WEBVTT 00:00:06.686 --> 00:00:09.031 "नाबालिग देखभालकर्ता" होने का क्या अर्थ होता है? 00:00:10.080 --> 00:00:12.450 जब कोई अपना बीमार हो जाता है 00:00:13.222 --> 00:00:16.561 तो सारा ध्यान उसकी, और उसकी ज़रूरतों में लग जाता है। 00:00:17.193 --> 00:00:19.968 पर अगर वह कोई और नहीं 00:00:20.123 --> 00:00:23.308 बल्कि आपके अपने माता या पिता हों, तो क्या होता है? 00:00:24.570 --> 00:00:30.002 आपको कैसा लगेगा अगर आप जब बच्चे हों या नाबालिग हों 00:00:30.209 --> 00:00:32.811 और आपके माता-पिता बीमार हो जाएं? 00:00:32.880 --> 00:00:35.816 जब मैं किशोरी थी, मुझे तो पता भी नहीं था 00:00:35.827 --> 00:00:37.509 कि मैं एक "नाबालिग देखभालकर्ता" थी। 00:00:37.509 --> 00:00:41.386 सब बच्चों की तरह मैं स्कूल जाती, अपने दोस्तों के साथ मस्ती करती। 00:00:41.922 --> 00:00:45.467 पर इन तस्वीरों के पीछे ऐसा क्या है जो हमें दिखाई नहीं दे रहा है? 00:00:46.651 --> 00:00:49.476 आपको उस छिपे हुए हिमशैल के बारे में बताने से पहले 00:00:50.691 --> 00:00:55.012 मैं ज़रा अतीत में ले जाना चाहती हूँ, आपको शुरू से बताना चाहती हूँ। 00:00:55.492 --> 00:00:58.875 अगर मैं आपसे पूछूं कि क्या बदला है और क्या वैसा ही रहा है, 00:01:00.040 --> 00:01:03.385 शायद आप मुझे कहेंगे मेरी उम्र के अलावा मुझे अब भी कुत्तों से प्यार है 00:01:03.565 --> 00:01:05.689 और मैंने अपने बालों का स्टाइल बदल लिया है। 00:01:06.041 --> 00:01:08.847 पर उन तस्वीरों में ऐसा क्या है जो नज़र नहीं आ रहा है? 00:01:08.963 --> 00:01:12.963 जिस बच्ची को आप बीच में देख रहे हैं 00:01:13.077 --> 00:01:14.867 वह कैसे आज की यह युवती बन गई, 00:01:14.876 --> 00:01:17.876 बायीं ओर खड़ी नाबालिग मैं की उम्र से गुज़रती हुई? 00:01:18.968 --> 00:01:22.207 अचानक मेरे परिवार को एक सुनामी ने झकझोर दिया। 00:01:22.481 --> 00:01:26.009 ऐसी सुनामी जो बढ़ती जा रही है, जब तक हमें तबाह नहीं कर देती। 00:01:26.655 --> 00:01:29.399 वह सुनामी जिसका नाम है स्वास्थ्य की समस्या। 00:01:29.629 --> 00:01:32.620 और जब ऐसी सुनामी आपके माता या पिता या दोनों को झकझोरती है 00:01:32.620 --> 00:01:34.845 और आप तब बच्चे या नाबालिग ही हों 00:01:34.845 --> 00:01:36.640 आप उन पर निर्भर हों, 00:01:36.640 --> 00:01:38.378 तो बहुत मुश्किल हो जाता है। 00:01:40.566 --> 00:01:43.853 और अगर मैं कहूँ कि वह स्वास्थ्य समस्या 00:01:44.352 --> 00:01:46.232 "मानसिक स्वास्थ्य" की समस्या है, तो? 00:01:47.785 --> 00:01:51.649 एक बेटे या बेटी के लिए वह बोझ बहुत असहनीय हो सकता है 00:01:51.904 --> 00:01:57.227 और अपरोध बोध, डर, गुस्से, उदासी से भरा हो सकता है, 00:01:57.227 --> 00:02:00.204 प्यार और नफ़रत की वैकल्पिक भावनाओं का चक्रवात सा होता है, 00:02:00.204 --> 00:02:04.043 हमेशा वह अत्यंत सावधानी बर्तने की भावना, 00:02:04.518 --> 00:02:10.162 ज़िम्मेदारियों का बोझ, ध्यान लगाने में मुश्किल होना 00:02:10.899 --> 00:02:13.716 और घर के काम काज भी करना, 00:02:13.746 --> 00:02:16.802 जैसे किराने का सामान लाना, छोटे भाई-बहनों की देखभाल करना 00:02:16.802 --> 00:02:19.158 या डॉक्टरों से बात करना व चिकित्सा का प्रबंध करना। 