कौन कहता है कि अरबी में बोलना ’कूल’ नहीं है?
-
0:02 - 0:04सुप्रभात!
-
0:04 - 0:07जाग गये आप?
-
0:07 - 0:09उन्होंने मेरा नाम लिया लेकिन मैं
आपसे पूछना चाहती हूं कि -
0:09 - 0:13क्या आपमें से किसी ने चिट पर
अपना नाम अरबी मे लिखा है? -
0:13 - 0:18है कोई! कोई नहीं! ठीक है, कोई बात नहीं|
-
0:19 - 0:21एक बार की बात है, ज्यादा पहले नहीं,
-
0:21 - 0:26मैं अपने एक दोस्त के साथ
एक हॉ टेल मे खाना मँगा रही थी| -
0:26 - 0:29तो मैने बैरा को बुलाया और कहा,
-
0:29 - 0:33क्या आपके पास आहारिका है (अरबी में)?
-
0:34 - 0:37उसने मुझे अजीब तरह से देखा,
जैसे कि उसने गलत सुना हो -
0:37 - 0:40वो बोला, "माफ़ कीजिये? (अंग्रेजी मे)"
-
0:40 - 0:43मैने कहा, "आहारिका दीजिये (अरबी में)"
-
0:43 - 0:48उसने जवाब दिया, "आपको पता नहीं
इसे क्या कहा जाता है?" -
0:48 - 0:49" जानती हूं|"
-
0:49 - 0:54उसने कहा, " नहीं! इसे "मेनु" (अंग्रेजी में)
या मेन्यु (फ़्रेंच में) कहते हैं." -
0:54 - 0:56(क्या मेरा फ़्रेंच उच्चारण सही है?)
-
0:56 - 0:58"इधर आओ, इन्हें देखो जरा!" बैरा बोला.
-
0:58 - 1:02वो मुझसे बात करने मे बहुत चिढ़ रहा था,
और खुद से कह रहा था, -
1:02 - 1:05जाने कहां कहां से चले आते हैं!
-
1:05 - 1:08मेनु को आहारिका (अरबी मे) कहने का क्या मतलब है?
-
1:08 - 1:14दो शब्दों ने एक लडकी को एक लेबनन
युवा की नज़र में जाहिल -
1:14 - 1:18और गँवार बना दिया|
-
1:18 - 1:21वो ऐसे कैसे बोल सकती है?
-
1:21 - 1:24और तब मेरे मन मे ये खयाल आया|
-
1:26 - 1:28मुझे बहुत गुस्सा आया|
-
1:28 - 1:30मुझे वाकई बहुत बुरा लगा!
-
1:30 - 1:34क्या मुझे अपने ही देश मे
अपनी ही भाषा बोलने का अधिकार नही है? -
1:34 - 1:35ऐसा कहाँ होता है?
-
1:35 - 1:38हम यहाँ कैसे आ गये?
-
1:38 - 1:44खैर, अब जब हम इस हालत मे आ ही गये हैं,
तो मेरे जैसे बहुत लोग है यहां -
1:44 - 1:48जो अपने जीवन मे
एक ऐसे मुकाम पर पहुचेंगे जहां -
1:48 - 1:50वो जाने अन्जाने मे वो सब कुछ
पीछे छोड़ देंगे, -
1:50 - 1:53जो अब तक उनके साथ हुआ,
-
1:53 - 1:56ताकि वो खुद को आधुनिक और सभ्य कह सकें.
-
1:56 - 1:57क्या मैं अपनी संस्कृति, विचार,
-
1:57 - 2:00ज्ञान और अपनी सारी यादों को भूल जाऊं?
-
2:00 - 2:05बचपन की कहानियाँ सबसे अच्छी यादें
होती हैं, हमारी युद्ध की हैं! -
2:05 - 2:09क्या मैने जो कुछ भी अरबी मे पढ़ा है
वो भूल जाऊं सिर्फ़| -
2:09 - 2:12उनके जैसा बन जाने के लिये?
-
2:12 - 2:14बस एक भीड़ का हिस्सा?
-
2:14 - 2:16ये कहां से तर्कसंगत है?
