मैं चाहती हुँ आप इस शिशु को देखें
आप इसकी आखों की ओर आकर्शित होते हैं
और यह त्वचा जिसे आप छूना चाहेंगे
पर आज मैं आप से बात करूँगी एसी चीज़ के बारे में जो दिखाई नहीं देती,
कि उसके नन्हें दिमाग में क्या चल रहा है.
मस्तिष्क विज्ञान के आधुनिक उपकर्ण
यह प्रदर्शित कर रहे हैं कि वहाँ ऊपर क्या चल रहा है
यह रॉकेट विज्ञान से कम नहीं है.
और जो हम सीख रहे हैं
कुछ प्रकाश डालेगा
उसपर जिसे रोमाँटिक लेखक और कवि
"दिव्य खुलापन" के रूप में वर्णित करते हैं
बच्चे के दिमाग के बारे में
हम यहाँ देख रहे हैं
भारत में एक माँ,
और वो कोरो में बात कर रही है
जो कि एक नई खोजी गई भाषा है
और वह अपने शिशु से बात कर रही है.
जो बात यह माँ -
और दुनिया भर में वो ८०० लोग जो कोरो बोलते हैं -
समझते हैं कि, इस भाषा को बचाने के लिए,
उन्हें इसे शिशुओं से बोलने की ज़रुरत है.
और उसमें एक महत्वपूर्ण पहेली है
एसा क्यों है कि आप किसी भाषा का संरक्षण नहीं कर सकते
उसे व्यस्कों से - आपसे और हमसे बोलकर?
दरअसल इसका संबंध आपके दिमाग से है.
जो हम यहाँ देख रहे हैं
वो यह है कि भाषा को सीखने के लिए एक विषेश समय होता है.
इस स्लाइड को पढ़ने का तरीका है कि आप अपनी उम्र को क्षैतिज अक्ष पर देखें.
(ठहाके)
और ह्म ऊर्ध्वाधर पर देखेंगे
दूसरी भाषा सीखने का हुनर.
शिशु और बच्चे प्रतिभाशाली होते हैं
जब तक वे सात साल के नहीं हो जाते,
और फिर वहाँ एक व्यवस्थित गिरावट है.
यौवन के बाद, हम नक्शे से बाहर हो जाते हैं.
कोई वैज्ञानिक इस वक्र से विवाद नहीं करते
लेकिन दुनिया भर कि प्रयोगशालाएं
यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि एसा क्यों होता है
मेरी प्रयोगशाला में काम केंद्रित है
विकास के पहले विशेष समय पर -
और ये वो समय है जिसमें
शिशु उन स्वरों में माहिरता हासिल करने की कोशिश करते हैं जो उनकी भाषा में प्रयोग होते हैं.
हमारे विचार में इस बात का अध्ययन करके कि स्वर कैसे सीखे जाते हैं,
हमारे पास बाकि भषा के लिए मापद्न्ड होगा.
और शायद बचपन के दौरान मह्त्वपूर्ण समय के लिए
सामाजिक, भावनात्मक
और संज्ञानात्मक विकास के लिए
तो हम उन शिशुओ का अध्ययन करते रहे हैं
दुनिया भर में एक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए
और सभी भाषाओं के स्वरों का।
बच्चा अपने माता पिता की गोदी में बैठता है,
और हम उन्हें प्रशिक्षित करते हैं अपनेसर घुमाने के लिए जब भी कोई स्वर बदलता है -
जैसे "आह" से "ई"
अगर वे ऐसा उचित समय पर करते हैं,
तो काले बक्से की बत्ती जल जाती है
और एक पांडा भालू एक ढ़ोल पीटता है
एक छह महीने के शिशु को यह काम बहुत भाता है.
हमने क्या सीखा?
कि दुनिया भर के बच्चे
हैं जो मैं कहना पसंद करती हूँ
विश्व के नागरिक;
और वो सभी भाषाओं के सभी स्वरों में भेद कर सकते हैं,
चाहे हम किसी भी देश में परीक्षण कर रहे हों और कोई भी भाषा इस्तेमाल कर रहे हों.
औरी यह असाधार्ण है क्योंकि आप और मैं ये नहीं कर सकते.
हमारे सुनने की शक्ति संस्कृति से जुड़ी है.
हम अपनी भाषा के स्वर पहचान सकते हैं,
लेकिन विदेशी भाषाओं के नहीं.
तो सवाल यह उठता है,
ये विश्व के नागरिक कब
हम जैसे भाषा से बंधे सुनने वाले बन जाते हैं?
और जवाब : उनके पहले जन्मदिन से पहले.
आप यहाँ जो देख रहे हैं वो है सर घूमने वाले कार्य पे प्रदर्शन
टोक्यो और अमरीका में परखे गए शिशुओं के लिए,
यहाँ सियाट्ल में,
जैसे वो "रा" और "ला" को सुनते हैं --
स्वर जो अँग्रेजीमें महत्वपूर्ण हैं, पर जापानी में नहीं.
