1 00:00:00,000 --> 00:00:03,000 मैं चाहती हुँ आप इस शिशु को देखें 2 00:00:03,000 --> 00:00:06,000 आप इसकी आखों की ओर आकर्शित होते हैं 3 00:00:06,000 --> 00:00:09,000 और यह त्वचा जिसे आप छूना चाहेंगे 4 00:00:09,000 --> 00:00:12,000 पर आज मैं आप से बात करूँगी एसी चीज़ के बारे में जो दिखाई नहीं देती, 5 00:00:12,000 --> 00:00:15,000 कि उसके नन्हें दिमाग में क्या चल रहा है. 6 00:00:16,000 --> 00:00:18,000 मस्तिष्क विज्ञान के आधुनिक उपकर्ण 7 00:00:18,000 --> 00:00:21,000 यह प्रदर्शित कर रहे हैं कि वहाँ ऊपर क्या चल रहा है 8 00:00:21,000 --> 00:00:24,000 यह रॉकेट विज्ञान से कम नहीं है. 9 00:00:24,000 --> 00:00:26,000 और जो हम सीख रहे हैं 10 00:00:26,000 --> 00:00:28,000 कुछ प्रकाश डालेगा 11 00:00:28,000 --> 00:00:31,000 उसपर जिसे रोमाँटिक लेखक और कवि 12 00:00:31,000 --> 00:00:34,000 "दिव्य खुलापन" के रूप में वर्णित करते हैं 13 00:00:34,000 --> 00:00:36,000 बच्चे के दिमाग के बारे में 14 00:00:36,000 --> 00:00:38,000 हम यहाँ देख रहे हैं 15 00:00:38,000 --> 00:00:40,000 भारत में एक माँ, 16 00:00:40,000 --> 00:00:42,000 और वो कोरो में बात कर रही है 17 00:00:42,000 --> 00:00:44,000 जो कि एक नई खोजी गई भाषा है 18 00:00:44,000 --> 00:00:46,000 और वह अपने शिशु से बात कर रही है. 19 00:00:46,000 --> 00:00:48,000 जो बात यह माँ - 20 00:00:48,000 --> 00:00:51,000 और दुनिया भर में वो ८०० लोग जो कोरो बोलते हैं - 21 00:00:51,000 --> 00:00:54,000 समझते हैं कि, इस भाषा को बचाने के लिए, 22 00:00:54,000 --> 00:00:57,000 उन्हें इसे शिशुओं से बोलने की ज़रुरत है. 23 00:00:57,000 --> 00:01:00,000 और उसमें एक महत्वपूर्ण पहेली है 24 00:01:00,000 --> 00:01:02,000 एसा क्यों है कि आप किसी भाषा का संरक्षण नहीं कर सकते 25 00:01:02,000 --> 00:01:05,000 उसे व्यस्कों से - आपसे और हमसे बोलकर? 26 00:01:05,000 --> 00:01:08,000 दरअसल इसका संबंध आपके दिमाग से है. 27 00:01:08,000 --> 00:01:10,000 जो हम यहाँ देख रहे हैं 28 00:01:10,000 --> 00:01:13,000 वो यह है कि भाषा को सीखने के लिए एक विषेश समय होता है. 29 00:01:13,000 --> 00:01:16,000 इस स्लाइड को पढ़ने का तरीका है कि आप अपनी उम्र को क्षैतिज अक्ष पर देखें. 30 00:01:16,000 --> 00:01:19,000 (ठहाके) 31 00:01:19,000 --> 00:01:21,000 और ह्म ऊर्ध्वाधर पर देखेंगे 32 00:01:21,000 --> 00:01:23,000 दूसरी भाषा सीखने का हुनर. 33 00:01:23,000 --> 00:01:25,000 शिशु और बच्चे प्रतिभाशाली होते हैं 34 00:01:25,000 --> 00:01:27,000 जब तक वे सात साल के नहीं हो जाते, 35 00:01:27,000 --> 00:01:30,000 और फिर वहाँ एक व्यवस्थित गिरावट है. 