-
2:16 - 2:19इस सबके बावजूद, मैं उसे समझने की कोशिश की|
-
2:19 - 2:25मैं उसे उसी निर्दयता से नहीं
आंकना चाहती थी जैसे उसने मुझे आंका! -
2:25 - 2:28अरबी भाषा आज की जरुरतों के हिसाब से
काफ़ी नहीं है| -
2:28 - 2:31ये विज्ञान और शोध के लिये उपयुक्त नही है,
-
2:31 - 2:34ये ऐसी भाषा नही है
जिसे हम विश्वविद्यालयों मे -
2:34 - 2:36प्रयोग करते हों या कार्यालय में
-
2:37 - 2:39या जिसमें हम कोई उच्च-स्तरीय शोध कर सकें!
-
2:39 - 2:42और इसे हवाई अड्डे पर तो बिल्कुल
नहीं बोल सकते. -
2:42 - 2:46नहीं तो आपके कपड़े उतरवा लिये
जायेंगे तलाशी के लिये. -
2:48 - 2:50तो फ़िर सवाल ये है कि
मैं अरबी मे कहाँ बोलूं| -
2:51 - 2:54तो हम अरबी का प्रयोग करना तो चाहते हैं,
लेकिन करें कहां? -
2:56 - 2:59ये सच का एक पैलू है|
-
2:59 - 3:04लेकिन इस सच का एक और पैलू है
जिसके बारे मे हमें सोचना चाहिए| -
3:05 - 3:07अरबी हमारी मातृभाषा है|
-
3:07 - 3:13शोध मे यह सिद्ध हो चुका है कि दूसरी
भाषाओं मे प्रवीण होने के लिए -
3:13 - 3:16मातृभाषा मे पारंगत होना आवश्यक है|
-
3:16 - 3:23मातृभाषा मे प्रवीणता होना दूसरी भाषा
सिखने की पहली शर्त है| -
3:25 - 3:26वो कैसे?
-
3:27 - 3:30ज़िबरान ख़लील ज़िबरान की ही मिसाल ले ली
-
3:30 - 3:33जब उन्होंने लिखना शुरु किया
तो अरबी का प्रयोग किया -
3:33 - 3:35उनके सारे विचार, उनकी कल्पना और उनके
-
3:35 - 3:37सिद्धांत उस बच्चे से प्रेरित थे जो गांव मे
-
3:37 - 3:39एक खास तरह की खुशबू में
-
3:39 - 3:42एक खास तरह की बोली सुनते हुये एक
-
3:42 - 3:47विशिष्ट विचार शैली के बीच पला बढ़ा|
-
3:47 - 3:54तो जब उन्होंने अंग्रेजी मे लिखना शुरु किया
तब तक उनके पास काफ़ी कुछ था| -
3:54 - 3:56तो जब उन्होने अंग्रेजी मे लिखा
-
3:56 - 3:59और जब आप उनकी अंग्रेजी रचनायें
पढ़ते हैं तो आपको वही खुशबू आती है, -
3:59 - 4:01और आप वैसा ही महसूस करते हैं|
-
4:01 - 4:04तब आप कल्पना कर सकते हैं कि ये
वही हैं जो अंग्रेजी मे लिख रहे हैं, -
4:04 - 4:11वही लड़का जो लेबनन पर्वत पर स्थित
एक गाँव से आया था| -
4:11 - 4:14तो यह एक ऐसी मिसाल है
जिसे कोई नकार नहीं सकता| -
4:18 - 4:22और दूसरी बात, ऐसा अक्सर कहा जाता है कि,
यदि आप किसी राष्ट्र को खत्म करना चाहते हैं -
4:22 - 4:25तो बस उसकी भाषा को नष्ट कर दीजिए,
-
4:25 - 4:27यही एक मात्र तरीका है|
-
4:27 - 4:30सभी विकसित समाज इस सच को जानते हैं|
-
4:32 - 4:39ज़र्मन, फ़्रांसीसी, जापानी और चीनी,
सभी राष्ट्र ये अच्छी तरह जानते हैं| -
4:39 - 4:43तभी तो उन्होंने अपनी भाषा के संरक्षण के
लिये कानून बनाये हैं| -
4:43 - 4:46उनके लिये ये पवित्र है|
-
4:46 - 4:50इसीलिए वे उत्पादन मे इसका प्रयोग करते है,
और इसके विकास पर बहुत पैसा खर्च करते हैं| -
4:50 - 4:54तो क्या हम उनसे ज्यादा जानते हैं?
