नर्सों को हमारा सलाम
-
0:01 - 0:02मरीज़ होने के नाते,
-
0:02 - 0:05हमारे डॉक्टर्स के नाम हमें याद रहते हैं,
-
0:06 - 0:09पर क्या किसी नर्स का नाम हमे याद रहती है?
-
0:10 - 0:11मुझे याद है।
-
0:11 - 0:14कुछ साल पहले मुझे स्तन कैंसर हुआ था,
-
0:14 - 0:17शुरुआत के कुछ सर्जरी
और उसके दौरन के चिकित्सा -
0:17 - 0:19अच्छी तरह से चल रहे थे।
-
0:20 - 0:22मेरे अंदर जो हो रहा था
मैं उसको छिपा सकती थी। -
0:22 - 0:24ज़रूरी नहीं था कि सब यह बात जाने।
-
0:24 - 0:27मैं अपनी बेटी को स्कूल छोड़ आती थी,
-
0:27 - 0:29मैं अपने पति के साथ खाने पे बाहर जाती थी;
-
0:29 - 0:31लोगों को मैंने बेखबर रखा था।
-
0:31 - 0:33पर जब मेरी कीमो थेरेपी शुरू होने वाली थी
-
0:33 - 0:35मैं डर गई
-
0:35 - 0:39क्योंकि मैं ऐसी कीमो करवाने जा रही थी
-
0:39 - 0:42जिससे मेरे सारे बाल गिरने वाले थे।
-
0:42 - 0:45मैं समझ गई कि सहजता का मेरा नाटक
-
0:45 - 0:47और नहीं चलने वाला।
-
0:47 - 0:49मुझमे खौंफ पैदा हो गई।
-
0:49 - 0:52ऐसा लगा कि लोग मुझे दया की
नज़रों से देखंगे, -
0:52 - 0:55पर मैं उनसे सहजता की अपेक्षा कर रही थी।
-
0:55 - 0:57मेरे सीने पर एक पोर्ट लगाया गया।
-
0:57 - 1:00मैं अपनी पहली कीमो थेरेपी के लिए गई,
-
1:00 - 1:02और मैं बहुत भावुक थी।
-
1:02 - 1:05तब मेरी नर्स जोअान्न मेरे कमरे मे आई,
-
1:05 - 1:09और अचानक मुझे लगा कि अपनी कुर्सी से उठु
-
1:09 - 1:11और अस्पताल से भाग जाऊँ।
-
1:11 - 1:15पर जोअान्न मेरी कोई
पुरानी सहेली की तरह पेश आई। -
1:15 - 1:17फिर उसने मुझसे पुछा,
-
1:17 - 1:19" तुमने अपने बालों के रंग कहाँ लगवाए?"
-
1:19 - 1:20(हंसी)
-
1:20 - 1:22मैंने सोचा क्या यह औरत मज़ाक कर रही हैं?
-
1:22 - 1:27मैं अपने बालों को खोने के डर में हूँ
और आप उनके रंग के बारे में पूछ रहे हो? -
1:27 - 1:28मुझे गुस्सा आ रहा था,
-
1:29 - 1:31"आप मेरे बालों के बारे में पूछ रही है?"
