1 00:00:00,000 --> 00:00:02,000 मैं एक कथावाचक हूं. 2 00:00:02,000 --> 00:00:05,000 और मैं आपको कुछ निजी कहानियां सुनाना चाहती हूं 3 00:00:05,000 --> 00:00:10,000 जिन्हें मैं "इकलौती कहानी के खतरे" कहती हूं. 4 00:00:10,000 --> 00:00:14,000 मैं पूर्वी नाइजीरिया के एक यूनीवर्सिटी कैंपस में बड़ी हुई. 5 00:00:14,000 --> 00:00:17,000 मेरी मां बताती हैं कि मैंने दो साल की अवस्था में पढ़ना शुरु कर दिया था, 6 00:00:17,000 --> 00:00:22,000 पर मुझे लगता है कि यह चार साल के आसपास हुआ होगा. 7 00:00:22,000 --> 00:00:24,000 इस तरह मैंने जल्दी पढ़ना शुरु कर दिया. 8 00:00:24,000 --> 00:00:27,000 और मैं ब्रिटिश व अमेरिकी बाल साहित्य पढ़ती थी. 9 00:00:27,000 --> 00:00:30,000 मैंने लिखना भी जल्दी शुरु कर दिया. 10 00:00:30,000 --> 00:00:34,000 जब मैं लगभग सात साल की थी तभी से मैं 11 00:00:34,000 --> 00:00:36,000 पेंसिल और क्रेयॉन से चित्रित करके कहानियां लिखने लगी 12 00:00:36,000 --> 00:00:39,000 जिन्हें मेरी बेचारी मां को ही पढ़ना पड़ता था. 13 00:00:39,000 --> 00:00:43,000 मैं वैसी ही कहानियां लिख रही थी जैसी मैं उस समय पढ़ रही थी. 14 00:00:43,000 --> 00:00:48,000 मेरी कहानियों के सारे चरित्र गोरे थे और उनकी आंखें नीली होती थीं. 15 00:00:48,000 --> 00:00:50,000 वे बर्फ़ में खेलते थे. 16 00:00:50,000 --> 00:00:52,000 वे सेब खाते थे. 17 00:00:52,000 --> 00:00:54,000 (हंसी) 18 00:00:54,000 --> 00:00:56,000 और वे मौसम के बारे में बहुत बातें करते थे, 19 00:00:56,000 --> 00:00:58,000 जैसे सूरज निकलने पर कितना अच्छा लग रहा होता है. 20 00:00:58,000 --> 00:01:00,000 (हंसी) 21 00:01:00,000 --> 00:01:03,000 हांलाकि, मैं प्रारंभ से ही नाइजीरिया में ही रहती आई थी, 22 00:01:03,000 --> 00:01:07,000 और वहां से बाहर कभी नहीं गई थी. 23 00:01:07,000 --> 00:01:10,000 हमने बर्फ़ कभी नहीं देखी. हम आम खाते थे. 24 00:01:10,000 --> 00:01:12,000 और हम मौसम के बारे में कभी बात नहीं करते थे, 25 00:01:12,000 --> 00:01:14,000 क्योंकि उसकी कोई ज़रूरत नहीं थी. 26 00:01:14,000 --> 00:01:17,000 मेरी कहानियों के चरित्र जिंजर बीयर बहुत पीते थे, 27 00:01:17,000 --> 00:01:19,000 क्योंकि जो ब्रिटिश कहानियां मैं पढ़ती थी उनके चरित्र भी 28 00:01:19,000 --> 00:01:21,000 जिंजर बीयर पीते थे. 29 00:01:21,000 --> 00:01:24,000 जबकि मुझे पता भी नहीं था कि जिंजर बीयर क्या चीज थी. 30 00:01:24,000 --> 00:01:25,000 (हंसी) 31 00:01:25,000 --> 00:01:28,000 और आगे कई सालों तक मेरे भीतर जिंजर बीयर चखने की 32 00:01:28,000 --> 00:01:30,000 बहुत गहरी इच्छा बनी रही. 33 00:01:30,000 --> 00:01:32,000 पर वह दूसरी कहानी है. 34 00:01:32,000 --> 00:01:34,000 मैं सोचती हूं कि इस सब से यह दिखाता है कि 35 00:01:34,000 --> 00:01:37,000 कहानियाँ कैसे हम पर छाप छोड़ जाती हैं, 36 00:01:37,000 --> 00:01:39,000 खासकर तब, 37 00:01:39,000 --> 00:01:41,000 जब हम बच्चे हों. 38 00:01:41,000 --> 00:01:43,000 चूंकि मैं वही पुस्तकें पढ़ा करती थी 39 00:01:43,000 --> 00:01:45,000 जिनके चरित्र विदेशी थे, 40 00:01:45,000 --> 00:01:47,000 इसलिए मैं आश्वस्त हो गई थी कि 41 00:01:47,000 --> 00:01:50,000 पुस्तकों का मूल स्वभाव ही है कि उनमें विदेशी हों, 42 00:01:50,000 --> 00:01:52,000 और ऎसे तत्व भी 43 00:01:52,000 --> 00:01:55,000 जिनसे मैं खुद तादात्म्य का अनुभव नहीं करती थी. 44 00:01:55,000 --> 00:01:59,000 लेकिन जब मैंने अफ़्रीकी पुस्तकें पढ़ना शुरु किया तो चीजें बदल गईं. 45 00:01:59,000 --> 00:02:01,000 उस समय ये पुस्तकें बहुत कम उपलब्ध थीं. और जो थीं 46 00:02:01,000 --> 00:02:03,000 वे भी विदेशी पुस्तकों जितनी आसानी से नहीं मिलतीं थीं. 47 00:02:03,000 --> 00:02:07,000 लेकिन चिनुआ अचेबे और कमारा लाए जैसे लेखकों को पढ़ने पर 48 00:02:07,000 --> 00:02:09,000 मेरे साहित्यबोध में सहसा बहुत बड़ा 49 00:02:09,000 --> 00:02:11,000 परिवर्तन आया. 50 00:02:11,000 --> 00:02:13,000 मुझे लगा कि मेरे जैसे लोग, 51 00:02:13,000 --> 00:02:15,000 चाकलेटी कांति वाली लड़कियां 52 00:02:15,000 --> 00:02:18,000 जिनके घुंघराले बालों से पोनीटेल नहीं बनती, 53 00:02:18,000 --> 00:02:20,000 वे भी साहित्य का अंग हो सकते हैं. 