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फ़िर्दौस: कला और अंदरूनी समरसता का क्षेत्र | इब्राहीम ज़ोक़ | TEDxPunjabUniversity

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    (गीत)
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    "गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले
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    चले भी आओ
    कि गुलशन का कारोबार चले"
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    मैं सोचने लगा और मैं सोचता रहता
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    कि वसंत की इस वार्ता की शुरुआत कैसे करूँ।
  • 1:24 - 1:26
    बहार, स्परले,
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    जिसके लिए इंसान की लालसा
    निर्वासन से रही है।
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    जिसके लिए पैगंबर मुहम्मद -की चाहत थी
    शांति हो उस पर -
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    जिसके लिए इकबाल, घनी, फैज़,
    और बहुत लोगों की लालसा थी।
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    जिसके लिए मेरी और आपकी लालसा है।
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    मुझे लगा मेरे ख्याल फ़िज़ूल हैं,
    लेकिन वे बेकार तो नहीं।
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    एक दिन मैंने एक सपना देखा
    कि मैं किसी के सामने फैज़ की
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    दो पंक्तियाँ सुना रहा हूँ
    जैसे रूमी का कोई मसनवी।
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    जिसे मैं अच्छे से जानता,
    जो उन्होंने लिखी जब वे कैदी थे।
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    जब मैं जगा,
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    मैं इस ताज़े ख्व़ाब को
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    समझने बैठा।
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    क़फ़स उदास है यारों
    सबा से कुछ तो कहो
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    कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा
    आज ज़िक्र-ए-यार चले।
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    जैसे इंसान की शुरुआत से
    ख्वाइश थी की
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    वह जीवन के जेल और दुख के पिंजरे से निकले,
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    जो असल में दोनों एक हैं।
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    जैसे पतझड़ में वसंत की उम्मीद।
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    इंसान चूँकि आज़ाद पैदा हुआ है,
    उसके पास मर्ज़ी की खूबी है।
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    इंसान को पतझड़ में वसंत का
    इंतज़ार होता है और कैद में आज़ादी का।
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    बहार - वसंत,
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    हमें इसलिए पता है क्योंकि
    हम पतझड़ के बारे में जानते हैं।
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    क्या आप कभी सोचते हो
    कि प्रकृति चक्र में
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    वसंत का दौर जारी क्यों नहीं रहता?
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    हाँ, क्योंकि जारी रहना मतलब
    बदलाव होने की काबिलियत न होना।
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    इंसान प्रगतिशील है।
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    बदलाव बंद होना मतलब प्रगति का बंद होना।
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    पतझड़ का उद्देश्य है
    वसंत की लालसा।
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    इंसान और प्रकृति
    एक दूसरे से अलग नहीं हैं।
  • 3:12 - 3:14
    बस यह अंतर है
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    कि प्रकृति का बदलाव
    सांगत है और उसकी प्रणाली होती है
  • 3:20 - 3:24
    और इंसान के बदलाव की
    कोई प्रणाली नहीं होती।
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    एक कांच के टुकड़े को
    सिर्फ़ तब आकृति दे सकते हैं जब वह गरम हो,
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    वर्ना वह टूट जाएगा।
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    यह मुश्किलें, यह संघर्ष
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    जो हमारी ज़िन्दगी में हैं,
    यह बेवजह नहीं हैं।
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    यह जीवन की बुनियादी
    चीज़ों के बारे में बताते हैं।
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    इकाई, जड़ें, उत्पति जैसे -
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    आप खुद ही अपने अस्तित्व की
    जड़, इकाई, और उत्पति हैं।
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    यह जैसे एक स्थल से
    पूरे ब्रह्माण्ड तक का सफ़र है।
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    एक स्थल, एक बिंदु
