WEBVTT 00:00:01.357 --> 00:00:02.928 काफी समय तक, 00:00:02.952 --> 00:00:06.086 दो रहस्य मुझपर मंडरा रहे थे। 00:00:06.689 --> 00:00:08.950 मैं उन्हें समझ नहीं पा रहा था 00:00:08.974 --> 00:00:11.877 और सच बोलूं तो, मैं उनके बारे में पता लगाने से डरता था। 00:00:12.349 --> 00:00:15.896 पहला रहस्य था कि मैं ४० साल का हूँ, 00:00:15.920 --> 00:00:18.991 और मेरे पुरे जीवनकाल में, लगातार कहीं सालो से, 00:00:19.015 --> 00:00:22.371 गंभीर डिप्रेशन और तनाव बड़ा है, 00:00:22.395 --> 00:00:25.085 यूनाइटेड स्टेट्स में, ब्रिटेन में, 00:00:25.109 --> 00:00:26.863 और पूरी पश्चिमी दुनिया में। 00:00:27.173 --> 00:00:30.101 मैं उसका कारण समझना चाहता था। 00:00:31.108 --> 00:00:32.975 यह हमारे साथ क्यों हो रहा है? 00:00:33.394 --> 00:00:36.036 क्यों हर साल गुजरने पर, 00:00:36.060 --> 00:00:39.314 और ज्यादा लोगो को अपना दिन काटने में तकलीफ हो रही है? 00:00:39.743 --> 00:00:43.300 और मुझे यह समझना था, क्यूंकि इसमें मेरा निजी रहस्य भी था। NOTE Paragraph 00:00:43.324 --> 00:00:44.713 जब मैं किशोर अवस्था में था, 00:00:44.737 --> 00:00:46.158 मैं अपने डॉक्टर के पास गया 00:00:46.182 --> 00:00:50.667 और उन्हें अपनी भावना समझाई, जैसे दर्द का रिसाव हो रहा था मुझसे। 00:00:51.237 --> 00:00:52.633 वो मेरे बस में नहीं था, 00:00:52.657 --> 00:00:54.942 मुझे उसका कारण समझ नहीं आ रहा था, 00:00:54.966 --> 00:00:57.021 मुझे उससे शर्मिंदगी महसूस होती थी। 00:00:57.045 --> 00:00:58.641 मेरे डॉक्टर ने एक कहानी बताई 00:00:58.665 --> 00:01:00.678 जिसका इरादा अब मुझे नेक लगता है, 00:01:00.702 --> 00:01:02.394 पर कुछ ज्यादा ही आसान कर दी गयी थी। 00:01:02.418 --> 00:01:03.586 पूरी तरह से गलत नहीं। 00:01:03.610 --> 00:01:06.402 मेरे डॉक्टर बोले, "मुझे पता है लोग ऐसे क्यों हो जाते है। 00:01:06.426 --> 00:01:10.658 कुछ लोगों के दिमाग में खुद ब खुद रासायनिक असंतुलन हो जाता है -- 00:01:10.682 --> 00:01:12.103 तुम उनमें से एक हो। 00:01:12.127 --> 00:01:14.111 हमें बस तुम्हें कुछ दवा देनी होगी, 00:01:14.135 --> 00:01:16.499 जो तुम्हारा रासायन संतुलन में ले आएगा।" NOTE Paragraph 00:01:16.523 --> 00:01:18.933 मैंने दवा लेनी चालू की, नाम पक्सिल या सेरोक्सत था, 00:01:18.957 --> 00:01:21.983 वो ही चीज़ का हर देश में अलग नाम होता है। 00:01:22.007 --> 00:01:24.490 मुझे अच्छा लगा, मुझे असली बढ़ावा मिला। 00:01:24.514 --> 00:01:25.925 पर ज्यादा समय बाद नहीं, 00:01:25.949 --> 00:01:27.950 दर्द की अनुभूति फिर से होने लगी। 00:01:27.974 --> 00:01:29.802 इसलिए मेरी दवा की मात्रा बढ़ा बड़ा दी गयी 00:01:29.826 --> 00:01:33.037 १३ साल तक, मैंने अधिकतम मात्रा ली 00:01:33.061 --> 00:01:35.077 जो क़ानूनी तौर पर ले सकते है। 00:01:35.402 --> 00:01:38.871 पर उन १३ सालो में काफी बार, और लगभग हमेशा आखिर में, 00:01:38.895 --> 00:01:40.395 मैं काफी दर्द में था। 00:01:40.419 --> 00:01:43.395 मैंने खुदसे पूछा, "यह क्या चल रहा है? 00:01:43.419 --> 00:01:44.961 क्यूंकि तुम वो सब कर रहे हो 00:01:44.985 --> 00:01:48.125 जो उस कहानी के अनुसार कहा गया है जो सभ्यता पर हावी है -- 00:01:48.149 --> 00:01:50.268 क्यों फिर यह अनुभव?" NOTE Paragraph 00:01:50.292 --> 00:01:53.164 इसलिए यह २ पहेली के तय तक जाने के लिए, 00:01:53.188 --> 00:01:54.596 एक किताब के लिए जो मैंने लिखी 00:01:54.620 --> 00:01:57.125 मैं पूरी दुनिया की यात्रा पर निकला, 00:01:57.149 --> 00:01:58.568 मैंने ४०,००० मील की यात्रा की। 00:01:58.592 --> 00:02:01.085 मैं इस दुनिया के मुख्य विशेषज्ञों के साथ बैठना चाहता 00:02:01.109 --> 00:02:03.276 डिप्रेशन और तनाव के कारण जानने 00:02:03.300 --> 00:02:05.172 और उससे जरुरी, उनके उपाय जानने, 00:02:05.196 --> 00:02:07.820 और जो लोग इस डिप्रेशन और तनाव से बाहर निकले हैं 00:02:07.844 --> 00:02:09.956 उनके हर वो तरीके जानने। 00:02:09.980 --> 00:02:11.466 और मैंने बहुत कुछ सीखा 00:02:11.490 --> 00:02:14.045 उन अद्भुत लोगों से जिन्हें मैं अपनी यात्रा में मिला। NOTE Paragraph 00:02:14.069 --> 00:02:17.045 पर मुझे लगता है जो मैंने सीखा उसका मूलतत्व था, 00:02:17.069 --> 00:02:20.104 अब तक, हमारे पास वैज्ञानिक सबूत है 00:02:20.128 --> 00:02:23.835 डिप्रेशन और तनाव के ९ विभिन्न कारणों के। 00:02:23.859 --> 00:02:26.668 उनमें से २ तो हमारे जीव विज्ञान में है। 00:02:26.692 --> 00:02:29.375 जीन आपको इस समस्या के प्रति और संवेदनशील बना सकती है, 00:02:29.399 --> 00:02:31.333 हालांकि वो आपका भाग्य नहीं लिखती। 