1 00:00:00,000 --> 00:00:03,000 ह्म्म, कठिन मध्यस्थता का मसला 2 00:00:03,000 --> 00:00:05,000 मुझे मेरी एक पसंदीदा कहानी की याद दिलाता है, 3 00:00:05,000 --> 00:00:07,000 मध्यपूर्वी दुनिया से, 4 00:00:07,000 --> 00:00:10,000 एक ऐसे आदमी की जो अपने तीन बेटों के लिये १७ ऊँटों की विरासत छोड गया था। 5 00:00:10,000 --> 00:00:13,000 पहले बेटे के लिये उसने आधे ऊँट मुकर्रर किये थे; 6 00:00:13,000 --> 00:00:15,000 दूसरे के लिये, एक तिहाई; 7 00:00:15,000 --> 00:00:17,000 और सबसे छोटे बेटे के लिये, ऊँटों का नवाँ हिस्सा। 8 00:00:17,000 --> 00:00:19,000 तीनों बेटे ऊँटों का फ़ैसला करने बैठे। 9 00:00:19,000 --> 00:00:21,000 १७ न तो दो से भाग खाता है। 10 00:00:21,000 --> 00:00:23,000 न ही उसे तीन भागों में बाँटा जा सकता है। 11 00:00:23,000 --> 00:00:25,000 और ९ से भी उसे भाग नहीं दिया जा सकता। 12 00:00:25,000 --> 00:00:27,000 अब भाइयों में अन-बन शुरु हो गयी। 13 00:00:27,000 --> 00:00:29,000 और अंत में, मरता क्या न करता, 14 00:00:29,000 --> 00:00:32,000 वो एक बुद्धिमान बुढिया के पास सलाह के लिये पहुँचे। 15 00:00:32,000 --> 00:00:34,000 बुद्धिमान बुढिया ने उनकी समस्या पर देर तक विचार किया, 16 00:00:34,000 --> 00:00:36,000 और फ़िर उसने वापस आ कर कहा, 17 00:00:36,000 --> 00:00:38,000 "देखो, मुझे नहीं पता कि मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ या नहीं, 18 00:00:38,000 --> 00:00:40,000 लेकिन अगर तुम्हें चाहिये, तो तुम मेरा ऊँट ले जा सकते हो।" 19 00:00:40,000 --> 00:00:42,000 तो अब उनके पास १८ ऊँट हो गये। 20 00:00:42,000 --> 00:00:45,000 पहले बेटे ने अपना आधा हिस्सा ले लिया - १८ का आधा ९ होता है। 21 00:00:45,000 --> 00:00:48,000 मंझले बेटे ने एक-तिहाई ले लिया - १८ का तिहाई ६ होता है। 22 00:00:48,000 --> 00:00:50,000 और सबसे छोटे बेटे ने नवाँ हिस्सा लिया -- 23 00:00:50,000 --> 00:00:52,000 १८ का नवाँ हिस्सा दो होता है। 24 00:00:52,000 --> 00:00:54,000 ९, ६, और २ मिला कर कुल १७ होते हैं। 25 00:00:54,000 --> 00:00:56,000 तो उनके पास एक ऊँट बच गया। 26 00:00:56,000 --> 00:00:58,000 और उसे उन्होंने उस बुढिया को वापस कर दिया। 27 00:00:58,000 --> 00:01:00,000 (हँसी) 28 00:01:00,000 --> 00:01:02,000 अब अगर आप इस कहानी पर गौर करें, 29 00:01:02,000 --> 00:01:04,000 तो ये काफ़ी करीब है 30 00:01:04,000 --> 00:01:07,000 उन स्थितियों के, जो हमें समझौते करते समय झेलनी होती हैं। 31 00:01:07,000 --> 00:01:09,000 वो इसी १७ ऊँटों वाली स्थिति से शुरु होती है - जिनका निपटान असंभव लगता है। 32 00:01:09,000 --> 00:01:11,000 कैसे भी हो, हमें करना ये होता है कि 33 00:01:11,000 --> 00:01:14,000 हम उन स्थितियों से बाहर निकल कर देखें, बिलकुल उस बुद्धिमान बुढिया की तरह, 34 00:01:14,000 --> 00:01:16,000 और एक नये नज़रिये से स्थितियों पर गौर करें 35 00:01:16,000 --> 00:01:19,000 और कहीं से उस अट्ठारहवें ऊँट को प्रकट करें। 36 00:01:20,000 --> 00:01:22,000 दुनिया के कठिन मसलों में इस अट्ठारहवें ऊँट की खोज़ ही 37 00:01:22,000 --> 00:01:25,000 मेरे जीवन की साधना रही है। 38 00:01:25,000 --> 00:01:28,000 मुझे मानव-जाति इन तीन भाइयों जैसी ही लगती है; 39 00:01:28,000 --> 00:01:30,000 हम सब एक परिवार हैं। 40 00:01:30,000 --> 00:01:32,000 और ये तो वैज्ञानिक तौर पर भी साबित हो चुका है, 41 00:01:32,000 --> 00:01:34,000 और सूचना क्रान्ति के चलते, 42 00:01:34,000 --> 00:01:37,000 इस ग्रह के सारे कबीले, लगभग १५,००० कबीले, 43 00:01:37,000 --> 00:01:40,000 एक दूसरे से संपर्क में आ गये हैं। 44 00:01:40,000 --> 00:01:42,000 और ये बहुत बडा पारिवारिक सम्मेलन है। 45 00:01:42,000 --> 00:01:44,000 और बिलकुल पारिवारिक सम्मेलनों की तरह, 46 00:01:44,000 --> 00:01:46,000 इसमें सब कुछ केवल शांति से, मज़े से नहीं होता है। 47 00:01:46,000 --> 00:01:48,000 बहुत विवाद भी उत्पन्न होते हैं। 48 00:01:48,000 --> 00:01:50,000 और असली प्रश्न तो ये है, कि 49 00:01:50,000 --> 00:01:52,000 हम इन विवादों से कैसे निपतें? 50 00:01:52,000 --> 00:01:54,000 हम अपने गहरे पैठे हुए मतभेदों से कैसे निपटें, 51 00:01:54,000 --> 00:01:56,000 जब कि हम लोग हरदम लडने को तैयार रहते हैं 52 00:01:56,000 --> 00:01:58,000 और मानव महान ज्ञाता हो गया है 53 00:01:58,000 --> 00:02:01,000 हाहाकार मचा सकने वाले हथियारों का। 54 00:02:01,000 --> 00:02:03,000 प्रश्न असल में ये है। 