थे, -
10:15 - 10:18और उसने उनका दिल बहलाने का
पूरा प्रयत्न किया, -
10:18 - 10:23उन्हें गाने सुनाये, कुरान की
शमस सुनाई। -
10:23 - 10:28उनके आस पास मृत शरीर फूल कर
काले पड़ रहे थे। -
10:28 - 10:30दिन में धूप बहुत तेज़ थी।
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10:30 - 10:32रात में शीतल चाँद और धुंद थी।
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10:32 - 10:35बहुत ही भयावह दृश्य था।
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10:35 - 10:40पानी में चौथे दिन, बच्चों के साथ
चक्र में बैठी डोआ -
10:40 - 10:42शायद ऐसी दिख रही थी।
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10:42 - 10:46चौथे दिन एक औरत उसके पास आई
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10:46 - 10:49और एक और बच्चे को लेने के लिए बोली--
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10:49 - 10:53एक नन्हा बालक, केवल चार वर्ष का।
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10:53 - 10:57जब डोआ ने बच्चे को ले लिया
और उसकी माँ डूब गयी, -
10:57 - 10:59वह रोते हुए बच्चे से बोली,
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10:59 - 11:04"वह सिर्फ तुम्हारे लिए पानी
और भोजन लेने गयी है।" -
11:04 - 11:06किन्तु उसके दिल की धड़कन
जल्द ही रुक गयी, -
11:06 - 11:11और डोआ को उस नन्हे बालक को
पानी में छोड़ना पड़ा। -
11:11 - 11:13बाद में उस दिन,
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11:13 - 11:16उसने उम्मीद से आसमान की तरफ देखा,
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11:16 - 11:20क्यूंकि उसे दो हवाई जहाज़
उड़ते हुए दिखाई दिए। -
11:20 - 11:25और उसने अपनी बाहें हिलायी,
इस आशा से कि शायद वह उसे देख लेंगे, -
11:25 - 11:27किन्तु वह जहाज़ जल्द ही चले गए।
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11:27 - 11:30उस दोपहर को, जब सूरज डूब रहा था,
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11:30 - 11:34उसने एक नाव देखी, एक व्यापारी जहाज़।
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11:34 - 11:38और उसने कहा, "हे भगवान, काश
यह मुझे बचा लें। " -
11:38 - 11:42उसने अपनी बाहें हिलायी और उसे लगा कि वह
लगभग दो घंटे तक चिल्लाती रही। -
11:42 - 11:47अब अँधेरा हो चुका था,
किन्तु अंत में खोजबत्तीने उसे ढूंढ लिया -
11:47 - 11:49और उन्होंने एक रस्सी फेंकी,
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11:49 - 11:55एक महिला को दो छोटे बच्चों के
साथ देख कर वह हैरान थे। -
11:55 - 11:58उन्होंने उन्हें जहाज़ पर खींच लिया,
उन्हें ऑक्सीजन और कम्बल दिए, -
11:58 - 12:01और एक यूनानी हेलीकाप्टर उन्हें
क्रीट के द्वीप पर -
12:01 - 12:04ले जाने के लिए आया।
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12:04 - 12:08किन्तु डोआ ने नीचे देख कर पूछा,
"मालेक का क्या होगा?" -
12:08 - 12:12और उन्होंने उसे बताया की वह नन्ही
बच्ची बच नहीं पायी-- -
12:12 - 12:16उसने जहाज़ के दवाखाने में
अपनी आखरी सांस ली थी। -
12:16 - 12:22किन्तु डोआ को यकीन था की जब उन्हें
बचाव जहाज़ पर लाया गया था, -
12:22 - 12:27तो वह नन्ही बच्ची मुस्कुरा रही थी।
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12:27 - 12:34उस विनाश में ५०० में से
केवल ११ लोग बच पाये। -
12:34 - 12:39उस हादसे की कोई अंतर्राष्ट्रीय
जांच नहीं हुई। -
12:39 - 12:43कुछ संचार माध्यमों ने समुद्र
में हुई सामूहिक हत्या के बारे में लिखा, -
12:43 - 12:45दर्दनाक हादसा,
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12:45 - 12:47किन्तु वह सिर्फ एक दिन के लिए।
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12:47 - 12:53और फिर समाचार बदलते गए।
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12:53 - 12:57इस बीच, क्रीट में एक
बच्चों के अस्पताल में, -
12:57 - 13:02नन्ही मासा मौत के बिलकुल करीब थी।
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13:02 - 13:05वह बहुत ही निर्जलित थी।
उसके गुर्दे काम नहीं कर रहे थे। -
13:05 - 13:08उसका ग्लूकोस स्तर बहुत ही निम्न था।
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13:08 - 13:11डॉक्टरों ने बचाने की भरपूर कोशिश की
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13:11 - 13:15और यूनानी नर्सें उसके पास रही, उसे
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13:15 - 13:17पकड़ती, उसे सीने से लगाती,
उसे गाने सुनातीं। -
13:17 - 13:22मेरे सहयोगी भी उसे मिलने गए और
उस के साथ अरबी में प्यारी बातें की। -
13:22 - 13:28आश्चर्यजनक रूप से, नन्ही मासा बच गयी।
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13:28 - 13:34और जल्द ही युनानी अख़बारों में
चमत्कारी बच्ची की खबरें छपने लगी, -
13:34 - 13:40जो पानी में बिना भोजन और बिना कुछ
पिए हुए जीवित रही, -
13:40 - 13:46और पूरे देश से उसे गोद लेने के लिए
प्रस्ताव आने लगे। -
13:46 - 13:49और इस बीच, डोआ क्रीट में
किसी और अस्पताल में थी, -
13:49 - 13:52कमज़ोर, निर्जलित।
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13:52 - 13:58जैसे ही वह अस्पताल से निकली मिस्र के
एक परिवार ने उसे अपने घर में ले लिया । -
13:58 - 14:03और शीघ्र ही डोआ की खबर
सब जगह फ़ैल गयी, -
14:03 - 14:07और फेसबुक पर एक फ़ोन नंबर भी
प्रकाशित कर दिया गया। -
14:07 - 14:11सन्देश आने लगे।
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14:11 - 14:16"डोआ, तुम्हे पता है कि मेरे
भाई के साथ क्या हुआ? -
14:16 - 14:23मेरी बहन? मेरे माता-पिता? मेरे मित्र?
