त्रासदी के बाद क्या होता है? क्षमादान
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0:02 - 0:06आज़िम ख़मीसा: हम मनुष्यों के जीवन में
बहुत से निर्णायक क्षण आते हैं। -
0:06 - 0:08कई बार ये क्षण आनंदपूर्ण होते हैं,
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0:09 - 0:11और कई बार उदासी से भरे,
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0:11 - 0:13त्रासदीपूर्ण।
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0:13 - 0:18परंतु यदि हम इन निर्णायक क्षणों में,
सही चुनाव कर पाएँ, -
0:19 - 0:22तो हम खुद में और दूसरों में
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0:22 - 0:25सचमुच एक चमत्कार प्रकट कर सकते हैं।
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0:25 - 0:28मेरा इकलौता बेटा, तारिक,
यूनिवर्सिटी में पढ़ता था, -
0:28 - 0:32दयालु, उदार, अच्छा लेखक,
बहुत अच्छा फ़ोटोग्राफर, -
0:32 - 0:36नेशनल जियोग्राफिक में
काम करने की चाह थी, -
0:36 - 0:38एक खूबसूरत लड़की से उसकी सगाई हो चुकी थी,
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0:38 - 0:42शुक्रवार और शनिवार को
पिज़्ज़ा बांटने का काम करता था। -
0:42 - 0:45उसे एक युवा गिरोह द्वारा
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0:45 - 0:46फर्जी पते पर बुलाया गया।
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0:47 - 0:49और गिरोह के दीक्षा संस्कार में,
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0:50 - 0:53एक १४-वर्षीय ने गोली चलाकर उसे मार डाला।
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0:55 - 0:58एक मासूम, निहत्थे युवक की
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0:58 - 1:03अचानक, निर्मम मौत;
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1:04 - 1:06एक परिवार के लिए असहनीय गम;
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1:07 - 1:13वह भ्रम, जब आप एक नई घृणित वास्तविकता को
अपनाने की कोशिश करते हैं। -
1:14 - 1:17कहने की ज़रूरत नहीं
मेरा जीवन थम सा गया। -
1:17 - 1:20मेरे लिए दूसरे शहर में रहने वाली
उसकी माँ को फ़ोन करना -
1:20 - 1:23मेरे लिए सबसे मुश्किल काम था।
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1:23 - 1:26आप एक माँ को कैसे बताते
कि वह अपने बेटे से कभी मिल नहीं पाएगी, -
1:26 - 1:27ना ही उसकी हंसी सुन पाएगी,
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1:27 - 1:28ना ही उसे गले लगा सकेगी?
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1:31 - 1:32मैं एक सूफी मुस्लिम हूँ।
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1:33 - 1:35दिन में दो बार नमाज़ पढ़ता हूँ।
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1:36 - 1:37और कभी-कभी,
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1:37 - 1:40गहरे आघात और गहरी त्रासदी में
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1:40 - 1:42रोशनी की एक झलक दिखती है।
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1:43 - 1:46तो मुझे नमाज़ पढ़ते समय एहसास हुआ
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1:46 - 1:49कि बंदूक के दोनों ओर पीड़ित थे।
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1:50 - 1:54यह देखना तो आसान है
कि मेरा बेटा १४-वर्षीय के हाथों मारा गया, -
1:54 - 2:00थोड़ा जटिल है यह देख पाना
कि वह अमरीकी समाज के हाथों मारा गया। -
2:00 - 2:03और इससे सवाल उठता है,
अमरीकी समाज है कौन? -
2:04 - 2:05वह मैं और आप ही तो हैं,
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2:05 - 2:09क्योंकि मैं नहीं मानता
कि समाज ऐसे ही बन जाता है। -
2:09 - 2:13मुझे लगता है कि इस समाज को
बनाने में हम सभी ज़िम्मेदार हैं। -
2:14 - 2:17और जहाँ बच्चे ही बच्चों का मार डालें
वह कोई सभ्य समाज की निशानी नहीं। -
2:18 - 2:20तो तारिक की मौत के नौ महीनों बाद,
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2:21 - 2:23मैंने तारिक ख़मीसा फांउडेशन की शुरूआत की
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2:24 - 2:26और तारिक ख़मीसा फांउडेशन
का मुख्य लक्ष्य है -
2:27 - 2:29इस युवा हिंसा के चक्र को तोड़कर
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2:29 - 2:32बच्चों को बच्चों
द्वारा मारे जाने से रोकना। -
2:32 - 2:34और हमारे पास तीन जनादेश हैं।
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2:34 - 2:38सबसे पहला और महत्वपूर्ण है
बच्चों का जीवन बचाना। -
2:38 - 2:42ऐसा करना ज़रूरी है।
हम रोज़ कितने ही जीवन खो देते हैं। -
2:43 - 2:44हमारा दूसरा जनादेश
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2:45 - 2:50सही विकल्पों को सशक्त करना है
ताकि बच्चे गलत राह पर जाकर -
2:50 - 2:54गिरोह और अपराध और नशे
और शराब और हथियारों का जीवन ना चुनें। -
2:54 - 3:00और अहिंसा, करूणा, सहानुभूति,
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3:01 - 3:03क्षमा के सिद्धांत सिखाना ही
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3:03 - 3:05हमारा तीसरा जनादेश है।
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3:06 - 3:08मैंने एक मामूली सी बात को लेकर शुरू किया
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3:08 - 3:10कि हिंसक बनना सीखा जाता है।
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3:10 - 3:12कोई बच्चा हिंसक पैदा नहीं होता।
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3:13 - 3:15यदि आप इसे सामान्य सत्य मान लें,
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3:15 - 3:18अहिंसक होना भी सीखा जा सकता है,
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3:18 - 3:20पर आपको सिखाना होगा,
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3:20 - 3:22क्योंकि बच्चे
इसके सम्पर्क में आकर नहीं सीखेंगे। -
3:24 - 3:28उसके बाद, मैं अपने इस भाई के पास गया,
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3:29 - 3:31इस रवैये के साथ
कि हम दोनों ने अपना बेटा खोया है। -
3:31 - 3:33मेरा बेटा तो मर गया।
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3:33 - 3:35इनका दोहता व्यस्क जेल प्रणाली खा गई।
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3:35 - 3:37और मैंने इन्हें मेरा साथ देने को कहा।
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3:37 - 3:41जैसा कि आप देख रहे हैं,
२२ सालों के बाद भी हम साथ हैं, -
3:41 - 3:44क्योंकि मैं तारिक को जीवित नहीं कर सकता,
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3:44 - 3:46यह टोनी को जेल से नहीं निकाल सकते,
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3:46 - 3:48पर हम दोनों एक काम कर सकते हैं
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3:48 - 3:51कि हमारे समुदाय का कोई भी युवा मरे नहीं
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3:51 - 3:54और ना ही जेल की सलाखों के पीछे जाए।
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3:54 - 3:56अल्लाह की कृपा से,
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3:56 - 3:59तारिक ख़मीसा फांउडेशन सफल रही है।
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3:59 - 4:02हमारा एक सुरक्षिक स्कूल मॉडल है
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4:02 - 4:04जिसके चार अलग कार्यक्रम हैं।
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4:04 - 4:07पहले में मेरे और प्लेस
के साथ बैठक होती है। -
4:07 - 4:08हमारा परिचय करवाया जाता है,
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4:08 - 4:10इस आदमी के दोहते ने
इस आदमी के बेटे को मार डाला, -
4:10 - 4:11और यह दोनों एक साथ यहाँ हैं।
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4:11 - 4:14हमारे पास कक्षा में पाठ्यक्रम है।
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4:14 - 4:17स्कूल के बाद सलाह देने का कार्यक्रम है,
और हम एक शांति क्लब बनाते हैं। -
4:18 - 4:19और मुझे आपको बताते हुए खुशी है
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4:19 - 4:23कि अहिंसा के ये सिद्धांत सिखाने के अलावा,
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4:23 - 4:26हम बच्चों के स्कूल से निलम्बन और निष्कासन
में ७० प्रतिशत कमी करने में सफल हुए हैं, -
4:26 - 4:29(तालियाँ)
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4:29 - 4:30जो बहुत बड़ी संख्या है।
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4:30 - 4:31(तालियाँ)
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4:31 - 4:33जो बहुत बड़ी संख्या है।
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4:33 - 4:36तारिक की मौत के पाँच सालों बाद,
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4:36 - 4:39और मुझे अपनी क्षमा की यात्रा
पूर्ण करने के लिए, -
4:39 - 4:41मैं उस युवक से मिलने गया
जिसने मेरे बेटे को मारा था। -
4:41 - 4:43वह १९ वर्ष का था।
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4:44 - 4:47और मुझे वह मुलाकात याद है
क्योंकि हम... -
4:47 - 4:49वह अब ३७ का है, अभी भी जेल में...
