2019 में, मानवता को एक चेतावनी मिली:
दुनिया के 30 अग्रणी वैज्ञानिकों ने
परिणाम जारी किए
वैश्विक कृषि के तीन साल के एक बड़े
अध्ययन की
और घोषणा की कि यह मांस उत्पादन
हमारे ग्रह को नष्ट कर रहा है
और वैश्विक स्वास्थ्य को खतरा है ।
अध्ययन के लेखकों में से एक ने समझाया
कि "मानवता अब एक खतरा बन गया है
ग्रह की स्थिरता पर ...
[इसके लिए आवश्यक है]
एक नई वैश्विक कृषि क्रांति की । "
मैने पिछले दो दशक लगाये हैं
औद्योगिक मांस उत्पादन से दूर
होने की वकालत करने में ,
मैंने विश्वास किया कि यह स्पष्टीकरण
एक फर्क करेगा ।
पर, मैंने इस तरह पहले देखा है
बार-बार और कई दशकों तक।
यहां "नेचर" जर्नल से 2018 है
2017 से "बायोसाइंस जर्नल,"
2016 से नेशनल
विज्ञान अकादमी।
इन अध्ययनों का मुख्य मुद्दा
जलवायु परिवर्तन होता है।
लेकिन एंटीबायोटिक प्रतिरोध
भी एक बड़े खतरे के रूप में दीखता है।
हम बड़े पैमाने पर खेत जानवरों को
एंटीबायोटिक दवाएं खिला रहे हैं।
ये एंटीबायोटिक्स बाद में
सुपरबग में उत्परिवर्तन होते हैं
जिससे एंटीबायोटिक्स अप्रचलित होने
का खतरा होता है
हमारे सभी के जीवनकाल में ।
आपको एक डर बताऊँ ?
गूगल किजिए "काम करने वाले
एंटीबायोटिक्स का अंत।"
मैं पहले एक चीज़ स्पष्ट कर दूं :
मैं यह बताने नहीं आया हूं
कि क्या खाना चाहिए।
व्यक्तिगत कार्य बढ़िया है,
लेकिन एंटीबायोटिक प्रतिरोध
और जलवायु परिवर्तन -
इन्हे अधिक की आवश्यकता है।
वैसे भी दुनिया को कम मांस खाने के लिए
समझान कभी काम नहीं किया है।
पिछले 50 वर्षों से , पर्यावरणविदों,
वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और
पशु कार्यकर्ता
जनता से विनती कर रहे है
कम मांस खाने के लिए।
और फिर भी, प्रति व्यक्ति मांस की खपत
पूरे इतिहास में सबसे ज्यादा है ।
पिछले साल औसतन एक उत्तरी अमेरिकी
ने 200 पाउंड से अधिक मांस खाया।
और मैंने कोई नहीं खाया।
(हँसी)
जिसका मतलब है कि किसी और ने
400 पाउंड मांस खाया।
(हँसी)
हमारे वर्तमान बढोतरी स्तर पर,
हमें 2050 तक 70 से 100 प्रतिशत
अधिक मांस उत्पादन की ज़रुरत होगी ।
इसके लिए वैश्विक समाधान चाहिए ।
हमें आवश्यकता है, ऐसा मांस उत्पादन
करने की जिसे लोग पासन्द करें ,
लेकिन हमें बनाना होगा एक
बिलकुल नए तरीके से।
मेरे पास कुछ विचार हैं।
आइडिया नंबर एक:
चलो पौधों से मांस उगाते हैं।
पौधों के बढ़ने के बजाय,
उन्हें जानवरों को खिलायें ,
और उस अक्षमता के सभी,
उन पौधों को उगाओ,
उनके साथ बायोमिमिक मांस,
पौधे आधारित मांस बनाया जाये ।
आइडिया नंबर दो: वास्तविक पशु मांस के लिए,
इसे सीधे कोशिकाओं से विकसित करें ।
जीवित जानवरों के बढ़ने के बजाय,
सीधे कोशिकाओं को विकसित करें ।