55 00:02:03,000 --> 00:02:06,000 जैसा कि मैने लगभग पिछले तीस साल -- 56 00:02:06,000 --> 00:02:08,000 या शायद चालीस -- 57 00:02:08,000 --> 00:02:10,000 दुनिया भर में सफ़र करते हुए बिताये हैं, 58 00:02:10,000 --> 00:02:13,000 अपना काम करते हुए, विवादों का हिस्सा बनते हुए 59 00:02:13,000 --> 00:02:16,000 युगोस्लाविया से ले कर मध्य-पूर्व तक, 60 00:02:16,000 --> 00:02:18,000 चेचेन्या से ले कर वेनेज़ुअला तक, 61 00:02:18,000 --> 00:02:21,000 हमारी दुनिया के कुछ सबसे बडे और कठिन विवादों के दरम्यान, 62 00:02:21,000 --> 00:02:23,000 और मै स्वयं से हमेशा यही प्रश्न पूछता आया हूँ। 63 00:02:23,000 --> 00:02:25,000 और शायद कुछ हद तक मुझे ये पता लग गया है, 64 00:02:25,000 --> 00:02:27,000 कि शान्ति का राज़ क्या है। 65 00:02:27,000 --> 00:02:30,000 ये असल में आशचर्यजनिक रूप से साधारण है। 66 00:02:30,000 --> 00:02:33,000 आसान नहीं है, मगर साधारण है। 67 00:02:33,000 --> 00:02:35,000 और तो और, ये नया भी नहीं है। 68 00:02:35,000 --> 00:02:37,000 हो सकता है कि ये हमारी प्राचीन मानव-संस्कृति का अहम हिस्सा रहा हो। 69 00:02:37,000 --> 00:02:40,000 और शान्ति का राज हम खुद हैं। 70 00:02:40,000 --> 00:02:42,000 ये हम सब ही हैं 71 00:02:42,000 --> 00:02:44,000 जो कि समाज के रूप में 72 00:02:44,000 --> 00:02:46,000 विवादों के आसपास मौजूद हो कर 73 00:02:46,000 --> 00:02:48,000 एक सकारात्मक भागीदारी निभा सकते हैं। 74 00:02:48,000 --> 00:02:51,000 मैं उदाहरण के रूप में एक किस्सा सुनाता हूँ। 75 00:02:52,000 --> 00:02:54,000 करीब २० साल पहले, मैं दक्षिणी अफ़्रीका में था, 76 00:02:54,000 --> 00:02:56,000 वहाँ के विवाद में शामिल गुटों के साथ काम करते हुए, 77 00:02:56,000 --> 00:02:58,000 और मेरे पास एक महीन का अतिरिक्त समय था, 78 00:02:58,000 --> 00:03:00,000 तो मैने वो समय 79 00:03:00,000 --> 00:03:02,000 सैन बुश्मैन आदिवासियों के साथ बिताया। 80 00:03:02,000 --> 00:03:05,000 मैं उनके बारे में जानने में उत्सुक था, खासकर कि वो अपने विवाद कैसे हल करते हैं। 81 00:03:06,000 --> 00:03:08,000 क्योंकि, जितना मुझे पता था, 82 00:03:08,000 --> 00:03:10,000 वो सब शिकारी या संग्रहजीवी थे, 83 00:03:10,000 --> 00:03:12,000 काफ़ी हद तक आदिमानवों सरीका जीवन व्यतीत करने वाले, 84 00:03:12,000 --> 00:03:15,000 जैसा कि मानवों ने अपने ९९ प्रतिशत इतिहास में बिताया है। 85 00:03:15,000 --> 00:03:18,000 और इनके पास जहर-बुझे तीर होते हैं जिन्हें ये शिकार के लिये इस्तेमाल करते हैं-- 86 00:03:18,000 --> 00:03:20,000 एकदम मारक तीर। 87 00:03:20,000 --> 00:03:22,000 तो ये कैसे अपने विवादों का हल ढूँढते हैं? 88 00:03:22,000 --> 00:03:24,000 और पता है, मैनें क्या पाया -- 89 00:03:24,000 --> 00:03:27,000 कि जब भी उनके दलों में लोगों को गुस्सा आता है, 90 00:03:27,000 --> 00:03:30,000 कोई जाकर पहले वो ज़हर-बुझे तीर झाडियों में छुपा देता है, 91 00:03:30,000 --> 00:03:34,000 फ़िर सब लोग एक गोला बना कर ऐसे बैठ जाते हैं, 92 00:03:34,000 --> 00:03:37,000 और फ़िर वो बातचीत करते जाते है, करते जाते हैं, करते जाते हैं। 93 00:03:37,000 --> 00:03:39,000 इसमें उन्हें दो दिन, तीन, या फ़िर चार दिन भी लग सकते हैं, 94 00:03:39,000 --> 00:03:41,000 मगर वो तब तक नहीं रुकते 95 00:03:41,000 --> 00:03:43,000 जब तक कि उन्हें कोई हल न मिल जाये, 96 00:03:43,000 --> 00:03:45,000 या फ़िर, विवाद करने वाले सुलह न कर लें। 97 00:03:45,000 --> 00:03:47,000 और यदि तब भी गुस्सा शांत न हो, 98 00:03:47,000 --> 00:03:49,000 तो वो किसी को अपने रिश्तेदारों से मिलने भेज देते हैं 99 00:03:49,000 --> 00:03:51,000 शांत होने के लिये। 100 00:03:51,000 --> 00:03:53,000 और मेरे ख्याल से इसी व्यवस्था 101 00:03:53,000 --> 00:03:56,000 के चलते, हम सब आज तक जीवित बचे है, 102 00:03:56,000 --> 00:03:58,000 हमारी लडाकू पॄवत्तियों के मद्देनज़र। 103 00:03:58,000 --> 00:04:01,000 इस व्यवस्था को मैं तीसरा-पक्ष कहता हूँ। 104 00:04:01,000 --> 00:04:03,000 क्योंकि यदि आप ध्यान दें, 105 00:04:03,000 --> 00:04:06,000 अक्सर जब भी हम विवाद के बारे में सोचते हैं, या बताते हैं, 106 00:04:06,000 --> 00:04:08,000 तो उस में हमेशा दो पक्ष निहित होते हैं। 107 00:04:08,000 --> 00:04:10,000 अरब बनाम इस्राइली, मज़दूर बनाम प्रबंधन, 108 00:04:10,000 --> 00:04:13,000 पति बनाम पत्नी, रिपब्लिकन बनाम डेमोक्रेट, 109 00:04:13,000 --> 00:04:15,000 मगर अक्सर जो हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं, 110 00:04:15,000 --> 00:04:17,000 वो ये है कि हमेशा एक तीसरा पक्ष होता है। 111 00:04:17,000 --> 00:04:19,000 और वो तीसरा पक्ष है आप और मैं, 112 00:04:19,000 --> 00:04:21,000 आसपास का समाज, 113 00:04:21,000 --> 00:04:23,000 दोस्त, और सहयोगी, 114 00:04:23,000 --> 00:04:25,000 परिवार के सदस्य, पडोसी। 