00:02:20.020 --> 00:02:22.165 या दूसरों की धौंस सहना, 00:02:22.165 --> 00:02:26.296 अपने माता-पिता के अजीब व्यवहार की वजह से। 00:02:27.269 --> 00:02:29.709 पर इसके साथ ही, 00:02:29.800 --> 00:02:32.733 आपको असली आपातकालीन समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है 00:02:32.733 --> 00:02:34.826 जिनके बारे में किसी ने आपको बताया नहीं। 00:02:35.252 --> 00:02:38.974 जैसे ऐसी स्थिति संभालना जब आपके माता या पिता 00:02:38.974 --> 00:02:42.015 को उन चीज़ों का आभास हो जिनका अस्तित्व ही नहीं : पागलपन। 00:02:42.787 --> 00:02:47.532 या पागलपन और अवसाद के दौरों से जूझना 00:02:47.532 --> 00:02:49.849 और आपको उसके बारे में किसी ने तैयार नहीं किया हो। 00:02:50.465 --> 00:02:54.531 या आत्महत्या की कोशिश करते देखना या उन्हें ऐसा करने से रोकना। 00:02:55.570 --> 00:02:57.487 और तो और, 00:02:57.497 --> 00:03:00.678 अपना आम जीवन भी जीना, 00:03:00.726 --> 00:03:02.923 हर रोज़ स्कूल जाना, पढ़ना... 00:03:02.923 --> 00:03:06.792 मेरे आज यहाँ होने की वजह है कि हमारे कंधों पर एक और बोझ आ जाता है 00:03:06.792 --> 00:03:10.105 कि आप अक्सर उस बारे में किसी और से बात नहीं कर सकते। 00:03:12.277 --> 00:03:16.372 अगर आप कहें कि आपके माता या पिता को कोई शारीरिक समस्या है, 00:03:16.372 --> 00:03:18.580 कैंसर या कोई और बीमारी है, 00:03:18.639 --> 00:03:21.658 तो कोई उन्हें उसका दोषी नहीं ठहराएगा, 00:03:21.658 --> 00:03:25.127 न ही उन्हें बुरे माता-पिता समझेगा या कमज़ोर मानेगा। 00:03:25.775 --> 00:03:29.400 आपके बारे में कोई यह नहीं सोचेगा कि आपमें आनुवांशिक रूप से कोई कमी है 00:03:29.400 --> 00:03:32.406 और आपकी तो किस्मत में लिखा है कि वह बीमारी आपको भी होगी। 00:03:33.026 --> 00:03:37.496 पर अगर आप कहें कि आपकी माताजी या पिताजी को अवसाद 00:03:37.544 --> 00:03:41.488 द्विध्रुवी विकार या स्किज़ोफ़्रीनिया है या अभी तक कोई निदान नहीं हो पाया है, 00:03:41.498 --> 00:03:43.328 या आप उनके व्यवहार का वर्णन करते हैं 00:03:43.379 --> 00:03:46.279 और कहते हैं : "माँ या पिताजी को कुछ तकलीफ़ है", 00:03:46.331 --> 00:03:49.251 बाहर की दुनिया के लोग बिल्कुल अलग तरह से प्रतिक्रिया करेंगे। 00:03:50.307 --> 00:03:53.628 आज तक भी, दुनियाभर में, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को 00:03:53.628 --> 00:03:56.347 समान नज़र से नहीं देखा जाता है। 00:03:57.436 --> 00:03:59.807 आज तक मानसिक स्वास्थ्य को हम सबके लिए 00:04:00.227 --> 00:04:01.657 अच्छा नहीं माना जाता है। 