थेरानॉस - ध्यानाकर्षण और सत्याग्रह
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0:00 - 0:04सात साल पहले की बात है,
मैं बर्कले से स्नातक होकर निकली थी, -
0:04 - 0:09कोषिका जीवविज्ञान एवम् भाषा विज्ञान
की दोहरी डिग्री लेकर, -
0:09 - 0:11और मैं विश्वविद्यालय परिसर में हो रहे
एक सम्मेलन में पहुंची, -
0:11 - 0:15जहां से मुझे एक नई कंपनी - थेरानॉस
में साक्षात्कार के लिए बुलाया गया. -
0:16 - 0:17और उस समय,
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0:17 - 0:20इस कंपनी के बारे में ज़्यादा जानकारी
उपलब्ध नहीं थी, -
0:20 - 0:24पर जितनी भी थी, प्रभावशाली थी.
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0:24 - 0:28यह कम्पनी एक ऐसा चिकित्सा उपकरण बना रही थी
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0:28 - 0:33जिससे आप रक्त की सभी जांचें
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0:33 - 0:34मात्र कुछ बूंदें निकाल के कर सकते थे.
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0:34 - 0:38यानी रक्त की जांच के लिऐ आपको
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0:38 - 0:40अपने हाथ में लंबी सुई नहीं डालनी पड़ती.
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0:40 - 0:44यह काफ़ी रोचक था, सिर्फ इसलिए नहीं क्योंकि
इस प्रक्रिया में दर्द कम होता, -
0:44 - 0:49पर इसलिए भी क्योंकि इससे कई बीमारियों को
शुरू में ही आसानी से पकड़ा जा सकता था. -
0:49 - 0:50यदि आपके पास ऐसा उपकरण हो
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0:50 - 0:55जिसके प्रयोग में सहजता और सहूलियत हो,
और जो बीमारियों का पता लगा सके, -
0:55 - 1:01तो शायद आप बीमारी के गंभीर होने से पहले ही
उसका पता लगा सकते हैं. -
1:01 - 1:05ऐसा ही कम्पनी की संस्थापक, एलिजाबेथ होम्स
ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए -
1:05 - 1:07एक साक्षात्कार में कहा था.
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1:07 - 1:09"हमारी स्वास्थ्य प्रणाली की
वास्तविकता यह है -
1:10 - 1:13कि जब हमारा कोई अपना बहुत बीमार हो जाता है
तो उसकी गंभीरता का पता लगते -
1:13 - 1:15(अक्सर) बहुत देर हो चुकी होती है, और फ़िर
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1:15 - 1:16हम कुछ नहीं कर पाते.
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1:17 - 1:18यह दुखद है."
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1:18 - 1:20यह चांद पर जाने जैसा था
और मैं इसका हिस्सा बनना चाहती थी, -
1:20 - 1:22इसे साकार करने में योगदान देना चाहती थी.
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1:23 - 1:27एक और भी कारण था जो
एलिज़ाबेथ की कहानी -
1:27 - 1:30मुझे इतनी प्रभावशाली लगी.
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1:30 - 1:32एक समय था जब किसी ने मुझे कहा था,
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1:32 - 1:34"एरिका, लोग दो तरह के होते हैं.
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1:34 - 1:37एक वो जो सिर्फ गुज़ारा करते हैं, और एक वो
जो दुनिया बदलते हैं. -
1:37 - 1:39और तुम, गुज़ारा करने वालों में से हो."
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1:40 - 1:42विश्वविद्यालय जाने से पहले,
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1:42 - 1:46मैं एक चलित कमरे में, 5 पारिवारिक सदस्यों
केे साथ रही और पली बढ़ी, -
1:46 - 1:48और जब मैं कहती थी कि मैं
बर्कले जाना चाहती हूं, -
1:48 - 1:51तो लोग कहते थे, "ऐसे तो मैं अंतरिक्ष में
जाना चाहता हूं!" -
1:52 - 1:56मैं दृढ़ रही, मेहनत करती रही, और मुझे
प्रवेश आखिर मिल ही गया. -
1:56 - 1:59पर सच बोलूं तो वहां मेरा पहला वर्ष
बहुत कठिन रहा. -
1:59 - 2:01मेरे साथ कई अपराध हुए.