मैंने पूछा -
1:32 - 1:34बड़ी निर्मलता से जोअान्न कहा,
-
1:34 - 1:36"तुम्हारे सारे बाल फिर से बढ़ जाएंगे"
-
1:36 - 1:40उस एक पल मे जोअान्न ने वह बात कही
जिसको मैंने नज़रअंदाज़ किया था, -
1:40 - 1:43कि कुछ समय बाद मेरी ज़िन्दगी
सहजता की ओर वापिस लौटेगी। -
1:43 - 1:45जोअान्न को मेरे ऊपर भरोसा था।
-
1:45 - 1:48और उसकी वजह से मुझे अपने
आप पर भरोसा हुआ। -
1:48 - 1:52कैंसर से लड़ते वक़्त बालों के झड़ने
की समस्या को लेकर -
1:52 - 1:54चिंतित होना अस्वाभाविक लग सकता है
-
1:54 - 1:58पर अपनी सुंदरता या
अपनी आभा से ज़्यादा परेशानी -
1:58 - 2:02आपको लोगों के बर्ताव से होगा।
-
2:03 - 2:06६ महीने मे पहली बार जोअान्न के कारण
मै प्रकृतिस्थ लगने लगी। -
2:06 - 2:08हमने उसके कई प्रेमियों की चर्चा की,
-
2:08 - 2:11न्यू यॉर्क मे अपार्टमेंट ढूंढ़ने के
बारे मे बात की, -
2:11 - 2:14और कीमो के प्रति
मेरे प्रतिक्रिया की बातें भी की -- -
2:14 - 2:16यह सब और कई और बाते।
-
2:16 - 2:18और मैने हमेशा सोचा कि,
-
2:18 - 2:23मुझसे इतनी निकटता से बात करना
जोअान्न को कैसे आता था? -
2:23 - 2:27जोअान्न स्टाहा के प्रति
मेरी प्रशंसा से शुरू हुआ -
2:27 - 2:31मेरा सफर नर्सों की दुनिया मे।
-
2:31 - 2:34कुछ साल बाद मैं
एक परियोजना केलिए चुनी गई। -
2:34 - 2:37नर्सो का योगदान लोगों तक लाना
इसका मूल उद्देश्य था। -
2:37 - 2:39मैंने जोअान्न से शुरू किया।
-
2:39 - 2:42देश भर मे मैं १०० से ज़्यादा नर्सो से मिली।
-
2:42 - 2:47एक किताब और एक वृत्त चित्र के लिए
पांच साल तक -
2:47 - 2:50मैंने इन नर्सों से बात की
और उनकी तस्वीरें खींची। -
2:51 - 2:52मैं और मेरी टीम,
-
2:52 - 2:55अमेरिका मे कई जगह गए
-
2:55 - 3:00जहाँ सार्वजनिक स्वास्थ्य की समस्यायें अधिक हैं
-
3:00 - 3:04जैसे, बुढ़ाफा, गरीबी, जंग, कारागार
-
3:05 - 3:06और हम वहाँ भी गए
-
3:06 - 3:10जहाँ इन समस्याओं से लड़ते हुए
-
3:10 - 3:12कई मरीज़ मौजूद थे।
-
3:12 - 3:16हमने कुछ अस्पतालों से प्रतिनिधित्व के लिए
-
3:16 - 3:19उनके एक नर्स को चुनने के लिए कहा।
-
3:19 - 3:22तब मैं मिली ब्रिड्जेट कुम्बेल्ला से
-
3:22 - 3:24ब्रिड्जेट कैमरून में जन्मी थी,
-
3:24 - 3:26और उसके माता पिता के चार बच्चों में
यह पहली बच्ची थी। -
3:26 - 3:30काम करते वक़्त उसके पिता
चौथी मंज़िल से गिर गए थे -
3:30 - 3:32और उनकी कमर टूट गई थी।
-
3:32 - 3:36कमर के टूटने के बाद उनको यह लगा की उन्हें
-
3:36 - 3:39वह देखभाल नहीं मिला
जो उन्हें मिलना चाहिए था। -
3:39 - 3:43इन्ही बातों से प्रेरित होकर
ब्रिड्जेटने नर्सिंग में दिलचस्पी दिखाई। -
3:44 - 3:46अब ब्रोंक्स में बतौर एक नर्स
-
3:46 - 3:49ब्रिड्जेट ऐसे कई मरीज़ों का
देखभाल करती है -
3:49 - 3:51जिनकी सामाजिक दशा एक दूसरे से अलग है
-
3:51 - 3:53और अलग है उन सबका मज़हब
-
