आप किसी से भी पूछ सकते हैं,
और वो आपको यह बताएंगे
की न्याय की लड़ाई
मे वह अब थक गयें हैं।
विभिन्न अल्पसंख्यक एवं
ऐल.जी.बी.टी. समुदायों के लोग
अत्याचार और खामोश
कर दिए जाने के डर के बावजूद
आवाज़ उठाने
और ऊपर उठने के बोझ
को स्वयं ही सहने से थक गए हैं।
हमारे गोरे साथी
और सिस साथी भी थक चुके हैं।
थक गए हैं वे ये सुनके कि
वे गलत कर रहे हैं
या ये उनके मौजूदगी की जगह नहीं है।
यह थकावट हम सबको
प्रभावित करती है।
दरअसल,
मुझे लगता है हम कामयाब नहीं होंगे
जब तक हम न्याय को
नए नज़रिये से नही देखेंगे।
मै बटे हुए दक्षिण अमरीका
के नागरिक अधिकारों के आंदोलन
के समय में बड़ी हुई हूँ।
जब मै पांच वर्ष की थी,
मुझे बैले में बहुत दिलचस्पी थी।
१९६० के दशक में यह अधिकतर
पांच-वर्षीय लड़कियों की रूचि थी।
मेरी माँ मुझे बैले विद्यालय ले गयीं।
एक ऐसा विद्यालय जहां अध्यापक
आपकी विशेषताओं और
हुनरों के बारे में बात करते थे
यह जानते हुए कि आप
बैलेरीना नहीं बनेंगी।
(हसीं)
जब हम पहुंचे,
उन्होंने अच्छे से बोला कि,
"हम नीग्रों को भर्ती नहीं करते।"
हम गाड़ी में वापास ऐसे गए
जैसे की एक किराने की दूकान से
जहां संतरे का रास ख़त्म हुआ हो।
हम कुछ नही बोले ...
अगले बैले विद्यालय की ओर चल पड़े।
वह भी बोले,
"हम नीग्रों को नही सिखाते"।
मै उलझन में थी।
मैने अपनी माँ से पूछा
क्यों वह मुझे लेते नही।
उन्होंने बोला , "वह बस
तुम्हे सीखने के अयोग्य हैं,
और वह नहीं जानते कि तुम
कितनी अद्भुत हो।"
(प्रोत्साहन)
(प्रोत्साहन और तालियां)
दरअसल, मुझे उसका अर्थ मालूम नहीं था।
(हसीं )
पर मै जानती थी कि अर्थ अच्छा नही था
क्योंकि मै अपनी माँ की
आँखों में देख पा रही थी।
वो क्रोधित थीं,
और ऐसा लग रहा थी
कि वे आँसुओं की कगार पे थीं।
मैंने तब और वहीं निर्णय लिया कि
बैले मुर्ख था।
(हसीं)
आगे के समय में मेरे
साथ ऐसे कई अनुभव हुए,
लेकिन जैसे मै बड़ी हुई,
मै क्रोधित होने लगी।
और क्रोधित सिर्फ अन्याय
एवं भेदभाव पे ही नही।
मै उन लोगों पे गुस्सा थी जो
राहचलते होकर खामोश थे।
क्यों नहीं उस बैले स्कूल मे
गोरे माता-पिताों ने बोला
"ये गलत है।
उस छोटी लड़की को नाचने दो।"
या क्यों नही --
(तालियां)
उन गोरे संरक्षकों ने बटे
हुए रेस्टोरेंटों में बोला,
"यार, ये गलत है।
उस परिवार को खाने दो।"
मुझे यह समझने में देर नहीं लगी कि
जातीय भेदभाव एकमात्र
जगह नहीं है
जहा बहुमत की जन्ता शांत है।
जब मै चर्च में कोई
होमोफोबिक टिपण्णी जिसको
धार्मिक लेखन बताया जाता था, सुनती थी ,
तो मै कहती, "क्षमा चाहती हूँ,
आप हेटेरोसेक्सयल ईसाई ऐसी
बेतुकी को रोक क्यों नहीं रहें ?"
(तालियां)
या ...
एक जेन-एक्सर्स और बूमर्स
से भरे कमरे में
जो अपने मिलेनिअल सहयोगियों
को बेइज़्ज़त करने लगे
उन्हें बिगड़ैल, आलसी,
और घमंडी कह कर,
मै कहती, "क्षमा चाहती हूँ,
मेरी उम्र का कोई यह क्यों
नहीं कह रहा, 'स्टिरियोटाइप ना करो'" ?
("हाँ")
(तालियां)
मुझे ऐसे मुद्दों पर
खड़े होने की आदत थी,
पर बाकी सब को क्यों नहीं थी?
मेरी पांचवी कक्षा की अध्यापिका,
मैकफारलैंड मैम
ने मुझे सिखाया की न्याय
को एक साथी की ज़रुरत है।
ऐसे ही किसी से भी काम नही चलेगा।
उन्होंने कहा कि हमें असम्भाव्य
साथियों की आवस्यकता है
यदि हमें असल बदलाव देखना हो।
और हममे से उनके लिए जो सीधे
रूप से भेदभाव अनुभव करते हैं,
हमें मदद स्वीकार करने
की चाह रखनी पड़ेगी,
क्योंकि अगर हम चाह न रखें,
बदलाव ज्यादा समय लगाता है।
मेरा मतलब, सोचिए अगर
हेट्रोसेक्सवल और समलैंगिक लोग
शादी की एकता के
नारे के नीचे इकट्ठा ना हुए होते।
या अगर राष्ट्रपति कैनेडी
को नागरिक अधिकारों के
आंदोलन में रूचि ना होती ?