00:04:01.657 --> 00:04:04.908 और इससे समझने में देरी हो जाती है कि हमारे अंदर 00:04:04.938 --> 00:04:09.017 और हमारे अपनों के अंदर क्या हो रहा है, मदद मांगने और पाने में भी देर हो जाती है, 00:04:09.054 --> 00:04:11.334 और अक्सर इलाज हो ही नहीं पाता। 00:04:11.887 --> 00:04:15.799 और एक बेटी या बेटा होने के नाते तो आपके ऊपर बोझ और बढ़ जाता है। 00:04:18.017 --> 00:04:20.168 जो वातावरण आप अपने आस-पास महसूस करते हैं, 00:04:20.168 --> 00:04:23.421 घर के अंदर और बाहर बात करने की दिक्कत, 00:04:23.421 --> 00:04:25.621 उस लांछन, उस पक्षपात, उस शर्मिंदगी की वजह से 00:04:25.670 --> 00:04:29.315 हो सकता है आप अंदर ही अंदर घुटते रहें और किसी से कुछ न कहें। 00:04:29.402 --> 00:04:34.031 पर अकेलापन और चुप्पी एक नाबालिग के लिए बहुत बड़ा बोझ हो सकते हैं। 00:04:34.031 --> 00:04:36.510 मैंने इन हालात को कैसे सहन किया? 00:04:37.022 --> 00:04:39.324 उन तस्वीरों के परे क्या है जो दिखाई नहीं दे रहा? 00:04:39.338 --> 00:04:40.678 उस मुस्कान के पीछे? 00:04:41.585 --> 00:04:45.042 एक ढाल सी बनने लगी, अपने आप ही, 00:04:45.042 --> 00:04:48.612 जिसके पीछे मैं छिप जाया करती, बर्फ़ से बनी ढाल 00:04:48.645 --> 00:04:52.095 जो मुझे डर, गुस्से और दर्द को अंदर छिपाने देती 00:04:52.128 --> 00:04:55.272 और मुझे परेशान होने और मेरे आसपास के लोगों को परेशान करने से बचाती, 00:04:55.292 --> 00:04:58.525 और मैं वह सब करती रही जो मेरे साथी कर रहे थे 00:04:58.550 --> 00:04:59.834 पर साथ ही साथ उसकी वजह से 00:04:59.849 --> 00:05:02.092 मेरे और उनके बीच की दूरी बहुत बढ़ गई। 00:05:02.092 --> 00:05:04.733 क्योंकि मैं बाकियों के मुकाबले अधिक बड़ी हो गई। 00:05:05.633 --> 00:05:10.313 उसी समय एक मदद की पुकार भी थी, 00:05:10.313 --> 00:05:13.138 मदद की पुकार जो निकल ही नहीं पाती 00:05:13.138 --> 00:05:16.369 और जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता, यहाँ तक कि स्कूल में भी नहीं। 00:05:18.020 --> 00:05:21.770 उस ढाल में पहली दरार कब पड़नी शुरू हुई? 00:05:21.930 --> 00:05:25.630 रोशनी की वह पहली किरण कब दिखाई देने लगी? 00:05:26.476 --> 00:05:29.940 मुझे अभी तक याद है वह हमारे परिवार के मनोचिकित्सक 00:05:29.940 --> 00:05:32.994 जो परिवार से बाहर पहले इंसान थे जिनपर मैं भरोसा कर सकती थी 00:05:32.994 --> 00:05:36.020 जिनके साथ सारी बातें दिल खोलकर कर सकी और उन्होंने मुझे धीरे-धीरे 00:05:36.020 --> 00:05:39.370 अपने आसपास के भरोसेमंद लोगों को पहचानने, अपना नेटवर्क बढ़ाने में मदद की 00:05:39.370 --> 00:05:40.644 जो मेरी मदद कर सकते थे। 00:05:41.157 --> 00:05:43.560 पर मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात हुई 00:05:44.338 --> 00:05:49.821 कि मैंने इंटरनेट फ़ोरम पर दूसरे देशों के बेटियों और बेटों की कहानियाँ पढ़ी 00:05:49.853 --> 00:05:53.304 जिसकी वजह थी मेरे माता-पिता का भाषा के लिए प्रेम जो मुझे विरासत में मिला। 