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4:49 - 4:52पर उस पहली मुलाकात में,
हमने नज़रें मिलाई। -
4:52 - 4:55मैं उसकी आँखों में देख रहा था,
वह मेरी आँखों में देख रहा था, -
4:55 - 4:59और मैं उसकी आँखों में हत्यारे को
खोज रहा था, जो मुझे नहीं मिला। -
4:59 - 5:01मैंने उसकी आँखों से
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5:01 - 5:03उसकी मानवता को स्पर्ष किया, तो जाना
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5:03 - 5:07कि उसके भीतर का वह प्रकाश
मेरे भीतर के प्रकाश से भिन्न नहीं था -
5:07 - 5:09ना ही किसी और के भीतर के प्रकाश से।
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5:09 - 5:12तो मैं उसकी अपेक्षा नहीं कर रहा था।
वह अपने किए पर शर्मिंदा था। -
5:12 - 5:14वह स्पष्टवादी था। वह शिष्ट था।
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5:14 - 5:17और मैं बता सकता था
कि मेरी क्षमा से वह बदल गया था। -
5:19 - 5:22तो, इसके साथ ही कृपया स्वागत करें
मेरे भाई, प्लेस का। -
5:22 - 5:24(तालियाँ)
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5:27 - 5:32प्लेस फीलिक्स: टोनी,
मेरी इकलौती बेटी का इकलौता बच्चा है। -
5:32 - 5:35टोनी का जन्म हुआ
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5:35 - 5:37जब मेरी बेटी मात्र १५ वर्ष की थी।
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5:39 - 5:42मातृत्व इस संसार का सबसे कठिन कार्य है।
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5:42 - 5:46इस संसार में इससे कठिन कार्य कोई नहीं
कि आप एक नन्हीं जान को बड़ा करें -
5:46 - 5:49उसे सुरक्षित रखें,
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5:49 - 5:52सही स्थिति में रखें
कि वह जीवन में सफल हो पाए। -
5:53 - 5:56टोनी ने बचपन में बहुत हिंसक अनुभव किए।
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5:57 - 5:59उसने लॉस एंजल्स में गिरोहों की आपस में
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5:59 - 6:01स्वचालित हथियारों से बरसती आग में अपने
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6:01 - 6:04सबसे प्यारे चचेरे भाई की हत्या होते देखी।
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6:04 - 6:06वह बहुत दर्द से पीड़ित था।
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6:07 - 6:09टोनी मेरे साथ रहने आ गया।
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6:09 - 6:12मैं चाहता था कि उसके पास वह सब हो
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6:12 - 6:14जो एक बच्चे को सफल होने के लिए चाहिए।
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6:15 - 6:17पर इस खास शाम को,
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6:17 - 6:19मेरे साथ कई साल बिताने के बाद,
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6:19 - 6:21और सफल होने के लिए कई प्रयत्न करने के बाद
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6:21 - 6:25और एक सफल इन्सान बनने की मेरी चाह पर
पूरा उतर पाने की कोशिश में -
6:26 - 6:29टोनी इस खास शाम को घर से भाग गया,
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6:29 - 6:32उन लोगों के पास चला गया
जिन्हें वह अपना दोस्त समझता था, -
6:32 - 6:33उसे नशा करवाया और शराब पिलाई गई
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6:33 - 6:34और उसने वह सब किया
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6:34 - 6:38क्योंकि उसने सोचा
कि उससे वह बेफिक्र महसूस करेगा। -
6:38 - 6:41पर उससे केवल उसका तनाव और बढ़ा
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6:41 - 6:43और उसकी सोच...