36 00:01:30,000 --> 00:01:32,000 यौवन के बाद, हम नक्शे से बाहर हो जाते हैं. 37 00:01:32,000 --> 00:01:35,000 कोई वैज्ञानिक इस वक्र से विवाद नहीं करते 38 00:01:35,000 --> 00:01:37,000 लेकिन दुनिया भर कि प्रयोगशालाएं 39 00:01:37,000 --> 00:01:40,000 यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि एसा क्यों होता है 40 00:01:40,000 --> 00:01:42,000 मेरी प्रयोगशाला में काम केंद्रित है 41 00:01:42,000 --> 00:01:44,000 विकास के पहले विशेष समय पर - 42 00:01:44,000 --> 00:01:46,000 और ये वो समय है जिसमें 43 00:01:46,000 --> 00:01:49,000 शिशु उन स्वरों में माहिरता हासिल करने की कोशिश करते हैं जो उनकी भाषा में प्रयोग होते हैं. 44 00:01:49,000 --> 00:01:52,000 हमारे विचार में इस बात का अध्ययन करके कि स्वर कैसे सीखे जाते हैं, 45 00:01:52,000 --> 00:01:54,000 हमारे पास बाकि भषा के लिए मापद्न्ड होगा. 46 00:01:54,000 --> 00:01:57,000 और शायद बचपन के दौरान मह्त्वपूर्ण समय के लिए 47 00:01:57,000 --> 00:01:59,000 सामाजिक, भावनात्मक 48 00:01:59,000 --> 00:02:01,000 और संज्ञानात्मक विकास के लिए 49 00:02:01,000 --> 00:02:03,000 तो हम उन शिशुओ का अध्ययन करते रहे हैं 50 00:02:03,000 --> 00:02:05,000 दुनिया भर में एक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए 51 00:02:05,000 --> 00:02:07,000 और सभी भाषाओं के स्वरों का। 52 00:02:07,000 --> 00:02:09,000 बच्चा अपने माता पिता की गोदी में बैठता है, 53 00:02:09,000 --> 00:02:11,000 और हम उन्हें प्रशिक्षित करते हैं अपनेसर घुमाने के लिए जब भी कोई स्वर बदलता है - 54 00:02:11,000 --> 00:02:13,000 जैसे "आह" से "ई" 55 00:02:13,000 --> 00:02:15,000 अगर वे ऐसा उचित समय पर करते हैं, 56 00:02:15,000 --> 00:02:17,000 तो काले बक्से की बत्ती जल जाती है 57 00:02:17,000 --> 00:02:19,000 और एक पांडा भालू एक ढ़ोल पीटता है 58 00:02:19,000 --> 00:02:21,000 एक छह महीने के शिशु को यह काम बहुत भाता है. 59 00:02:21,000 --> 00:02:23,000 हमने क्या सीखा? 60 00:02:23,000 --> 00:02:25,000 कि दुनिया भर के बच्चे 61 00:02:25,000 --> 00:02:27,000 हैं जो मैं कहना पसंद करती हूँ 62 00:02:27,000 --> 00:02:29,000 विश्व के नागरिक; 63 00:02:29,000 --> 00:02:32,000 और वो सभी भाषाओं के सभी स्वरों में भेद कर सकते हैं, 64 00:02:32,000 --> 00:02:35,000 चाहे हम किसी भी देश में परीक्षण कर रहे हों और कोई भी भाषा इस्तेमाल कर रहे हों. 65 00:02:35,000 --> 00:02:38,000 औरी यह असाधार्ण है क्योंकि आप और मैं ये नहीं कर सकते. 66 00:02:38,000 --> 00:02:40,000 हमारे सुनने की शक्ति संस्कृति से जुड़ी है. 67 00:02:40,000 --> 00:02:42,000 हम अपनी भाषा के स्वर पहचान सकते हैं, 68 00:02:42,000 --> 00:02:44,000 लेकिन विदेशी भाषाओं के नहीं. 