1 00:00:01,358 --> 00:00:03,587 आप ने कभी अकेलापन महसूस किया है? 2 00:00:04,842 --> 00:00:07,557 लोगों से जुड़ने के बेहद तेज़ ख्वाहिश, 3 00:00:07,581 --> 00:00:10,662 मगर ऐसा कोई नहीं जिस से मिलने का मन करे? 4 00:00:11,877 --> 00:00:14,689 या, वीकेंड शुरू हो रहा है, आप दूसरों के साथ होना चाहते हैं, 5 00:00:14,713 --> 00:00:20,266 मगर जैसे बाहर जाने की ताक़त न बची हो, और सारी शाम आप घर पे बैठे रहें, अकेले, 6 00:00:20,290 --> 00:00:21,796 नेटफलिक्स देखते हुए 7 00:00:21,820 --> 00:00:24,977 और अकेलापन पहले से भी गहरा होता चला जाये 8 00:00:25,001 --> 00:00:26,624 आपको एक प्रेत जैसे अटके हुए हों 9 00:00:26,648 --> 00:00:29,145 उन तमाम इंसानो के बीच जिन्हें रहना जीना आता है. 10 00:00:30,193 --> 00:00:34,252 मुझे अकेलापन ऐसा ही लगता है. 11 00:00:35,856 --> 00:00:37,241 मैं एक आर्टिस्ट हूँ, 12 00:00:37,265 --> 00:00:41,843 और मैं अपने जज़्बात अपनी कला के ज़रिए समझता हूँ. 13 00:00:42,846 --> 00:00:45,776 अगर आप अपनी भावनायें किसी से कहें, 14 00:00:45,800 --> 00:00:49,355 और उन्हें समझ आएँ और वो भी उन भावनाओं को समझें, 15 00:00:49,379 --> 00:00:52,866 तब ही एक गहरा दिली रिश्ता सा बन पाता है. 16 00:00:53,456 --> 00:00:57,687 इसीलिए आप सैकड़ों लोगों से घिरे होने पर भी, 17 00:00:57,711 --> 00:01:00,567 तमाम लोगों में भटकने के बाद भी, 18 00:01:00,591 --> 00:01:02,895 अकेलेपन में डूब सकते हैं. 19 00:01:02,919 --> 00:01:07,507 ऐसा इसलिए क्योंकि कहीं कोई गहरा रिश्ता पनप ही नहीं सका. 20 00:01:09,258 --> 00:01:12,070 मैं हमेशा से एक ख़ुशमिज़ाज बच्चा था. 21 00:01:12,094 --> 00:01:14,751 मेरे ख़्याल से मेरी एक भी ऐसी तस्वीर नहीं है 22 00:01:14,775 --> 00:01:17,752 जिसमें मैं मुस्कराता, मस्ती करता न दिखूँ. 23 00:01:17,776 --> 00:01:20,246 और मैं तब ऐसा ही था जब तक ... 24 00:01:20,270 --> 00:01:22,193 असल में, मैं अभी भी वैसा ही हूँ. 25 00:01:22,217 --> 00:01:26,477 और मेरे बहुत दोस्त यार थे 26 00:01:26,501 --> 00:01:30,102 जब तक कि, किशोरावस्था में, मैं एक नए शहर में आया 27 00:01:30,126 --> 00:01:32,947 कॉमिक आर्टिस्ट की अपनी पहली नौकरी करने. 28 00:01:33,857 --> 00:01:38,670 और उन तमाम युवा लोगों की तरह जो इस पृथ्वी पर फलते फूलते हैं, 29 00:01:38,694 --> 00:01:42,698 मैंने भी अपनी सारी ताक़त लगा कर ख़ुद को बस अपने काम में झोंक दिया. 30 00:01:43,816 --> 00:01:49,486 मगर जब आपके दिन का 90 फ़ीसदी वक्त 31 00:01:49,510 --> 00:01:51,608 नौकरी और तरक़्क़ी पाने में निकाल जाए, 32 00:01:51,632 --> 00:01:53,228 तो ज़ाहिर है आपको वक्त न मिलेगा 33 00:01:53,252 --> 00:01:56,189 कि जीवन के और बहुत ज़रूरी पहलुओं के बारे में सोचें, 34 00:01:56,213 --> 00:01:58,228 जैसे बाक़ी लोगों से आपके रिश्ते. 35 00:01:59,665 --> 00:02:04,353 बड़े होने पर दोस्तियाँ बरकरार रखना एक काम होता है. 36 00:02:05,520 --> 00:02:09,071 आपको लगातार जुड़े रहने की ज़रूरत होती है. 