54 00:02:20,000 --> 00:02:24,000 मैंने उन चीजों के बारे में लिखना शुरु किया जिन्हें मैं पहचानती थी. 55 00:02:24,000 --> 00:02:28,000 वैसे, मुझे अमेरिकी और ब्रिटिश पुस्तकों से प्रेम था. 56 00:02:28,000 --> 00:02:32,000 उन्होंने मुझे कल्पनाशील बनाया. मेरे लिए नई दुनिया का द्वार खोला. 57 00:02:32,000 --> 00:02:34,000 लेकिन इसका अनभिप्रेत परिणाम यह हुआ 58 00:02:34,000 --> 00:02:36,000 कि मुझे इस बात का ज्ञान नहीं हो सका 59 00:02:36,000 --> 00:02:38,000 कि मेरे जैसे लोगो का भी साहित्य में कोई स्थान है. 60 00:02:38,000 --> 00:02:42,000 इस प्रकार मुझे अफ़्रीकी लेखकों की जानकारी मिलने से यह हुआ कि 61 00:02:42,000 --> 00:02:45,000 इसने मुझे केवल एक ही तरह की पुस्तकें होती है - 62 00:02:45,000 --> 00:02:47,000 वाली राय से बचा लिया. 63 00:02:47,000 --> 00:02:50,000 मेरा जन्म एक पारंपरिक मध्यवर्गीय नाइजीरियाई परिवार में हुआ था. 64 00:02:50,000 --> 00:02:52,000 मेरे पिता प्रोफ़ेसर थे. 65 00:02:52,000 --> 00:02:55,000 मेरी मां प्रशासक के पद पर थीं. 66 00:02:55,000 --> 00:02:58,000 और इस प्रकार, जैसा वहां चलन था, 67 00:02:58,000 --> 00:03:03,000 हमारे घर में नौकर-चाकर थे जो पास के गांव-देहात से आते थे. 68 00:03:03,000 --> 00:03:07,000 जब मैं आठ साल की हुई, हमारे घर में काम करने एक लड़का आया. 69 00:03:07,000 --> 00:03:09,000 उसका नाम फ़ीडे था. 70 00:03:09,000 --> 00:03:12,000 मेरी मां ने उसके बारे में यही बताया 71 00:03:12,000 --> 00:03:15,000 कि उसका परिवार बहुत गरीब था. 72 00:03:15,000 --> 00:03:17,000 मेरी मां ने उसके घर जिमीकंद, चावल, 73 00:03:17,000 --> 00:03:20,000 और हम लोगों के पुराने कपड़े भेजे. 74 00:03:20,000 --> 00:03:22,000 और जब कभी मैं अपना खाना छोड़ देती, तो मेरी मां कहतीं, 75 00:03:22,000 --> 00:03:27,000 "खाना मत छोड़ो, तुम जानती हो, फ़ीडे जैसे लोगों के पास खाने को भी नहीं है". 76 00:03:27,000 --> 00:03:31,000 तब मुझे फ़ीडे के परिवार पर बहुत दया आती थी. 77 00:03:31,000 --> 00:03:34,000 फिर एक शनिवार को मैं उसके गांव तक गई. 78 00:03:34,000 --> 00:03:38,000 और उसकी मां ने मुझे खूबसूरत बुनाईवाली बास्केट दिखाई, 79 00:03:38,000 --> 00:03:41,000 जो उसके भाई ने ताड़ के रंगे हुए पत्तों से बनाई थी. 80 00:03:41,000 --> 00:03:43,000 वह देखकर मैं हैरान रह गई. 81 00:03:43,000 --> 00:03:46,000 मैं सोच भी नहीं सकती थी कि उसके परिवार में वास्तव में 82 00:03:46,000 --> 00:03:49,000 कोई कुछ बना सकता था. 83 00:03:49,000 --> 00:03:52,000 मैं सिर्फ यही सुनती आई थी कि वे बहुत गरीब थे, 84 00:03:52,000 --> 00:03:54,000 और इस तरह मैं उनके बारे में कुछ और नहीं जान सकी थी 85 00:03:54,000 --> 00:03:57,000 इसके सिवाय कि वे बहुत गरीब थे. 86 00:03:57,000 --> 00:04:01,000 मेरे पास एकमात्र कहानी उनकी गरीबी की थी. 87 00:04:01,000 --> 00:04:03,000 सालों बाद, मैंने इस बारे में सोचा जब मैं नाइजीरिया छोड़कर 88 00:04:03,000 --> 00:04:06,000 यूनाइटेड स्टेट्स के विश्वविद्यालय में पढ़ने गई. 89 00:04:06,000 --> 00:04:08,000 उस समय मैं 19 साल की थी. 90 00:04:08,000 --> 00:04:12,000 मेरी अमेरिकी रूम-मेट मुझसे मिलकर बहुत अचंभित हुई. 91 00:04:12,000 --> 00:04:15,000 उसने मुझसे पूछा कि मैंने इतनी अच्छी अंग्रेजी कहां सीखी, 92 00:04:15,000 --> 00:04:17,000 और मुझसे यह सुनकर वह चकरा गई 93 00:04:17,000 --> 00:04:22,000 कि अंग्रेजी नाइजीरिया की राजकीय भाषा है. 94 00:04:22,000 --> 00:04:26,000 उसने मुझसे कहा कि वह "मेरा आदिवासी संगीत" सुनना चाहती है, 95 00:04:26,000 --> 00:04:28,000 और उसे तब और भी निराशा हुई 96 00:04:28,000 --> 00:04:30,000 जब मैंने उसे मेरे मराइया कैरी के टेप दिखाए. 97 00:04:30,000 --> 00:04:33,000 (हंसी) 98 00:04:33,000 --> 00:04:35,000 उसे यह लगता था कि मुझे स्टोव इस्तेमाल करना 99 00:04:35,000 --> 00:04:38,000 नहीं आता होगा. 100 00:04:38,000 --> 00:04:40,000 और मुझे उससे मिलकर ऐसा लगा जैसे मुझसे मिलने के पहले ही 101 00:04:40,000 --> 00:04:42,000 उसे मुझपर तरस आने लगा था. 102 00:04:42,000 --> 00:04:46,000 मेरे अफ़्रीकी होने ने उसमें मेरे प्रति 103 00:04:46,000 --> 00:04:50,000 कृ्पा, सदाशयता, और करूणा जगा दी थी. 104 00:04:50,000 --> 00:04:53,000 मेरी रूम-मेट के पास अफ़्रीका की एक ही कहानी थी. 