115 00:04:25,000 --> 00:04:28,000 और हम सब उसमें अभूतपूर्व सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं। 116 00:04:28,000 --> 00:04:30,000 शायद सबसे मौलिक तरीका 117 00:04:30,000 --> 00:04:33,000 जिस से कि तीसरा पक्ष मदद कर सकता है, 118 00:04:33,000 --> 00:04:36,000 ये है कि विवादी जुटों को बतायें कि दाँव पर क्या लगा है। 119 00:04:36,000 --> 00:04:38,000 बच्चों के लिये, परिवार के लिये, 120 00:04:38,000 --> 00:04:41,000 समाज के लिये, और भविष्य के लिये, 121 00:04:41,000 --> 00:04:44,000 हमें लडना छोड कर, बातचीत शुरु करनी होगी। 122 00:04:44,000 --> 00:04:46,000 क्योंकि, मुद्दा ये है, 123 00:04:46,000 --> 00:04:48,000 कि जब हम लडाई का हिस्सा होते हैं, 124 00:04:48,000 --> 00:04:50,000 तो अपना आपा खोना बहुत आसान होता है। 125 00:04:50,000 --> 00:04:52,000 तुरंत भडक उठना भी बहुत आसान होता है। 126 00:04:52,000 --> 00:04:55,000 और मानव-जाति तो जैसे प्रतिक्रिया की मशीन है। 127 00:04:55,000 --> 00:04:57,000 जैसा कि कहा जाता है, 128 00:04:57,000 --> 00:04:59,000 जब आप गुस्सा हैं, तो आप वो बहतरीन भाषण देंगे 129 00:04:59,000 --> 00:05:02,000 जिसका आपको हमेशा पछतावा रहेगा। 130 00:05:02,000 --> 00:05:05,000 और इसलिये तीसरा पक्ष हमेशा हमें ये याद दिलाता रह सकता है। 131 00:05:05,000 --> 00:05:07,000 ये तीसरा पक्ष हमें बालकनी में जाने में मदद करता है, 132 00:05:07,000 --> 00:05:10,000 जो कि सोच-विचार की जगह का रूपक है 133 00:05:10,000 --> 00:05:13,000 जहाँ हम सोच सकें कि हमें असल में चाहिये क्या। 134 00:05:13,000 --> 00:05:16,000 मैं आपको अपने खुद के मध्यस्तता के अनुभव से एक किस्सा सुनाता हूँ। 135 00:05:16,000 --> 00:05:19,000 कुछ साल पहले, मैं एक मध्यस्त के रूप में 136 00:05:19,000 --> 00:05:21,000 एक बहुत कठिन वार्ता में शामिल था 137 00:05:21,000 --> 00:05:23,000 रूस के नेताओं 138 00:05:23,000 --> 00:05:25,000 और चेचेन्या के नेताओं के बीच। 139 00:05:25,000 --> 00:05:27,000 और जैसा कि आपको पता ही है, उस समय एक युद्ध चल रहा था। 140 00:05:27,000 --> 00:05:29,000 और हम हेग्य में मिले, 141 00:05:29,000 --> 00:05:31,000 शांति महल में (पीस पैलेस), 142 00:05:31,000 --> 00:05:34,000 उसी कमरे में जहाँ युगोस्लावी युद्ध अपराधों की कचहरी 143 00:05:34,000 --> 00:05:36,000 चल रही थी। 144 00:05:36,000 --> 00:05:38,000 और हमारी बातचीत शुरुवात में ही हिचकोले खाने लगी 145 00:05:38,000 --> 00:05:40,000 जब चेचेन्या के उप-राष्ट्रपति ने 146 00:05:40,000 --> 00:05:43,000 रूसियों की तरफ़ उँगली उठा कर कहा, 147 00:05:43,000 --> 00:05:45,000 "आपको यहीं बैठे रहना चाहिये, 148 00:05:45,000 --> 00:05:47,000 क्योंकि हो सकता है आप पर भी युद्ध-अपराधों का मुकदमा चले।" 149 00:05:47,000 --> 00:05:49,000 और फ़िर वो मेरी ओर मुखातिब हो कर बोले, 150 00:05:49,000 --> 00:05:51,000 "तुम तो अमरीकी हो। 151 00:05:51,000 --> 00:05:54,000 देखो तुम अमरीकियों ने प्यूर्टो रिको में क्या किया है।" 152 00:05:54,000 --> 00:05:57,000 और मेरे दिमाग ने तुरंत सोचना शुरु किया, "प्यूर्टो रिको? इसकी बात का मैं क्या जवाब दूँ?" 153 00:05:57,000 --> 00:05:59,000 मैने प्रतिक्रिया करनी शुरु कर दी थी, 154 00:05:59,000 --> 00:06:02,000 मगर तभी मुझे बालकनी मे जाने वाली बात याद आ गयी। 155 00:06:02,000 --> 00:06:04,000 और जब उन्होंने बोलना बंद किया, 156 00:06:04,000 --> 00:06:06,000 और सभी ने मेरी ओर जवाबी प्रतिक्रिया के लिये देखा, 157 00:06:06,000 --> 00:06:09,000 बालकनी वाली सोच के चलते, मैं उनक उल्टा धन्यवाद देने में सक्षम हो सका, 158 00:06:09,000 --> 00:06:12,000 और मैने कहा, "मैं अपने देश के प्रति आपकी आलोचना का सम्मान करता हूँ, 159 00:06:12,000 --> 00:06:14,000 और इसे मित्रवत व्यवहार का लक्षण मानता हूँ कि 160 00:06:14,000 --> 00:06:17,000 कम से कम हम खुल कर मन की बात बोल तो रहे हैं। 161 00:06:17,000 --> 00:06:20,000 और आज हम यहाँ प्यूर्टो रिको या किसी और बात के लिये नहीं मिल रहे हैं। 162 00:06:20,000 --> 00:06:23,000 हम यहाँ इसलिये हैं कि हम एक हल ढूँढ सकें जिस से कि 163 00:06:23,000 --> 00:06:26,000 चेचेन्या में हो रह दुख और खून-खराबा बंद हो सके।" 164 00:06:26,000 --> 00:06:29,000 बातचीत फ़िर से राह पर आ गयी। 165 00:06:29,000 --> 00:06:31,000 तीसरे पक्ष का यही काम होता है, 166 00:06:31,000 --> 00:06:33,000 कि वो विवाद में फ़ंसे पक्षों को बालकनी तक जाने में मदद करें। 167 00:06:33,000 --> 00:06:36,000 चलिये मैं आपको ले चलता हूँ 168 00:06:36,000 --> 00:06:38,000 विश्व के सबसे कठिन माने जाने वाली बहस के, 169 00:06:38,000 --> 00:06:40,000 या शायद वास्तव में सबसे कठिन बहस के, ठीक बीच 170 00:06:40,000 --> 00:06:42,000 मध्य-पूर्व में। 