-
4:54 - 4:56ठीक है, माना कि
-
4:56 - 4:58हम विकसित देशों मे नहीं हैं,
-
4:58 - 5:00अधुनिक विचारधारा से अछूते हैं,
-
5:00 - 5:03और हम सभ्य और
विकसित दुनिया के बराबर आना चाहते हैं| -
5:03 - 5:08जो देश कभी हमारे जैसे ही थे,
लेकिन जिन्होंने विकास के रास्ते पर जाने का -
5:08 - 5:09निर्णय लिया, शोध किया
-
5:09 - 5:12और बाकी देशों के बराबर पहुच गये,
-
5:12 - 5:15जैसे कि तुर्की, मलेशिया वगैरा|
-
5:15 - 5:18उन्होंने अपनी भाषा को इस तरह संभाला
जैसे कि वो सीढ़ी चढ़ रहे हों, -
5:18 - 5:20और इसे एक अमूल्य रत्न की तरह बचा के रखा|
-
5:20 - 5:22उन्होने इसे संभाल के रखा|
-
5:22 - 5:25क्योंकि अगर आप तुर्की या कहीं और से
कोई सामान खरीदते हैं| -
5:25 - 5:27और इसका नामकरण तुर्की मे नहीं है|
-
5:27 - 5:30तो ये स्थानीय उत्पाद नहीं होगा|
-
5:30 - 5:32आप मानोगे ही नही कि ये स्थानीय उत्पाद है|
-
5:32 - 5:35वो पिछड़ के वैसे हो
अंजान उपभोक्ता बन जायेंगे, -
5:35 - 5:38जैसे कि हम ज्यादातर होते हैं|
-
5:39 - 5:46तो, उत्पादन मे नवीनता लाने के लिये,
उन्हें अपनी भाषा को बचाना ही पड़ा| -
5:52 - 5:56यदि मैं कहूं, "आज़ादी, संप्रभुता,
स्वतन्त्रता (अरबी में), -
5:56 - 5:58तो आपको इससे क्या याद आता है?
-
5:58 - 6:03कुछ याद आता है कि नहीं?
-
6:03 - 6:07चाहे आप जो भी हो,
जैसे भी हो और जहां भी हो| -
6:07 - 6:13भाषा सिर्फ़ बात करने के लिये नहीं है,
जिसमें बस हमारे मुँह से शब्द निकलते हैं, -
6:13 - 6:18भाषा हमारे जीवन के
विशिष्ट चरणों का प्रतीक है, -
6:18 - 6:23और एक शब्दावली है जो हमारी
भावनाओं से जुड़ी हुई है. -
6:23 - 6:28तो जब हम कहते हैं,
"आजादी, संप्रभुता,स्वतंत्रता|" -
6:28 - 6:30तो आपमे से हर कोई
अपने दिमाग मे एक तस्वीर बनाता है, -
6:30 - 6:34हमारे इतिहास के एक खास दौर की
एक खास तारीख से -
6:35 - 6:38विशिष्ट भावनायें जुड़ी हुई हैं|
-
6:38 - 6:40भाषा सिर्फ़ एक, दो या तीन
शब्दों का जोड़ नहीं है, -
6:40 - 6:42ये तो एक विचार है जो कि हमारे सोचने और
-
6:42 - 6:45और एक दूसरे को देखने के नजरिये से
सम्बंधित है| -
6:45 - 6:49हमारी बुद्धिमत्ता क्या है?
-
6:49 - 6:52आप कैसे अपनी बात दूसरे को समझायेंगे?
-
6:52 - 7:00तो जब मैं बोलती हूं, "आजादी, संप्रभुता,
स्वतन्त्रता, (अंग्रेजी में)" -
7:01 - 7:02या जब आपका बेटा आपके पास आकर कहता है,
-
7:02 - 7:07"पापा, क्या आपने फ़्रीडम के नारों वाले
समय को देखा है? -
7:07 - 7:10आप कैसा महसूस करेंगे?