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2:01 - 2:04मुझे बन्दूक की नोंक पर लूटा गाया,
मेरा यौन शोषण हुआ, -
2:04 - 2:07वह भी तीन बार,
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2:07 - 2:09जिससे मूझे गंभीर तनाव रहने लगा.
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2:10 - 2:11मैं कक्षा में फेल होने लगी,
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2:11 - 2:13और मुझे पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी.
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2:13 - 2:16तब तक मुझे लोग कहने लगे थे,
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2:16 - 2:18"एरिका, शायद विज्ञान तुम्हारे लिए नहीं है.
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2:18 - 2:21शायद तुम्हें कुछ और पढ़ना चाहिए."
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2:21 - 2:24और तब मैंने ख़ुद से कहा,
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2:24 - 2:26"अगर ना हो तो ना हो,
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2:26 - 2:29पर मैं हार नहीं मान सकती,
और मैं यह करके रहूंगी, -
2:29 - 2:33और चाहे मैं काबिल हूं या ना हूं,
मैं प्रयास करुंगी और करके दिखाऊंगी." -
2:33 - 2:37किस्मत से, मैं अड़ी रही, और डिग्री लेकर,
स्नातक होकर निकली. -
2:38 - 2:41(दर्शकों में तालियां)
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2:41 - 2:42धन्यवाद.
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2:42 - 2:44(दर्शकों में तालियां)
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2:45 - 2:50तो जब मैंने सुना कि एलिज़ाबेथ ने
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय को -
2:50 - 2:5219 वर्ष की आयु में छोड़ दिया था
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2:52 - 2:54यह कम्पनी स्थापित करने, और वे सफ़ल भी रहीं
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2:54 - 2:56तो मेरे लिए यह एक इशारा था.
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2:56 - 3:00कि आप किस वर्ग अथवा परिस्थिति से हो,
यह मायने नहीं रखता. -
3:00 - 3:03यदि आप समर्पित रहोगे
और अपने विवेक से काम लोगे, -
3:03 - 3:06तो आप दुनिया में अपनी पहचान छोड़ सकोगे.
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3:06 - 3:08और मेरे लिए यह सूत्र, व्यक्तिगत स्तर पर
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3:08 - 3:10आत्मसात करना जरूरी था
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3:10 - 3:13क्योंकि जीवन की तेज़ मझधार में
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3:13 - 3:15यही मुझे हौसला देता था.
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3:16 - 3:17तो अब आप कल्पना कर सकते हैं,
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3:17 - 3:22कि जब मुझे कम्पनी की ओर से आमंत्रण आया,
तो मैं कितनी उत्साहित हो गई थी. -
3:22 - 3:24ऐसा लगा मैं तो चांद पर पहुंच गई थी.
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3:24 - 3:28यही अवसर था मेरे लिए,
समाज में अपना योगदान देने का. -
3:28 - 3:32जो समस्याएं मैंने देखी थीं,
उनका हल निकालने का. -
3:32 - 3:34और वास्तव में, जब मैंने थेरानॉस
के बारे में सोचा, -
3:34 - 3:37तो लगा कि यह पहली और आखिरी कंपनी होगी
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3:37 - 3:40जहां मैं काम करूंगी.
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3:41 - 3:44पर मुझे कुछ समस्याएं नज़र आने लगीं.
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3:45 - 3:50मैंने वहां की प्रयोगशाला में
प्रारम्भिक स्तर पर काम शुरू किया. -
3:50 - 3:53हम वहां मीटिंग में बैठे
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3:53 - 3:57आंकड़ों एवम् नतीजों को जांचते,
यह देखने कि तकनीक काम कर रही है या नहीं. -
3:57 - 3:59जब हमें नतीजों की फेहरिस्त मिलती,
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3:59 - 4:01तो मुझे कहा जाता,
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4:01 - 4:04"चलो, इस त्रुटिपूर्ण नतीजे को हटाते हैं
और फ़िर देखते हैं -
4:04 - 4:06कि नतीजे कितने प्रतिशत सटीक हैं."
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4:07 - 4:09तो, यहां त्रुटि की परिभाषा क्या है?
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4:09 - 4:11कौन सा नतीजा गलत है?
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4:12 - 4:14यह किसी को नहीं पता.
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4:14 - 4:17आप कैसे कह सकते हो कौन सा गलत है?