00:05:54.355 --> 00:05:57.014 मानसिक तौर पर बीमार माता-पिता के बच्चों की कहानियाँ 00:05:57.014 --> 00:05:59.221 सब अलग होती हैं, एक से बढ़कर एक होती हैं। 00:05:59.245 --> 00:06:01.965 पर एक बात जिससे मुझे हैरानी होती है जो हम सबमें है। 00:06:02.111 --> 00:06:05.256 कि हम अक्सर यह मानते हैं कि हम अकेले ही ऐसे हैं। 00:06:06.153 --> 00:06:09.595 पर सांख्यिकी के अनुसार, ऐसा असंभव है! हम जैसे तो दुनिया में करोड़ों हैं। 00:06:09.595 --> 00:06:13.724 फिर भी हम खुद को यह समझा लेते हैं कि हम जो अनुभव कर रहे हैं 00:06:13.724 --> 00:06:16.403 वैसा किसी ने कभी नहीं किया होगा। 00:06:16.680 --> 00:06:18.030 जानते हैं ऐसा क्यों होता है? 00:06:18.037 --> 00:06:20.566 क्योंकि हम बच्चों की कहानियों की बात नहीं करते। 00:06:22.777 --> 00:06:29.526 ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और कनाडा के बेटों, बेटियों और कार्यकर्ताओं की कहानियों से 00:06:30.538 --> 00:06:34.327 न केवल मैं उन भावनाओं को एक नाम दे पाई जो मैं महसूस कर रही थी 00:06:34.327 --> 00:06:37.519 और समझ पाई कि मेरे अनुभव की वजह से वह एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया थी, 00:06:37.709 --> 00:06:40.811 पर मैं यह भी समझ गई कि उन हालात से जूझने के लिए ही 00:06:40.954 --> 00:06:43.991 मुझमें कुछ सकारात्मक गुण उत्पन्न हुए थे। 00:06:44.841 --> 00:06:48.964 तो मैंने अपनी पहली अंतरमहाद्विपीय उड़ान भरी, अकेले, 00:06:49.044 --> 00:06:53.027 और वैंकूवर, कनाडा में स्पीकर बनकर अपनी पहली कान्फ़्रेंस के लिए चली आई, 00:06:53.788 --> 00:06:56.796 उन बेटों और बेटियों से मिलने, उनसे बात करने। 00:06:57.224 --> 00:07:00.624 यह मेरे लिए एक सकारात्मक, शक्तिशाली चिंतन का पल रहा है 00:07:00.862 --> 00:07:03.722 क्योंकि उनमें मैं वह कहानी देख पाई जो मैं जी रही थी, 00:07:03.746 --> 00:07:05.421 पर जिसे अभी लिखना बाकी था। 00:07:05.883 --> 00:07:09.378 उनमें मुझे वह दर्द दिखाई दिया, पर साथ ही मुक्ति की शक्ति भी मिली 00:07:09.430 --> 00:07:12.171 ताकि उस दर्द से परिवर्तन के बीज बना सकूँ। 00:07:12.216 --> 00:07:16.516 मैंने साहस, सहानुभूति, लचीलेपन के वह सकारात्मक गुण देखे 00:07:16.567 --> 00:07:20.130 यथा स्थिति को चुनौति देने की वह उत्सुकता जो मैंने अपने अंदर नहीं पहचाने थे, 00:07:20.130 --> 00:07:23.270 जबकि वे उनके अंदर से प्रतिबिम्बित होकर मुझे अपने अंदर भी दिखाई दिए। 00:07:23.928 --> 00:07:26.983 उनसे वह मुलाकात एक बहुमूल्य तोहफ़ा रहा है, 00:07:26.983 --> 00:07:29.270 जो मुझे आज तक ऊर्जा देता रहता है। 00:07:29.270 --> 00:07:32.886 और वह एक ऐसा तोहफ़ा है जो मैं इटली में, यूरोप में लेकर आना चाहती हूँ 00:07:32.886 --> 00:07:36.688 ताकि दूसरे "भूले बिसरे बच्चों" की मदद कर सकूँ 00:07:36.688 --> 00:07:39.735 उनके कंधों से थोड़ा सा यह बोझ हटा सकूँ। 