मैं पिछले एक दशक से, गैर राज्यकीय शस्त्रधारी संगठनों का अनुसंधान कर रही हूँ सशस्त्र संगठन जैसे कि आतंकवादी, विद्रोही या नागरिक सेना मैं आलेख करती हूँ कि ये संगठन गोलाबारी के अलावा क्या करते हैं | मेरा उद्देश्य इन हिंसाकर्ताओं को बेहतर समझना और हिंसक संग्राम से अहिंसात्मक विरोध में परिवर्तन के मार्ग खोजना है | मेरा कार्यक्षेत्र रणभूमि, नीति लोक और पुस्तकालय है | गैर राज्यकीय शस्त्रधारी संघटनों को समझना अधिकाँश संघर्षों को हल करने की कुंजी है क्यूँकि लड़ाई बदल चुकी है | ये राष्ट्रों के बीच प्रतियोगिता हुआ करता था | अब नहीं | अब यह राष्ट्र और गैर राज्यकीय कर्ताओं के बीच असहमति हैं | उदहारण के लिए, सन १९७५ से २०११ तक जिन २१६ शान्ति समझौते पर हस्ताक्षर हुए इनमें १९६ एक राष्ट्र और गैर राज्यकीय कर्ताओं के बीच थे इसीलिए हमें इन संगठनों को समझना होगा; किसी भी सफल शान्ति संधि के लिए, हमें इनसे वार्ता करनी होगी या फिर उन्हें हराना होगा | पर हम ऐसा करेंगे कैसे ? हमें यह समझना होगा कि ये संगठन लोकप्रिय क्यूँ हैं हम ये तो जानते हैं कि वो कैसे लड़ते हैं, क्यूँ लड़ते हैं पर यह कोई नहीं देखता कि ये तब क्या करते हैं जब लड़ते नहीं हैं | तो भी, सशस्त्र संघर्ष और निरस्त्र राजनीति जुडी हुई हैं ये सब एक ही संगठन के अंग हैं इन संगठनों तो हराना तो दूर, इन्हें समझ भी नहीं सकते जब तक हमारे पास पूर्ण जानकारी नहीं है आज के सशस्त्र संगठन बहुत जटिल हैं | लेबनान के हिजबुल्ला का उदहारण लीजिये, जो इजराइल के साथ हिंसक झड़पों के लिए जाना जाता है पर सन १९८० में अपने गठन के साथ हिजबुल्ला ने अपने राजनीतिक दल का भी गठन किया, एक समाज सेवी प्राणाली, और एक सामरिक यंत्र | ठीक इसी तरह, फिलिस्तीनी हमास, जो इजराइल के खिलाफ आत्मघाती हमलों के लिए जाना जाता है, वो २००७ से गाज़ापट्टी पर शासन कर रहा है | ये संगठन गोलाबारी के अलावा भी बहुत कुछ करते हैं ये कई कार्य करते हैं वे पेचीदा संचार यंत्र स्थापित करते हैं जैसे कि रेडियो, टीवी चैनल, इंटरनेट और सोशल मीडिया रणनीति | और इधर है ISIS मैगज़ीन अंग्रेज़ी में छपी और भर्ती के लिए प्रकाशित की गई सशस्त्र संघठन धन जुटाने में भी निवेश करते हैं लूटकर नहीं, बल्कि लाभदायक व्यवसायों से जैसे कि निर्माण इकाईयां अब यह गतिविधियाँ आधार है जिस से इन संगठनो का बल बढ़ता है धन कोष बढ़ाता है बेहतर भर्ती और पहचान बनाता है| सशस्त्र संगठन कुछ और भी करते हैं वो जनता के साथ मज़बूत सम्बन्ध बनाते हैं समाज सेवा करके | वे विद्द्यालय बनाते हैं, अस्पताल चलाते हैं वे व्यावसायिक प्रशिक्षण और लघु ऋण कार्यक्रम चलाते हैं हिज़बुल्ला इस तरह की सारी एवं और भी सेवाएं देता है सशस्त्र संगठन और भी कुछ की पेशकश करते हैं जनमत जीतने के लिए जो राष्ट्र नहीं दे रहे सुरक्षा और सलामती | युध्ग्रस्त अफ़गानिस्तान में तालिबान के प्रारंभिक उत्कर्ष या ISIS के उदय के शुरुआत को समझा जा सकता है इन संगठनों के प्रयासों को देख कर सुरक्षा प्रदान करने के लिए | अब दुर्भाग्य से इन क्षेत्रों में जनता को सुरक्षा के प्रावधान के लिए बहुत भारी कीमत अदा करनी पड़ी | सामान्यतः जन सेवाओं से सरकार के द्वारा छोड़ी गई रिक्ति, शासन की किसी रिक्ति को भरता है और इन संगठनों की ताक़त और प्रभाव की वृद्धि करता है| जैसे कि, २००६ में फिलिस्तीनी हमास की चुनावी जीत को उनकी समाज सेवा को मान्यता दिए बिना नहीं समझा जा सकता है | अब यह एक जटिल तस्वीर है फिर भी पश्चिमी देशों, जब हम सशस्त्र संगठनों की हिंसा की बात करते हैं | परन्तु यह काफी नहीं है इन संगठनों की ताक़त, रणनीति या दूरदर्शिता समझने के लिए | यह संगठन बहु-आयामी हैं | इनका उदय इसलिए होता है क्यूँकि ये सरकार की रिक्ति को पूरा करते हैं और वे सशस्त्र एवं राजनीतिक रूप में उभरते हैं हिंसक संघर्ष करते हैं और शासन करते हैं | और ये संगठन जितने जटिल एवं परिष्कृत होते जायेंगे हमारे लिए उतना ही मुश्किल होगा इन्हें राष्ट्र विरोधी समझना | अब आप हिजबुल्ला जैसे संगठन को क्या कहेंगे ? वे एक राज्य क्षेत्र का शासन करते हैं, सारे प्रशासनिक कार्य करते हैं वे कचरा उठाते हैं, मलप्रवाह पद्धति चलते हैं | क्या यह सरकार है ? क्या ये विद्रोही संगठन है ? या फिर कुछ और ही है, कुछ भिन्न और नवीन ? और ISIS क्या है ? इनके बीच अंतर धुंधला है| हम जिस दुनिया में रहते हैं वो राष्ट्रों, गैर राजकीय कर्ताओं के बीच में है, और राष्ट्र जितने निर्बल होंगे, जैसे कि मध्य पूर्वी राष्ट्रों में आज कल, उतने ही गैर-राज्यकीय कर्ता उस रिक्ति को पूर्ण करने के लिए उभरेंगे| यह सरकारों के लिए महत्वपूर्ण है, क्यूँकि इन संगठनों से लड़ने के लिए उनको गैर-सैनिक यंत्रों में निवेश करना होगा शासन की त्रुटियों को सुधारना किसी भी दीर्घकालिक रणनीति का केंद्र बिंदु होना चाहिए| ये अत्यंत महत्वपूर्ण है, शान्ति संधि और शान्ति स्थापना के लिए| हम जितना सशस्त्र संगठनों को बेहतर समझेंगे उतना ही बेहतर जानेंगे कि इन्हें हिंसा से अहिंसा की तरफ कैसे प्रोत्साहित किया जाए | तो राष्ट्रों और गैर राज्यकीय (संगठनों) के बीच की इस नयी लड़ाई में सैनिक क्षमता से कुछ युद्ध तो जीते जा सकते हैं लेकिन वो हमे अमन और स्थिरता नहीं देगा | इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हमें दीर्घकालीन निवेश करने होंगे सुरक्षा में रिक्ति भरने के लिए, शासन की रिक्ति भरने के लिए जिससे इन संगठनों को उभरने का मौका मिला धन्यवाद | (तालियाँ)