171 00:06:42,000 --> 00:06:45,000 प्रश्न है: यहाँ तीसरा पक्ष कहाँ है? 172 00:06:45,000 --> 00:06:47,000 यहाँ हम बालकनी में जाने की बात कैसे सोच सकेंगे? 173 00:06:47,000 --> 00:06:49,000 अब मैं ये नाटक नहीं करूँगा कि 174 00:06:49,000 --> 00:06:51,000 मेरे पास मध्य-पूर्व समस्या का समाधान है, 175 00:06:51,000 --> 00:06:53,000 पर मेरे ख्याल से मेरे पास समाधान की ओर जाने का पहला कदम है, 176 00:06:53,000 --> 00:06:55,000 वस्तुतः पहला कदम, 177 00:06:55,000 --> 00:06:58,000 ऐसा कुछ जो हम सब तीसरे पक्ष के रूप में कर सकते हैं। 178 00:06:58,000 --> 00:07:00,000 चलिये आप से पहले एक प्रश्न पूछता हूँ। 179 00:07:00,000 --> 00:07:02,000 आप में कितनों ने 180 00:07:02,000 --> 00:07:04,000 पिछले सालों में 181 00:07:04,000 --> 00:07:07,000 स्वयं को पाया है मध्य-पूर्व की चिंता करते और 182 00:07:07,000 --> 00:07:09,000 ये सोचते कि कोई क्या कर सकता है? 183 00:07:09,000 --> 00:07:11,000 उत्सुक्तावश, कितने आप में से? 184 00:07:11,000 --> 00:07:14,000 ठीक, तो हम में ज्यादातर लोगों ने। 185 00:07:14,000 --> 00:07:16,000 और ये हम से इतना दूर है। 186 00:07:16,000 --> 00:07:19,000 हम आखिर इस विवाद पर इतना ध्यान क्यों देते हैं? 187 00:07:19,000 --> 00:07:21,000 क्या ये अत्यधिक लोगों की मृत्यु के चलते है? 188 00:07:21,000 --> 00:07:23,000 इस के कई सौ गुना लोग मरते हैं 189 00:07:23,000 --> 00:07:25,000 अफ़्रीका के विवादों में। 190 00:07:25,000 --> 00:07:27,000 नहीं, ये इस से जुडी कहानी की वजह से है, 191 00:07:27,000 --> 00:07:29,000 कि हम सब व्यक्तिगत तौर पर जुडे महसूस करते हैं 192 00:07:29,000 --> 00:07:31,000 इस कहानी से। 193 00:07:31,000 --> 00:07:33,000 चाहे हम ईसाई हों, मुसलमान हों, या फ़िर यहूदी, 194 00:07:33,000 --> 00:07:35,000 और आस्तिक हों या नास्तिक, 195 00:07:35,000 --> 00:07:37,000 हमें लगता है कि हमारा कुछ हिस्सा इसमें शामिल है। 196 00:07:37,000 --> 00:07:40,000 कहानियों की अपनी महत्ता होती है। एक मानव-विज्ञानी होने के नाते मैं जानता हूँ। 197 00:07:40,000 --> 00:07:43,000 हम कहानियों के ज़रिये अपने ज्ञान को आगे देते हैं। 198 00:07:43,000 --> 00:07:45,000 उनसे हमारे जीवन को अर्थ मिलता है। 199 00:07:45,000 --> 00:07:47,000 इसलिये ही हम सब यहाँ टेड में हैं, कहानियाँ सुनाने। 200 00:07:47,000 --> 00:07:49,000 कहानियाँ सबसे महत्वपूर्ण हैं। 201 00:07:49,000 --> 00:07:52,000 और मेरा प्रश्न है, 202 00:07:52,000 --> 00:07:54,000 हाँ, चलिये कोशिश करके सुलझाते हैं राजनीतिक उलझन 203 00:07:54,000 --> 00:07:56,000 जो मध्य-पूर्व में है, 204 00:07:56,000 --> 00:07:59,000 लेकिन एक नज़र उस कहानी पर भी डालते हैं। 205 00:07:59,000 --> 00:08:01,000 चलिये मसले की जड तक पहुँचने की कोशिश करते हैं। 206 00:08:01,000 --> 00:08:03,000 चलिये देखते हैं कि क्या इस पर तीसरा पक्ष लागू होगा। 207 00:08:03,000 --> 00:08:06,000 इसका क्या मतलब हुआ? यहाँ कहानी क्या है? 208 00:08:06,000 --> 00:08:08,000 मानव विज्ञानी होने के नाते, हमें पता है कि 209 00:08:08,000 --> 00:08:11,000 हर संस्कृति के उद्गम की एक कहानी होती है। 210 00:08:11,000 --> 00:08:13,000 मध्य-पूर्व के उद्गम की कहानी क्या है? 211 00:08:13,000 --> 00:08:15,000 सीधे सीधे, कहानी ये है: 212 00:08:15,000 --> 00:08:18,000 ४००० साल पहले, एक आदमी और उसके परिवार 213 00:08:18,000 --> 00:08:20,000 ने मध्य-पूर्व के आरपार पद-यात्रा की 214 00:08:20,000 --> 00:08:23,000 और दुनिया हमेशा हमेशा के बदल गयी। 215 00:08:23,000 --> 00:08:25,000 और वो आदमी, जैसा कि सर्वविदित है, 216 00:08:25,000 --> 00:08:27,000 अब्राहम था। 217 00:08:27,000 --> 00:08:29,000 और वो एकता का पुजारी थी, 218 00:08:29,000 --> 00:08:31,000 उसके परिवार की एकता। 219 00:08:31,000 --> 00:08:33,000 वो हम सब का पिता था। 220 00:08:33,000 --> 00:08:35,000 मगर मसला सिर्फ़ ये नहीं कि वो क्या पूजता था, बल्कि ये कि उसका संदेश क्या था। 221 00:08:35,000 --> 00:08:38,000 उसका मूल संदेश भी एकता का ही था, 222 00:08:38,000 --> 00:08:41,000 सबके आपस में जुडे होने का, और सबके बीच एकता का। 223 00:08:41,000 --> 00:08:44,000 और उसका मौलिक मूल्य था सम्मान, 224 00:08:44,000 --> 00:08:46,000 और अन्जान लोगों के प्रति दया का भाव। 225 00:08:46,000 --> 00:08:49,000 वो इसिलिये जाना जाता है, अपनी सत्कार भावना के लिये। 226 00:08:49,000 --> 00:08:51,000 तो इस लिहाज से, 227 00:08:51,000 --> 00:08:53,000 वो तीसरे पक्ष का प्रतीक है 228 00:08:53,000 --> 00:08:55,000 मध्य-पूर्व के लिये। 