105 00:04:53,000 --> 00:04:56,000 घोर दुर्गति की कहानी. 106 00:04:56,000 --> 00:04:58,000 इस इकलौती कहानी में कोई संभावना नहीं थी कि 107 00:04:58,000 --> 00:05:02,000 उसमें अफ़्रीकावासी किसी तरह भी उसके समान हों. 108 00:05:02,000 --> 00:05:05,000 उसमें दयाभाव से इतर अनुभूति की कोई संभावना नहीं थी. 109 00:05:05,000 --> 00:05:09,000 समानता के संबंध की कोई गुंजाईश नहीं थी. 110 00:05:09,000 --> 00:05:11,000 मैं यहाँ ये कहना कहूंगी कि अमेरिका जाने के पहले मैं खुद को 111 00:05:11,000 --> 00:05:14,000 सचेतन रूप से एक अफ़्रीकी के रूप में नहीं देखती थी. 112 00:05:14,000 --> 00:05:17,000 लेकिन अमेरिका में जब अफ़्रीका का ज़िक्र चलता तो सारी आंखें मुझपर टिक जातीं थीं. 113 00:05:17,000 --> 00:05:21,000 इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि मैं नामिबिया जैसी जगहों के बारे में कुछ नहीं जानती थी. 114 00:05:21,000 --> 00:05:23,000 लेकिन मैं अपनी इस नई पहचान से बहुत अच्छे से जुड़ गई. 115 00:05:23,000 --> 00:05:26,000 और अब कई अर्थों में मैं स्वयं को अफ़्रीकी ही मानती हूं. 116 00:05:26,000 --> 00:05:28,000 हांलांकि मुझे तब बहुत खीझ होती है जब 117 00:05:28,000 --> 00:05:30,000 अफ़्रीका को एक बड़े देश के रूप में देखा जाता है. 118 00:05:30,000 --> 00:05:34,000 इसका ताजा उदाहरण ये है कि मेरी लगभग शानदार यात्रा में 119 00:05:34,000 --> 00:05:36,000 लागोस से दो दिन पहलेवाली उड़ान में 120 00:05:36,000 --> 00:05:38,000 वर्जिन एयरवेज़ के विमान में उन्होंने 121 00:05:38,000 --> 00:05:43,000 "भारत, अफ़्रीका, व अन्य देशों में" जारी परोपकारी कार्यों की जानकारी दी. 122 00:05:43,000 --> 00:05:44,000 (हंसी) 123 00:05:44,000 --> 00:05:48,000 एक अफ़्रीकी के रूप में अमेरिका में कुछ साल बिताने के बाद 124 00:05:48,000 --> 00:05:52,000 मैं मेरे प्रति मेरी रूम-मेट की प्रतिक्रियाओं को समझने लगी. 125 00:05:52,000 --> 00:05:55,000 यदि मैं नाइजीरिया में पलती-बढ़ती नहीं तो मेरे मन में भी अफ़्रीका की 126 00:05:55,000 --> 00:05:57,000 प्रचलित छवियां ही रहतीं, 127 00:05:57,000 --> 00:06:00,000 मुझे भी यही लगता कि अफ़्रीका एक स्थान है, 128 00:06:00,000 --> 00:06:04,000 जहां रमणीय परिदृश्य, सुंदर जानवर, 129 00:06:04,000 --> 00:06:06,000 और अबूझ लोग रहते हैं, 130 00:06:06,000 --> 00:06:09,000 जो फ़िजूल में लड़ते रहते हैं, गरीबी और एड्स से मरते हैं, 131 00:06:09,000 --> 00:06:12,000 जो अपने अधिकारों के लिए कुछ नहीं कर पाते, 132 00:06:12,000 --> 00:06:14,000 और इस इंतजार में रहते हैं कि उन्हें 133 00:06:14,000 --> 00:06:17,000 कोई दयालु गोरा विदेशी आकर बचाएंगे. 134 00:06:17,000 --> 00:06:19,000 मैं अफ़्रीका को उसी प्रकार से देखती जिस तरह से मैंने 135 00:06:19,000 --> 00:06:23,000 बचपन में फ़ीडे के परिवार को देखा था. 136 00:06:23,000 --> 00:06:27,000 मेरे विचार से, अफ़्रीका की बेचारगी की यह इकलौती कहानी पश्चिमी साहित्य से आती है. 137 00:06:27,000 --> 00:06:29,000 मेरे पास यहां एक उद्धरण है 138 00:06:29,000 --> 00:06:32,000 लंदन के व्यापारी जॉन लॉक ने क लिखा, 139 00:06:32,000 --> 00:06:35,000 जो 1561 मे पश्चिमी अफ़्रीका आया, 140 00:06:35,000 --> 00:06:40,000 और उसने अपनी यात्रा के रोचक विवरण लिखे. 141 00:06:40,000 --> 00:06:42,000 अश्वेत अफ़्रीकावासियों के लिए वह लिखता है 142 00:06:42,000 --> 00:06:44,000 "जंगली जानवर जो घरों में नहीं रहते", 143 00:06:44,000 --> 00:06:48,000 वह लिखता है, "यहां ऐसे लोग भी हैं जिनके सिर नहीं हैं, 144 00:06:48,000 --> 00:06:53,000 और जिनके मुंह और आंखें उनके वक्षस्थल में हैं". 145 00:06:53,000 --> 00:06:55,000 इसे पढ़ते समय मैं हर बार हंस पड़ती हूं. 146 00:06:55,000 --> 00:06:59,000 जॉन लॉक की कल्पनाशक्ति की तो दाद देनी होगी. 147 00:06:59,000 --> 00:07:01,000 लेकिन उसकी कहानी की खास बात यह है कि 148 00:07:01,000 --> 00:07:03,000 यह पश्चिम को अफ़्रीका की कहानियाँ बताने की 149 00:07:03,000 --> 00:07:06,000 परंपरा की शुरुवात का निरूपण करती है. 