सभी को नमस्कार।
आपसे बात करना मेरा सौभाग्य है,
और आज मैं जिस बारे में बात
करने जा रहा हूं, वह है किस्मत और न्याय
और उनके बीच का संबंध।
कुछ वर्ष पहले,
मेरे एक पूर्व छात्र ने मुझे फोन किया
अपनी बेटी के बारे में बात करने के लिए,
उनकी बेटी एक हाई स्कूल सीनियर थी,
स्वार्थमोर में प्रवेश लेने के लिए गंभीर थी
जहाँ मैंने पढ़ाया है,
और वह जानना चाहते थे
कि वह प्रवेश ले पाएगी या नहीं।
स्वार्थमोर जैसे महाविद्यालय में
प्रवेश पाना अत्यंत कठिन है।
तो मैंने कहा, "ठीक है,
मुझे उसके बारे में बताओ।"
और उसने मुझे उसके बारे में बताया,
उसके ग्रेड क्या थे, उसके बोर्ड के अंक,
उसकी अतिरिक्त गतिविधियाँ,
और वह एक सुपरस्टार की तरह लग रही थी,
अद्भुत, अद्भुत लड़की
तो मैंने कहा, “ये शानदार लग रही है।
वह बिलकुल ऐसी छात्रा लगती है
जो स्वार्थमोर लेना चाहेगा।"
तो उन्होंने कहा, "क्या इसका मतलब है
कि वो चुन ली जाएगी?"
और मैंने कहा, “नहीं।
स्वार्थमोर में उन सभी के लिए जो अच्छे हैं,
पर्याप्त जगह नहीं हैं
हार्वर्ड या येल या प्रिंसटन या स्टैनफोर्ड
में पर्याप्त जगह नहीं हैं।
गूगल या ऐमेज़ॉन या एप्पल
में पर्याप्त जगह नहीं हैं।
टेड कांफ्रेंस
में पर्याप्त जगह नहीं हैं।
बहुत लोग काफी अच्छे हैं,
और उनमें से कुछ ये हासिल नहीं कर पाएंगे।"
तो उसने कहा, "अच्छा, फिर हम क्या करें?"
और मैंने कहा, "यह बहुत अच्छा सवाल है।"
हमसे क्या करने की अपेक्षा की जाती है?
और मुझे पता है कि
कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने क्या किया है
निष्पक्षता के हित में,
वह मानकों को बढ़ाने का काम किया है
क्योंकि कम योग्य लोगों को स्वीकार
और बेहतर योग्य लोगों को अस्वीकार
करना उचित नहीं लगता है
इसलिए ये मानकों को
उच्च से उच्चतर बढ़ाते रहें
जब तक वे इतने उच्च नहीं हो जाते
कि आप केवल
उन छात्रों को स्वीकार कर सकते हैं
जो उतने योग्य हों।
और ये बहुत से लोगों की न्याय और निष्पक्षता
क्या है, इस भावना का उल्लंघन करता है।
अमेरिकी समाज के लोगों की इस बारे में
अलग-अलग राय है
कि किस प्रकार की प्रक्रिया सही है,
लेकिन मुझे लगता है कि एक बात है
जिससे ज्यादातर सहमत है,
कि एक उचित प्रणाली,
एक निष्पक्ष प्रणाली में,
लोगों को अपना हक़ मिलता है।
और जो मैं अपने पूर्व छात्र को बता रहा था
वो यह है कि जब बात कॉलेज प्रवेश की आती है,
यह सच नहीं है कि लोगों को वही मिलता है
जिसके वे हकदार हैं।
कुछ लोगों को वह मिलता है जिसके वे
हकदार हैं, और कुछ लोग को नहीं,
और ये बस ऐसा ही है।
जब आप कॉलेजों की आवश्यकताओं को
पूरा करते हैं,
आप एक पागल प्रतियोगिता बनाते हैं
हाई स्कूल के बच्चों के बीच,
क्योंकि यह अच्छा होने के लिए
पर्याप्त नहीं है,
यह काफी अच्छा होने के लिए
भी पर्याप्त नहीं है,
आपको हर उन सभी से बेहतर होना होगा
जो भी आवेदन कर रहा है।
और इसने क्या किया है,
इसने चिंता और अवसाद
की एक तरह की महामारी का योगदान दिया है,
जो सिर्फ हमारे किशोरों को कुचल रही है।
हम इस तरह की प्रतियोगिता की वजह से
एक पीढ़ी को बर्बाद कर रहे हैं।
जब मैं इस बारे में सोच रहा था,
तो मुझे लगा की मेरे पास इस समस्या
को हल करने का एक तरीका है।
और हम ये कर सकते हैं:
जब लोग कॉलेज में आवेदन करते हैं,
हम उन आवेदकों के बीच अंतर करते हैं
जो सफल होने के लिए पर्याप्त हैं
और जो नहीं हैं,
और हम उन लोगों को अस्वीकार करते हैं
जो सफल होने के लिए पर्याप्त नहीं हैं,
और तब हम बाकी बचे हुए को लेते हैं,
