इससे पहले कि मैं वहाँ पहुंचुं जो मुझे कहना है, मैं अपने बारे में कुछ बातें बताने के लिए बाध्य महसूस कर रहा हूँ। मैं कोई रहस्यवादी नहीं हूँ, कोई आध्यात्मिक प्रकार का इन्सान। मैं विज्ञान का लेखक हूँ। मैंने कॉलेज में भौतिक शास्त्र का अध्ययन किया। मैं NPR के लिए वैज्ञानिक संवाददाता था। इतना कहने के बाद: राष्ट्रीय सार्वजनिक रेडियो NPR के लिए एक कहानी पर काम करते समय, मुझे एक खगोलशास्त्री से कुछ सलाह मिली जिसने मेरे दृष्टिकोण को चुनौती दी, और सच कहूँ, मेरा जीवन बदल दिया। देखिए, कहानी एक ग्रहण के बारे में थी, आंशिक सूर्य ग्रहण जो मई, १९९४ को देश से गुज़रने वाला था। वह खगोलशास्त्री... मैंने उनका इंटरव्यू लिया, और उन्होंने समझाया कि क्या होने वाला है और उसे कैसे देखना चाहिए, पर उन्होंने जोर दिया, चाहे आंशिक सूर्य ग्रहण कितना ही रोचक हो, अधिक दुर्लभ संपूर्ण सूर्य ग्रहण एकदम भिन्न होता है। संपूर्ण सूर्य ग्रहण में, पूरे दो या तीन मिनट के लिए, चंद्रमा पूरी तरह सूर्य की सतह को आच्छादित करके उसका सृजन करता है, जिसे उन्होंने संपूर्ण प्रकृति में अति-विस्मयकारी चमत्कार के रूप में वर्णित किया। तो उन्होंने मुझे यह सलाह दी: उन्होंने कहा, "मरने से पहले, तुम्हें अपने लिए इतना करना होगा कि संपूर्ण सूर्य ग्रहण का अनुभव करो।" सच कहूँ, मुझे थोड़ा अजीब लगा एक ऐसे इन्सान से यह सुनना जिससे मैं भली-भांति परिचित भी नहीं था; एक प्रकार से अंतरंग सा महसूस हुआ। पर उस बात ने मेरा ध्यान आकर्षित कर लिया, और मैंने कुछ शोध किया। संपूर्ण सूर्य ग्रहण की बात यह है, अगर आप इंतज़ार करेंगे कि कोई आप तक आएगा, तो बहुत लंबे समय तक इंतज़ार करना होगा। पृथ्वी पर कोई भी बिंदु ४०० सालों में एक बार संपूर्ण ग्रहण का अनुभव करता है। पर यदि आप यात्रा करने के लिए तैयार हों, तो इतना इंतज़ार नहीं करना पड़ता। और मैंने जाना कि कुछ साल बाद, 1998 में, एक संपूर्ण सूर्य ग्रहण कैरिबियन से गुज़रने वाला था। अब, एक संपूर्ण सूर्य ग्रहण केवल एक संकीर्ण मार्ग पर दिखाई देता है, लगभग एक सौ मील चौड़ा, और चंद्रमा की छाया वहीं पड़ती है। उसे कहते हैं "संपूर्णता का मार्ग।" और फरवरी १९९८ में, संपूर्णता का मार्ग अरूबा से होकर गुज़रने वाला था। तो मैंने अपने पति से कहा, हमने सोचा; फरवरी? अरूबा? वैसे भी अच्छा विचार लग रहा था। (हंसी) तो हम दक्षिण की ओर चल पड़े, सूर्य का आनंद उठाने और देखने कि क्या होता है जब सूर्य कुछ पल के लिए गायब हो जाए। ग्रहण के दिन हम और बहुत से अन्य लोग हयात रीजेंसी के पीछे, समुद्री तट पर, शो के शुरू होने की प्रतीक्षा में, इकट्ठे हो गए। और हमने ग्रहण देखने वाले चश्मे पहने थे जिनकी गत्ते की फ्रेमें थीं और बहुत गहरे लेंस ताकि हम सूर्य को सुरक्षित देख सकें। संपूर्ण सूर्य ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण की तरह ही शुरू होता है, जब चंद्रमा धीरे-घीरे सूर्य के आगे आ जाता है। तो पहले ऐसे लगा कि सूर्य का किनारा थोड़ा सा कटा हुआ था, और फिर वह कटाव बढ़ा और बढ़ता गया, सूर्य को एक नवचंद्र के आकार का बना दिया। और वह सब बहुत रोचक था, परंतु मैं उसे बहुत शानदार नहीं कहूँगा। मेरा मतलब, दिन उतना ही उज्जवल रहा। अगर मैं नहीं जानता कि आसमान में क्या हो रहा है, तो मुझे कुछ भी अजीब ना दिखाई देता। जब