150 00:07:06,000 --> 00:07:09,000 ऎसी परंपरा, जो अधो-सहारा अफ़्रीका को नकारात्मक बातों से भरी, 151 00:07:09,000 --> 00:07:11,000 असमानताओं की, अंधेकार की, 152 00:07:11,000 --> 00:07:15,000 और इसके निवासियों को शानदार कवि 153 00:07:15,000 --> 00:07:17,000 रुडयार्ड किपलिंग के शब्दों में 154 00:07:17,000 --> 00:07:20,000 "आधे दैत्य, आधे शिशु" कहने की रही है. 155 00:07:20,000 --> 00:07:23,000 और तब मुझे यह समझ में आने लगा कि कि मेरी अमेरिकी रूम-मेट ने 156 00:07:23,000 --> 00:07:25,000 उसके पूरे जीवनकाल में 157 00:07:25,000 --> 00:07:27,000 ऐसी ही एकतरफा कहानी के विभिन्न 158 00:07:27,000 --> 00:07:29,000 रूप देखे-सुने होंगे, 159 00:07:29,000 --> 00:07:31,000 जिस प्रकार मेरे एक प्रोफेसर ने 160 00:07:31,000 --> 00:07:36,000 एक बार मुझसे कहा था कि मेरे उपन्यास "प्रामाणिक रूप से अफ़्रीकी" नही लगते थे. 161 00:07:36,000 --> 00:07:38,000 देखिए, मैं यह स्वीकार कर लेती हूं कि मेरे उपन्यास में कुछ 162 00:07:38,000 --> 00:07:40,000 गड़बड़ियां रही होंगी, 163 00:07:40,000 --> 00:07:44,000 और कुछ स्थानों पर मैंने गलतियां भी की थीं. 164 00:07:44,000 --> 00:07:46,000 लेकिन मैं यह नहीं मान सकती कि मैं 165 00:07:46,000 --> 00:07:49,000 अफ़्रीकी प्रामाणिकता को प्राप्त करने में असफल रही थी. 166 00:07:49,000 --> 00:07:51,000 असल में मैं यह जानती ही नहीं थी 167 00:07:51,000 --> 00:07:54,000 कि अफ़्रीकी प्रामाणिकता का अर्थ क्या है. 168 00:07:54,000 --> 00:07:56,000 मेरे प्रोफेसर ने मुझे बताया कि मेरे चरित्र 169 00:07:56,000 --> 00:07:58,000 बहुत हद तक उनकी ही तरह पढ़े-लिखे 170 00:07:58,000 --> 00:08:00,000 और मिडिल-क्लास से संबंधित थे. 171 00:08:00,000 --> 00:08:02,000 मेरे चरित्र कार चलाते थे. 172 00:08:02,000 --> 00:08:05,000 वे भूखे नहीं मर रहे थे. 173 00:08:05,000 --> 00:08:09,000 इसलिए उन्हें प्रामाणिक तौर पर अफ़्रीकी नहीं कहा जा सकता था. 174 00:08:09,000 --> 00:08:12,000 लेकिन मुझे यह भी जल्द स्वीकार कर लेना चाहिए कि मैं भी 175 00:08:12,000 --> 00:08:15,000 ऐसी ही एक एकतरफा कहानी को मानने की दोषी हूं. 176 00:08:15,000 --> 00:08:19,000 कुछ सालों पहले मैं अमेरिका से मैक्सिको की यात्रा पर गई थी. 177 00:08:19,000 --> 00:08:21,000 उन दिनों अमेरिका में राजनीतिक वातावरण तनावपूर्ण था. 178 00:08:21,000 --> 00:08:25,000 और आप्रवासन पर बहुत वाद-विवाद हो रहा था. 179 00:08:25,000 --> 00:08:27,000 और जैसे कि अमेरिका में अक्सर होता है, 180 00:08:27,000 --> 00:08:30,000 आप्रवासन के विषय को मैक्सिकोवासियों से जोड़ दिया गया. 181 00:08:30,000 --> 00:08:32,000 वहां मैक्सिकोवासियों के बारे में बहुतेरी कहानियां कही जा रही थीं 182 00:08:32,000 --> 00:08:34,000 जैसे कि ये लोग 183 00:08:34,000 --> 00:08:36,000 स्वास्थ्य सुविधाओं को चौपट कर रहे थे, 184 00:08:36,000 --> 00:08:38,000 सीमाओं पर सेंध लगा रहे थे, 185 00:08:38,000 --> 00:08:42,000 उनकी गिरफ़्तारियां हो रहीं थी, ऐसी ही बातें. 186 00:08:42,000 --> 00:08:46,000 मुझे गुआडालाहारा में पहले दिन पैदल घूमना याद है, 187 00:08:46,000 --> 00:08:48,000 जब मैंने लोगों को काम पर जाते, 188 00:08:48,000 --> 00:08:50,000 बाजार में टॉर्टिला बनाते, सिगरेट पीते, 189 00:08:50,000 --> 00:08:53,000 हंसते हुए देखा. 190 00:08:53,000 --> 00:08:56,000 यह सब देखकर मुझे हुआ आश्चर्य मुझे याद आ रहा है. 191 00:08:56,000 --> 00:08:59,000 और फिर मैंने बहुत शर्मिंदगी भी महसूस की. 192 00:08:59,000 --> 00:09:02,000 मुझे लगने लगा कि मैं भी मीडियावालों द्वारा 193 00:09:02,000 --> 00:09:04,000 मैक्सिकोवासियों की रची गई छवि को सच मान बैठी थी, 194 00:09:04,000 --> 00:09:06,000 और यह कि मैं भी मन-ही-मन उन्हें अधम आप्रवासी 195 00:09:06,000 --> 00:09:09,000 मान चुकी थी. 196 00:09:09,000 --> 00:09:11,000 मैंने अपने भीतर मैक्सिकोवासियों की एकतरफा कहानी घर कर ली थी 197 00:09:11,000 --> 00:09:14,000 और ऐसा करने पर मैं बहुत लज्जित अनुभव कर रही थी. 198 00:09:14,000 --> 00:09:16,000 तो ऐसे ही एकतरफा कहानियां बनती रहतीं हैं, 199 00:09:16,000 --> 00:09:19,000 जो व्यक्तियों को वस्तु की तरह दिखाती हैं, 200 00:09:19,000 --> 00:09:21,000 केवल एक वस्तु की तरह 201 00:09:21,000 --> 00:09:23,000 बार-बार दिखातीं हैं, 202 00:09:23,000 --> 00:09:26,000 और वही वे अंततः बन जाते हैं. 