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6:45 - 6:48और भी खतरनाक हो गई।
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6:49 - 6:51उसे एक डकैती में बुलाया गया,
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6:51 - 6:53उसे एक ९एमएम की हैंडगन दी गई।
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6:54 - 6:56और एक १८-वर्षीय जिसने उसे आदेश दिया
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6:56 - 7:00और दो १४-वर्षीय लड़के जिन्हें
वह दोस्त समझता था, उनकी मौजूदगी में -
7:00 - 7:03उसने तारिक ख़मीसा को गोली मार दी,
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7:03 - 7:05जो इस आदमी का बेटा था।
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7:08 - 7:10कोई शब्द ब्यान नहीं कर सकते
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7:10 - 7:14एक बच्चे को खोने का गम।
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7:15 - 7:18मेरी समझ के अनुसार मेरा दोहता
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7:18 - 7:19इस आदमी की हत्या का ज़िम्मेदार था,
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7:19 - 7:23बड़े-बूढ़ों के कहे अनुसार
मैं प्रार्थना में गया, -
7:23 - 7:25और वहाँ प्रार्थना करने लगा।
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7:25 - 7:27श्रीमान ख़मीसा और मुझ में एक समानता है,
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7:27 - 7:30जो हम जानते नहीं थे,
अच्छे इन्सान होने के अलावा, -
7:30 - 7:32हम दोनों ईश्वर में ध्यान लगाते हैं।
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7:32 - 7:33(हंसी)
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7:33 - 7:34इससे मुझे बहुत मदद मिली
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7:34 - 7:38क्योंकि इससे मुझे मार्गदर्शन
और स्पष्टता के लिए एक अवसर मिला -
7:38 - 7:44कि मैं इस स्थिति में इस आदमी
और इसके परिवार की सहायता कैसे करूँ। -
7:44 - 7:46और मेरी प्रार्थना स्वीकार हुई,
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7:46 - 7:49क्योंकि मुझे इस आदमी के घर पर
मिलने के लिए बुलाया गया, -
7:49 - 7:52इनके माता-पिता से मिला,
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7:52 - 7:55इनकी बीवी, भाई, उनके परिवारों से मिला
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7:55 - 8:00और इस इन्सान की अगुआई में ईश्वर में
विश्वास रखने वाले लोगों के साथ मिलकर -
8:00 - 8:02जो क्षमा की भावना लिए,
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8:02 - 8:05एक रास्ता निकाला, मुझे अवसर दिया
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8:06 - 8:09कि मैं कुछ काम आ सकूँ
और इन्हें और बच्चों को -
8:09 - 8:14एक ज़िम्मेदार व्यस्क के साथ रहने का महत्व,
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8:14 - 8:16अपने गुस्से पर अच्छी तरह से
ध्यान देने के महत्व, -
8:16 - 8:18ध्यान लगाने का महत्व बता सकूँ।
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8:18 - 8:21तारिक ख़मीसा फांउडेशन में
हमारे जो कार्यक्रम हैं -
8:21 - 8:24उनसे बच्चों को बहुत कुछ मिलेगा
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8:24 - 8:26जिसका वे उम्र भर प्रयोग कर सकते हैं।
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8:26 - 8:29यह ज़रूरी है कि हमारे बच्चे समझें
कि स्नेही, ध्यान रखने वाले बड़े लोग -
8:30 - 8:31उनकी परवाह करते हैं और समर्थन भी,
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8:31 - 8:35पर ज़रूरी है कि हमारे बच्चे
ईश्वर में ध्यान लगाना सीखें, -
8:35 - 8:37शांतिप्रिय बनना सीखें,
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8:37 - 8:38ध्यान लगाना सीखें
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8:38 - 8:41और बाकी बच्चों के साथ
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8:41 - 8:43दयालु, भावनात्मक
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8:43 - 8:45और प्यार भरी बातचीत करना सीखें।
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8:45 - 8:47हमारे समाज में प्यार की ज़रूरत है
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8:47 - 8:50और इसीलिए हम यहाँ हैं
बच्चों के साथ इस प्यार को बाँटने के लिए, -
8:50 - 8:52क्योंकि हमारे बच्चे ही
हमारे लिए राह बनाएँगे, -
8:53 - 8:55क्योंकि हम सभी
हमारे बच्चों पर निर्भर होंगे। -
8:55 - 8:59जैसे-जैसे हम बूढ़े होकर निवृत्त होंगे,
वे इस संसार पर राज करेंगे, -
8:59 - 9:02तो जितना प्यार हम उन्हें सिखाएंगे,
वे हमें वापिस देंगे। -
9:02 - 9:04आशीर्वाद। धन्यवाद।
-
9:04 - 9:08(तालियाँ)
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9:10 - 9:14अ.ख़: मेरा जन्म केन्या में हुआ,
इंगलैंड में शिक्षा, -
9:14 - 9:17और मेरे भाई बैपटिस्ट हैं।
-
9:17 - 9:19मैं एक सूफी मुस्लिम हूँ।
-
9:19 - 9:21यह अफ्रीकी अमरीकी हैं,
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9:21 - 9:24पर मैं इन्हें हमेशा कहता हूँ,
अफ्रीकी अमरीकी तो मैं हूँ। -
9:24 - 9:25मैं अफ्रीका में पैदा हुआ। आप नहीं।
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9:25 - 9:28(हंसी)
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9:28 - 9:30और मैं अमरीका का नागरिक बना।
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9:30 - 9:32मैं पहली पीढ़ी का नागरिक हूँ।
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9:32 - 9:36और मुझे लगा कि अमरीकी नागरिक होने के नाते,
-
9:36 - 9:39अपने बेटे की हत्या में
-
9:39 - 9:42मुझे अपने हिस्से की
ज़िम्मेदारी तो माननी होगी। -
9:42 - 9:46क्यों? क्योंकि बंदूक
तो अमरीकी बच्चे ने ही चलाई थी। -
9:46 - 9:48आप कह सकते हैं,
उसने मेरे इकलौते बेटे को मार डाला, -
9:48 - 9:51उसे तो फांसी लटकाया जाना चाहिए।
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9:52 - 9:54उससे समाज का सुधार कैसे होगा?