37 00:02:09,095 --> 00:02:11,668 आपको खुलना होता है, ईमानदार होना पड़ता है. 38 00:02:11,692 --> 00:02:13,811 और बस यही मेरी मुश्किल थी, 39 00:02:13,835 --> 00:02:16,848 क्योंकि मैं अपनी असली भावनाओं को छिपा कर रखता था 40 00:02:16,872 --> 00:02:19,096 और हमेशा खुश दिखने की कोशिश करता था 41 00:02:19,120 --> 00:02:21,488 बाक़ी सब लोगों को भी खुश रखने की कोशिश करता था, 42 00:02:21,512 --> 00:02:23,803 उनके समस्याओं को सुलझाने की कोशिश कर के. 43 00:02:24,843 --> 00:02:28,207 और मुझे पता है आप में बहुतों यही करते हैं, 44 00:02:28,231 --> 00:02:32,082 क्योंकि ये आसान रास्ता होता है अपनी मुश्किलों से जी चुरा के निकल जाने का. 45 00:02:32,106 --> 00:02:33,384 है ना? 46 00:02:33,408 --> 00:02:34,888 हम्म? हम्म? हम्म? 47 00:02:34,912 --> 00:02:37,174 (हंसी) 48 00:02:37,198 --> 00:02:38,348 ठीक है. 49 00:02:39,428 --> 00:02:42,213 फिर एक ऐसा मोड़ आया 50 00:02:42,237 --> 00:02:47,343 कि मैंने एक ऐसे सम्बंध में पड़ी जो भावनात्मक रूप से शोषण था. 51 00:02:47,367 --> 00:02:48,891 कुछ ही साल पहले की बात है. 52 00:02:49,492 --> 00:02:51,713 उसने मुझे सबसे अलग कर दिया 53 00:02:51,737 --> 00:02:55,370 और मुझे अकेलेपन में गहरा धकेल दिया. 54 00:02:56,565 --> 00:02:58,347 वो मेरे जीवन का सबसे ख़राब क्षण था, 55 00:02:58,371 --> 00:03:01,451 मगर वो मेरे लिए एक चेतावनी भी थी, 56 00:03:01,475 --> 00:03:03,463 क्योंकि उस क्षण में मैंने पहली बार 57 00:03:03,487 --> 00:03:06,552 जाना कि मैं अकेलेपन का शिकार थी. 58 00:03:08,354 --> 00:03:11,136 बहुत लोगों ने भी अपनी भावनाओं का कला में इज़हार किया है. 59 00:03:11,747 --> 00:03:16,246 हज़ारों किताबें, फ़िल्में, पेंटिंग, संगीत के टुकड़े, 60 00:03:16,270 --> 00:03:19,130 सब कलाकारों की भावनाओं से लबरेज़. 61 00:03:19,154 --> 00:03:21,966 तो मैंने भी आर्टिस्ट के तौर पर वही किया. 62 00:03:21,990 --> 00:03:24,228 अपनी भावनायें व्यक्त कीं. 63 00:03:25,199 --> 00:03:29,606 मैं अकेलेपन से निबटने में लोगों की मदद करना चाहती थी. 64 00:03:29,630 --> 00:03:32,253 हाँ, मैं उन्हें अकेलेपन का सच समझाना चाहती थी, 65 00:03:32,277 --> 00:03:36,241 अपनी कला से उन्हें वो अनुभव देना चाहती थी 66 00:03:36,265 --> 00:03:39,758 एक संवाद के रूप में, 67 00:03:39,782 --> 00:03:41,111 एक विडीओ गेम के ज़रिए. 68 00:03:42,825 --> 00:03:45,062 तो, हमारे गेम में --- 69 00:03:45,086 --> 00:03:48,431 हम इसे "अकेलेपन का समुंदर" कहते हैं -- (Sea of Solitude) 70 00:03:48,455 --> 00:03:50,956 आप केय नाम की व्यक्ति हैं, 71 00:03:50,980 --> 00:03:54,358 जो इतने भीषण अकेलेपन से जूझ रहा है कि 72 00:03:54,382 --> 00:03:56,696 उसकी अंदर की भावनायें -- 73 00:03:56,720 --> 00:03:57,958 उसका ग़ुस्सा, 74 00:03:57,982 --> 00:04:01,771 उसकी नाउम्मीदी, नाकामी -- 75 00:04:01,795 --> 00:04:03,774 बाहर आ जाती हैं, 76 00:04:03,798 --> 00:04:05,334 और वो एक दैत्य बन जाती है. 