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महावारी के बारेमे सकारात्मक अभियान

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    माहवारी ,
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    एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया को परिभाषित
    कराने वाला साधारण शब्द
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    सदियों से एक कलंक के रूप में जाना जाता है,
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    इस रूप में बदल गया है कि जिसके बारे में
    हम केवल
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    फुसफुसाहट ही करते हैं ।
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    परन्तु ऐसा क्यों?
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    अब मैं आपसे
    बात कर रही हूँ ,
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    इस वक़्त भी, दुनिया भर की
    800 मिलियन से अधिक महिलाऐं
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    माहवारी से गुजर रही है।
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    इसके बिना हम में से कोई भी नहीं होता,
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    फिर भी चर्चा के लिए यह एक "शर्मनाक"
    विषय बना हुआ है|
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    अपने और अपने आसपास की महिलाओं के अनुभव से,
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    में आपको यह बता सकती हूँ, कि यह थकाऊ है। ।
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    बड़ी ही सावधानी से, छुपाते हुवे भूरे
    पेपर बैग से एक पेड
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    को निकालना बहुत ही थकाऊ होता है,
    चलती कक्षा में
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    इसे अपने पॉकेट में रखनाऔर जितना जल्दी
    संभव हो सके वाशरूम की और भागकर जाना।
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    कक्षा की पढ़ाई और मीटिंगों में बैठे रहना
    और फिर भी
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    सबकुछ सामान्य दर्शाना बहुत थकाऊ होता है,
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    वह भी तब जब माहवारी की ऐंठन से
    अंतर्दमन में दर्द फुट रहा हो
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    अनमने मन से यह कहना कि
    आप माहवारी मे हैं, बड़ा ही थकाऊ है
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    या फिर "माह के उस समय" का दुःख,
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    और सदियों से चल रही
    दकियानूसी
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    परम्पराओं से
    निरंतर लड़ना भी थकाऊ है
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    जो आपसे पूजा ना करने,
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    मंदिर ना जाने, खाना ना पकाने,
    अचार ना छूने को कहते हैं,
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    और यह लिस्ट ऐसे ही चलती जाती है
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    (हंसी)
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    पर आप जानते हैं, सबसे बुरी बात क्या है?
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    सबसे बुरी बात यह है कि ये बातें जो
    हमें काफी थकाने वाली लग रही हैं
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    ये पूरी बड़ी समस्या की केवल
    एक छोटी-सी झलक है |
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    क्यूंकि हम लोग जो इस
    कमरे में हैं,काफी
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    विशेषाधिकार प्राप्त हैं हम हर
    महीने सेनेटरी नैपकिन्स खरीद सकते हैं,
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    कोई समस्या आने पर
    गायनोकोलॉजिस्ट के पास जा सकते हैं,
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    हम हमारे मासिक चक्र के बारे में कि क्या
    सामान्य है और क्या असामान्य, बता सकते हैँ,
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    हमारे पास पानी, सफ़ाई और टॉयलेट है
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    जिससे हम अपनी प्राइवेसी और सफ़ाई
    को बनाये रख पाते हैं|
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    पर उनका क्या जिनके पास ये सब नहीं है?
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    दुनियाभर की उन 33.5 करोड़ लड़कियों का क्या
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    जो ऐसे विद्यालय में जाती है, जहाँ पानी
    और साबुन भी नहीं है
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    जिससे कि वे हाथ धो सके?
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    केन्या की 15 वर्षीय स्कूल जाने वाली
    लड़कियों का क्या,
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    जिन्हे सेनेटरी-नेपकिन्स खरीदने के लिये
    अपना जिस्म बेचना पड़ता है?
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    भारत के दो-तिहाई ग्रामीण माध्यमिक
    विद्यालयों की लड़कियों का क्या
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    जिनको शायद यह भी नहीं पता कि
    उनका शरीर रजोदर्शन के समय किन
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    बदलावों
    से गुज़र रहा है?
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    और अभी इस समय,
    जब हम सब यहाँ USA में एकत्रित हुए हैं |
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    तो, सेंट-लुइस, मिस्सौरी
    की 64 प्रतिशत महिलाओं के बारे में क्या,
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    जो पिछले साल में, मासिक धर्म
    के सवच्छता सम्बन्धित सामान
  • 2:29 - 2:30
    भी नहीं खरीद सकती थीं?