203 00:09:26,000 --> 00:09:28,000 शक्ति की चर्चा किए बिना एकतरफा कहानी की बात करना 204 00:09:28,000 --> 00:09:31,000 नामुमकिन है. 205 00:09:31,000 --> 00:09:33,000 इग्बो (पश्चिमी अफ़्रीकी भाषा) में एक शब्द है, 206 00:09:33,000 --> 00:09:35,000 और जब भी मैं शक्ति के स्वरूप के बारे में सोचती हूं, 207 00:09:35,000 --> 00:09:38,000 तब यह शब्द "नकाली" मुझे ध्यान में आता है. 208 00:09:38,000 --> 00:09:40,000 ये संज्ञा शब्द है जिसका कुछ-कुछ अनुवाद है 209 00:09:40,000 --> 00:09:43,000 "दूसरों से अधिक बड़ा या महत्वपूर्ण होना". 210 00:09:43,000 --> 00:09:46,000 हमारे आर्थिक व राजनीतिक जगत के सदृश 211 00:09:46,000 --> 00:09:48,000 कहानियों की व्याख्या भी 212 00:09:48,000 --> 00:09:51,000 नकाली के सिद्धांत द्वारा की जाती है. 213 00:09:51,000 --> 00:09:53,000 वे कैसे कही जाती हैं, उन्हें कौन कहता है, 214 00:09:53,000 --> 00:09:56,000 और जब वे कही जातीं हैं तो कितनी कही जाती हैं, 215 00:09:56,000 --> 00:10:00,000 इस सबका निर्धारण शक्ति द्वारा ही होता है. 216 00:10:00,000 --> 00:10:03,000 शक्ति संपन्न होना केवल किसी व्यक्ति की कहानी कहने की क्षमता तक सीमित नहीं है, 217 00:10:03,000 --> 00:10:07,000 बल्कि उसे उस व्यक्ति की निर्णायक कहानी बनाना भी है. 218 00:10:07,000 --> 00:10:09,000 फ़िलिस्तीनी कवि मौरीद बरघूती ने लिखा है 219 00:10:09,000 --> 00:10:12,000 कि यदि तुम किन्ही व्यक्तियों का स्वत्व हरना चाहते हो तो 220 00:10:12,000 --> 00:10:15,000 इसका सबसे आसान तरीका है उनकी कहानी कहो, 221 00:10:15,000 --> 00:10:18,000 और इसे "दूसरी तरफ" कहकर शुरु करो. 222 00:10:18,000 --> 00:10:22,000 अमेरिकी मूल निवासियों के तीरों की बात से कहानी शुरु करो, 223 00:10:22,000 --> 00:10:25,000 ब्रिटिश दस्तों के आगमन से नहीं, 224 00:10:25,000 --> 00:10:28,000 और तुम्हारे पास एक बिल्कुल अलग कहानी होगी. 225 00:10:28,000 --> 00:10:30,000 कहानी की शुरुआत करो 226 00:10:30,000 --> 00:10:32,000 अफ़्रीकी राज्यों की विफलताओं से, 227 00:10:32,000 --> 00:10:36,000 और अफ़्रीकी राज्यों के औपनिवेशीकरण को दरकिनार कर दो 228 00:10:36,000 --> 00:10:40,000 और तुम्हारे पास एक बिल्कुल अलग कहानी होगी. 229 00:10:40,000 --> 00:10:42,000 मैंने हाल में ही एक विश्वविद्यालय में व्याख्यान दिया 230 00:10:42,000 --> 00:10:44,000 जहां एक विद्यार्थी ने मुझसे कहा 231 00:10:44,000 --> 00:10:46,000 कि यह बहुत शर्म की बात है कि 232 00:10:46,000 --> 00:10:49,000 नाइजीरियाई पुरुष स्त्रियों का उसी प्रकार शारीरिक शोषण करते हैं 233 00:10:49,000 --> 00:10:52,000 जिस तरह मेरे एक उपन्यास में एक पिता का चित्रण है. 234 00:10:52,000 --> 00:10:54,000 मैंने उसे कहा कि हाल में ही मैंने एक उपन्यास पढ़ा है 235 00:10:54,000 --> 00:10:56,000 जिसका नाम है "अमेरिकन साइको" -- 236 00:10:56,000 --> 00:10:58,000 (हंसी) 237 00:10:58,000 --> 00:11:00,000 -- और यह बड़े शर्म की बात है कि 238 00:11:00,000 --> 00:11:03,000 युवा अमेरिकी क्रमिक हत्यारे होते हैं. 239 00:11:03,000 --> 00:11:07,000 (हंसी) 240 00:11:07,000 --> 00:11:13,000 (तालियां) 241 00:11:13,000 --> 00:11:16,000 देखिए, मैंने यह थोड़ा चिढ़कर कहा था. 242 00:11:16,000 --> 00:11:18,000 (हंसी) 243 00:11:18,000 --> 00:11:20,000 मैं इस तरह की बात नहीं सोच सकती थी 244 00:11:20,000 --> 00:11:22,000 कि चुंकि मैंने ऎसा उपन्यास पढ़ा जिसका 245 00:11:22,000 --> 00:11:24,000 एक पात्र क्रमिक हत्यारा है, 246 00:11:24,000 --> 00:11:26,000 वह किसी भी तरह सारे अमेरिकियों का 247 00:11:26,000 --> 00:11:28,000 चित्रण हो सकता है. 248 00:11:28,000 --> 00:11:31,000 और ऐसा इसलिए नहीं है कि मैं उस विद्यार्थी से बेहतर व्यक्ति हूं, 249 00:11:31,000 --> 00:11:34,000 बल्कि इसलिए कि मैं अमेरिका की सांस्कृतिक और आर्थिक शक्ति की 250 00:11:34,000 --> 00:11:36,000 बहुत सारी कहानियां सुन चुकी थी. 251 00:11:36,000 --> 00:11:40,000 मैं टाइलर, अपडाइक, स्टाइनबैक, और गैट्सकिल को पढ़ चुकी थी. 252 00:11:40,000 --> 00:11:43,000 मेरे पास अमेरिका की बस एक ही कहानी नहीं थी. 