-
7:10 - 7:13यदि आप अब भी नहीं समझ पाये
-
7:13 - 7:17तो मैं बेकार मे ही बोल रही हूं,
मुझे चले जाना चाहिये| -
7:17 - 7:23तो बात ये है कि ये शब्द
हमें एक खास चीज़ की याद दिलाते हैं| -
7:23 - 7:28मेरी एक फ़्रासीसी भाषी दोस्त हैं
जिनकी शादी एक फ़्रान्सीसी शख्स से हुई है| -
7:28 - 7:32एक बार मैंने उससे पूछा कि कैसा चल रहा है|
-
7:32 - 7:35उसने बोला,"सब ठीक है,
-
7:35 - 7:39पर एकबार उसे तोक्बोरनी (अरबी मे, मार ही डालोगे)
शब्द का मतलब समझाने -
7:39 - 7:40में पूरी रात लग गयी|
-
7:40 - 7:42(हंसी)
-
7:42 - 7:48(तालियां)
-
7:50 - 7:54उस बेचारी ने गलती से "तोकबोरनी"
(अरबी मे) बोल दिया| -
7:54 - 7:57और फ़िर सारी रात वो उन्हें इसका मतलब
समझाने की कोशिश करती रही| -
7:58 - 8:01उनकी समझ में नही आया कि को इतना
निर्दयी कैसे हो सकता है? -
8:01 - 8:03क्या वो आत्महत्या करना चाहती है?
-
8:03 - 8:06’मार ही डालोगे’ (अंग्रेज़ी मे)
-
8:06 - 8:08ये तो बस एक उदाहरण है|
-
8:08 - 8:11इससे हमे समझ मे आता है कि
वो अपने पति को इसका मतलब नही बता पायी -
8:11 - 8:13क्यों कि उसकी समझ मे ही नही आयेगा,
-
8:13 - 8:17और वो वाकई मे नही समझ सकता
क्योंकि उसके सोचने का तरीका ही अलग है| -
8:17 - 8:20उसने मुझे बताया ,"वो मेरे साथ
फ़ैरुज़ को सुनते हैं, -
8:20 - 8:23और एक रात मैंने उनके लिए
अनुवाद करने की कोशिश कियी -
8:23 - 8:27ताकि जो मैं फ़ैरुज़ को सुनते हुये महसूस
करती हूं वो समझ पाए|" -
8:27 - 8:30उस बेचारी ने उनके लिए इसका अनुवाद
करने कि कोशिश की: -
8:30 - 8:33"अपना हाथ फ़ैला कर मैने तुझे चुरा लिया"
-
8:34 - 8:35(हंसी)
-
8:35 - 8:38और ये सुनिये, और मज़ेदार
-
8:37 - 8:42"और चूंकि तू उनकी थी, इसलिये मैने
अपना हाथ लौटाया और तुझे छोड़ दिया|" -
8:42 - 8:44इसका अनुवाद करके बताइए|
-
8:44 - 8:46(हंसी)
-
8:46 - 8:48(तालियां)
-
8:52 - 8:56तो हमने अपनी अरबी भाषा को बचाने
के लिइ क्या किया है? -
8:56 - 8:59हमने इसे एक सामजिक चिंता मे बदलकर
अरबी भाषा के संरक्षण के लिये -
8:59 - 9:03एक अभियान शुरु किया है|
-
9:03 - 9:05जबकि कई लोगों ने मुझसे कहा,
"तुम क्यूँ परेशान हो?" -
9:05 - 9:09"छोड़ो ये सब झमेला और मस्त रहो|"
-
9:09 - 9:11"कोई बात नही!".
