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महाकाव्य इंजीनियरिंग: ब्रुकलिन पुल का निर्माण - एलेक्स जेन्डलर

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    मध्य 19 वीं सदी में
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    पूरे यूरोप में
    प्रलम्बन पुल ढहते जा रहे थे।
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    उनके औद्योगिक तार
    उग्र मौसम में घिस जाते थे
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    और अपने पुल के भार से टूट जाते थे।
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    तो जब जॉन रॉबलिंग नाम के
    एक जर्मन-अमेरिकी इंजीनियर ने
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    न्यू यॉर्क की पूर्वी नदी पर
    अब तक का कल्पित सबसे बड़ा और सबसे महंगा
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    प्रलम्बन पुल बनाने का प्रस्ताव रखा रखा
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    तो शहर के अधिकारी जायज़ ही संशय में थे।
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    पर मैनहैट्टन की भीड़ तेज़ी बढ़ रही थी
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    और ब्रुकलिन के यात्री
    नदी में जाम लगा देते थे।
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    1867 की फरवरी में सरकार ने
    रॉबलिंग के प्रस्ताव को मंज़ूर कर दिया।
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    यूरोप के पुलों की विफलताओं से बचने के लिए
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    रॉबलिंग ने एक संकर पुल का प्रतिमान बनाया।
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    उन्होंने प्रलम्बन पुलों से,
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    केन्द्रीय स्तम्भों के सहारे से हर तट पर
    लंगर डाले हुए बड़े तारों को संयुक्त किया।
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    यह बनावट ऐसे लम्बे पुलों को
    सहारा देने के लिए आदर्श थी,
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    जिन्हें थोड़े छोटे
    लंबरूप तारों से लटकना था।
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    परन्तु रॉबलिंग का प्रतिमान
    तार धारित पुलों से भी प्रेरित था।
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    यह थोड़ी छोटी संरचनाऐं अपने पुलों को
    तिरछे तारों से खड़ा रखती थीं
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    जो सीधे सहारा देने वाले
    बुर्जों को जाते थे।
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    इन अतिरिक्त तारों को जोड़कर रॉबलिंग ने,
    न केवल लंगर डाले हुए तारों पर पड़ते हुए
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    भार को कम किया,
    बल्कि पुल की स्थिरता में भी सुधार किया।
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    कुछ दुसरे पुलों के लिए
    समान बनावट का प्रयोग किया गया था
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    परन्तु रॉबलिंग की योजना की परिधि
    उन सबको पीछे छोड़ देती थी।
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    उनका नया पुल 480 मीटर तक जाता था --
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    इससे पहले बने किसी भी प्रलम्बन पुल से
    1.5 गुना ज़्यादा।
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    क्योंकि साधारण सन का रस्सा
    पुल के 14,680 टन के भार से टूट जाता,
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    उनके प्रस्ताव ने पुल के तार बनाने के लिए
    5,600 किलोमीटर से भी ज़्यादा
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    धातु के तारों के मांग की।
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    इतने सारे भार को सहारा देने के लिए
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    बुर्जों को समुद्र स्तर से
    90 मीटर ऊपर खड़ा होना था--
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    जिससे वह पश्चिमी गोलार्ध्द की
    सबसे ऊँची संरचनाएँ बन जाते।
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    रॉबलिंग को आत्मविश्वास था
    कि उनकी बनावट काम करेगी,
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    परन्तु 1869 में
    स्थल का सर्वेक्षण करते हुए,
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    एक आती हुई नाव ने
    बंदरगाह पर उनका पैर कुचल दिया।
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    एक माह के अन्दर
    धनुस्तंभ से उनकी मृत्यु हो गई।
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    भाग्यवश, जॉन रॉबलिंग के बेटे, वॉशिंगटन भी,
    एक प्रशिक्षित इंजीनियर थे
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    और उन्होंने अपने पिता का
    कार्यभार सम्भाल लिया।
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    आने वाले वर्ष में, बुर्जों की बुनियादों के
    निर्माण का कार्य, आखिरकार आरम्भ हुआ।
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    निर्माण कार्य का यह पहला कदम
    सबसे चुनौतीपूर्ण भी था।
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    पथरीली नदी-तल पर निर्माण करने में ज़्यादातर
    अपरीक्षित प्रौद्योगिकी का प्रयोग होता था,
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    जिसे वायवीय केसन कहते हैं।
