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कौन कहता है कि अरबी में बोलना ’कूल’ नहीं है?

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    सुप्रभात!
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    जाग गये आप?
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    उन्होंने मेरा नाम लिया लेकिन मैं
    आपसे पूछना चाहती हूं कि
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    क्या आपमें से किसी ने चिट पर
    अपना नाम अरबी मे लिखा है?
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    है कोई! कोई नहीं! ठीक है, कोई बात नहीं|
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    एक बार की बात है, ज्यादा पहले नहीं,
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    मैं अपने एक दोस्त के साथ
    एक हॉ टेल मे खाना मँगा रही थी|
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    तो मैने बैरा को बुलाया और कहा,
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    क्या आपके पास आहारिका है (अरबी में)?
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    उसने मुझे अजीब तरह से देखा,
    जैसे कि उसने गलत सुना हो
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    वो बोला, "माफ़ कीजिये? (अंग्रेजी मे)"
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    मैने कहा, "आहारिका दीजिये (अरबी में)"
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    उसने जवाब दिया, "आपको पता नहीं
    इसे क्या कहा जाता है?"
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    " जानती हूं|"
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    उसने कहा, " नहीं! इसे "मेनु" (अंग्रेजी में)
    या मेन्यु (फ़्रेंच में) कहते हैं."
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    (क्या मेरा फ़्रेंच उच्चारण सही है?)
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    "इधर आओ, इन्हें देखो जरा!" बैरा बोला.
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    वो मुझसे बात करने मे बहुत चिढ़ रहा था,
    और खुद से कह रहा था,
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    जाने कहां कहां से चले आते हैं!
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    मेनु को आहारिका (अरबी मे) कहने का क्या मतलब है?
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    दो शब्दों ने एक लडकी को एक लेबनन
    युवा की नज़र में जाहिल
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    और गँवार बना दिया|
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    वो ऐसे कैसे बोल सकती है?
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    और तब मेरे मन मे ये खयाल आया|
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    मुझे बहुत गुस्सा आया|
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    मुझे वाकई बहुत बुरा लगा!
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    क्या मुझे अपने ही देश मे
    अपनी ही भाषा बोलने का अधिकार नही है?
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    ऐसा कहाँ होता है?
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    हम यहाँ कैसे आ गये?
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    खैर, अब जब हम इस हालत मे आ ही गये हैं,
    तो मेरे जैसे बहुत लोग है यहां
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    जो अपने जीवन मे
    एक ऐसे मुकाम पर पहुचेंगे जहां
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    वो जाने अन्जाने मे वो सब कुछ
    पीछे छोड़ देंगे,
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    जो अब तक उनके साथ हुआ,
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    ताकि वो खुद को आधुनिक और सभ्य कह सकें.
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    क्या मैं अपनी संस्कृति, विचार,
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    ज्ञान और अपनी सारी यादों को भूल जाऊं?
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    बचपन की कहानियाँ सबसे अच्छी यादें
    होती हैं, हमारी युद्ध की हैं!
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    क्या मैने जो कुछ भी अरबी मे पढ़ा है
    वो भूल जाऊं सिर्फ़|
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    उनके जैसा बन जाने के लिये?
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    बस एक भीड़ का हिस्सा?
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    ये कहां से तर्कसंगत है?
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    इस सबके बावजूद, मैं उसे समझने की कोशिश की|
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    मैं उसे उसी निर्दयता से नहीं
    आंकना चाहती थी जैसे उसने मुझे आंका!
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    अरबी भाषा आज की जरुरतों के हिसाब से
    काफ़ी नहीं है|
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    ये विज्ञान और शोध के लिये उपयुक्त नही है,
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    ये ऐसी भाषा नही है
    जिसे हम विश्वविद्यालयों मे
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    प्रयोग करते हों या कार्यालय में
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    या जिसमें हम कोई उच्च-स्तरीय शोध कर सकें!
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    और इसे हवाई अड्डे पर तो बिल्कुल
    नहीं बोल सकते.
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    नहीं तो आपके कपड़े उतरवा लिये
    जायेंगे तलाशी के लिये.
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    तो फ़िर सवाल ये है कि
    मैं अरबी मे कहाँ बोलूं|
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    तो हम अरबी का प्रयोग करना तो चाहते हैं,
    लेकिन करें कहां?
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    ये सच का एक पैलू है|
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    लेकिन इस सच का एक और पैलू है
    जिसके बारे मे हमें सोचना चाहिए|
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    अरबी हमारी मातृभाषा है|
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    शोध मे यह सिद्ध हो चुका है कि दूसरी
    भाषाओं मे प्रवीण होने के लिए
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    मातृभाषा मे पारंगत होना आवश्यक है|
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    मातृभाषा मे प्रवीणता होना दूसरी भाषा
    सिखने की पहली शर्त है|
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    वो कैसे?