उनके नाम एक टोपी में रखते हैं,
और हम उन्हें यादृच्छिक रूप से उठाते हैं
और उन्हें स्वीकार करते हैं।
दूसरे शब्दों में, हम लॉटरी द्वारा
कॉलेज में प्रवेश लेते हैं,
और शायद हम लॉटरी द्वारा तकनीकी कंपनियों
में नौकरी की पेशकश करते हैं,
और - विचार नष्ट कर के-
हो सकता है कि हम TED में बात करने के लिए
आमंत्रित किए जाने के बारे में भी निर्णय
लॉटरी द्वारा लेते हों।
मुझे गलत मत समझना,
इस तरह की लॉटरी
अन्याय को खत्म करने वाली नहीं है।
अभी भी बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्हें
वो नहीं मिलता जिसके वो हकदार हैं।
लेकिन कम से कम यह निष्कपट है।
यह दिखावा के बजाय अन्याय का खुलासा
करता है,
और यह अविश्वसनीय दबाव के
गुब्बारे को छिद्रित करता है
जिसके नीचे हमारे हाई स्कूल के
बच्चे रह रहे हैं।
तो ऐसा क्यों है कि इस
उचित प्रस्ताव पर पूरी तरह से,
यदि मै ऐसा खुद से कहूं तो,
कोई गंभीर चर्चा नहीं करता है?
शायद मुझे पता है क्यों।
मुझे लगता है कि हमे इस विचार से नफरत है
कि जीवन में वास्तव में महत्वपूर्ण चीजें
भाग्य या संयोग से हो सकती हैं,
हमारे जीवन में वास्तव में महत्वपूर्ण चीजें
हमारे नियंत्रण में नहीं हैं।
मुझे इस विचार से नफरत है।
यह आश्चर्य की बात नहीं है कि
लोग इस विचार से नफरत करते हैं,
लेकिन यह चीजें बस इसी तरह से हैं।
सबसे पहले, कॉलेज प्रवेश
पहले से ही एक लॉटरी है
बस प्रवेश अधिकारी दिखावा करते हैं
कि ऐसा नहीं है,
तो इसके बारे में ईमानदार रहते हैं
और दूसरा,
मुझे लगता है कि अगर हम सराहना करते हैं
कि यह एक लॉटरी थी,
यह लगभग हम सबके जीवन में
सौभाग्य के महत्व को
स्वीकार करने के लिए भी मजबूर करेगा।
मुझे देख लो।
मेरे जीवन की लगभग सभी महत्वपूर्ण घटनाएं,
काफी हद तक,
सौभाग्य के परिणामस्वरूप हुई हैं।
जब मैं सातवीं कक्षा में था,
मेरे परिवार ने न्यूयॉर्क छोड़ दिया
और वेस्टचेस्टर काउंटी आ गए।
स्कूल की शुरुआत में ही सही,
मैं एक प्यारी युवा लड़की से मिला
जो मेरी दोस्त बन गई,
फिर मेरी सबसे अच्छी दोस्त बन गई,
फिर वह मेरी प्रेमिका बन गई
और फिर वह मेरी पत्नी बन गई।
खुशी से, 52 वर्षों से वह मेरी
पत्नी है।
मेरा इस बात से बहुत कम लेना-देना था।
यह एक भाग्यशाली दुर्घटना थी।
मैं कॉलेज गया,
और अपने पहले सेमेस्टर में मैंने
मनोविज्ञान की एक कक्षा में प्रवेश किया।
मुझे यह भी पता नहीं था कि
मनोविज्ञान क्या है,
पर इसने मेरे अनुसूची में फिट होकर
मेरी आवश्यकताओं को पूरा किया
तो मैंने इसे ले लिया।
और भाग्य से, कक्षा को
एक सुपरस्टार परिचयात्मक मनोविज्ञान,
एक किंवदंती शिक्षक द्वारा पढ़ाया गया।
जिस वजह से, मैं एक
मनोविज्ञान प्रमुख बन गया।
फिर मैं ग्रेजुएट स्कूल गया।
जिसका अंत होने वाला था।
स्वार्थमोर में पढ़ाने वाले
मेरे एक दोस्त ने फैसला किया
वह अब प्रोफेसर नहीं रहना चाहता था,
और इसलिए उन्होंने मेडिकल स्कूल
जाना छोड़ दिया।
जो काम वो करते थे, वो जगह खुल गयी।
मैंने आवेदन किया, मुझे यह मिला,
एकमात्र नौकरी जिसके लिए मैंने
कभी आवेदन किया है।
मैंने स्वार्थमोर में 45 साल पढ़ाया,
एक संस्थान जिसका मेरे व्यवसाय
के आकार पर काफी प्रभाव पड़ा।
और सिर्फ एक आखिरी उदाहरण के तौर पर,
मैं न्यूयॉर्क में अपने कुछ कामों के बारे
में बात कर रहा था,
और दर्शकों में कोई था
जो मेरे बोलने के बाद मेरे पास आया।
उसने अपना परिचय दिया।
उन्होंने कहा, “मेरा नाम क्रिस है।
क्या आप TED पर बात करना चाहेंगे? "
और मेरी प्रतिक्रिया थी, "TED क्या है?"