77 00:04:05,869 --> 00:04:08,086 ये गेम -- या -- केय --- 78 00:04:08,110 --> 00:04:11,093 असल में मैं ही हूँ 79 00:04:11,117 --> 00:04:15,222 और ये वो रास्ता है जो मैंने अपनी मुश्किलों से निपटने के लिए अखतियार किया. 80 00:04:16,309 --> 00:04:18,421 ये गेम, दरअसल, केय के दिमाग़ में चलता है, 81 00:04:18,445 --> 00:04:23,268 तो आप ऐसी दुनिया में चलते हैं जहां केय के आँसुओ से बाढ़ आ गयी है, 82 00:04:23,292 --> 00:04:27,494 और मौसम उस के मूड के हिसाब से बदलता है, 83 00:04:27,518 --> 00:04:29,461 जैसे जैसे उसका मूड बदलता है. 84 00:04:30,301 --> 00:04:35,620 और, केय केवल एक चीज़ पहनती है, 85 00:04:35,644 --> 00:04:37,497 केवल एक चीज़, 86 00:04:37,521 --> 00:04:39,130 अपना पिट्ठू बैग. 87 00:04:40,272 --> 00:04:44,973 ये वो भार है जो हम सब तज़िंदगी ढोते रहते हैं. 88 00:04:44,997 --> 00:04:48,252 और केय नहीं जानती है कि भावनाओं को सम्हालने का सही रास्ता क्या है. 89 00:04:48,276 --> 00:04:51,024 तो उसका पिट्ठू बैग बड़ा होता जाता है 90 00:04:51,048 --> 00:04:52,492 और फिर फट जाता है., 91 00:04:52,516 --> 00:04:56,794 और अंततः उसे अपनी मुश्किलों से लड़ कर उनसे आगे निकलना ही पड़ता है. 92 00:04:58,135 --> 00:05:03,221 हम अपनी कहानी में कई अकेलेपन के कई रूपों को लाते हैं. 93 00:05:04,443 --> 00:05:08,428 समाज से कट कर रहने से होने वाला अकेलापन अक्सर दिखता है. 94 00:05:09,041 --> 00:05:12,983 हमारे गेम में, केय का भाई, अपने स्कूल में धौंस या बुलींग का शिकार होता है, 95 00:05:13,007 --> 00:05:15,655 और बस छुप जाना या भाग जाना चाहता है. 96 00:05:15,679 --> 00:05:19,923 और हम उसे घने कोहरे से घिरे विशाल दैत्य पक्षी के रूप में देखते हैं. 97 00:05:21,317 --> 00:05:23,816 गेम खेलने वाले को उसके स्कूल से गुजरना होता है 98 00:05:23,840 --> 00:05:27,592 और उस अनुभव से भी, उस दर्द और हानि को 99 00:05:27,616 --> 00:05:29,437 झेलते हुए जो केय के भाई ने झेली, 100 00:05:30,488 --> 00:05:33,442 क्योंकि बहुत लम्बे समय तक, उस की सुनने वाला तक कोई नहीं था. 101 00:05:34,081 --> 00:05:39,513 मगर जैसे ही दोस्त और परिवार के लोग उस की बात पे ध्यान देना शुरू करते हैं, 102 00:05:39,537 --> 00:05:44,350 वो अपने इस तरह के अकेलेपन से निकलने का पहला कदम लेता है. 103 00:05:44,374 --> 00:05:48,343 हम संबंधो में मौजूद अकेलापन भी देखते हैं, 104 00:05:48,367 --> 00:05:53,139 जैसे जब पति-पत्नी सिर्फ़ बच्चों के लिए साथ रहने को मजबूर होते हैं 105 00:05:53,163 --> 00:05:56,022 मगर अंततः पूरे परिवार को पीड़ा देते हैं. 106 00:05:57,182 --> 00:06:03,279 हम गेम खेलने वाले को झगड़ते माँ-बाप के ठीक बीच पहुँच देते हैं, 107 00:06:03,303 --> 00:06:05,154 और उसे उनकी बीच का झगड़ा देखना होता है 108 00:06:05,545 --> 00:06:10,146 और माँ-बाप ये देखते तक नहीं कि उनकी बिटिया केय वही खड़ी है 109 00:06:10,170 --> 00:06:11,891 जब तक की वो टूट नहीं जाती. 