-
9:11 - 9:13इस अरबी संरक्षण अभियान का एक नारा है,
-
9:13 - 9:17"मैं आपसे बात करती हूं पूरब से, लेकिन
आप पश्चिम से जवाब देते हो| -
9:17 - 9:24हमने ये नही कहा, "नही!, हम ये नही मानेंगे
या वो नही मानेंगे|" -
9:24 - 9:28हमने ये तरीका नहीं अपनाया क्यॊंकि इस
तरह कोई हमें समझ नही पायेगा| -
9:28 - 9:33और जब कोई उस तरह मुझसे बात करता है,
तो मुझे बिल्कुल अच्छा नही लगता| -
9:33 - 9:35हम कहते हैं|
-
9:35 - 9:37(तालियां)
-
9:37 - 9:39हम अपनी सच्चाई बदलना चाहते हैं,
-
9:39 - 9:44और उस तरीके को समझना चाहते हैं जो हमारे
सपनों, आकांझाओं और दैनिक जीवन को दर्शाए| -
9:44 - 9:47एक ऐसा तरीका जिसकी सोच
और पहनावा हमारी तरह हो| -
9:47 - 9:51तो "मैं आपसे बात करती हूं पूरब से, लेकिन
आप पश्चिम से जवाब देते हो|" -
9:51 - 9:55का नारा एकदम सही जगह लगा है|
-
9:55 - 9:58ये बहुत ही सधारण परन्तु रचनात्मक और
प्रभावपूर्ण है| -
9:59 - 10:01इसके बाद हमने एक और अभियान चलाया
-
10:01 - 10:05जिसमे फ़र्श पर अक्षर चित्र बनाये जाते है|
-
10:05 - 10:09आप सब ने इसका एक नमूना बाहर देखा होगा,
-
10:09 - 10:13एक अक्षर चित्र जो कि काले और पीले फ़ीते
से लिपटा हुआ है -
10:13 - 10:17जिस पर लिखा है,"अपनी भाषा को मत मारो!"
-
10:17 - 10:20क्यों?, सही मे, अपनी भाषा को मत मारो|
-
10:20 - 10:23हमे वाकई मे अपनी भाषा की
हत्या नहीं करना चाहिए| -
10:23 - 10:26अगर हमने ऐसा किया तो
हमे एक नयी पहचान दूढ़नी पड़ेगी| -
10:26 - 10:29हमें एक नया वज़ूद दूंढ़ना होगा|
-
10:29 - 10:32हमे फ़िर शून्य से शुरुआत करनी पड़ेगी|
-
10:32 - 10:39ये हमारे आधुनिक और
सभ्य होने के मौके से भी बढ़कर है| -
10:39 - 10:46इसके बाद हम अरबी अक्षर पहने लड़के और
लड़कियों के चित्र प्रकाशित करते हैं| -
10:46 - 10:48"कूल" लड़के और लड़कियों के चित्र"|
-
10:48 - 10:51हम बहुत कूल हैं|
-
10:51 - 10:56और आप चाहे जो भी कहो
"हा! तुमने एक अंग्रेज़ी शब्द का प्रयोग किया!" -
10:56 - 10:59मैं कहूंगी, "नही, हमने "कूल" शब्द को
अपनाया है|" -
10:59 - 11:03उन्हें जैसे भी विरोध करना हो करें,
लेकिन मुझे एक ऐसा शब्द दो जो कि अच्छा हो -
11:03 - 11:06और वास्तविकता को बेहतर दर्शाता हो|
-
11:06 - 11:08मैं "इंटरनेट" ही बोलूंगी,
-
11:08 - 11:11मैं ये नही कहूंगी कि:
"मैं वर्ड वाइड वेब पर जा रही हूं" -
11:11 - 11:12(हंसी)
-
11:12 - 11:16क्योंकि ये उपयुक्त नही है!