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    ज़िबरान ख़लील ज़िबरान की ही मिसाल ले ली
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    जब उन्होंने लिखना शुरु किया
    तो अरबी का प्रयोग किया
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    उनके सारे विचार, उनकी कल्पना और उनके
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    सिद्धांत उस बच्चे से प्रेरित थे जो गांव मे
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    एक खास तरह की खुशबू में
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    एक खास तरह की बोली सुनते हुये एक
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    विशिष्ट विचार शैली के बीच पला बढ़ा|
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    तो जब उन्होंने अंग्रेजी मे लिखना शुरु किया
    तब तक उनके पास काफ़ी कुछ था|
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    तो जब उन्होने अंग्रेजी मे लिखा
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    और जब आप उनकी अंग्रेजी रचनायें
    पढ़ते हैं तो आपको वही खुशबू आती है,
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    और आप वैसा ही महसूस करते हैं|
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    तब आप कल्पना कर सकते हैं कि ये
    वही हैं जो अंग्रेजी मे लिख रहे हैं,
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    वही लड़का जो लेबनन पर्वत पर स्थित
    एक गाँव से आया था|
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    तो यह एक ऐसी मिसाल है
    जिसे कोई नकार नहीं सकता|
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    और दूसरी बात, ऐसा अक्सर कहा जाता है कि,
    यदि आप किसी राष्ट्र को खत्म करना चाहते हैं
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    तो बस उसकी भाषा को नष्ट कर दीजिए,
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    यही एक मात्र तरीका है|
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    सभी विकसित समाज इस सच को जानते हैं|
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    ज़र्मन, फ़्रांसीसी, जापानी और चीनी,
    सभी राष्ट्र ये अच्छी तरह जानते हैं|
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    तभी तो उन्होंने अपनी भाषा के संरक्षण के
    लिये कानून बनाये हैं|
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    उनके लिये ये पवित्र है|
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    इसीलिए वे उत्पादन मे इसका प्रयोग करते है,
    और इसके विकास पर बहुत पैसा खर्च करते हैं|
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    तो क्या हम उनसे ज्यादा जानते हैं?
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    ठीक है, माना कि
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    हम विकसित देशों मे नहीं हैं,
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    अधुनिक विचारधारा से अछूते हैं,
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    और हम सभ्य और
    विकसित दुनिया के बराबर आना चाहते हैं|
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    जो देश कभी हमारे जैसे ही थे,
    लेकिन जिन्होंने विकास के रास्ते पर जाने का
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    निर्णय लिया, शोध किया
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    और बाकी देशों के बराबर पहुच गये,
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    जैसे कि तुर्की, मलेशिया वगैरा|
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    उन्होंने अपनी भाषा को इस तरह संभाला
    जैसे कि वो सीढ़ी चढ़ रहे हों,
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    और इसे एक अमूल्य रत्न की तरह बचा के रखा|
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    उन्होने इसे संभाल के रखा|
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    क्योंकि अगर आप तुर्की या कहीं और से
    कोई सामान खरीदते हैं|
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    और इसका नामकरण तुर्की मे नहीं है|
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    तो ये स्थानीय उत्पाद नहीं होगा|
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    आप मानोगे ही नही कि ये स्थानीय उत्पाद है|
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    वो पिछड़ के वैसे हो
    अंजान उपभोक्ता बन जायेंगे,
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    जैसे कि हम ज्यादातर होते हैं|
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    तो, उत्पादन मे नवीनता लाने के लिये,
    उन्हें अपनी भाषा को बचाना ही पड़ा|
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    यदि मैं कहूं, "आज़ादी, संप्रभुता,
    स्वतन्त्रता (अरबी में),
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    तो आपको इससे क्या याद आता है?
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    कुछ याद आता है कि नहीं?
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    चाहे आप जो भी हो,
    जैसे भी हो और जहां भी हो|
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    भाषा सिर्फ़ बात करने के लिये नहीं है,
    जिसमें बस हमारे मुँह से शब्द निकलते हैं,
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    भाषा हमारे जीवन के
    विशिष्ट चरणों का प्रतीक है,
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    और एक शब्दावली है जो हमारी
    भावनाओं से जुड़ी हुई है.
