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मैं एक आतंकी हमले में जीवित बची हूँ । मैंने जो सीखा वह साझा कर रही हूँ ।

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    मैं कल्पना भी नहीं कर सकती थी कि
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    वो 19 वर्ष का आत्मघाती हमलावर
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    मुझे एक महत्वपूर्ण सबक दे कर जायेगा।
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    परन्तु उसने ऐसा किया।
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    उसने मुझे सिखाया कि
    जिस व्यक्ति के विषय में आप कुछ नहीं जानते
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    उसके विषय में कुछ भी धारणा मत बनाईये।
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    जुलाई २००५ के एक गुरुवार की सुबह
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    वह हमलावर और मैं, जाने अनजाने
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    एक ही ट्रेन में एक ही समय पर सवार हुए,
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    हम एक दूसरे से कुछ फीट की दूरी पर खड़े थे।
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    मैंने उसे नहीं देखा।
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    वास्तव में मैंने किसी को भी नहीं देखा।
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    आप जानते हैं कि ट्यूब में
    आप को किसी को नहीं देखना है,
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    पर मेरा ख्याल है कि उसने मुझे देखा।
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    मेरा ख्याल है कि उसने हम सबकी ओर देखा,
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    और फिर विस्फोट करने के लिए बटन को दबाया।
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    मैं कई बार ये सोच का हैरान होती हूँ कि
    वह क्या सोच रहा था ?
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    विशेषत: इन अंतिम क्षणों में।
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    मुझे पता है कि यह निजी नहीं था।
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    वह मुझे जिल हिक्स को
    मारने या विकलांग करने नहीं आया था।
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    मेरा मतलब, वो मुझे जानता तक नहीं था।
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    नहीं।
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    बल्कि उसने मुझे
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    एक अनुचित और अवांछित नाम दे दिया।
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    मैं उसकी दुश्मन बन गई।
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    उसके लिए मैं 'कोई दूसरी' थी ,
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    'हम' के स्थान पर ' वो' थी।
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    वह नाम 'दुश्मन' उसे
    हमें मारने के लिए पर्याप्त था।
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    यह उसे वह बटन दबाने के लिए पर्याप्त था।
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    और वह चयनात्मक नहीं था।
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    अकेले मेरे ही डिब्बे में
    छब्बीस अमूल्य जाने गई,
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    और मैं लगभग उनमें से एक थी।
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    श्वास लेने में जितना समय लगता है
    उतने समय में
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    हम लोग गहरे अंधकार में गोते लगा रहे थे
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    कि वह लगभग वास्तविक था,
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    जिसकी कल्पना मैं टार पर चलते समय
    कर रही थी।
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    हम नहीं जानते थे कि हम दुश्मन हैं ।
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    हम बस रोज के आने जाने वाले यात्री थे
    जो कुछ मिनिटों पहले
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    ट्यूब के शिष्टाचारों का पालन कर रहे थे:
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    कोई आँखों का संपर्क नहीं,
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    कुछ बोलना नहीं
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    और कोई बातचीत नहीं।
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    परन्तु अन्धकार बढ़ने के साथ
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    हम एक दूसरे तक पहुँच रहे थे।
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    हम एक दूसरे की मदद कर रहे थे।
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    हम हमारे नाम पुकार रहे थे,
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    एक प्रकार की उपस्थिति दर्ज करने की तरह,
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    प्रतिउत्तर की प्रतीक्षा में।
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    " मैं जिल हूँ। मैं यहाँ हूँ।
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    मैं जिंदा हूँ।
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    ठीक है।"
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    " मैं जिल हूँ।
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    यहाँ
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    जिंदा
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    ठीक है।"
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    मैं एलिसन को नहीं जानती थी।
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    पर मैं प्रत्येक कुछ मिनिटों में