00:02:31.357 --> 00:02:34.968 और जब आप डिप्रेस होते हैं मस्तिष्क परिवर्तन असलियत में हो सकता है। 00:02:34.992 --> 00:02:36.690 जो बहार निकलना मुश्किल कर सकता है। 00:02:36.714 --> 00:02:38.896 पर ज्यादातर कारण जो साबित हुए है 00:02:38.920 --> 00:02:40.761 डिप्रेशन और तनाव के 00:02:40.785 --> 00:02:42.550 वे जीव विज्ञान में नहीं है। 00:02:43.520 --> 00:02:45.734 वो हमारे रहने के तरीके में हैं। 00:02:46.116 --> 00:02:47.607 और एक बार आप वो समझ जाएं, 00:02:47.631 --> 00:02:50.727 वो विभिन्न प्रकार के उपाय प्रस्तुत करते हैं 00:02:50.751 --> 00:02:52.299 जिनका प्रस्ताव लोगों को देना चाहिए 00:02:52.323 --> 00:02:55.260 दवा के विकल्प के साथ। NOTE Paragraph 00:02:55.284 --> 00:02:57.077 जैसे कि, 00:02:57.101 --> 00:03:00.549 अगर आप अकेले हैं तो डिप्रेशन की सम्भावना ज्यादा है। 00:03:00.573 --> 00:03:03.684 अगर आपके काम में आपका नियंत्रण नहीं है, 00:03:03.708 --> 00:03:05.604 आपको जो बोला गया है वो ही करना है, 00:03:05.628 --> 00:03:07.517 डिप्रेशन की सम्भावना ज्यादा हो जाती है। 00:03:07.541 --> 00:03:10.025 अगर आप प्राकृतिक दुनिया में शायद ही कभी निकलते हैं, 00:03:10.049 --> 00:03:11.918 आपके डिप्रेस होने ही सम्भावना बढ़ जाती है। NOTE Paragraph 00:03:11.942 --> 00:03:15.053 और एक चीज़ डिप्रेशन और तनाव के बहुत सारे कारणों को जोड़ती है 00:03:15.077 --> 00:03:16.252 जो मैंने सीखी। 00:03:16.276 --> 00:03:18.339 सब नहीं, पर बहुत सारे। 00:03:18.363 --> 00:03:20.029 यहाँ सबको पता है 00:03:20.053 --> 00:03:22.712 सबकी स्वभाविक शारीरिक जरूरते है, हैं ना? 00:03:22.736 --> 00:03:23.910 जाहिर है। 00:03:23.934 --> 00:03:26.513 हमें खाना चाहिए, पानी चाहिए, 00:03:26.537 --> 00:03:28.767 छत, शुद्ध हवा चाहिए। 00:03:28.791 --> 00:03:30.585 अगर मैं वो चीज़े तुमसे ले लूँ, 00:03:30.609 --> 00:03:32.902 तुम बहुत जल्द बड़ी मुश्किल में आ जाओगे। 00:03:32.926 --> 00:03:34.728 पर साथ ही, 00:03:34.752 --> 00:03:38.123 हर इंसान की मनोवैज्ञानिक जरूरते भी हैं। 00:03:38.147 --> 00:03:40.186 महसूस होना चाहिए कि आप कहीं के सदस्य हो। 00:03:40.210 --> 00:03:43.274 आपकी ज़िन्दगी का कोई मतलब और मकसत है। 00:03:43.298 --> 00:03:45.829 कि लोग आपकी कदर करते हैं। 00:03:45.853 --> 00:03:48.410 आपका एक भविष्य है जिसका कोई अर्थ है। 00:03:48.434 --> 00:03:51.482 और यह संस्कृति जो हमने बनाई है वो बहुत चीज़ो में अच्छी है। 00:03:51.506 --> 00:03:53.666 और बहुत चीज़े पहले से सुधरी हैं -- 00:03:53.690 --> 00:03:55.011 मैं खुश हूँ मैं ज़िंदा हूँ। 00:03:55.035 --> 00:03:56.999 पर हम दिन पर दिन कम अच्छे हो रहे 00:03:57.023 --> 00:04:01.124 इन गहरी दबी हुई मनोवैज्ञानिक जरूरतों को पूरा करने में। 00:04:01.895 --> 00:04:03.998 और सिर्फ यह ही एक चीज़ नहीं जो हो रही है, 00:04:04.022 --> 00:04:08.069 पर मुझे लगता है यह एक महत्वपूर्ण कारण है कि यह समस्या बढ़ रही है। 00:04:08.919 --> 00:04:12.149 और मुझे यह समझने में बहुत कठिनाई हुई। 00:04:12.173 --> 00:04:14.879 मुझे काफ़ी जुज़ना पड़ा इस सोच के साथ 00:04:14.903 --> 00:04:19.309 कि डिप्रेशन सिर्फ एक दिमागी समस्या नहीं 00:04:19.333 --> 00:04:20.500 बल्कि बहुत कारणों वाली है 00:04:20.524 --> 00:04:22.585 जिसमें काफी हमारे रहने के तरीके में है। NOTE Paragraph 00:04:22.609 --> 00:04:24.974 और मेरे लिए सच में सब सूलज़ने लगा जब 00:04:24.998 --> 00:04:28.141 एक दिन, मैं साउथ अफ्रीका के एक मनोचिकित्सक का इंटरव्यू लेने गया 00:04:28.165 --> 00:04:29.966 नाम था डॉ. डेरेक समरफील्ड। 00:04:29.990 --> 00:04:31.141 बहुत अच्छे व्यक्ति थे। 00:04:31.165 --> 00:04:34.879 डॉ. समरफील्ड २००१ में कंबोडिया में थे, 00:04:34.903 --> 00:04:38.196 जब पहली बार रासायनिक हताशारोधी लाया गया 00:04:38.220 --> 00:04:39.952 उस देश के लोगों के लिए। 00:04:39.976 --> 00:04:43.273 स्थानीय डॉक्टर्स, कंबोडिया के लोगों ने इसके बारे में नहीं सुना था, 00:04:43.297 --> 00:04:44.888 वो पूछ रहे थे, "क्या है ये?" 00:04:44.912 --> 00:04:46.126 और डॉ. ने समझाया। 00:04:46.150 --> 00:04:47.682 उन् लोगों ने फिर बोला, 00:04:47.706 --> 00:04:50.403 "हमें यह नहीं चाहिए, हमारे पास हताशारोधी है." 00:04:50.427 --> 00:04:52.164 "इसका क्या मतलब है?" डॉ. ने पूछा 00:04:52.188 --> 00:04:55.427 उन्हें लगा ये कोई हर्बल चिकित्सा की बात कर रहे हैं। 00:04:55.451 --> 00:04:59.223 जैसे सत. जॉन का पौधा, गिंकगो बिलोबा, ऐसा कुछ। 