WEBVTT 00:00:07.689 --> 00:00:13.007 इतिहास का पहला राज्य एक सूखे रेगिस्तान से उभरा 00:00:13.007 --> 00:00:18.787 जहां बारिश के बिना फसलें नहीं उगती थी न इमारतें बनाने को पेड़ और पत्थर थे. 00:00:18.787 --> 00:00:24.140 इस सब के बावजूद यहाँ के नागरिकों ने विश्व के सबसे पहले शहर की स्थापना की 00:00:24.140 --> 00:00:28.226 इस शहर में भव्य वास्तु कला थी और बहुत बड़ी लोकसंख्या थी. 00:00:28.226 --> 00:00:32.542 ये शहर पूरी तरह से मिट्टी का बना था. NOTE Paragraph 00:00:32.542 --> 00:00:36.052 सुमेर इराक के दक्षिणी भाग में स्थित था. 00:00:36.052 --> 00:00:38.752 उस भाग को मेसोपोटामिया कहते हैं. 00:00:38.752 --> 00:00:41.932 मेसोपोटामिया का अर्थ है दो नदियों के बीच में 00:00:41.932 --> 00:00:44.892 टिगरिस और यूफ्रेटीज 00:00:44.892 --> 00:00:52.033 5000 इसा पूर्व में सुमेर वासी सिंचाई, बांध और जलाशय बना रहे थे, 00:00:52.033 --> 00:00:58.460 ताकि पानी का पुनर्निर्देशन करके सुखी ज़मीन तक पहुंचाया जा सके 00:00:58.460 --> 00:01:02.976 इस तरह के कृषि समुदाय धीरे धीरे सब जगह उभर रहे थे. 00:01:02.976 --> 00:01:06.766 पर सुमेर वासी पहले थे जिन्होंने अगला कदम उठाया 00:01:06.766 --> 00:01:09.336 नदी की मिट्टी से बनी ईटों से 00:01:09.336 --> 00:01:13.336 उन्होंने बहु मंजिला घर और मंदिर बनाये. 00:01:13.336 --> 00:01:14.596 पहिये का अविष्कार किया 00:01:14.596 --> 00:01:19.609 कुम्हार का चाक जिससे मिटटी के घरेलु सामान और हथियार बनाये. NOTE Paragraph 00:01:19.609 --> 00:01:23.903 इन्ही ईटों से दुनिया का पहला शहर बनाया गया. 00:01:23.903 --> 00:01:27.693 4500 इसा पूर्व में 00:01:27.693 --> 00:01:32.249 शहर की सामाजिक सिढ़ी में सबसे ऊपर थे पुजारी 00:01:32.249 --> 00:01:34.382 उन्हें कुलीन माना जाता था. 00:01:34.382 --> 00:01:40.056 फिर आते थे व्यापारी, कलाकार और किसान और आखिर में आते थे ग़ुलाम 00:01:40.056 --> 00:01:43.896 सुमेर साम्राज्य में कई छोटे नगर थे 00:01:43.896 --> 00:01:46.506 वे स्वयं छोटे साम्राज्य थे. 00:01:46.506 --> 00:01:49.886 वे आपस में भाषा और आध्यात्मिक विचारों से जुड़े थे. 00:01:49.886 --> 00:01:52.526 पर उनपर केंद्रीय नियंत्रण नहीं था. 00:01:52.526 --> 00:01:56.881 सबसे पहले शहर थे उरुक ,उर और एरिडु 00:01:56.881 --> 00:01:59.721 और धीरे धीरे कई नगर उभर आये 00:01:59.721 --> 00:02:04.636 हर नगर में एक राजा था जो पुजारी और शासक दोनों था. 00:02:04.636 --> 00:02:09.033 कभी कभी वे आपस में लड़कर नए क्षेत्र जीतते 00:02:09.033 --> 00:02:14.736 हर शहर में एक संरक्षक देवता था जो उस शहर का निर्माता माना जाता था 00:02:14.736 --> 00:02:19.898 शहर की सबसे महत्वपूर्ण ईमारत उस देवता का मंदिर थी 00:02:19.898 --> 00:02:24.485 ज़िग्गराट एक ऐसा मंदिर था जिसका निर्माण पिरामिड की तरह किया गया था NOTE Paragraph 00:02:24.485 --> 00:02:30.029 3200 इसा पूर्व में सुमेर वासी अपनी पहुंच बढ़ाने लगे 00:02:30.029 --> 00:02:34.295 कुम्हार के चाक का इस्तेमाल रथों और गाड़ियों में होने लगा 00:02:34.295 --> 00:02:37.785 ईख और खजूर के पत्तों से नौकाएं बनने लगी 00:02:37.785 --> 00:02:42.984 नावों की पाल उन्हें दूर दिशाओं में लेने जाने लगीं 