229 00:08:55,000 --> 00:08:58,000 वो हमें ये याद दिलाता है कि 230 00:08:58,000 --> 00:09:00,000 हम सब एक बडी परिकल्पना के हिस्से मात्र हैं। 231 00:09:00,000 --> 00:09:02,000 तो आप कैसे -- 232 00:09:02,000 --> 00:09:04,000 थोडा रुक कर सोचिये। 233 00:09:04,000 --> 00:09:07,000 आज हम आतंकवाद का बोझा ढो रहे हैं। 234 00:09:07,000 --> 00:09:09,000 आतंकवाद आखिर है क्या? 235 00:09:09,000 --> 00:09:12,000 आतंकवाद है कि एक मासूम अजनबी को पकडिये, 236 00:09:12,000 --> 00:09:15,000 और उसे उस दुश्मन के माफ़िक मानिये जिसे आप मार देंगे 237 00:09:15,000 --> 00:09:17,000 डर पैदा करने के लिये। 238 00:09:17,000 --> 00:09:19,000 और आतंकवाद का विपरीत क्या है? 239 00:09:19,000 --> 00:09:21,000 ये कि आप एक मासूम अजनबी से मिले, 240 00:09:21,000 --> 00:09:23,000 और उससे उस दोस्त के माफ़िक बर्ताव किया, 241 00:09:23,000 --> 00:09:26,000 जिसे आप अपने घर बुलायेंगे 242 00:09:26,000 --> 00:09:28,000 उस के साथ दख-सुख बाँटेंगे, और समझ बढायेंगे, 243 00:09:28,000 --> 00:09:31,000 सम्मान देंगे, प्यार देंगे। 244 00:09:31,000 --> 00:09:33,000 तो अगर ऐसा हो कि 245 00:09:33,000 --> 00:09:36,000 आप अब्राहम की कहानी उठायें, 246 00:09:36,000 --> 00:09:38,000 जो कि तीसरे पक्ष की कहानी है, 247 00:09:38,000 --> 00:09:40,000 और अगर उसे ऐसा कर दें -- 248 00:09:40,000 --> 00:09:43,000 क्योंकि अब्राहम सत्कार भावना का प्रतीक है -- 249 00:09:43,000 --> 00:09:46,000 क्या हो अगर ये आतंकवाद के खिलाफ़ एक दवाई हो जाये? 250 00:09:46,000 --> 00:09:48,000 क्या हो अगर ये कहानी टीका बन जाये 251 00:09:48,000 --> 00:09:50,000 मजहबी असहिष्णुता के खिलाफ़? 252 00:09:50,000 --> 00:09:53,000 आप उस कहानी में जीवन कैसे फ़ूँक सकेंगे? 253 00:09:53,000 --> 00:09:55,000 देखिये सिर्फ़ कहानी सुना भर देना काफ़ी नहीं है -- 254 00:09:55,000 --> 00:09:57,000 वो काफ़ी शक्तिशाली है -- 255 00:09:57,000 --> 00:09:59,000 मगर लोगों को कहानी को अनुभव कर पाना ज़रूरी है। 256 00:09:59,000 --> 00:10:02,000 उन्हें उस कहानी को जी पाना ज़रूरी है। वो आप कैसे करेंगे? 257 00:10:02,000 --> 00:10:05,000 और ये मेरी सोच थी कि ऐसा कैसे होगा। 258 00:10:05,000 --> 00:10:07,000 और यहीं से पहले कदम की शुरुवात है। 259 00:10:07,000 --> 00:10:09,000 क्योंकि एक साधारण तरीका ये कर पाने का है कि 260 00:10:09,000 --> 00:10:12,000 आप पद-यात्रा के लिये निकल पडें। 261 00:10:12,000 --> 00:10:15,000 आप अब्राहम के पदचापों का अनुसरण करते हुये पदयात्रा पर निकलें 262 00:10:15,000 --> 00:10:18,000 आप अब्राहम के रास्ते चलें। 263 00:10:18,000 --> 00:10:21,000 क्योंकि पदयात्रा में बडी ताकत होती है। 264 00:10:21,000 --> 00:10:24,000 मैं, एक मानव-विज्ञानी होने के नाते, जानता हूँ कि पद-यात्राओं ने ही हमें मनुष्य बनाया है। 265 00:10:24,000 --> 00:10:26,000 ये गजब है कि जब आप चलते हैं, 266 00:10:26,000 --> 00:10:28,000 तो आप अगल-बगल चलते हैं 267 00:10:28,000 --> 00:10:31,000 एक ही दिशा में। 268 00:10:31,000 --> 00:10:33,000 और अगर मै आपके सामने से आऊँ 269 00:10:33,000 --> 00:10:36,000 और इतना करीब आ जाऊँ, 270 00:10:36,000 --> 00:10:39,000 तो आपको भय महसूस होगा। 271 00:10:39,000 --> 00:10:41,000 लेकिन अगर मैं आपके कंधे से कंधा मिला कर चलूँ, 272 00:10:41,000 --> 00:10:43,000 चाहे आपको बिल्कुल छूते हुये भी, 273 00:10:43,000 --> 00:10:45,000 तो कोई समस्या नहीं है। 274 00:10:45,000 --> 00:10:47,000 अगल बगल चलते समय आखिर कौन लडता है? 275 00:10:47,000 --> 00:10:50,000 इसिलिये, जब मसले हल करते समय, स्थिति कठिन हो जाती है, 276 00:10:50,000 --> 00:10:52,000 लोग जंगलों में पद-यात्रा के लिये निकल जाते हैं। 277 00:10:52,000 --> 00:10:54,000 तो मुझे ये विचार आया कि 278 00:10:54,000 --> 00:10:56,000 क्यों न मैं प्रेरित करूँ 279 00:10:56,000 --> 00:10:58,000 ऐसा रास्ता -- 280 00:10:58,000 --> 00:11:01,000 सिल्क रूट जैसा, या अप्लेशियन रास्ते के जैसा -- 281 00:11:01,000 --> 00:11:03,000 जो कि ठीक वो ही हो 282 00:11:03,000 --> 00:11:05,000 जो अब्राहम ने लिया था। 283 00:11:05,000 --> 00:11:07,000 लोगों ने कहा, "ये पागलपन है। नहीं हो सकता। 284 00:11:07,000 --> 00:11:10,000 तुम अब्राहम के रास्ते पर नहीं चल सकते। ये बहुत खतरनाक है। 285 00:11:10,000 --> 00:11:12,000 आपको तमाम सारी सीमाओं को पार करना होगा। 286 00:11:12,000 --> 00:11:14,000 ये मध्य-पूर्व के करीब दस अलग अलग देशों से गुज़रता है, 287 00:11:14,000 --> 00:11:16,000 क्योंकि ये उन सब को जोडता है।" 288 00:11:16,000 --> 00:11:18,000 तो हमने हार्वार्ड में इस विचार पर अध्ययन किया। 289 00:11:18,000 --> 00:11:20,000 बारीकी से इसे समझा। 