एक चिकन को छह हफ्ते लगते हैं
बढ़ने और वध करने के लिए
सीधे कोशिकाओं को विकसित कर,
वही विकास मिल सकता हैं
छह दिनों में।
ऐसा पैमाने पर दिखता है।
यह आपके पड़ोस का मांस कारखाना है ।
(हँसी)
इसके बारे में दो बातें बताऊंगा ।
पहला, हमें विश्वास है कि हम यह
कर सकते हैं।
हाल में, कुछ कंपनियों
पौधों से मांस का उत्पादन कर रही हैं
जिसे उपभोक्ता अंतर नहीं कर सकते
वास्तविक पशु मांस से,
और अब दर्जनों कंपनियां हैं
वास्तविक पशु मांस बना रहीं हैं
सीधे कोशिकाओं से।
यह पौधे आधारित और कोशिका आधारित मांस है
उपभोग्ताओं को वो सब देता है
जो वे मांस में पसंद करते हैं
स्वाद, बनावट और वगेरा -
लेकिन एंटीबायोटिक दवाओं के बिना
और यह सिर्फ एक अंश प्रतिकूल जलवायु
पर प्रभाव से ।
और क्योंकि ये दोनों प्रौद्योगिकियां
बहुत ही कुशल हैं,
उत्पादन पैमाने पर
ये उत्पाद सस्ते होंगे।
पर इसके बारे में एक और बात -
यह आसान नहीं होगा।
ये प्लांट बेस्ड कंपनियों ने उनके
बर्गर पर कुछ राशि खर्च की हैं,
और सेल आधारित मांस अभी तक
व्यावसायीकरण किया गया है।
तो हमें सभी के साथ की जरूरत पड़ेगी
इनको वैश्विक मांस उद्योग बनाने के लिए।
शुरु में, हमें वर्तमान मांस उद्योग
की जरूरत है ।
हम मांस उद्योग बाधित नहीं
करना चाहते हैं ,
हम इसे बदलना चाहते हैं।
हमें अर्थव्यवस्था पैमाने
की ज़रुरत है,
उनकी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला,
उनकी वितरण विशेषज्ञता
और उनके बड़े उपभोक्ता आधार।
हमें सरकारों की भी जरूरत है।
सरकारें करोड़ों-अरबों डॉलर खर्च करती हैं
हर एक साल में
अनुसंधान और विकास पर
वैश्विक स्वास्थ्य और पर्यावरण पर ।
उन्हें उसका कुछ पैसा
सुधर में लगाना चाहिए
प्लांट-आधारित का और सेल आधारित
मांस का उत्पादन।
देखो, हजारों लोग मारे हैं
एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी सुपरबग्स से
उत्तरी अमेरिका में पिछले साल ही।
2050 तक, वह संख्या होने जा रही है
वैश्विक स्तर पर प्रति वर्ष 10 मिलियन।
और जलवायु परिवर्तन
एक खतरा मौजूद है
हमारे विशाल वैश्विक परिवार के लिए,
जिसमें कुछ सबसे गरीब लोग भी हैं।
जलवायु परिवर्तन, एंटीबायोटिक प्रतिरोध -
ये वैश्विक आपात स्थिति हैं।
मांस उत्पादन में तेजी आ रही है
वैश्विक स्तर पर ये आपात स्थिति हैं।
लेकिन हम मांस की खपत को कम
नहीं कर रहे हैं
जब तक हम उपभोक्ताओं को विकल्प नहीं देंगे
जो उसके बराबर या कम दाम में हो
और स्वाद में वही या बेहतर हो ।
हमारे पास समाधान है।
चलिए पौधों से मांस बनायें ।
चलिए इसे सीधे कोशिकाओं से विकसित करें।
अब समय है कि हम जुट जाएँ वे
संसाधन इकठा करें जो आवशयक हैं
अगले वैश्विक कृषि क्रान्ति
बनाने के लिए ।
धन्यवाद।
(तालियां)