    जो इंसान का अहंकार है
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    और स्वयं का एहसास
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    जैसे उस बिंदु का पूरे ब्रह्माण्ड
    तक का प्रसार है
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    जैसे यह ब्रह्माण्ड का प्रसार हुआ था।
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    जैसे प्रकृति की चीज़ें
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    ब्रह्माण्ड के एक कायदे के अन्दर
    एक दूसरे से आकर्षित होती हैं,
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    इंसान का जीवन भी कुछ कायदों पर चलता है,
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    जो इंसान की मर्ज़ी की सियाही
    से बने निर्णयों का
  • 4:31 - 4:34
    परिणाम लिखते हैं।
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    नौ साल पहले तक मैं रुढ़िवादी था
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    जो एक कठोर और नियमित
    राह पर चल रहा था
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    जो किन्ही लोगों द्वारा बनाए धर्म,
    और सामजिक मानक का था।
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    एक निर्देशित जीवन
    जो मैं अपनी मर्ज़ी से जी रहा था,
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    बिना सवाल, बिना तर्क किए।
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    मैं हमारी समाज की एक भीड़ का
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    सामान्य हिस्सा था।
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    ऐसी जीवनशैली हमारी आज़ादी पर रोक डालती है
    और हमारी रचनात्मकता को दबाती है।
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    आठ साल पहले,
    मैं दसवी कक्षा में था
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    जब मैंने कुछ ऐसा अनुभव किया
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    जिसके पहले मुझे उस हद तक
    दुख की भावना का नहीं पता था।
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    दर्द, मुश्किलात, बीमारी;
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    इनका एक महत्त्वपूर्ण मगर
    न पहचाना हुआ उद्देश्य है।
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    वे आपको अलहदगी और
    आत्मनिरीक्षण की तरफ़ धकेलते हैं,
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    ताकि आप सोच और जान पाएँ
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    कि क्या क्या है, और क्या नहीं है
    जो आप सोचते थे की वह था।
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    उससे निकलना ज़रूरी है
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    और दूसरी ओर एक दूसरा समंदर है
    जो आपकी डुबकी का इंतज़ार कर रहा है।
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    जब आप निकलते हैं,
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    आपको बेहतर पता होता है
    कि वसंत वाकई कैसा दीखता है।
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    उसके रंग, उसकी खुशबुएँ
    प्रकृति के गीत,
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    लोग, उनकी खुशियाँ, उनकी पीड़ाएँ,
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    आपके रक्त का बहाव।
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    एक दुख, जिसमें मैंने खुद को दे दिया,
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    उसने मेरे जीवन की दिशा
    180 डिग्री तक बदल दी।
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    मैं सोचने लगा, तर्क करने लगा,
    सब पर सवाल करने लगा।
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    सोच पाना, महसूस कर पाना
    एक कला है जिसके लिए सब काबिल हैं।
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    और मैं उनको सबसे खूबसूरत मानता हूँ
    जो इस कला को जानते हैं।
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    संदेशवाहक, तत्वज्ञानी,
    रहस्यवादी, वैज्ञानिक,
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    और दूसरे रचनाकार और विचारक,
    वे सब कलाकार हैं,
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    और उनकी वार्ता,
    वसंत की वार्ता है।
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    खुद को पहचानना वह रोशनी है
    जो ख़ुशी को बेहतरीन बनती है,
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    और दुख इस सफ़र का
    वह रहस्मय आनंद है
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    जो आपको बनाती है,
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    आपके दिल को उस प्याले की तरह बनाती है
    जिसमें जीवन की मदिरा है।
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    मदिरा, जो परमानंद का पर्याय है।
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    वह प्याला, जिसे प्रोफेट मुहम्मद -
    पीस बी अपॉन हिम -
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    ने अपने जूनून से बनाया था,