खैर, मेरा मतलब है, उन्होंने मुझे बताया,
और TED तब इतना मशहूर नहीं था जितना अब है।
लेकिन इतने वर्षों में,
मैंने टेड में जो वार्ता दी है,
उसको 20 मिलियन से अधिक
लोगों द्वारा देखा गया है।
तो निष्कर्ष यह है,
मैं एक भाग्यशाली व्यक्ति हूँ।
मैं अपनी शादी को लेकर खुश किस्मत हूँ।
मैं अपनी शिक्षा के लिए भाग्यशाली हूँ।
मैं अपने करियर को लेकर भाग्यशाली हूँ।
और मैं भाग्यशाली हूँ कि मुझे TED जैसा
एक मंच और एक आवाज मिली।
क्या मैं उस सफलता के लायक था
जो मेरे पास है?
निश्चित रूप से मैं इस के लायक हूँ,
जैसा कि आप शायद अपनी सफलता के लायक हैं।
लेकिन बहुत सारे लोग हमारी तरह
सफलताओं के हक़दार हैं,
जो उनको नहीं मिलती।
तो क्या लोगों को वह मिलता है
जिसके वे हक़दार हैं?
क्या समाज न्यायपूर्ण है?
बिलकुल नही।
कड़ी मेहनत करने और नियमों से खेलने के
बाद भी इस चीज की कोई गारंटी नही है।
अगर हम इस तरह के अन्याय की अनिवार्यता
और सौभाग्य की केंद्रीयता
की सराहना करते हैं,
हम खुद से पूछ सकते हैं
क्या जिम्मेदारियां हैं हमारी
उन सबके प्रति जिन्हें महामारी के इस समय
में हम नायक के रूप में मना रहे हैं
यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे सही रहें
और उनका जीवन बर्बाद न हो
जब एक गंभीर बीमारी
उनके परिवार को परेशान करती है
बीमारी से निपटने की वजह से?
क्या हम उनके कर्ज़दार हैं,
जो संघर्ष, कड़ी मेहनत करने के बाद भी
हमसे कम भाग्यशाली हैं?
लगभग आधी सदी पहले,
दार्शनिक जॉन रॉल्स ने "ए थ्योरी ऑफ़ जस्टिस"
नामक एक पुस्तक लिखी।
और उस पुस्तक में, उन्होंने एक अवधारणा पेश
की जिसे उन्होंने "अज्ञानता का पर्दा" कहा।
उन्होंने जो सवाल किया वह था:
यदि आप नही जानते कि
समाज में आपकी स्थिति क्या होने जा रही है,
तो आप किस तरह का समाज बनाना चाहेंगे?
और उन्होंने ये सुझाव दिया है
कि जब हम नही जानते कि क्या हम समाज में
सबसे ऊपर या सबसे नीचे से
प्रवेश करने जा रहे है,
हम चाहते हैं वह एक ऐसा समाज हो
जो बहुत समान है,
ताकि बदकिस्मत भी
सभ्य, सार्थक और संतुष्ट जीवन
जीने में सक्षम हो सके।
तो इसको वापस लायें, आप सभी भाग्यशाली,
सफल लोग, अपने समुदायों को,
और ऐसा करें जिससे ये सुनिश्चित हो
कि हम सम्मान करें और देखभाल करें,
जो लोग हमारी तरह सफलता के योग्य हैं,
लेकिन उतने भाग्यशाली नहीं है।
धन्यवाद।