253 00:11:43,000 --> 00:11:46,000 सालों पहले जब मैंने यह सुना कि लोग यह सोचते थे कि 254 00:11:46,000 --> 00:11:50,000 सफल लेखक वे होते हैं जिनका बचपन 255 00:11:50,000 --> 00:11:52,000 बहुत बुरा बीता हो, 256 00:11:52,000 --> 00:11:54,000 तो मैं सोचने लगी कि मैं किस तरह उन बुरी बातों की 257 00:11:54,000 --> 00:11:56,000 खोज करूं जो मेरे माता-पिता ने मेरे साथ की हों. 258 00:11:56,000 --> 00:11:58,000 (हंसी) 259 00:11:58,000 --> 00:12:02,000 लेकिन सच्चाई यह है कि मेरा बचपन बहुत सुखद था, 260 00:12:02,000 --> 00:12:05,000 हमारा परिवार बहुत प्रेम और आनंद के साथ एकजुट रहता था. 261 00:12:05,000 --> 00:12:09,000 लेकिन मेरे पितामह आदि भी थे जिनकी मृत्यु शरणार्थी कैंप में हुई थी. 262 00:12:09,000 --> 00:12:13,000 मेरा कज़िन पोल मर गया क्योंकि उसे समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलीं. 263 00:12:13,000 --> 00:12:16,000 मेरी बहुत करीबी दोस्त ओकोलोमा विमान दुर्घटना में जलकर मर गई 264 00:12:16,000 --> 00:12:19,000 क्योंकि हमारी अग्निशमन गाड़ियों में पानी नहीं था. 265 00:12:19,000 --> 00:12:22,000 मैं दमनकारी सैनिक शासन के बीच बड़ी हुई 266 00:12:22,000 --> 00:12:24,000 जिसने शिक्षा का अवमूल्यन कर दिया, 267 00:12:24,000 --> 00:12:27,000 जिसके कारण कभी-कभी मेरे माता-पिता को वेतन नहीं मिलता था. 268 00:12:27,000 --> 00:12:31,000 फिर मैंने बचपन में अपने नाश्ते की टेबल से जैम की बोतल गायब होते देखी, 269 00:12:31,000 --> 00:12:33,000 उसके बाद मारजारिन भी गायब हो गया, 270 00:12:33,000 --> 00:12:36,000 फिर ब्रैड बहुत महंगी हो गई, 271 00:12:36,000 --> 00:12:39,000 और दूध राशन से मिलने लगा. 272 00:12:39,000 --> 00:12:42,000 और इससे भी अधिक, एक सामान्यीकृत राजनीतिक भय ने 273 00:12:42,000 --> 00:12:46,000 हमारे जीवन को घेर लिया. 274 00:12:46,000 --> 00:12:48,000 इन सभी कहानियों ने ही मुझे वह बनाया है जो मैं आज हूं. 275 00:12:48,000 --> 00:12:52,000 लेकिन इन नकारात्मक कहानियों को ही महत्व देना 276 00:12:52,000 --> 00:12:55,000 मेरे अनुभवों को कम करके आंकना होगा 277 00:12:55,000 --> 00:12:57,000 और इससे वे दूसरी कहानियां अनदेखी रह जाएंगीं 278 00:12:57,000 --> 00:12:59,000 जिन्होंने मुझे आकार दिया है. 279 00:12:59,000 --> 00:13:02,000 इकलौती कहानी रूढ़ियों का निर्माण करती है. 280 00:13:02,000 --> 00:13:05,000 और रूढ़ियों के साथ समस्या यह नहीं है कि 281 00:13:05,000 --> 00:13:07,000 वे सत्य नहीं होतीं, बल्कि यह है 282 00:13:07,000 --> 00:13:09,000 कि वे अपूर्ण होतीं हैं. 283 00:13:09,000 --> 00:13:13,000 वे एक कहानी को एकमात्र कहानी बना देतीं हैं. 284 00:13:13,000 --> 00:13:15,000 बेशक, अफ़्रीका दुःख और दुर्गति की महागाथा है. 285 00:13:15,000 --> 00:13:19,000 कुछ अत्यंत भयंकर हैं, जैसे कांगो के विभत्स बलात्कार. 286 00:13:19,000 --> 00:13:21,000 और कुछ अवसादपूर्ण हैं, जैसे नाइजीरिया में 287 00:13:21,000 --> 00:13:26,000 एक भर्ती के लिए 5,000 लोग आवेदन करते हैं. 288 00:13:26,000 --> 00:13:29,000 लेकिन वहां कुछ ऐसी कहानियां भी हैं जो दर्दनाक नहीं हैं, 289 00:13:29,000 --> 00:13:33,000 और यह कहना ज़रूरी है कि वे भी इतनी महत्वपूर्ण हैं कि उनकी चर्चा हो. 290 00:13:33,000 --> 00:13:35,000 मैं हमेशा से यह मानती आई हूं कि 291 00:13:35,000 --> 00:13:38,000 किसी परिवेश या व्यक्ति से भली-भांति जुड़े बिना 292 00:13:38,000 --> 00:13:42,000 उस स्थान या व्यक्ति की सभी कहानियों से संबद्ध हो पाना संभव नहीं है. 293 00:13:42,000 --> 00:13:45,000 इकलौती बयान की कहानी की परिणति यह होती है 294 00:13:45,000 --> 00:13:48,000 कि यह मनुष्य को उसकी गरिमा से वंचित कर देती है. 295 00:13:48,000 --> 00:13:52,000 यह हमारी इन्सानों में समानता की पहचान को कठिन बना देती है. 296 00:13:52,000 --> 00:13:55,000 यह दर्शाने की जगह कि हम कितने समान हैं, 297 00:13:55,000 --> 00:13:57,000 वो ये दिखाती है कि हम कैसे अलग हैं. 298 00:13:57,000 --> 00:13:59,000 क्या होता अगर मैक्सिको जाने से पहले 299 00:13:59,000 --> 00:14:03,000 मैंने आप्रवासन पर हुए वाद-विवादों में सं. रा. अमेरिका और मैक्सिको 300 00:14:03,000 --> 00:14:05,000 दोनों ही पक्षों को सुना होता? 301 00:14:05,000 --> 00:14:09,000 क्या होता अगर मेरी मां ने मुझे बताया होता कि फ़ीडे का परिवार बहुत गरीब 302 00:14:09,000 --> 00:14:11,000 पर मेहनती है? 