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4:17 - 4:18और इस तरह से नतीजों कोे हटाना
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4:18 - 4:22गलत है, यह वैज्ञानिक प्रक्रिया के
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4:22 - 4:24उन सिद्धांतों के खिलाफ़ है
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4:24 - 4:29जो संख्याओं और आंकड़ों के आधार पर
तथ्यों का सत्यापन करता है. -
4:29 - 4:33और भले ही ऐसा करना लुभावना लगे
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4:33 - 4:37कि आप अपने तथ्य को स्थापित करने के लिऐ
आंकड़ों से छेड़खानी करें, -
4:37 - 4:43परन्तु इसके गंभीर दुष्परिणाम होते हैं.
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4:43 - 4:47तो मेरे लिए यह खतरे का निशान था,
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4:47 - 4:50जिसने मेरे आगे के अनुभवों को प्रभावित किया
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4:50 - 4:51और आगे भी बहुत कुछ दिखाया.
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4:51 - 4:54यह बात है क्लीनिक प्रयोगशाला की.
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4:54 - 4:56क्लीनिक प्रयोगशाला,
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4:56 - 4:59जहां मरीज़ों के खून के नमूने
जांचे जाते हैं. -
4:59 - 5:01किसी भी नमूने की जांच से पहले, मेरे पास
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5:01 - 5:05एक खास नमूना होता था, जिसके अवयव
और उनकी मात्रा पहले से पता होते थे. -
5:05 - 5:08जैसे, tPSA की मात्रा 0.2.
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5:08 - 5:11tPSA, जो यह बताता है कि व्यक्ति को
प्रोस्ट्रेट कैंसर है या नहीं, -
5:11 - 5:13या फ़िर उसे इसका खतरा है या नहीं.
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5:13 - 5:17पर जब मैं उस ख़ास नमूने को
थेरानॉस के उपकरण से जांचती थी, -
5:17 - 5:19तो कभी tPSA की मात्रा 8.9 आती थी,
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5:19 - 5:22कभी 5.1,
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5:22 - 5:26और कभी 0.5,
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5:26 - 5:28जो कि वास्तविक मात्रा के आसपास ही है,
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5:28 - 5:30लेकिन आप ऐेसे में क्या करेंगे?
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5:31 - 5:33सटीक, भरोसेमंद माप कौन सा है?
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5:34 - 5:38और ऐसा सिर्फ एक बार नहीं हुआ.
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5:38 - 5:41यह लगभग रोज़ाना हाे रहा था,
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5:41 - 5:44बहुत सारी जांचों में.
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5:45 - 5:51और शुक्र है इस ख़ास नमूने मेें मुझे
मात्राएं पहले से पाता थीं. -
5:51 - 5:54यदि ना पता हों, तो क्या हो?
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5:54 - 5:56मान लीजिए आपको एक मरीज़ की जांच करनी है
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5:56 - 6:02आप कैसे भरोसा कर सकेंगे ऐसे नतीजों पर?
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6:03 - 6:08तो मेरे लिए यह आखिरी चेतावनी थी,
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6:08 - 6:11वह भी उस पड़ाव पर जब हम
उपकरण की जांच कर रहे थे, -
6:11 - 6:14ताकि हम प्रमाणित कर सकें
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6:14 - 6:17कि हमें और मरीजों के नमूने चाहिए या नहीं.
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6:17 - 6:20नियामक संस्थाएं आपको एक नमूना देती हैं,
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6:20 - 6:23और कहती हैं, "इसकी जांच करो,
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6:23 - 6:26सामान्य तरीके से
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6:26 - 6:28जैसे मरीजों के साथ किया जाता है,
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6:28 - 6:29और हमें नतीजे बताओ,
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6:29 - 6:33फ़िर हम बताएंगे आप पास हैं या फेल."
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6:33 - 6:37अब क्योंकि हमें अपने उपकरण में
इतनी खामियां दिख रही थीं, -
6:37 - 6:40वह भी वास्तविक मरीजों के नमूनों के साथ,
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6:40 - 6:43तो हमने नियामकों से नमूना लिया
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6:43 - 6:46और उसे FDA द्वारा प्रमाणित मशीन से जांचा,
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6:46 - 6:48फ़िर उसे अपने उपकरण से जांचा.
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6:49 - 6:50अंदाज़ा लगाइए क्या हुआ होगा?
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6:50 - 6:54हमें दो बहुत ही अलग नतीजे मिले.