110 00:06:13,016 --> 00:06:18,047 हम मानसिक बीमारी से होने वाले अकेलेपन को भी शामिल करते हैं, 111 00:06:18,071 --> 00:06:22,150 केय के बॉय-फ़्रेंड के ज़रिए जो डिप्रेशन से पीड़ित है 112 00:06:22,174 --> 00:06:24,692 और ये समझाता है कि कभी-कभी 113 00:06:24,716 --> 00:06:29,926 सबसे ज़रूरी होता है ख़ुद को ठीक और स्वस्थ रखना. 114 00:06:31,770 --> 00:06:35,233 ये बॉय-फ़्रेंड भी अपनी भावनाओं को छुपाता है, 115 00:06:35,257 --> 00:06:39,352 और एक अकेले रहने वाली सफ़ेद लोमड़ी के रूप में आता है. 116 00:06:39,376 --> 00:06:43,828 मगर जैसे ही वो अपनी गर्ल-फ़्रेंड केय से जुड़ता है, 117 00:06:43,852 --> 00:06:45,439 उसका नक़ाब उतर जाता है, 118 00:06:45,463 --> 00:06:48,829 और हमें अंदर एक काला कुत्ता दिखता है: 119 00:06:48,853 --> 00:06:50,152 वही डिप्रेशन है. 120 00:06:51,355 --> 00:06:54,623 कभी कभी हम मुस्करा कर 121 00:06:54,647 --> 00:06:58,304 समस्या का सामना करने के बजाय उसे टाल देते हैं, 122 00:06:58,328 --> 00:07:01,006 और वो उस समस्या को और जटिल बनाता है, 123 00:07:01,030 --> 00:07:03,138 आसपास के लोगों पर बुरा असर करता है 124 00:07:03,162 --> 00:07:05,220 और हमारे रिश्तों को ख़राब करता है. 125 00:07:07,561 --> 00:07:08,827 तो केय को ख़ुद 126 00:07:08,851 --> 00:07:13,281 हम अपनी मूल भावनाओं के बीच कटे-फटे रूप में दिखाते हैं. 127 00:07:14,457 --> 00:07:15,732 कुछ आपकी मदद करते हैं, 128 00:07:15,756 --> 00:07:17,880 कुछ आपको रोकते हैं, 129 00:07:18,994 --> 00:07:22,165 'ख़ुद पर संदेह' एक विशालकाय जानवर है, 130 00:07:22,189 --> 00:07:25,408 जो हमेशा केय को हमेशा नाकारा कहता है 131 00:07:25,432 --> 00:07:27,690 और उसे हार मानने को प्रेरित करता है. 132 00:07:28,167 --> 00:07:29,646 जैसे कि असल ज़िंदगी होती है, 133 00:07:30,531 --> 00:07:32,869 ख़ुद पर संदेह उसका रास्ता रोकता है, 134 00:07:32,893 --> 00:07:35,128 और उस से बचना नामुमकिन लगता है. 135 00:07:36,271 --> 00:07:40,705 ऐसे हर जगह मौजूद संदेह को हराने की लड़ाई धीमी गति से लड़ी जाती है. 136 00:07:40,729 --> 00:07:44,501 मगर गेम में, आप धीरे धीरे उसे छोटा कर देते हैं, 137 00:07:44,525 --> 00:07:46,981 और वो ख़ुद पर संदेह से 138 00:07:47,005 --> 00:07:48,791 ख़ुद के प्रति चौकसी में बदलता है, 139 00:07:48,815 --> 00:07:51,045 और आप आख़िर में, उसकी सलाह मान सकते हैं. 140 00:07:52,544 --> 00:07:55,251 हम "ख़ुद की बर्बादी" भी दिखाते हैं. 141 00:07:55,769 --> 00:07:57,391 बहुत बड़ी दैत्य है वो. 142 00:07:57,415 --> 00:08:00,722 हमेशा पानी के सतह के नीचे छुप के बैठने वाली 143 00:08:01,627 --> 00:08:04,635 यही इस गेम में असली दुश्मन है. 144 00:08:04,659 --> 00:08:08,673 और हमेशा आपको आंसुओं के समंदर में डुबाने की कोशिश में तत्पर. 145 00:08:09,432 --> 00:08:11,857 मगर जब वो आपको असल ने डुबाने लगती है. 