303 00:14:11,000 --> 00:14:13,000 और क्या होता यदि हमारे पास अफ़्रीकी टीवी नेटवर्क होता 304 00:14:13,000 --> 00:14:17,000 जो विविध अफ़्रीकी कहानियों को दुनिया भर में प्रसारित करता? 305 00:14:17,000 --> 00:14:19,000 यह वही होता जिसे नाइजीरियाई लेखक चिनुआ अचेबे ने 306 00:14:19,000 --> 00:14:22,000 "कहानियों का संतुलन" कहा है. 307 00:14:22,000 --> 00:14:25,000 क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को नाइजीरियाई प्रकाशक 308 00:14:25,000 --> 00:14:27,000 मुक्ता बकारे के बारे में पता होता, 309 00:14:27,000 --> 00:14:29,000 एक असाधारण आदमी जिसने बैंक की नौकरी छोड़कर 310 00:14:29,000 --> 00:14:32,000 अपने सपनों की राह पर चलकर प्रकाशनगृह की स्थापना की? 311 00:14:32,000 --> 00:14:36,000 लेकिन आम धारणा तो यह थी कि नाइजीरियाइ लोग साहित्य नहीं पढ़ते. 312 00:14:36,000 --> 00:14:38,000 उन्होने इसका विरोध किया. उन्हे लगा 313 00:14:38,000 --> 00:14:40,000 कि जो लोग पढ़ना जानते हैं, वे ज़रूर पढ़ेंगे 314 00:14:40,000 --> 00:14:44,000 यदि हम खरीद पाने लायक मूल्य में उन्हें साहित्य उपलब्ध कराएं. 315 00:14:44,000 --> 00:14:47,000 जब उन्होने मेरा पहला उपन्यास छापा उसके कुछ ही समय बाद 316 00:14:47,000 --> 00:14:50,000 मैं लागोस में एक टीवी स्टेशन में साक्षात्कार देने गई. 317 00:14:50,000 --> 00:14:53,000 और वहां मैसेंजर का काम करनेवाली एक महिला मेरे पास आई और मुझसे बोली, 318 00:14:53,000 --> 00:14:56,000 "मुझे आपका उपन्यास अच्छा लगा, पर मुझे उसका अंत पसंद नहीं आया. 319 00:14:56,000 --> 00:14:59,000 अब आप उसका सिक्वेल ज़रूर लिखें, और उसमें ऐसा होना चाहिए कि..." 320 00:14:59,000 --> 00:15:02,000 (हंसी) 321 00:15:02,000 --> 00:15:05,000 और वह मुझे बताने लगी कि सिक्वेल में क्या लिखना चाहिए. 322 00:15:05,000 --> 00:15:08,000 उसकी बातों ने मुझे न सिर्फ़ मोहित किया बल्कि भीतर तक छू दिया. 323 00:15:08,000 --> 00:15:11,000 वह तो एक साधारण औरत थी, नाइजीरियाई जनता का एक अंशमात्र 324 00:15:11,000 --> 00:15:14,000 जिसे हम अपने पाठकवर्ग में नहीं गिनते थे. 325 00:15:14,000 --> 00:15:16,000 उसने न सिर्फ़ वह पुस्तक पढ़ी, बल्कि उसे वह उसकी पुस्तक जैसी लगी 326 00:15:16,000 --> 00:15:19,000 और मुझे यह बताना उसे तर्कसंगत लगा 327 00:15:19,000 --> 00:15:21,000 कि मुझे पुस्तक का सिक्वेल लिखना चाहिए. 328 00:15:21,000 --> 00:15:25,000 क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को मेरी निडर मित्र फूमी ओंडा के बारे में पता होता, 329 00:15:25,000 --> 00:15:28,000 जो लागोस में एक टीवी कार्यक्रम में मेजबान है, 330 00:15:28,000 --> 00:15:31,000 और उन कहानियों को सामने लाना चाहती है जिन्हें हम भूलना ठीक समझते हैं? 331 00:15:31,000 --> 00:15:35,000 क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को हृदय के उस ऑपरेशन के बारे में पता होता 332 00:15:35,000 --> 00:15:38,000 जिसे लागोस के अस्पताल में पिछले सप्ताह अंजाम दिया गया? 333 00:15:38,000 --> 00:15:42,000 क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को समकालीन नाइजीरियन संगीत के बारे में पता होता? 334 00:15:42,000 --> 00:15:45,000 जिसमें प्रतिभाशाली गायक अंग्रेजी और पिजिन में, 335 00:15:45,000 --> 00:15:47,000 इग्बो में, योरूबा में, और इजो में, 336 00:15:47,000 --> 00:15:51,000 जे-ज़ी से लेकर फ़ेला, और बॉब मार्ली से लेकर 337 00:15:51,000 --> 00:15:54,000 अपने पितामहों के सुमेलित प्रभाव में गाते हैं. 338 00:15:54,000 --> 00:15:56,000 क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को उन महिला वकीलों के बारे में पता होता 339 00:15:56,000 --> 00:15:58,000 जो हाल में ही नाइजीरिया की अदालत में 340 00:15:58,000 --> 00:16:00,000 एक हास्यास्पद कानून को चुनौती देने गईं 341 00:16:00,000 --> 00:16:03,000 जिसके अनुसार किसी स्त्री को अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण के लिए 342 00:16:03,000 --> 00:16:06,000 अपने पति की स्वीकृति लेना आवश्यक किया गया था? 343 00:16:06,000 --> 00:16:09,000 क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को नॉलीवुड के बारे में पता होता, 344 00:16:09,000 --> 00:16:13,000 जहां विशाल तकनीकी कठिनाइयों के बाद भी मौलिकता से तर लोग फ़िल्म बना रहे हैं? 