69 00:02:44,000 --> 00:02:46,000 तो सवाल यह उठता है, 70 00:02:46,000 --> 00:02:48,000 ये विश्व के नागरिक कब 71 00:02:48,000 --> 00:02:51,000 हम जैसे भाषा से बंधे सुनने वाले बन जाते हैं? 72 00:02:51,000 --> 00:02:54,000 और जवाब : उनके पहले जन्मदिन से पहले. 73 00:02:54,000 --> 00:02:57,000 आप यहाँ जो देख रहे हैं वो है सर घूमने वाले कार्य पे प्रदर्शन 74 00:02:57,000 --> 00:02:59,000 टोक्यो और अमरीका में परखे गए शिशुओं के लिए, 75 00:02:59,000 --> 00:03:01,000 यहाँ सियाट्ल में, 76 00:03:01,000 --> 00:03:03,000 जैसे वो "रा" और "ला" को सुनते हैं -- 77 00:03:03,000 --> 00:03:06,000 स्वर जो अँग्रेजीमें महत्वपूर्ण हैं, पर जापानी में नहीं. 78 00:03:06,000 --> 00:03:09,000 तो छहसे आठ महीने तक बच्चे बिलकुल बराबरी पर हैं. 79 00:03:09,000 --> 00:03:12,000 दो महीने बात एक विचित्र बात होती है. 80 00:03:12,000 --> 00:03:14,000 अमरीका में बच्चे बेहतर होते जा रहे हैं, 81 00:03:14,000 --> 00:03:16,000 और जापान में बदतर, 82 00:03:16,000 --> 00:03:18,000 लेकिन शिशुओं के ये दोनों समूह 83 00:03:18,000 --> 00:03:21,000 ठीक उसी भाषा की तैयारी कर रहे हैं जो वे सीखने जा रहे हैं. 84 00:03:21,000 --> 00:03:24,000 तो सवाल यह है की क्या हो रहा है 85 00:03:24,000 --> 00:03:26,000 इस दो महीने की विशेष अवधि में? 86 00:03:26,000 --> 00:03:28,000 यह अवधि है स्वर विकास की, 87 00:03:28,000 --> 00:03:30,000 लेकिन वहाँ ऊपर क्या हो रहा है? 88 00:03:30,000 --> 00:03:32,000 तो दो चीज़ें हो रही हैं. 89 00:03:32,000 --> 00:03:35,000 पहली यह की शिशु ध्यान से हमे सुन रहे हैं, 90 00:03:35,000 --> 00:03:38,000 और हमें बात करते सुन कर गणनाकर रहे हैं -- 91 00:03:38,000 --> 00:03:40,000 वो गणना कर रहे हैं. 92 00:03:40,000 --> 00:03:43,000 तो सुनिए दो माताओं को माओंकी विशेष भाषा में बात करते हुए -- 93 00:03:43,000 --> 00:03:46,000 वह सार्वलौकिक भाषा जो हम सब बच्चों से बात करते हुए इस्तेमाल करते हैं -- 94 00:03:46,000 --> 00:03:49,000 पहले अँग्रेजी में और फिर जापानी में. 95 00:03:49,000 --> 00:03:52,000 (वीडियो) अँग्रेजी माँ : आह, मुझे तुम्हारी बड़ी नीली आँखें बहुत प्यारी लगती हैं -- 96 00:03:52,000 --> 00:03:55,000 कितनी सुंदर और अच्छी. 97 00:03:56,000 --> 00:04:02,000 जापानी माँ : [जापानी] 98 00:04:02,000 --> 00:04:04,000 पाइट्रिशिया कुहल : भाषा की उत्पत्ति में, 99 00:04:04,000 --> 00:04:06,000 जबशिशु सुनते हैं, 100 00:04:06,000 --> 00:04:08,000 तबदरअसल वो गणना कर रहे होते हैं 101 00:04:08,000 --> 00:04:11,000 सुनाई देने वाली भाषा पर. 102 00:04:11,000 --> 00:04:14,000 और ये वितरण बढ़ते रहते हैं. 