3:53 - 3:58विभिन्न संस्कृतियों के स्वास्त्य की
समस्याओं को समझने के लिए -
3:58 - 4:01उसने अपनी वृत्ति में अपने आप को
समर्पण कर दिया है। -
4:01 - 4:04ब्रिड्जेट ने एक मरीज़ के बारे में बताया --
-
4:04 - 4:06एक मूल अमेरिकी मरीज़ --
-
4:06 - 4:10जो अपने साथ आईसीयू के अंदर
कुछ पर लेके आना चाहता था। -
4:11 - 4:13उन पंखों से उस अमरीकी को शान्ति मिलती थी।
-
4:13 - 4:16ब्रिड्जेट ने उस अमरीकी के
फैसले का समर्थन किया था -
4:16 - 4:19उसने कहा की मरीज़ हर धर्म के यहाँ आते हैं
-
4:19 - 4:23और कई तरह के चीज़े उन्हें शान्ति
और दिलासा देती हैं; -
4:23 - 4:26वह चाहे एक माला हो या पंख,
-
4:26 - 4:29इन सब चीज़ों का यहाँ हम समर्थन करते हैं।
-
4:29 - 4:31यह है जैसन शॉर्ट
-
4:31 - 4:34अपप्लेशियन पर्वतों में
जैसन एक प्राइवेट नर्स है, -
4:34 - 4:38जैसन के पिता एक पेट्रोल स्टेशन
और मेकानिक की दूकान चलाते थे। -
4:39 - 4:43जहा जैसन कार की मरम्मत करता था
आज उसी जगह बतौर एक नर्स काम कर रहा है। -
4:44 - 4:45कॉलेज के दिनों में,
-
4:45 - 4:49नर्स बनना मर्दानी बात नहीं थी,
-
4:49 - 4:51इसी कारण जैसन ने इस बात को कई साल तक टाला।
-
4:51 - 4:53कुछ समय तक उसने ट्रक् चलाये,
-
4:53 - 4:56पर उसका दिल नर्सिंग की तरफ ही
खींचा चला जा रहा था। -
4:58 - 5:00अपप्लेशियन पर्वतों पे एक नर्स होकर,
-
5:00 - 5:04जैसन ऐसी जगह पहुँच जाता है
जहा एम्बुलेंस भी नहीं पहुँचती है। -
5:04 - 5:08इस तस्वीर में जहाँ जैसन खड़ा है
वह पहले एक रस्ता हुआ करता था। -
5:08 - 5:11पर्वत चोटी खनन के वजह से
इन रास्तों में बाढ़ आ गयी, -
5:11 - 5:14और जैसन का एक ही रास्ता
जो उस मरीज़ तक पहुँचने का था -
5:14 - 5:17जो काले फेफड़े की बीमारी से पीड़ित थे
-
5:17 - 5:21उस बाढ़ के बीचों बीच से था।
-
5:22 - 5:25जिस दिन मैं जैसन के साथ थी,
उसके कार की फेंडर गाडी से निकल आ गयी। -
5:26 - 5:29अगले दिन जैसन सवेरे ही उठकर,
-
5:29 - 5:31फेंडर की मरम्मत की,
-
5:31 - 5:33और चल दिया उसने अपने अगले मरीज़ से मिलने।
-
5:34 - 5:37मैंने जब जैसन को उस सज्जन का
-
5:37 - 5:40इतनी दया और प्रेम से देखभाल करते हुए जब देखा,
-
5:40 - 5:45तब मुझे लगा की नर्सिंग एक अभिन्न एहसास है।
-
5:46 - 5:49जब मैं ब्रायन मैकमिलियन से मिली
तब अपने वृत्ति मे वह कच्चा था। -
5:49 - 5:52वह एक प्रविस्तारण से लौटा हुआ था
-
5:52 - 5:56और सॅन डिएगो की ज़िन्दगी से
अभी वाक़िफ़ नहीं हुआ था। -
5:56 - 6:00जर्मनी मे अपने नर्सिंग के
अनुभव के बारे मे उसने बात की -
6:00 - 6:04ब्रायन ने रणभूमि मे घायल हुए
सैनिकों का देखभाल किया था। -
6:04 - 6:07अस्पताल में होश आते ही कुछ सैनिक
जब अपनी आँखें खोलते थे -
6:07 - 6:10तब उनकी नज़रें पहले ब्रायन पर पड़ती थी।
-
6:10 - 6:13और वहा बिस्तर पर लेटे,
-
6:13 - 6:15अपनी टांगों को खो चुके वह सैनिक,
-