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    तो जब हम कहते हैं,
    "आजादी, संप्रभुता,स्वतंत्रता|"
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    तो आपमे से हर कोई
    अपने दिमाग मे एक तस्वीर बनाता है,
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    हमारे इतिहास के एक खास दौर की
    एक खास तारीख से
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    विशिष्ट भावनायें जुड़ी हुई हैं|
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    भाषा सिर्फ़ एक, दो या तीन
    शब्दों का जोड़ नहीं है,
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    ये तो एक विचार है जो कि हमारे सोचने और
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    और एक दूसरे को देखने के नजरिये से
    सम्बंधित है|
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    हमारी बुद्धिमत्ता क्या है?
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    आप कैसे अपनी बात दूसरे को समझायेंगे?
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    तो जब मैं बोलती हूं, "आजादी, संप्रभुता,
    स्वतन्त्रता, (अंग्रेजी में)"
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    या जब आपका बेटा आपके पास आकर कहता है,
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    "पापा, क्या आपने फ़्रीडम के नारों वाले
    समय को देखा है?
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    आप कैसा महसूस करेंगे?
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    यदि आप अब भी नहीं समझ पाये
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    तो मैं बेकार मे ही बोल रही हूं,
    मुझे चले जाना चाहिये|
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    तो बात ये है कि ये शब्द
    हमें एक खास चीज़ की याद दिलाते हैं|
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    मेरी एक फ़्रासीसी भाषी दोस्त हैं
    जिनकी शादी एक फ़्रान्सीसी शख्स से हुई है|
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    एक बार मैंने उससे पूछा कि कैसा चल रहा है|
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    उसने बोला,"सब ठीक है,
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    पर एकबार उसे तोक्बोरनी (अरबी मे, मार ही डालोगे)
    शब्द का मतलब समझाने
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    में पूरी रात लग गयी|
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    (हंसी)
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    (तालियां)
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    उस बेचारी ने गलती से "तोकबोरनी"
    (अरबी मे) बोल दिया|
  • 7:54 - 7:57
    और फ़िर सारी रात वो उन्हें इसका मतलब
    समझाने की कोशिश करती रही|
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    उनकी समझ में नही आया कि को इतना
    निर्दयी कैसे हो सकता है?
  • 8:01 - 8:03
    क्या वो आत्महत्या करना चाहती है?
  • 8:03 - 8:06
    ’मार ही डालोगे’ (अंग्रेज़ी मे)
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    ये तो बस एक उदाहरण है|
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    इससे हमे समझ मे आता है कि
    वो अपने पति को इसका मतलब नही बता पायी
  • 8:11 - 8:13
    क्यों कि उसकी समझ मे ही नही आयेगा,
  • 8:13 - 8:17
    और वो वाकई मे नही समझ सकता
    क्योंकि उसके सोचने का तरीका ही अलग है|
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    उसने मुझे बताया ,"वो मेरे साथ
    फ़ैरुज़ को सुनते हैं,
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    और एक रात मैंने उनके लिए
    अनुवाद करने की कोशिश कियी
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    ताकि जो मैं फ़ैरुज़ को सुनते हुये महसूस
    करती हूं वो समझ पाए|"
  • 8:27 - 8:30
    उस बेचारी ने उनके लिए इसका अनुवाद
    करने कि कोशिश की:
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    "अपना हाथ फ़ैला कर मैने तुझे चुरा लिया"
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    (हंसी)
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    और ये सुनिये, और मज़ेदार
  • 8:37 - 8:42
    "और चूंकि तू उनकी थी, इसलिये मैने
    अपना हाथ लौटाया और तुझे छोड़ दिया|"
  • 8:42 - 8:44
    इसका अनुवाद करके बताइए|
  • 8:44 - 8:46
    (हंसी)
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    (तालियां)
  • 8:52 - 8:56
    तो हमने अपनी अरबी भाषा को बचाने
    के लिइ क्या किया है?
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    हमने इसे एक सामजिक चिंता मे बदलकर
    अरबी भाषा के संरक्षण के लिये
  • 8:59 - 9:03
    एक अभियान शुरु किया है|
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    जबकि कई लोगों ने मुझसे कहा,
    "तुम क्यूँ परेशान हो?"
  • 9:05 - 9:09
    "छोड़ो ये सब झमेला और मस्त रहो|"
  • 9:09 - 9:11
    "कोई बात नही!".