तुम्हे पता है बच पाये या नहीं? -
14:23 - 14:27उनमें से एक सन्देश में लिखा था,
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14:27 - 14:32"मुझे लगता है की तुमने मेरी
नन्ही भतीजी, मासा को बचाया है।" -
14:32 - 14:36और उसमें यह तस्वीर थी।
-
14:36 - 14:38यह मासा के चाचा का सन्देश था,
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14:38 - 14:43एक सीरियाई शरणार्थी जो अपने परिवार
और मासा की बड़ी बहन -
14:43 - 14:46के साथ स्वीडन पहुँच गया था।
-
14:46 - 14:51हम आशा करते हैं की जल्द ही मासा उनके
साथ फिर से मिल जाएगी स्वीडन में, -
14:51 - 14:58और तब तक, उसका एथेंस में एक सुन्दर
अनाथालय में ध्यान रखा जा रहा है। -
14:58 - 15:05और डोआ? उसके बचने के बारे में भी सभी
को पता चल गया। -
15:05 - 15:09और संचार माध्यम ने इस साधारण महिला
के बारे में लिखा, -
15:09 - 15:13और कोई सोच भी नहीं सकता कि
वह कैसे जीवित रही -
15:13 - 15:16समुद्र में ऐसी मुश्किलों में,
-
15:16 - 15:20और फिर किसी की जान भी बचा पायी।
-
15:20 - 15:26द अकादमी ऑफ़ एथेंस, यूनान की
एक प्रतिष्ठित संस्था, -
15:26 - 15:29ने उसे वीरता पुरुस्कार से सम्मानित किया,
-
15:29 - 15:32और वह इस सब सराहना के लायक है,
-
15:32 - 15:36और वह एक और मौके के योग्य है।
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15:36 - 15:40किन्तु वह अब भी स्वीडन जाना चाहती है।
-
15:40 - 15:42वह वहाँ अपने परिवार के
साथ मिलना चाहती है। -
15:42 - 15:46वह मिस्र से अपनी माता और अपने पिता और
अपने छोटे भाई बहनों को भी -
15:46 - 15:48मिस्र से दूर वहां ले कर जाना चाहती है,
-
15:48 - 15:51और मेरा विश्वास है कि वह सफल होगी।
-
15:51 - 15:54वह वकील या राजनीतिज्ञ बनना चाहती है
-
15:54 - 15:59या कोई ऐसा जो अन्याय के खिलाफ लड़ सके।
-
15:59 - 16:03वह एक असाधारण उत्तरजीवी है।
-
16:03 - 16:06किन्तु मैं पूछना चाहती हूँ:
-
16:06 - 16:08क्या होता यदि उसे यह जोखिम न उठाना पड़ता?
-
16:08 - 16:11उसे यह सब क्यों करना पड़ा?
-
16:11 - 16:16उसके लिए यूरोप में पढ़ने का कोई
कानूनी तरीका क्यों नहीं था ? -
16:16 - 16:21क्यों मासा एक हवाई जहाज़
में बैठ कर स्वीडन नहीं जा सकती थी? -
16:21 - 16:24क्यों बासेम को कोई काम नहीं मिल सकता था?
-
16:24 - 16:30क्यों हमारे समय के सबसे
बुरे युद्ध के पीड़ित सीरियाई -
16:30 - 16:34शरणार्थियों के लिए कोई
विशाल पुनर्वास कार्यक्रम नहीं है? -
16:34 - 16:41संसार में १९७० में विएतनामियों के लिए
ऐसा किया गया था। अब क्यों नहीं ? -
16:41 - 16:45क्यों इतना कम निवेश है उन
पड़ोसी देशों में जो इतने सारे -
16:45 - 16:49शरणार्थियों को शरण दे रहे हैं?