तो छहसे आठ महीने तक बच्चे बिलकुल बराबरी पर हैं.
दो महीने बात एक विचित्र बात होती है.
अमरीका में बच्चे बेहतर होते जा रहे हैं,
और जापान में बदतर,
लेकिन शिशुओं के ये दोनों समूह
ठीक उसी भाषा की तैयारी कर रहे हैं जो वे सीखने जा रहे हैं.
तो सवाल यह है की क्या हो रहा है
इस दो महीने की विशेष अवधि में?
यह अवधि है स्वर विकास की,
लेकिन वहाँ ऊपर क्या हो रहा है?
तो दो चीज़ें हो रही हैं.
पहली यह की शिशु ध्यान से हमे सुन रहे हैं,
और हमें बात करते सुन कर गणनाकर रहे हैं --
वो गणना कर रहे हैं.
तो सुनिए दो माताओं को माओंकी विशेष भाषा में बात करते हुए --
वह सार्वलौकिक भाषा जो हम सब बच्चों से बात करते हुए इस्तेमाल करते हैं --
पहले अँग्रेजी में और फिर जापानी में.
(वीडियो) अँग्रेजी माँ : आह, मुझे तुम्हारी बड़ी नीली आँखें बहुत प्यारी लगती हैं --
कितनी सुंदर और अच्छी.
जापानी माँ : [जापानी]
पाइट्रिशिया कुहल : भाषा की उत्पत्ति में,
जबशिशु सुनते हैं,
तबदरअसल वो गणना कर रहे होते हैं
सुनाई देने वाली भाषा पर.
और ये वितरण बढ़ते रहते हैं.
और हमने यह सीखा है
कि बच्चे इन गाण्णा के बारे में संवेदनशील होते हैं,
और जापानी और अँग्रेजी के आंकड़े बहुत, बहुत अलग होते हैं.
अँग्रेजी में बहुत से र और ल होते हैं
वितरण यह दिखाता है.
और जापानी का वितरण बिलकुल अलग हैं,
जहां हम माध्यम स्वरों के झुंड देखते हैं,
जिसे जापानी र कहा जाता है.
तो बच्चे सोख लेते हैं
भाषा के आंकड़े
और यह उनके दिमाग को बदल देता है;
वह उन्हे विश्व के नागरिक से बदल देता है
हम जैसे संस्कृति से बंधे सुनने वालों में.
लेकिन व्यसको की तरह हम
अब उन आंकड़ों को सोख नहीं रहे.
हम अपनी यादों में उन अभ्यावेदन से बंधे हुए हैं
जो हमने प्रारम्भिक विकास में बनाए थे.
तो जो हम यहाँ देख रहे हैं
वह हमारे मॉडेल बदल रहा है इस बारे में कि महत्वपूर्ण अवधि क्या है.
हम गणित कि दृष्टि से इस बारे में बहस कर रहे हैं
कि भाषा सीखने कि प्रक्रिया धीरे हो जाती है
जब हमारा वितरण स्थिर हो जाता है.
यह द्विभाषिक लोगों के बारे में बहुत से प्रश्न खड़े कर रहा है.
द्विभाषीय लोगों को एक समय पर आंकड़ो के दो सेट दिमाग में रखने पड़ते हैं
और उनके बीच बदलते रहना पड़ता है, एक के बाद एक,
इस बात को देखते हुए कि वो किस से बात कर रहे हैं.
तो हमने अपने आप से पूछा,
क्या शिशु एक बिलकुल नयी भाषा के आंकड़े ले सकता है?
और हमने इसे परखा अमरीकी बच्चों को
जिन्हों ने कभी दूसरी भाषा नहीं सुनी थी
मंदारिन भाषा से परिचित कराया विशेष अवधि के दौरान.
हमे पता था कि जब एक भाषा बोलने वालों को परखा गया था
ताइपेई और सेयाट्ट्ल में मंदारिन भाषा के स्वरों पर,
तो उनहोने वही साँचा दिखाया.
6 - 8 महीने, वे बिलकुल बराबर होते हैं.
दो महीने बाद कुछ अजीब हो जाता है.
लेकिन ताईवानी बच्चे बेहतर हो रहे हैं, अमरीकी बच्चे नहीं
हमने इस दौरान अमरीकी बच्चों को इस दौरान अनुभव दिलाया
मंदारिन भाषा का
ये ऐसा था जैसे मदारिन रिश्तेदार एक महीने के लिए मिलने आए हों
और आप के घर में रहें
और 12 सेशन्स के लिए शिशुओं से बात करें.
और प्रयोगशाला में यह ऐसा दिखता है.
(विडियो) मंदारिन भाषी : [मंदारिन]
पी के : तो हमने इनके नन्हें दिमागों को क्या किया ?
(ठ्हाके)
हमें एक नियंत्रित समूह भी रखना पड़ा
यह यकीन करने के लिए की मात्र प्रयोगशाला में आने से
आपके मंदारिन के कौशल बेहतर नहीं हो जाते
तो शिशुओं का एक समूह आकर अँग्रेजी सुनतता था।
और हम रेखा चित्र से देख सकते हैं
की अँग्रेजी से संपर्क से उनकी मंदरीन भाषा सुधरी नहीं.