    लोगों के लिए, ऊपर वाले के लिए, अनंत था।
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    जितना गहरा आपके जीवन का प्याला होगा,
    उतना जीवन उसमें समा पाएगा।
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    एक खूबसूरत याद -
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    सबसे खूबसूरत यादों में से एक,
    सबसे पुरानी,
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    जब मैं 18 महीनों का था,
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    मेरा पहला एडवेंचर,
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    छोटा और यादगार,
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    मेरे गाँव बनु में हमारे घर के पास वाली जगह
    तक का एक सफ़र,
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    एक बगीचे तक,
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    मेरे दादा बजी की कलाकृति,
    जो उन्होंने जूनून के साथ बनाई थी।
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    एक दिन मेरी दादी,
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    अपने मुलायम और नाज़ुक हाथों में
    मुझे ले जा रही थी
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    और बाकी सब, मेरी माँ भी
    हमारे पीछे
  • 8:02 - 8:03
    उस बगीचे तक चल रहे थे।
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    वह बगीचा मेरे लिए
    बहुत मायने रखता है।
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    बजी ने उसमें कितना समय,
    ऊर्जा और ख्याल दिया था।
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    अगर एक पौधा
    अपने पत्ते पतझड़ में खोता,
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    दूसरा खिलता।
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    यह जैसे था कि
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    बजी को हमेशा वसंत की लालसा थी
    और फिर उन्होंने वह बनाया
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    जो हमेशा उम्मीदवार था,
    हमेशा खिलता,
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    हमेशा बड़ा होता।
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    वह बगीचा कुछ सालों बाद
    समय के साथ गायब हो गया
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    उस दिन जब मेरी दादी चल बसी
    जब मैं छह साल का था।
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    एक दिन, हवा की तरह, हर जगह।
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    मैंने अब्बू को कितनी बार सुना है
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    एक मताल, एक कहावत पश्तो,
    मेरी मातृभाषा में कहते -
  • 8:54 - 8:57
    (पश्तो में कहावत)
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    "अगर आप एक राक्षस से छुटकारा नहीं पा सकते,
    उसे गले लगाना सीखो।"
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    फिर मैं उनको गले लगाने लगा
    जिनसे मैं भाग नहीं सकता था,
  • 9:06 - 9:09
    और मैं सीमाओं से परे सोचने लगा
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    और जिसकी मदद से मैं
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    रिहा होकर ईमानदारी के पथ पर चलते लगा।
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    ईमानदारी एक ही आधार है
    जिसमें हम एक दूसरे से अलग हैं।
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    कोई लिंग, पैसा, जाति, रंग, प्रस्सिद्धता
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    या इन्स्ताग्राम पर फौलोवर के अंक
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    के आधार पर किसी से
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    बड़ा या छोटा नहीं होता।
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    पाँच साल पहले मैंने इन्स्ताग्राम
    के बारे में एक दोस्त से सुना था।
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    तब मैं यूँ ही तसवीरें लेता था,
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    और वक़्त को एक याद की तरह
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    कैद करना चाहता था।
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    फिर मैंने इन्स्ताग्राम पर अकाउंट बनाया
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    और समय के साथ इन्स्ताग्राम ने
    मुझे मेरे काम में
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    बेहतर बनाया और फिर
    मैं कला के इस नए माध्यम से
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    व्यक्त करने की ख़ुशी महसूस करने लगा।
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    और वक़्त के साथ फोटो और विडियो
    मेरे जूनून में विक्सित हो गए।
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    और कुछ समय बाद
    लोगों के प्रति मेरे प्यार और सहनुभूति से
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    मैंने सोशल मीडिया पर