00:07:40.495 --> 00:07:44.261 मेरी इच्छा है कि कोई भी बच्चा, चाहे नाबालिग हो या वयस्क 00:07:44.277 --> 00:07:47.364 कभी अकेला न महसूस करे जब उसके माता या पिता या दोनों 00:07:47.364 --> 00:07:49.496 किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित हो जाएँ। 00:07:50.113 --> 00:07:52.913 यह एक बहुत बड़ी कामना है मेरी, जिसके लिए सबकी मदद चाहिए 00:07:53.018 --> 00:07:57.922 क्योंकि नहीं तो, मैं ख़ुद को अपने कंधों पर 00:07:57.978 --> 00:08:00.648 दुनिया का बोझ ढोने से कैसे रोक पाऊँगी? 00:08:01.707 --> 00:08:03.667 और अब हम आते हैं आज की बात पर। 00:08:03.775 --> 00:08:07.787 2017 में दूसरे इतालवी बेटों और बेटियों, गायो, कार्लो और मार्को के साथ मिलकर 00:08:07.803 --> 00:08:10.533 हमने अपनी पहली इतालवी गैर लाभकारी संस्था बनाई 00:08:10.541 --> 00:08:12.601 बेटों और बेटियों द्वारा उन्ही के लिए बनाई गई 00:08:12.657 --> 00:08:15.877 ताकि बच्चों और नाबालिगों को बोलने का मौका दिया जाए, 00:08:15.927 --> 00:08:19.015 संस्थाओं में हमारे अधिकारों का समर्थन किया जाए 00:08:19.015 --> 00:08:22.204 और उसका नाम है कोमिप, मानसिक बीमारी से ग्रसित माँ-बाप के बच्चे, 00:08:22.216 --> 00:08:24.106 बेटियाँ और बेटे। 00:08:24.208 --> 00:08:27.550 हमने एक परियोजना शुरू की 00:08:27.550 --> 00:08:30.080 जो एक मिनी गाइड की तरह है जिसे मैंने लिखा है 00:08:30.080 --> 00:08:33.469 और जिसकी मुझे ज़रूरत थी जब मैं 15 साल की थी 00:08:33.469 --> 00:08:36.569 और जिसका शीर्षक है "जब माता या पिता बीमार हों 00:08:36.569 --> 00:08:40.049 मानसिक बीमारी से पीड़ित माता-पिता के बच्चों के लिए मिनी गाइड"। 00:08:40.786 --> 00:08:44.713 यह जनसाधारण की परियोजना है, जिसे क्राउडफंडिंग से शुरू किया गया, 00:08:44.753 --> 00:08:48.303 मेरे कुछ साथियों ने मेरी मदद की, उनमें से कुछ यहाँ थिएटर में मौजूद हैं. 00:08:48.303 --> 00:08:50.613 जो मेरे जैसी इच्छा रखते थे 00:08:50.653 --> 00:08:54.315 और जिन्होंने हमें शुरू करने और उड़ने का साहस दिया। 00:08:54.315 --> 00:08:59.095 इस परियोजना का उद्देश्य है कि इटली के हर स्कूल और सार्वजनिक पुस्तकालय, 00:08:59.125 --> 00:09:03.598 पारिवारिक परामर्श केंद्र और मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों में 00:09:03.598 --> 00:09:05.404 इस मिनी गाइड की एक कॉपी दान की जाए 00:09:05.409 --> 00:09:07.659 ताकि किसी बच्चे या किशोर या उनके परिवारों को कभी 00:09:07.659 --> 00:09:09.239 अकेलेपन का सामना न करना पड़े। 00:09:09.363 --> 00:09:12.153 ख़ासकर जिन बच्चों के माता-पिता अपनी बीमारी के बारे में 00:09:12.219 --> 00:09:15.427 अवगत नहीं हैं और न ही अपने विकार का इलाज करवा रहे हैं। 00:09:15.444 --> 00:09:17.504 हमें ऐसे बच्चों के बारे में भी सोचना है। 00:09:17.514 --> 00:09:19.562 काफ़ी देर तक मैं भी एक ऐसी बच्ची रही हूँ। 