00:04:59.910 --> 00:05:02.299 उसकी जगह, उन्होंने एक कहानी बताई। NOTE Paragraph 00:05:02.800 --> 00:05:06.379 उनके समुदाय में एक किसान था जो चावल की खेती करता था। 00:05:06.403 --> 00:05:08.173 एक दिन वो बारूदी सुरंग पर खड़ा हो गया 00:05:08.197 --> 00:05:10.387 यूनाइटेड स्टेट्स के साथ युद्ध का शेष, 00:05:10.411 --> 00:05:11.823 विस्फोट में उसका पैर चला गया 00:05:11.847 --> 00:05:13.283 उसको बनावटी पैर दिया गया, 00:05:13.307 --> 00:05:16.078 कुछ समय बाद वो चावल की खेती में काम करने गया। 00:05:16.102 --> 00:05:18.634 पर पानी के अंदर काम करना बहुत पीड़ाकारी था 00:05:18.658 --> 00:05:20.332 जब पैर नकली हो तो, 00:05:20.356 --> 00:05:22.276 मुझे लगता है वो काफी दर्दनाक था 00:05:22.300 --> 00:05:24.879 जहाँ विस्फोट हुआ वहां जाके फिरसे काम करना। 00:05:24.903 --> 00:05:27.306 वो किसान पुरे दिन रोने लगा, 00:05:27.330 --> 00:05:28.759 बिस्तर से उठने से मना कर देता, 00:05:28.783 --> 00:05:31.666 उसके सारे लक्षण क्लासिक डिप्रेशन के थे। 00:05:32.013 --> 00:05:33.378 कंबोडिया के डॉक्टर ने कहा, 00:05:33.402 --> 00:05:35.688 "तब हमने उससे हताशारोधी दी।" 00:05:35.712 --> 00:05:38.347 डॉ. समरफील्ड ने पूछा "क्या था वो?" 00:05:38.371 --> 00:05:41.180 उन्होंने समझाया कि वे उसके पास जाके बैठे। 00:05:41.982 --> 00:05:43.382 उसकी बात सुनी। 00:05:44.464 --> 00:05:47.011 उनको समझ आया की यह दर्द का मतलब बनता है -- 00:05:47.035 --> 00:05:49.956 उसके लिए उसके डिप्रेशन में यह देखना मुश्किल था, 00:05:49.980 --> 00:05:53.640 पर असलियत में, उसकी ज़िन्दगी में यह कारण बिलकुल स्पष्ट थे। 00:05:53.966 --> 00:05:57.164 एक डॉक्टर ने लोगो से बात करते हुए यह हिसाब लगाया, 00:05:57.188 --> 00:05:59.125 "अगर हम इसके लिए एक गाय ला दें, 00:05:59.149 --> 00:06:01.149 तो यह एक ग्वाला बन सकता है, 00:06:01.173 --> 00:06:04.268 वह इस दशा में नहीं रहेगा जो उसे इतना सत्ता रही है, 00:06:04.292 --> 00:06:06.799 उसे चावल की खेती नहीं करनी पड़ेगी।" 00:06:06.823 --> 00:06:08.022 तो उन्होंने एक गाय ला दी। 00:06:08.046 --> 00:06:10.226 कुछ हफ्तों में,उसका रोना बंद हो गया, 00:06:10.250 --> 00:06:12.162 एक महिने के अंदर, उसका डिप्रेशन चला गया। 00:06:12.186 --> 00:06:13.765 उन्होंने डॉ. समरफील्ड से कहा, 00:06:13.789 --> 00:06:16.559 "तो आपने देखा, डॉक्टर, वह गाय, हताशारोधी थी, 00:06:16.583 --> 00:06:18.050 यह ही आपका कहना था ना?" NOTE Paragraph 00:06:18.074 --> 00:06:19.225 (हंसी) NOTE Paragraph 00:06:19.249 --> 00:06:22.302 (तालियाँ) NOTE Paragraph 00:06:22.326 --> 00:06:25.199 अगरआपको डिप्रेशन के बारे में ये ही बोला गया है जो मुझे, 00:06:25.223 --> 00:06:26.835 और यहाँ बैठे अधिकतर लोगों को, 00:06:26.859 --> 00:06:28.533 तो यह एक बुरा मज़ाक लग रहा होगा। 00:06:28.557 --> 00:06:30.581 "मैं डॉक्टर के पास हताशारोधी लेने गया, 00:06:30.605 --> 00:06:31.771 उसने मुझे गाय दे दी।" 00:06:31.795 --> 00:06:34.822 पर जो बात वो कम्बोडियन डॉक्टर्स को सहज में पता थी, 00:06:34.846 --> 00:06:37.823 इस एक, अवैज्ञानिक कथा पर आधारित, 00:06:37.847 --> 00:06:41.132 वह दुनिया की मुख्य चिकित्सा संस्था भी, 00:06:41.156 --> 00:06:43.243 वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन, 00:06:43.267 --> 00:06:45.457 हमें सालो से बोलने का प्रयास कर रही है, 00:06:45.481 --> 00:06:47.973 श्रेष्ठ वैज्ञानिक प्रमाण पर आधारित। NOTE Paragraph 00:06:48.576 --> 00:06:50.505 अगर तुम निराश हो, 00:06:50.529 --> 00:06:51.906 अगर तुम्हें तनाव है, 00:06:53.008 --> 00:06:56.268 तुम कमज़ोर या पागल नहीं हो, 00:06:56.292 --> 00:06:59.877 तुम टूटे टुकड़ो का, कोई यंत्र नहीं हो। 00:07:00.950 --> 00:07:03.484 तुम एक इंसान हो जिसकी जरूरते अधूरी हैं। 00:07:03.919 --> 00:07:07.459 और यह सोचना इतना ही जरुरी है कि वो कम्बोडियन डॉक्टर्स 00:07:07.483 --> 00:07:09.800 और वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन क्या नहीं बोल रहे। 00:07:09.824 --> 00:07:11.356 उन्होनें किसान को ये नहीं बोला, 00:07:11.380 --> 00:07:14.181 "दोस्त, तुम्हें खुद को नियंत्रण में लाना होगा। 00:07:14.205 --> 00:07:17.472 तुम्हे खुदसे इस मुसीबत को समझके इसका हल निकालना होगा।" 00:07:17.851 --> 00:07:19.843 उल्टा, उन्होनें बोला की, 00:07:19.867 --> 00:07:23.391 "हम संघठन में, मिलझुल कर 00:07:23.415 --> 00:07:27.827 इस समस्या का हल निकालेंगे।" 