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6:55 - 6:57आपको क्या लगता है,
ऐसे में हमने क्या किया होगा? -
6:57 - 7:01आप सोचेंगे कि हमने नियामकों से कहा होगा,
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7:01 - 7:04"इस तकनीक में हमें कुछ
अनियमितता दिख रही है." -
7:04 - 7:09पर नहीं, थेरानॉस ने नियामकों को वही नतीजे
भेज दिए जो FDA प्रमाणित मशीन से मिले थे. -
7:11 - 7:13यह क्या दर्शाता है?
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7:13 - 7:17यह दर्शाता है कि आपको अपनी संस्था द्वारा,
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7:17 - 7:21अपने उपकरण द्वारा दिए गए नतीजों पर ही
भरोसा नहीं है. -
7:22 - 7:26ऐसे में आप कैसे किसी को कहेंगे कि
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7:26 - 7:28इस उपकरण से मरीजों की जांच करें?
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7:29 - 7:33क्योंकि मैं नयी थी,
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7:33 - 7:36मैंने कई नमूनों पर प्रयोग किए,
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7:36 - 7:40सारे आंकड़े इकठ्ठा कर,
मैं मुख्य संचालन अधिकारी के पास गई -
7:40 - 7:42ताकि उनके सामने अपनी चिंता ज़ाहिर कर सकूं.
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7:43 - 7:46"उपकरण की जांच में बहुत
असंगत नतीजे आ रहे हैं. -
7:46 - 7:48सटीक नतीजों का प्रतिशत ठीक नहीं लग रहा.
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7:48 - 7:51शायद हमें वास्तविक मरीजों पर
जांच नहीं करनी चाहिए. -
7:51 - 7:54ये सब बातें मुझे सही नहीं लग रही हैं."
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7:54 - 7:56और मुझेे जवाब मिला,
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7:57 - 7:59"तुम नहीं जानती तुम क्या कह रही हो.
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7:59 - 8:01तुम्हें जिस काम के लिए तनख्वाह
दी जाती है वो करो, -
8:01 - 8:03जाके मरीजों के नमूने जांचों."
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8:04 - 8:08उस रात, मैंने अपने एक सहकर्मी से बात की.
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8:08 - 8:12टायलर शुल्ट्ज, जो मेरा मित्र बन गया था,
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8:12 - 8:17और जिसके दादाजी
कम्पनी के निदेशकों में से थे. -
8:17 - 8:20हमने उनके घर जाना तय किया,
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8:20 - 8:23और रात्रिभोज के समय उन्हें बताने का सोचा
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8:23 - 8:26कि कम्पनी में क्या चल रहा था,
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8:26 - 8:30बंद दरवाजों के पीछे.
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8:30 - 8:31मज़े की बात यह,
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8:31 - 8:34कि टायलर के दादाजी जॉर्ज शुल्ट्ज थे,
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8:34 - 8:37अमरीका के पूर्व सचिव.
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8:37 - 8:41तो अब आप सोच सकते हैं
मेरी मनोदशा क्या रही होगी. -
8:41 - 8:44मैं सोच रही थी, "यह मैं कहां फंस रही हूं?"
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8:45 - 8:49पर हम खाना खाने बैठे, और कहा,
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8:49 - 8:51"लोगों को लगता है कि
ये खून का नमूना लेते हैं, -
8:51 - 8:55उसे अपने उपकरण में डालते हैं,
और उससे कुछ नतीजा बाहर निकलता है. -
8:55 - 9:00पर असल में होता ये है कि
जैसे ही आप कमरे के बाहर जाते हैं, -
9:00 - 9:03वे आपके खून का नमूना
पांच अन्य लोगों को पकड़ा देते हैं -
9:03 - 9:07जो तैयार बैठे रहते हैं,
उसे पांच भागों में बांटकर -
9:07 - 9:10पांच अलग अलग मशीनों में जांचने के लिए."
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9:11 - 9:15जॉर्ज ने कहा, "मैं जानता हूं
टायलर काफ़ी होशियार है, -
9:15 - 9:16तुम भी काफ़ी होशियार लगती हो,
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9:16 - 9:21पर बात ये है कि मैंने कम्पनी में
और भी होशियार लोगों को रखा है, -
9:21 - 9:25और उन्होंने मुझे बताया है कि यह उपकरण
चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति ले आयेगा. -
9:25 - 9:28तो शायद तुम्हें कहीं और
ध्यान लगाना चाहिए." -
9:29 - 9:33यह सिलसिला सात महीने से चल रहा था,
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9:33 - 9:37इसलिए मैंने अगले ही दिन इस्तीफ़ा दे दिया.