-
16:49 - 16:52और मूल प्रश्न क्यों,
-
16:52 - 16:58इतना कम किया जा रहा है इन युद्धों को
रोकने के लिए, इस अत्याचार -
16:58 - 17:03और इस गरीबी को रोकने के लिए, जो इतने सारे
लोगों को धकेल रहा है -
17:03 - 17:06यूरोप के समुद्र तट की ओर?
-
17:06 - 17:09जब तक यह मामले सुलझाये नहीं जायेंगे,
-
17:09 - 17:12सुरक्षा और पनाह को ढूंढते हुए
-
17:12 - 17:16लोग समुद्र की तरफ जाते रहेंगे।
-
17:16 - 17:18और फिर आगे क्या होगा?
-
17:18 - 17:21यह तो यूरोप के चुनाव की बात है।
-
17:21 - 17:25मैं आम जनता के डर को समझ सकती हूँ।
-
17:25 - 17:32लोग अपनी सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, संस्कृति
के परिवर्तनों के बारे में चिंतित हैं। -
17:32 - 17:37किन्तु क्या वह मानव जीवन बचाने
से ज़्यादा आवश्यक है? -
17:37 - 17:40क्यूंकि यहाँ पर कुछ मौलिक बात है
-
17:40 - 17:43जो बाकि सब से बहुत अधिक महत्वपूर्ण है,
-
17:43 - 17:47और वह है हमारी सामान्य मानवता।
-
17:47 - 17:51युद्ध अथवा अत्याचार से भागते किसी भी
-
17:51 - 17:56व्यक्ति को सुरक्षा की खोज में समुद्र
लांघते हुए मरने की नौबत नहीं आनी चाहिए। -
17:56 - 18:03(तालियां)
-
18:03 - 18:04एक बात निश्चित है,
-
18:04 - 18:07उन खतरे से भरी किश्तियों पर कोई
शरणार्थी नहीं होता, यदि वह -
18:07 - 18:10वहाँ फल फूल सकते, जहाँ वह रहते हैं।
-
18:10 - 18:13और कोई प्रवासी वह खतरनाक
सफर नहीं करता -
18:13 - 18:17यदि उसके पास अपने और अपने बच्चों के
खाने के लिए पर्याप्त भोजन होता। -
18:17 - 18:19और कोई अपनी उम्र भर की बचत
-
18:19 - 18:22उन बदनाम तश्करों के हाथ नहीं देता
-
18:22 - 18:25यदि प्रवास करने का कोई वैध तरीका होता।
-
18:25 - 18:29नन्ही मासा
-
18:29 - 18:31और डोआ
-
18:31 - 18:33और बासेम की तरफ से
-
18:33 - 18:38और उन ५०० से जो उनके साथ
डूब गए थे , -
18:38 - 18:42क्या हम यह निश्चित कर सकते हैं कि
उनकी मौत बेकार नहीं जाएगी? -
18:42 - 18:46क्या हम इस घटना से प्रेरित होकर,
-
18:46 - 18:53एक ऐसे संसार का निर्णय लें सकेंगे जिसमें
प्रत्येक जीवन का मूल्य हो। -
18:53 - 18:54धन्यवाद।
-
18:54 - 19:01(तालियाँ)
- Title:
- ५०० शरणार्थियों वाला जहाज़ डुबता है| दो बचनेवालों की कहानी
- Speaker:
- मेलीस्सा फ्लेमिंग
- Description:
-
बहुत अधिक भार से लदे ५०० शरणार्थियों वाले जहाज़ पर एक युवती, एक असम्भाव्य नायिका के रूप में उभरती है। UN की शरणार्थी संस्था की मलिस्सा फ्लेमिंग द्वारा वर्णित, यह केवल एक, ऐसी ज़बरदस्त कहानी है जो एक मानवीय चेहरा दे पाती है मनुष्यों की उन वास्तविक संख्याओं को जो बेहतर ज़िन्दगी की खोज में पलायन कर रहे हैं... जैसे- जैसे शरणार्थी जहाज़ आते जाते हैं...
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 19:15
Abhinav Garule approved Hindi subtitles for A boat carrying 500 refugees sunk at sea. The story of two survivors | ||
Abhinav Garule edited Hindi subtitles for A boat carrying 500 refugees sunk at sea. The story of two survivors | ||
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Abhinav Garule edited Hindi subtitles for A boat carrying 500 refugees sunk at sea. The story of two survivors | ||
Arvind Patil accepted Hindi subtitles for A boat carrying 500 refugees sunk at sea. The story of two survivors | ||
Arvind Patil edited Hindi subtitles for A boat carrying 500 refugees sunk at sea. The story of two survivors |