00:07:28.543 --> 00:07:32.559 ये ही हर निराश इंसान को चाहिए, 00:07:32.583 --> 00:07:35.828 और हर निराश इंसान इसके योग्य है। NOTE Paragraph 00:07:35.852 --> 00:07:38.839 इसलिए यूनाइटेड स्टेट्स के एक प्रमुख डॉक्टर ने, 00:07:38.863 --> 00:07:41.181 विश्व स्वास्थ्य दिवस में, अपने आधिकारिक वक्तव्य 00:07:41.205 --> 00:07:42.696 पर, २०१७ में, 00:07:42.720 --> 00:07:45.537 बोलै की हमे रासायनिक असंतुलन के बारे में कम और हमारे 00:07:45.561 --> 00:07:48.618 रहने के तरीको के असंतुलन के बारे में ज्यादा बात करनी चाहिए। 00:07:48.920 --> 00:07:50.893 दवा कुछ लोगों को राहत देती है -- 00:07:50.917 --> 00:07:53.047 उसने मुझे कुछ समय तक राहत दी -- 00:07:53.071 --> 00:07:57.498 पर क्यूंकि यह समस्या जीव विज्ञानं से भी ज्यादा भित्तर जाती है, 00:07:57.522 --> 00:08:00.577 सुझाव भी उतनी गहराई में जाने चाहिए। NOTE Paragraph 00:08:00.601 --> 00:08:03.188 पर मैंने जब यह पहली बार समझा, 00:08:03.212 --> 00:08:04.895 मुझे याद है मैंने सोचा की, 00:08:04.919 --> 00:08:07.045 "ठीक है, मुझे वैज्ञानिक सबूत दिख रहे हैं, 00:08:07.069 --> 00:08:08.641 मैंने बहुत सारी खोज पढ़ी है, 00:08:08.665 --> 00:08:11.971 मैंने विशेषज्ञों का इंटरव्यू लिया है जिन्होनें यह समझाया, 00:08:11.995 --> 00:08:14.381 पर मैं सोचता रहा, "हम यह कैसे कर सकते हैं?" 00:08:14.405 --> 00:08:16.318 जो चीज़े हमें निराश कर रही हैं 00:08:16.342 --> 00:08:18.833 वो ज्यादातर और उलझी हुई होती है उस कंबोडिया के 00:08:18.857 --> 00:08:20.154 किसान की अपेक्षा। 00:08:20.178 --> 00:08:22.812 इस समझ की शुरुआत भी कहाँ से करें? NOTE Paragraph 00:08:22.836 --> 00:08:26.085 पर, वो लम्बी यात्रा मेरी किताब ले लिए, 00:08:26.109 --> 00:08:27.680 पूरी दुनिया में, 00:08:27.704 --> 00:08:30.299 मैं लोगों से मिलता रहा जो हूबहू वो ही कर रहे थे, 00:08:30.323 --> 00:08:32.775 सिडनी से, सं फ्रांसिस्को तक, 00:08:32.799 --> 00:08:33.971 साओ पाउलो तक। 00:08:33.995 --> 00:08:36.061 मैं लोगों से मिलता रहा, जो समझ रहे थे, 00:08:36.085 --> 00:08:38.432 डिप्रेशन और तनाव के गहरे कारणों को 00:08:38.456 --> 00:08:40.871 और एकजुट होकर, उन्हें सुलझा रहे थे। 00:08:40.895 --> 00:08:43.576 ज़ाहिर है, मैं सब अद्धभुत लोगों के बारे में नहीं बता सकता 00:08:43.600 --> 00:08:45.076 जिन्हें मैं मिला और लिखा, 00:08:45.100 --> 00:08:48.553 या वो ९ कारण डिप्रेशन और तनाव के जो मैंने सीखे, 00:08:48.577 --> 00:08:51.059 क्यूंकि यहाँ मुझे १० घंटे नहीं देंगे बोलने के लिए -- 00:08:51.083 --> 00:08:52.835 इसकी शिकायत आप उन्हें कर सकते हैं। NOTE Paragraph 00:08:52.859 --> 00:08:54.789 पर मैं २ कारणों को केंद्रित करना चाहूंगा 00:08:54.813 --> 00:08:58.226 और २ हल जो उसे निकलते हैं, 00:08:58.578 --> 00:08:59.728 पहला यह। 00:09:00.285 --> 00:09:03.293 हम मानव इतिहास के सबसे तनहा समाज हैं। 00:09:03.317 --> 00:09:06.150 हाल ही में हुए एक अध्ययन में अमेरिकन्स से पूछा गया, 00:09:06.174 --> 00:09:09.324 "क्या आपको लगता है कि आप किसीके करीब नहीं?" 00:09:09.348 --> 00:09:12.999 ३९ प्रतिशत लोगों ने हाँ कहा। 00:09:13.023 --> 00:09:14.387 "किसी के करीब नहीं।" 00:09:14.411 --> 00:09:16.908 अकेलेपन के अंतर्राष्ट्रीय प्रमाण में, 00:09:16.932 --> 00:09:19.490 ब्रिटैन और बचा हुआ एउरोपे अमरीका के ठीक पीछे आता है, 00:09:19.514 --> 00:09:21.299 अगर किसीको आत्मसंतुष्टि हो रही हो, NOTE Paragraph 00:09:21.323 --> 00:09:22.331 (हंसी) NOTE Paragraph 00:09:22.355 --> 00:09:24.244 मैंने बहुत समय यह चर्चा की 00:09:24.268 --> 00:09:26.664 दुनिया के विशेषज्ञों से अकेलेपन पर, 00:09:26.688 --> 00:09:28.942 एक अध्भुत व्यक्ति प्रोफेसर जॉन कासियप्पो, 00:09:28.966 --> 00:09:30.117 जो चिकागो में थे, 00:09:30.141 --> 00:09:32.964 मेरे मन में एक सवाल था जो उनकी खोज के बारे में 00:09:32.988 --> 00:09:35.293 प्रोफेसर कासियप्पो ने पूछा, 00:09:35.317 --> 00:09:36.967 "हमारा आस्तित्व क्या है? 00:09:36.991 --> 00:09:38.944 हम यहाँ क्यों है,जिन्दा क्यों हैं?" 00:09:38.968 --> 00:09:41.174 एक मुख्य कारण 00:09:41.198 --> 00:09:44.015 यह है की हमारे पूर्वज अफ्रीका के सवाना में 00:09:44.039 --> 00:09:45.759 एक चीज़ में माहिर थे। 00:09:46.287 --> 00:09:49.577 वे उन जानवर से बड़े नहीं थे जिनका वो शिकार करते, 00:09:49.601 --> 00:09:52.914 वे उन् जानवर से तेज़ नहीं थे, 00:09:52.938 --> 00:09:55.652 पर वे एकजुट होने में काफी अच्छे थे 00:09:55.676 --> 00:09:57.276 हुए सहयोग देने में। 