    #MerayPyaarayLog का हैशटैग बनाया।
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    इंसानी सम्बन्ध के
    अनुभूति और पहचान के लिए।
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    एक विचार जो इस दूरी को कम पर पाएँ।
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    ताकि हम एक दूसरे को
    अपने खुशियों और दुख के लिए पहचान पाएँ
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    ख़ासकर की उनको
    जो हमारे समाज में दबे हुए हैं।
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    मेरे प्यारे लोग।
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    मेरा एक बहुत अज़ीज़ हमनवा दोस्त है
    एक दिन मुझसे कहता है कि
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    मेरा दिमाग घूम जाता है जब मैं लोगों को
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    इस्लाम और जनतंत्र के नज़रिए से देखता हूँ,
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    और जब मैंदूसरी तरफ़ तुम्हारी नज़र से
    मेरे प्यारे लोग
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    की शकल में उनके लिए लाड देखता हूँ।
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    यानी की तुम्हारे यह प्यारे लोग
    सोचने की कोशिश ही नहीं करते,
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    जैसे इनको पता ही नहीं कि
    इनके पास सोचने जैसी इतनी बड़ी ख़ूबी है।
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    न मक़सद से आशना है,
  • 11:23 - 11:27
    न मक़सद से आशना होने की जुस्तजू।
  • 11:28 - 11:31
    कहता है कि इसने तो हमें
    बर्बाद कर दिया है,
  • 11:31 - 11:36
    हमें इनके हिस्से का भी सोचना पड़ता है
    लेकिन कुछ कर नहीं सकते।
  • 11:38 - 11:41
    मैंने मुस्कुराकर कहा कि
  • 11:42 - 11:44
    बर्बाद नहीं,
    हाँ, हमें थका दिया है बहुत।
  • 11:50 - 11:52
    किसी भी वास्तु का उद्देश्य
  • 11:52 - 11:54
    मानव जीवन को चलाना है
  • 11:54 - 11:57
    लेकिन उनमें जीवन का उद्देश्य नहीं है।
  • 11:57 - 12:02
    दौलत, पॉवर, शौहरत, वह चमकती वस्तुएँ हैं
    जो सोना नहीं है।
  • 12:03 - 12:08
    यह एक हवसी अहंकार की
    इच्छाएँ हैं, जो अंदरूनी ही हैं।
  • 12:09 - 12:13
    जब हम सिर्फ़ लेते हैं, और देते नहीं हैं,
    हम जीवन का संतुलन बिगाड़ते हैं।
  • 12:15 - 12:18
    तब्रिज़ के शम्स अपनी आत्मकथा में कहते हैं,
  • 12:19 - 12:22
    "जब मैं बच्चा था, वे मुझसे कहते
    'तुम दुखी क्यों हो?
  • 12:22 - 12:25
    क्या तुम्हें कपड़े चाहिए?
    क्या तुम्हें पैसे चाहिए?'
  • 12:26 - 12:28
    मैं उनसे कहता,
  • 12:28 - 12:31
    'किआप मुझसे वह सब ले लें,
  • 12:31 - 12:37
    जो कपड़े मैं पहनता हूँ
  • 12:37 - 12:43
    और मुझे फिर वह दे दें
    जो मैं ढूँढ रहा हूँ, जो चाहता हूँ।"
  • 12:47 - 12:51
    खुद को जानो, अपने हुनर को जानो, अपनी
    काबिलियत को जानो, अपनी खूबियों को जानो।
  • 12:54 - 12:59
    और उन सब से
    दुनिया को अच्छाई के रूप में दो।
  • 12:59 - 13:02
    एक दूसरे के लिए दिल में
    नफ़रत मत रखो।
  • 13:02 - 13:05
    ईमानदार, क्षमाशील, और सच्चे रहो।
  • 13:06 - 13:07
    अच्छे रिश्ते बनाओ।
  • 13:08 - 13:11
    यह हमारी ज़िम्मेदारी है,
    अगर हम ईमानदार रहेंगे,
  • 13:11 - 13:15
    तो कैसे वह वसंत नहीं आएगा
    जिसकी हमें लालसा है।
  • 13:17 - 13:19
    "ओ गुणी ऊपर वाले,
  • 13:20 - 13:22
    इस दुनिया को मेरे लिए स्वर्ग बना दो।
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    जिसका तरीका आसन है,
  • 13:24 - 13:26
    तीन शब्दों से बना,
  • 13:27 - 13:28
    जैसे मैंने पहले भी कहा है,
  • 13:29 - 13:32
    मुझे मेरा प्यार, मेरी जवानी,
    और मदिरे का प्याला दे दो।
  • 13:32 - 13:36
    बहुत से फूल, थोड़े दोस्त,
    और एक म्लान शाम।
  • 13:37 - 13:40
    जो थोड़े थोड़े समय में
    मेरे मन की अराजकता को शांत कर जाए।
  • 13:41 - 13:44
    मैं हूँ इब्राहीम ज़ोक़,
    और यह है मेरे दिल का बयान।
  • 13:44 - 13:46
    धन्यवाद।
  • 13:46 - 13:49
    (तालियाँ)
Title:
फ़िर्दौस: कला और अंदरूनी समरसता का क्षेत्र | इब्राहीम ज़ोक़ | TEDxPunjabUniversity
Description:

#MerayPyaareLog

हड्डियों में थोड़ी झनझनाहट, बोतल में एक सन्देश है जो इब्राहीम ज़ोक़ (एक फोटोग्राफर-राइटर) दुनिया को देना चाहते हैं। वे बताते हैं कि कैसे एक दूसरे से जुड़कर भी हम जुड़े नहीं हैं। हम स्तिथियों की इंसानियत से अप्रभावित हैं और सिर्फ़ ऊपर ऊपर से चीज़ें देखते हैं।

ज़ोक़ अपने नीजी अनुभवों के बारे में बताते हैं और वसंत की लालसा के बारे में, कि बिना वसंत का पतझड़ में बदले, हमें उस खिलते फूल और गर्माहट देने वाले सूरज की कीमत नहीं समझ आएगी।

यह टॉक एक TEDx इवेंट पर TED कांफ्रेंस का फॉर्मेट का इस्तेमाल करके दी गयी थी लेकिन एक एक लोकल समुदाय द्वारा स्वतंत्र रूप से आयोजित। और जानने के लिए https://www.ted.com/tedx पर जाएँ।

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDxTalks
Duration:
13:56

Hindi subtitles

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