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    कर्मीदल इन लकड़ी के
    वायु-रोधक डब्बों को नदी में उतारते थे,
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    जहाँ एक पाइपों की प्रणाली दबाव वाली हवा को
    अन्दर पम्प करती और पानी बाहर निकालती थी।
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    एक बार स्थापित होने के बाद
    हवा बन्द होने से कर्मीदल कक्ष में घुसकर
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    नदी के तल की खुदाई कर सकता था।
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    जैसे जैसे वह खोदते जाते थे
    केसन पर पत्थरों की परत लगते जाते थे।
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    जब वह आखिरकार आधार से टकराते थे,
    उसको कंक्रीट से भर देते थे,
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    जिससे वह बुर्ज की
    स्थायी बुनियाद बन जाता था।
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    इन केसनों में कार्य करने की स्थिति
    निराशाजनक और खतरनाक थीं।
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    केवल मोमबत्तियों और लालटेनों से प्रज्वलित,
    इन कक्षों में कई बार आग लग जाती थी,
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    जिससे उनको खाली करा कर पानी भरना पड़ता था।
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    उससे भी ज़्यादा खतरनाक थी एक
    रहस्यमय बीमारी जिसे "दि बेन्ड्स" कहते थे।
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    आज हम इसे
    विसंपीड़न बीमारी के नाम से जानते हैं
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    परन्तु उस समय वह एक
    अस्पष्ट दर्द या चक्कर आने जैसा लगता था
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    जिसने कई कर्मियों का जीवन ले लिया।
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    1872 में,
    इसने मुख्य इंजीनियर की लगभग जान ले ली।
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    वॉशिंगटन बच गए,
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    परन्तु उन्हें बायीं तरफ लकवा मार गया
    और वह शय्याग्रस्त हो गए।
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    पर एक बार फ़िर,
    रॉबलिंग परिवार अदम्य साबित हुए।
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    वॉशिंगटन की पत्नी एमिली ने
    न केवल अपने पति और इंजीनियरों के बीच
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    संचार कराया,
    बल्कि जल्द ही
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    रोज़ के परियोजना प्रबंधन को भी
    अपने हाथों में ले लिया।
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    दुर्भाग्यवश, पुल की कठिनाइयाँ
    ख़त्म होने से अभी कोसों दूर थीं।
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    1877 तक, निर्माण कार्य आय-व्ययक से ऊपर
    और निर्धारित समय से पीछे था।
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    ऊपर से, पता चला कि पुल के तारों का ठेकेदार
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    उनको दोषपूर्ण तार बेच रहा था।
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    अगर जॉन रॉबलिंग की रचना में
    चूक से बचने के अत्यधिक तरीके नहीं होते
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    तो यह एक जानलेवा दोष होता।
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    तारों को अतिरिक्त तारों से
    सुदृढ़ बनाने के बाद
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    उन्होंने पुल को
    टुकड़े-टुकड़े में प्रलंबित किया।
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    इसमें 14 वर्ष,
    आज के 40 करोड़ डॉलर,
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    और तीन अलग अलग रॉबलिंग के
    जीवन भर का कार्य लगा
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    परन्तु जब 24 मई 1883 को
    ब्रुकलिन पुल आखिरकार खुला
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    तो उसका वैभव निर्विवाद था।
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    आज ब्रुकलिन पुल
    उन्हीं पुराने केसनों के ऊपर
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    उन गॉथिक बुर्जों और अन्तर्विभाजक तारों को
    सहारा देते हुए खड़ा है
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    जो न्यू यॉर्क शहर के
    प्रवेश द्वार की चौखट की तरह है।
Title:
महाकाव्य इंजीनियरिंग: ब्रुकलिन पुल का निर्माण - एलेक्स जेन्डलर
Speaker:
एलेक्स जेन्डलर
Description:

पूरा पाठ पढ़ें: : https://ed.ted.com/lessons/epic-engineering-building-the-brooklyn-bridge-alex-gendler

मध्य 19 वीं सदी में पूरे यूरोप में प्रलम्बन पुल ढहते जा रहे थे। उनके औद्योगिक तार उग्र मौसम में घिस जाते थे और अपने पुल के भार से टूट जाते थे। तो जब जॉन रॉबलिंग नाम के एक जर्मन-अमेरिकी इंजीनियर ने न्यू यॉर्क की पूर्वी नदी पर अब तक का कल्पित सबसे बड़ा और सबसे महंगा प्रलम्बन पुल बनाने का प्रस्ताव रखा रखा, तो शहर के अधिकारी जायज़ ही संशय में थे। एलेक्स जेन्डलर प्रतिष्ठित ब्रुकलिन पुल के निर्माण के बारे में विस्तृत करते हैं।

पाठ एलेक्स जेन्डलर द्वारा, जेरेमिया डिकी द्वारा निर्देशित।

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TED-Ed
Duration:
04:52

Hindi subtitles

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