00:09:57.300 --> 00:09:59.561 यह हमारी जाति की महाशक्ति थी -- 00:09:59.585 --> 00:10:00.990 हम एकजुट होते, 00:10:01.014 --> 00:10:03.490 जैसे मधुमखियाँ छत्ते में रहने के लिए विकसित हुई, 00:10:03.514 --> 00:10:05.746 मनुष्य झुण्ड में विकसित हुआ। 00:10:05.770 --> 00:10:09.580 और हम पहले मनुष्य हैं 00:10:10.492 --> 00:10:11.959 जो अपना झुण्ड छोड़ रहे हैं। 00:10:12.484 --> 00:10:14.551 हुए इससे हमें बहुत बूरा लगता है। 00:10:15.048 --> 00:10:17.192 पर ऐसा होना जरुरी नहीं। NOTE Paragraph 00:10:17.216 --> 00:10:19.850 मेरी किताब के नायक, बल्कि मेरी ज़िन्दगी के, 00:10:19.874 --> 00:10:21.969 डॉक्टर सैम एवेरिंगटोन हैं। 00:10:21.993 --> 00:10:24.731 वह एक सामान्य चिकित्सक हैं पूर्व लन्दन के गरीब हिस्से में, 00:10:24.755 --> 00:10:26.334 जहाँ मैं बहुत साल रहा। 00:10:26.358 --> 00:10:28.045 सैम असुविधाजनक स्तिथी में थे, 00:10:28.069 --> 00:10:29.625 क्यूंकि उनके पास बहुत रोगी थे 00:10:29.649 --> 00:10:31.893 जो गंभीर डिप्रेशन और तनाव में थे। 00:10:31.893 --> 00:10:34.385 और मेरी तरह, वो रासायनिक हताशारोधी के खिलाफ नहीं थे, 00:10:34.385 --> 00:10:37.085 उन्हें लगता था यह कुछ लोगों को कुछ सुकून देती थी। 00:10:37.109 --> 00:10:38.482 पर उन्हें २ चीज़े दिख रही थी। 00:10:38.506 --> 00:10:42.061 पहला, उनके मरीज़ काफी समय निराशा और तनाव में रहते 00:10:42.085 --> 00:10:45.823 स्वाभाविक कारणों से, जैसे अकेलापन। 00:10:45.847 --> 00:10:49.291 दूसरा, हलाकि दवा कुछ लोगों को कुछ सुकून दे रही थी, 00:10:49.315 --> 00:10:51.583 बहुत लोगों की समस्या वो नहीं सुलझा रही थी। 00:10:51.607 --> 00:10:53.140 जो मुख्य समस्या थी। 00:10:53.871 --> 00:10:56.522 एक दिन, सैम ने एक अलग तरीका सोचा। 00:10:56.546 --> 00:10:58.998 एक औरत उनके दवा खाने में आई, 00:10:59.022 --> 00:11:00.489 नाम था लिसा कन्निंघम। 00:11:00.513 --> 00:11:02.387 मैंने लिसा को बाद में जाना। 00:11:02.411 --> 00:11:06.495 लिसा अपने घर में बंध रहती गंभीर डिप्रेशन और तनाव से 00:11:06.519 --> 00:11:07.669 ७ साल तक। 00:11:08.898 --> 00:11:11.823 जब वो सैम के पास आई उसे बोला गया, "चिंता मत करो, 00:11:11.847 --> 00:11:13.677 हम तुम्हें यह दवा देते रहेंगे, 00:11:13.701 --> 00:11:16.498 पर हम कुछ और भी सलाह देंगे। 00:11:16.522 --> 00:11:19.965 तुम इस केंद्र में हफ्ते में २ बार आओ 00:11:19.989 --> 00:11:22.767 दूसरे निराश और तनाव लोगों के समूह से मिलने, 00:11:22.791 --> 00:11:25.601 यह बात करने नहीं की तुम कितनी दुखी हो, 00:11:25.625 --> 00:11:29.172 पर कुछ अर्थपूर्ण कार्य खोजने जो तुम मिलकर कर सको 00:11:29.196 --> 00:11:32.299 ताकि तुम्हें अकेलापन और यह, न लगे कि ज़िन्दगी का कोई मकसत नहीं।" NOTE Paragraph 00:11:32.323 --> 00:11:35.098 पहली बार जब यह लोग एकझुट हुए, 00:11:35.122 --> 00:11:37.378 लिसा को तनाव से उल्टियां होने लगी, 00:11:37.402 --> 00:11:39.323 उसके लिए यह ले पाना इतना मुश्किल था। 00:11:39.347 --> 00:11:41.981 पर लोगों ने उसकी पीठ मली, उन्होंने बात करनी चालू की, 00:11:42.005 --> 00:11:43.680 "हम क्या कर सकते हैं?" 00:11:43.704 --> 00:11:45.998 यह शेहरी पूर्व लन्दन के लोग थे, 00:11:46.022 --> 00:11:48.070 इन्हें बागबानी के बारे में नहीं पता था। 00:11:48.094 --> 00:11:50.339 उन्होंने कहा, "क्यों न हम बाग़बानी सीखे?" 00:11:50.363 --> 00:11:52.529 डॉक्टर के केंद्र के पीछे एक जगह थी 00:11:52.553 --> 00:11:53.704 जो सिर्फ गुल्मभुमी थी। 00:11:53.728 --> 00:11:55.610 "क्यों न इसको बग़ीचा बनाएं?" 00:11:55.634 --> 00:11:57.809 उन्होंने पुस्तकालय से पुस्तक लेनी चालू की, 00:11:57.833 --> 00:11:59.318 यू टूब वीडियो देखने लगे। 00:11:59.342 --> 00:12:01.501 उन्होंने मिटटी में काम करना चालू किया। 00:12:01.844 --> 00:12:04.887 वे मौसम के बारे में सिखने लगे। 00:12:04.911 --> 00:12:06.241 बहुत सबूत है कि प्राकृतिक 00:12:06.265 --> 00:12:07.894 दुनिया से संपर्क में रहना 00:12:07.918 --> 00:12:09.894 प्रभावशाली हताशारोधी होता है। 00:12:09.918 --> 00:12:12.927 पर वो उससे भी जरुरी कुछ करने लगे। 00:12:13.347 --> 00:12:15.377 वो एक कुटुम्भ बनाने लगे। 00:12:15.401 --> 00:12:17.212 एक समूह बनाने लगे। 00:12:17.236 --> 00:12:19.260 एक दूसरे का ध्यान रखने लगे। 00:12:19.284 --> 00:12:20.958 अगर कोई एक नहीं आता, 00:12:20.982 --> 00:12:23.502 तो दूसरे सारे उसके पास जाते -- "तुम ठीक हो?" 00:12:23.526 --> 00:12:26.137 उसकी मदद करते समझने में उसको क्या तकलीफ है। 