146 00:08:11,881 --> 00:08:13,878 आप बस डूबने से कुछ ही पल पहले उठ जाते हैं, 147 00:08:13,902 --> 00:08:16,732 और आपको फिर आगे बढ़ने का मौक़ा मिलता है. 148 00:08:17,432 --> 00:08:19,913 हम दिखाना चाहते थे कि 149 00:08:19,937 --> 00:08:23,737 हम सब जीवन में मुश्किल दौर से गुजरते हैं, 150 00:08:23,761 --> 00:08:29,458 मगर थोड़ी सी कोशिश की जाए, और अपने लिए खड़े हुआ जाए, 151 00:08:29,482 --> 00:08:34,079 तो बहुत सम्भव है की हम अपनी मुश्किलों से लड़ सकें, 152 00:08:34,103 --> 00:08:35,599 एक एक कदम कर के. 153 00:08:37,742 --> 00:08:43,897 ख़ुशी ऐसी कोई चीज़ है जिसे केय कभी मिल नहीं सकती, छू नहीं सकती. 154 00:08:43,921 --> 00:08:46,675 वो बस दूर कही है. 155 00:08:46,699 --> 00:08:49,198 उसे हमने बचपन की छोटी सी केय के रूप में दिखाया है. 156 00:08:49,222 --> 00:08:50,590 एक पीली बरसाती ओढ़े हुए. 157 00:08:50,614 --> 00:08:53,834 और वो भी आँसुओ के समंदर के ख़तरे में है. 158 00:08:53,858 --> 00:08:57,101 मगर ख़ुशी भी पागलपन में बदल सकती है 159 00:08:57,125 --> 00:08:59,188 और केय को असल में नुक़सान पहुँचा सकती है, 160 00:08:59,212 --> 00:09:02,284 जैसे कि जब वो बस अपने बॉय-फ़्रेंड के लिए पागल हो जाती है. 161 00:09:02,974 --> 00:09:08,656 ख़ुशी तब तक अपने साधारण रूप में नहीं आती जब तक केय ये न समझे 162 00:09:08,680 --> 00:09:13,502 कि उसकी ख़ुशी किसी और की मोहताज नहीं होनी चाहिए 163 00:09:13,526 --> 00:09:15,700 बस वो अपने में खुश हो सकती है. 164 00:09:17,977 --> 00:09:20,904 तो हमारे दैत्य विशाल और डरावने दिखते हैं 165 00:09:20,928 --> 00:09:24,203 मगर अगर आप अपने डर को क़ाबू कर के उन तक पहुँचे तो, 166 00:09:24,227 --> 00:09:28,278 आप जल्द ही या पाते है की वो कोई भयंकर दैत्य नहीं हैं 167 00:09:28,302 --> 00:09:33,603 बल्कि कमजोर से जीव हैं जो बस ख़ुद ही अपनी ज़िंदगी से जूझ रहे हैं. 168 00:09:36,325 --> 00:09:39,062 और वो सारी भावनायें, 169 00:09:39,086 --> 00:09:42,511 चाहे ख़ुद पर शक हो या ख़ुद का नुक़सान हो, 170 00:09:42,535 --> 00:09:44,838 गेम में कभी पूरी तरह ख़त्म नहीं होते. 171 00:09:46,292 --> 00:09:52,190 इस का मुख्य संदेश है कि सिर्फ़ आनंद और ख़ुशी के पीछे न भागें 172 00:09:52,214 --> 00:09:55,164 बल्कि अपनी सारी भावनाओं को अपनाएँ 173 00:09:55,188 --> 00:09:57,365 और उनके बीच एक संतुलन बनाएँ, 174 00:09:59,138 --> 00:10:02,934 "सब ठीक है" कहना हमेशा ठीक नहीं है. 175 00:10:05,468 --> 00:10:09,099 हर किसी के पास अपने अकेलेपन की एक कहानी है. 176 00:10:09,123 --> 00:10:12,794 ये समझते ही मेरे लिए सब कुछ बदल गया. 177 00:10:13,910 --> 00:10:16,053 मैंने अपनी भावनाओं को खुल के अपनाया 178 00:10:16,077 --> 00:10:19,842 और अपने निजी जीवन पर ध्यान दिया, 179 00:10:19,866 --> 00:10:22,270 अपने दोस्तों, और परिवार पर भी. 