6:15 - 6:17ब्रायन से पूछते,
-
6:17 - 6:21"मैं वापिस जाना चाहता हूँ,
मेरे भाइयों को वहा छोड़ आया हूँ।" -
6:22 - 6:24और ब्रायन को कहना पड़ता था,
-
6:24 - 6:25"आप कही नहीं जा रहे हो।
-
6:25 - 6:27"आप रणभूमी मे काफी योगदान कर लौटे हो।"
-
6:28 - 6:33एक नर्स ही नहीं बल्कि ब्रायन बतौर
एक सैनिक युद्ध को नज़दीक से देख चूका है -
6:33 - 6:35उनके मानसिक स्तिथि से परिचित होने के कारण
-
6:35 - 6:40ब्रायन उन सैनिकों का देखभाल
बड़ी अच्छी तरह से कर पाता है। -
6:42 - 6:43यह है सिस्टर स्टीवन,
-
6:43 - 6:47और विस्कॉन्सिन में विल्ला लोरेट्टो नाम की
एक नर्सिंग होम चलाती है। -
6:47 - 6:52और जीवनचक्र के सभी सदस्यों को
आप स्टीवन के इर्द गिर्द पा सकते हो। -
6:52 - 6:54बचपन में स्टीवन फार्म में
रहने का सपना देखा करती थी, -
6:54 - 6:59तो जब फार्म के प्राणियों को
अपनाने का मौका मिलता है, -
6:59 - 7:02तब स्टीवन उन्हें साथ ले आती हैं।
-
7:02 - 7:06और जब वसतं ऋतु में
उन पशुओं के बच्चे पैदा होते हैं -
7:06 - 7:11तब सिस्टर स्टीवन बत्तख के बच्चे
और मेमनों को -
7:11 - 7:15विल्ला लोरेट्टो के निवासियों के लिए
पशु थेरेपी की तरह उपयोग करती हैं -
7:15 - 7:18कुछ निवासियों को अपना नाम तक याद नहीं रहता
-
7:18 - 7:22पर एक मेमने को अपने हाथो में लेते ही
वह खुश हो जाते हैं। -
7:23 - 7:25जिस दिन में सिस्टर स्टीवन से मिली,
-
7:25 - 7:27उनकी कहानी को शूट करने
-
7:27 - 7:29उन्हें विल्ला लोरेट्टो से बाहर ले जाना था।
-
7:29 - 7:31निकलने से पहले,
-
7:31 - 7:33सिस्टर स्टीवन एक मरते हुए
मरीज़ के कमरे में गई। -
7:34 - 7:37और उनसे कहा,
-
7:37 - 7:39"मैं एक दिन के लिए बाहर जा रही हूँ,"
-
7:40 - 7:41"इस दौरान आपको ईसा मसीह ने बुलाया
-
7:41 - 7:42तो आप चले जाना।"
-
7:42 - 7:45आप सीधा ईसा मसीह के घर चले जाना।"
-
7:45 - 7:48वहाँ खड़ी होकर सिस्टर स्टीवन को
देख सोच रही थी। -
7:48 - 7:50ज़िन्दगी में पहली बार मैंने देखा कि
-
7:50 - 7:54दिल में किसी के लिए प्यार
और सम्मान भर कर भी -
7:54 - 7:55आप उनको अलविदा कह सकते हो
-
7:56 - 7:58हमें उनको कस कर पकडे रहने की ज़रुरत नहीं है।
-
7:59 - 8:03विल्ला लोरेट्टो में मैंने जितने लोगों को
आखरी सास लेते हुए देखा -
8:03 - 8:08वह मैंने कही और नहीं देखा।
-
8:09 - 8:13हम एक ऐसे दौर से गुज़र रहे है
जहाँ स्वस्थ्य संरक्षण जटिल होता जा रहा है। -
8:13 - 8:17ज़िन्दगी के गुणवत्ते से ही नहीं,
-
8:17 - 8:20बल्कि ज़िन्दगी के परिमाण से भी
हमारी नज़र हटती जा रही है। -
8:20 - 8:24प्राण बचाने के नई तकनीको के पैदा होते ही,
-
8:24 - 8:27हमारे निर्धार कठिन होते जा रहे हैं।
-
8:27 - 8:30इन नई तकनीकों से जान तो बच जाते हैं,
-
8:30 - 8:34मगर शारीरिक वेदना
और मरने की प्रक्रिया लम्बी हो जाती हैं। -
8:36 - 8:39इन कठिन परिस्तिथियों से हम पार कैसे हो?