00:12:26.161 --> 00:12:27.964 जैसे लिसा ने मुझे बताया, 00:12:27.988 --> 00:12:30.585 "जैसे बगीचा खिलने लगा, 00:12:30.609 --> 00:12:31.876 हम खिलने लगे।" NOTE Paragraph 00:12:32.474 --> 00:12:34.506 इस तरीके को सामूहिक सलाह बोलते है, 00:12:34.530 --> 00:12:36.045 यह पूरे यूरोप में फ़ैल रहा है। 00:12:36.069 --> 00:12:38.370 और एक छोटा, पर बढ़ता हुआ सबूत है 00:12:38.394 --> 00:12:41.274 कि यह वास्तव में अर्थपूर्ण गिरावट ला सकता है 00:12:41.298 --> 00:12:43.276 डिप्रेशन और तनाव में। NOTE Paragraph 00:12:43.300 --> 00:12:47.021 एक दिन मैं बगीचे में खड़ा था 00:12:47.045 --> 00:12:49.526 जो लिसा और उसके कभी डिप्रेस दोस्तों ने बनाया था -- 00:12:49.550 --> 00:12:51.134 बहुत सुन्दर बगीचा था -- 00:12:51.158 --> 00:12:52.349 और यह सोच रहा था, 00:12:52.373 --> 00:12:56.244 यह बहुत कुछ एक ऑस्ट्रेलियन प्रोफेसर हघ मक्के से प्रेरित है। 00:12:56.268 --> 00:13:00.649 बहुत बार जब लोगों को निराशा होती है, हमारे समाज में, 00:13:00.673 --> 00:13:03.737 हम उन्हें क्या बोलते हैं -- 00:13:03.761 --> 00:13:06.985 "तुम्हें बस अपने जैसा रहना है, वास्तविक रहो।" 00:13:07.742 --> 00:13:10.692 जबकि हमें बोलना चाहिए कि 00:13:10.716 --> 00:13:11.866 "खुद जैसे मत रहो। 00:13:12.306 --> 00:13:13.639 जैसे हो वैसे मत रहो। 00:13:14.218 --> 00:13:16.427 एकजुट होकर रहो। 00:13:16.765 --> 00:13:18.090 समूह का हिस्सा बनो।" NOTE Paragraph 00:13:18.114 --> 00:13:21.820 (तालियाँ ) NOTE Paragraph 00:13:21.844 --> 00:13:24.423 इन मुश्किलों का हल 00:13:24.447 --> 00:13:27.598 इसमें नहीं की अपने साधन से ज्यादा से ज्यादा निकाले 00:13:27.622 --> 00:13:29.061 एक अकेले व्यक्ति की तरह -- 00:13:29.085 --> 00:13:31.125 वो एक कारण है जो हमें इस संकट में लाया है। 00:13:31.149 --> 00:13:33.902 वो खुद से बड़ी किसी चीज़ से जुड़ने में है। NOTE Paragraph 00:13:33.926 --> 00:13:36.347 और यह जोड़ता है एक और कारण से 00:13:36.371 --> 00:13:39.268 जो डिप्रेशन और तनाव पैदा करते हैं। 00:13:39.292 --> 00:13:40.982 यह सबको पता है 00:13:41.006 --> 00:13:44.752 जंक फूड ने हमारी डाइट पर कब्जा कर लिया है और हमें शारीरिक रूप से बीमार कर दिया। 00:13:44.776 --> 00:13:46.982 मैं ऐसा श्रेष्ठता की भावना के साथ नहीं कहता, 00:13:47.006 --> 00:13:49.405 मैं खुद म्क्दोनाल्ड्स से यहाँ आया हूँI 00:13:49.429 --> 00:13:52.942 मैंने देखा कि तुम सब स्वस्थ TED नाश्ता खा रहे हो, मैं सोचा ऐसा कैसे। 00:13:52.966 --> 00:13:58.109 लेकिन जैसे जंक फूड ने हम पर कब्ज़ा कर लिया और हमें शारीरिक रूप से बीमार कर दिया, 00:13:58.133 --> 00:14:02.243 उसी तरह एक प्रकार के जंक मूल्यों ने हमारे दिमाग पर कब्जा कर लिया और हमें 00:14:02.267 --> 00:14:03.745 मानसिक रूप से बीमार कर दिया। 00:14:04.157 --> 00:14:07.261 हज़ारों सालों से, दार्शनिकों ने कहा है, 00:14:07.285 --> 00:14:11.873 अगर आपको लगता है कि जीवन पैसे के बारे में है और स्थिति और दिखावा, 00:14:11.897 --> 00:14:13.420 तो आपको बेकार महसूस होगा। 00:14:13.444 --> 00:14:15.511 यह एक सटीक उद्धरण नहीं है शोपेनहावर का, 00:14:15.535 --> 00:14:17.307 लेकिन उसने जो कुछ कहा, उसका सार है। NOTE Paragraph 00:14:17.331 --> 00:14:20.357 अजीब बात है, शायद ही किसीने वैज्ञानिक रूप से इसकी जांच की थी, 00:14:20.381 --> 00:14:24.030 जब तक मैं एक असाधारण व्यक्ति से नहीं मिला, नाम था प्रोफेसर टिम कसेर, 00:14:24.054 --> 00:14:26.347 जो इलिनोइस के नॉक्स कॉलेज में हैं, 00:14:26.371 --> 00:14:28.934 और वो इस पर खोज़ कर रहे हैं लगभग 30 वर्षों से। 00:14:28.958 --> 00:14:31.974 और उनकी खोज कई महत्वपूर्ण बातें बताती है। 00:14:31.998 --> 00:14:35.189 पेहला, जितना तुम विश्वास करोगे 00:14:35.213 --> 00:14:39.578 आप खरीद के प्रदर्शित कर सकते हैं उदासी से अपना रास्ता, 00:14:39.602 --> 00:14:41.793 एक अच्छे जीवन की ओर , 00:14:41.817 --> 00:14:44.729 उतना अधिक आपके उदास और चिंतित बनने की संभावना है। 00:14:44.753 --> 00:14:46.046 और दूसरी बात, 00:14:46.070 --> 00:14:50.658 एक समाज के रूप में, हम इन मान्यताओं से बहुत अधिक प्रेरित हो गए हैं। 00:14:50.682 --> 00:14:52.095 मेरे पूरे जीवनकाल में, 00:14:52.119 --> 00:14:56.312 विज्ञापन, इंस्टाग्राम और उन जैसी चीज़ो के वजन के तहत। NOTE Paragraph 00:14:56.871 --> 00:14:58.244 जैसे मैं इस बारे में सोचा, 00:14:58.268 --> 00:15:04.029 मुझे एहसास हुआ कि हम सभी को बताया गया है जन्म से, आत्मा के लिए एक प्रकार का जंक। 