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    बेघर, ट्रांसजेंडर, इंटरसेक्स
    और विस्थापित लोगों
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    के संघर्षो का क्या
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    जिन्हे माहवारी होती है
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    उनके बारे में क्या?
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    माहवारी से गहरी जड़ो के रूप में
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    जुड़े कलंक की इस समस्या का आकार
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    अकल्पनीय है |
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    और इस हताशा को आवाज़ देने की इच्छा
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    मुझे, मेरे तीन साथियो के साथ
    एक अभियान शुरू
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    करने की तरफ लेकर आयी
    जो बदलाव के लिए कहता है,
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    माहवारी से जुड़ी पाबंदियों
    पर सवाल उठाता है,
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    और माहवारी से सम्बंधित
    सकारात्मकता फैलाता है |
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    हमारे अभियान का नाम "प्रवाहकृति " है,
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    जिसका जन्म उस सन्देश से हुआ
    जो हम दुनिया तक पहुँचाना चाहते हैं |
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    प्रवाह यानी की फ्लो (बहाव),
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    और कृति का मतलब है "एक खुबसूरत रचना "|
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    क्यूंकि मासिक धर्म जो
    अंततः सारी सृष्टि को जन्म देता है
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    किसी भी खूबसूरती से कम कैसे हो सकता है?
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    अब, एक सामाजिक मुद्दे के रूप में,
    मासिक धर्म के कई पहलू हैं
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    जोकि स्थिति को ओवरलैप, सुदृढ़
    और अधिक खराब करते हैं |
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    इसलिए हमने अपने अभियान को चार
    आधारभूत स्तम्भों पर आधारित किया है :
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    स्वास्थ्य, स्वच्छता, जागरूकता
    तथा सकरात्मकता फैलाना |
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    परन्तु हम इसे असल में लागू कैसे करते हैं?
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    खैर, हमने हमारे स्कूल की कक्षा की
    दीवारों से इसकी शुरआत करी थी|
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    बच्चों को पाठ्यपुस्तक या जैविक
    दृष्टिकोण से केवल
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    सामान्य रूप से माहवारी समझाने के बजाय,
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    हमने एक परिवर्तनात्मक ( इनोवेटिव )
    पद्धति को अपनाया |
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    हमने एक गतिविधि आयोजित की
    , जहाँ छात्रों ने
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    एक साथ मिलकर एक ब्रेसलेट को
    पकड़ा जिसमें 28 बीड्स थीं जो मासिक
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    धर्म की लम्बाई को दर्शा रहीं थीं,
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    जिनमें 4 से 7 बीड्स
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    अलग रंग की थीं,
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    जो एक स्त्री के
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    माहवारी के दिनों
    को दर्शा रहीं थीं |
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    और इस तरह से, हमने ना केवल
    उन्हें एक शैक्षिक तरीके से ये समझाया कि
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    माहवारी क्या है बल्कि
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    वह तरीका सुलभ और आकर्षक भी था|
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    एक अन्य उदाहरण के तौर पर,
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    हमने ऐंठन को कम करने के विभिन्न
    तरीकों की ख़ोज करी,
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    जिसमें स्कूल में ही कुछ प्राकृतिक
    उपचार तैयार करना भी शामिल था|
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    और हम अपने अभियान में केवल लड़कियों को
    ही शामिल करने पर नहीं रुके,
  • 4:33 - 4:35
    बल्कि लड़के भी समान रूप से शामिल हैं|
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    और हमारे को-टीम मेंबरों में
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    जैसा कि आपने देखा, एक लड़का भी है|
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    आंतरिक बातचीत के माध्यम से
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    जहाँ लड़कियां आराम से अपने व्यक्तिगत