हमे खुद को धोखा नही देना चाहिये -
11:16 - 11:19लेकिन इस पड़ाव पर आने के लिए
हमे ये मानना होगा कि, -
11:19 - 11:22हमें किसी को भी, चाहे वो हमसे कितना
भी बड़ा हो, ये नही सोचने देना है कि -
11:22 - 11:26और वो हमें, हमारी सोच या एहसास को
नियन्त्रित कर सकते हैं| -
11:26 - 11:29या हमारी भाषा को लेकर उनके पास कोइ
अधिकार है। -
11:31 - 11:34रचनात्मकता एक विचार है|
-
11:34 - 11:38तो क्या यदि हम अंतरिक्ष तक नही भी पहुच
पाये या रोकेट नही भेज पाये, वगैरा वगैरा, -
11:38 - 11:40हम फ़िर भी रचनात्मक हो सकते हैं|
-
11:40 - 11:43इस पल , आप में से हर एक, एक रचनात्मक
परियोजना है| -
11:43 - 11:47अपनी मातृभाषा मे रचनात्मकता ही
सही रास्ता है| -
11:47 - 11:50चलिये अभी से शुरु करते हैं|
-
11:50 - 11:53एक उपन्यास लिखते हैं,
या एक लघु फ़िल्म बनाते हैं| -
11:53 - 11:56एक अकेला उपन्यास हमे फ़िर से
वैश्विक बना सकता है| -
11:56 - 12:00ये फ़िर से अरबी भाषा को सर्वोपरि
बना सकता है| -
12:00 - 12:04तो, ऐसा नही है कि इसका कोई उपाय नही है,
उपाय है! -
12:04 - 12:07बस हमे ये मानना और स्वीकार करना होगा
कि उपाय संभव है, -
12:07 - 12:10और ये हमारा फ़र्ज़ है कि
हम इस उपाय का हिस्सा बनें| -
12:10 - 12:14तो निष्कर्ष ये है कि
आज आप क्या कर सकते है| -
12:14 - 12:18अभी ट्वीट्स, कौन ट्वीट कर रहा है?
-
12:19 - 12:22मेरा आपसे निवेदन है
-
12:22 - 12:25हालांकि मेरा समय समाप्त हो गया है, फ़िर भी,
-
12:25 - 12:30चाहे अरबी हो, या अंग्रेजी,
फ़्रांसीसी या चीनी| -
12:30 - 12:36कृपया अरबी को लेटिन लिपि
और अंकों के साथ मिलाकर न लिखें! -
12:36 - 12:38(तालियां)
-
12:40 - 12:44ये एक मुसीबत है! ये भाषा नहीं है|
-
12:44 - 12:48आप एक आभासी दुनिया मे एक छद्म भाषा के
साथ प्रवेश कर रहे हैं| -
12:48 - 12:52और ऐसी जगह से वापस आकर उठना आसान नही है|
-
12:52 - 12:55ये हमे सबसे पहले करना चाहिये था|
-
12:56 - 13:02और उसके, ऐसी बहुत सारी चीज़ें हैं जो
हम कर सकते हैं| -
13:02 - 13:06हम यहां एक दूसरे को समझाने नही आये हैं|
-
13:06 - 13:11हम यहां भाषा के संरक्षण की आवश्यकता
पर ध्यान आकर्षित करने के लिये आये हैं. -
13:11 - 13:14अब मैं आपको एक राज़ की बात बताती हूं|
-
13:14 - 13:16एक बच्चा अपने पिता को
-
13:16 - 13:17भाषा के द्वारा पहचानता है|
-
13:17 - 13:19जब मेरी बेटी हुई, तो मैने उसे बताया,
"बेटा, ये तुम्हारे पिता हैं (अरबी में)|" -
13:20 - 13:23मै ये नही कहूंगी, "दिस इस योर डेड हनी"
-
13:23 - 13:28और मैने अपनी बेटी नूर से ये वादा किया
कि सुपर बाज़ार मे, -
13:28 - 13:30जब वो मुझसे कहेगी, "शुक्रिया|"
-
13:30 - 13:33तो मै ये नही कहूंगी , "या खुदा रहम,
किसी ने ये सुना ना हो|" -
13:33 - 13:41(तालियां)
-
13:43 - 13:50चलिये इस सांस्कृतिक शर्मिंदगी
से निज़ात पाते हैं| -
13:50 - 13:54(तालियां)
- Title:
- कौन कहता है कि अरबी में बोलना ’कूल’ नहीं है?
- Speaker:
- सुज़ान ताल्हौक
- Description:
-
इस वार्ता में सुज़ान ताल्हौक अरबी भाषा को इसके आधुनिकीकरण और रचनात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम के रुप मे प्रयोग के द्वारा पुनर्जीवित करने की पहल करने का आग्रह करती हैं। उनकी रचनायें अरबी भाषी जगत की पहचान को पुनर्स्थापित करने और उसकी हीन भावना से निज़ात पाने पर केन्द्रित है ।
- Video Language:
- Arabic
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 14:12
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