180 00:10:23,274 --> 00:10:24,641 जब हमने ये गेम निकाला, 181 00:10:24,665 --> 00:10:27,985 तो हज़ारों लोगों ने हमें संदेश भेजे, 182 00:10:28,009 --> 00:10:30,606 अपनी कहानी हमें बताने के लिए 183 00:10:30,630 --> 00:10:35,439 और ये कि वो अब उतना अकेला महसूस नहीं करते हैं क्योंकि 184 00:10:35,463 --> 00:10:37,796 ये गेम खेलना उन्हें सहारा देता है. 185 00:10:38,497 --> 00:10:41,419 कई लोगों ने लिखा कि उन्हें आशा मिली 186 00:10:41,443 --> 00:10:45,102 अपने लिए एक भविष्य गढ़ने की, कई सालों में पहली बार. 187 00:10:45,955 --> 00:10:48,625 कई लोगों ने लिखा कि वो अब इलाज ले रहे हैं, 188 00:10:49,584 --> 00:10:54,054 बस क्योंकि उन्होंने हमारा गेम खेला 189 00:10:54,078 --> 00:10:57,060 और उन्हें अपनी परेशानियों से निबटने की हिम्मत जुटी. 190 00:10:59,155 --> 00:11:00,629 हमारा गेम कोई इलाज़ नहीं है. 191 00:11:00,653 --> 00:11:02,273 हमने इलाज़ बनाया भी नहीं है. 192 00:11:02,297 --> 00:11:05,217 बस मैं और मेरे कुछ दोस्त अपने दिल की बात बता रहे हैं 193 00:11:05,241 --> 00:11:07,932 कला और विडीओ गेम के ज़रिए. 194 00:11:07,956 --> 00:11:12,687 मगर हम तह-ए-दिल से हर संदेश के लिए शुक्रगुज़ार हैं 195 00:11:12,711 --> 00:11:14,447 कि लोगों को अच्छा महसूस हुआ, 196 00:11:14,471 --> 00:11:17,999 बस क्योंकि हमने अपनी आपबीती बनती, 197 00:11:19,456 --> 00:11:20,915 तो... 198 00:11:20,939 --> 00:11:27,932 मैंने दूसरों के समस्या सुलझाने की अपनी आदत पूरी तरह नहीं छोड़ी. 199 00:11:27,956 --> 00:11:30,129 मगर अब मैं उसे पूरी तरह छोड़ना चाहती भी नहीं. 200 00:11:30,740 --> 00:11:32,113 मुझे ये अच्छा लगता है. 201 00:11:32,137 --> 00:11:36,748 बस मुझे उसे संतुलन में लाना था, 202 00:11:36,772 --> 00:11:39,843 जिस से कि वो मुझे गहरे रिश्तों बनाने से न रोक सके, 203 00:11:39,867 --> 00:11:42,402 बल्कि और भी ज़्यादा लोगों से जुड़ने में मदद करे. 204 00:11:44,264 --> 00:11:47,743 तो अगर आप के अंदर दैत्य है 205 00:11:47,767 --> 00:11:51,456 जो ख़राब भावनाओं से पैदा हुआ है, 206 00:11:51,480 --> 00:11:54,915 तो सिर्फ़ उसे ख़त्म कर देना ही उद्देश्य नहीं है 207 00:11:54,939 --> 00:11:58,775 बल्कि हमें ये समझना होगा कि हम लोग काफ़ी जटिल प्राणी हैं. 208 00:11:59,918 --> 00:12:06,173 ये देखिए की आपकी ज़िंदगी का कौन सा हिस्सा बाक़ी सब हिस्सों पे हावी है. 209 00:12:06,920 --> 00:12:10,354 पता करिए क्या भावनाएँ आपको बस महसूस होती 210 00:12:10,378 --> 00:12:11,928 है और कौन सी ज़रूरत से ज़्यादा 211 00:12:11,952 --> 00:12:14,541 और उन हावी भावनाओं पर क़ाबू पाइए. 212 00:12:15,191 --> 00:12:17,772 सबसे ज़रूरी है कि हम ये समझें 213 00:12:17,796 --> 00:12:21,500 कि हमारी ये तमाम सारी छोटी बड़े भावनायें और जद्दोजहद 214 00:12:21,524 --> 00:12:23,939 ही वो चीज़ हैं जो हमें 215 00:12:23,963 --> 00:12:25,183 मनुष्य बनाती हैं. 216 00:12:26,162 --> 00:12:27,324 धन्यवाद. 217 00:12:27,348 --> 00:12:29,142 (तालियाँ)