290 00:11:20,000 --> 00:11:22,000 और फ़िर कुछ साल पहले, हम ने एक दल बना कर, 291 00:11:22,000 --> 00:11:24,000 करीब १० देशों के २५ लोगों का, 292 00:11:24,000 --> 00:11:26,000 ये देखने का फ़ैसला किया कि क्या हम अब्राहम के रास्ते पर चल पायेंगे, 293 00:11:26,000 --> 00:11:29,000 उनके जन्मस्थान उर्फ़ा शहर से शुरु कर, 294 00:11:29,000 --> 00:11:32,000 जो दक्षिणी तुर्की, उत्तरी मेसोपोटामिया में है। 295 00:11:32,000 --> 00:11:35,000 तो हमने एक बस ली और थोडी पैदल यात्रा के उपरांत 296 00:11:35,000 --> 00:11:37,000 हम हर्रान पहुँचे, 297 00:11:37,000 --> 00:11:40,000 जहाँ से, बाइबिल के अनुसार, उन्होंने अपनी यात्रा शुरु की थी। 298 00:11:40,000 --> 00:11:42,000 फ़िर हमने सीमा पार की और सीरिया गये, फ़िर अलेप्पो, 299 00:11:42,000 --> 00:11:44,000 जिसका नाम अब्राहम पर ही पडा है। 300 00:11:44,000 --> 00:11:46,000 हम दमसकस गये, 301 00:11:46,000 --> 00:11:48,000 जिसका इतिहास अब्राहम से जुडा है। 302 00:11:48,000 --> 00:11:51,000 फ़िर हम उत्तरी जोर्डन गये, 303 00:11:51,000 --> 00:11:53,000 येरुसलम गये, 304 00:11:53,000 --> 00:11:56,000 जो कि पूरी तरह से अब्राहम से बारे में है, फ़िर बेतलेहम, 305 00:11:56,000 --> 00:11:58,000 और फ़िर आखिर में वहाँ जहाँ वो दफ़न हैं, 306 00:11:58,000 --> 00:12:00,000 हब्रोन में। 307 00:12:00,000 --> 00:12:02,000 तो हम लगभग गर्भाशय से कब्र तक गये। 308 00:12:02,000 --> 00:12:05,000 हमने ये दिखाया कि ऐसा हो सकता है। ये बहुत ही गजब की यात्रा थी। 309 00:12:05,000 --> 00:12:07,000 आपसे एक प्रश्न पूछता हूँ। 310 00:12:07,000 --> 00:12:09,000 आप में से कितनों को ऐसा अनुभव हुआ है 311 00:12:09,000 --> 00:12:11,000 कि किसी अजनबी जगह में, 312 00:12:11,000 --> 00:12:13,000 या अजनबी देश में, 313 00:12:13,000 --> 00:12:16,000 पूरी तरह से, सौ प्रतिशत अनजान व्यक्ति, 314 00:12:16,000 --> 00:12:19,000 आप तक आये और आपसे प्यार की दो बात करे, 315 00:12:19,000 --> 00:12:21,000 आपको अपने घर बुलाये, कुछ खातिरदारी करे, 316 00:12:21,000 --> 00:12:23,000 कॉफ़ी पिलाये, या फ़िर खाने का निमंत्रण दे? 317 00:12:23,000 --> 00:12:25,000 आप में से कितनों के साथ ऐसा हुआ है? 318 00:12:25,000 --> 00:12:27,000 देखिये यही है मुद्दे की बात, 319 00:12:27,000 --> 00:12:29,000 जो अब्राहम-पथ में निहित है। 320 00:12:29,000 --> 00:12:31,000 क्योंकि आप यही होता पाते है, जब आप मध्य-पूर्व के इन गाँवों मे जाते हैं 321 00:12:31,000 --> 00:12:33,000 जहाँ आप बुरे बर्ताव की आशा रखते हैं, 322 00:12:33,000 --> 00:12:35,000 और आपको आश्चर्यजनक स्वागत मिलता है, 323 00:12:35,000 --> 00:12:37,000 और सब अब्राहम से जुडे होने से। 324 00:12:37,000 --> 00:12:39,000 अब्राहम के नाम पर, 325 00:12:39,000 --> 00:12:41,000 "आइये मैं आपको कुछ खाने को देता हूँ।" 326 00:12:41,000 --> 00:12:43,000 तो हमें ये पता लगा कि 327 00:12:43,000 --> 00:12:46,000 अब्राहम महज एक किताबी किरदार नहीं है इन लोगों के लिये, 328 00:12:46,000 --> 00:12:49,000 वो जीवित है, उनके बीच रोज़ाना। 329 00:12:49,000 --> 00:12:51,000 और संक्षेप में कहूँ, 330 00:12:51,000 --> 00:12:53,000 तो पिछले कुछ सालों में, 331 00:12:53,000 --> 00:12:55,000 हज़ारों लोगों ने 332 00:12:55,000 --> 00:12:57,000 अब्राहम-पथ के कुछ भागों पर 333 00:12:57,000 --> 00:12:59,000 मध्य-पूर्व में चलना शुरु कर दिया है, 334 00:12:59,000 --> 00:13:02,000 वहाँ के लोगों का स्वागत-सत्कार स्वीकार करते हुए। 335 00:13:02,000 --> 00:13:04,000 उन्होने चलना शुरु किया है 336 00:13:04,000 --> 00:13:06,000 इज़रायल और फ़िलिस्तीन में, 337 00:13:06,000 --> 00:13:08,000 जोर्डन में, तुर्की में, सीरिया में। 338 00:13:08,000 --> 00:13:10,000 ये बेहद अलग अनुभव है। 339 00:13:10,000 --> 00:13:12,000 आदमी, औरत, युवा, वृद्ध -- 340 00:13:12,000 --> 00:13:15,000 आदमियों से ज्यादा औरतें, सच में। 341 00:13:15,000 --> 00:13:17,000 और जो चल नहीं सकते, 342 00:13:17,000 --> 00:13:19,000 जो वहाँ अभी तक नहीं जा सकते, 343 00:13:19,000 --> 00:13:21,000 उन लोगों ने पद-यात्राएँ आयोजित करना शुरु कर दिया है 344 00:13:21,000 --> 00:13:23,000 अपने शहरों, और अपने ही देशों मे। 345 00:13:23,000 --> 00:13:25,000 सिनसिनाती में, उदाहरण के लिये, एक पद-यात्रा आयोजित होती है 346 00:13:25,000 --> 00:13:27,000 एक चर्च से एक मस्जिद से होते हुए, एक यहूदी मंदिर तक 347 00:13:27,000 --> 00:13:29,000 और फ़िर सब साथ में अब्राहम-भोज करते है। 348 00:13:29,000 --> 00:13:31,000 उसे अब्राहम पथ दिवस कहा जाता है। 