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9:38 - 9:39और ये --
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9:39 - 9:46(दर्शकों में तालियां)
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9:46 - 9:49ये वो समय था जब मुझे ख़ुद को समय देकर
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9:49 - 9:51अपना मानसिक संतुलन ठीक करना था.
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9:51 - 9:53मैंने प्रयोगशाला में आवाज़ उठाई,
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9:54 - 9:57मुख्य अधिकारी के सामने आवाज़ उठाई,
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9:57 - 10:00निदेशक के सामने भी आवाज़ उठाई.
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10:00 - 10:02इसी बीच,
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10:02 - 10:08एलिज़ाबेथ अमरीका की हर पत्रिका के
मुखपृष्ठ पर छाई हुई थी. -
10:09 - 10:11यह सब देखकर
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10:11 - 10:12मुझे लगने लगा,
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10:12 - 10:14क्या मैं ही गलत हूं?
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10:14 - 10:16क्या शायद ऐसा कुछ है जो मुझे नहीं दिख रहा?
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10:16 - 10:18क्या मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है?
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10:19 - 10:23कहानी के इस मोड़ पर
किस्मत ने मेरा साथ दिया. -
10:23 - 10:24मुझसे संपर्क किया
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10:24 - 10:26एक बहुत ही प्रतिभाशाली पत्रकार,
जॉन कैरीरू ने -
10:27 - 10:29जो कि वॉल स्ट्रीट जर्नल से थे,
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10:30 - 10:36और उन्होंने कम्पनी के बारे में
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10:36 - 10:39कई अन्य लोगों से भी शिकायतें सुनी थीं,
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10:39 - 10:41कम्पनी के कर्मचारियों से भी.
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10:41 - 10:43तब मुझे आभास हुआ,
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10:43 - 10:45"एरिका, तुम गलत नहीं हो.
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10:45 - 10:47तुम सही हो.
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10:47 - 10:50यहां तक कि तुम जैसे कई और लोग हैं,
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10:50 - 10:53जो सच बताने से डर रहे हैं,
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10:53 - 10:57और उन्हें भी वही सब दिख रहा है
जो तुम्हें दिख रहा है." -
10:58 - 11:02जॉन की जांच-पड़ताल प्रकाशित होने से पहले,
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11:02 - 11:05कम्पनी का सच सामने आने से पहले,
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11:05 - 11:09कम्पनी ने सभी पूर्व कर्मचारियों का
पता लगाया, -
11:09 - 11:11मुझ तक भी पहुंचे,
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11:11 - 11:18और हमें धमकाया कि कोई सामने ना आए,
ना कोई एक दूसरे से बात करे. -
11:18 - 11:20मुझ जैसे व्यक्ति के लिए यह डरावना था,
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11:20 - 11:22और मुझे उनका पत्र मिलने पर और डर लगा
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11:22 - 11:26जब मुझे एहसास हुआ कि
वे मेरा पीछा करते रहेंगे. -
11:26 - 11:30पर यूं कहें ये अच्छा ही हुआ,
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11:30 - 11:32क्योंकि तब मैंने एक वकील से संपर्क किया.
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11:32 - 11:35वह एक मुफ़्त में काम करने वाला वकील था,
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11:35 - 11:36और उसने सुझाया,
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11:36 - 11:39"आप किसी नियामक संस्था को
क्यों नहीं बतातीं ये सब?" -
11:40 - 11:44यह तो मेरे दिमाग में ही नहीं आया था,
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11:45 - 11:47क्योंकि मुझे ज़रा भी अनुभव नहीं था,
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11:47 - 11:51तो मैंने वही किया.
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11:51 - 11:55मैंने तय किया कि एक पत्र लिखूंगी,
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11:55 - 11:59जो भी मैंने प्रयोगशाला में देखा है,
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11:59 - 12:01वह सब बताते हुए.