00:15:04.053 --> 00:15:07.926 हमें प्रशिक्षित किया गया है ख़ुशी की तलाश गलत स्थानों में करने के लिए, 00:15:07.950 --> 00:15:10.720 और जैसे जंक फ़ूड आपकी पोषण सम्बन्धी जरूरते पूरी नहीं करता 00:15:10.744 --> 00:15:13.042 और वास्तव में आपको भनायक महसूस कराता है, 00:15:13.066 --> 00:15:16.208 जंक मूल्य आपकी मनोवैज्ञानिक जरूरते पूरी नहीं करते, 00:15:16.232 --> 00:15:18.874 और आपको एक अच्छे जीवन से दूर ले जाते हैं। 00:15:18.898 --> 00:15:21.521 लेकिन जब मैंने पहली बार समय बिताया प्रोफेसर कासर के साथ 00:15:21.545 --> 00:15:23.022 और मैं यह सब सिख रहा था, 00:15:23.046 --> 00:15:25.633 मुझे अजीब भावनाओं का मिश्रण महसूस हुआ। 00:15:25.657 --> 00:15:28.347 क्योंकि एक तरफ, मुझे यह वाकई चुनौतीपूर्ण लगा। 00:15:28.371 --> 00:15:31.633 मकितनी बार मेरी अपनी ज़िन्दगी में, जब मैंने नीचे महसूस किया, 00:15:31.657 --> 00:15:36.922 मैंने किसी तरह से इसका उपाय करने की कोशिश की दिखावा, भव्य बाहरी समाधान से। 00:15:37.441 --> 00:15:40.131 और मैं देख सकता था कि क्यों यह मेरे लिए काम नहीं किया। 00:15:40.930 --> 00:15:43.812 मैंने यह भी सोचा, क्या यह स्पष्ट नहीं है? 00:15:43.836 --> 00:15:45.581 क्या यह लगभग तुच्छ नहीं? 00:15:45.605 --> 00:15:46.930 अगर मैं यहाँ सबको बोलूं, 00:15:46.954 --> 00:15:49.097 कोई भी झूठ नहीं बोलेगा अपनी मृत्युशय्या पर 00:15:49.121 --> 00:15:52.437 और सभी जूतों के बारे में सोचें जो आपने खरीदे और सभी रीट्वीट जो मिले, 00:15:52.461 --> 00:15:54.144 आप उन क्षणों के बारे में सोचेंगे 00:15:54.168 --> 00:15:56.279 प्यार, अर्थ और आपके जीवन के सम्बन्धो के। 00:15:56.303 --> 00:15:58.248 यह तो बिलकुल आम बात लगती है। 00:15:58.272 --> 00:16:00.621 लेकिन मैं बात करता रहा प्रोफ़ेसर से और कहता रहा, 00:16:00.645 --> 00:16:02.998 “मुझे यह विचित्र दोहरापन क्यों लग रहा है ? " 00:16:03.022 --> 00:16:06.829 और उन्होंने कहा, "किसी स्तर पर, हम सभी इन बातों को जानते हैं। 00:16:06.853 --> 00:16:09.228 लेकिन इस संस्कृति में, हम उनके द्वारा नहीं जीते। " 00:16:09.252 --> 00:16:11.331 हम इतनी अच्छी तरह जानते हैं वे आम बन गए हैं, 00:16:11.355 --> 00:16:12.633 पर हम उनके द्वारा नहीं जीते। 00:16:12.657 --> 00:16:15.866 मैं पूछता रहा कि क्यों, हम क्यों जानते हैं कुछ इतना गहरा, 00:16:15.890 --> 00:16:17.176 लेकिन इसके द्वारा नहीं जीते? 00:16:17.200 --> 00:16:20.604 और थोड़ी देर बाद, प्रोफेसर कासर ने मुझसे कहा, 00:16:20.628 --> 00:16:23.049 “क्योंकि हम एक मशीन में रहते हैं 00:16:23.073 --> 00:16:26.806 जो ऐसा तैयार किया गया है कि हम अनदेखा करें कि जीवन में क्या महत्वपूर्ण है। ” 00:16:27.260 --> 00:16:28.847 मुझे इसके बारे में बहुत सोचना पड़ा 00:16:28.871 --> 00:16:30.276 “क्योंकि हम एक मशीन में रहते हैं 00:16:30.300 --> 00:16:33.978 जो ऐसा तैयार किया गया है कि हम अनदेखा करते हैं जीवन में क्या महत्वपूर्ण है। ” NOTE Paragraph 00:16:34.299 --> 00:16:38.077 और प्रोफ़ेसर कासेर यह पता लगाना चाहते थे अगर हम उस मशीन को बाधित कर सकते हैं। 00:16:38.101 --> 00:16:39.974 उन्होंने इसमें बहुत खोज की, 00:16:39.998 --> 00:16:41.553 मैं आपको एक उदाहरण बताता हूँ, 00:16:41.577 --> 00:16:45.077 और मैं सभी से आग्रह करता हूं अपने दोस्तों और परिवार के साथ यह कोशिश करने। 00:16:45.101 --> 00:16:48.443 नाथन डुंगन नामक एक व्यक्ति को, किशोरों और वयस्कों का एक समूह मिला 00:16:48.467 --> 00:16:52.680 सत्रों की एक श्रृंखला के लिए एक साथ आना एक समय की अवधि में, मिलने के लिए। 00:16:52.704 --> 00:16:54.467 और इस समूह के मकसद का एक हिस्सा था 00:16:54.491 --> 00:16:57.791 लोगों को अपनी ज़िन्दगी के एक पल के बारे में सोचने के लिए 00:16:57.815 --> 00:17:00.561 जहाँ उन्हें सच में अर्थ और उद्देश्य मिला। 00:17:00.585 --> 00:17:02.728 अलग लोगों के लिए, अलग चीज़े थी। 00:17:02.752 --> 00:17:06.369 कुछ लोगों के लिए, वह गाना बजाने में, लिखने में, किसी की मदद करने में था -- 00:17:06.393 --> 00:17:09.196 मुझे यकीन है हर कोई यहाँ कुछ ऐसा सोच सकता है, है न? 00:17:09.220 --> 00:17:12.101 और इस समूह के मकसद का एक हिस्सा था लोगों से पूछना, 00:17:12.125 --> 00:17:14.887 “ठीक है, आप कैसे अपने जीवन को और समर्पित कर सकते हैं 00:17:14.911 --> 00:17:17.595 इन पलों को हासिल करने जिसमें अर्थ और उद्देश्य हो, 00:17:17.619 --> 00:17:20.569 और कम, मुझे नहीं पता, बकवास खरीदने में जिसकी ज़रूरत नहीं, 00:17:20.593 --> 00:17:23.315 लोगों को दिखाने और सोशल मीडिया में डालने ताकि लोग कहें, 00:17:23.339 --> 00:17:24.606 "मुझे जलन हो रही है।" NOTE Paragraph 00:17:24.958 --> 00:17:26.601 और उन्होंने जो पाया, वह था 00:17:26.625 --> 00:17:27.959 बस इन बैठकों से, 00:17:27.983 --> 00:17:31.093 यह एक प्रकार का शराबी बेनामी था उपभोक्तावाद के लिए, है ना? 