349 00:13:31,000 --> 00:13:33,000 साओ पालो, ब्राज़ील में तो ये वार्षिक उत्सव बन चुका है, 350 00:13:33,000 --> 00:13:35,000 हज़ारों लोगों के दौडने के लिये, 351 00:13:35,000 --> 00:13:37,000 एक कल्पित अब्राहम पथ पर, 352 00:13:37,000 --> 00:13:39,000 अलग अलग समुदायों को जोडने के लिये। 353 00:13:39,000 --> 00:13:42,000 मीडिया भी इस पर खूब लिखती है, उन्हें ये बेहद पसंद है। 354 00:13:42,000 --> 00:13:44,000 वो अपना ध्यान इस पर लुटाते है 355 00:13:44,000 --> 00:13:46,000 क्योंकि ये देखने में बेहतरीन है, 356 00:13:46,000 --> 00:13:48,000 और इस विचार को आगे बढाता है, 357 00:13:48,000 --> 00:13:50,000 कि अब्राहम की तरह ही स्वागत 358 00:13:50,000 --> 00:13:52,000 और दया की भावना अजनबियों के प्रति रखी जाये। 359 00:13:52,000 --> 00:13:54,000 और अभी कुछ हफ़्ते पहले ही, 360 00:13:54,000 --> 00:13:56,000 एन.पी.आर ने इस पर कहानी लिखी थी। 361 00:13:56,000 --> 00:13:58,000 पिछले महीने, 362 00:13:58,000 --> 00:14:00,000 इस पर गार्डियन अखबार ने लिखा था, 363 00:14:00,000 --> 00:14:03,000 मैनचेस्टर से निकलने वाले गार्डियन ने -- 364 00:14:03,000 --> 00:14:06,000 पूरे दो पन्नों की रपट। 365 00:14:06,000 --> 00:14:09,000 और उन्होंने एक ग्रामीण का संदेश भी शामिल किया था 366 00:14:09,000 --> 00:14:12,000 जिसने कहा, "ये पद-यात्रा हमें दुनिया से जोडती है।" 367 00:14:12,000 --> 00:14:15,000 उसने कहा कि ये एक रोशनी की तरह है जो हमारे जीवन में उजाला करती है 368 00:14:15,000 --> 00:14:17,000 हमें आशा दे कर। 369 00:14:17,000 --> 00:14:19,000 और देखिये इसी सब पर ये आधारित है। 370 00:14:19,000 --> 00:14:22,000 मगर ये सिर्फ़ मनोवैज्ञानिक नहीं है, 371 00:14:22,000 --> 00:14:24,000 ये आर्थिक भी है, 372 00:14:24,000 --> 00:14:26,000 क्योंकि जब लोग चलते है, तो वो पैसे भी खर्च करते हैं। 373 00:14:26,000 --> 00:14:29,000 और उम अहमद नाम की इस महिला, 374 00:14:29,000 --> 00:14:32,000 जो कि उत्तरी जोर्डन में इस रास्ते पर ही रहती है। 375 00:14:32,000 --> 00:14:34,000 ये बेहद गरीब है। 376 00:14:34,000 --> 00:14:37,000 काफ़ी हद तक दृष्टि-विहीन है, उसका पति काम नहीं कर सकता है, 377 00:14:37,000 --> 00:14:40,000 और उस के सात बच्चे हैं। 378 00:14:40,000 --> 00:14:42,000 मगर वो एक काम कर सकती है - खाना पकाना। 379 00:14:42,000 --> 00:14:45,000 तो उसने पद-यात्रियों के दलों के लिये खाना पकाना शुरु कर दिया है, 380 00:14:45,000 --> 00:14:48,000 जो उसके गाँव से निकलते है, और उसके घर में खाना खाते हैं। 381 00:14:48,000 --> 00:14:50,000 वो ज़मीन पर बैठते है। 382 00:14:50,000 --> 00:14:52,000 उस के पास मेज़ ढकने का कपडा तक नहीं है। 383 00:14:52,000 --> 00:14:54,000 और वो बहुत ही स्वादिष्ट खाना पकाती है 384 00:14:54,000 --> 00:14:57,000 जो कि आसपास के खेतों में उगने वाले मसालों से बना होता है। 385 00:14:57,000 --> 00:14:59,000 और इस वजह से और भी पद-यात्री वहाँ आते हैं। 386 00:14:59,000 --> 00:15:01,000 और अब तो उसने पैसे कमाने भी शुरु कर दिये है, 387 00:15:01,000 --> 00:15:03,000 अपने परिवार के सहारे के लिये। 388 00:15:03,000 --> 00:15:06,000 और उसने वहाँ हमारी टीम को बताया, 389 00:15:06,000 --> 00:15:09,000 "आपने मुझे उस गाँव में इज़्ज़्त दिलायी है 390 00:15:09,000 --> 00:15:11,000 जहाँ एक समय पर लोग 391 00:15:11,000 --> 00:15:13,000 मेरी तरफ़ देखने में भी झिझकते थे।" 392 00:15:13,000 --> 00:15:16,000 ये है अब्राहम-पथ की शक्ति। 393 00:15:16,000 --> 00:15:18,000 और ऐसे कई सौ समुदाय है 394 00:15:18,000 --> 00:15:21,000 पूरे मध्य-पूर्व में , इस रास्ते के आसपास। 395 00:15:22,000 --> 00:15:25,000 देखिये इसमें संभावना है पूरा मुद्दा बदल देने की 396 00:15:25,000 --> 00:15:27,000 और मुद्दा बदलने के लिये आपको माहौल बदलना होगा, 397 00:15:27,000 --> 00:15:29,000 जिस तरह हम देखते हैं-- 398 00:15:29,000 --> 00:15:31,000 माहौल बदलना होगा 399 00:15:31,000 --> 00:15:34,000 दुश्मनी से दोस्ती में 400 00:15:34,000 --> 00:15:37,000 आतंकवाद से पर्यटन में। 401 00:15:37,000 --> 00:15:39,000 और उस हिसाब से, अब्राहम पथ 402 00:15:39,000 --> 00:15:41,000 मुद्दा बदलने की संभावना से ओत-प्रोत है। 403 00:15:41,000 --> 00:15:43,000 चलिये मैं आपको कुछ दिखाता हूँ। 404 00:15:43,000 --> 00:15:45,000 मेरे पास एक छोटा सा बाँजफ़ल है 405 00:15:45,000 --> 00:15:47,000 जो मैनें ऐसे ही रास्ते पर चलते हुए उठा लिया था 406 00:15:47,000 --> 00:15:49,000 इस साल की शुरुवात में। 407 00:15:49,000 --> 00:15:51,000 अब ये फ़ल बलूत के पेड से जुडा है, बिलकुल -- 408 00:15:51,000 --> 00:15:53,000 क्योंके ये उस पर उगता है, 409 00:15:53,000 --> 00:15:55,000 जो कि अब्राहम से जुडा है। 