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12:01 - 12:04भले ही मेरे पिता कहते हों कि उस समय मैं
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12:04 - 12:06राक्षसों का संहार करने वाली
देवी लग रही थी, -
12:06 - 12:09जहां मैंने एक बड़ी कम्पनी के खिलाफ़
आवाज़ उठाई -
12:09 - 12:11और उससे सिलसिला बनता गया,
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12:11 - 12:13मैं आपको बता देती हूं,
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12:13 - 12:15कि मुझमें बिलकुल भी साहस नहीं आ रहा था.
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12:16 - 12:19मैं डरी हुई थी,
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12:19 - 12:20घबराई हुई थी,
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12:21 - 12:24थोड़ी लज्जित भी,
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12:24 - 12:26कि मुझे यह पत्र लिखने मेेंं
एक महीना लग गया. -
12:26 - 12:28थोड़ी आशा इस बात की थी
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12:28 - 12:30कि शायद किसी को पता ही नहीं चलेगा
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12:30 - 12:32कि वह पत्र मैंने लिखा था.
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12:32 - 12:36इन सब भावनाओं के बीच
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12:36 - 12:37मैंने लिख ही डाला,
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12:37 - 12:40और किस्मत से, उससे जांच पड़ताल शुरू हो गई
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12:40 - 12:42जिसमें पाया गाया
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12:42 - 12:44कि प्रयोगशाला में बहुत अनियमितताएं थीं,
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12:44 - 12:47और थेरानॉस को मरीजों के नमूने
जांचने से रोक दिया गया. -
12:47 - 12:54(दर्शकों में तालियां)
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12:56 - 12:59अब आप सोच रहे होंगे,
कि इस सब से गुजरने के बाद, -
12:59 - 13:02यह सब झेलने के बाद,
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13:02 - 13:05मैं उपसंहार में कुछ सीखें, कुछ सार बताऊंगी
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13:05 - 13:09या ये बताऊंगी की आपको
ऐसी परिस्थिति में क्या करना चाहिए. -
13:09 - 13:12पर असल में, ऐसी परिस्थिति में,
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13:12 - 13:17सिर्फ़ प्रसिद्ध मुक्केबाज
माईक टायसन का कथन सही बैठता है - -
13:17 - 13:20"सब जानते हैं क्या करना है,
जब तक मुंह में मुक्का नहीं पड़ जाता." -
13:20 - 13:22(दर्शकों में हंसी)
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13:22 - 13:25बिलकुल ऐसा ही होता है.
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13:25 - 13:27पर आज,
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13:27 - 13:29हम साथ आए हैं उन अति महत्त्वाकांक्षी
सपनों की बात करने, -
13:29 - 13:34ये वो सपने/परियोजनाएं होती हैं
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13:34 - 13:35जो बड़े वादे करती हैं,
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13:35 - 13:37जिनपर सब विश्वास करना चाहते हैं.
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13:38 - 13:42लेकिन क्या होता है जब
आपके सपने इतने बड़े हों, -
13:42 - 13:45और उनमें विश्वास इतना दृढ़,
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13:45 - 13:50कि आप वास्तविकता को नज़रंदाज़ करने लगें?
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13:51 - 13:54ख़ासकर तब जब ऐसी परियोजनाएं
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13:54 - 13:57समाज को हानि पहुंचाने लगें,
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13:57 - 13:59तब आप क्या कदम उठा सकते हैं
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13:59 - 14:04जिससे इनसे होने वाली क्षति को
रोका जा सकता है? -
14:04 - 14:08मेेरे अनुसार, इसका सबसे आसान तरीका है
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14:08 - 14:13लोगों को प्रोत्साहित करना,
जिससे वे खुलकर सामने आ सकें. -
14:13 - 14:15साथ ही, ऐसे लोगों की आवाज़ को सुनना चाहिए.
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14:16 - 14:19अब बड़ा प्रश्न यह है,
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14:19 - 14:24कि खुलकर बोलने को अपवाद की बजाय
सामान्य कैसे बनाया जाए? -
14:24 - 14:31(दर्शकों में तालियां)
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14:31 - 14:34क़िस्मत से, मैंने अनुभव से ये समझा,
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14:34 - 14:37कि जब खुलकर सामने आने की बात आती है,
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14:37 - 14:40तो कई मामलों में ये सीधा सा काम लगता है.
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14:41 - 14:46पर कठिन यह है कि आप पहले तय कर लें,
आप बोलेंगे या नहीं. -
14:46 - 14:48तो हम आपने निर्णयों को किस तरह से आंकें
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14:48 - 14:53जिससे उन पर अमल करना आसान हो जाए
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14:53 - 14:55और हम नैतिक बने रहें?