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9:54 - 9:58और मैं जानता हूँ आप शायद सोच रहे होंगे
कि उस नौजवान का क्या हुआ। -
9:59 - 10:03वह अभी भी जेल में है।
२२ सितम्बर को ३७ वर्ष का हुआ, -
10:04 - 10:05पर मेरे पास एक अच्छी खबर है।
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10:05 - 10:08१२ सालों से हम उसे जेल से
बाहर लाने की कोशिश कर रहे हैं। -
10:08 - 10:11आखिरकार वह एक साल में हमारे साथ होगा।
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10:11 - 10:15(तालियाँ)
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10:18 - 10:21और मैं बहुत खुश हूँ
कि वह हमारे साथ आने वाला है, -
10:21 - 10:23क्योंकि मैं जानता हूँ हमने उसे बचा लिया,
-
10:23 - 10:27पर वह हज़ारों छात्रों को बचाएगा
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10:27 - 10:29जब वह स्कूलों में अपना बयान देगा
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10:29 - 10:32जहाँ हम नियमित रूप से जाते हैं।
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10:33 - 10:36जब वह बच्चों से कहेगा,
"११ वर्ष की उम्र में गिरोह में शामिल हुआ। -
10:36 - 10:39जब मैं १४ वर्ष का था,
मैंने श्रीमान खमीसा के बेटे को मार डाला। -
10:39 - 10:41पिछले कई साल जेल में बिताए।
-
10:41 - 10:44तुम्हें बता रहा हूँ: इसका कोई फायदा नहीं,"
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10:44 - 10:47आपको लगता है बच्चे उसकी बात सुनेंगे?
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10:47 - 10:50हाँ, क्योंकि उसकी आवाज़ के उतार-चढ़ाव में
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10:50 - 10:53उस इन्सान की आवाज़ होगी
जिसने बंदूक चलाई थी। -
10:53 - 10:58और मैं जानता हूँ
वह समय को वापिस मोड़ना चाहता है। -
10:58 - 11:00ऐसा होना तो मुमकिन नहीं।
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11:00 - 11:03काश मुमकिन होता।
मेरा बेटा मुझे वापिस मिल जाता। -
11:03 - 11:05मेरे भाई को उनका दोहता मिल जाता।
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11:06 - 11:10तो मुझे लगता है
यह क्षमा की शक्ति प्रदर्शित करता है। -
11:12 - 11:14तो यहाँ महत्वपूर्ण बात क्या है?