    उसकी उपस्थिति को सुनती थी ।
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    मैं रिचर्ड को नहीं जानती थी ।
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    पर वो जिंदा है यह बात
    मेरे लिए मायने रखती थी ।
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    मैं जो उनके साथ साझा किया
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    वो था मेरा नाम ।
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    वो नहीं जानते थे कि
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    मैं डिजाईन काउंसिल की विभागाध्यक्ष हूँ ।
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    और यहाँ मेरा प्रिय ब्रीफ़केस है,
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    जिसे भी उस सुबह बचाया गया।
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    वो नहीं जानते थे कि मैं आर्किटेक्चर और
    डिजाईन पत्रिकाएं प्रकाशित करती हूँ,
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    और मैं रॉयल सोसाइटी ऑफ़ आर्ट की सदस्य हूँ ,
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    और मैंने काला परिधान पहना है
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    अभी भी --
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    और मैं सिगारिलो पीती हूँ।
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    अब मैं सिगारिलो नहीं पीती।
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    अब मैं जिन पीती हूँ और TED टॉक्स देखती हूँ
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    नि:संदेह मैंने कभी सोचा नहीं था कि
    मैं यहाँ खडी रहूंगी
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    कृत्रिम पैरों पर संतुलन बनाती हुई,
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    व्याख्यान देती हुई।
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    मैं एक तरुण ऑस्ट्रेलियाई महिला थी
    जो लन्दन में असाधारण कार्य कर रही थी।
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    और मैं उस सब के लिए
    अंत तक तैयार नहीं थी।
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    मैंने जीवित रहने का दृढ़ निश्चय कर लिया था
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    कि मैंने अपने स्कार्फ से पैरों को हर तरफ से
    रक्त बहाव रोकने के लिए बांध लिया था,
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    और मैंने खुद को आत्मकेंद्रित कर लिया था
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    खुद की आवाज़ सुनने के लिए
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    केवल अंत: प्रेरणा से मार्ग दर्शन
    प्राप्त करने के लिए।
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    मैंने अपनी श्वास गति कम की।
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    अपनी जांघों को ऊपर किया
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    खुद को सीधा खड़ा किया
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    और अपनी आँखे बंद करने की
    तीव्र इच्छा पर नियंत्रण किया ।
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    मैं ऐसी स्थिति में लगभग एक घंटा थी,
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    एक घंटा
    अपनी पूरी जिंदगी को ध्यान से देखने के लिए
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    उस क्षण तक।
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    शायद मुझे इससे ज्यादा करना चाहिए था।
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    शायद मुझे और अधिक जीना था,
    और अधिक देखना था।
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    शायद मुझे दौड़ने जाना चाहिए था,
    नृत्य करना चाहिए था और योगाभ्यास भी।
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    पर मेरी प्राथमिकता और
    केंद्र बिंदु हमेशा से मेरा काम था।
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    मैं काम करने के लिए जीती थी।
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    मैं अपने बिज़नस कार्ड पर क्या थी
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    वो मेरे लिए मायने रखता था।
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    पर उस सुरंग में इसके कोई मायने नहीं थे।
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    जब तक मैंने पहला स्पर्श महसूस किया
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    मुझे बचाने वाले का
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    मैं बोलने में असमर्थ थी
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    एक छोटा सा शब्द 'जिल' कहने में भी।
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    मैंने अपने शरीर को उन्हें समर्पित कर दिया।
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    मैं जो कुछ कर सकती थी सब किया
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    और अब मैं उनके हाथों में थी।
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    मैंने समझा
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    कि मानवता कौन और क्या है,
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    जब पहली बार मैंने अपना ID टैग देखा
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    जो मुझे अस्पताल में भर्ती करते समय
    दिया गया था ।
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    और उस पर लिखा था:
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    "एक अज्ञात अनुमानित महिला"
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    एक अज्ञात अनुमानित महिला
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    वो चार शब्द मेरे लिए उपहार थे।