    अनुभव साझा कर सकती हैं
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    और लड़के अपने प्रश्नों को सरलता से पूछ
    सकते हैं,
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    भले ही वो कितने भी "मूर्ख " क्यों
    ना लगें,
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    हमारे पुरुष स्वयंसेवकों ने जल्द ही अपनी
    असहजता पर काबू पा लिया,
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    वे ना केवल शैक्षिक सेशन ( सत्रों ) में
    सहायता करते हैं
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    बल्कि उनका नेतृत्व भी करते हैं |
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    स्पष्ट रूप से, एक समावेशी बातचीत
    |की शुरुआत करना,
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    जिसमें सभी जेंडर्स के लोग शामिल हों
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    और एक दूसरे को सुनते हों और
    सपोर्ट करते हों,
  • 5:05 - 5:06
    काफी आगे तक जा सकता है |
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    अब, हमारे अभियान को सफल बनाने के लिए,
    हमने व्यापक शोध किया,
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    स्त्री रोग विशेषज्ञों का साक्षात्कार किया,
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    पीरियड्स पर जनता की राय जानने के लिए
    लोगों के साक्षात्कार लिए
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    और इस क्षेत्र में काम कर रहे प्रोफेशनल्स
    के साथ पैनल चर्चा आयोजित करी |
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    और फिर हमने बदलाव लाने के लिए
    यात्रा शुरू करी|
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    हमने शिल्पोत्सव नामक एक स्थानीय मेले
    में एक स्टॉल का आयोजन किया,
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    जिसमें हमने सेनेटरी नैपकिन के
    आकार के लिफाफे और
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    माहवारी से जुड़ी सकारात्मकता के
    संदेशों वाले बुकमार्क्स बाँटे |
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    हमने सैकड़ों पैड दान किए
    जो हमने स्कूल में एक पैड डोनेशन ड्राइव
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    के द्वारा इकट्ठे किये |
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    सरकारी और धर्मार्थ विद्यालयों में जवान
    लड़कियों से मिलकर,
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    हमने उन्हें हॉपस्कॉच के खेल के माध्यम से
    पीरियड्स के बारे में बताया
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    और उन्हें पीरियड किट्स बाँटी जो
    हमने खुद बनाई थी
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    जिसमें पैड था और कुछ अन्य समान
    जैसे पेपर सोप
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    और सफाई बनाये रखने के लिए सेनेटाइज़र,
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    एक डार्क चॉक्लेट का टुकड़ा जिससे
    उनका मूड अच्छा हो,
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    एक अदरक वाली चाय का सैशे और भी कुछ चीजें |
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    हमने जो कुछ भी किया उसमें हमने आदर्श से
    परे और बाधाओं को तोडने का प्रयास किया,
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    फिर चाहें वो फिजिकल पीरियड ट्रैकर बनाना हो
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    जिसे लड़कियां बिना इंटरनेट की सुविधा
    के भी पा सकें
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    जिससे वो अपने मासिक चक्र का
    रिकॉर्ड रख पाएं
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    या नुक्कड़ नाटक करके, जनता को
    संवेदनशील बनाना
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    या यहां तक ​​कि एक वीडियो गेम विकसित
    करना जिसे "क्रिमसन क्रूसेड" कहा जाता है -
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    (हंसी)
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    जो लड़कों और लड़कियों दोनों को
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    विश्व स्तर पर महिलाओं को मासिक धर्म के
    कारण आने वाली समस्याओं से परिचित कराता है
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    और खिलाड़ी खेल में प्रगति करते हैं
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    मासिक धर्म राक्षसों को हराकर।
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    (हंसी)
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    इस प्रयास को टिकाऊ बनाने के लिए,
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    हमने कई विद्यालयों में सेनेटरी
    नेपकिन्स के 10 बॉक्स लगाये हैं|
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    धीरे-धीरे लोगों की सोच में बदलाव आ रहा है|
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    परन्तु क्या बदलाव इतनी आसानी से आ जाता है?
