समाज में, हमे व्यवस्था बनाए रखने के लिए कानून का पालन करना पड़ता है।
क्या आप जानते हैं सभी रासायनिक पदार्थ भी
कुछ कानूनों का पालन करते हैं ?
वास्तव में, हम रिश्तों को देखकर उन कानूनों का वर्णन कर सकते हैं।
शुरुआत के तौर पे कुछ आसान कानून (सिद्धांत) गैसों को नियंत्रित कर रहे हैं।
१६६२ में, रॉबर्ट बॉयल को गैसों में एक दिलचस्प प्रतिक्रिया का एहसास हुआ
जब पात्र में उन्हें डाला और उनकी आयतन को बदल दिया।
एक खाली बोतल लें और उस पर ढक्कन डाल दें, पात्र बंद करने के लिए।
अब अपनी बोतल निचोड़ें, और क्या होता है?
जब पात्र का आकार कम हो जाता है, तब बोतल के अंदर का दबाव बढ़ जाता है ।
आप केवल इतना ही पात्र क्रश कर सकते हैं जब तक अंदर की गैसें आपके हाथ पर वापस धक्का ना मारें।
यह एक प्रतिलोम अनुपात कहा जाता है, और यह हर गैस के लिए एक ही दर पर बदलता है।
बॉयल का सिद्धांत रसायनज्ञयों को किसी भी दबाव में किसी भी गैस की आयतन की भविष्यवाणी करने की अनुमति देता है
रिश्ता हमेशा वही होता है।
१७८० में, जैक्स चार्ल्स ने गैसों और उनके तापमान के बीच एक अलग रिश्ता देखा।
अगर आपने कभी एक गर्म हवा के गुब्बारे को देखा है, तो आपने प्रक्रिया में इस सिद्धांत को देखा है।
जब गुब्बारे बिछाए जाते हैं प हैं, वे पूरी तरह से सपाट होते हैं।
गुब्बारे को पार्टी के गुब्बारे की तरह उड़ाने की बजाय, वे उस लिफाफे के अंदर हवा गर्म करने के लिए एक विशाल लौ का उपयोग करते हैं।
जैसे जैसे हवा गर्म होने लगती है के रूप में, गुब्बारे में गैस की आयतन बढ़ जाती है और गुब्बारा फूलने लग जाता है।
गैस जितनी ज्यदा गर्म होती है,आयतन उतनी ही बड़ी, और यही चार्ल्स का सिद्धांत है।
पर ध्यान दें कि यह सिद्धांत बॉयल के सिद्धांत से अलग है ।
चार्ल्स का सिद्धांत एक सीधा संबंध है।
जैसे तापमान बढ़ता है, आयतन भी बढ़ जाती है।
तीसरे सिद्धांत का भी आसानी से प्रदर्शन किया है।
आप जब पार्टी के गुब्बारे फुलाते हैं, आयतन बढ़ जाता है।
आप जब फुला रहे होते हैं, तो आप अपने फेफड़ों से गुब्बारे में अधिक से अधिक गैस के कणों को जाने के लिए मजबूर कर रहे होते हैं।
यह गुब्बारे की आयतन में वृद्धि का कारण बनता है। यह अवोगाद्रो का सिद्धांत है।
जैसे एक पात्र में मिलाए गये गैस के कणों की संख्या बढ़ती है,
आयतन में भी वृद्धि होगी।
यदि आप अत्यधिक कणों को मिलाते हैं, तो, आगे क्या होता है आपको पता है।
कानून हर जगह हैं, गैस के सबसे नन्हे कणों में भी।
यदि आप उन्हें निचोड़ेंगे तो दबाव में वृद्धि होगी जैसे कणों को एक साथ धकेला जा रहा है।
कम आयतन का मतलब है उच्च दबाव क्योंकि वे कण वापस धक्का मारते हैं।
जैसे तापमान बढ़ता है, गैसें एक दूसरे से दूर होने लगती हैं, और आयतन भी बढ़ जाता है।
अंत में, अगर, आप एक बंद पात्र में गैस मिलाते हैं तो उस पात्र का आयतन का विस्तार होगा।
अत्यधिक मिलाने से सावधान रहें, क्योंकि अन्यथा आप एक फटे गुब्बारे को अंजाम दे सकते हैं।