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कुछ चीजें जो जीडीपी के लिए अच्छी हैं,
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लेकिन हमारे लिए भयानक,
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उदाहरण के लिए, तूफान और
अन्य प्राकृतिक आपदाएँ हैं,
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युद्ध, मादक पदार्थों की तस्करी
और साइबर अपराध।
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कई चीजों के लिए पुलिस
सेवाओं की आवश्यकता होती है
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या अन्य समर्पित सेवाओं
की रक्षा के लिए,
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और यही जीडीपी को बढ़ाता है।
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यह एक वर्ष में अर्थव्यवस्था में होने वाली
सभी गतिविधियों को मापता है।
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आप इसे या तो लोगों द्वारा खर्चे
को जोड़कर माप सकते हैं,
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सभी के आय
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या अर्थव्यवस्था में सभी की कमायी,
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जैसे किसी पहाड़ की ऊंचाई नापना
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या नदी की गहराई।
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लेकिन यह कोई प्राकृतिक वस्तु नहीं है।
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यह एक विश्लेषणात्मक रचना है।
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लेकिन, निश्चित रूप से,
यह उस तरह की मनमानी परिभाषा है,
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और इसमें बहुत सारे निर्णय शामिल थे।
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और मुझे लगता है
यह मददगार होगा
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अगर लोग अनिश्चितता के
बारे में सोचने लगे।
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जो जीडीपी को मापने में शामिल है।
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यह शब्द द्वितीय विश्व युद्ध
के समय का है,
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जब ये समझने की जरूरत थी के
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युद्ध अर्थव्यवस्था को किन
संसाधनों की आवश्यकता थी और,
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इसे सक्षम बनाने के लिए नागरिकों
को क्या उपभोग बलिदान देना होगा।
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इसलिए राष्ट्रीय आंकड़ों का एक
पूरा सेट १९४० के दशक का है।
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यह कुछ महत्वपूर्ण चीजें छोड़ देता है।
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यह आर्थिक विकास की
पर्यावरणीय लागत को छोड़ देता है,
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यह अवैतनिक कार्य के मूल्य को छोड़
देता है जो लोग अपने घरों में करते हैं।
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और यह भी कोई ध्यान नहीं देता के
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राष्ट्रीय बैलेंस शीट में,
यदि आप चाहें,
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वो संपत्तियों जिनका हम आनंद लेते हैं
जैसे आज की आय और खर्च।
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अगर हम सस्टैनिबिलिटी
की परवाह करते हैं,
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एक बहुत ही
महत्वपूर्ण बात है
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तो उन सभी संपत्तियों को भी
ठीक से मापना शुरू करना है।
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यह महिलाओं के लिए
समान अवसरों के बारे में है,
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और शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल की सार्वजनिक
रूप से वित्तपोषित प्रणाली के बारे में है
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जो सेवाओं को सुलभ भी बनाता है।
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मुझे विश्वास है कि आपका
इतिहास और आपकी संस्कृति
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समाज को चलाने के तरीके
को प्रभावित करता है।
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सभी देश अधिक समावेश की
दिशा में काम कर सकते हैं
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लेकिन यह समझना कि
उनका देश कैसे काम कर रहा है।
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मुझे लगता है कि हमें काफी
गरीब समाज से फायदा हुआ है
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नए अमीर बन रहें है
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लेकिन अमीर होने के बाद
हमने मजबूत संस्थान स्थापित किए हैं।
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हमारे पास जो चीजें हैं उनमें से
एक बड़ा एनजीओ क्षेत्र है
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बहुत सारे स्वैच्छिक काम के साथ,
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यही वह जगह है जहां उनमें से अधिकांश
अपना जीवन जीना चाहते हैं
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दूसरे के साथ गतिविधि में।
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और मुझे लगता है कि यह लोगों के
बीच बहुत करीबी बंधन बनाता है।
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इस वक़्त सबमें बहुत बड़ी
भूख है जीडीपी से आगे जाने की
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और आर्थिक प्रगति की
बेहतर समझ प्राप्त करने की।
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यह आंशिक रूप से डिजिटल
परिवर्तन द्वारा संचालित किया जा रहा है
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जिसे हम अर्थव्यवस्था में देखते हैं।
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हमें ट्रैक करना होगा कि
वह क्या कर रहा है,
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जो दोनों है, आप जानते हैं, बहुत अच्छा
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उन इन्नोवेसंस से जिनका
हम उपयोग करने में सक्षम हैं,
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लेकिन कुछ हद तक चिंताजनक है
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अगर इसका मतलब है कि
नौकरियों में भी मुश्किल आने वाला है।
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हम इसे ट्रैक करना चाहते हैं।
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और लगता है कि अगले
कुछ वर्षों के लिए यही परियोजना है
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शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं के लिए
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जीडीपी से आगे बढ़ने के
बारे में बातचीत करने के लिए
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आर्थिक प्रगति के बेहतर उपाय के लिए,
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जहां हम जाना चाहते हैं।
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मौरिसियो काकुई तनाका द्वारा
उपशीर्षक जेनी लैम-चौधरी द्वारा समीक्षा