103 00:04:14,000 --> 00:04:16,000 और हमने यह सीखा है 104 00:04:16,000 --> 00:04:19,000 कि बच्चे इन गाण्णा के बारे में संवेदनशील होते हैं, 105 00:04:19,000 --> 00:04:22,000 और जापानी और अँग्रेजी के आंकड़े बहुत, बहुत अलग होते हैं. 106 00:04:22,000 --> 00:04:25,000 अँग्रेजी में बहुत से र और ल होते हैं 107 00:04:25,000 --> 00:04:27,000 वितरण यह दिखाता है. 108 00:04:27,000 --> 00:04:29,000 और जापानी का वितरण बिलकुल अलग हैं, 109 00:04:29,000 --> 00:04:32,000 जहां हम माध्यम स्वरों के झुंड देखते हैं, 110 00:04:32,000 --> 00:04:35,000 जिसे जापानी र कहा जाता है. 111 00:04:35,000 --> 00:04:37,000 तो बच्चे सोख लेते हैं 112 00:04:37,000 --> 00:04:39,000 भाषा के आंकड़े 113 00:04:39,000 --> 00:04:41,000 और यह उनके दिमाग को बदल देता है; 114 00:04:41,000 --> 00:04:43,000 वह उन्हे विश्व के नागरिक से बदल देता है 115 00:04:43,000 --> 00:04:46,000 हम जैसे संस्कृति से बंधे सुनने वालों में. 116 00:04:46,000 --> 00:04:48,000 लेकिन व्यसको की तरह हम 117 00:04:48,000 --> 00:04:50,000 अब उन आंकड़ों को सोख नहीं रहे. 118 00:04:50,000 --> 00:04:53,000 हम अपनी यादों में उन अभ्यावेदन से बंधे हुए हैं 119 00:04:53,000 --> 00:04:56,000 जो हमने प्रारम्भिक विकास में बनाए थे. 120 00:04:56,000 --> 00:04:58,000 तो जो हम यहाँ देख रहे हैं 121 00:04:58,000 --> 00:05:01,000 वह हमारे मॉडेल बदल रहा है इस बारे में कि महत्वपूर्ण अवधि क्या है. 122 00:05:01,000 --> 00:05:04,000 हम गणित कि दृष्टि से इस बारे में बहस कर रहे हैं 123 00:05:04,000 --> 00:05:07,000 कि भाषा सीखने कि प्रक्रिया धीरे हो जाती है 124 00:05:07,000 --> 00:05:09,000 जब हमारा वितरण स्थिर हो जाता है. 125 00:05:09,000 --> 00:05:12,000 यह द्विभाषिक लोगों के बारे में बहुत से प्रश्न खड़े कर रहा है. 126 00:05:12,000 --> 00:05:16,000 द्विभाषीय लोगों को एक समय पर आंकड़ो के दो सेट दिमाग में रखने पड़ते हैं 127 00:05:16,000 --> 00:05:19,000 और उनके बीच बदलते रहना पड़ता है, एक के बाद एक, 128 00:05:19,000 --> 00:05:21,000 इस बात को देखते हुए कि वो किस से बात कर रहे हैं. 129 00:05:21,000 --> 00:05:23,000 तो हमने अपने आप से पूछा, 130 00:05:23,000 --> 00:05:26,000 क्या शिशु एक बिलकुल नयी भाषा के आंकड़े ले सकता है? 131 00:05:26,000 --> 00:05:28,000 और हमने इसे परखा अमरीकी बच्चों को 132 00:05:28,000 --> 00:05:30,000 जिन्हों ने कभी दूसरी भाषा नहीं सुनी थी 133 00:05:30,000 --> 00:05:33,000 मंदारिन भाषा से परिचित कराया विशेष अवधि के दौरान. 134 00:05:33,000 --> 00:05:35,000 हमे पता था कि जब एक भाषा बोलने वालों को परखा गया था 135 00:05:35,000 --> 00:05:38,000 ताइपेई और सेयाट्ट्ल में मंदारिन भाषा के स्वरों पर, 136 00:05:38,000 --> 00:05:40,000 तो उनहोने वही साँचा दिखाया. 