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    जिन्होंने मुझे स्पष्ट कहा
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    कि मेरी जिंदगी बचाई गई है,
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    केवल इसलिए कि मैं एक मनुष्य हूँ।
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    किसी भी प्रकार के अंतर से अंतर नहीं पड़ता
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    उन असाधारण कार्यो पर जो
    मेरे बचावकर्ता करने को तैयार थे
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    मुझे बचाने के लिए,
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    उन अज्ञात लोगों को बचाने के लिए
    जिन्हें वो बचा सकते थे
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    और खुद की जिंदगी दांव पर लगाते हुए।
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    उनके लिए मेरा धनी या निर्धन होना
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    मेरी त्वचा का रंग
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    मेरा महिला या पुरुष होना
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    मेरी यौन उन्मुखता
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    मैंने किसे मत दिया
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    मैं पढ़ी लिखी हूँ या नहीं
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    मुझमें विश्वास है या नहीं
    मायने नहीं रखता था।
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    कुछ भी मायने नहीं रखता था
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    सिवाय इसके कि मैं अमूल्य मनुष्य जीवन हूँ।
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    मैं खुद को एक जीवित तथ्य की तरह देखती हूँ
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    मैं प्रमाण हूँ
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    कि बिना शर्त के प्रेम और आदर से
    ना केवल जीवन बचाया जा सकता है
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    बल्कि इससे जीवन बदला भी जा सकता है।
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    यह मेरा और मेरे बचावकर्ता का
    एक शानदार चित्र है
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    पिछले साल लिया हुआ।
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    उस घटना के १० वर्ष बाद
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    हम लोग एक साथ हैं हाथों में हाथ लिए हुए।
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    इस सारी उथल-पुथल के बीच
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    मेरा हाथ घनिष्ठता से पकड़ा हुआ था।
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    मेरा चेहरा हल्के से सहलाया गया।
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    मुझे क्या महसूस हुआ?
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    मुझे प्रेम महसूस हुआ।
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    वह क्या था जिसने मुझे
    घृणा और प्रतिकार से बचाया,
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    किस ने मुझे यह कहने की शक्ति दी:
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    यह मेरे साथ समाप्त होता है
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    प्रेम ने।
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    मुझे प्रेम महसूस हुआ।
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    मैं एक सकारात्मक बदलाव की
    ताकत में विश्वास रखती हूँ
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    जो बहुत बड़ा है
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    क्योंकि मैं जानती हूँ कि
    हम क्या कर सकते हैं ।
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    मैं जानती हूँ कि मानवता की चमक
    क्या होती है।
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    यह मुझे कुछ बड़ी वस्तुओं पर विचार करने
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    और हम लोगों को कुछ प्रश्नों पर
    गौर करने के लिए छोड़ देती है :
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    क्या जो हम सब को एक करता है वो
    उससे बड़ा नहीं है जो हमें विभाजित करता है ?
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    क्या हमें किसी त्रासदी अथवा
    दुर्घटना की आवश्यकता है
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    'मनुष्य' नाम की प्रजाति के रूप में
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    एक दूसरे से गहराई से जुड़ने के लिए?
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    और कब हम अपने युग की बुद्धिमत्ता का
    आलिंगन करेंगे
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    मात्र सहिष्णुता से ऊपर उठ कर
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    स्वीकार्यता की ओर चलने के लिए
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    उन सब के लिए जो सिर्फ एक नाम हैं
    तब तक जब तक हम उन्हें नहीं जानते हैं ?
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    धन्यवाद
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    (तालियाँ )
Title:
मैं एक आतंकी हमले में जीवित बची हूँ । मैंने जो सीखा वह साझा कर रही हूँ ।
Speaker:
जिल हिक्स
Description:

जिल हिक्स की कहानी करुणा और मानवता की कहानी है, जो उथल-पुथल और घृणा में से बाहर निकल के आयी है । जुलाई २००५ में लन्दन में हुए आतंकी हमले में वो बच गई और आज वह उस दिन की घटनाओं और उनसे मिले महत्वपूर्ण सबक को साझा कर रही हैं क्योंकि वो जानती हैं कि जीवन कैसे जिया जाता है ।

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
10:37

Hindi subtitles

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