00:09:20.609 --> 00:09:23.281 पहले, जब मैंने इस परियोजना की योजना बनानी शुरू की 00:09:23.281 --> 00:09:26.874 मैंने ख़ुद से कहा, "मैं यह कभी नहीं कर पाऊँगी, मैं यह कैसे करूंगी?" 00:09:27.160 --> 00:09:30.074 फिर धीरे-धीरे मैंने आसपास के लोगों से मदद मांगी 00:09:30.155 --> 00:09:33.402 पेशेवर हाइकर गाइडों से भी कि वे लोगों को हाइक करवाते हुए 00:09:33.421 --> 00:09:36.141 मेरी कहानी दस मिनट में सुनाएँ 00:09:36.587 --> 00:09:39.165 और समाज से ऐसे लोग ढूंढें 00:09:39.165 --> 00:09:41.357 जिन्होंने ऐसा अनुभव न किया हो 00:09:41.424 --> 00:09:44.548 जो हमारे लिए परिवर्तन के डाकिए बनना चाहें 00:09:44.548 --> 00:09:47.469 और अपने शहर के पुस्तकालय के लिए हमारे कॉमिप से 00:09:47.556 --> 00:09:49.527 मिनी गाइड की कॉपी ले जाएँ। 00:09:49.925 --> 00:09:52.906 और अब हम बहुत से क्षेत्रों तक पहुंच चुके हैं, 00:09:52.915 --> 00:09:55.363 आओस्टा घाटी से सिसिली और सार्डीनिया तक। 00:09:55.363 --> 00:09:57.718 हम रुकने वाले नहीं, हम उन सब तक पहुंचना चाहते हैं। 00:09:57.748 --> 00:10:01.648 हमारी एक और इच्छा है कि हम संस्थाओं में एक जागरूकता उत्पन्न करें 00:10:01.684 --> 00:10:04.343 ताकि वे हमारे लिए और काम करें, साथ ही समाज के लिए, 00:10:04.343 --> 00:10:07.531 और मानसिक स्वास्थ्य में अधिक निवेश करें। 00:10:07.962 --> 00:10:10.465 हम एक और इच्छा पूरी कर रहे हैं 00:10:10.505 --> 00:10:14.625 और वह है स्कूलों में जाना, छात्रों से बात करना, बच्चों से बात करना। 00:10:14.751 --> 00:10:17.722 केवल देखभाल करने वाले ही नहीं, बेटियाँ, बेटे ही नहीं, पर वे सब। 00:10:17.722 --> 00:10:20.580 एक तरह का टूल बक्सा रखना 00:10:20.610 --> 00:10:24.227 ताकि भानवनाओं से निपट सकें, सकारात्मक और नकारात्मक दोनों, 00:10:24.246 --> 00:10:26.896 इससे पहले कि हालात और बिगड़ें 00:10:26.896 --> 00:10:29.621 जीवन की चुनौतियों से जूझने के लिए हमारे पास सारा सामान हो। 00:10:29.621 --> 00:10:31.381 ताकि जीवन बचा सकें। 00:10:32.283 --> 00:10:36.283 हमारे सामने की राह बहुत कठिन है। 00:10:36.286 --> 00:10:40.286 पर मैं एक बात यकीनन जानती हूँ 00:10:41.296 --> 00:10:43.988 कि मानसिक बीमारी से पीड़ित माँ-बाप के बच्चों में एक 00:10:44.026 --> 00:10:46.746 सकारात्मक गुण तो होता है 00:10:47.021 --> 00:10:49.386 और वह है यथा स्थिति में परिवर्तन लाने की उत्सुकता। 00:10:49.680 --> 00:10:52.380 इसीलिए मैं जानती हूँ कि उस लड़की की 00:10:52.403 --> 00:10:55.825 इच्छा ज़रूर पूरी होगी, आपकी मदद से भी। 00:10:55.914 --> 00:10:58.814 अगर इस कहानी ने आपके मन को छुआ, आपको प्रभावित किया, 00:10:58.829 --> 00:11:02.289 तो इसके बारे में बताएं, अपने दोस्तों, अपने सहकर्मियों को सुनाएँ। 00:11:02.309 --> 00:11:05.493 आइए मिलकर उस छोटे से दरवाज़े को खोलें जो हमारे लिए नहीं खुल पाया था। 00:11:05.493 --> 00:11:07.549 रोशनी को आने दें! 00:11:07.549 --> 00:11:09.217 धन्यवाद। 00:11:09.217 --> 00:11:11.897 (तालियाँ)