137 00:05:40,000 --> 00:05:42,000 6 - 8 महीने, वे बिलकुल बराबर होते हैं. 138 00:05:42,000 --> 00:05:45,000 दो महीने बाद कुछ अजीब हो जाता है. 139 00:05:45,000 --> 00:05:48,000 लेकिन ताईवानी बच्चे बेहतर हो रहे हैं, अमरीकी बच्चे नहीं 140 00:05:48,000 --> 00:05:51,000 हमने इस दौरान अमरीकी बच्चों को इस दौरान अनुभव दिलाया 141 00:05:51,000 --> 00:05:53,000 मंदारिन भाषा का 142 00:05:53,000 --> 00:05:56,000 ये ऐसा था जैसे मदारिन रिश्तेदार एक महीने के लिए मिलने आए हों 143 00:05:56,000 --> 00:05:58,000 और आप के घर में रहें 144 00:05:58,000 --> 00:06:00,000 और 12 सेशन्स के लिए शिशुओं से बात करें. 145 00:06:00,000 --> 00:06:02,000 और प्रयोगशाला में यह ऐसा दिखता है. 146 00:06:02,000 --> 00:06:24,000 (विडियो) मंदारिन भाषी : [मंदारिन] 147 00:06:24,000 --> 00:06:26,000 पी के : तो हमने इनके नन्हें दिमागों को क्या किया ? 148 00:06:26,000 --> 00:06:29,000 (ठ्हाके) 149 00:06:29,000 --> 00:06:31,000 हमें एक नियंत्रित समूह भी रखना पड़ा 150 00:06:31,000 --> 00:06:33,000 यह यकीन करने के लिए की मात्र प्रयोगशाला में आने से 151 00:06:33,000 --> 00:06:35,000 आपके मंदारिन के कौशल बेहतर नहीं हो जाते 152 00:06:35,000 --> 00:06:37,000 तो शिशुओं का एक समूह आकर अँग्रेजी सुनतता था। 153 00:06:37,000 --> 00:06:39,000 और हम रेखा चित्र से देख सकते हैं 154 00:06:39,000 --> 00:06:41,000 की अँग्रेजी से संपर्क से उनकी मंदरीन भाषा सुधरी नहीं. 155 00:06:41,000 --> 00:06:43,000 पर उन शिशुओं को देखिये क्या हुआ 156 00:06:43,000 --> 00:06:45,000 जिनहे 12 सेशन के लिए मंदरीन से संपर्क कराया गया 157 00:06:45,000 --> 00:06:47,000 वो ताइवान वाले शिशुओं जीतने अच्छे थे 158 00:06:47,000 --> 00:06:50,000 जो इसे साढ़े दस महीने से सुन रहे थे. 159 00:06:50,000 --> 00:06:52,000 इस बात नें यह दर्शाया 160 00:06:52,000 --> 00:06:54,000 की शिशु नयी भाषा के आंकड़े लेते हैं. 161 00:06:54,000 --> 00:06:58,000 आप जो भी उनके सामने रखें, वो उनपर आंकड़े लेंगे. 162 00:06:58,000 --> 00:07:00,000 पर हम विचार कर रहे थे की क्या भूमिका होती है 163 00:07:00,000 --> 00:07:02,000 इन्सानों की 164 00:07:02,000 --> 00:07:04,000 इस सिखलाई की कवायद में. 165 00:07:04,000 --> 00:07:06,000 तो हमने बच्चों के एक और समूह पर प्रयोग किया 166 00:07:06,000 --> 00:07:09,000 जिसमे बच्चों को वही खुराक मिली, वही 12 सेशन, 167 00:07:09,000 --> 00:07:11,000 लेकिन टीवी के ज़रिये 168 00:07:11,000 --> 00:07:14,000 और एक और समूह जिनको सिर्फ आवाज़ सुनाई गयी 169 00:07:14,000 --> 00:07:16,000 परदे पर टेडी बीयर देखते हुए. 170 00:07:16,000 --> 00:07:19,000 और हमने उनके दिमाग के साथ क्या किया? 