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    इस अरबी संरक्षण अभियान का एक नारा है,
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    "मैं आपसे बात करती हूं पूरब से, लेकिन
    आप पश्चिम से जवाब देते हो|
  • 9:17 - 9:24
    हमने ये नही कहा, "नही!, हम ये नही मानेंगे
    या वो नही मानेंगे|"
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    हमने ये तरीका नहीं अपनाया क्यॊंकि इस
    तरह कोई हमें समझ नही पायेगा|
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    और जब कोई उस तरह मुझसे बात करता है,
    तो मुझे बिल्कुल अच्छा नही लगता|
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    हम कहते हैं|
  • 9:35 - 9:37
    (तालियां)
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    हम अपनी सच्चाई बदलना चाहते हैं,
  • 9:39 - 9:44
    और उस तरीके को समझना चाहते हैं जो हमारे
    सपनों, आकांझाओं और दैनिक जीवन को दर्शाए|
  • 9:44 - 9:47
    एक ऐसा तरीका जिसकी सोच
    और पहनावा हमारी तरह हो|
  • 9:47 - 9:51
    तो "मैं आपसे बात करती हूं पूरब से, लेकिन
    आप पश्चिम से जवाब देते हो|"
  • 9:51 - 9:55
    का नारा एकदम सही जगह लगा है|
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    ये बहुत ही सधारण परन्तु रचनात्मक और
    प्रभावपूर्ण है|
  • 9:59 - 10:01
    इसके बाद हमने एक और अभियान चलाया
  • 10:01 - 10:05
    जिसमे फ़र्श पर अक्षर चित्र बनाये जाते है|
  • 10:05 - 10:09
    आप सब ने इसका एक नमूना बाहर देखा होगा,
  • 10:09 - 10:13
    एक अक्षर चित्र जो कि काले और पीले फ़ीते
    से लिपटा हुआ है
  • 10:13 - 10:17
    जिस पर लिखा है,"अपनी भाषा को मत मारो!"
  • 10:17 - 10:20
    क्यों?, सही मे, अपनी भाषा को मत मारो|
  • 10:20 - 10:23
    हमे वाकई मे अपनी भाषा की
    हत्या नहीं करना चाहिए|
  • 10:23 - 10:26
    अगर हमने ऐसा किया तो
    हमे एक नयी पहचान दूढ़नी पड़ेगी|
  • 10:26 - 10:29
    हमें एक नया वज़ूद दूंढ़ना होगा|
  • 10:29 - 10:32
    हमे फ़िर शून्य से शुरुआत करनी पड़ेगी|
  • 10:32 - 10:39
    ये हमारे आधुनिक और
    सभ्य होने के मौके से भी बढ़कर है|
  • 10:39 - 10:46
    इसके बाद हम अरबी अक्षर पहने लड़के और
    लड़कियों के चित्र प्रकाशित करते हैं|
  • 10:46 - 10:48
    "कूल" लड़के और लड़कियों के चित्र"|
  • 10:48 - 10:51
    हम बहुत कूल हैं|
  • 10:51 - 10:56
    और आप चाहे जो भी कहो
    "हा! तुमने एक अंग्रेज़ी शब्द का प्रयोग किया!"
  • 10:56 - 10:59
    मैं कहूंगी, "नही, हमने "कूल" शब्द को
    अपनाया है|"
  • 10:59 - 11:03
    उन्हें जैसे भी विरोध करना हो करें,
    लेकिन मुझे एक ऐसा शब्द दो जो कि अच्छा हो
  • 11:03 - 11:06
    और वास्तविकता को बेहतर दर्शाता हो|
  • 11:06 - 11:08
    मैं "इंटरनेट" ही बोलूंगी,
  • 11:08 - 11:11
    मैं ये नही कहूंगी कि:
    "मैं वर्ड वाइड वेब पर जा रही हूं"
  • 11:11 - 11:12
    (हंसी)
  • 11:12 - 11:16
    क्योंकि ये उपयुक्त नही है!
    हमे खुद को धोखा नही देना चाहिये
  • 11:16 - 11:19
    लेकिन इस पड़ाव पर आने के लिए
    हमे ये मानना होगा कि,
  • 11:19 - 11:22
    हमें किसी को भी, चाहे वो हमसे कितना
    भी बड़ा हो, ये नही सोचने देना है कि
  • 11:22 - 11:26
    और वो हमें, हमारी सोच या एहसास को
    नियन्त्रित कर सकते हैं|
  • 11:26 - 11:29
    या हमारी भाषा को लेकर उनके पास कोइ
    अधिकार है।
  • 11:31 - 11:34
    रचनात्मकता एक विचार है|
  • 11:34 - 11:38
    तो क्या यदि हम अंतरिक्ष तक नही भी पहुच
    पाये या रोकेट नही भेज पाये, वगैरा वगैरा,
  • 11:38 - 11:40
    हम फ़िर भी रचनात्मक हो सकते हैं|
  • 11:40 - 11:43
    इस पल , आप में से हर एक, एक रचनात्मक
    परियोजना है|
  • 11:43 - 11:47
    अपनी मातृभाषा मे रचनात्मकता ही
    सही रास्ता है|
  • 11:47 - 11:50
    चलिये अभी से शुरु करते हैं|
  • 11:50 - 11:53
    एक उपन्यास लिखते हैं,
    या एक लघु फ़िल्म बनाते हैं|
  • 11:53 - 11:56
    एक अकेला उपन्यास हमे फ़िर से
    वैश्विक बना सकता है|
  • 11:56 - 12:00
    ये फ़िर से अरबी भाषा को सर्वोपरि
    बना सकता है|
  • 12:00 - 12:04
    तो, ऐसा नही है कि इसका कोई उपाय नही है,
    उपाय है!