410 00:15:55,000 --> 00:15:57,000 ये पथ आज इस फ़ल की तरह है; 411 00:15:57,000 --> 00:15:59,000 अपने शुरुवाती दौर में। 412 00:15:59,000 --> 00:16:01,000 और बलूत का पूरा पेड कैसा दिखेगा? 413 00:16:01,000 --> 00:16:03,000 जब मैं अपने बचपन के बारे में सोचता हूँ, 414 00:16:03,000 --> 00:16:05,000 जिसका काफ़ी बडा हिस्सा मैने, शिकागो में पैदा होने के बावजूद, 415 00:16:05,000 --> 00:16:07,000 यूरोप में गुज़ारा। 416 00:16:07,000 --> 00:16:09,000 अगर आप 417 00:16:09,000 --> 00:16:11,000 मान लीजिये, कि लंदन के खंडहरों 418 00:16:11,000 --> 00:16:14,000 में १९४५ मे, या फ़िर बर्लिन मे, गये होते, 419 00:16:14,000 --> 00:16:16,000 तो आपने कहा होता, 420 00:16:16,000 --> 00:16:18,000 आज से साठ साल बाद, 421 00:16:18,000 --> 00:16:20,000 ये धरती का सबसे शांत, सबसे धनी इलाका होगा," 422 00:16:20,000 --> 00:16:22,000 तो लोग सोचते कि 423 00:16:22,000 --> 00:16:24,000 आप निश्चय ही पागल हैं। 424 00:16:24,000 --> 00:16:28,000 मगर ऐसा हुआ - यूरोप की एक साझी पहचान के चलते, 425 00:16:28,000 --> 00:16:30,000 और एक साझी अर्थव्यवस्था के चलते। 426 00:16:30,000 --> 00:16:33,000 तो मेरा प्रश्न है, कि यदि ये यूरोप में किया जा सकता है, 427 00:16:33,000 --> 00:16:35,000 तो मध्य-पूर्व में क्यों नहीं? 428 00:16:35,000 --> 00:16:37,000 क्यों नहीं, जबकि वहाँ भी एक साझी पहचान है -- 429 00:16:37,000 --> 00:16:39,000 जो कि अब्राहम की कहानी से आती है -- 430 00:16:39,000 --> 00:16:41,000 और ऐसी साझी अर्थव्यवस्था से 431 00:16:41,000 --> 00:16:44,000 जो कि पर्यटन पर टिकी हो? 432 00:16:45,000 --> 00:16:47,000 मैं अंत में यही कहूँगा कि 433 00:16:47,000 --> 00:16:50,000 पिछले ३५ सालों में, 434 00:16:50,000 --> 00:16:52,000 मैने काम किया है 435 00:16:52,000 --> 00:16:54,000 कुछ बहुत ही खतरनाक, कठिन और उलझे हुए विवादों 436 00:16:54,000 --> 00:16:56,000 - पूरे विश्व में, 437 00:16:56,000 --> 00:16:59,000 और आज तक मैं ऐसे विवाद को नहीं देख सका 438 00:16:59,000 --> 00:17:02,000 जिसे देख कर मुझे लगा हो कि ये हल नहीं हो पायेगा। 439 00:17:02,000 --> 00:17:04,000 बिलकुल, ये आसान नहीं है, 440 00:17:04,000 --> 00:17:06,000 लेकिन ये संभव है। 441 00:17:06,000 --> 00:17:08,000 ऐसा दक्षिणी अफ़्रीका में किया गया है। 442 00:17:08,000 --> 00:17:10,000 उत्तरी आयरलैण्ड में भी किया गया है। 443 00:17:10,000 --> 00:17:12,000 और ऐसा कहीं भी किया जा सकता है। 444 00:17:12,000 --> 00:17:14,000 सब कुछ हम पर ही निर्भर करता है। 445 00:17:14,000 --> 00:17:17,000 हमारा ही कर्तव्य है कि हम तीसरा पक्ष बनें। 446 00:17:17,000 --> 00:17:19,000 तो मैं आप को आमंत्रित करता हूँ कि 447 00:17:19,000 --> 00:17:21,000 तीसरे पक्ष की भूमिका निभाने को 448 00:17:21,000 --> 00:17:23,000 एक छोटी शुरुवात के रूप में देखें। 449 00:17:23,000 --> 00:17:25,000 थोडी ही देर में हम एक छोटा सा मध्यांतर लेंगे। 450 00:17:25,000 --> 00:17:27,000 उस में किसी ऐसे से मिलिये 451 00:17:27,000 --> 00:17:30,000 जो दूसरी संस्कृति, दूसरे देश से हो, 452 00:17:30,000 --> 00:17:32,000 अलग जाति से हो, कुछ अलग हो, 453 00:17:32,000 --> 00:17:35,000 और उनके साथ बातचीत कीजिये; उन्हें ध्यान से सुनिये। 454 00:17:35,000 --> 00:17:37,000 यही तीसरे पक्ष का कार्य है। 455 00:17:37,000 --> 00:17:39,000 यही अब्राहम के नक्श-ए-कदम पर चलना है। 456 00:17:39,000 --> 00:17:41,000 टेडवार्ता की बाद, 457 00:17:41,000 --> 00:17:43,000 क्यों न एक टेडयात्रा भी करें? 458 00:17:43,000 --> 00:17:45,000 जाते जाते मैं आपको 459 00:17:45,000 --> 00:17:47,000 तीन संदेश दे कर जाऊँगा। 460 00:17:47,000 --> 00:17:50,000 एक, ये कि शांति का राज़ है 461 00:17:50,000 --> 00:17:53,000 तीसरा पक्ष। 462 00:17:53,000 --> 00:17:55,000 और तीसरा पक्ष मै आप, 463 00:17:55,000 --> 00:17:57,000 हम में हर एक है, 464 00:17:57,000 --> 00:17:59,000 और एक छोटे से कदम से ही, 465 00:17:59,000 --> 00:18:02,000 हम दुनिया को बदल सकते है, उसे 466 00:18:02,000 --> 00:18:05,000 शांति के और करीब ला सकते हैं। 467 00:18:05,000 --> 00:18:07,000 एक पुरानी अफ़्रीकन कहावत है: 468 00:18:07,000 --> 00:18:09,000 "अगर मकडियों के जाले एकजुट हो जायें, 469 00:18:09,000 --> 00:18:12,000 तो वो शेर को भी रोक सकते हैं।" 470 00:18:12,000 --> 00:18:14,000 अगर हम सब एकत्र कर सकें, 471 00:18:14,000 --> 00:18:16,000 अपने तीसरे पक्ष के जाले, 472 00:18:16,000 --> 00:18:19,000 तो हम युद्ध के शेर को भी रोक सकते हैं। 473 00:18:19,000 --> 00:18:21,000 बहुत बहुत धन्यवाद। 474 00:18:21,000 --> 00:18:23,000 (तालियाँ अभिवादन)