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    वंचित बच्चों के एक विद्यालय में,
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    हमारा सामना एक बालिका से हुआ जिसकी
    पहली माहवारी हुई थी
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    और उसने अपने प्रवाह को सोखने के
    लिए कुछ पहना भी नहीं था
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    उसकी स्थिति की कल्पना कीजिये,
  • 6:57 - 7:00
    असुविधाजनक और शर्मिंदगी के साथ
    कक्षा में बैठना
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    नीचे देखना और लालिमा देखना,
  • 7:02 - 7:06
    अपने पालकों की मदद मांगना, और पूछना की
    आपके साथ यह क्या हो रहा है|
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    और उसका कोई जवाब ना मिलना|
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    कुछ गलत करते हुवे पकड़े जाने की शर्मिंदगी,
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    शर्म और भय की कल्पना कीजिये
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    जो आपको अज्ञान, और सन्नाटें में
    रहने के लिए मजबूर करे और वो भी
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    आपके स्वास्थय और सम्मान की कीमत पर
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    जब हम अपने हिस्से का काम कर रहे हैं,
    हमारे प्रयास तभी सफल होंगे जब
  • 7:25 - 7:29
    आप में से प्रत्येक इस विचार को समझे
    और आगे फैलाये
  • 7:29 - 7:32
    यह विचार कि माहवारी
    पूरी तरह से सामान्य है,
  • 7:32 - 7:36
    यदि आप में से प्रत्येक इस संदेश को,
    हर उस व्यक्ति जिसे आप जानते हैं,
  • 7:36 - 7:37
    तक पहुचायेंगे |
  • 7:37 - 7:42
    जब हम पाचन रक्त परिसंचरण और
    श्वसन पर चर्चा कर सकते हैं,
  • 7:42 - 7:45
    सभी प्राकृतिक, जैविक प्रक्रियाएँ
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    तो फिर माहवारी के बारे में क्यों नहीं?
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    और आप भी इसे कम वर्जित बनाने में
    मदद कर सकते हैं,
  • 7:51 - 7:54
    केवल पुरुष मित्रों और परिवार के सदस्यों
    के साथ अधिक खुले होकर,
  • 7:54 - 7:55
    खुलेपन से बात करके
  • 7:55 - 7:58
    स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को
    सपोर्ट करके
  • 7:58 - 8:01
    जो मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन को
    बेहतर बनाने के लिए काम करते हैं,
  • 8:01 - 8:05
    अपने क्षेत्र में माध्यमिक विद्यालय के
    बच्चों के साथ मासिक धर्म ब्रेसलेट बनाकर
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    या अपने दोस्तों के साथ क्रिमसन
    क्रूसेड खेलकर भी|
  • 8:08 - 8:13
    हर छोटा कदम मायने रखता है, क्यूंकि
    इस मुद्दे को छुपाना और नज़रअंदाज़ करना
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    सेनेटरी अवशोषकों तक पहुंच की कमी
    को ज़ारी रखता है,
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    मासिक धर्म स्वास्थ्य से सम्बन्धित
    समस्याओं की नज़रअंदाज़ी,
  • 8:19 - 8:22
    स्कूल में अनुपस्थिति, संक्रमण
    और भी बहुत कुछ को ज़ारी रखता है |
  • 8:22 - 8:26
    मैं कुछ पंक्तियों के साथ समाप्त
    करना चाहूंगी
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    जो एक स्वयंसेवक ने हमारे लिए लिखीं :
  • 8:28 - 8:30
    "अब क्रिमसन की धारा घूमे
  • 8:30 - 8:32
    यहाँ सकारात्मकता की लहरें होने दें,
  • 8:32 - 8:33
    तालियों की गड़गड़ाहट,
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    महिलाओं से भरा गाँव
    जो खून बहने पर गर्वित हों|
  • 8:37 - 8:39
    यहाँ शिक्षा की एक महक होने दो
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    जो महिलाओं, पुरुषों और बच्चों द्वारा
    ली जाने ऑक्सीजन में बहे |
  • 8:44 - 8:47
    अब सभी अपनी माहवारी के चमत्कार को जानें
  • 8:47 - 8:50
    और "प्रवाहकृति " का जश्न मनाऐं |"
  • 8:50 - 8:51
    धन्यवाद्
  • 8:51 - 8:54
    (तालियाँ)
Title:
महावारी के बारेमे सकारात्मक अभियान
Speaker:
अनन्या ग्रोवर
Description:

सोशल एक्टिविस्ट अनन्या ग्रोवर का कहना है कि पीरियड होना थका देने वाला होता है - और दुनिया भर के कई लोगों के लिए, मासिक धर्म में बदबू और बुनियादी स्वच्छता की आपूर्ति में कठिनाई के कारण यह और भी अधिक चुनौतीपूर्ण है। इस उत्थान, कार्रवाही करने वाली बातचीत में, वह बताती है कि कैसे "प्रवाहकृति", उनका अभियान पीरियड पाजिटिविटी फैलाने के लिए, रचनात्मक रूप से मासिक धर्म स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, जागरूकता बढ़ाने और माहवारी के आसपास वर्जनाओं को तोड़ने के लिए सभी के साथ जुड़ता है।

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
09:08

Hindi subtitles

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