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11:15 - 11:18मैं इस सत्र के अंत में
यह उद्धरण कहना चाहूँगा, -
11:18 - 11:21जो मेरी चौथी किताब का आधार है,
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11:21 - 11:23जो कि संयोगवश,
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11:23 - 11:25उस किताब की प्रस्तावना टोनी ने लिखी थी।
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11:27 - 11:31तो उसमें लिखा है: सद्भावना की
निरंतरता ही मित्रता को जन्म देती है। -
11:31 - 11:33बम फेंक कर तो
आप मित्र नहीं बना सकते, हैं न? -
11:33 - 11:35सद्भावना दिखा कर ही आप मित्र बना सकते हैं।
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11:35 - 11:36वह तो स्पष्ट सी बात है।
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11:36 - 11:39तो निरंतर सद्भावना से मित्रता बनती है,
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11:39 - 11:41निरंतर मित्रता से विश्वास बनता है,
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11:41 - 11:44निरंतर विश्वास से सहानुभूति पनपती है,
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11:44 - 11:46निरंतर सहानुभूति से करूणा पैदा होती है,
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11:46 - 11:49और निरंतर करूणा से शांति का उदय होता है।
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11:49 - 11:51मैं इसे शांति का सूत्र कहता हूँ।
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11:51 - 11:57इसकी सद्भावना, दोस्ती, विश्वास, सहानुभूति,
करुणा और शांति से शुरूआत होती है। -
11:57 - 12:00परंतु लोग मुझे पूछते हैं,
जिसने आपके बेटे को मारा -
12:00 - 12:02आप उसके प्रति सहानुभूति
कैसे दिखा सकते हैं? -
12:03 - 12:05मैं उन्हें कहता हूँ
आप क्षमादान से ऐसा कर सकते हैं। -
12:05 - 12:07जैसा कि स्पष्ट है कि मेरे लिए सफल रहा।
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12:08 - 12:09मेरे परिवार के लिए सफल रहा।
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12:09 - 12:12टोनी के लिए चमत्कार किया,
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12:12 - 12:14उनके परिवार के लिए सफल रहा,
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12:14 - 12:17यह आपके और आपके परिवार
के लिए सफल हो सकता है, -
12:18 - 12:20इज़राइल और फ़िलिस्तीन ,
उत्तर और दक्षिणी कोरिया, -
12:21 - 12:23इराक, अफगानिस्तान, इरान और सीरिया
के लिए काम कर सकता है। -
12:23 - 12:26संयुक्त राज्य अमरीका के लिए
सफल हो सकता है। -
12:27 - 12:30तो मेरी बहनो और थोड़े से भाइयो,
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12:30 - 12:31मैं आपसे इजाज़त लेता हूँ...
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12:31 - 12:33(हंसी)
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12:33 - 12:35इस बात के साथ कि शांति सम्भव है।
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12:36 - 12:38मैं कैसे जानता हूँ?
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12:38 - 12:40क्योंकि मैं शांति महसूस करता हूँ।
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12:40 - 12:42बहुत-बहुत धन्यवाद। नमस्ते।
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12:42 - 12:45(तालियाँ)
- Title:
- त्रासदी के बाद क्या होता है? क्षमादान
- Speaker:
- अज़ीम ख़मीसा, प्लेस फीलिक्स
- Description:
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१९९५ की एक भयानक रात को, प्लेस फीलिक्स के १४-वर्षीय दोहते ने नशे, शराब और अपनेपन की एक झूठी भावना में धुत होकर अज़ीम ख़मीसा के बेटे को गिरोह के दीक्षा संस्कार में मार डाला। इस भयानक घटना ने अज़ीम ख़मीसा और प्लेस फीलिक्स को ईश्वर के ध्यान में लीन कर दिया, क्षमा करो और क्षमा पाओ... और साहस और सुलह के इस कार्य में, दोनों मिले और एक कभी ना टूटने वाले बंधन में बंध गए। एक साथ मिलकर, उन्होंने अपनी कहानी को एक बेहतर और अधिक दयालु समाज के लिए एक रूपरेखा के रूप में उपयोग किया है, जहाँ त्रासदी के शिकार लोग अपना गम भूल सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं। उनकी अकाल्पनिक कहानी आपको द्रवित कर देगी। ख़मीसा कहते हैं, "शांति संभव है। मैं यह कैसे जानता हूँ? क्योंकि मैं शांति महसूस करता हूँ।"
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 13:06
Omprakash Bisen approved Hindi subtitles for What comes after tragedy? Forgiveness | ||
Arvind Patil accepted Hindi subtitles for What comes after tragedy? Forgiveness | ||
Arvind Patil edited Hindi subtitles for What comes after tragedy? Forgiveness | ||
Monika Saraf edited Hindi subtitles for What comes after tragedy? Forgiveness | ||
Monika Saraf edited Hindi subtitles for What comes after tragedy? Forgiveness | ||
Monika Saraf edited Hindi subtitles for What comes after tragedy? Forgiveness | ||
Monika Saraf edited Hindi subtitles for What comes after tragedy? Forgiveness | ||
Monika Saraf edited Hindi subtitles for What comes after tragedy? Forgiveness |