हमारे देश के महत्वपूर्ण
आंदोलनों को विलंबित किया, या
मार दिया जा सकता था,
हमारे असम्भाव्य साथियों
की गैरमौजूदगी में।
अगर वही लोग, उस ही तरीके
से आवाज़ उठाएंगे जैसे
वह करते आ रहे हैं ,
हमें लगातर उन ही
परिणामों की
प्राप्ति होगी।
साथी ज्यादातर किनारे
खड़े रहता हैं, अपनी
पुकार का इंतज़ार करते हुए।
यदि हमारे असम्भाव्य साथी सामने
से नेतृत्व करें तो क्या होगा?
उदहारण ...
यदि अश्वेत एवं मूल निवासी अमरीकी
आप्रवासन के मुद्दों में आगे आएं तो?
(तालियां)
या अगर गोरे नागरिक, भेदभाव
समाप्त करने के आंदोलन
में नेतृत्व करें तो?
(तालियां और प्रोत्साहन)
या अगर ...
पुरुष जन्ता पुरुष-स्त्री तंख्वाों
की एकता में योगदान करें तो ?
(तालियां और प्रोत्साहन)
या ...
हेतेरसेक्सवल लोग ऐल.जी.बी.टी.क्यू.
मुद्दों में सामने से लड़ें तो क्या होगा?
(तालियां और प्रोत्साहन)
और अगर ह्रष्ट-पुष्ट
व्यक्ति विकलांगों
के पक्ष में योगदान दें तो?
(तालियां और प्रोत्साहन)
हम संकटों के
विपक्ष और पीड़ितों
के पक्ष में आंदोलन
कर सकते हैं, चाहें हमें लगे
कि हमारा मुद्दे से कम वास्ता हो।
और दरअसल,
ऐसे मुद्दे सबसे ज्यादा
दमदार होते हैं।
और बिलकुल,
लोगों को कोई अंदाजा नहीं
होगा कि आप वहां क्यों है,
पर यह एक कारण है क्यों
हम में से भेदभाव का सामना
करने वालों को मदद
स्वीकार करनी चाहिए।
हमें भेदभाव की लड़ाई को
कृपा की समझ से लड़ना है।
जब गोरे मित्र अश्वेत और भूरे लोगों
की आज़ादी की लड़ाई मे
खड़े होते हैं, उनमें सहायता
स्वीकार की चाह होनी चाहिए।
मै जानती हूँ की
यह सरल नहीं है,
पर यह सामूहिक कार्य है
जिसमे सबका योगदान ज़रूरी है।
एक दिन जब मै
किंडरगार्टन में थी,
हमारी अध्यापिका ने हमे
एक खूबसूरत, लम्बी, गोरी
महिला से मिलाया, Miss Ann।
मुझे लगा मैने उनसे खबसूसरत
गोरी महिला नहीं देखी थी।
अगर मै आपसे सच बोलू,
मुझे लगता है उस दिन पहली बार
हमने स्कूल में गोरी महिला देखी थी।
(हसीं)
Miss Ann सामने खड़ी हो गयीं
और उन्होंने कहा की वो
हमारे स्कूल में बैले
सीखना चालू करेंगी
और वो हमारी नृत्य की
शिक्षक बनने पे गर्व करती हैं।
यह वास्तविक नहीं लग रहा था।
अचानक से --
(गाते हुए) मुझे अब नहीं
लग रहा था कि बैले मुर्ख है।
(हसीं)
अभी मै यह जानती हूँ कि
Miss Ann इस बात से अवगत थी
कि गोरे बैले स्कूल अश्वेत
लड़कियों को दाखिला नहीं करवाते।
वो उससे नाराज थीं ।
तो वो अश्वेत महल्ले में
नृत्य सीखने खुद आईं।
उनको स्नेह एवं साहस
लगा ऐसा करने के लिए।
(तालियां)
और जहां न्याय नहीं
था, उन्होंने उसको
वहां बस निर्माण कर दिया।
हम सब बचे,
क्योंकि हम अपने अश्वेत
पूर्वजों की राह पर चले।
हम सब फले, क्योंकि Miss Ann
एक असम्भाव्य साथी थीं।
जब आप अपनी आवाज़
और अपने कार्यों
का ऐसी परिस्थितियों में उपयोग
करते हैं जिससे आपका वास्ता न हो,
आप दूसरों को वही करने
के लिए प्रेरित करते हैं।
Miss Ann ने मुझे प्रेरणा दी
कि मै ऐसी परिस्थितिओं को
खोजूँ जो मेरे बारे में नहीं थीं
पर जहां मैने
अन्याय होते देखा हो
और भेदभाव हो रहा हो।
उम्मीद है वे आपको
भी प्रेरित करें,
क्योंकि एकता की लड़ाई
जीतने के लिए
हम सबको आवाज़
उठानी पड़ेगी
और खड़ा होना पड़ेगा।
हम सबको यह करना पड़ेगा
और हम सबको यह करना पडेगा
कठिन हालातों में भी
तब भी जब हमें अजीब लगे,
क्योंकि वह आपकी जगह है,
और हमारी जगह है।
न्याय हम सब पर निर्भर है।
धन्यवाद।
(प्रोत्साहन और तालियां)