-
8:39 - 8:41मदद से। हमें मदद की ज़रुरत है।
-
8:42 - 8:45बीमारी के समय हमारा साथ देने वाले नर्स
-
8:45 - 8:48हमसे एक अनमोल रिश्ते की गाँठ बना लेते हैं।
-
8:49 - 8:50क्योंकि उस समय,
-
8:50 - 8:53एक भावनात्मक नज़दीकी उभर आती है।
-
8:55 - 8:57पिछले साल अगस्त के ९ तारीक को,
-
8:57 - 8:59दिल का दौरा पड़ने से मेरे पिताजी गुज़र गए।
-
9:01 - 9:02मेरी माँ को इससे बहुत सदमा पहुंचा,
-
9:02 - 9:06मेरे पिता के बिना उनकी ज़िन्दगी
कल्पनाहीन लगने लगी। -
9:07 - 9:09चार दिन बाद वह गिर गई,
-
9:09 - 9:11और गिरने के कारण उनकी कमर टूटी,
-
9:11 - 9:13उन्हें सर्जरी की ज़रुरत थी
-
9:13 - 9:16और वह अपनी ज़िन्दगी से लड़ रही थी।
-
9:17 - 9:19और फिर से मैं
-
9:19 - 9:22नर्सों को मेरी माँ का देखभाल करते हुए
-
9:22 - 9:23नज़दीकी से देखा।
-
9:24 - 9:27मेरा भाई, मेरी बहन और मैं
-
9:27 - 9:29आई सी यू में तीन दिन तक माँ के साथ रहे।
-
9:30 - 9:33हमारी माँ की तमन्नाओं को पूरा करने के लिए
-
9:33 - 9:35हम तीनों ने सही निर्णय लेने की कोशिह की
-
9:36 - 9:39और इसके लिए हमने नर्सों का मार्गदर्शन लिया।
-
9:40 - 9:42और फिर से उन्होंने,
-
9:42 - 9:43हमें निराश नहीं किया।
-
9:45 - 9:49माँ का उनके अंतिम चार दिनों में
देखभाल कैसे करे -
9:49 - 9:52इस मामले में नर्सों ने हमारा साथ दिया।
-
9:53 - 9:56मेरी बीमार माँ को उन नर्सों ने
आरामदायक बनाने की कोशिश की। -
9:56 - 10:02माँ को फरक नहीं पड़ता था
पर उन्हें सुन्दर नाइटी पहनाने के लिए, -
10:02 - 10:03उन नर्सों ने हमारा होंसला बढ़ाया,
-
10:04 - 10:05हमारे लिए वह एक बड़ी बात थी।
-
10:07 - 10:13जब माँ आखरी सांस ले रही थी
तब उन्होंने मुझे जगाया। -
10:14 - 10:16और जब माँ गुज़री तब वह नर्स जानती थी कि
-
10:16 - 10:19कितनी देर तक मुझे माँ के साथ अकेला छोड़े।
-
10:19 - 10:23यह बातें वह कैसे जानती हैं
यह मैं नहीं जानती, -
10:23 - 10:26पर मै उनकी फिर से आभारी हूँ
-
10:26 - 10:28कि वह फिर से मेरी मार्गदर्शक बनी।
-
10:29 - 10:30आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
-
10:30 - 10:35(तालियाँ)
- Title:
- नर्सों को हमारा सलाम
- Speaker:
- कैरोलिन जोन्स
- Description:
-
पाँच साल तक कैरोलिन जोन्स अमरीका भर ऐसी जगह घूमी जहाँ सार्वजनिक स्वास्थ्य एक गम्भीर मुद्दा है. यहाँ वह कई नर्सों से मिली, उनकी तस्वीरें ली, उनके इंटरव्यू लिए और वृत्त चित्र बनाये. कैरोलिन इन स्वास्थय सेवा की अग्रपंक्ति में खड़े इन नरम सैनिक यानी नर्सों की कहानिया हमारे साथ बांटना चाहती हैं ताकि हम इनके निष्ठा का जश्न मना सके और उनका सदा आभारी रह सके.
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 10:48
Abhinav Garule approved Hindi subtitles for A tribute to nurses | ||
Abhinav Garule accepted Hindi subtitles for A tribute to nurses | ||
Abhinav Garule edited Hindi subtitles for A tribute to nurses | ||
Abhinav Garule edited Hindi subtitles for A tribute to nurses | ||
Abhinav Garule edited Hindi subtitles for A tribute to nurses | ||
Abhinav Garule edited Hindi subtitles for A tribute to nurses | ||
Abhinav Garule edited Hindi subtitles for A tribute to nurses | ||
Rashmi Ramachandra edited Hindi subtitles for A tribute to nurses |