00:02:42.984 --> 00:02:46.542 सीमित संसाधन से जूझने के लिए उन्होंने व्यापर तंत्र का नियोजन किया 00:02:46.542 --> 00:02:51.180 अनातोलिया ईजिप्ट और इथिओपिया के साथ 00:02:51.180 --> 00:02:57.785 वे सोना चांदी लापीस लाजुली और देवदार की लकड़ी आयात करने लगे NOTE Paragraph 00:02:57.785 --> 00:03:00.235 व्यापर एक प्रेरणा थी 00:03:00.235 --> 00:03:03.985 दुनिया की पहली लेखन प्रणाली के लिए 00:03:03.985 --> 00:03:07.185 इसकी शुरुआत व्यापारियों के लेखे जोखे से हुई. 00:03:07.185 --> 00:03:09.885 दूसरे शहरों के व्यापारियों से व्यापर करते हुए 00:03:09.885 --> 00:03:13.735 कुछ सदियों बाद यह चित्रलेख प्रणाली 00:03:13.735 --> 00:03:17.085 जिसे कुनीफॉर्म कहा जाता था एक लिपि में परिवर्तित हो गयी 00:03:17.085 --> 00:03:20.025 उन्होंने सबसे पहले लिखित कानून तैयार किये 00:03:20.025 --> 00:03:24.814 और पहली शिक्षण प्रणाली बनायी जिसमे लिखाई की कला सिखाई जाती थी 00:03:24.814 --> 00:03:31.317 उन्होंने कुछ कम रोमांचक आविष्कार किये जैसे नौकरशाही और कर NOTE Paragraph 00:03:31.317 --> 00:03:34.837 शालाओं में मुंशी सुबह से शाम तक पढ़ते थे. 00:03:34.837 --> 00:03:37.627 बचपन से वयस्क होने तक 00:03:37.627 --> 00:03:42.004 वे लेखांकन और गणित सीखते साहित्य की नकल के काम करते 00:03:42.004 --> 00:03:47.415 भजन, मिथक, कहावत, जानवर कल्पित और जादू मंत्र 00:03:47.415 --> 00:03:50.845 और पहला महाकाव्य मिटटी की पट्टियों पर लिखते 00:03:50.845 --> 00:03:54.145 इनमे से कुछ पत्तियों पे गिलगमेश की कहानी थी 00:03:54.145 --> 00:03:59.770 उरुक का राजा जिसपर कई कल्पित रचे गए हैं NOTE Paragraph 00:03:59.770 --> 00:04:05.887 3000 इसा पूर्व तक सुमेर अकेला साम्राज्य नहीं था 00:04:05.887 --> 00:04:08.117 न ही मेसोपोटामिया 00:04:08.117 --> 00:04:13.661 उत्तर और पूर्व से कई बंजारे इस भाग में आये 00:04:13.661 --> 00:04:17.661 इन में से कई सुमेर वासियों की इज़्ज़त करते और उनकी जीवनशैली अपनाते 00:04:17.661 --> 00:04:21.661 और उनकी लिपि से अपनी भाषाएं लिखते 00:04:21.661 --> 00:04:29.026 2300 इसा पूर्व में अक्कादिअन सार्गोन ने सुमेर के सारे नगर जीत लिए 00:04:29.026 --> 00:04:31.696 पर सारगोन सुमेर संस्कृती की इज़्ज़त करता था 00:04:31.696 --> 00:04:37.262 और कई सदियों तक अक्कादी और सुमेर संस्कृतियाँ साथ में पनपीं 00:04:37.262 --> 00:04:41.382 बाकी हमलावर समूह लूटपाट और तबाही पर ही ध्यान देते 00:04:41.382 --> 00:04:43.842 हालांकि सुधार की संस्कृति का प्रसार हो रहा था 00:04:43.842 --> 00:04:51.738 कई आक्रमणों ने 1750 इसा पूर्व तक सुमेर के लोगों का विनाश कर दिया NOTE Paragraph 00:04:51.738 --> 00:04:55.944 बादमे सुमेर रेगिस्तान की मिटटी में मिल गया 00:04:55.944 --> 00:05:00.037 और उन्नीसवीं शताब्दी तक फिरसे नहीं खोजा गया 00:05:00.037 --> 00:05:04.037 पर सुमेर संस्कृति हज़ारो सालो तक जीवित रही 00:05:04.037 --> 00:05:09.155 पहले अक्कादियों फिर अस्सीरियों और फिर बेबीलोनिया के ज़रिये 00:05:09.155 --> 00:05:13.045 बेबीलोनिया ने सुमेरी आविष्कारों को 00:05:13.045 --> 00:05:16.798 हिब्रू ग्रीक और रोमन संस्कृतियों तक पहुंचाया 00:05:16.798 --> 00:05:19.208 उनमे से कुछ आज तक जीवित हैं