संपूर्ण सूर्य ग्रहण के शुरू होने में बस १० मिनट बचे थे, विचित्र बातें होनी शुरू हो गईं। शीतल पवन सी बहने लगी। दिन का प्रकाश कुछ विचित्र लगने लगा, परछांइयाँ अनोखी सी दिखने लगीं; उनमें अजीब सी स्पष्टता दिखने लगी, जैसे किसीने टीवी का वैषम्य बढ़ा दिया हो। तब मैंने खुले समुद्र में देखा, और मैंने नौकाओं को प्रकाशित देखा, तो स्पष्ट है कि अँधेरा हो रहा था, हालांकि मुझे एहसास नहीं हुआ था। जल्द ही, जाहिर हो गया कि अँधेरा हो रहा था। ऐसा महसूस हुआ कि मेरी आँखों की रोशनी जा रही थी। और फिर अचानक, अँधेरा हो गया। उस पल, समुद्र तट से प्रसन्नता की लहर उभर आई, और मैंने अपने ग्रहण वाले चश्मे उतार दिए, क्योंकि संपूर्ण सूर्य ग्रहण में इस पल, सूर्य को बिना चश्मे के देखना सुरक्षित था। और मैंने ऊपर की ओर देखा, और मैं हक्का-बक्का रह गया। अब, सोचें कि इस समय, मैं ३० के दशक के मध्य में था। मैं पृथ्वी पर इतने साल जी चुका था कि मैं जानता था आसमान कैसा दिखता है। मेरा मतलब... (हंसी) मैंने नीले आसमान और धुंधले आसमान और तारों से जगमगाते और गुस्से वाले आसमान और सूर्योदय के गुलाबी आसमान देखे थे। पर ऐसा आसमान मैंने आज तक नहीं देखा था। पहले तो वे रंग थे। सबसे ऊपर, गहरा बैंगनी धुंधला सा रंग, जैसे गोधूलि। पर क्षितिज पर नारंगी रंग था, सूर्यास्त की तरह, ३६० डिग्री। और ऊपर, गोधूलि में, चमकदार तारे और ग्रह बाहर आ गए थे। तो वहाँ बृहस्पति था, और बुध था और शुक्र था। वे सभी एक रेखा में थे। और फिर, इसी रेखा के पास, यह चीज़ थी, यह शानदार, विस्मयकारी चीज़। चांदी की तारों से बुने हुए हार की लग रही थी, वह बस झिलमिलाती हुई सी अंतरिक्ष में लटकी थी। वह था सूर्य का बाहरी वातावरण, सौर प्रभामंडल। और तस्वीरें इसका सही विवरण नहीं कर पातीं। यह सूर्य के बाहर केवल एक छल्ला या आभामंडल नहीं है; इसकी बहुत ही महीन बनावट है, जैसे यह रेशम के धागों से बना हो। हालांकि वह हमारे सूर्य जैसा बिल्कुल नहीं दिख रहा था, मैं तो जानता था कि वह वही था। तो वह सूर्य था और ग्रह भी थे, और मैं देख सकता था कि ग्रह सूर्य की परिक्रमा कैसे करते हैं। ऐसा था कि मैं अपने सौर मंडल को छोड़कर किसी अनजान संसार में, सृजन को देखते हुए खड़ा था। और जीवन में पहली बार, मैं ब्रह्माण्ड से एक असंगत रूप में उसकी पूर्ण विशालता से जुड़ गया। समय थम गया, या एक तरह से अवास्तविक सा महसूस हुआ, और जो मैंने अपनी आँखों से देखा... मैंने सिर्फ़ देखा ही नहीं, बल्कि अलौकिक सौंदर्य की तरह महसूस किया। और मैं उस निर्वाण में खड़ा रहा पूरे १७४ सेकंड्स... तीन मिनट से कुछ कम... जब अचानक सब सामप्त हो गया। सूर्य बाहर आ गया, नीला आसमान वापिस आ गया, सितारे और ग्रह और प्रतिभामंडल गुम हो गए। संसार सामान्य हो गया। पर मैं बदल गया था। और इस तरह मैं एक ग्रहण प्रेमी बन गया... ग्रहण का पीछा करने वाला। (हंसी) तो, मैं अपना समय और मेहनत से कमाया पैसा इस तरह खर्च करता हूँ। मैं हर दो सालों के बाद, जहाँ भी चंद्रमा की छाया गिरेगी अंतरिक्षीय आनंद के कुछ पलों का अनुभव लेने निकल पड़ता हूँ, ताकि आस्ट्रेलिया में दोस्तों से, जर्मनी के एक पूरे शहर से, अनेक लोगों से अपना अनुभव बांट सकूँ। १९९९ में, म्यूनिक में, मैं हज़ारों के साथ था जो सड़कों और छतों के ऊपर थे, और जब सौर प्रतिभामंडल