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14:56 - 15:00कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी ने इसके लिए
एक बहुत बढ़िया वैचारिक रूपरेखा तैयार की है -
15:00 - 15:01जिसे "3C" कहा गया है.
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15:01 - 15:06Commitment (समर्पण), consciousness (सचेतन)
और competency (सामर्थ्य). -
15:06 - 15:09समर्पण- किसी भी कीमत पर
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15:09 - 15:11सही चीज़ करने का.
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15:11 - 15:12थेरानोस वाले मामले में
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15:13 - 15:14यदि मैं गलत होती,
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15:14 - 15:16तो मुझे उसकी कीमत चुकानी होती.
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15:16 - 15:18पर अगर मैं सही होती,
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15:18 - 15:20तो सब कुछ जानते हुए भी
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15:20 - 15:24कुछ ना कहना
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15:24 - 15:25मुझे कचोटता रहता.
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15:25 - 15:27चुप रहने की गूंज मेरे कानों में होती.
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15:29 - 15:31फ़िर आता है सचेतन,
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15:31 - 15:34दैनिक कार्यों में
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15:34 - 15:37नैतिकता रखना,
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15:37 - 15:38हमेशा.
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15:38 - 15:41तीसरा है सामर्थ्य.
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15:41 - 15:45जानकारी एकत्र करना, जांचना,
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15:45 - 15:48और भविष्य में होने वाले नुकसान का
आंकलन करना. -
15:48 - 15:51मुझे अपने सामर्थ्य पर भरोसा था
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15:51 - 15:55क्योंकि यह मैं दूसरों की भलाई के लिए
कर रही थी. -
15:55 - 15:59तो सबसे आसान तरीका यह होगा
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15:59 - 16:00कि आप कल्पना करें,
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16:00 - 16:03"यदि ऐसा मेरे बच्चों के साथ होता,
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16:03 - 16:04या मेरेे माता पिता के साथ,
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16:04 - 16:06मेरे जीवनसाथी के साथ,
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16:06 - 16:09मेरे पड़ोस में, मेरे समुदाय में,
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16:09 - 16:10और तब मैं ये कदम उठाता ....
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16:12 - 16:13तो लोग मुझे किस तरह से याद रखते?"
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16:15 - 16:16इसी के साथ
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16:16 - 16:18मैं आपसे विदा लेती हूं, और आशा करती हूं
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16:18 - 16:21कि हम सब वापस जाकर बडे़ बडे़ सपने देखेंगे,
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16:21 - 16:23और सिर्फ़ देखेंगे ही नहीं,
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16:23 - 16:27बल्कि उनको सच भी करेंगे
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16:27 - 16:33बिना किसी झूठ के, बिना किसी छलावे के.
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16:34 - 16:35धन्यवाद.
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16:35 - 16:36(दर्शकों में तालियां)
- Title:
- थेरानॉस - ध्यानाकर्षण और सत्याग्रह
- Speaker:
- एरिका चेऊंग
- Description:
-
2014 में एरिका चेऊंग ने एक ख़ोज की जिससे उनकी नियोक्ता कंपनी थेरानॉस बंद हो गई, और उसकी संस्थापक एलिजाबेथ होम्स की प्रतिष्ठा धूमिल हो गई. थेरानॉस एक ऐसी तकनीक पर काम कर रही थी जो उनके अनुसार चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति लाने वाली थी. सच को सामने लाने का निर्णय एक महत्वपूर्ण पाठ साबित हुआ कि व्यक्तिगत एवम् व्यावसायिक क्षेत्र में नैतिक द्वंद आने पर कैसे संभाला जाए. स्पष्टवादिता एवम् विनम्रता के साथ चेउंग अपने अनुभव साझा करती हैं कि किस प्रकार से उन्होंने सच को सामने लाया. साथ ही वे एक नैतिक रुपरेखा भी बताती हैं जो कि ऐसी परिस्थिति में मददगार साबित हो सकती है.
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 16:50
Arvind Patil approved Hindi subtitles for Theranos, whistleblowing and speaking truth to power | ||
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Arvind Patil accepted Hindi subtitles for Theranos, whistleblowing and speaking truth to power | ||
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