171 00:07:19,000 --> 00:07:22,000 आप यहाँ देख रहें हैं परिणाम के स्वर - 172 00:07:22,000 --> 00:07:24,000 बिलकुल कोई सिखलाई नहीं - 173 00:07:24,000 --> 00:07:27,000 और वीडियो परिणाम - 174 00:07:27,000 --> 00:07:29,000 कोई सिखलाई नहीं. 175 00:07:29,000 --> 00:07:31,000 सिर्फ इन्सानों से ही 176 00:07:31,000 --> 00:07:33,000 बच्चे अपने आंकड़े लेते हैं. 177 00:07:33,000 --> 00:07:35,000 सामाजिक दिमाग नियंत्रण करता है 178 00:07:35,000 --> 00:07:37,000 जब बच्चे अपने आंकड़े ले रहे होते हैं. 179 00:07:37,000 --> 00:07:39,000 हम उनके दिमाग के अंदर घुस कर 180 00:07:39,000 --> 00:07:41,000 यह होते हुए देखना चाहते हैं 181 00:07:41,000 --> 00:07:43,000 जब बच्चे टीवी के सामने होते हैं, 182 00:07:43,000 --> 00:07:45,000 बजाए इसके की इन्सानों के सामने. 183 00:07:45,000 --> 00:07:47,000 शुक्र है हमारे पास एक नया यंत्र है, 184 00:07:47,000 --> 00:07:49,000 मग्नेटोएंकेफलोग्राफी, 185 00:07:49,000 --> 00:07:51,000 जो हमें यह करने देता है. 186 00:07:51,000 --> 00:07:53,000 यह मंगल ग्रह से आया बाल सुखाने वाला यंत्र लगता है. 187 00:07:53,000 --> 00:07:55,000 लेकिन यह बिलकुल सुरक्षित है, 188 00:07:55,000 --> 00:07:58,000 बिलकुल शांत और गैर भेदी. 189 00:07:58,000 --> 00:08:00,000 और हम मिलिमीटर शुद्धता की बात कर रहे हैं 190 00:08:00,000 --> 00:08:02,000 स्पेसिय और 191 00:08:02,000 --> 00:08:04,000 मिलीसेकंड शुद्धता के बारे में 192 00:08:04,000 --> 00:08:06,000 306 स्कूइड्स का प्रयोग करते हुए - 193 00:08:06,000 --> 00:08:08,000 ये सुपर क्ंड्क्टिंग 194 00:08:08,000 --> 00:08:10,000 क्वांटम इंटरफ़ेस यंत्र होते हैं - 195 00:08:10,000 --> 00:08:12,000 चुंबकीय संकेत पकड़ने के लिए 196 00:08:12,000 --> 00:08:14,000 जो हमारे सोचते हुए बदल जाते हैं. 197 00:08:14,000 --> 00:08:16,000 हमने विश्व में पहल करी है 198 00:08:16,000 --> 00:08:18,000 शिशुओं को रिकार्ड करने में 199 00:08:18,000 --> 00:08:20,000 एम ई जी यंत्र के द्वारा 200 00:08:20,000 --> 00:08:22,000 जब वो सीख रहे होते हैं. 201 00:08:22,000 --> 00:08:24,000 तो यह नन्ही एम्मा है. 202 00:08:24,000 --> 00:08:26,000 ये छह महीने की है. 203 00:08:26,000 --> 00:08:28,000 और ये अलग भाषाओं को सुन रही है 204 00:08:28,000 --> 00:08:31,000 उसके कानों में लगे इयरफोन से. 205 00:08:31,000 --> 00:08:33,000 आप देख सकते हैं, वो चल फिर सकती है. 