उभरा तो एक साथ चिल्ला रहे थे। और समय के साथ, मैं कुछ और भी बन गया हूँ: ग्रहण प्रचारक। मैं इसे अपना कर्त्तव्य समझता हूँ कि मुझे वर्षों पहले मिली सलाह को आगे पहुँचाऊँ। तो आपको बताता हूँ: इससे पहले कि आप मरें, आपको अपने लिए इतना करना होगा कि संपूर्ण सूर्य ग्रहण का अनुभव करें। यह विस्मय का चरम अनुभव है। अब, यह शब्द "विस्मयकारी" इतना इस्तेमाल किया जाता है कि यह अपना मूल अर्थ ही खो चुका है। हमारे जीवन में कुछ विशाल और भव्य होने पर असली विस्मय, आश्चर्य की भावना और निरर्थकता, अत्यंत दुर्लभ है। पर जब उसका अनुभव करते हैं, वह प्रबल है। विस्मय अहंकार को लुप्त कर देता है। यह हमें जुड़ा हुआ महसूस करवाता है। दरअसल, यह सहानुभूति और उदारता को बढ़ावा देता है। कोई भी चीज़ संपूर्ण सूर्य ग्रहण से अधिक विस्मयकारी नहीं हो सकती। दुर्भाग्यवश, बहुत कम अमरीकियों ने यह देखा है, क्योंकि ३८ वर्ष हो गए हैं जब इसने अंतिम बार महाद्वीपीय संयुक्त राज्य अमरीका को छुआ था, और ९९ वर्ष हो गए हैं जब अंतिम बार पूरे देश की चौड़ाई से गुज़रा था। पर वह बदलने वाला है। अगले ३५ वर्षों में, महाद्वीपीय संयुक्त राज्य अमरीका में पाँच संपूर्ण सूर्य ग्रहण होंगे, और उनमें से तीन खासकर शानदार होंगे। आज से छह हफ्तों बाद, २१ अगस्त, २०१७ को... (तालियाँ) चंद्रमा की छाया ओरेगॉन से साउथ कौरोलाइना तक जाएगी। ८ अप्रैल, २०२४ को चंद्रमा की छाया उत्तर की ओर टैक्सास से मेन तक जाएगी। २०४५ में, १२ अगस्त को, मार्ग कैलिफ़ोर्निया से फ्लोरिडा तक जाएगा। मैं कहता हूँ: कैसा हो अगर हम इन्हें अवकाश घोषित कर दें? कैसा हो अगर हम... (हंसी) (तालियाँ) (चियर्स) कैसा हो अगर चंद्रमा की छाया में, हम सब एक साथ खड़े हों, जितने ज़्यादा लोग हो सकते हैं? हो सकता है, यह विस्मय का साझा अनुभव हमारे मतभेदों को सुलझाने में मदद करे, हम एक-दूसरे से थोड़ा अधिक मानवीय व्यवहार करने लगें। अब, बेशक, कुछ लोग मेरे इस प्रचार को थोड़ा सा मेरा जुनून, मेरी सनक समझते हैं। मेरा मतलब, इतनी संक्षिप्त घटना पर अपना ध्यान केंद्रित क्यों करें? क्यों उसके लिए दुनिया को पार करना, या राज्य सीमाओं के पार जाना... जो बस तीन मिनट तक ही रहता है? जैसा मैंने कहा: मैं कोई आध्यात्मिक इन्सान नहीं हूँ। मैं ईश्वर को नहीं मानता काश मैं मानता होता। पर जब अपनी नश्वरता के बारे में सोचता हूँ... और मैं बहुत अधिक सोचता हूँ... जब मैं सोचता हूँ कितनों को खो चुका हूँ, विशेषकर मेरी माँ, मुझे आरूबा के उस विस्मय के पल से सांत्वना मिलती है। मैं उस समुद्र तट पर खुद की कल्पना करता हूँ, उस आसमान की ओर देखते हुए, और वह एहसास याद करता हूँ। मेरा अस्तित्व चाहे अस्थायी हो, पर वह ठीक है, क्योंकि, हे ईश्वर, देखो तो मैं किसका हिस्सा हूँ। तो, मैंने यह सबक सीखा, और यह सामान्य रूप से जीवन में लागू होता है: अनुभव की अवधि प्रभाव के बराबर नहीं होती। एक सप्ताहांत, एक वार्तालाप... एक नज़र... सब बदल सकती है। दूसरे लोगों से गहरे संबंध, प्राकृतिक संसार से संबंध, उन पलों को संजो के रखें और उन्हें प्राथमिकता बनाएँ। हाँ, मैं ग्रहणों का पीछा करता हूँ। आप किसी और का पीछा कर सकते हैं। पर यह उन १७४ सेकंडों के बारे में नहीं है। यह उस बारे में है कि वह कैसे आने वाले वर्षों को बदल देते हैं। धन्यवाद। (तालियाँ)