पर उन शिशुओं को देखिये क्या हुआ
जिनहे 12 सेशन के लिए मंदरीन से संपर्क कराया गया
वो ताइवान वाले शिशुओं जीतने अच्छे थे
जो इसे साढ़े दस महीने से सुन रहे थे.
इस बात नें यह दर्शाया
की शिशु नयी भाषा के आंकड़े लेते हैं.
आप जो भी उनके सामने रखें, वो उनपर आंकड़े लेंगे.
पर हम विचार कर रहे थे की क्या भूमिका होती है
इन्सानों की
इस सिखलाई की कवायद में.
तो हमने बच्चों के एक और समूह पर प्रयोग किया
जिसमे बच्चों को वही खुराक मिली, वही 12 सेशन,
लेकिन टीवी के ज़रिये
और एक और समूह जिनको सिर्फ आवाज़ सुनाई गयी
परदे पर टेडी बीयर देखते हुए.
और हमने उनके दिमाग के साथ क्या किया?
आप यहाँ देख रहें हैं परिणाम के स्वर -
बिलकुल कोई सिखलाई नहीं -
और वीडियो परिणाम -
कोई सिखलाई नहीं.
सिर्फ इन्सानों से ही
बच्चे अपने आंकड़े लेते हैं.
सामाजिक दिमाग नियंत्रण करता है
जब बच्चे अपने आंकड़े ले रहे होते हैं.
हम उनके दिमाग के अंदर घुस कर
यह होते हुए देखना चाहते हैं
जब बच्चे टीवी के सामने होते हैं,
बजाए इसके की इन्सानों के सामने.
शुक्र है हमारे पास एक नया यंत्र है,
मग्नेटोएंकेफलोग्राफी,
जो हमें यह करने देता है.
यह मंगल ग्रह से आया बाल सुखाने वाला यंत्र लगता है.
लेकिन यह बिलकुल सुरक्षित है,
बिलकुल शांत और गैर भेदी.
और हम मिलिमीटर शुद्धता की बात कर रहे हैं
स्पेसिय और
मिलीसेकंड शुद्धता के बारे में
306 स्कूइड्स का प्रयोग करते हुए -
ये सुपर क्ंड्क्टिंग
क्वांटम इंटरफ़ेस यंत्र होते हैं -
चुंबकीय संकेत पकड़ने के लिए
जो हमारे सोचते हुए बदल जाते हैं.
हमने विश्व में पहल करी है
शिशुओं को रिकार्ड करने में
एम ई जी यंत्र के द्वारा
जब वो सीख रहे होते हैं.
तो यह नन्ही एम्मा है.
ये छह महीने की है.
और ये अलग भाषाओं को सुन रही है
उसके कानों में लगे इयरफोन से.
आप देख सकते हैं, वो चल फिर सकती है.
हम उसके सिर पर नजर रख रहे हैं
एक टोपी के अंदर छोटे छोटे छर्रों की सहायता से,
तो वो स्वेछा से पूरी तरह से हिलने के काबिल है.
यह तकनीकी शक्ति का प्रदर्शन है.
हम क्या देख रहे हैं?
हम शिशु का दिमाग देख रहे हैं.
जैसे ही शिशु अपनी भाषा का स्वर सुनती है
तो स्वरों वाला हिस्से में प्रकाश हो जाता है,
और फिर उसके आस पास वाले हिस्सों में
जो हम सोचते हैं अनुकूलता से संबन्धित है,
दिमाग के अलग भागों को समन्वित करना,
और करणीय संबंध
दिमाग का एक हिस्सा दूसरे को सक्रिय करता है.
हम चल पड़े हैं
एक महान और स्वरणीय युग की ओर
ज्ञान और बच्चों के दिमाग के विकास के बारे में.
हम बच्चे के दिमाग को देख पाएंगे
जैसे वे किसी भावना का अनुभव कर रहे होंगे,
जब वो पढ़ना लिखना सीख रहे हों,
जैसे वो गणित का सवाल हल कर रहे हों,
जैसे उन्हे कोई विचार आए.
और हम दिमाग पे आधारित हस्तक्षेपों का आविष्कार कर सकेंगे
उन बच्चों के लिए जिनहे सीखने मे मुश्किल होती है.
जैसे कवियों और लेखकों ने वर्णन किया है,
मैं सोचता हूँ हम देख पाएंगे,
वह शानदार खुलापन
निरी और पूरी तरह खुलापन
बच्चे के दिमाग का.
बच्चों के दिमाग के बारे में छानबीन करते हुए,
हम गहरी सच्चाईयों को खोल पाएंगे
इस बारे में कि इंसान होने का मतलब क्या है,
और इस दौरान,
हो सकता है हम अपने दिमागोंको सीखने के लिए खुला रख पाएँ
अपनी पूरी ज़िंदगी.
धन्यवाद.
(तालियाँ)