206 00:08:33,000 --> 00:08:35,000 हम उसके सिर पर नजर रख रहे हैं 207 00:08:35,000 --> 00:08:37,000 एक टोपी के अंदर छोटे छोटे छर्रों की सहायता से, 208 00:08:37,000 --> 00:08:40,000 तो वो स्वेछा से पूरी तरह से हिलने के काबिल है. 209 00:08:40,000 --> 00:08:42,000 यह तकनीकी शक्ति का प्रदर्शन है. 210 00:08:42,000 --> 00:08:44,000 हम क्या देख रहे हैं? 211 00:08:44,000 --> 00:08:46,000 हम शिशु का दिमाग देख रहे हैं. 212 00:08:46,000 --> 00:08:49,000 जैसे ही शिशु अपनी भाषा का स्वर सुनती है 213 00:08:49,000 --> 00:08:51,000 तो स्वरों वाला हिस्से में प्रकाश हो जाता है, 214 00:08:51,000 --> 00:08:53,000 और फिर उसके आस पास वाले हिस्सों में 215 00:08:53,000 --> 00:08:56,000 जो हम सोचते हैं अनुकूलता से संबन्धित है, 216 00:08:56,000 --> 00:08:58,000 दिमाग के अलग भागों को समन्वित करना, 217 00:08:58,000 --> 00:09:00,000 और करणीय संबंध 218 00:09:00,000 --> 00:09:03,000 दिमाग का एक हिस्सा दूसरे को सक्रिय करता है. 219 00:09:03,000 --> 00:09:05,000 हम चल पड़े हैं 220 00:09:05,000 --> 00:09:08,000 एक महान और स्वरणीय युग की ओर 221 00:09:08,000 --> 00:09:11,000 ज्ञान और बच्चों के दिमाग के विकास के बारे में. 222 00:09:11,000 --> 00:09:13,000 हम बच्चे के दिमाग को देख पाएंगे 223 00:09:13,000 --> 00:09:15,000 जैसे वे किसी भावना का अनुभव कर रहे होंगे, 224 00:09:15,000 --> 00:09:17,000 जब वो पढ़ना लिखना सीख रहे हों, 225 00:09:17,000 --> 00:09:19,000 जैसे वो गणित का सवाल हल कर रहे हों, 226 00:09:19,000 --> 00:09:21,000 जैसे उन्हे कोई विचार आए. 227 00:09:21,000 --> 00:09:24,000 और हम दिमाग पे आधारित हस्तक्षेपों का आविष्कार कर सकेंगे 228 00:09:24,000 --> 00:09:27,000 उन बच्चों के लिए जिनहे सीखने मे मुश्किल होती है. 229 00:09:27,000 --> 00:09:30,000 जैसे कवियों और लेखकों ने वर्णन किया है, 230 00:09:30,000 --> 00:09:32,000 मैं सोचता हूँ हम देख पाएंगे, 231 00:09:32,000 --> 00:09:34,000 वह शानदार खुलापन 232 00:09:34,000 --> 00:09:36,000 निरी और पूरी तरह खुलापन 233 00:09:36,000 --> 00:09:39,000 बच्चे के दिमाग का. 234 00:09:39,000 --> 00:09:41,000 बच्चों के दिमाग के बारे में छानबीन करते हुए, 235 00:09:41,000 --> 00:09:43,000 हम गहरी सच्चाईयों को खोल पाएंगे 236 00:09:43,000 --> 00:09:45,000 इस बारे में कि इंसान होने का मतलब क्या है, 237 00:09:45,000 --> 00:09:47,000 और इस दौरान, 238 00:09:47,000 --> 00:09:49,000 हो सकता है हम अपने दिमागोंको सीखने के लिए खुला रख पाएँ 239 00:09:49,000 --> 00:09:51,000 अपनी पूरी ज़िंदगी. 240 00:09:51,000 --> 00:09:53,000 धन्यवाद. 241 00:09:53,000 --> 00:09:56,000 (तालियाँ)