00:17:31.217 --> 00:17:34.170 लोगों को ये बैठकें करवाना, इन मूल्यों को स्पष्ट करना, 00:17:34.170 --> 00:17:37.315 उन अनुसार कृत्य करने का दृढ़ संकल्प और एक दूसरे के साथ जांच करना, 00:17:37.339 --> 00:17:40.196 लोगों के मूल्यों में उल्लेखनीय बदलाव लाया। 00:17:40.220 --> 00:17:44.053 यह उन्हें इस तूफान से दूर ले गया जो अवसाद पैदा करने वाले संदेश 00:17:44.053 --> 00:17:47.291 जो प्रशिक्षण दे रहे थे खुशी की तलाश गलत स्थानों पर करने, 00:17:47.315 --> 00:17:50.656 और अधिक सार्थक और पौष्टिक मूल्य की ओर 00:17:50.680 --> 00:17:52.680 जो हमें अवसाद से बहार निकालता। NOTE Paragraph 00:17:53.347 --> 00:17:56.649 लेकिन सभी समाधानों के साथ जो मैंने देखा और जिनके बारे में लिखा है, 00:17:56.673 --> 00:17:59.412 और कई जिनके बारे में यहाँ बात नहीं कर सकता, 00:17:59.436 --> 00:18:00.807 मैं सोचता रहा, 00:18:00.831 --> 00:18:04.530 तुम्हें पता है: मुझे इतनी देर क्यों लगी इन अंतर्दृष्टि को देखने के लिए 00:18:04.554 --> 00:18:06.570 क्योंकि जब आप उन्हें लोगों को समझाते हैं - 00:18:06.594 --> 00:18:09.038 उनमें से कुछ अधिक जटिल होते हैं, लेकिन सभी नहीं - 00:18:09.062 --> 00:18:12.306 जब आप लोगों को यह समझाते हैं, यह बहुत मुश्किल नहीं है, है ना? 00:18:12.330 --> 00:18:14.425 कुछ स्तर पर, हम ये बातें जानते हैं। 00:18:14.449 --> 00:18:17.086 हमें इसे समझना इतना कठिन क्यों लगता है? 00:18:17.110 --> 00:18:19.044 मुझे लगता है इसके कई कारण हैं। 00:18:19.475 --> 00:18:23.744 लेकिन मुझे लगता है कि एक कारण है कि हमें अपनी समझ बदलनी होगी 00:18:23.768 --> 00:18:27.188 कि अवसाद और चिंता वास्तव में क्या हैं। 00:18:27.776 --> 00:18:29.958 बहुत वास्तविक जैविक योगदान हैं 00:18:29.982 --> 00:18:31.715 अवसाद और चिंता के। 00:18:32.117 --> 00:18:35.871 लेकिन अगर हम जीव विज्ञान को पूरी तस्वीर बना देते हैं, 00:18:35.895 --> 00:18:37.141 जो मैंने लम्बे समय तक किया 00:18:37.165 --> 00:18:41.230 जैसा, मैं बहस करूँगा, हमारी संस्कृति ने किया लगभग मेरी पूरी ज़िन्दगी, 00:18:41.254 --> 00:18:45.111 हम लोगों से संक्षेप में कह रहे हैं, और यह किसी का इरादा नहीं है, 00:18:45.135 --> 00:18:48.172 लेकिन हम अस्पष्ट तरीके से लोगो को कह रहे हैं, 00:18:48.196 --> 00:18:50.498 "आपके दर्द का कोई मतलब नहीं है। 00:18:50.522 --> 00:18:51.958 यह सिर्फ एक खराबी है। 00:18:51.982 --> 00:18:54.451 यह एक कंप्यूटर प्रोग्राम में एक गड़बड़ की तरह है, 00:18:54.475 --> 00:18:57.142 यह आपके सिर में बस एक वायरिंग समस्या है। " 00:18:58.061 --> 00:19:01.168 पर मैं अपनी ज़िन्दगी में तब ही बदलाव ला सका 00:19:01.192 --> 00:19:05.257 जब मुझे एहसास हुआ कि अवसाद कोई खराबी नहीं है। 00:19:06.620 --> 00:19:07.770 एक संकेत है। 00:19:08.684 --> 00:19:10.691 आपका अवसाद एक संकेत है। 00:19:11.077 --> 00:19:12.918 वो आपको कुछ बता रहा है। NOTE Paragraph 00:19:12.942 --> 00:19:17.553 (तालियां) NOTE Paragraph 00:19:17.577 --> 00:19:19.966 हमें कुछ कारणों से ऐसा महसूस होता है, 00:19:19.990 --> 00:19:22.705 और उन्हें देखना कठिन हो सकता है अवसाद के घेरे में - 00:19:22.729 --> 00:19:25.339 मैं वास्तव में अच्छे से समझता हूं व्यक्तिगत अनुभव से। 00:19:25.363 --> 00:19:28.846 लेकिन सही मदद से, हम इन समस्याओं को समझ सकते हैं 00:19:28.870 --> 00:19:31.344 और हम इन समस्याओं को एक साथ सुलझा सकते हैं। 00:19:31.368 --> 00:19:32.560 लेकिन ऐसा करने के लिए, 00:19:32.584 --> 00:19:34.322 सबसे पेहला कदम 00:19:34.346 --> 00:19:36.964 है कि इन संकेतों का अपमान करना बंद करना होगा 00:19:36.988 --> 00:19:41.180 यह कहकर कि वे कमजोरी की निशानी हैं, या पागलपन या विशुद्ध रूप से जैविक, 00:19:41.204 --> 00:19:43.139 कुछ लोगों को छोड़कर। 00:19:43.163 --> 00:19:46.789 हमें शुरू करने की जरूरत है इन संकेतों को सुनने की, 00:19:46.813 --> 00:19:50.085 क्योंकि वे हमें बता रहे हैं कुछ ऐसा जो हमें सच में सुनना चाहिए। 00:19:50.514 --> 00:19:55.537 जब हम सही मायने में है इन संकेतों को सुनेंगे, 00:19:55.561 --> 00:19:59.576 और इन संकेतों का मान सम्मान करेंगे, 00:19:59.600 --> 00:20:01.847 हम देखना शुरू करेंगे 00:20:01.871 --> 00:20:06.029 मुक्ति देने वाला, पोषण करने वाला, गहरा समाधान। 00:20:07.133 --> 00:20:11.206 हमारे चारों तरफ जो गायें इंतजार कर रही हैं NOTE Paragraph 00:20:11.585 --> 00:20:12.766 धन्यवाद। NOTE Paragraph 00:20:12.790 --> 00:20:16.478 (तालियां)