  • 12:04 - 12:07
    बस हमे ये मानना और स्वीकार करना होगा
    कि उपाय संभव है,
  • 12:07 - 12:10
    और ये हमारा फ़र्ज़ है कि
    हम इस उपाय का हिस्सा बनें|
  • 12:10 - 12:14
    तो निष्कर्ष ये है कि
    आज आप क्या कर सकते है|
  • 12:14 - 12:18
    अभी ट्वीट्स, कौन ट्वीट कर रहा है?
  • 12:19 - 12:22
    मेरा आपसे निवेदन है
  • 12:22 - 12:25
    हालांकि मेरा समय समाप्त हो गया है, फ़िर भी,
  • 12:25 - 12:30
    चाहे अरबी हो, या अंग्रेजी,
    फ़्रांसीसी या चीनी|
  • 12:30 - 12:36
    कृपया अरबी को लेटिन लिपि
    और अंकों के साथ मिलाकर न लिखें!
  • 12:36 - 12:38
    (तालियां)
  • 12:40 - 12:44
    ये एक मुसीबत है! ये भाषा नहीं है|
  • 12:44 - 12:48
    आप एक आभासी दुनिया मे एक छद्म भाषा के
    साथ प्रवेश कर रहे हैं|
  • 12:48 - 12:52
    और ऐसी जगह से वापस आकर उठना आसान नही है|
  • 12:52 - 12:55
    ये हमे सबसे पहले करना चाहिये था|
  • 12:56 - 13:02
    और उसके, ऐसी बहुत सारी चीज़ें हैं जो
    हम कर सकते हैं|
  • 13:02 - 13:06
    हम यहां एक दूसरे को समझाने नही आये हैं|
  • 13:06 - 13:11
    हम यहां भाषा के संरक्षण की आवश्यकता
    पर ध्यान आकर्षित करने के लिये आये हैं.
  • 13:11 - 13:14
    अब मैं आपको एक राज़ की बात बताती हूं|
  • 13:14 - 13:16
    एक बच्चा अपने पिता को
  • 13:16 - 13:17
    भाषा के द्वारा पहचानता है|
  • 13:17 - 13:19
    जब मेरी बेटी हुई, तो मैने उसे बताया,
    "बेटा, ये तुम्हारे पिता हैं (अरबी में)|"
  • 13:20 - 13:23
    मै ये नही कहूंगी, "दिस इस योर डेड हनी"
  • 13:23 - 13:28
    और मैने अपनी बेटी नूर से ये वादा किया
    कि सुपर बाज़ार मे,
  • 13:28 - 13:30
    जब वो मुझसे कहेगी, "शुक्रिया|"
  • 13:30 - 13:33
    तो मै ये नही कहूंगी , "या खुदा रहम,
    किसी ने ये सुना ना हो|"
  • 13:33 - 13:41
    (तालियां)
  • 13:43 - 13:50
    चलिये इस सांस्कृतिक शर्मिंदगी
    से निज़ात पाते हैं|
  • 13:50 - 13:54
    (तालियां)
Title:
कौन कहता है कि अरबी में बोलना ’कूल’ नहीं है?
Speaker:
सुज़ान ताल्हौक
Description:

इस वार्ता में सुज़ान ताल्हौक अरबी भाषा को इसके आधुनिकीकरण और रचनात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम के रुप मे प्रयोग के द्वारा पुनर्जीवित करने की पहल करने का आग्रह करती हैं। उनकी रचनायें अरबी भाषी जगत की पहचान को पुनर्स्थापित करने और उसकी हीन भावना से निज़ात पाने पर केन्द्रित है ।

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Video Language:
Arabic
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
14:12

Hindi subtitles

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