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हम सब पर प्लास्टिक का संकट आ गया है।
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लेकिन इन सबका जिम्मेदार कौन है?
और ये कैसे बदल सकते हैं?
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मै आपको कुछ सचाई बताती हूँ|
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आधे से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन
पिछले दशक में हुआ है|
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और अब तक केवल ९% प्लास्टिक ही
रीसायकल की गई है|
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लेकिन अपने पड़ोसी पर इस निराशाजनक गति का
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आरोप लगाने से पहले
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शायद हमें एक कदम पीछे हटके
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देखना होगा कि हम
यहां तक कैसे पहुँचे|
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और इस प्रश्न के उत्तर के लिए
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हमें बहुत पीछे जाना होगा
जब प्लास्टिक कि शुरुआत हुई थी|
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नहीं नहीं... इतना पीछे भी नहीं
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हां, ये ठीक है|
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ये सारे फ्रैकिंग के कूएँ हैं
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जहाँ पर पर्यावरण में पड़े बहुत सारे
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प्लास्टिक की शुरुआत होती है
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पिछले दशक में सरकार ने
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अरबों डॉलर टैक्स सब्सिडीस में दिए हैं
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और पर्यावरण के नियमों को तोड़ा है,
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तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन के लिए|
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इसने बहुत सारे नए सस्ते तेल
और गैस का निर्माण हुआ
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जिसे डॉव और एक्सॉन जैसी
कंपनियों ने प्लास्टिक में बदल दिया।
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यानी सस्ता तेल और गैस, जिसका मतलब
भारी मात्रा मे सस्ता प्लास्टिक।
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वास्तव में, प्लास्टिक अब सीओ२
और मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसों
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को तेजी से बड़ाता है।
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बड़ी कम्पनियां इस सस्ते
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प्लास्टिक से उत्पाद
या पैकेजिंग बनाती हैं
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जो अक्सर सिर्फ एक बार इस्तेमाल होते हैं
और फिर रिसाइकिल नहीं हो पाते हैं।
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और बगैर क़ानून के
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प्लास्टिक कचरे के लिए
उत्पादकों को जिम्मेदार कैसे ठहरायें,
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और कौन चुकाते हैं इस कूड़े का खर्च?
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सही समझें,
हम, करदाता!
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जो कंपनियां सिंगल-यूज़
प्लास्टिक इस्तेमाल करती हैं
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आपको यकीन दिलाती है की
रिसाइकिल से सब ठीक होगा|
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पर प्लास्टिक की रिसाइकिलिंग
महँगी प्रक्रिया है
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और नया प्लास्टिक बनाना सस्ता होता है।
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कुछ शहर और कस्बे
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अपने रीसाइक्लिंग कार्यक्रमों को
खत्म करने पर विचार कर रहे हैं।
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जैसे कि मेन स्टेट में।
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वहां लोग सही करना चाहते हैं।
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लेकिन उत्पादों को बेकार तरीके
से पैक किया जाना जारी है
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कस्बे इस बात से जूझ रहे है
उनके साथ क्या किया जाए
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जब कचरा इकट्टा हो जाता है।
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जब प्लास्टिक पैकेजिंग बनाने वाले लोग
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अपने कचरे के प्रबंधन और भुगतान
के लिए जिम्मेदार नहीं होते हैं,
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तो बुरी चीजें होती हैं।
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इसलिए लोग पैकेजिंग और कचरे को संभालने
के तरीके पर पुनर्विचार कर रहे हैं।
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इसे करने का एक तरीका
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एक्सटेंडेड प्रोडूसर रेस्पोंसिब्लिटी
(इ.पी.आर) है|
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आप इसे पोलुटेर पे या 'ग्रेट आईडिया'
भी कह सकते हो|
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पैकेजिंग के लिए ईपीआर
कंपनियों को जिम्मेदारी देती है,
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उन्हें उस सामान का उत्तरदायी बना के
जो उन्होंने शेल्फ पे रखा है|
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जैसे नोन-रिसाइकिल चीज़ों के लिए
ज्यादा भुगतान करना|
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यू.एस को पैकेजिंग वेस्ट के संचालन के
लिए निर्माताओं की ज़रुरत नहीं पड़ती
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जबकि, बाकी जगहों को पड़ती है
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जिसमे कनाडा के प्रांत और यूरोप
के सारे देश शामिल है|
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इनमे से कुछ कायदे कानून ३० साल से हैं
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और इनमे से कई जगहों पर रीसाइक्लिंग
की गति अब ८०% तक है|
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इससे अब और भी बेहतर|
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कंपनियां जब अपने कूड़े की जिमेदारी लेती
हैं, असली जादू तब होता है|
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उनको एहसास होता है की पैकेजिंग
कम करना उसे साफ़ करने से
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सस्ता होता है|
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रियल पोलूटेर्स की ज़िम्मेदारी बढ़ाने की
यही सबसे अछी बात है|
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ये सामने से प्लास्टिक वेस्ट
को कम करने मे और,
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रीसाइक्लिंग को एक साफ़
तरीक़ा देने में मदद करेगा,
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और हाँ,
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जलवायु परिवर्तन से लड़ने मे
मदद करेगा।
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अनावश्यक प्लास्टिक को कम करने के
अन्य तरीकों के साथ मिलकर,
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जैसे की थैली और फ़ोम पे रोक,
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पैकेजिंग के लिए ईपीआर के माध्यम से
रीसाइक्लिंग करना,
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इन सब की दुनिया को ज़रुरत है|
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ईपीआर पर आपका क्या विचार है?
हमे नीचे कमेंट सेक्शन मे बताएं।
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देखने के लिए शुक्रिया।
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