345 00:16:13,000 --> 00:16:15,000 इतनी चलने वाली फ़िल्में 346 00:16:15,000 --> 00:16:17,000 जो इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है 347 00:16:17,000 --> 00:16:20,000 कि नाइजीरियाई लोग अपने ज़रूरत के मुताबिक चीज़ें बना सकते हैं. 348 00:16:20,000 --> 00:16:23,000 क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को मेरी चोटी बनानेवाली उस ज़बर्दस्त महत्वाकांक्षी लड़की के बारे में पता होता, 349 00:16:23,000 --> 00:16:27,000 जिसने हाल में ही बालों के एक्सटेन्शन का व्यापार शुरु किया है? 350 00:16:27,000 --> 00:16:29,000 या उन लाखों नाइजीरियाई लोगों के बारे में 351 00:16:29,000 --> 00:16:31,000 जो कामधंधा शुरु करते हैं पर कभी-कभी असफल हो जाते हैं, 352 00:16:31,000 --> 00:16:35,000 लेकिन अपनी महत्वाकांक्षाओं का पोषण करते रहते हैं? 353 00:16:35,000 --> 00:16:37,000 हर बार जब मैं घर जाती हूं तो मेरा सामना होता है 354 00:16:37,000 --> 00:16:40,000 नाइजीरियाई लोगों की आम शिकायतों से, जैसेः 355 00:16:40,000 --> 00:16:43,000 हमारा बुनियादी ढांचा खराब है, हमारी सरकार नाकारा है. 356 00:16:43,000 --> 00:16:46,000 लेकिन मैं उनके अविश्वसनीय जुझारूपन को भी देखती हूं 357 00:16:46,000 --> 00:16:49,000 जो शासन व्यवस्था के साए में नहीं 358 00:16:49,000 --> 00:16:51,000 बल्कि उसके अभाव में पनपते हैं. 359 00:16:51,000 --> 00:16:54,000 मैं हर गरमियों में लागोस में लेखन कार्यशाला में पढ़ाती हूं. 360 00:16:54,000 --> 00:16:57,000 और यह देखकर हैरत होती है कि कितने लोग आवेदन करते हैं, 361 00:16:57,000 --> 00:17:00,000 कितने सारे लोग लिखने के लिए व्यग्र हैं, 362 00:17:00,000 --> 00:17:02,000 अपनी कहानियां कहना चाहते हैं. 363 00:17:02,000 --> 00:17:05,000 मैंने अपने नाइजीरियाई प्रकाशक के साथ हाल में ही एक नॉन-प्रॉफ़िट ट्रस्ट बनाया है 364 00:17:05,000 --> 00:17:07,000 जिसका नाम फ़ाराफ़िना ट्रस्ट है. 365 00:17:07,000 --> 00:17:10,000 और हमारा बड़ा सपना यह है कि हम पुस्तकालय बनाएं 366 00:17:10,000 --> 00:17:12,000 और पुराने पुस्तकालयों का नवीनीकरण करें, 367 00:17:12,000 --> 00:17:15,000 और उन शासकीय विद्यालयों को पुस्तकें उपलब्ध कराएं 368 00:17:15,000 --> 00:17:17,000 जिनके पुस्तकालयों में कुछ भी नहीं है, 369 00:17:17,000 --> 00:17:19,000 और पठन-पाठन से संबंधित अनेकानेक 370 00:17:19,000 --> 00:17:21,000 कार्यशालाओं का आयोजन करें, 371 00:17:21,000 --> 00:17:24,000 ताकि अपनी कहानियां कहना चाहनेवाले व्यक्तियों को अवसर मिलें. 372 00:17:24,000 --> 00:17:26,000 कहानियां महत्वपूर्ण हैं. 373 00:17:26,000 --> 00:17:28,000 कहानियों के ज़्यादा होने का महत्व है. 374 00:17:28,000 --> 00:17:32,000 कहानियों का उपयोग वंचित करने व मलिन करने के लिए होता आया है. 375 00:17:32,000 --> 00:17:36,000 लेकिन कहानियां सामर्थ्यवान बनातीं हैं, और मानवीकरण करतीं हैं. 376 00:17:36,000 --> 00:17:39,000 कहानियां लोगों की गरिमा को भंग कर सकतीं हैं. 377 00:17:39,000 --> 00:17:44,000 पर वे उनकी खंडित गरिमा का उपचार भी कर सकतीं हैं. 378 00:17:44,000 --> 00:17:46,000 अमेरिकी लेखिका ऐलिस वॉकर ने उनके 379 00:17:46,000 --> 00:17:48,000 दक्षिणी संबंधियों के बारे में लिखा है 380 00:17:48,000 --> 00:17:50,000 जो उत्तर में जाकर बस गए थे. 381 00:17:50,000 --> 00:17:52,000 उन्होंने अपने संबंधियों को एक पुस्तक सुझाई 382 00:17:52,000 --> 00:17:55,000 जिसमें पीछे छूट गए उनके दक्षिणी जीवन का वर्णन था. 383 00:17:55,000 --> 00:17:59,000 "वे मेरे इर्द-गिर्द बैठे, खुद उस पुस्तक को पढ़ते हुए, 384 00:17:59,000 --> 00:18:05,000 और मुझसे उस पुस्तक को सुनते समय, लगा जैसे स्वर्ग की पुनःप्राप्ति हो गई". 385 00:18:05,000 --> 00:18:08,000 मैं इस विचार के साथ समापन करना चाहूंगीः 386 00:18:08,000 --> 00:18:11,000 कि जब हम किसी एकलौती कहानी को ठुकरा देते हैं, 387 00:18:11,000 --> 00:18:14,000 और जब हम यह जान जाते हैं कि किसी स्थानविशेष की 388 00:18:14,000 --> 00:18:16,000 कभी कोई एकलौती कहानी नही होती, 389 00:18:16,000 --> 00:18:18,000 तो हम भी अपने स्वर्ग की पुनःप्राप्ति कर लेते हैं. 390 00:18:18,000 --> 00:18:20,000 धन्यवाद. 391 00:18:20,000 --> 00:18:28,000 (तालियां)